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भारत-स्विटजरलैंड नए युग की साझेदारी: आल्प्स को हिमालय से जोड़ना, पर बर्न विश्वविद्यालय में राष्ट्रपति का संबोधन

सितम्बर 12, 2019

बर्न विश्वविद्यालय में आकर मैं अति प्रसन्न हूं। युवाओं के साथ बात करना मुझे हमेशा ही आनंदित करता है। आप छात्रों का उज्ज्वल समूह हैं। आपका विश्वविद्यालय सर्वश्रेष्ठ और सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में गिना जाता है। अल्बर्ट आइंस्टीन विचारों और सिद्धांतों का आदान-प्रदान करने के लिए अक्सर इस परिसर का दौरा करते थे, और उनकी ही तरह कई अन्य विद्वान भी। और अब इस ऊंची साख को और ऊंचाई देना आपके हाथ में है।

मैं आपसे स्विट्जरलैंड और भारत के बीच ‘नए युग’ की साझेदारी पर बात करने जा रहा हूं। यह एक विस्तृत विषय है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि हम डिजिटल युग में रहते हैं। हरित विकास, ब्लू इकोनॉमी, जलवायु परिवर्तन, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नवाचार और स्मार्ट समाधान आज के समय के मार्कर हैं। बर्न से लेकर बेंगलुरु तक और रिसर्च लैब से लेकर निर्माण स्थल तक इन क्षेत्रों में बहुत काम किया जा रहा है। मशीन बुद्धिमत्ता के युग में प्रवेश करते ही और भी बहुत कुछ होने वाला है। भविष्य के इंडो-स्विस संबंधों को बड़े पैमाने पर इन कारकों और बलों द्वारा परिभाषित किया जाएगा। और जैसा कि हम अपने भविष्य की साझेदारियों के निर्माण की तैयारी कर रहे हैं, हम अपने अतीत और समकालीन साझेदारी के साथ-साथ अपने मूलभूत सिद्धांतों से प्रेरणा और शक्ति प्राप्त करना जारी रखेंगे।

देवियों और सज्जनों,


भारत और स्विट्जरलैंड के बीच लंबे समय से साझा लोकतांत्रिक मूल्य, बहुलवाद और उद्यम हैं। दुनिया हम दोनों को आदर के साथ देखती है। आप दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र में से हैं, जिसमें 2000 से अधिक समुदाय लोकतांत्रिक तरीके से काम करते हैं। और भारत 900 मिलियन मतदाताओं के साथ दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिनमें से 600 मिलियन से अधिक ने अभी कुछ महीने पहले ही इस ग्रह पर लोकतंत्र के सबसे बड़े उत्सव में भाग लिया।

हम भारतीय और स्विस विचारों एवं मूल्यों के बीच गहरे जुड़ाव को सांकेतिक तौर पर ‘आल्प्स और हिमालय के बीच जुड़ाव’ के रूप में व्यक्त करते हैं। इन पहाड़ों की ऊर्जा ने हमेशा हमारे लोगों को करीब खींचा है। 1896 में, भारत के महान पुत्र स्वामी विवेकानंद ने पश्चिम के साथ पूर्व के सर्वश्रेष्ठ को संयोजित करने के संदेश के साथ आपके देश की यात्रा की थी। मुझे खुशी है कि स्विट्जरलैंड ने सास फी के गांव में उनकी मूर्ति स्थापित कर उन्हें सम्मानित किया। दशकों बाद, आपको भारत का एक और महत्वपूर्ण आगंतुक मिला। अल्बर्ट आइंस्टीन ने उन्हें जिस तरीके से वर्णित किया, मैं बताता हूँ- "आने वाली पीढ़ियां इस बात पर कठिनता से विश्वास करेंगी कि मांस और रक्त में इस तरह का कोई व्यक्ति कभी इस पृथ्वी पर चला है।" वह व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि महात्मा गांधी थे। उन्होंने 1931 में नोबल विजेता रोमां रोलां के निमंत्रण पर स्विट्जरलैंड की यात्रा की थी। इस वर्ष, हम अपने राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती मना रहे हैं। मैं अत्यंत सम्मानित महसूस कर रहा हूं कि मैं परसों विलेन्यूवे शहर में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण करूंगा। उनकी विरासत को चिह्नित करने के लिए मैं शीघ्र ही आपके परिसर में मैगनोलिया का एक पौधा भी लगाऊंगा।

