यात्रायें

Detail

प्रधानमंत्री की व्लादिवोस्तोक यात्रा के समय भारत-रूस संयुक्त वक्तव्य

सितम्बर 05, 2019

"विश्वास और भागीदारी के माघ्यम से सहयोग की नई ऊँचाइयों पर पहुँचते हुए"

  • भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री महामहिम नरेंद्र मोदी ने रूसी संघ के राष्ट्रपति महामहिम पुतिन के निमंत्रण पर 4 सितंबर, 2019 को रूसी संघ की आधिकारिक यात्रा की। बीसवाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन व्लादिवोस्तोक में आयोजित किया गया था। महामहिम श्री नरेंद्र मोदी ने मुख्य अतिथि के रूप में पाँचवें पूर्वी आर्थिक मंच में भी भाग लिया।
  • दोनों नेताओं ने बीसवें वार्षिक शिखर सम्मेलन में, भारत और रूस की विशेष और विशेषाधिकृत सामरिक साझेदारी के प्रगतिशील विकास का उल्लेख किया। ये संबंध सहयोग से सभी संभावित क्षेत्रों को शामिल करते हुए अद्वितीय, सहज रूप से विश्वासी और पारस्परिक रूप से लाभकारी हैं। ये संबंध समान सभ्यतागत मूल्यों, समय-परीक्षित मित्रता, आपसी समझ, विश्वास, साझा हितों और आर्थिक विकास और विकास के बुनियादी मुद्दों की निकटता पर आधारित हैं। दोनों राष्ट्रों के नेताओं की नियमित बैठकें इस साझेदारी के ज्वलंत प्रमाण हैं, इनमें विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों और सभी स्तरों पर द्विपक्षीय संपर्कों की बढ़ती गति शामिल हैं।
  • भारत-रूस संबंधों ने समकालीन दुनिया की अशांत वास्तविकताओं का सफलतापूर्वक सामना किया है। ये बाहरी प्रभाव से कभी भी अतिसंवेदनशील नहीं हुए और आगे भी नहीं होंगे। भारत-रूस संबंधों के संपूर्ण परिदृश्य का विकास दोनों देशों की विदेश नीति की प्राथमिकता है। नेताओं ने सभी संभव तरीकों से हमारी रणनीतिक साझेदारी की प्रभावशाली क्षमताओं का अनुसंधान करने और उसे सुविधान्वित करने के लिए सहमति व्यक्त की। यह साझेदारी अपनी विशेष और विशेषाधिकृत प्रकृति का प्रदर्शन करती है और एक जटिल अंतर्राष्ट्रीय स्थिति में स्थिरता के लंगर के रूप में उभरी है।
  • दोनों पक्षों ने अपनी संसदों के बीच गहन सहयोग का स्वागत किया और परस्पर-सहभागिता संबंधों के महत्व को द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण घटक माना। उन्होंने दिसंबर 2018 में राज्य ड्यूमा के अध्यक्ष की भारत यात्रा पर प्रकाश डाला और 2019 में लोकसभा अध्यक्ष की रूस यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
  • दोनों पक्ष भारत-रूस संबंधों की सीमा का और विस्तार करने के लिए मजबूत, बहुमुखी व्यापार और आर्थिक सहयोग के आधार को प्राथमिकता देते हैं।
  • दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग के प्रगतिशील विकास को सुनिश्चित करने वाले व्यापारिक, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग के काम की सराहना की।
  • दोनों पक्षों ने व्यापार की स्थिर पारस्परिक वृद्धि पर संतोष व्यक्त किया। वे 2025 तक इसे 30 बिलियन अमरीकी डॉलर तक पहुँचाने के लिए, भारत और रूस के प्रभावशाली मानव संसाधनों को अधिक सक्रिय रूप से संलग्न करने, औद्योगिक सहयोग बढ़ाने, नई तकनीकी और निवेश साझेदारी बनाने, विशेष रूप से उन्नत उच्च-तकनीकी क्षेत्रों में शामिल होने और नए रास्ते खोजने तथा सहयोग करने के लिए सहमत हुए हैं।
  • दोनों पक्षों ने "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम में रूसी व्यापार साझेदारी बढ़ाने और रूस की निवेश परियोजनाओं में भारतीय कंपनियों की भागीदारी का विस्तार करने में अपनी रुचि व्यक्त की। इस संदर्भ में, वे भारत-रूस अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर करने की तैयारियों को गति देने और निवेश के सहमत संरक्षण पर सहमति ब्यक्त की।
  • दोनों पक्ष द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से प्रतिबंधात्मक उपायों को कम करने पर विचार करने के लिए सुरक्षित व्यापार, सीमा शुल्क और प्रशासनिक बाधाओं सहित आपसी व्यापार में आनेवाली बाधाओं को खत्म करने के लिए संयुक्त कार्य को तेज करने पर सहमत हुए। अन्य बातों के साथ, इसे यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (ईएईयू) और भारतीय गणराज्य के बीच प्रस्तावित व्यापारिक समझौते द्वारा सुविधा प्रदान की जाएगी।
  • वे प्रासंगिक आयात और निर्यात प्रक्रियाओं को सामंजस्य पूर्ण और परिष्कृत करने के लिए, माल और सेवाओं में व्यापार की संरचना में सुधार करने, तकनीकी, सैनिटरी और फाइटोसैनिटरी आवश्यकताओं को सुव्यवस्थित और मानकीकृत करने पर सहमत हुए।
  • राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान के पारस्परिक समझौतों को बढ़ावा देने पर काम जारी रहेगा।
  • द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत के रूसी व्यापारिक मिशन मंच पर रूसी निर्यात केंद्र के साथ संयुक्त रूप से, मुंबई में स्थापित रूसी निर्यात सहायता समूह के कार्यालय का स्वागत किया गया। दोनों पक्षों ने रशिया प्लस डेस्क ऑफ इन्वेस्ट इंडिया द्वारा भारत में रूसी निवेश को प्रदान की गई निरंतर सुविधा का उल्लेख किया।
