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राष्ट्रपति की आईसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की आगामी यात्रा पर सचिव (पश्चिम) द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख

सितम्बर 07, 2019

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : मित्रों, नमस्‍कार।

राष्ट्रपति की आईसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की 9 - 17 सितंबर, 2019 तक यात्रा पर इस विशेष ब्रीफिंग में आपका स्वागत है।

मेरे साथ मंच पर सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश सरमा, संयुक्‍त सचिव (सीई), डॉ. अंजु कुमार और राष्ट्रपति कार्यालय में उप प्रेस सचिव, श्री निमिष रुस्तगी हैं। हम सचिव (पश्चिम) द्वारा प्रारंभिक टिप्पणी से प्रारंभ शुरू करेंगे जिसके बाद श्री निमिष रुस्तगी संक्षिप्त वक्‍तव्‍य देगें और तत्‍पश्‍चात् हम कुछ प्रश्‍न लेगें। महोदय, कृपया आप बताएं।

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा : आप सभी को नमस्‍कार। राष्ट्रपति जी की तीन देशों को आगामी यात्रा के बारे में जानकारी देने के लिए हमें यह अवसर देने के लिए धन्यवाद। वे आईसलैंड, स्विट्जरलैंड और स्लोवेनिया की यात्रा करेंगे।

माननीय राष्ट्रपति जी प्रथम महिला और एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ जाएगें जिसमें श्रीमती देबाश्री चौधरी, महिला और बाल विकास राज्य मंत्री, डॉ. रमापति राम त्रिपाठी, संसद सदस्य, लोकसभा, श्री बसंत कुमार पांडा, संसद सदस्य, लोकसभा और इन तीनों देशों की यात्राओं में एक उच्च स्तरीय व्यावसायिक घटक भी शामिल है। जैसाकि आप जानते हैं कि इन दिनों व्यापारिक कारक को सामने लाना अत्‍यंत महत्वपूर्ण है, इसलिए तीनों देशों में हमने इस कारक को मानक पद्धति के अनुसार शामिल किया है।

मित्रों, भारत के इन तीनों यूरोपीय देशों में से प्रत्येक के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण द्विपक्षीय संबंध है। यूरोपीय विश्‍व की संरचना में इनकी गहरी पैठ है और उनके भी बहुपक्षीय संबंध हैं अथवा उनकी, भारत जैसे देश जिसकी अपनी स्‍वयं की सुदृढ़ बहुमुखी अर्थव्यवस्था है, के साथ गठजोड़ बनाने की मंशा हैं।

इन देशों के महत्व को विशेष रूप से प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उनकी क्षमता का आकलन किया जा सकता है। उनकी समुद्री अर्थव्यवस्था, सतत विकास, नवाचार, अनुसंधान व विकास में सक्षमता हैं। इन देशों में पर्यटन की भी काफी संभावनाएं हैं। वे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए बहुत उत्सुक हैं अथवा उनकी भारत भ्रमण की गहरी दिलचस्पी है।

ये राजकीय यात्राएं हमारे राजनीतिक, आर्थिक, शैक्षणिक, विज्ञान और प्रौद्योगिकी संबंधों का सर्वधन करने और हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर अधिक ध्यान देने के अवसर प्रदान करेगीं। निस्‍संदेह, यात्राओं के दौरान समझौता ज्ञापन और करारों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे।

मित्रों, आईसलैंड प्रथम स्‍थान है और राष्ट्रपति जी का आगमन 9 सितंबर को होगा और अपनी यात्रा के दौरान वे आईसलैंड के राष्ट्रपति, महामहिम श्री गुनी थोरलासियस जोहानिसन और आईसलैंड के प्रधानमंत्री, सुश्री कैटरीन जकोब्सदोतीर से भेंट करेंगे।

