कांसुलर सर्विसेज

प्रवासी भारतीय नागरिकता स्कीम

विशेष रूप से उत्तरी अमेरिका तथा अन्य विकसित देशों में रहने वाले भारतीय मूल के व्यक्तियों से निरंतर उठने वाली ‘दोहरी नागरिकता’ की मांग के प्रत्युत्तर में तथा प्रवासी भारतीयों की आकांक्षाओं और अपेक्षाओं की पूर्ति करने की सरकार की गहन प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, अगस्त, 2005 में नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करते हुए प्रवासी भारतीय नागरिकता (ओसीआई) स्कीम आरंभ की गई थी। इस स्कीम का शुभारंभ हैदराबाद में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस कन्वेशन के दौरान किया गया था। इस स्कीम में भारतीय मूल के सभी ऐसे व्यक्तियों (पीआईओ) के लिए प्रवासी भारतीय नागरिक (ओसीआई) के रूप में पंजीकरण कराने के उपबंध है जो 26 जनवरी, 1950 अथवा उसके पश्चात् भारत के नागरिक थे तथा जो 26 जनवरी, 1950 को भारत का नागरिक बनने के लिए पात्र थे, ऐसे व्यक्तियों को छोड़कर जो पाकिस्तान, बंगलादेश अथवा ऐसे किसी अन्य देश के नागरिक हैं अथवा थे, जो केन्द्रीय सरकार द्वारा राजपत्र में निर्दिष्ट किया जाए। ओसीआई को ‘दोहरी नागरिकता’ नहीं समझा जाना चाहिए। ओसीआई राजनीतिक अधिकार नहीं प्रदान करती है। भारत के रजिस्ट्रीकृत प्रवासी नागरिक लोक नियोजन में अवसरों की समानता के संबंध में संविधान के अनुच्छेद 16 के अंतर्गत भारत के नागरिक के अधिकारों के हकदार नहीं हैं। ओसीआई स्कीम के विस्तृत अनुदेश तथा प्रक्रियाएं गृह मंत्रालय की वेबसाइट www.mha.nic.in पर उपलब्ध हैं।

ओसीआई दस्तावेज में ओसीआई रजिस्ट्रीकरण पुस्तिका तथा सार्वभौमिक वीजा स्टीकर शामिल है। रजिस्ट्रीकृत ओसीआई के लिए अनिवार्य है कि वे अपना पासपोर्ट अपने साथ रखें जिसमें भारत में प्रवेश/भारत से निर्गम के लिए सार्वभौमिक वीजा स्टीकर लगा हो।

रजिस्ट्रीकृत प्रणाली भारतीय नागरिक को भारत आने के लिए अनेक बार प्रवेश, बहुउद्देशीय, आजीवन वीजा प्रदान किया जाता है, उसे भारत में कितनी भी अवधि के लिए प्रवास करने के लिए विदेश प्रादेशिक रजिस्ट्रीकरण अधिकारी अथवा विदेश रजिस्ट्रीकरण अधिकारी के पास रजिस्ट्रीकरण कराने से छूट दी जाती है तथा वह कृषि और बागान संपत्तियों के अर्जन से संबंधित मामलों को छोड़कर आर्थिक, वित्तीय ओर शैक्षणिक क्षेत्रों में उन्हें उपलब्ध समस्त सुविधाओं के संबंध में अनिवासी भारतीयों के साथ सामान्य समानता' का हकदार होता है। विनिर्दिष्ट प्रसुविधाओं/समानता को मंत्रालय द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया जाता है।

मंत्रालय ने रजिस्ट्रीकृत ओसीआई को निम्नानुसार और प्रसुविधाएं प्रदान करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं:

