यात्रायें

Detail

भारतीय-कनाडाई सांसदों के साथ मुलाकात के दौरान प्रधान मंत्री जी का संबोधन

जून 28, 2010

मेरे प्रिय मित्रो,आज यहां आप सबके साथ उपस्‍थित होने का सम्‍मान प्रदान करने के लिए मैं आपमें से प्रत्‍येक के प्रति आभारी हूँ। मेरे पहले शब्‍द कृतज्ञता के शब्‍द हैं। ये शब्‍द इस देश में भारतीय-कनाडाई लोगों की उपलब्‍धियों के प्रति हमारे गर्व और हमारी प्रसन्‍नता को परिलक्षित करते हैं। इस देश में भारतीय समुदाय के लोगों की संख्‍या लगभग 1.5 मिलियन है। अपनी कठिन परिश्रम से आपने यहां नाम और प्रसिद्धि कमाई है जिससे पश्‍चिमी देशों में लोगों के इस नजरिए में बदलाव लाने में सहायता मिली है कि भारत ने क्‍या कमाया है, भारत को किन बातों के लिए जाना जाता है और भारत क्‍या कुछ कर सकता है। सिर्फ यही बातें हमें आपका कृतज्ञ बनाने के लिए पर्याप्‍त हैं।

मुझे इस बात की अपार प्रसन्‍नता है कि आपने इस देश में आकर इतनी प्रगति की है। हमें आपकी उपलब्‍धियों पर गर्व है। जब मैं वित्‍त मंत्री था तभी मुझे इस बात का ज्ञान हो गया था कि यदि उपयुक्‍त परिवेश मिले तो भारत के लोग किसी भी मायने में किसी से कम नहीं हैं। हमें यह सुनिश्‍चित करना है कि उपलब्‍धियां प्राप्‍त करने के लिए भारत के लोगों को भारत से बाहर सिलिकन वैली में जाने की आवश्‍यकता न पड़े। मैं बताना चाहूंगा कि आपने जीवन के सभी क्षेत्रों में अपने आपको प्रतिष्‍ठित किया है, चाहे राजनीति हो, उद्योग हो, व्‍यापार हो या विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हो। इनमें से सभी क्षेत्रों में भारतीय मूल के लोगों ने हमें गौरवान्‍वित किया है।

मैं आप लोगों से सिर्फ यही कहना चाहूंगा कि हमें अपने देश की राजनीति के विभाजक तत्‍वों को इस देश में नहीं लाना चाहिए। आपको इस बात की जानकारी है कि इससे हमारे समुदाय के हित कल्‍याण को बढ़ावा देने में किसी प्रकार की सहायता नहीं मिलेगी। भूतकाल में जीने का कोई फायदा नहीं है। हमें इस बात का गर्व है कि अपनी जड़ों के कारण आप कई बार विभिन्‍न प्रान्‍तों और विभिन्‍न राज्‍यों के प्रति भावुक हो जाते हैं, फिर भी भारतीय-कनाडाई समुदाय की एक समेकित छवि प्रस्‍तुत किए जाने की आवश्‍यकता है। मैं आपसे सिर्फ यही अनुरोध करना चाहूंगा।

अनेक मुद्दों को उठाया गया है और हो सकता है कि और भी कुछ मुद्दे हों जिन्‍हें नहीं उठाया जा सका। मैं आपसे वायदा करता हूँ कि वापस देश पहुंचने पर मैं उठाए गए इन मुद्दों अथवा भारतीय-कनाडाई समुदाय द्वारा अन्‍यत्र उठाए गए मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए एक तंत्र की स्‍थापना करूंगा।

वर्ष 1984 की घटनाओं के संबंध में यही कहा जा सकता है कि ये घटनाएं भयावह थीं और इनकी पुनरावृत्‍ति नहीं होनी चाहिए। वर्ष 1984 में जो कुछ भी हुआ, उसके लिए मैंने भारत सरकार की ओर से और पूरे देश की ओर से क्षमा मांगी है। इस संबंध में कतिपय चिन्‍ताएं अवश्‍य हैं कि जिन लोगों ने इन अपराधों को अंजाम दिया था, उन्‍हें सजा मिलनी चाहिए। भारतीय विधिक प्रणाली में कुछ संभावित कमजोरियां हैं।

हो सकता है कि कनाडाई प्रणाली में भी इस प्रकार की कुछ कमजोरियां हों। हम इन मसलों का समाधान करने का प्रयास कर रहे हैं। हमारी सरकार, संप्रग सरकार ने मुआवजे के लिए सभी मामलों को खोला है और हम पीड़ितों एवं उनके रिश्‍तेदारों को राहत प्रदान करने के लिए तैयार हैं जिससे कि वे पुन: सम्‍मान का जीवन जी सकें। भूतकाल में जीना व्‍यर्थ है। हम भूतकाल से भाग नहीं सकते, परन्‍तु चाहे आप यहां हो अथवा भारत में हमारे समक्ष उत्‍तरोत्‍तर वैश्‍विक और एकीकृत हो रहे इस विश्‍व में आगे बढ़ने की चुनौती अवश्‍य विद्यमान है।

हम अखण्‍ड भारत के अंग हैं, एक ऐसा देश जिसमें महान विविधता है और जहां सिखों का काफी सम्‍मान किया जाता है। मैं भारत का प्रधान मंत्री हूँ। दो वर्ष पूर्व एक सिख जे.जे. सिंह भारतीय थल सेना के अध्‍यक्ष थे और कई देशों में सिख राजदूत हैं। आज पंजाब का शासन शिरोमणि अकाली दल के हाथों में है। सिखों ने अपने लिए काफी नाम कमाया है। अब सिख समुदाय 1984 के घटनाक्रमों से आगे देखना चाहता है। कभी-कभी अनचाहे में कुछ ऐसी घटनाएं हो जाती हैं, जो सिख समुदाय को नागवार गुजरती हैं। इसलिए आज आवश्‍यक है कि प्रवासी सिख समुदाय भारत-कनाडा संबंधों को और सुदृढ़ बनाने में अपनी अपेक्षित भूमिका अदा करे। आप इस प्रक्रिया में अनिवार्य रूप से शामिल हैं

और आपको एकीकृत विश्‍व के बदलावों को स्‍वीकार करना चाहिए। उत्‍तरोत्‍तर एक हो रहे इस विश्‍व में अलगाववादी तत्‍वों के लिए कोई स्‍थान नहीं हो सकता। मैं आप सबसे एक बने रहने और एक दूसरे का सम्‍मान करने का आह्वान करता हूँ। आप भारतीय हैं और भारत के साथ आपका गहरा संबंध है। अपनी एकता का प्रयोग आप आगे बढ़ने के लिए कर सकते हैं और साथ ही आप भारत और कनाडा दोनों देशों में उपलब्‍ध अवसरों से लाभान्‍वित हो सकते हैं। हम दोनों देशों के बीच सर्वोत्‍तम संबंधों का निर्माण करने के प्रति वचनबद्ध हैं। भारत को आपकी उपलब्‍धियों पर गर्व है और

मैं आपकी उपलब्‍धियों पर अपना हर्ष व्‍यक्‍त करना चाहता हूँ। यदि कोई समस्‍या सामने आती हैं, तो हमारा उच्‍चायोग यहां है और मैं आपको आश्‍वस्‍त करता हूँ कि भारत में इन मुद्दों का उपयुक्‍त समाधान किया जाता है।

टोरंटो
28 जून, 2010



पेज की प्रतिक्रिया

टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या