राष्ट्रपति जी को आईसलैंड विश्वविद्यालय, रेयकजाविक में, बडा सितारा बनने में भारत-आईसलैंड साझेदारी पर एक व्याख्यान देने का सम्‍मान प्रदान किया गया है। तो वास्‍तव में यह राष्ट्रपति जी को दिया गया एक बहुत महत्वपूर्ण सम्मान है।

इस यात्रा से आईसलैंड जो इस समय आर्कटिक काउंसिल का अध्‍यक्ष है और आर्कटिक सर्कल सहयोग में संलिप्‍त है, के साथ हमारे जुड़ाव और द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा मिलेगा। भारत आर्कटिक काउंसिल में एक पर्यवेक्षक है और हम परिषद के कार्य में बहुत सक्रिय हैं। भूतापीय ऊर्जा, मत्स्य, पर्यटन, सांस्कृतिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में काफी रुचि है। अत: आईसलैंड के ये कुछ मुद्दे जो बेहद प्रासंगिक और महत्वपूर्ण हैं और उनकी हमारे साथ मिलकर काम करने की मंशा है और हम अनेक प्रकार से समान दृष्टिकोण साझा करते हैं।

स्विट्जरलैंड अगला पड़ाव है और स्विट्जरलैंड की यात्रा 11 से 15 सितंबर तक है। राष्ट्रपति जी 11 सितंबर को स्विट्जरलैंड पहुंचेंगे और उनकी राजकीय यात्रा स्विस राष्ट्रपति श्री उली मौरर के निमंत्रण पर है।

जैसाकि आपको पता होगा कि स्विट्जरलैंड में एक चक्रीय राष्ट्रपति पद की पद्यति है। इस वर्ष श्री उली मौरर की बारी है जो 1 जनवरी से स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति हैं।

वास्तव में यह अगस्त - सितंबर 2017 में तत्कालीन स्विस राष्ट्रपति डोरिस लेउथर्ड की राजकीय यात्रा के बाद राष्ट्रपति जी की यह यात्रा होगी। अत: यह कुछ ऐसा है जो स्विट्जरलैंड के साथ उच्च स्‍तरीय संबंध हो रहे हैं।

राष्ट्रपति जी अपने स्विस समकक्ष, राष्‍ट्रपति संघीय परिषद के सदस्यों के साथ विस्‍तृत चर्चा करेगें। आप कह सकते हैं कि यह स्विस मंत्रिमंडल है।

राष्ट्रपति जी पिग्‍नियू समुदाय में महात्मा गांधी की एक अर्ध प्रतिमा का अनावरण करेंगे, जहां महात्मा गांधी 1931 में गए थे। रोमेन रोलैंड, विवेकानंद, टैगोर और महात्मा गांधी जैसे दार्शनिक एक दार्शनिक हैं, जिनकी भारत के दर्शन में, भारत में गहरी दिलचस्पी थी।

तो यह एक बहुत ही उच्च स्‍थान है जहां भारत को और महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के समारोह के दौरान महात्मा गांधी की विरासत को इस प्रकार का सम्‍मान दिया जा रहा है।

राष्ट्रपति जी के साथ एक व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल भी है जो भारत-स्विस व्‍यापार-मंच के तत्वावधान में अपने स्विस समकक्षों के साथ जुड़ेंगे। आप जानते हैं कि भारत और स्विटज़रलैंड के बीच घनिष्‍ठ व्यापक आर्थिक और व्यापारिक संबंध हैं। इसलिए इस व्यापार मंच का उद्देश्य हमारे संबंधों को उच्च स्तर पर ले जाना है और निश्चित रूप से व्यापार के कई उच्च गुणवत्ता वाले क्षेत्र हैं जो मंच में चर्चाओं में, संवाद में शामिल होंगे।

राष्ट्रपति जी भारतीय समुदाय से बर्न में एक स्वागत समारोह में भेंट करेगें और हमारे समुदायों में हर जगह युवा समुदायों तक पहुंचना बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि वे अगली पीढ़ी हैं और उनकी भारत में बहुत रुचि है, और उन्हें हमारी विचारधारा और हमारे परिप्रेक्ष्‍य से उन्‍हें अवगत कराना है।

