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विदेश सचिव द्वारा व्लादिवोस्तोक में आयोजित भारत-रूस बीसवें वार्षिक शिखर सम्मेलन की मीडिया वार्ता की प्रतिलेख (04 सितंबर, 2019)

सितम्बर 05, 2019

प्रवक्ता : नमस्कार मित्रों, शुभ दोपहर! व्लादिवोस्तोक से इस विशेष मीडिया वार्ता में आपका स्वागत है। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री आज सुबह यहाँ पहुँचे और दोनों नेताओं अर्थात् प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पुतिन के बीच द्विपक्षीय शिखर बैठक हो चुकी है। आज मंच पर मेरे साथ भारत के विदेश सचिव, श्री विजय गोखले, भारत के राजदूत और संयुक्त सचिव (ईआरएस) भी उपस्थित हैं, जो कुछ प्रश्नों के उत्तर देने के लिए यहाँ आए हैं। हम विदेश सचिव की प्रारंभिक टिप्पणियों के साथ आरंभ करेंगे। महोदय, मंच आपका है।

विदेश सचिव : धन्यवाद रवीश। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पुतिन के बीच भारत-रूस बीसवां वार्षिक शिखर सम्मेलन अभी-अभी पूरा हुआ है और मैं कह सकता हूँ कि यह बैठक बहुत ही सौहार्द्र पूर्ण और उत्पादक रही। प्रधानमंत्री ने रूस को एक विश्वसनीय साझेदार और एक विशेष मित्र के रूप में वर्णित किया है और राष्ट्रपति पुतिन ने भारत-रूस संबंधों को सहयोग की नई ऊँचाइयों पर ले जाने की बात की है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को अगले शिखर सम्मेलन के लिए भारत आमंत्रित किया है और उन्होंने अगली 9 मई को मास्को में आयोजित होने जा रहे द्वितीय विश्व युद्ध में तत्कालीन सोवियत संघ की भागीदारी और रूसी संघ की जीत की 75वीं वर्षगांठ के उत्सव में शामिल होने का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया है।