  • दोनों पक्षों ने शिखर सम्मेलन के समय व्यापार, आर्थिक और निवेश सहयोग को बढ़ाने के लिए इस वर्ष आयोजित किए गए सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम और भारत-रूस बिजनेस डायलॉग के योगदान पर ध्यान दिया।
  • दोनों नेताओं ने 10 जुलाई 2019 को नई दिल्ली में भारत-रूस रणनीतिक आर्थिक वार्ता के दूसरे संस्करण के आयोजन का स्वागत किया। रणनीतिक आर्थिक वार्ता दोनों देशों के बीच एक संरचित और निरंतर बातचीत के माध्यम से मुख्य क्षेत्रों में एकजुट करने और पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक आशाजनक तंत्र के रूप में उभरी है। इस वार्ता के आधार पर द्विपक्षीय व्यापारिक-आर्थिक और निवेश सहयोग को उन्नत करने के लिए, 2018-2019 में एक व्यापक रणनीति को विकसित किया और अपनाया गया है।
  • दोनों नेताओं ने रूस के सुदूर पूर्व के विकास के क्षेत्र में नई दिल्ली और मास्को के बीच सहयोग पर संतोष व्यक्त किया। सुदूर पूर्व क्षेत्र के, व्लादिवोस्तोक में हीरे की कटाई के क्षेत्र में मेसर्स केजीके और कोयला खनन में क्रुतोगोरोवो के कामचतको में मेसर्स टाटा पावर जैसी कई भारतीय कंपनियों को सफलतापूर्वक स्थापित किया गया है। रूसी पक्ष ने, भारतीय पक्ष की सुदूर पूर्वी क्षेत्र और साइबेरिया में आर्थिक और निवेश उपस्थिति का विस्तार करने की मंसा का स्वागत किया।
  • भारत रूस के सुदूर पूर्व के साथ सहयोग बढ़ाने के प्रयास कर रहा है। इसके पहले कदम के रूप में, लक्षित क्षेत्रों में अधिक से अधिक द्विपक्षीय जुड़ाव का पता लगाने के लिए भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री के नेतृत्व में चार भारतीय मुख्यमंत्रियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने, 12-13 अगस्त 2019 को पहली बार व्लादिवोस्तोक का दौरा किया। दोनों पक्ष भारत से सुदूर पूर्वी रूस तक कुशल मानव शक्ति की अस्थायी तैनाती पर सहयोग की खोज कर रहे हैं।
  • भारत आर्कटिक में रूस के साथ सहयोग करने के लिए तत्पर है। भारत रुचि सहित आर्कटिक क्षेत्र के विकास का अनुसरण कर रहा है और आर्कटिक परिषद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए भी तैयार है।
  • रूस ने अपनी ओर से, भारत में प्रमुख बुनियादी ढांचे और अन्य परियोजनाओं में भाग लेने के लिए अपनी तत्परता व्यक्त की। दोनों पक्षों ने हाल ही में, मुंबई में सुदूर पूर्व निवेश और निर्यात एजेंसी के कार्यालय के उद्घाटन का स्वागत किया और रूस के सुदूर पूर्व के साथ द्विपक्षीय व्यापार और आर्थिक संबंधों के विकास में इसके योगदान की आशा प्रकट की।
  • ऊर्जा उद्योग पारंपरिक रूप से दोनों देशों के बीच बातचीत का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है - यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें भारतीय और रूसी अर्थव्यवस्थाएँ एक-दूसरे के लिए लाभदायक हैं। असैन्य परमाणु सहयोग भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है। दोनों पक्षों ने कुडनकुलम में छह में से चार परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण में हो रही प्रगति की गति का उल्लेख किया। दोनों पक्ष दूसरी साइट पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने वीवीईआर1200 की रूसी डिजाइन और उपकरण और ईंधन के संयुक्त निर्माण पर तकनीकी क्षेत्रों में चल रही की निरंतरता का स्वागत किया।
  • दोनों पक्षों ने बांग्लादेश में रूपपुर एनपीपी के निर्माण में सफल सहयोग पर प्रकाश डाला और अन्य देशों में इसी तरह के सहयोग का विस्तार करने की अपनी तत्परता व्यक्त की।
  • दोनों नेताओं ने गैर-परमाणु ईंधन और ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग की अपार संभावनाओं पर ध्यान दिया। भारत और रूस जेएससी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी की सफलता और तेल और गैस सार्वजनिक क्षेत्र के कंसोर्टियम ऑफ वैंकॉर्नफेट और टास-युरखनेफिटेगाजोडोबाइखा परियोजनाओं, नायरा एनर्जी लिमिटेड ऑयल रिफाइनरी के काम, हाइड्रोकार्बन संसाधनों को निकालने में सहयोग और गज़प्रॉम और गेल इंडिया के बीच हुए समझौते के अंतर्गत गत दो दशकों से द्रवीभूत प्राकृतिक गैस की समय पर डिलीवरी का स्वागत करते हैं। दोनों पक्षों ने रूस के सुदूर पूर्व से भारत तक कोकिंग कोयले की आपूर्ति में सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों नेताओं ने अपतटीय क्षेत्र सहित, रूस और भारत में भूवैज्ञानिक अन्वेषण और तेल और गैस क्षेत्रों के संयुक्त विकास में सहयोग करने का निश्चय किया है। वे रूस से भारत को ऊर्जा पहुंचाने के तरीकों पर काम करना जारी रखेंगे, जिसमें रूसी कच्चे तेल के स्रोत पर एक दीर्घकालिक समझौता, उत्तरी समुद्री मार्ग का संभावित उपयोग और एक पाइपलाइन प्रणाली शामिल है। उन्होंने वाडिनार तेल रिफाइनरी की क्षमता बढ़ाने में नयारा एनर्जी लिमिटेड की संभावनाओं पर विचार किया। भारत और रूसने पनबिजली और तापीय ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता के साथ-साथ गैर-पारंपरिक स्रोतों से ऊर्जा बनाने वाली सुविधाओं की डिजाइन और निर्माण में सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं पर विचार करने के लिए सहमति व्यक्त की।