राष्ट्रपति जी को बर्न विश्वविद्यालय में भारत-स्विट्ज़रलैंड : नव युग साझेदारी - हिमालय का आल्प्स’ से संयोजन पर संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है। अत: बर्न विश्वविद्यालय में उनके संबोधन का यह विषय है।

तत्‍पश्‍चात 15 से 17 सितंबर तक उनकी स्लोवेनिया यात्रा है। यह भारत से स्लोवेनिया की पहली राष्ट्रपति स्‍तर की यात्रा है। यहाँ वे स्लोवेनिया के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और नेशनल असेंबली के अध्यक्ष के साथ उच्च स्तरीय और व्यापक विचार-विमर्श करेंगे। उनके साथ एक व्यापार प्रतिनिधिमंडल होगा और उसके साथ एक व्यापार मंच होगा। राष्ट्रपति जी भारतीय समुदाय से भेंट करेगें।

मित्रों, जबकि मैंने इन तीन देशों को कवर किया है लेकिन यह ध्यान रखना आवश्‍यक है कि यूरोप में आपको अलग-अलग देश मिलेगें। कुछ बड़े हैं और कुछ छोटे हैं और प्रत्‍येक देश यूरोपियन यूनियन का सदस्य नहीं है, लेकिन उनके भीतर उनकी अलग व्यवस्था है। कभी-कभी व्यापार संदर्भ या सीमा शुल्क प्रारूप या किसी अन्य मुक्त व्यापार क्षेत्र में और कभी-कभी राजनीतिक वार्ता भी यूरोपीय संघ के भीतर होती है।

इसलिए यूरोप के प्रत्‍येक देश के साथ जुड़ना बहुत जरूरी है। इससे उनकी विचारधारा का पता चलता है और इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह हमें अपना मत प्रस्तुत करने का अवसर देता है। इसलिए यह हमारे पारंपरिक मित्र देशों की यात्राएँ हैं, जिनकी कई मायनों में भारत के लिए भावनात्मक भावना हैं, हमारे पास इन देशों के राजनेताओं के साथ जुड़ने का एक और अवसर होगा।

इसलिए, यूरोप के साथ हम सामूहिक रूप से व्यवहार करते हैं और हम व्यक्तिगत रूप से भी व्यवहार करते हैं और यूरोप के इन देशों में कई देशों में तकनीकों में बहुत विशेषज्ञता है, भले ही वे बड़े न हों लेकिन कुछ क्षेत्रों में उनका ज्ञान अत्‍यंत विशिष्ट हैं। उदाहरण के लिए, जैसे आईसलैंड, उनकी प्रौद्योगिकियां ऐसी हैं और उनकी अर्थव्यवस्था ऐसी है कि वे त्वचा सहित मछली के हर हिस्से का उपयोग करते हैं, वे इसे चमड़े में बदल देते हैं, यह केवल एक उदाहरण है। भूतापीय ऊर्जा, मुझे लगता है कि उनके घरों का 80 प्रतिशत हिस्‍सा भूतापीय ऊर्जा द्वारा गर्म किया जाता है।

इसलिए जब हम गैर-जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो ये देश, इन क्षेत्रों में हमारे साथ काम करने के लिए इच्छुक हैं और वे यह भी जानते हैं कि भारत भी एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है और आदान-प्रदान के लिए बहुत कुछ है उनमें से एक, इन तीन देशों में एक सामान्यता है, प्राकृतिक सुंदरता है जिसका बॉलीवुड पहले से ही लाभ उठा रहा है। स्विटजरलैंड अच्छी तरह से जाना जाता है, लेकिन बॉलीवुड स्लोवेनिया और आइसलैंड भी चले गए हैं और यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। इसलिए, उन्हें एहसास है बॉलीवुड के आने से पर्यटन बढ़ता है। अत: मुझे लगता है कि पर्यटन के प्रवाह को बढ़ाने के लिए हमारे साथ काम करने में उनकी रुचि है और दूसरा तरीका भी उल्टा है, उनकी भारतीय दर्शन में, संस्कृति में गहरी रुचि हैं और यद्यपि उनका जनसंख्या आधार छोटा है, फिर भी उनमें से कई भारत आना चाहते हैं। इसलिए, सांस्कृतिक और पर्यटन सहयोग की संभावनाए बहुत अधिक है। तो वह स्नैपशॉट है। धन्यवाद।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : धन्यवाद महोदय। अब मैं श्री रुस्तगी से मीडिया को ब्रीफ करने का अनुरोध करता हूं।