देवियों और सज्जनों,

हमारी समृद्ध सांस्कृतिक सहभागिता ने मैत्री संधि पर हस्ताक्षर करने से बहुत पहले ही द्विपक्षीय सहयोग के लिए मंच तैयार कर दिया था। यह सब तब शुरू हुआ जब 19वीं शताब्दी में स्विस वोल्कार्ट ट्रेडिंग कंपनी ने भारत में अपना कार्यालय स्थापित किया। तब से अब तक हमने लम्बा सफ़र तय किया है। चेन्नई में स्विस सहायता से चल रही एकीकृत रेलवे कोच फैक्ट्री ने 2015 में अपनी हीरक जयंती मनाई। आज, भारत में 250 से अधिक स्विस कंपनियां चल रही हैं। और ज्यूरिख, बेसल और बर्न में अग्रणी भारतीय टेक फर्म और स्टार्ट अप कंपनियां काम कर रही हैं। हमारे बीच सहयोग करने और जुड़ने की अपार संभावनाएं हैं। भारत का लक्ष्य 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि विकास के लिए हमारा ब्लू प्रिंट अगली पीढ़ी के बुनियादी ढाँचों, स्मार्ट शहरों और डिजिटल आई-वेज़ का निर्माण करना है, जो स्वच्छ और हरित ऊर्जा द्वारा संचालित हो रहे हैं। और यही वो जगह है जहां हमारी नई उम्र की साझेदारी चोट करती है।

देवियों और सज्जनों,

विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार तेजी से हमारे संबंधों के केंद्र बनते जा रहे हैं। भारत और स्विट्जरलैंड के 80 से अधिक वैज्ञानिक संस्थान और 300 शोधकर्ता संयुक्त कार्यक्रमों पर एक-दूसरे के साथ जुड़ चुके हैं। इनके अंतर्गत माइक्रो-इंजीनियरिंग, माइक्रो-इलेक्ट्रॉनिक्स, रोग नियंत्रण और उन्नत सामग्रियों पर उत्कृष्टता के चार आभासी केंद्र भारत में स्थापित किए गए हैं। इस वर्ष की शुरुआत में, स्विस एस्ट्रोसैट 0.2 उपग्रह को भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान द्वारा कक्षा में स्थापित किया गया था। कुछ हफ्ते पहले, हमारे दूसरे चंद्र मिशन, चंद्रयान 2 को लॉन्च किया गया। मिशन से प्राप्त लाभ हमारे अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के नए मोर्चे पर विजय प्राप्त करने के संकल्प को पूरा कर रहे हैं। हमारी उपलब्धियां, वास्तव में, द्विपक्षीय सहयोग के लिए नई संभावनाएं खोलती हैं।

स्विट्जरलैंड नवाचार का विश्व नेता है। आपसे प्रेरित होकर, हम भी स्टार्ट-अप और स्मार्ट समाधान के क्षेत्र में भी नई प्रगति कर रहे हैं। भारत आज रोबोटिक्स और विटिलिगो जैसे विविध विषयों पर काम करने वाले 21,000 से अधिक उद्यमों के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्ट-अप नेटवर्क संभाल रहा है। कई स्विस और भारतीय स्टार्ट-अप ने जलवायु परिवर्तन, मानव स्वास्थ्य और अन्य क्षेत्रों में समाधान के लिए पहले से ही हाथ मिला लिया है। हम ऐसी कई और साझेदारियों के लिए तत्पर हैं।

नवाचार और साइबर स्पेस की दुनिया साथ-साथ ही चलती है। डिजिटल क्रांति ने सार्वजनिक सेवा को केवल एक क्लिक दूर कर दिया है और ई-कॉमर्स खरीदारी की पहली पसंद बन चुका है। वित्तीय समावेशन और फिन-टेक सेवाएं हमें अधिक से अधिक कैशलेस अर्थव्यवस्था में मदद कर रही हैं। डिजिटल दुनिया में अवसर असीम हैं, लेकिन इसके लिए एक प्रभावी सुरक्षा कवच की जरूरत है। हमें द्विपक्षीय और वैश्विक समुदाय के साथ साइबर सुरक्षा सहयोग को मजबूत करना चाहिए।

देवियों और सज्जनों,

भारत के पास 100 स्मार्ट सिटी बनाने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है। चक्रीय अर्थव्यवस्था और संसाधन के कुशल प्रयोग में स्विस विशेषज्ञता हमें स्थायी शहरीकरण, हमारी नदियों को साफ करने और हमारे भोजन को संसाधित करने में मदद कर सकती है। जैव प्रौद्योगिकी में भारत-स्विस साझेदारी पहले से ही जलवायु स्थापक कृषि का समर्थन कर रही है। हम साथ मिलकर फसल की नई किस्मों का विकास कर रहे हैं। भारत में हमारी चुनौती कम साधन और कम पानी से गुणवत्तापूर्ण भोजन बनाने की है। हमने हाइड्रोपोनिक्स से लेकर सौर पंपों का उपयोग करने तक, कृषि के नए तरीकों की शुरुआत की है। लेकिन हम खेती से अपनी आय को दोगुना करना और अपनी खाद्य सुरक्षा को और मजबूत करना चाहते हैं।

भारत में दुनिया की आबादी का लगभग 20 प्रतिशत हिस्सा है, और विश्व के अक्षय जल संसाधनों का लगभग 4 प्रतिशत है। हम जल संरक्षण के पारंपरिक तरीकों को पुनर्जीवित कर रहे हैं और सतह के प्रवाह को कम करने के लिए आधुनिक प्रयोगों को अपना रहे हैं। हमारे नए राष्ट्रीय जल मिशन - जल जीवन अभियान – के तहत 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक के निवेश के साथ, 2024 तक लगभग 146 मिलियन घरों में नल का स्वच्छ पानी पहुंचाने का लक्ष्य है। इस मिशन में भारत-स्विस सहयोग के लिए नए अवसर हैं। हम आपको जल प्रशासन, जल उपयोग दक्षता और अपशिष्ट जल के उपचार के कार्यों में सम्मिलित करना चाहते हैं।

