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भारत - फिनलैंड आभासी शिखर सम्मेलन पर संयुक्त वक्तव्य

मार्च 16, 2021

भारतीय गणराज्य के प्रधानमंत्री महामहिम श्री नरेंद्र मोदी और फिनलैंड गणराज्य की प्रधानमंत्री, सुश्री मारिन ने 16 मार्च 2021 को एक आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर व्यापक चर्चा की।

2. दोनों प्रधानमंत्रियों ने भारत और फिनलैंड के बीच लोकतंत्र, स्वतंत्रता, कानून सम्मत शासन, और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान के साझा सिद्धांतों और मूल्य आधारित उत्कृष्ट संबंधों को रेखांकित किया। उन्होंने हाल के वर्षों में भारत के फिनलैंड संबंधों को सुदृढ़ और मजबुत बनाने और इसे आगे ले जाने में दोनों पक्षों की ओर से किए गये प्रयासों की सराहना की।

3. दोनों नेताओं ने कोविड-19 महामारी पर अपने विचार साझा किये और कोविड-19 वैक्सीनों का उत्पादन बढ़ाने और इसके विकास में तेजी लाते हुए सभी देशों तक इसकी एक समान पहुंच को बढ़ावा देने हेतु विश्व स्तर पर प्रयास करने पर बल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि भारत ने कोवैक्स पहल सहित 70 से अधिक देशों को 59 मिलियन से अधिक खुराक प्रदान किया है। प्रधानमंत्री मारिन ने इस बात पर बल दिया कि फिनलैंड भी विशेष रूप से कोवैक्स के माध्यम से वैक्सीन एकजुटता का एक दृढ़ समर्थक है। फिनलैंड ने कोविड-19 वैक्सीन के लिए नई तकनीकों के अनुसंधान एवं विकास में भी निवेश किया है।दोनों पक्षों ने महामारी से बाद के सुधारों पर भी अपने विचार साझा किए।

4. दोनों प्रधानमंत्रियों ने -

i) फ्यूचर आईसीटी, फ्यूचर मोबाइल टेक्नोलॉजीज और डिजिटल शिक्षा में डिजिटल भागीदारी की घोषणा की।

ii) दोनों देशों के शिक्षा मंत्रालयों के बीच शिक्षा के विषय पर एक उच्च-स्तरीय वार्ता आयोजित करने की घोषणा की।

iii) अक्षय एवं स्वच्छ ऊर्जा, सर्कुलर इकोनॉमी, और सस्टेनेबल मोबिलिटी से संबंधित सस्टैनबिलिटी भागीदारी की घोषणा की और इस बात पर बल दिया कि हरित विकास हमारे द्विपक्षीय सहयोग का एक अनिवार्य घटक है।

iv) उनके संबंधित क्षेत्रों में विकास और समन्वय के लिए संयुक्त आयोग और भारत-फिनलैंड विज्ञान एवं तकनीकी समिति के गठन का समर्थन किया।

v) संबंधित मंत्रालयों, एजेंसियों और संस्थानों के बीच किए गए मौजूदा समझौतों के व्यवस्थित कार्यान्वयन पर बल दिया।

vi) भारतीय और फिनलैंड मेट्रोलॉजिकल इंस्टीट्यूट के बीच जारी सहयोग का स्वागत किया।

vii) उच्च शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग हेतु फिनलैंड के 10 विश्वविद्यालयों और भारत के 23 आईआईटी के संघ के बीच नए सिरे से समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के प्रति तत्पर दिखाई।

viii) दोनों नेताओं ने पोर्टो में भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक को लेकर भी तत्परता व्यक्त की।

ix) इस वर्ष के अंत में अफ्रीका में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता पर अपनी तत्परता जाहिर की।

x) इस बात पर सहमति व्यक्त किया कि भारत और फिनलैंड बहुपक्षीयता से सुदृढीकरण, नियम-आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के प्रयासों में प्राकृतिक साझेदार हैं।

व्यापार और निवेश


5. दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और पर्यटन में विकास की काफी संभावनाएं हैं।