एक बहुत ही खास संकेत के रूप में राष्ट्रपति पुतिन प्रधानमंत्री को नाव द्वारा ज़्वेदा के नए शिपयार्ड में ले गए। यह दो कारणों से एक बहुत ही महत्वपूर्ण संकेत था, पहला यह कि इससे दोनों नेताओं को साथ में गुणवत्ता युक्त समय बिताने का अवसर मिला, उन्होंने दो घंटे से अधिक समय साथ में बिताया और विभिन्न विषयों पर चर्चा की और दूसरा, यह रूस के सुदूर पूर्व में हमारे द्वारा अब तक की गई प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है, जो ऊर्जा के परिप्रेक्ष्य में आर्थिक दृष्टिकोण से और संभावित भारत-प्रशांत दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह बातचीत बहुत ही उत्पादक थी। उन्होंने द्विपक्षीय संबंधों पर और बाद में दो प्रतिनिधि मंडलों के बीच आयोजित वार्ता के विवरण पर बात की। द्विपक्षीय संबंधों पर काफी ध्यान दिया गया और आपसी हित के अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी कुछ चर्चा हुई। पिछले वार्षिक शिखर सम्मेलन में दोनों नेताओं द्वारा इस संबंध को विशुद्ध रूप से रक्षा और असैन्य परमाणु से आर्थिक मुद्दों तक सीमित न रख कर इसमें विविधता लाने की आवश्यकता होने के निर्णय के अनुसार, इस वर्ष व्लादिवोस्तोक के वार्षिक शिखर सम्मेलन मुख्य रूप से आर्थिक संबंध को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित रहा और इस संबंध में एक विस्तृत समीक्षा हुई है। रूसी पक्ष से कई मंत्री उपस्थित थे और दोनों पक्षों ने इस बात पर ध्यान केंद्रित किया कि हम किस तरह से आर्थिक संबंधों को एक नए स्तर पर ले जा सकते हैं। इसलिए, मैं बैठक की भावना को कुछ विस्तार से साझा करना चाहता हूँ। हालाँकि, अभी-अभी संपन्न हुए प्रेस कांफ्रेंस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री द्वारा कुछ मुद्दों की घोषणा की गई है। सबसे पहले, हमने ऊर्जा क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाया है। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ से हम आपूर्ति के अपने स्रोतों में विविधता लाने की कोशिश कर रहे हैं और हम रूसी संघ से तेल और गैस खरीदने के लिए इसे आकर्षक रूप से बढ़ा रहे हैं। पिछले सप्ताह पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री की यात्रा के महत्वपूर्ण परिणामों में से एक यह था कि हम अगले 5 वर्षों में सहयोग की योजना पर सहमत हुए जिसमें हम दोनों तरफ से निवेश पर काम करेंगे। रूसी क्षेत्रों में भारतीय निवेश, अन्वेषण और दोहन और भारत में ऊर्जा के परिवहन के साथ-साथ भारत में नीचे के क्षेत्रों में रूसी निवेश के तरीके पर काम किया जाएगा। हम रूस में पूर्वी समूह कहे जाने वाले अतिरिक्त तेल क्षेत्रों में निवेश कर रहे हैं। हम ऊर्जा को बाहर भेजने की भी आशा कर रहे हैं और इस संबंध में राष्ट्रपति पुतिन ने भी स्वीकार किया है कि हमें इस बात पर ध्यान देने की आवश्यकता है कि वे भारत में सुरक्षित, संरक्षित रूसी ऊर्जा की आपूर्ति कैसे कर सकते हैं, जिसमें लागत को भी कम रखा जा सके। चर्चा का विवरण उन कुछ दस्तावेजों में उपलब्ध होगा जिन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। लेकिन हमारे लिए यह बहुत महत्वपूर्ण सफलता प्रतीत होती है। ऊर्जा हमारे संबंध का एक प्रमुख स्तंभ होने जा रहा है। दूसरा उभरता हुआ स्तंभ व्लादिवोस्तोक पूर्वी आर्थिक मंच शिखर सम्मेलन है और प्रधानमंत्री का ध्यान यह देखने पर है कि हम रूस के सुदूर पूर्व के साथ कैसे संबंध बना सकते हैं और प्रधानमंत्री कल पूर्वी आर्थिक मंच को संबोधित करते समय इस पर अधिक विस्तृत तरीके से बात करेंगे। लेकिन अनिवार्य रूप से कह सकते है कि हम यहाँ केवल ऊर्जा क्षेत्र को नहीं देख रहे हैं, हम संसाधन के क्षेत्र को देख रहे हैं, हम वानिकी के क्षेत्र को देख रहे हैं, हम कृषि क्षेत्र को देख रहे हैं और प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पुतिन भी प्रस्तावित जनशक्ति के निर्यात के बारे में बहुत आशावादी थे, आप जानते हैं कि दुनिया के इस हिस्से में रूस के पास श्रम शक्ति की कमी है और यह सहयोग का एक संभावित क्षेत्र है। अब इस संदर्भ में चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच एक मार्ग खोलने के संबंध में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं। क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि दो प्रमुख बंदरगाहों के बीच संपर्क बनेगा जो भारत और रूस के सुदूर-पूर्व क्षेत्र के बीच सहयोग को गति प्रदान करेगा।

इसलिए मुझे लगता है कि यह शिखर सम्मेलन से प्राप्त दूसरा महत्वपूर्ण परिणाम है। तीसरा, हम व्यापार को बढ़ाने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने जा रहे हैं। वर्तमान में व्यापार 11 अरब डॉलर का है लेकिन दोनों नेताओं को लगता कि यह क्षमता से काफी कम है। हम 2025 तक 30 अरब डॉलर का लक्ष्य निर्धारित कर रहे हैं और हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करने के लिए होगा कि इस लक्ष्य को पूरा किया जा सके। अब इस संबंध में ऊर्जा के अलावा, दवा क्षेत्र पर भी चर्चा हुई है। रूसी राष्ट्रपति और उनके मंत्रियों ने विशेष रूप से कहा कि यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारत के पास ताकत है और वे ताकत का लाभ उठाना चाहेंगे। कृषि क्षेत्र पर भी कुछ चर्चा हुई। दोनों तरफ से हमारे लिए एक संभावना है। हमारे पास चावल का निर्यात करने, डेयरी उत्पादों का निर्यात करने, समुद्री उत्पादों का निर्यात करने की क्षमता है। हमारी अपेक्षा है कि रूसी पक्ष इस प्रक्रिया में सहायता करेगा, आवश्यक नियामक मंजूरी देगा, गैर-शुल्क बाधाओं को कम करेगा और हम रूसी कृषि उत्पादों के भारत के लिए निर्यात की भी आशा कर रहे हैं। इस बात पर चर्चा हुई कि हम स्थानीय मुद्राओं में यह व्यापार कैसे कर सकते हैं, साथ ही रूसी पक्ष ने प्रस्तावित किया कि उन्होंने तेज विकल्प के रूप में और दोनों पक्षों के लिए इस संबंध में सहयोग करना संभव बनाने के लिए एक वित्तीय संदेश प्रणाली विकसित की है, जैसा कि आप जानते हैं हमारे पास बैंकिंग और वित्तीय सेवा क्षेत्र में इस विशेष क्षेत्र पर एक संयुक्त कार्यदल है। जहाँ तक मुझे याद है पिछली बैठक जुलाई या अगस्त में, दिल्ली में आयोजित की गई थी। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम चर्चा करते रहेंगे। नागरिक उड्डयन क्षेत्र में संभावित संयुक्त विनिर्माण के रूसी प्रस्ताव पर कुछ चर्चा हुई। रेलवे क्षेत्र में सहयोग की संभावना पर चर्चा हुई। नागपुर-सिकंदराबाद लाइन पर व्यवहार्यता अध्ययन पूरा हो गया है। हम आशा करते हैं कि व्यवहार्यता रिपोर्ट जल्द ही पूरी हो जाएगी।