राष्ट्रपति के उप प्रेस सचिव, श्री निमिष रूस्तगी: धन्यवाद, संयुक्‍त सचिव (एक्सपी)। मुझे लगता है कि सचिव महोदय ने काफी विस्तृत ब्रीफिंग दी है, इसलिए मैं केवल कुछ तथ्य प्रदान करूंगा। यह 11 वीं बार है जब राष्ट्रपति भारत के राष्ट्रपति के रूप में विदेश दौरे पर जा रहे हैं और उनकी राष्ट्रपति पद के तीसरे वर्ष में यह दूसरी यात्रा है।

पहले उन्होंने राष्ट्रपति पद के अपने पहले वर्ष में चार दौरे किए, दूसरे वर्ष में पांच और उन्होंने इस तीसरे वर्ष में एक से पहले एक यात्रा की, जो बेनिन, गिनी और गाम्बिया की थी।

इस प्रकार, अब तक उन्होंने कुल 23 देशों की राजकीय यात्रा की हैं। इस यात्रा के बाद यह 26वां देश बन जाएंगा। 26 यात्राओं में से 10 अफ्रीकी देशों की है, इसलिए वहां बहुत अधिक ध्यान केंद्रित किया गया है। लेकिन, यूरोप पीछे नहीं रहा है और इससे पहले के पांच देश यूरोप में रहे हैं जो ग्रीस, साईप्रस, बुल्गारिया, चेक गणराज्य और क्रोएशिया थे।

इस यात्रा में ऐसा पहली बार होगा जब राष्ट्रपति एक नॉर्डिक देश अर्थात् आईसलैंड का दौरा करेंगे, ताकि कुछ नया हो। इस यात्रा के बाद 26 देशों में से, यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय राष्ट्रपति इनमें से 13 देशों का दौरा करेगा। इसलिए 26 में से 50 प्रतिशत देश ऐसे हैं जहां यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय राष्ट्रपति दौरा कर रहा है।

यह भारत की बढ़ती संलिप्‍तता और उस स्तर को दर्शाता है जिस पर देशों के अधिक दौरे हो रहे हैं। राष्ट्रपति अपने समकक्षों के साथ बैठक करने और इन सभी देशों में व्यापारिक समुदायों और छात्रों के साथ मेलजोल करने के लिए तत्पर हैं और मुझे लगता है कि मुझे जो कहना है वह कह चुका हैं। धन्यवाद।

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: धन्यवाद निमिश। अब प्रश्‍न कर सकते है।

प्रश्न: हमारे दो प्रश्न है, एक तो यह कि राष्‍ट्रपति के दौरे में कितने समझौते पर हस्‍ताक्षर होगें या कौन से समझौते होने जा रहे हैं? दूसरी बात है कि जो देश है स्‍लोवेनिया इससे हिन्‍दुस्‍तान और स्‍लोवेनिया के बीच में व्‍यापार कितना ज्‍यादा है और कितने व्‍यापारी इस यात्रा में इनके साथ जा रहे हैं?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा : जैसेकि मैने कहा था कि इन तीनों देशों के साथ आर्थिक क्षेत्र में और इनके साथ काम करने का सहयोग करने का अवसर है और हालांकि, छोटे देश है आईसलैंड और स्‍लोवेनिया खासकर लेकिन फिर भी ऐसे क्षेत्र है जिनमें अवसर है इनके साथ सहयोग करने के लिए।