  • भारतीय बालकों के अंतर्देशीय दत्तक-ग्रहण के मामले में अनिवासी भारतीयों के समान समानता।
  • घरेलू हवाई-भाड़े के टैरिफों के मामलें में निवासी भारतीय राष्ट्रिकों के समान समानता।
  • भारत में राष्ट्रीय उद्यानों तथा वन्य-जीव अभ्यारण्यों का दौरान करने के लिए प्रवेश शुल्क के संबंध में घरेलू भारतीय आगंतुकों के समान समानता।
  • निम्नलिखित मामलों के संबंध में अनिवासी भारतीयों के समान समानता:
    • भारत में राष्ट्रीय स्मारकों, ऐतिहासिक स्थलों और संग्रहालयों का दौरा करने के लिए प्रवेश शुल्क।
    • प्रासंगिक अधिनियमों में अंतर्विष्ट उपंधों के अनुसरण में, भारत में निम्नलिखित व्यवसायों में प्रैक्टिस करना, अर्थात्:
      • चिकित्सक, दंत-चिकित्सक, नर्स और फार्मासिस्ट
      • अधिवक्ता
      • वास्तुविद और
      • चार्टर्ड अकाउंटेंट।
    • प्रासंगिक अधिनियमों में अंतर्विष्ट उपबंधों के अनुसरण में दाखिले के लिए उन्हें पात्र बनाने के लिए अखिल भारतीय पूर्व-चिकित्सा परीक्षा अथवा ऐसी किसी अन्य परीक्षा में भाग लेने की पात्रता।

आईओसी दस्तावेज को पुन: जारी करने/डुप्लीकेट प्रति जारी करने, नया पासपोर्ट जारी करने, वैयक्तिक विवरणों अर्थात राष्ट्रीयता, नाम में परिवर्तन, पते/व्यवसाय में परिवर्तन तथा आईओसी रजिस्ट्रीकरण प्रमाण-पत्र/वीजा खोने/क्षतिग्रस्त होने के मामले में आनलाइन आईओसी विविध सेवाएं उपलब्ध हैं।

31 मई 2013 की स्थिति के अनुसार 13.25 लाख रजिस्ट्रीकरण पुस्तिकाएं और वीजा स्टीकर्स जारी किए जा चुके हैं।

स्कीम को प्रशासित करने वाला अधिनियम

भारत में विदेशी नागरिक को भारत की नागरिकता से संबंधित नियमों को निर्दिष्ट करने वाले नागरिकता अधिनियम, 1955 से उद्धरण An Extract from the Citizenship Act, 1955(15 केबी)

भारत के विदेशी नागरिक का रजिस्ट्रीकरण

(1) केन्द्रीय सरकार, ऐसी शर्तों, निर्बंधनों और रीति के अधीन रहते हुए, जो विहित किए जाएं, इस निमित्त किए गए किसी आवेदन पर,

  • किसी वय: प्राप्त और पूर्ण सामर्थ्य के ऐसे व्यक्ति को, -
  • जो दूसरे देश का नागरिक है, किन्तु संविधान के प्रारंभ के समय या उसके पश्चात् किसी समय भारत का नागरिक था; या
  • जो दूसरे देश का नागरिक है, किन्तु संविधान के प्रारंभ के समय भारत का नागरिक होने के लिए पात्र था; या
  • जो दूसरे देश का नागरिक है, किन्तु ऐसे राज्यक्षेत्र से संबद्ध था, जो 15 अगस्त, 1947 के पश्चात् भारत का भाग बन गया था; या
  • जो किसी ऐसे नागरिक का पुत्र/पुत्री या पौत्र/पौत्री, दौहित्र/दौहित्री या प्रपौत्र/प्रपौत्री, प्रदौहित्र/प्रदौहित्री है; या
  • किसी ऐसे व्यक्ति को, जो खंड (क) में वर्णित किसी व्यक्ति का अप्राप्तवय पुत्र/पुत्री है;

भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के रूप में रजिस्ट्रीकृत कर सकेगी।