जैसा कि मैंने कहा, कुछ चर्चाएं थीं, जिनमें से एक प्रधानमंत्री ने आरंभ की थी कि दोनों पक्षों को वीजा सुविधा में सुधार करने की आवश्यकता थी और इस संबंध में उन्होंने भारतीय व्यवसायियों को रूस में वीजा प्राप्त करने में आनेवाली कठिनाइयों के बारे में बताया और कहा कि उन्हें आशा है कि इसे शीघ्र और उदारीकृत किया जाएगा। जहाज निर्माण क्षेत्र पर चर्चा हुई। उन्होंने ज्वेदा में जहाज निर्माण इकाई का दौरा किया। लेकिन यह विशेष रूप से अंतर्देशीय जलमार्ग के क्षेत्रों में था जिसकी प्रधानमंत्री और सरकार के साथ-साथ यात्री नौका सेवाओं और पर्यटकों के लिए, पर्यटन उद्देश्यों के शिपिंग के उपयोग के लिए प्राथमिकता है। यह भी एक बहुत अच्छी चर्चा थी। और समग्र रूप से मुझे लगता है कि वे सहयोग के इस पहलू से बहुत संतुष्ट थे जो रूस के साथ हमारे संबंधों का आर्थिक आधार है। हमारा मानना है कि इस यात्रा के बहुत सारे परिणाम प्राप्त हुए हैं। अब हम इसे भारत रूसी अंतर-सरकारी आयोग सहित कई बैठकों में लागू करेंगे जो संभवतः इस वर्ष में होंगी। जाहिर है कि सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों, अर्थात् नागरिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में, रक्षा के क्षेत्र में, संस्कृति में, लोगों के परस्पर संबंधों में, डिग्री की मान्यता पर समझौता ज्ञापन करने की कोशिश में चर्चा हुई, जो दोनों पक्षों और इन सभी क्षेत्रों के लिए साभदायक होगी, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूँ कि दोनों नेता परिणामों से काफी संतुष्ट थे। अब मैं आपके साथ साझा करना चाहता हूँ कि इस यात्रा के कई अत्यंत महत्वपूर्ण परिणाम हैं। हम एक संयुक्त वक्तव्य जारी करेंगे जो हमारे संबंधों के संपूर्ण परिदृश्य को रेखांकित करेगा। हमारे पास 14 अन्य समझौता ज्ञापन हैं। ये समझौता ज्ञापन सरकारी या सरकार समर्थित संस्थानों के बीच हैं। उनमें से चार ऊर्जा क्षेत्र में हैं। ये प्राकृतिक गैस, तेल और गैस और कोकिंग कोल को आवृत करते हैं। पाँच समझौता ज्ञापन आर्थिक क्षेत्र में हैं। वे व्यापार और निवेश, सीमा शुल्क सुविधा के लिए संयुक्त रणनीति और इसी प्रकार की अन्य बातों को आवृत करते हैं। दो बुनियादी ढांचा क्षेत्र में हैं। जिनमें से एक निश्चित रूप से चेन्नई और व्लादिवोस्तोक के बीच समुद्री संचार पर है। सड़क परिवहन क्षेत्र में भी एक समझौता ज्ञापन है। एक समझौता ज्ञापन संस्कृति क्षेत्र पर है। यह ऑडियो-विजुअल सह उत्पादन से संबंधित है। और रक्षा क्षेत्र में एक बहुत महत्वपूर्ण समझौता हुआ है। यह रूसी मूल के सैन्य उपकरणों के लिए स्पेयर पार्ट्स का उत्पादन करने वाला अंतर-सरकारी समझौता है। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रधानमंत्री ने बार-बार सभी प्रमुख रक्षा साझेदारों के साथ हमारे संबंधों की प्रकृति को एक खरीदार-विक्रेता के संबंध से सह-उत्पादन में बदलने का आह्वान किया है और एक अर्थ में यह समझौता भी उसी दृष्टिकोण से प्रेरित है जिसे प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया है। यह एक अंतर-सरकारी प्रारूप में भारत में सह-उत्पादन पर होगा।