`जो जहां तक आईसलैंड की बात है, तो इस वक्‍त तो आर्थिक क्षेत्र में हम किसी समझौते की उम्‍मीद नहीं कर रहे हैं लेकिन हम सहमति चाहते है, जैसे जलवायु परिवर्तन का मसला है, जैसे समुद्री उत्‍पाद के क्षेत्र में है, मत्‍सय पालन में तो हम सोचते है कि राष्‍ट्रपति जी के दौरे में तो इस पर कुछ हो सकता है। या तो समझौता होगा या सहमति हो जाएगी इस तरह से की हम लोग काम कर सकते हैं।

जहां तक स्‍विजरलैंड है, क्‍योकि मैं आपकों याद दिलाना चाहता हूँ कि स्‍विजरलैंड के साथ हमारे संबंध तो पुराने हैं। 1948 में ही हम लोगों ने ‘मित्रता की संधि’ पर हस्‍ताक्षर किए थे, तो जब हम आज़ाद हुए थे लगभग तब से ही चल रहा है। एक तरह से जो ढ़ाचा होना चाहिए वो उपलब्‍ध है तो हमें जो करना है वो है कि हमें अपने व्‍यापार समुदाय को प्रोत्‍साहित करना चाहिए। तो इस वक्‍त जो हम सोच रहे है, समझौते की बात की आपने, तो जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कुछ हो सकता है और भी है जैसे सांस्‍कृतिक क्षेत्र में भी तो इसमें भी कुछ सहमति हो सकती है।

जहां तक स्‍लोवेनिया है, यह एक नया देश है, 30 साल पुराना इतिहास है जो 1991 में आज़ाद हुआ था। आपको काफी दिलचस्‍पी होगी कि कई क्षेत्रों में उनकी काबिलियत है हमारे साथ काम करने के लिए। अभी उनके साथ उतना व्‍यापार नहीं है जितना होना चाहिए फिर भी 360 मिलियन यूरो तक उनके साथ हमारा व्‍यापार है।

कुछ क्षेत्र है, जैसे रक्षा में, वायुयान निर्माण में भी उनके पास कुछ है, कृषि क्षेत्र में भी है। उनके यहां काफी हरित प्रौद्योगिकी भी है। दरअसल, स्‍लोवेनिया बहुत ही हरा देश माना जाता है, उन्‍होनें जिस तरह से अपने जंगल का संरक्षण किया है।

सब देशों के साथ हर मुद्दें पर तो नहीं हो सकता लेकिन वो भी रूचि रखते है कि हमारे निवेशक वहा पर जाएं जैसे मैने पहले ही आपको बताया कि पर्यटन हो, बॉलीवुड भी वहां पर फिल्‍में करें। तो दोतरफा है कि वो भी उम्‍मीद करते है कि हमारे तरफ से भी आवागमन हो और हमें भी उम्‍मीद है कि वहां से भी हम, कुछ ऐसी तकनीक प्राप्त करेंगे जैसे परिशुद्धता इंजीनियरिंग। तो ये जो पुराना युगोस्‍लाविया के अन्‍दर जो उनकें अन्‍दर काबिलियत थी, तो अभी भी उन्‍होंने उसको बरकरार रखा है और यूरोप के ढ़ाचे में इनके साथ काम करने की हमें अवसर मिलते है।

तो ये दोनों मिलकर व्‍यापार में हम पूरे यूरोप पर ध्‍यान केंद्रित कर सकते है। कई बार इनमें निर्वाह लागत या पेशेवरों की आवश्‍यकता भी होती है तो इन सब में वो हमारी तरफ देखते है, हमारे पास तैयार जनशक्‍ति है, तैयार विशेषज्ञ है। तो इस यात्रा में जो बैठकें होगी तीनों जगह में तो इन क्षेत्रों में हम उम्‍मीद करते है कि विशिष्‍ट प्रस्‍ताव भी बनेगें।