  • शिखर सम्मेलन के समय, 2019 से 2024 तक के लिए हाइड्रोकार्बन सहयोग के रोडमैप पर हस्ताक्षर के साथ, दोनों पक्ष अगले पाँच वर्षों में, इस क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को छूने के लिए द्विपक्षीय सहयोग की आशा करते हैं।
  • दोनों पक्ष भारत और रूस के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों के विकास को बढ़ावा देने के लिए, परिवहन बुनियादी ढांचे में सुधार पर काम करने की इच्छा रखते हैं। वे अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के विकास को बहुत महत्व देते हैं। आईएनएसटीसी में मुख्य रूप से माल की मात्रा निश्चित करने, परिवहन और रसद सेवाओं को संशोधित और उन्नत करने, दस्तावेजी कार्य प्रवाह को सरल बनाने और इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज़ कार्य प्रवाह में परिवर्तित करने, डिजिटल तकनीकों और उपग्रह नेविगेशन को परिवहन प्रक्रिया में शामिल करने पर जोर दिया जाता है।
  • दोनों पक्ष रेलवे के क्षेत्र में सहयोग स्थापित करने में अच्छी संभावना होने की आशा करते है। उन्होंने नागपुर-सिकंदराबाद खंड को गति देने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन की प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और रूसी सरकार की उस विकास परियोजना के कार्यान्वयन में भाग लेने की रुचि का उल्लेख किया। दोनों पक्ष इस संबंध में सक्रिय रूप से संलग्न रहेंगे।
  • दोनों पक्ष देशों के विभिन्न क्षेत्रों के बीच उड़ानों सहित प्रत्यक्ष यात्री और कार्गो उड़ानों की उपलब्धता की समीक्षा करने के लिए सहमत हुए।
  • वे परिवहन शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण और बुनियादी ढांचा परिवहन परियोजनाओं के लिए वैज्ञानिक समर्थन में आगे सहयोग करने की इच्छा रखते हैं।
  • दोनों पक्षों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में संयुक्त अनुसंधान के महत्व पर जोर दिया। वे दूरसंचार, रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, नैनोटेक्नोलोजी, फार्मेसी और अन्य क्षेत्रों में उच्च तकनीक वाले उत्पादों के विकास को तीव्र करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। नेताओं ने, इसके लिए नवाचार के क्षेत्र में सहयोग पर भारत गणराज्य के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के बीच समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने की सराहना की।
  • रूसी पक्ष ने 2018 ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन के परिणामों की सराहना की, जिसने यह स्थापित किया कि भारत में 2967 बाघों के साथ बाघों की वैश्विक आबादी का 75% है। भारतीय पक्ष ने 2022 में द्वितीय अंतर्राष्ट्रीय बाघ संरक्षण मंच (इसे दूसरा टाइगर शिखर सम्मेलन भी कहा जाता है, पहला शिखर सम्मेलन 2010 में सेंट-पीटर्सबर्ग में आयोजित) आयोजित करने के लिए रूसी पक्ष की पहल का स्वागत किया। बाघ संरक्षण के प्रयासों में अपनी नेतृत्व की भूमिका को स्वीकार करते हुए, दोनों पक्षों ने 2020 में व्याघ्र रेंज देशों, संरक्षण भागीदारों और अन्य हितधारकों को शामिल करते हुए टाइगर फोरम इंडिया का आयोजन करने पर सहमति व्यक्त की।
  • सहयोग को बढ़ावा दिए जाने वाले क्षेत्रों में विमानन और अंतरिक्ष शामिल हैं। दोनों पक्षों ने नागरिक विमानों के विकास और उत्पादन के लिए भारत में संयुक्त उद्यम स्थापित करने की संभावनाओं का पता लगाने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों पक्षों ने मानव सहित अंतरिक्ष यान कार्यक्रमों और उपग्रह नेविगेशन सहित "रोस्कोस्मोस” स्टेट स्पेस कॉर्पोरेशन और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के बीच सहयोग में वृद्धि का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए अंतरिक्ष यान के विकास, निर्माण और उपयोग शुरू करने में भारत और रूस की अधिक से अधिक संभावनाओं का दोहन करना आवश्यक है, साथ ही शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष का अनुसंधान और उपयोग भी शामिल है।
  • दोनों पक्षों ने हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन की रूपरेखा के भीतर भारत के पहले मानवयुक्त मिशन "गगनयान" के लिए रूसी पक्ष के समर्थन पर सक्रिय रूप से किए गए कार्य का स्वागत किया।
  • दोनों पक्ष बाहरी अंतरिक्ष गतिविधियों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने और "स्पेस 2030" की कार्यसूची और कार्यान्वयन योजना को विकसित करने के साथ संयुक्त राष्ट्र अंतरिक्ष समिति (यूएन कार्प्स) के शांतिपूर्ण उपयोग पर संयुक्त समिति के भीतर सहयोग को मजबूत करने की इच्छा रखते हैं।