इसलिए मुझे लगता है कि यह हमारे रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण सफलता है। आज शाम प्रधानमंत्री रात्रिभोज में शामिल होंगे और फिर कल तीनों गणमान्य अतिथियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें होंगी। वे जापान के प्रधानमंत्री, मंगोलिया के राष्ट्रपति और मलेशिया के प्रधानमंत्री से भेंट करेंगे। और इसके बाद वे पूर्वी आर्थिक मंच को संबोधित करेंगे। यदि समय मिला तो हम द्विपक्षीय वार्ता के बाद एक संक्षिप्त वार्ता करने की कोशिश करेंगे, लेकिन मैं निश्चित रूप से निष्कर्ष के तौर पर कहूँगा कि दोनों पक्षों, दोनों नेताओं ने शिखर सम्मेलन के परिणाम पर बहुत संतोष व्यक्त किया। दोनों नेताओं के बीच बहुत अच्छा तालमेल है। हमने देखा कि रूसी प्रतिनिधिमंडल में, जिसमें दो उप प्रधानमंत्रियों सहित कई मंत्री थे, विशेष रूप से आर्थिक पक्ष पर एक नया उत्साह है और मुझे लगता है कि दोनों पक्षों के अधिकारियों ने हमारे लिए अच्छा काम किया है और अब उन सभी की समझ में संलयन आया है जिसकी दोनों नेताओं को जानकारी दी गई है। इसलिए हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि हमने बहुत सफल 20वीं शिखर बैठक की है। इससे पहले कि मैं कुछ प्रश्नों के उत्तर दूँ, हम चाहेंगे कि हमारे राजदूत भी कुछ कहें।

राजदूत : निश्चित रूप से इस पर ध्यान दिया जा सकता है कि यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की व्लादिवोस्तोक की पहली यात्रा थी और इसे दो देशों के बीच हुई बहुत उच्च स्तरीय यात्राओं और प्रारंभिक यात्राओं की एक श्रृंखला की परिणति कह सकते हैं। यह थोड़ी देर में जारी किये जाने वाले संयुक्त बयान में भी परिलक्षित होता है। मैं यह भी उल्लेख करना चाहूँगा कि प्रधानमंत्री कल पूर्वी आर्थिक मंच पर एक प्रमुख भाषण देंगे, ताकि कुछ ऐसा होगा जिसे आप और हम सभी पसंद करें।

धन्यवाद।

प्रवक्ता : धन्यवाद महाशय! मैं अब प्रश्नोत्तर सत्र आरंभ करता हूँ।

प्रश्न : धन्यवाद, मेरा प्रश्न यह है कि आज कई वाणिज्यिक समझौतों का आदान-प्रदान किया गया था, महाशय, क्या आप हमें उनका विवरण दे सकते हैं?

प्रश्न : महोदय, मैनपावर एक्सपोर्ट को लेकर आखिर क्या बात हुई, किस तरह से इसमें आगे बढ़ने की कोशिश करेंगे। और एलएनजी को लेकर क्या टाइम फ्रेम देख रहे हो आप लोग?

प्रश्न : अगर मुझे सही से याद है, तो हमारे पहले के एलएनजी समझौते ने काम नहीं किया। तो क्या यह उसकी जगह ले रहा है या अतिरिक्त है?

