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सचिव (पश्चिम) द्वारा भारत-स्वीडन वर्चुअल शिखर सम्मलेन के बाद विशेष वर्चुअल ब्रीफिंग की प्रतिलिपि (मार्च 05, 2021)

मार्च 06, 2021

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: दोस्तों, शुभ संध्या तथा स्वागतम। हम अपनी विशेष वर्चुअल ब्रीफिंग शुरू कर रहे हैं। यह प्रधानमंत्री तथा स्वीडन के प्रधानमंत्री के बीच वर्चुअल द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन पर है जिसका समापन थोड़ी देर पहले हुआ था। इस वर्चुअल शिखर सम्मेलन के बारे में हमें जानकारी देने के लिए, मेरे पास मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) श्री विकासस्वरूप हैं। उनके साथ संयुक्त सचिव (मध्य यूरोप) श्रीमती नीता भूषण भी हैं। सचिव पहले शुरूआती टिप्पणी करेंगे उसके बाद आपके प्रश्न का उत्तर देंगे। सर कृपया आप कमान संभालेंगे?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम): धन्यवाद अनुराग। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी तथा स्वीडन के प्रधानमंत्री महामहिम स्टीफन लोफवेन ने आज एक घंटे तक चले वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान व्यापक विचार-विमर्श किया।

2015 के बाद से दोनों नेताओं के बीच यह पांचवीं बातचीत थी। प्रधानमंत्री मोदी ने पहले भारत नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के लिए अप्रैल, 2018 में स्टॉकहोम का दौरा किया था। प्रधानमंत्री महामहिम स्टीफन लोफवेन ने विशेष "मेक इन इंडिया" सप्ताह के लिए फरवरी, 2016 में भारत का दौरा किया था। इससे पहले दोनों नेताओं की मुलाकात सितंबर, 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में हुई थी। अप्रैल, 2020 में दोनों प्रधानमंत्रियों ने कोविड-19 महामारी से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा करने के लिए टेलीफोन पर बातचीत की थी।

इसके अलावा, राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 2015 में स्वीडन का दौरा किया था तथा स्वीडन की महामहिम कार्ल XVI गुस्ताफ तथा क्वीन सिल्विया (किंग एंड क्वीन) ने दिसंबर 2019 में भारत का दौरा किया था। दोनों देशों के बीच नियमित उच्चस्तरीय बातचीत बहुआयामी साझेदारी को मजबूत करने के लिए दोनों पक्षों की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

शिखर सम्मेलन के दौरान दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि भारत तथा स्वीडन के बीच पुराने घनिष्ठ संबंध लोकतंत्र के साझा मूल्यों, विधि द्वारा शासन, बहुलवाद, समानता, वाक् स्वतंत्रता तथा मानवाधिकारों के सम्मान पर आधारित हैं। उन्होंने बहुपक्षीयता, नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, आतंकवाद का मुकाबला, शांति तथा सुरक्षा के लिए कार्य करने के लिए अपनी मजबूत प्रतिबद्धता की पुष्टि की। यह साझेदारी समान मूल्यों में निहित है; नवाचार, अनुसंधान एवं विकास, स्वच्छ प्रौद्योगिकियों, व्यापार तथा निवेश संबंधों में सहयोग तीव्र करना; तथा जलवायु परिवर्तन जैसी वैश्विक चुनौतियों में सहयोग।

प्रधानमंत्री मोदी ने 3 मार्च को स्वीडन में हुए हिंसक हमले पर चिंता जताई थी तथा पीड़ितों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की थी। प्रधानमंत्री लोफवेन ने स्वीडन के अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने के फैसले की घोषणा की । इस फैसले का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि स्वच्छ तथा तथा नवीकरणीय प्रौद्योगिकियों में स्वीडन की विशेषज्ञता तथा अनुभव सौर गठबंधन तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने के हमारे सामूहिक प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान देगा।

इस संबंध में उन्होंने भारत-स्वीडन संयुक्त पहल की बढ़ती सदस्यता - लीडरशिप ग्रुप ऑन इंडस्ट्री ट्रांजिशन (लीडआईटी) को भी अंकित किया जो संयुक्त राष्ट्र महासचिव द्वारा सितंबर 2019 में न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन के दौरान शुरू किया गया था। दोनों नेताओं ने व्यापक रूप से चल रहे संबंधों की समीक्षा की और 2018 में प्रधानमंत्री मोदी की स्वीडन यात्रा के दौरान सहमत संयुक्त कार्य योजना तथा संयुक्त नवाचार साझेदारी के कार्यान्वयन पर संतोष व्यक्त किया।