  • वे हीरा उद्योग में सहयोग को बहुत महत्व देते हैं। दोनों पक्षों द्वारा भारत में पीजेएससी अलरोसा कार्यालय की सफल गतिविधि पर ध्यान दिया गया। उन्होंने रफ डायमंड ट्रेडिंग सिस्टम को बढ़ाने और प्राकृतिक हीरों की इक्विटी की सुरक्षा के उद्देश्य से इस क्षेत्र में विनियामक वातावरण को बेहतर बनाने के तरीके खोजने में अपनी रुचि बताई है।
  • दोनों पक्षों ने कृषि क्षेत्र में द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के अवसरों को स्वीकार किया। वे इस क्षेत्र में कानूनी ढांचे को सुधारने के लिए विशिष्ट कदम उठाने और फाइटोसेनिटरी मानकों में सामंजस्य स्थापित करने, लॉजिस्टिक्स विकसित करने, अपने देशों के बाजारों में कृषि वस्तुओं को बढ़ावा देने के नए तरीके खोजने और एक-दूसरे की क्षमताओं और जरूरतों का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने की इच्छा व्यक्त की। ग्रीन कॉरिडोर तंत्र दो सीमा शुल्क प्रशासनों के बीच सूचना के आगमन-पूर्व विनिमय की परिकल्पना करता है। यह वर्धित जोखिम प्रबंधन के माध्यम से माल की तेजी से निकासी में मदद करेगा। इस प्रकार यह व्यापार सुगमता में काफी सुधार करेगा।
  • सैन्य और सैन्य-तकनीकी क्षेत्रों में भारत-रूस का घनिष्ठ सहयोग उनके द्विपक्षीय विशेष और विशेषाधिकृत सामरिक साझेदारी का एक स्तंभ है। दोनों पक्षों ने नियमित सैन्य संपर्कों और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के संयुक्त अभ्यास पर अपनी संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने सैन्य और तकनीकी सहयोग के लिए 2011-2020 दीर्घकालिक कार्यक्रम के सफल कार्यान्वयन का स्वागत किया। उन्होंने क्षेत्र में बातचीत की एक नई दीर्घकालिक योजना के विकास को गति देने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों पक्षों ने अपने रक्षा सहयोग को उन्नत करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिसमें सैन्य उपकरणों, घटकों और स्पेयर पार्ट्स के संयुक्त विकास और उत्पादन को बढ़ावा देना, बिक्री के बाद सेवा प्रणाली में सुधार करना और दोनों देशों के सशस्त्र बलों के नियमित संयुक्त प्रशिक्षण को बनाए रखना शामिल है।
  • दोनों पक्ष प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उद्यमों की स्थापना द्वारा मेक-इन-इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत हथियारों और रक्षा उपकरणों के लिए रूसी मूल के स्पेयर पार्ट्स, घटकों, समुच्चय और अन्य उत्पादों के संयुक्त निर्माण को बढ़ावा देने के लिए चल रही संबद्धता को बढ़ावा देने के लिए सहमत हैं।
  • दोनों पक्ष अपने द्विपक्षीय सहयोग के विकास के लिए अनुकूल परिस्थितियां बनाने की इच्छा रखते हैं और सशस्त्र बलों को लॉजिस्टिक्स सहायता और सेवाओं के पारस्परिक प्रावधान के लिए एक संस्थागत व्यवस्था की आवश्यकता को स्वीकार करते हैं। आपसी लॉजिस्टिक्स समर्थन पर सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार करने पर सहमति हुई है।
  • दोनों पक्षों ने सैन्य संवाद, संयुक्त सैन्य अभ्यास, स्टाफ-वार्ता, एक-दूसरे के सैन्य संस्थानों में प्रशिक्षण और पारस्परिक रूप से सहमति वाले अन्य क्षेत्रों के माध्यम से सेना-से-सेना का सहयोग बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्षों ने कहा कि इस वर्ष, भारत में दूसरा संयुक्त त्रि-सेवा अभ्यास इंद्र-2019 आयोजित किया जाएगा।
  • दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम के कार्यान्वयन की सराहना की, जो भारत और रूस के लोगों को प्रत्यक्ष रूप से एकजुट करने में मदद करता है। वे भारत में रूसी संस्कृति और रूस में भारतीय संस्कृति के पारस्परिक उत्सवों के साथ-साथ भारत में रूसी फिल्म समारोहों और रूस में भारतीय फिल्म समारोहों के पारस्परिक रूप से आयोजित करने के सफल अभ्यास को जारी रखने के लिए सहमत हुए। दोनों पक्षों ने 20-28 नवंबर, 2019 को गोवा में आयोजित होने वाले 50वें अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में रूस के भागीदार देश होने का स्वागत किया। सांस्कृतिक आदान-प्रदान के भौगोलिक विस्तार और युवाओं और लोक कला समूहों की अधिक से अधिक भागीदारी और रूस में भारत और हिंदी को व्यापक रूप से बढ़ावा देने के लिए प्रासंगिक शैक्षिक संस्थानों के बीच संपर्क विकसित करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की गई।
  • दोनों पक्ष शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग की गहनता का स्वागत करते हैं। वे विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के बीच सीधे संपर्क की स्थापना को बढ़ावा देना जारी रखेंगे। अकादमिक प्रमाणिकता की पारस्परिक मान्यता पर द्विपक्षीय अंतर-सरकारी समझौते इन गतिविधियों को गति प्रदान करेंगे। उन्होंने समझौतों की तैयारी पर काम में तेजी लाने के लिए भी सहमति व्यक्त की।