6. दोनों नेताओं ने सहमति व्यक्त की कि भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण और फिनलैंड के भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के बीच दिसंबर 2020 में भू-विज्ञान एवं खनिज संसाधनों के क्षेत्र में सहयोग पर हस्ताक्षर किया गया एमओयू हमारे संबंधों के विविधीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम था।

डिजिटल साझेदारी

7. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर बल दिया कि डिजिटल डोमेन भारत फिनलैंड के बीच मजबूत साझेदारी के सबसे आशाजनक क्षेत्रों में से एक है। भविष्य में निम्न तीन प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान देने की बात की गई:

(i) क्वांटम तकनीकों और कंप्यूटिंग पर ध्यान केंद्रित करके फ्यूचर आईसीटी;

(ii) 6जी अनुसंधान एवं विकास पर केंद्रित भविष्य की मोबाइल तकनीक;

(iii) अधिगम एवं लर्निंग के डिजिटल परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित करके फ्यूचर एजुकेशन।

8. इन सभी प्रमुख क्षेत्रों में सबसे आवश्यक और क्रॉस-कटिंग घटक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर सुरक्षा और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजीज का उपयोग हैं। इस साझेदारी से दोनों देशों की कंपनियां और विश्वविद्यालय दोनों देशों के लाभ हेतु अपनी क्षमता का इस्तेमाल कर सकते हैं।

9. प्रधानमंत्री मारिन ने विशेषज्ञों, छात्र या उनके परिवार के सदस्यों सहित वीजा आवेदकों का तेजी से निपटारा करने के उद्देश्य फिनलैंड के आव्रजन संबंधी व्यवस्था और नियमों में किए जा रहे व्यापक सुधारों की जानकारी दी। भारत फिनलैंड के टैलेंट बूस्ट प्रोग्राम के मुख्य लक्षित देशों में से एक है।

10. दोनों नेताओं ने सभी क्षेत्रों विशेष रूप से संस्कृति, शिक्षा और पर्यटन के क्षेत्रों में, लोगों से लोगों के जुड़ाव के महत्व पर जोर दिया। ऐसा भारत और फिनलैंड के बीच सीधी उड़ानों को फिर से शुरू करके किया जा सकता है।

संवहनीयता भागीदारी

ऊर्जा


11. दोनों नेताओं ने अपने देशों के बीच ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने का स्वागत किया। उन्होंने अपने-अपने देशों की कंपनियों, मंत्रालयों और एजेंसियों को गैस-आधारित इकोनॉमी, जैव ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा, अपशिष्ट-से-ऊर्जा निर्माण, बिजली भंडारण और हाइड्रोजन जैसे उभरते ईंधन के क्षेत्र में व्यावसायिक संभावनाएं तलाशने और शोध एवं विकास सहयोग हेतु प्रोत्साहित किया।

वातावरण

12. प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर बल दिया कि हरित विकास और स्वच्छ ऊर्जा का संक्रमण द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग में अहम हैं। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि वैश्विक स्थिरता की चुनौतियों से निपटने हेतु एकीकृत और सुसंगत तरीके से जैव विविधता के ह्रास, भूमि-उपयोग में बदलाव, पेय जल एवं समुद्री अवकर्षण, वनों की कटाई, प्रदूषण, और जलवायु परिवर्तन के साझा मुद्दों पर सहयोग जारी रखना जरुरी है।

13. दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन का मुकाबला करने, जैव विविधता की रक्षा करने और हमारे प्राकृतिक संसाधनों के स्थायी उपयोग हेतु समावेशी और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया। दोनों नेताओं ने इन मुद्दों पर सहयोग की अधिक संभावना मौजूद होने की बात की।

14. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने 2030 तक, जैव विविधता मूल्यों को सबसे अहम मानते हुए राष्ट्रीय और स्थानीय नीतियों तथा रणनीतियों में जैव विविधता मूल्यों को एकीकृत करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। कोविड-19 महामारी के बाद फिनलैंड और भारत सामाजिक रूप से बेहतर और हरियाली भरी दुनिया के निर्माण हेतु प्रतिबद्ध हैं।