जहां तक ​​आईसलैंड का संबंध है, इस समय हम किसी भी अर्थव्यवस्था से संबंधित समझौते की आशा नहीं कर रहे हैं, हालांकि हम उनकी सहमति की आशा कर रहे हैं, जैसेकि जलवायु परिवर्तन से संबंधित पहलू में, अथवा मत्स्य पालन के क्षेत्र में। हमारा मानना ​​है कि राष्ट्रपति जी की यात्रा के दौरान कुछ इस पर अमल हो सकता है। या तो एक प्रकार से सहमति होगी अथवा सहमति होगी जो हमें सहयोग करने में सक्षम करेगी।

जहां तक ​​स्विट्जरलैंड का संबंध है, मैं आपको याद दिलाना चाहूंगा कि स्विट्जरलैंड के साथ हमारे संबंध काफी पुराने हैं। हमने 1948 में स्विटज़रलैंड के साथ 'मित्रता की संधि' पर हस्ताक्षर किए थे, लगभग जब हमें आज़ादी मिली। तो एक तरह से आवश्यक ढांचा हमारे लिए उपलब्ध है, इसलिए हमें अपने व्यवसाय के लोगों को प्रोत्साहित करने की आवश्‍यकता है। तो इस समय हम जो योजना बना रहे हैं, उस समझौते के बारे में, जिसके बारे में आपने बात की थी, जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में कुछ हो सकता है। कुछ अन्य क्षेत्रों जैसे संस्कृति के क्षेत्र में भी गठन किया जा सकता है।

जहां तक ​​स्लोवेनिया का संबंध है, यह एक अपेक्षाकृत नया देश है जिसका 30 वर्षों का इतिहास है। इसे 1991 में स्वतंत्रता मिली। आपको यह जानने में दिलचस्पी होगी कि उनके पास कुछ क्षेत्रों में क्षमताएं हैं जहां हम उनके साथ सहयोग कर सकते हैं। इस समय उनके साथ उतना व्यापार नहीं है जो होना चाहिए या हो सकता है और वर्तमान में यह लगभग 360 मिलियन यूरो का है।

रक्षा जैसे कुछ क्षेत्र हैं, उनके पास विमान निर्माण और कृषि में भी क्षमताएं हैं। उनके पास कुछ बहुत अच्छी हरित तकनीकें भी हैं। वास्तव में स्लोवेनिया को एक बहुत ही हरित देश के रूप में माना जाता है क्योंकि उन्होंने अपने जंगलों को बहुत ही सुंदर तरीके से संरक्षित किया है।

सभी क्षेत्रों में सभी देशों के साथ समझौते करना संभव नहीं है, लेकिन उनकी रुचि हैं कि हमारे निवेशक वहां निवेश करें, जैसे कि मैंने पहले ही आपको बताया था कि वे उत्सुक हैं कि बॉलीवुड वहां फिल्में बनाएं। तो यह दोनों तरीके हैं, वे यह भी आशा करते हैं कि भारतीय पक्ष से पारगमन होना चाहिए और हमें वहां से भी कुछ मिलने की आशा है, जैसेकि उनकी सटीक इंजीनियरिंग में क्षमता है। पुराने यूगोस्लाविया के दिनों में उनके पास जो क्षमताएं थीं, उन्होंने उसे अक्षुण रखा है और हमें उनके साथ यूरोपीय ढांचे में काम करने का अवसर भी मिला है।

इसलिए इन दोनों के साथ व्यापार के लिए पूरे यूरोप पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। कभी-कभी उन्‍हें पेशेवरों की आवश्यकता होती है, इसलिए वे हमारी ओर देखते हैं क्योंकि हमारे पास उपलब्‍ध जनशक्ति और विशेषज्ञ हैं। इसलिए इस यात्रा के दौरान हम आशा करते हैं कि इन तीनों देशों में इन क्षेत्रों में कुछ विशिष्ट प्रस्ताव विकसित बनेगें ।