विदेश सचिव : वाणिज्यिक समझौते अनिवार्य रूप से कल पूर्वी आर्थिक मंच के समय होने जा रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे साथ एक बड़ा व्यापार प्रतिनिधिमंडल है। हमारे पास एक पवेलियन भी है। लेकिन हमारी समझ यह है कि कल 30 से अधिक वाणिज्यिक समझौतों पर हस्ताक्षर होने जा रहे हैं। यह संख्या बढ़ सकती है, कुछ पर अभी भी बातचीत चल रही है। मेरे पास विशेष रूप से विवरण नहीं है, जिसे हम निश्चित रूप से आपके साथ साझा कर सकते हैं। लेकिन मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा है कि यह तथ्य है कि व्यावसायिक समझौते सरकारी समझौतों से अधिक हो गए हैं, यह एक अच्छा संकेत है क्योंकि अंततः भारत और रूस के बीच आर्थिक और वाणिज्यिक संबंध तभी बढ़ेंगे जब इस प्रक्रिया में वाणिज्यिक और व्यावसायिक भागीदारी होगी। प्रधानमंत्री इस तथ्य से बहुत प्रोत्साहित हैं कि हमारे पास एक गंभीर प्रतिनिधिमंडल है जो व्यापार और उद्योग की ओर से आया है और हम बहुत अधिक संख्या में समझौतों पर हस्ताक्षर करने जा रहे हैं।

जनशक्ति निर्यात और एलएनजी की समय सीमा के संबंध में दूसरे प्रश्न पर, मैं हमारे राजदूत से उत्तर देने का अनुरोध करता हूँ।

राजदूत : जनशक्ति निर्यात पर, सिद्धांत में एक समझौता है कि भारत सुदूर-पूर्व के लिए जनशक्ति निर्यात का एक बहुत ही आकर्षक स्रोत है। प्रधानमंत्री ने इसका प्रस्ताव किया और राष्ट्रपति पुतिन ने इसका समर्थन किया है। हम इस मुद्दे पर काम करेंगे कि हम किस तरह से वीजा, वर्क परमिट वीजा, आवश्यक कानूनी सुविधा, विशेष रूप से सुदूर-पूर्व में भारतीय और रूसी कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम के साथ लिंक की सुविधा प्रदान करेंगे। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ेंगे, अधिक विवरण आते जाएंगे।

एलएनजी पर, रूस पहले से ही भारत को एलएनजी आपूर्ति करने वाले स्रोतों में से एक है। एलएनजी आपूर्ति बढ़ाने का विचार है। इस बिंदु को बार-बार उठाया गया है कि इस अशांत दुनिया में और पाइपलाइनों से जुड़े जोखिमों को देखते हुए, एलएनजी आपूर्ति का अधिक कुशल होना एक बिंदु है, जो प्रतिबिंबित हो रहा है। एलएनजी रूस से किये जाने वाले ऊर्जा के निर्यात का एक प्रमुख रूप भी है। वीसी रूस एक बहुत ही विश्वसनीय दीर्घकालिक साझेदार है।

इसलिए, जब पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने पिछले सप्ताह मास्को का दौरा किया है, हमारे पास कार्रवाई का एक कार्यक्रम और सहयोग का एक पाँच वर्ष का समझौता था, जिसमें एलएनजी आंकड़े बहुत प्रमुखता से शामिल हैं और जिसमें रूस के ऊर्जा क्षेत्रों में, जहाँ एलएनजी के स्रोत मिलना संभव हैं, निवेश के अवसरों, एलएनजी के परिवहन, भारत में एलएनजी और सीएनजी के पुनर्विकास और उपयोग पर भारत के विचार शामिल हैं। यह क्षेत्र बहुत विशाल है और हम निश्चित रूप से कह सकते हैं कि रूस से एलएनजी और विशेष रूप से गैस हमारे ऊर्जा मिश्रण में और अधिक प्रमुखता से आगे बढ़ेंगे।