  • दोनों पक्षों ने भारतीय गणराज्य के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और रूसी संघ की संस्थाओं के बीच सहयोग को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया और कहा कि उनके बीच अपने संबंधित मंत्रालयों द्वारा समन्वित एक मंच का आयोजन करने की इच्छा रखते है। दोनों पक्ष भारत के राज्यों और रूस के प्रांतों के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक आदान-प्रदान स्थापित करने के लिए सहमत हुए। वे मौजूदा संबंधों को एक नया प्रोत्साहन देने और नए संबंध बनाने के लिए जुड़वां शहरों के प्रारूप को और विकसित करने पर सहमत हुए।
  • भारत-रूस पर्यटन संबंध तेजी से विकसित हो रहे हैं, ये विशेष रूप से विकसित विशेष और विशेषाधिकृत रणनीतिक साझेदारी और आपसी समझ के संबंधों को और मजबूत करने का काम करेंगे। दोनों पक्षों ने इस क्षेत्र में सहयोग को गहरा करने के लिए सहमति व्यक्त की।
  • दोनों पक्ष, वीजा औपचारिकताओं के प्रगतिशील सरलीकरण, विशेष रूप से, रूसी नागरिकों सहित एक वर्ष के लिए व्यापार और पर्यटन उद्देश्यों के लिए ई-वीजा सुविधा की अवधि के विस्तार और केलिनिनग्राद और व्लादिवोस्तोक क्षेत्र का दौरा करने वाले भारतीय नागरिकों के लिए मुक्त इलेक्ट्रॉनिक वीजा की शुरूआत का स्वागत करते हैं। वे भविष्य में वीजा व्यवस्था को सरल बनाने पर काम जारी रखने पर सहमत हुए।
  • दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के साथ-साथ अपने देशों के बीच उच्च स्तरीय राजनीतिक संवाद और सहयोग का उल्लेख किया तथा इसे और गहरा बनाने पर सहमति व्यक्त की।
  • दोनों पक्ष विश्व मामलों में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वयक की भूमिका सहित बहुपक्षवाद को मजबूत करने की अनिवार्यता पर बल देते हैं। दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय कानून की प्रधानता और संयुक्त राष्ट्र चार्टर में उल्लिखित उद्देश्यों और सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता पर जोर देते हैं, जिसमें सदस्य राज्यों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की अक्षमता भी शामिल है।
  • दोनों पक्ष इस दृष्टिकोण को साझा करते हैं कि वास्तव में सार्वभौमिक रूप से मान्यता प्राप्त सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के नियमों के कार्यान्वयन में दोहरे मानकों या कुछ राष्ट्रों के अन्य राष्ट्रों पर अपनी इच्छा थोपने की प्रथा को शामिल नहीं किया गया है, और मानते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित न होने वाले एकतरफा जबरदस्ती के उपायों को थोपना ऐसे अभ्यास का एक उदाहरण है।
  • दोनों पक्षों ने यूएनएससी को समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने और अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिए, इसे अधिक प्रतिनिधित्व पूर्ण बनाने के लिए यूएनएससी में सुधार करने का आह्वान किया।
  • रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करना जारी रखेगा।
  • दोनों पक्षों ने ब्रिक्स के भीतर बहुक्षेत्रीय साझेदारी को मजबूत करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई और नवंबर 2019 में ब्राजील में आयोजित होने वाले 11वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की सफलता का पूरी तरह से समर्थन करने के लिए सहमत हुए।
  • भारत और रूस सर्वसम्मति से शंघाई सहयोग संगठन की महान क्षमता को स्वीकार करते हैं। भारत और रूस संगठन को समान और अविभाज्य सुरक्षा के आधार पर उभरते बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में और मजबूत करने के लिए 2019-2020 में, रूस के एससीओ प्रेसीडेंसी ढांचे सहित आपसी बातचीत में वृद्धि करेंगे।
  • दोनों पक्ष विशेष रूप से एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद-रोधी संरचना की कार्यक्षमता में सुधार कर आतंकवाद, उग्रवाद, नशीली दवाओं की तस्करी, सीमा पार से संगठित अपराध और सूचना सुरक्षा खतरों की प्रभावशीलता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
  • दोनों पक्ष एससीओ के भीतर यूरेशिया में अधिक से अधिक, न्यायसंगत, खुले और पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के निर्माण के लिए, मुख्य रूप से परिवहन और रसद, बुनियादी ढांचे, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार में आर्थिक सहयोग के विस्तार को बढ़ावा देंगे। हम एससीओ प्रारूप के भीतर सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को गहरा करने के लिए दृढ़ हैं।
  • दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय मामलों में एससीओ की बढ़ी हुई भूमिका, संयुक्त राष्ट्र और उसकी विशिष्ट एजेंसियों, सीएसटीओ, सीआईएस, आसियान और अन्य बहुपक्षीय संगठनों और संघों के साथ संगठन के संपर्कों के व्यापक विकास का समर्थन करते हैं। इस संदर्भ में, वे एससीओ और यूरेशियन आर्थिक संघ के बीच आधिकारिक संबंधों की स्थापना का समर्थन करते हैं।