15. स्वच्छ जल एवं स्वच्छता पर एसडीजी 6 के कार्यान्वयन और जलवायु कार्रवाई पर 13 को आगे बढ़ाने को लेकर भारत और फिनलैंड ने जल एवं जलवायु नीतियों के मजबूत एकीकरण की प्रतिबद्ध दोहराई। इसमें जलवायु लचीली दीर्घकालिक जल नीति के नियोजन एवं कार्यान्वयन को प्रेरित करने के लिए वैश्विक जल और जलवायु अवलोकन प्रणालियों को विकसित करने, और पानी से संबंधित चुनौतियों को हल करने के लिए तकनीकी और अनुसंधान एवं विकास सहयोग को बढ़ावा देने के प्रयास भी शामिल हैं।

आर्कटिक

16. आर्कटिक परिषद में भारत की पर्यवेक्षक की स्थिति और इस बात को ध्यान में रखते हुए कि दोनों देश अंटार्कटिक संधि के सलाहकार सदस्य हैं और अंटार्कटिका में दोनों देशों के स्टेशन हैं, भारत और फिनलैंड के बीच ध्रुवीय मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। दोनों पक्षों ने आर्कटिक से जुड़े मामलों पर परिध्रुवी सहयोग हेतु मुख्य मंच के रूप में आर्कटिक परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और परिषद को लेकर बढ़ती अंतरराष्ट्रीय दिलचस्पी पर बात की। आर्कटिक परिषद में एक सक्रिय पर्यवेक्षक होने के नाते भारत ने इन प्रयासों में शामिल होने और सहयोग करने का स्वागत किया।

अफ्रीका

17. दोनों पक्षों ने अफ्रीका के बढ़ते महत्व पर बात की और अफ्रीका में और अफ्रीका के साथ सहयोग बढ़ाने के अपने-अपने देशों के प्रयासों की बात की। इस संदर्भ में, उन्होंने इस साल के अंत में अफ्रीका पर द्विपक्षीय वार्ता को लेकर अपनी तत्परता व्यक्त की, जिससे पारस्परिक हित के मुद्दों पर बातचीत करने और संभावित रास्तों की तलाश करने का अवसर मिलेगा।

यूरोपीय संघ-भारत

18. दोनों नेताओं ने इस बात पर बल दिया कि भारत और यूरोपीय संघ एक दूसरे के महत्वपूर्ण साझेदार हैं। उन्होंने पिछली गर्मियों में आयोजिक हुई 15वीं शिखर बैठक के परिणामों के कार्यान्वयन के महत्व पर बल दिया और मई 2021 में पुर्तगाल में आयोजित होने वाले भारत-यूरोपीय संघ के नेताओं की बैठक का स्वागत किया, जो भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी में एक नया मील का पत्थर साबित होगी। हाल ही में शुरु किया गया व्यापार एवं निवेश पर यूरोपीय संघ-भारत उच्च स्तरीय संवाद एक महत्वपूर्ण साधन है।

बहुपक्षीय सहयोग

19. दोनों प्रधानमंत्रियों ने नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने का दृढ़ संकल्प व्यक्त किया। संयुक्त राष्ट्र बहुपक्षवाद का आधार है। संयुक्त राष्ट्र में सुधार होने से, हम संयुक्त राष्ट्र के सभी तीन स्तंभों को मजबूत कर सकते हैं और बहुपक्षवाद को अधिक प्रभावी बना सकते हैं। इस संबंध में, फिनलैंड और भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के 75वें सत्र के दौरान भी अपने रचनात्मक प्रयासों का समर्थन करना जारी रखेंगे, जिसे और अधिक पारदर्शी, अधिक प्रभावी एवं अधिक प्रतिनिधि बनाने की जरूरत है। यूएनएससी सुधार का हिस्सा होने के नाते, भारत और फिनलैंड मौजूदा वैश्विक राजनीतिक एवं आर्थिक वास्तविकताओं को दर्शाने के लिए स्थायी और गैर-स्थायी दोनों सीटों के लिए अपना समर्थन जाहिर करते हैं। इस संदर्भ में, फिनलैंड ने सुधरे हुए और विस्तारित यूएनएससी में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन किया है, और 2029-2030 के लिए यूएनएससी के गैर-स्थायी सदस्य की फिनलैंड की उम्मीदवारी की चर्चा की।