  • परंतु यह और कि कोई ऐसा व्यक्ति, जो स्वयं या जिसके माता-पिता या पितामह-पितामही या प्रपितामह-प्रपितामही पाकिस्तान, बंग्लादेश या ऐसे अन्य देश का, जिसको केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा विनिर्दिष्ट करे, नागरिक है या रहा था, इस उपधारा के अधीन भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के रूप में रजिस्ट्रीकरण के लिए पात्र नहीं होगा। भारत के विदेशी नागरिक को अधिकार प्रदान किया जाना
  • तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि में अंतर्विष्ट किसी बात के होते हुए भी, भारत का कार्डधारक कोई विदेशी नागरिक, उपधारा (2) के अधीन विनिर्दिष्ट अधिकारों से भिन्न, ऐसे अधिकारों का, जो केन्द्रीय सरकार, राजपत्र में अधिसूचना द्वारा इस निमित्त विनिर्दिष्ट करे, हकदार होगा।
  • भारत का कार्डधारक कोई विदेशी नागरिक, -
  • लोक नियोजक के विषय में अवसर की समता के बारे में संविधान के अनुच्छेद 16 के अधीन;
  • राष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन के लिए संविधान के अनुच्छेद 58 के अधीन;
  • उपराष्ट्रपति के रूप में निर्वाचन के लिए संविधान के अनुच्छेद 66 के अधीन;
  • उच्चतम न्यायालय के किसी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 124 के अधीन;
  • उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए संविधान के अनुच्छेद 217 के अधीन;
  • मतदाता के रूप में रजिस्ट्रीकरण के संबंध में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 के अधीन;
  • यथास्थिति, लोक सभा या राज्य सभा का सदस्य होने के लिए पात्रता के संबंध में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 3 और 4 के अधीन;
  • संघ या किसी राज्य के क्रियाकलापों के संबंध में लोक सेवाओं और पदों पर नियुक्ति के लिए, सिवाय ऐसी सेवाओं औरपदों पर नियुक्ति के लिए, जो केन्द्रीय सरकार इस निमित्त विशेष आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करें,भारत के नागरिक को प्रदान किए गए अधिकारों का हकदार नहीं होगा।
  • उपधारा (1) के अधीन जारी की गई प्रत्येक अधिसूचना संसद् के प्रत्येक सदन के समक्ष रखी जाएगी।भारत के विदेशी नागरिक के कार्ड का त्वजन
  • किसी वय: प्राप्त और पूर्ण सामर्थ्य का भारत का कार्डधारक कोई विदेशी नागरिक विहित रीति में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के रूप में उसे रजिस्टर किए जाने संबंधी कार्ड का त्यजन करते हुए कोई घोषणा करता है तो वह घोषणा केन्द्रीय सरकार द्वारा रजिस्ट्रीकृत की जाएगी और ऐसे रजिस्ट्रीकरण पर ऐसा व्यक्ति भारत का कार्डधारक विदेशी नागरिक नहीं रह जाएगा।
  • जहां कोई व्यक्ति उपधारा (1) के अधीन भारत का कार्डधारक विदेशी नागरिक नहीं रह जाता है वहां उस व्यक्ति का विदेशी मूल का पति या पत्नी, जिसने धारा 7क की उपधारा (1) के खंड (घ) के अधीन भारत के विदेशी नागरिक होने का कार्ड अभिप्राप्त किया है और उस व्यक्ति का भारत के विदेशी नागरिक के रूप में रजिस्ट्रीकृत प्रत्येक अप्राप्तवय बालक तदुपरि भारत का कार्डधारक विदेशी नागरिक नहीं रह जाएगा।भारत के विदेशी नागरिक रूप में रजिष्ट्रीकरण का रद्द किया जाना केन्द्रीय सरकार, आदेश द्वारा, धारा 7क की उपधारा (1) के अधीन अनुदत्त रजिस्ट्रीकरण को रद्द कर सकेगी, यदि उसका यह समाधान हो जाता है कि, -
  • भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के रूप में रजिस्ट्रीकरण कपट, मिथ्या व्यपदेशन द्वारा या किसी तात्विक तथ्य को छिपाकर अभिप्राप्त किया गया था; या
  • भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक ने यथास्थापित भारत के संविधान के प्रति अप्रीति पूर्ण दर्शित किया है; या
  • भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक ने, किसी ऐसे युद्ध के दौरान, जिसमें भारत लगा हुआ हो, किसी शत्रु के साथ विधिविरुद्धतया व्यापार किया है या संचार किया है या वह किसी ऐसे कारबार या वाणिज्यिक क्रियाकलाप में लगा रहा है या उससे सहयुक्त रहा है, जिसके बारे में उसे यह ज्ञात था कि वह ऐसी रीति से चलाया जा रहा है कि उससे उस युद्ध में किसी शत्रु को सहायता मिले; या
  • भारत का कार्डधारक विदेशी नागरिक, धारा 7क की उपधारा (1) के अधीन रजिस्ट्रीकरण के पश्चात् पांच वर्ष के भीतर, दो वर्ष से अन्यून की अवधि के लिए कारावास से दंडादिष्ट हो चुका है; या
  • भारत की प्रभुता और अखंडता, भारत की सुरक्षा, किसी विदेश के साथ भारत के मित्रतापूर्ण संबंधों के हितों में जनसाधारण के हितों में ऐसा करना आवश्यक है।

आईओसी दस्तवेजों का मिशनवार जारी किया जाना

Overseas Indian Affairs
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