दोनों नेताओं ने कारोलिंस्का संस्थान की भागीदारी से एम्स-जोधपुर में स्वीडन-इंडिया हेल्थ हब बनाने का स्वागत किया। (i)उन्होंने विमानन ज्ञान आदान-प्रदान तथा तकनीकी अंतरण कार्यक्रम पर प्रस्तावित समझौता का भी स्वागत किया; साथ ही (ii) सीमा पार भागीदारी बढ़ाने तथा ज्ञान साझा करने को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सेवा नियामकों के बीच सहयोग पर भी बातचीत हुई।

उन्होंने जीवन विज्ञान तथा स्वास्थ्य देखभाल, चक्रित अर्थव्यवस्था, अपशिष्ट से संसाधन का निर्माण, जल, स्मार्ट सिटी, स्मार्ट ग्रिड, ई-परिवहन तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सहित अन्य क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान तथा औद्योगिक सहयोग में की गई प्रगति का स्वागत किया जो सतत विकास समाधान प्रदान करते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत में स्वीडिश कंपनियों की लगातार बढ़ती संख्या का स्वागत किया जो न सिर्फ विनिर्माण कर रहे हैं बल्कि अनुसंधान तथा विकास केंद्रों की स्थापना भी कर रहे हैं जो भारत में बढ़ती ईज ऑफ डूइंग बिजनेस तथा नवाचार का स्पष्ट परिचायक है।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने विश्व भर में अगले पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों के प्रति आभार व्यक्त किया जिन्होंने अदम्य साहस का प्रदर्शन किया है। उन्होंने शोधकर्ताओं तथा उद्यमियों के उल्लेखनीय प्रयासों की सराहना की, जिन्होंने रिकॉर्ड समय में टीके का उत्पादन करके चुनौती का सामना करने के लिए सरकारों के साथ हाथ मिलाया है। उन्होंने सभी राष्ट्रों में टीकों तक तत्काल और सस्ती पहुंच प्रदान करके टीका समानता की आवश्यकता पर बल दिया। ध्रुवीय अनुसंधान, अंतरिक्ष तथा रक्षा क्षेत्रों सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग पर भी चर्चा हुई। यह ध्यान देने की बात है कि भारत आर्कटिक परिषद में पर्यवेक्षक है, जहां स्वीडन आठ सदस्यों में से एक है।

प्रधानमंत्री लोफवेन ने 2021-2022 की अवधि के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के निर्वाचित सदस्य के रूप में अपना आठवां कार्यकाल शुरू करने पर भारत को बधाई दी। प्रधानमंत्री मोदी ने स्वीडन को 2021 के लिए ओएससीई (यूरोप में सुरक्षा तथा सहयोग संगठन) की अध्यक्षता संभालने पर बधाई दी। नेताओं ने आपसी हित के क्षेत्रीय तथा वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की। दोनों पक्षों ने भारत-यूरोपीय संघ तथा भारत-नॉर्डिक संबंधों के ढांचे के अंतर्गत बढ़ते सहयोग का स्वागत किया ।