20. प्रधानमंत्री मारिन ने फिनलैंड की विदेश नीति में सार्वभौमिक मानवाधिकारों के महत्व को आधार माना और इस बात पर बल दिया कि, अगर इस वर्ष के अंत में फिनलैंड संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में चुना जाता है, तो वह लैंगिक समानता, शिक्षा एवं डिजिटलाइजेशन में अपनी क्षमता और अनुभव का इस्तेमाल इस दिशा में काम करने के लिए करेगा। फिनलैंड ने 2021 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के चुनावों में समर्थन करने की प्रतिबद्धता के लिए भारत को धन्यवाद दिया।

21. प्रधानमंत्री मारिन ने इस बात प्रकाश डाला कि, कोविड-19 महामारी के बाद में, संयुक्त राष्ट्र के महिलाओं के नेतृत्व वाले जनरेशन इक्वेलिटी अभियान के माध्यम से शिक्षा में लैंगिक डिजिटल अंतर को दूर करना अहम है। प्रधानमंत्री मोदी ने महिलाओं के वित्तीय समावेशन और बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजनाओं सहित महिला सशक्तिकरण पहलों में भारत द्वारा डिजिटल तकनीकों के इस्तेमाल में हुई वृद्धि की जानकारी दी।

22. दोनों नेताओं ने विश्व व्यापार संगठन से जुड़े मामलों पर भी अपने विचार साझा किये। दोनों देशों ने खुले, समावेशी और नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की। उन्होंने इस संगठन को संरक्षित करने, मजबूत करने और इसमें सुधार करने की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। 12वें विश्व व्यापार संगठन मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (एमसी12) पर, दोनों पक्षों ने दो-स्तरीय विवाद निपटान प्रणाली के हिस्से के रूप में पूर्ण-क्षमता वाली अपीलीय निकाय की बहाली सहित डब्ल्यूटीओ की प्रासंगिकता बनाए रखने हेतु महत्वाकांक्षी, समावेशी और अग्रगामी परिणामों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से कोविड-19 महामारी के बाद आर्थिक सुधार को बढ़ावा देने के महत्व को रेखांकित किया और आने वाले चुनौतीपूर्ण कार्यों को करने में डब्ल्यूटीओ की नई महानिदेशक न्गोजी ओकोन्जो-इवेला के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया।

23. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने हरित विकास एवं प्राकृतिक पर्यावरण के संरक्षण पर अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने इस बात पर सहमति जाहिर की कि 2021 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन सीओपी26 और जैव विविधता सम्मेलन सीओपी15 से सकारात्मक परिणाम निकलेगा। भारत और फिनलैंड पेरिस समझौते के अनुसार जलवायु परिवर्तम पर अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को हासिल करने में निकट सहयोग करेंगे।

जलवायु-सुसंगत पहल

24. दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में शुरु की गई अपने-अपने देशों की पहलों पर चर्चा की। फिनलैंड ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) में सदस्यता के सार्वभौमिकरण का स्वागत किया, जो एक अहम पहल है। प्रधानमंत्री मारिन ने आपदा प्रतिरोधक आधारभूत संरचना गठबंधन (सीडीआरआई) में शामिल होने के यूरोपीय संघ की इच्छा पर बल दिया। भारत ने जलवायु कार्रवाई के लिए वित्त मंत्रियों के गठबंधन (फिनलैंड-चिली द्वारा शुरु की गई एक पहल) की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी बात की।

निष्कर्ष

25. दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने सहमति व्यक्त की कि भारत और फिनलैंड के बीच आयोजित हुए इस पहले आभासी शिखर सम्मेलन से द्विपक्षीय संबंधों में एक बड़ा विकास देखने को मिलेगा। प्रधानमंत्री 8 मई 2021 को पोर्टो, पुर्तगाल में आयोजित होने वाले यूरोपीय संघ-भारत के नेताओं की बैठक में अपनी मुलाकात को लेकर तत्परता व्यक्त की। प्रधानमंत्री मारिन ने प्रधानमंत्री मोदी फिनलैंड आने के लिए आमंत्रित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने भी प्रधानमंत्री मारिन को भारत आने का निमंत्रण दिया।

हेलसिंकी, नई दिल्ली
मार्च 16, 2021


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