विदेश सचिव : मैं केवल राजदूत की बात के पूरक के तौर पर कुछ कह सकता हूँ। हमारे लिए ईरान अनेक वर्षों से ऊर्जा का एक बहुत ही विश्वसनीय प्रमुख आपूर्तिकर्ता है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि हमें ईरान या किसी अन्य देश के साथ अपने संबंधों का विरोध करना चाहिए। भारत में ऊर्जा की खपत बढ़ रही है, इसे बढ़ाना होगा। यदि हमारा उद्देश्य 5 खरब की अर्थव्यवस्था तक पहुँचने का है तो हमें 7-8% की दर से बढ़ना है। इसलिए हम अतिरिक्त संसाधनों में विविधता लाने और जोड़ने की आशा कर रहे हैं। रूस एक प्रमुख एलएनजी उत्पादक है। हम अपने एलएनजी निर्यात को बढ़ाने के लिए तत्पर हैं। यह दूसरों की कीमत पर नहीं है। मुझे दो अन्य बिंदुओं का भी उल्लेख करना चाहिए। हम बाहरी अंतरिक्ष में सहयोग से बहुत खुश हैं और विशेष रूप से हाल ही में हमने गगनयान कार्यक्रम के लिए अपने अंतरिक्ष यात्रियों के रूस द्वारा प्रशिक्षण के लिए एक समझौते को अंतिम रूप दिया है और उस पर हस्ताक्षर किए हैं। इसलिए यह महत्वपूर्ण है। दूसरी बात यह है कि, जैसा कि आप जानते हैं दोनों नेता पर्यावरण और विशेष रूप से बाघ संरक्षण को बहुत अधिक महत्व देते हैं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को अवगत कराया कि पिछले एक दशक में भारत में बाघों की आबादी में काफी वृद्धि हुई है। वे साइबेरियाई बाघों के संरक्षण में राष्ट्रपति पुतिन की विशेष रुचि के बारे में जानते हैं। यह निर्णय लिया गया है कि अगले वर्ष भारत और रूस बाघ संरक्षण को आगे बढ़ाने के लिए एक द्विपक्षीय मंच आयोजित करेंगे। इसलिए पर्यावरण और जैव विविधता के परिप्रेक्ष्य में यह महत्वपूर्ण है, आपको याद होगा कि प्रधानमंत्री ने पिछले सप्ताह जी7 आउटरीच में जब जैव विविधता पर सम्मेलन को पूरा करने के लिए भारतीय प्रतिबद्धता की बात की थी, तब भी इसका उल्लेख किया था और यह भी बताया था कि हमने वनस्पति और जीवों को संरक्षित करने के लिए क्या किया था।

धन्यवाद!

प्रश्न : प्रधानमंत्री ने कहा कि हम अपने संबंधों को राजधानियों से परे और अन्य क्षेत्रों और राज्यों तक ले जा रहे हैं। हम जानते हैं कि चार मुख्यमंत्री उस समय मंच पर मौजूद थे, जिन्होंने हाल ही में, अगस्त में प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व किया था, लेकिन इस शिखर सम्मेलन की इस बैठक में जो हुआ वह इससे परे है।

प्रश्न : महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर कोई स्टैम्प जारी किया जायेगा, ये कब होगा?

विदेश सचिव : धन्यवाद! मुझे लगता है कि यह आज की चर्चाओं का एक अत्यंत महत्वपूर्ण पहलू है, हमें दोनों देशों के बीच केवल संघ की संघीय सरकार से संबंधों में विविधता लाने की आवश्यकता है, हम इसे राज्यों के बीच बढ़ाना चाहते हैं। जब व्लादिवोस्तोक में वाणिज्य और उद्योग मंत्री के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल आया था तब वास्तव में यह हुआ कि उन्होंने सुदूर-पूर्व के रूसी प्रांतों के ग्यारह राज्यपालों के साथ भेंट की और कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। अब हमने रूसी पक्ष से ग्यारह राज्यपालों को भारत भेजने के लिए आमंत्रण दिया है। जब इसके विवरण आएंगे तब हम उन पर काम करेंगे। विचार यह है कि, हम प्रांत से प्रांत, राज्य से राज्य के संबंधों के लिए एक मंच बनाएं और फिर उसके आधार पर व्यापार से व्यापार के संबंधों का निर्माण करें। दोनों नेताओं द्वारा इसकी विस्तृत समीक्षा की गई थी कि दोनों पक्षों द्वारा की गई तैयारियों पर पिछले महीने की उस यात्रा के क्या परिणाम थे। जैसा कि आप जानते हैं उप प्रधानमंत्री ट्रुटनेव ने जून में भारत का दौरा किया है, जिन पर सुदूर-पूर्व क्षेत्र की जिम्मेदारी है। अगस्त की यात्रा के परिणाम पर आम तौर पर संतुष्टि थी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को समझाया कि यह अद्वितीय है। हमने किसी अन्य देश के साथ ऐसा नहीं किया है। चार मुख्यमंत्रियों, 150 प्रतिनिधियों वाले व्यापार प्रतिनिधिमंडल और वाणिज्य और उद्योग मंत्री को किसी एक देश में नहीं भेजा गया है। अब हम रूसी पक्ष से ग्यारह राज्यपालों को किसी संघीय समर्थन या संघीय मंत्री के साथ भारत भेजने की आशा करते हैं और हमें पूरा विश्वास है कि व्लादिवोस्तोक की इस यात्रा में एक तरह के महत्वपूर्ण जनसमूह का निर्माण हुआ है। मैं अपने सहयोगी से महात्मा गांधी की मोहर से संबंधित प्रश्न का उत्तर देने का आग्रह करता हूँ।