दोनों नेताओं ने विमानन ज्ञान आदान-प्रदान तथा तकनीकी हस्तांतरण कार्यक्रम से संबंधित (i)भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) तथा लुफ्टफर्ट्सवर्केट (स्वीडन की एलएफवी एयर नेविगेशन सेवाएं) के बीच निम्नलिखित प्रस्तावित समझौता ज्ञापन को भी अंकित किया; (ii) सीमा पार भागीदारी बढ़ाने तथा प्राधिकरणों के बीच ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए आपसी सहयोग के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्र प्राधिकरण (आईएफएससीए) तथा फिननसिंस्पेक्टियन (स्वीडिश वित्तीय पर्यवेक्षी प्राधिकरण) के बीच समझौता ज्ञापन को भी अंकित किया।वर्चुअल शिखर ने बहुआयामी तथा प्रबल आगे की राह दिखने वाले भारत-स्वीडन संबंधों में गति को आगे बढ़ाया। दोनों नेताओं ने इस बात पर संतोष तथा विश्वास जताया कि भारत-स्वीडन साझेदारी के अंतर्गत सहयोग के क्षेत्र लगातार और मजबूती हासिल करते रहेंगे। दोनों नेताओं ने एनएसए के स्तर पर बातचीत को पुनर्जीवित करने पर भी सहमति जताई तथा दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालयों के बीच सहयोग पर चर्चा की। दोनों नेता इस वर्ष के अंत में होने वाले अगले भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन के दौरान फिर से मिलने पर सहमत हुए। एक संयुक्त वक्तव्य जारी किया जा रहा है तथा हमारी वेबसाइट पर प्रति उपलब्ध होगी। और एक जब आप उस वक्तव्य को देखेंगे, तो आप यह पहचान लेंगे कि भारत तथा स्वीडन के बीच साझेदारी कितनी व्यापक तथा कितनी बहुआयामी है। तथा यह शिखर सम्मेलन निश्चित रूप से दोनों लोकतंत्रों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को एक नया प्रोत्साहन देगा। यह मेरा वक्तव्य था। और अब मैं प्रश्नों के लिए तैयार हूं, अगर कोई है तो ।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
धन्यवाद सर। उन शुरूआती टिप्पणियों के लिए धन्यवाद। मैं उन प्रश्नों पर आगे बढ़ूंगा जो हमें प्राप्त हुए हैं। मैं विऑन से सिद्धांत के एक प्रश्न के साथ शुरू करेंगे, "क्या साब लड़ाकू विमान निविदा चर्चा में था?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम): मैं कहूंगा कि दोनों प्रधानमंत्रियों ने कहा कि रक्षा सम्बन्ध भारत तथा स्वीडन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। और हां, हम भारत में निर्मित किए जा रहे ग्रिपेन विमान में स्वीडिश रुचि के बारे में जानते हैं। इसलिए इस पुनः दोहराया गया ।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मुझे लगता है कि मेरे पास जो अगले दो प्रश्न हैं, वे ग्रिपेन लड़ाकू विमान पर हैं। मैं उन्हें पढ़ूंगा मुझे लगता है कि आप पहले ही उन्हें जवाब दे चुके हैं सर। "प्रधानमंत्री मोदी के साथ बातचीत के दौरान, क्या स्वीडिश नेता ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत भारत में अपने ग्रिपेन लड़ाकू विमान का उत्पादन करने की पेशकश की है?" यह प्रश्न रक्षक समाचार से रंजीत कुमार का है, प्रिंट से नैनीमा का भी ऐसा ही प्रश्न है। मैं अगले प्रश्न पर आगे बढ़ूंगा, यह सिद्धनाथ का प्रश्न है। वह जानना चाहते है "कोविड महामारी पर, क्या प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की गई? टीकों पर स्वीडन से कोई अनुरोध प्राप्त हुई है? "

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम): जाहिर है कि दोनों नेताओं के बीच चर्चा के लिए यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा था क्योंकि वे महामारी की परिस्थिति में बैठक कर रहे थे तथा इसीलिए यह बातचीत वर्चुअल प्रारूप में था। स्वीडन के प्रधानमंत्री ने विश्व की फार्मेसी के रूप में भारत की भूमिका की काफी सराहना की। प्रधानमंत्री मोदी ने उल्लेख किया कि भारत ने विश्व भर के लगभग 50 देशों को भारत निर्मित टीके उपलब्ध कराए हैं, तथा हम और अधिक देशों को आपूर्ति करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा दोनों पक्ष टीकों की समान आपूर्ति के लिए प्रतिबद्ध रहने पर सहमत हुए।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: प्रिंट से नैनीमा जानना चाहती हैं, क्या किसान विरोध पर ग्रेटा थुनबर्ग द्वारा टिप्पणी का मुद्दा भारत द्वारा स्वीडन के साथ उठाए गए? विऑन से सिद्धांत का इसी तरह का प्रश्न है।