देवियों और सज्जनों,

स्विट्जरलैंड और भारत जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक कार्रवाई की अगुवाई कर रहे हैं। भारत ऊर्जा तीव्रता को कम करने और अपनी ऊर्जा जरूरतों का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म स्रोतों से हासिल करने के लिए पेरिस समझौते के तहत की गयी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की राह पर है। दुनिया भर में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए हमने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की दिशा में कदम बढ़ाया है। अब तक 75 देश इसके सदस्य बन चुके हैं। हम जल्द ही स्विट्जरलैंड के भी इस गठबंधन में शामिल होने का इंतजार कर रहे हैं। ग्लेशियोलॉजी पर हमारा संयुक्त काम अल्पाइन और हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को समझने में हमारी मदद कर रहा है। हमारे सहयोग के परिणामस्वरूप, सभी 12 भारतीय हिमालयी राज्यों ने अपने जलवायु भेद्यता मानचित्रों पर काम किया है।

स्विस स्वच्छ प्रौद्योगिकी और भारतीय हरित ऊर्जा आवश्यकताएं एक-दूसरे के लिए उपयुक्त हैं। आज, भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रमों में से एक है। हमारा लक्ष्य वर्ष 2022 तक 175 गीगा वाट नवीकरणीय बिजली क्षमता प्राप्त करना है।

भारत में एक बड़ी युवा आबादी है। हमें उन्हें कुशल और शिक्षित बनाने की जरूरत है। हम मौजूदा इंडो-स्विस ज्ञान साझेदारी को महत्व देते हैं और उन्हें आगे बढाने के लिए तत्पर हैं। पुणे में इंडो-स्विस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस हमें आपकी व्यावसायिक शिक्षा प्रणाली से सीखने में मदद कर रहा है। 1000 से अधिक भारतीय शोधकर्ता और छात्र वर्तमान में स्विट्जरलैंड में स्थित हैं। हमारे अन्वेषक चौथी औद्योगिक क्रांति के कोड को लिखने में एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं, और हमारे शोधकर्ता पानी की धार से हाइड्रोजन की शक्ति उत्पन्न करने में सहयोग कर रहे हैं।

प्रिय विद्यार्थियों,

दुनिया तेजी से स्थायी विकल्पों की ओर बढ़ रही है। इंडो-स्विस का प्रकृति के प्रति आदर और सम्मान हमें उनके और भी करीब खींचता है। मुझे खुशी है कि आयुर्वेद को स्विट्जरलैंड में एक घर मिल गया है। हम अपने स्वास्थ्य और खुशी को और मूल्यवान बनाने के लिए अपने पारंपरिक ज्ञान की शक्ति को जोड़ सकते हैं।

हम जिस ज्ञान आधारित समाज का निर्माण कर रहे हैं, उसमें महिलाओं के लिए समान जगह की जरूरत है। भारत उनके लिए और अधिक करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारे विश्वविद्यालय परिणामों में हर साल महिला उप्लब्धिकर्ताओं की संख्या बढ़ रही है। यह हमारे लिए एक नई सामान्य बात है। हमारा निजी क्षेत्र भी रफ्तार पकड़ रहा है। हमारे यहाँ महिला नेतृत्व वाली कंपनियों की संख्या बढ़ रही है। हमारा सशक्तिकरण कार्यक्रम बेटी बचाओ, बेटी पढाओ प्रभावशाली परिणाम दे रहा है।

देवियों और सज्जनों,

भारत-स्विस साझेदारी के अतीत, वर्तमान या भविष्य की कोई भी बात हमारे लोगों के बीच संबंधों के बिना पूरी नहीं हो सकती है। बॉलीवुड ने स्विट्जरलैंड को भारत के हर नुक्कड़ तक पहुंचा दिया है। चाहे बर्फ़ से ढंका जंगफ़्राऊ हो या बर्न में आइंस्टीन संग्रहालय के सामने आईटीयू स्मारक, भारतीय फिल्म उद्योग ने सबको समेट लिया है। भारतीय फिल्मों के दृश्य स्विट्जरलैंड की स्थलाकृति को समझने में गूगल मानचित्र के समान प्रभावी हो सकते हैं !

इन शब्दों के साथ, मैं आज इस संबोधन के आयोजन के लिए विश्वविद्यालय के रेक्टर को धन्यवाद देता हूं। आपके सामने अपने विचार रखने में मुझे खुशी हुई। मुझे आशा है कि हमारे लोगों के कल्याण के लिए और वैश्विक समुदाय की भलाई के लिए हमारी नए युग की साझेदारी फलती-फूलती रहेगी।

धन्यवाद।

बर्न
सितंबर 12, 2019



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