राजदूत : महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के शुभ अवसर पर, रूसी सरकार ने एक विशेष स्मारक टिकट जारी करने का निर्णय लिया है। यह जीएसपीएस मार्का द्वारा जारी किया जा रहा है और यदि आप आज दोपहर प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति पुतिन द्वारा संबोधित की जा रही प्रेस वार्ता में थे, तो राष्ट्रपति पुतिन ने अपनी टिप्पणी में इसका संदर्भ दिया था। इसलिए हम अपने राष्ट्रपिता की 150वीं जयंती पर उन्हें सम्मानित करने के लिए रूस के आभारी हैं।

प्रश्न : हमें व्यापार वीजा प्राप्त करने में परेशानी होती है और क्या वह मुद्दा उठाया गया था? जनशक्ति के निर्यात की स्थिति कैसी है ………………..?

विदेश सचिव : मुझे नहीं लगता कि व्यापार वीजा और जनशक्ति निर्यात के बीच कोई संबंध है। जनशक्ति निर्यात उसी तरह से किया जाएगा जैसा हमने अन्य देशों के साथ एक अंतर सरकारी समझौते के माध्यम से किया है। कुछ देशों के साथ हमने श्रम समझौता किया है, अन्य विकसित देशों के साथ कुशल और अकुशल श्रमिकों की श्रेणी के आधार पर हमारा प्रवासन और गतिशीलता साझेदारी समझौता हुआ है। हम मसौदे के आदान-प्रदान की प्रक्रिया में हैं। और आज हमें रूसी पक्ष से एक बहुत ही सकारात्मक संकेत मिला कि वे भारतीय जनशक्ति के निर्यात पर विचार करने के लिए तैयार थे और प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि भारतीय जनशक्ति को उनके अनुशासित रवैये और व्यवहार के लिए बहुत सम्मान दिया जाता है, यह एक ऐसी बात है जिसे उन्होंने पिछले सप्ताह अपनी बहरीन और यूएई की यात्रा के समय भी कहा था। इसलिए हम विचारों का एक सम्मिलन देखते हैं और आशा करते हैं कि इसका निर्णय किया जाएगा।

व्यापारिक वीजा एक पूरी तरह से अलग मामला है। प्रधानमंत्री कह रहे थे कि अगर हमें 6-10 वर्षों में 11 अरब से 30 अरब की ओर बढ़ना है तो यही समय है जब हमें ऐसा करना चाहिये। यह आसान सुविधा भारतीय नागरिकों को दी जाती है और निश्चित रूप से हम आशा करेंगे कि रूसी पक्ष की ओर से भी इसी तरह का या कुछ उदारीकरण होगा।

प्रश्न : क्या कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा हुई?

विदेश सचिव : हाँ, यह मुद्दा सामने आया। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को सरकार के फैसले के पीछे के तर्क के बारे में विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने इस विषय पर दी जा रही झूठी और भ्रामक जानकारी के बारे में भी बताया। प्रधानमंत्री ने इस मुद्दे पर भारत को बहुत स्पष्ट और मजबूत समर्थन देने के लिए रूस और राष्ट्रपति पुतिन को धन्यवाद दिया। इसलिए कुल मिलाकर मुझे लगता है कि उनके बीच एक बहुत ही उपयोगी विचार विनिमय हुआ और हम समझते हैं कि रूस इस मामले में बहुत मजबूती से भारत के साथ खड़ा है।

प्रवक्ता : धन्यवाद महोदय!

हम व्लादिवोस्तोक से इस विशेष प्रेस वार्ता का समापन करते हैं। कल का दिन प्रधानमंत्री के लिये काफी व्यस्तता का है। अगर हमें समय मिला, तो हम कार्यक्रम के समाप्त होने, हमारे जाने से पहले एक और प्रेस वार्ता करेंगे।

धन्यवाद!



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