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम):
नहीं। यह भारत तथा स्वीडन के बीच द्विपक्षीय मुद्दा नहीं है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सर, मैं सिद्धनाथ का फिर से एक प्रश्न पर जाऊंगा, क्या म्यांमार का मुद्दा किसी भी पक्ष द्वारा उठाया गया था?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम):
हां, दोनों नेताओं ने म्यांमार में हाल की घटनाओं पर अपनी चिंता जाहिर की। प्रधानमंत्री मोदी ने उल्लेख किया कि म्यांमार के साथ स्थल तथा समुद्री सीमा साझा करने वाले देश के रूप में हमारे पास उस देश में शांति और स्थिरता में सबसे अधिक हिस्सेदारी है। हमारे पास म्यांमार के साथ पारंपरिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और लोगों से लोगों के बिच संबंध हैं। एक लोकतंत्र के रूप में, हम म्यांमार के लोकतांत्रिक परिवर्तन का समर्थन करने के लिए तथा लोकतांत्रिक संघीय संघ के रूप में उभरने में शामिल है। इसलिए हाल की घटनाएं भारत के लिए गहरी चिंता का विषय हैं तथा उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि विधि द्वारा शासन को बरकरार रखा जाना चाहिए तथा लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता बनी हुई है ।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: सर, सिद्धनाथ का एक और प्रश्न है, भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन पर कोई योजना? पिछले वर्ष डेनमार्क के साथ पिछले शिखर सम्मेलन के बाद से यह निर्णय लिया गया था कि शिखर सम्मेलन डेनमार्क में होगा। शिखर सम्मेलन के लिए कोई तिथि?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम): भारत तथा नॉर्डिक समूह के देश सामूहिक रूप से दोनों पक्षों के बीच लगातार उच्च स्तरीय आदान-प्रदान के मूल्य को पहचानते हैं। हम सभी लोकतंत्र तथा बहुलवाद के प्रति अपनी साझा प्रतिबद्धता से एकजुट हैं। इस वर्ष के अंत में अगला भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन आयोजित करने का सैद्धांतिक निर्णय लिया गया है। मैं इस स्तर पर और अधिक जानकारी प्रदान करने की स्थिति में नहीं हूं।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: इंडिया वरसस डिसइन्फोर्मशन से शंकर का प्रश्न है, क्या आतंकवाद दोनों देशों के बीच बातचीत के एजेंडे में था?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम):
दोनों नेता आतंकवाद तथा चरमपंथ जैसे खतरे को पहचानते हैं। जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है, प्रधानमंत्री मोदी ने 3 मार्च को स्वीडन में हुए हिंसक हमले पर अपनी चिंता तथा संवेदना व्यक्त की तथा हमले में घायल लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की ।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
सर, हुमा का फाइनेंशियल एक्सप्रेस से एक प्रश्न है। "भारत ने जनवरी में आर्कटिक नीति के मसौदे का अनावरण किया है। स्वीडन आर्कटिक परिषद के मुख्य सदस्यों में से एक है। क्या दोनों नेताओं ने इस बारे में बात की कि भारत इस क्षेत्र में और कैसे शामिल हो सकता है?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम): हां, निश्चित रूप से आर्कटिक भारत स्वीडिश साझेदारी के महत्वपूर्ण तत्वों में से एक है। जैसा कि आप जानते हैं, भारत को 2011 तथा 2013 के बीच स्वीडन की अध्यक्षता के दौरान आर्कटिक परिषद का पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त हुआ। जब आप संयुक्त वक्तव्य देखेंगे तब आप नोटिस करेंगे की यह ध्रुवीय अनुसंधान आर्कटिक परिषद पर एक मजबूत परिच्छेद है, मैं इसे पढता हूँ। प्रधानमंत्री ध्रुवीय अनुसंधान में वैज्ञानिक सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों जैसे संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं तथा ध्रुवीय अभियानों में भागीदारी की पहचान करने में की गई प्रगति का स्वागत करते हैं। भारत के पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र तथा ओशियन रिसर्च स्वीडिश पोलर रिसर्च सचिवालय इस सहयोग को आगे ले जाएंगे। उन्होंने वैश्विक पर्यावरण संरक्षण तथा जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए आर्कटिक परिषद के ढांचे के अंतर्गत अपने सहयोग को और तीव्र करने पर सहमति व्यक्त की। इसलिए हां, आर्कटिक परिषद भारत तथा स्वीडन के बीच संयुक्त सहयोग के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र बना हुआ है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता:
हुमा का एक और प्रश्न है। "क्या वार्ता में अंतरिक्ष सहयोग के बारे में बात हुई थी?"

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम): हां, दोनों नेताओं ने भारतीय तथा स्वीडिश अंतरिक्ष कार्यकर्ताओं को भविष्य के सहयोग के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करने तथा अंतरिक्ष क्षेत्र में कार्य कर रहे सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र दोनों संगठनों के बीच पारस्परिक रूप से लाभप्रद साझेदारी की खोज करने के लिए प्रोत्साहित किया।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: लाइव मिंट से एलिजाबेथ जानना चाहती हैं, क्या शिखर सम्मेलन के दौरान 5जी तकनीक पर कोई चर्चा हुई थी? क्या आप हमें इस बारे में बता सकते हैं कि क्या चर्चा की गई? क्या स्वीडन ने भारत को अपने दूरसंचार बुनियादी ढांचे के उन्नयन में मदद करने में रुचि व्यक्त की?

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम):
नहीं, 5जी पर विशेष रूप से कोई चर्चा नहीं की गई थी। परन्तु डिजिटल बुनियादी ढांचा सहयोग के संभावित क्षेत्रों में से यह एक है।

श्री अनुराग श्रीवास्तव, आधिकारिक प्रवक्ता: मेरे पास और कोई प्रश्न नहीं है सर। इसलिए यह विशेष ब्रीफिंग समाप्त होता है। हमारे साथ जुड़ने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। धन्यवाद महोदया तथा हम वर्चुअल साप्ताहिक ब्रीफिंग के साथ शीघ्र ही वापस आएंगे। धन्यवाद।

श्री विकास स्वरूप, सचिव (पश्चिम):
धन्यवाद।



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