  • दोनों पक्ष आरआईसी के ढांचे के भीतर सहयोग तेज करने, अंतर्राष्ट्रीय कानून पर ध्यान देते हुए वैश्विक और क्षेत्रीय एजेंडे पर मुद्दों को उठाने के लिए साझा दृष्टिकोणों को बढ़ावा देने, संरक्षणवाद और एकतरफा प्रतिबंधों को लगाने और आतंकवाद तथा अन्य नए खतरों और चुनौतियों का मुकाबला करने की इच्छा रखते हैं। इस प्रारूप में राष्ट्र/सरकार के प्रमुखों, विदेश मंत्रियों और यदि आवश्यक हो, तो अन्य एजेंसियों के प्रमुखों के स्तर पर नियमित बैठकें जारी रहेंगी।
  • हम जी-20 और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच समन्वय में सुधार करने और प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों के शीघ्र समाधान को सुविधान्वित करने के लिए सहमत हुए। दोनों पक्षों ने जी-20 और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर वैश्विक और पारस्परिक हित के मुद्दों पर सहयोग को गहरा करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
  • नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में इसकी कड़ी निंदा की और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इस बुराई से लड़ने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने आतंकवाद को रोकने और उससे निपटने के सभी उपाय करने की अपनी प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की। उन्होंने शंघाई सहयोग संगठन के स्टेट काउंसिल के प्रमुखों की बैठक की बिश्केक घोषणा का स्वागत किया। उन्होंने आतंकवाद और उग्रवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों की अमान्यता के साथ-साथ राजनीतिक उद्देश्यों के लिए इनके उपयोग पर जार दिया। दोनों नेताओं ने आतंकवादी उद्देश्यों के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग के खिलाफ संघर्ष को मजबूत करने सहित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी सहयोग के ढांचे के भीतर राष्ट्रों के प्रयासों को समन्वित करने का आह्वान किया। वे द्विपक्षीय और बहुपक्षीय प्रारूपों में आतंकवाद-रोधी सहयोग को तेज करने पर सहमत हुए और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को जल्द अंतिम रूप देने का आह्वान किया। दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र के तीन प्रासंगिक सम्मेलनों के आधार पर वर्तमान अंतर-राष्ट्र ड्रग नियंत्रण नियम को मजबूत करने के लिए अपनी पारस्परिक प्रतिबद्धता की पुष्टि की। आज कोई भी देश आतंकवाद की छाया से मुक्त नहीं है। भारत और रूस के लिए आतंकवाद-रोधी प्रयासों में एकजुट होना आवश्यक है। रूस ने, भारत के वैश्विक आतंकवाद विरोधी सम्मेलन आयोजित करने के प्रस्ताव पर ध्यान दिया।
  • दोनों पक्ष बहुपक्षीय विशिष्ट वार्ता मंचों और मुख्य रूप से संयुक्त राष्ट्र में दोनों देशों के बीच सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग के स्तर की सराहना करते हैं। इस पर ध्यान दिया गया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र के परिणाम के आधार पर, दिसंबर 2018 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाए गए जिम्मेदार आचरण के अंतर्राष्ट्रीय नियमों, मानदंडों और सिद्धांतों के एक सेट और आपराधिक उद्देश्यों के लिए आईसीटी के उपयोग का मुकाबला करने सहित सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों की सुरक्षा पर एक विस्तृत चर्चा (आईसीटी) आरंभ की गई है।
  • उन्होंने संघ के सदस्य राष्ट्रों के बीच प्रासंगिक अंतर सरकारी समझौतों के निष्पादन के माध्यम से आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा के क्षेत्र में ब्रिक्स देशों के बीच सहयोग के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • दोनों पक्षों ने आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा प्रदान करने के दृष्टिकोणों की समानता की पुष्टि की और आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा सहयोग पर भारत-रूस अंतर-सरकारी समझौते के कार्यान्वयन के माध्यम से द्विपक्षीय अंतर-एजेंसी व्यावहारिक सहयोग को मजबूत करने की इच्छा प्रकट की।
  • उन्होंने 2019-2020 के लिए सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग में भारत और रूस के बीच सहयोग की मुख्य दिशाओं को लागू करने की योजना के अनुसार द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाने का संकल्प लिया है। दोनों पक्ष अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा वातावरण को बेहतर बनाने के साथ-साथ राष्ट्रों के परस्पर विश्वास के स्तर को बढ़ाने और वैश्विक और क्षेत्रीय स्थिरता के सभी पहलुओं में इसे मजबूत करने के लिए स्थायी विश्वास के आधार के रूप में सभी राष्ट्रों के हितों और चिंताओं का सम्मान करते हुए सभी के लिए समान और अविभाज्य सुरक्षा के सिद्धांत पर आधारित शांति को स्थायी बनाने के प्रयासों को जारी रखने की आवश्यकता पर बल देते हैं।
  • उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय और रूसी संघ की सुरक्षा परिषद के माध्यम से सभी सुरक्षा मुद्दों पर गहन संपर्क बनाए रखने के लिए सहमति व्यक्त की।
  • दोनों पक्षों ने बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों को जमा करने की होड़ और बाहरी अंतरिक्ष को सैन्य टकराव के एक अखाड़े में परिवर्तित होने की संभावना के बारे में चिंता व्यक्त की। इस बात की फिर से पुष्टि की गई कि बाहरी अंतरिक्ष (पीएआरओएस) में हथियारों की दौड़ को रोकने से अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे को रोकना संभव होगा और उन्होंने इस दिशा में प्रयास जारी रखने की इच्छा प्रकट की। वे अंतर्राष्ट्रीय शांति और स्थिरता का समर्थन करने, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने और आपसी समझ सहित बाहरी अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग के लिए मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय कानूनी समझौतों के कड़ाई से अनुपालन के महत्व पर जोर देते हैं।
  • दोनों पक्षों ने पृथ्वी की कक्षा में किसी भी हथियार को न रखने की विश्वसनीय गारंटी देने के लिए एक बहुपक्षीय एवं कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन पर बातचीत का समर्थन किया। उन्होंने फिर से पुष्टि की कि निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन, एक अंतर्राष्ट्रीय समझौते (या समझौतों) पर बहुपक्षीय वार्ता आयोजित करने का एकमात्र मंच है जो इसके सभी पक्षों में बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की दौड़ को रोक सकता है।
  • सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और व्यावहारिक पारदर्शिता तथा विश्वास-निर्माण के उपायों द्वारा पीएआरओएस पर कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन के लिए एक पूरक भूमिका निभा सकने पर सहमति हुई।
  • दोनों पक्ष जैविक और विषाक्त पदार्थों के शस्त्रीकरण सम्मेलन (बीटीडब्ल्यूसी) को मजबूत करने का समर्थन करते हैं, जिसमें सम्मेलन के लिए एक प्रोटोकॉलके साथ-साथ, एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-भेदभावपूर्ण और प्रभावी अनुपालन सत्यापन तंत्र प्रदान करना शामिल है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की चिंताओं सहित बीटीडब्ल्यूसी के कार्यों को अन्य तंत्रों द्वारा दोहराया नहीं जाना चाहिए।
  • दोनों पक्षों ने रासायनिक हथियार निषेध संगठन (ओपीसीडब्ल्यू) के लिए अपने समर्थन की पुष्टि की, इस संगठन ने रासायनिक हथियार सम्मेलन (सीडब्ल्यूसी) के प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन में योगदान दिया है। उन्होंने सीडब्ल्यूसी की भूमिका को संरक्षित करने के उद्देश्य और प्रयासों और ओपीसीडब्ल्यू की गतिविधियों के राजनीतिकरण को रोकने के उद्देश्य से किए जाने वाले प्रयासों के समर्थन के प्रति अपने दृढ़ संकल्प की पुनः पुष्टि की। उन्होंने सीडब्ल्यूसी के राष्ट्र पक्षों से सम्मेलन की अखंडता और पवित्रता को बनाए रखने के लिए ओपीसीसीडब्ल्यू में सर्वसम्मति की भावना को बहाल करने के उद्देश्य से एकजुट होने और रचनात्मक बातचीत में शामिल होने का आह्वान किया।
  • दोनों पक्षों ने रासायनिक और जैविक आतंकवाद के खतरे को संबोधित करने के लिए निरस्त्रीकरण सम्मेलन में रासायनिक और जैविक आतंकवाद के कृत्यों को दबाने के लिए एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर बहुपक्षीय वार्ता शुरू करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
  • दोनों पक्षों ने वैश्विक अप्रसार निशस्त्रीकरण को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। रूस ने भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के लिए अपना मजबूत समर्थन व्यक्त किया।
  • भारत और रूस अफगानिस्तान में एक समावेशी शांति और अफगान के नेतृत्व और अफगान के स्वामित्व वाले सुलह के लिए सभी प्रयासों का समर्थन करते हैं। दोनों पक्षों ने एससीओ-अफगानिस्तान संपर्क समूह और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अन्य प्रारूपों के भीतर निरंतर सहयोग के माध्यम से, अफगानिस्तान में एक प्रारंभिक शांतिपूर्ण समझौते के लिए अपनी प्रतिबद्धता और फरवरी 2019 में मॉस्को में शुरू हुई अंतर-अफगान वार्ता के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों पक्षों में अफगानिस्तान पर गहन चर्चा जारी है। उन्होंने अफगानिस्तान में शांति प्रक्रिया स्थापित करने, संवैधानिक व्यवस्था को बनाए रखने, स्थायी शांति लाने और अफगानिस्तान को एक शांतिपूर्ण, सुरक्षित, दोनों देशों ने हिंसा को तत्काल रोकने का आह्वान किया है।
  • दोनों पक्षों ने सीरिया में स्थिति के स्थिरीकरण का स्वागत किया। उन्होंने सीरिया की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता पर जोर दिया और विशेष रूप से राजनीतिक और राजनयिक माध्यमों से सीरिया संकट का समाधान करने का आह्वान किया।