प्रश्न: सीमा पार आतंकवाद पर, इन तीन देशों का रुख क्या है। और विशेष रूप से आईसलैंड भू-तापीय ऊर्जा में बहुत समृद्ध है, क्या हम उस विशिष्ट क्षेत्र पर उनके साथ कुछ योजना बना रहे हैं?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा: मुझे लगता है कि ये तीनों देश भारत के लिए बहुत सहानुभूति रखते हैं और इस वर्ष भी पुलवामा हमले के संदर्भ में, उनकी सहानुभूति भारत के साथ रही है। हालांकि, वे खुद को सीधे तौर पर इस प्रकार की चुनौतियों का सामना नहीं करते क्योंकि हम सामना करना जारी रखते हैं, फिर भी वे जानते हैं कि भारत के साथ मिलकर काम करने की आवश्‍यकता है।

हमारे उनमें से प्रत्येक के साथ अति विशेष संबंध हैं और अधिकांश महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर परस्‍पर बेहतर अभिज्ञान है, विशेषकर आईसलैंड के बारे में अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों के सुधार के संदर्भ में कहा जा सकता है। अत: मुझे लगता है कि वार्ता जारी रखने और आवश्यक संदेश भेजने के लिए वास्तव में इन उच्च स्तरीय यात्राओं को जारी रखा जाए।

इस यात्रा का प्रयोजन यह है कि वहाँ पहले से यह एक समान आधार है कि वे हमारी प्राथमिकताएं समझते हैं और वे हमसे वार्ता करने के लिए उत्सुक हैं। इसलिए, यह बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट है कि इन देशों के साथ हमारी उत्‍कृष्‍ट समझ है।

जहां तक ​​आईसलैंड का संबंध है आप भूतापीय ऊर्जा के बारे में सही हैं। मैंने स्‍वयं इसका उल्लेख किया है कि जब हम अपने नवीकरणीय ऊर्जा कार्यक्रमों पर कार्य करते हैं तो आईसलैंड के साथ काम करने के अधिक अवसर होंगे। इसलिए, हम इस व्यापार वार्ता और इसमें संभावनएं तलाशने के लिए हमारे संबंधों में विकास को देख रहे हैं। लेकिन, हम आईसलैंड की शक्‍ति के बारे में बहुत जानते हैं। हैरानी की बात है कि यह एक छोटा देश है और हमरा देश इससे बहुत दूर है, किंतु आईसलैंड के साथ हमारा जुड़ाव काफी नियमित रहा है।

कुछ समय पहले भारत में उड़ान भरने वाली एयरलाइनों के बारे में चर्चा की गई थी, लेकिन यह वास्तव में कायम नहीं रह सकती थी। किंतु, जैसे-जैसे पर्यटन और अन्य प्रकार का आवागमन बढ़ता है, इसलिए इन अपेक्षाकृत छोटे देशों के साथ संयोजकता बढ़ेगी। इसलिए हम सोचते हैं कि इस तरह के क्षेत्रों में काम करने के लिए काफी स्‍थान है और भू-तापीय क्षेत्र में निश्चित रूप से आइसलैंड सबसे अच्छा है।

प्रश्न: स्विटजरलैंड के साथ भारतीयों के बैंक डेटा का सांझा करना है जिन्होंने काले धन का छुपाने के लिए स्विट्जरलैंड में वित्तीय खाते खोले हैं, क्या यह चर्चाओं का हिस्सा बनने जा रहा है? और क्या भारत भी इन तीनों में से किसी एक देश को कश्मीर के बारे में जानकारी देने वाला है?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा: मुझे लगता है कि दोनों बहुत अच्छे प्रश्न हैं और बहुत प्रासंगिक हैं। हमारी भारत-स्विट्जरलैंड कर संधि है जो जांच के अंतर्गत मामलों पर सूचना प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करती है। वर्ष 2019 से भारत से, हमारे समझौते के आधार पर, स्विट्जरलैंड में भारतीयों द्वारा रखे गए वित्तीय खातों के संबंध में स्वत: आधार पर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और इस सूचना में भ्रष्टाचार में कथित रूप से शामिल व्यक्तियों के बारे में जानकारी भी शामिल हो सकती है। तो यह कुछ ऐसा है जो स्विट्जरलैंड यह सुनिश्चित करने के लिए बहुत उत्सुक रहा है कि इसकी वित्तीय प्रणाली अप्राप्य, स्वच्छ है।