  • उन्होंने सीरिया में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा परिभाषित किये गये आतंकवादी संगठनों से निपटने के महत्व पर जोर दिया। वे पुनर्निर्माण और अस्थायी रूप से विस्थापित व्यक्तियों की वापसी के लिए शर्तों को तय करने और पुनर्निर्माण के दृष्टिकोण के साथ सीरिया को सहायता जारी रखने के लिए सहमत हुए। पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 46/182 में निर्धारित अंतर्राष्ट्रीय मानवीय सहायता सिद्धांतों के सख्ती से अनुपालन की आवश्यकता पर जोर दिया, यह प्रस्ताव प्रभावित देश की राष्ट्रीय संप्रभुता का सम्मान करते हुए प्रभावित देश की सरकार के लिए मानवीय सहायता मापदंडों को परिभाषित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • दोनों पक्ष क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता हासिल करने के संदर्भ में ईरानी परमाणु कार्यक्रम (जेसीपीओए) पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन के महत्व को पहचानते हैं और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2231 के लिए अपनी पूर्ण प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि करते हैं। इससे जुड़े के मुद्दों को शांति से और बातचीत के जरिए हल किया जाना चाहिए। दोनों पक्ष ईरान के साथ पारस्परिक रूप से लाभकारी और वैध आर्थिक और वाणिज्यिक सहयोग जारी रखने के लिए दृढ़ संकल्प व्यक्त करते हैं।
  • दोनों पक्षों ने एक निशस्त्रीकृत कोरियाई प्रायद्वीप में स्थायी शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए सभी पक्षों के बीच निरंतर शांतिपूर्ण बातचीत के महत्व पर जोर दिया। इस संबंध में, उन्होंने सभी पक्षों से इस लक्ष्य के लिए साथ मिल कर काम करने का आग्रह किया।
  • तीसरे देशों और विशेष रूप से मध्य एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में सहयोग के पारस्परिक रूप से स्वीकार्य और लाभकारी क्षेत्रों का पता लगाने पर सहमति हुई थी।
  • दोनों पक्ष पारदर्शी, भेदभावरहित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली के उन्नयन में विश्व व्यापार संगठन की भूमिका को बनाए रखने और मजबूत करने की आवश्यकता पर सहमत हुए। दोनों पक्ष निष्पक्ष और खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था बनाने के लिए साथ मिल कर काम करने की इच्छा रखते हैं।
  • दोनों पक्षों ने स्थायी सामाजिक-आर्थिक विकास और एजेंडा 2030 का कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए क्षेत्रीय आर्थिक सहयोग को गहरा करने के महत्व पर जोर दिया, जिसमें एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक आयोग के ढांचे के भीतर परिवहन, ऊर्जा और व्यापार जैसे प्रमुख क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करना शामिल हैं।
  • दोनों पक्षों ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में एक समान और अविभाज्य सुरक्षा वास्तुकला के निर्माण के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। वे पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन और अन्य क्षेत्रीय मंचों की रूपरेखा के भीतर, इस विषय पर बहुपक्षीय बातचीत के विकास का समर्थन करते हैं। वे इस बात पर सहमत हुए कि क्षेत्रीय व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से की जाने वाली पहल बहुपक्षवाद, खुलेपन, समावेशिता और पारस्परिक सम्मान के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए और इसे किसी भी देश के खिलाफ लक्षित नहीं होना चाहिए। भारत और रूस इस साझा अंतरिक्ष में हितधारकों के रूप में अधिक बड़े यूरेशियाई क्षेत्र और भारतीय और प्रशांत महासागरों में एकीकरण और विकास की पहलों के बीच पूरकों पर परामर्श तेज करने के लिए सहमत हुए हैं।
  • दोनों पक्ष अपनी विदेश नीति के दृष्टिकोण में उल्लेखनीय समानता पर संतोष व्यक्त किया और भारत-रूस की विशेष और विशेषाधिकृत रणनीतिक साझेदारी को विकसित करने के महत्व पर बल देते हुए, वर्तमान द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में और क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों का समाधान करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने भारत और रूस के लोगों के लाभ के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और इनका विस्तार करने की इच्छा व्यक्त की।
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिवोस्तोक में अपने और अपने प्रतिनिधिमंडल के उदार आतिथ्य के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को धन्यवाद दिया। उन्होंने राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को, अगले वर्ष 21वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत आने का निमंत्रण दिया।
व्लादिवोस्तोक
4 सितंबर, 2019




टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या