विश्‍व में आज के संदर्भ में सब कुछ जांच के दायरे में है। वित्तीय दुनिया की जांच की प्रतिरक्षा नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रबल इच्छा है कि वित्तीय प्रथाओं को अन्य प्रकार की ऐसी गतिविधियों का समर्थन नहीं करना चाहिए जो कानूनी प्रकार के ढांचे के अनुरूप नहीं हैं जैसेकि नारकोटिक्स, भ्रष्टाचार और अन्य प्रकार के अवैध संचालन। स्विट्जरलैंड और भारत के बीच समझौता है, जैसा कि आपने सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान पर कहा था।

आपने जम्‍मू और कश्‍मीर पर अपना दूसरा प्रश्न पूछा है, ठीक है जब राजनेता मिलते हैं तो एक ऐसी संरचना होती है जिसमें क्षेत्रीय, अंतर्राष्ट्रीय, वैश्विक, बहुपक्षीय और राष्ट्रीय चिंताओं के मुद्दे होते हैं। इसलिए हम सदैव इन अवसरों का उपयोग एक दूसरे से चर्चा करने के लिए करते हैं। हमारे कुछ मुद्दे हैं। प्रत्येक देश की अपनी समस्‍याएं हैं। इसलिए यह उच्चतम स्तर पर सुनने के लिए बहुत अच्छी व्‍यवस्‍था है कि हमारा दृष्टिकोण क्या है। इसलिए हम निश्चित रूप से इस अवसर का उपयोग करेंगे क्योंकि हम उन्हें अपनी समस्‍याओं से अवगत करा सकते हैं। लेकिन जैसा कि मैंने कहा, जहां तक ​​जम्मू-कश्मीर के संबंध में इन देशों की भारत के प्रति बहुत सहानुभूति है, जो इस वर्ष के प्रारंभ में आपने देखी थी। हमें साथ मिलकर काम करने की आवश्‍यकता है।

प्रश्न: एक छोटा सा स्‍पष्‍टीकरण, आपने सूचनाओं के स्वत: आदान-प्रदान के बारे में कहा हैं, यह किन एजेंसियों के बीच है और क्‍या यह वर्तमान वर्ष का समझौता है?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा: समझौता इस वर्ष से अर्थात् 2019 से प्रभाव में आएगा।

प्रश्न: यह इस वर्ष से प्रभाव में आएगा। क्या यह प्रभावी हो चुका है अथवा क्‍या इसका प्रभावी होना शेष है?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा: यह प्रभावी है।

प्रश्न क्रमश : और हम स्वचालित जानकारी साझा कर रहे हैं?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा : बैंक खातों पर। स्विट्जरलैंड में भारतीयों के बैंक खातों के संबंध में।

प्रश्न : स्‍पष्‍टीकरण। स्विटज़रलैंड में महात्मा गांधी की अर्धप्रतिमा, क्या राष्ट्रपति द्वारा इसका अनावरण किया जाएगा अथवा केवल माला पहनाया जाएगा?

सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश सरमा : आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि स्विट्जरलैंड में इस अर्धप्रतिमा का अनावरण किया जाएगा।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। राष्ट्रपति जी की तीन देशों की यात्रा के बारे में ब्रीफिंग समाप्‍त होती है। मैं मंच पर लोगों को धन्यवाद देता हूं और इस ब्रीफिंग में शामिल होने के लिए आपका भी धन्यवाद करता हूं।

(समापन)



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