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यात्रा विवरण
Detail
प्रधानमंत्री की फ्रांस यात्रा पर भारत-फ्रांस संयुक्त वक्तव्य (अगस्त 22-23, 2019)
अगस्त 22, 2019
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पेरिस में 22 एवं 23 अगस्त, 2019 को द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए और जी-7 फ्रांसीसी अध्यक्षता में बियाररिज में 25 व 26 अगस्त, 2019 को जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति श्री इमैनुअल मैक्रों के आमंत्रण पर फ्रांस की राजकीय यात्रा की।
भारत एवं फ्रांस वर्ष 1998 में रणनीतिक साझेदार बन गए और यह पारंपरिक संबंध स्थायी, भरोसेमंद, व्यापक औरसमान विचारधारा वाला है। भारत-फ्रांस संबंध ऐसे दो रणनीतिक साझेदारों के बीच पारस्परिक विश्वास पर आधारित है जो सदैव एक-दूसरे का साथ देते आए हैं। यह संबंध द्विपक्षीय स्तर के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय निकायों में भी एक संरक्षित साझेदारी में तब्दील हो गया है। भारत और फ्रांस ने सहयोग के नए क्षेत्रों को खोल कर इस साझेदारी को एक नई आकांक्षा देने का निर्णय लिया है।
दोनों पक्षों ने यह बात रेखांकित की कि दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों के साथ-साथ द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने की दिशा में उल्लखनीय प्रगति होती रही है। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि भारत-फ्रांस प्रशासनिक आर्थिक एवं व्यापार समिति (एईटीसी) द्विपक्षीय व्यापार एवं निवेश बढ़ाने के साथ-साथ आर्थिक संचालकों के हित में बाजार पहुंच से जुड़े मसले जल्द सुलझाने के तरीके बताने के लिए एक समुचित रूपरेखा उपलब्ध कराती है। इस संबंध में फ्रांसीसी और भारतीय कंपनियों से जुड़े व्यापार एवं निवेश के मुद्दों को सुलझाने के कार्य को संयुक्त रूप से और मजबूत करने का निर्णय लिया गया है। दोनों राजनेताओं ने संयुक्त रूप से इस बात पर सहमति जताई कि उच्चस्तरीय फ्रांस-भारत आर्थिक एवं वित्तीय संवाद को नए सिरे से अतिशीघ्र शुरू किया जाना चाहिए।
मार्च, 2018 में राष्ट्रपति मैक्रों की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान अनुमोदित संयुक्त विजन के अनुरूप फ्रांस और भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने की इच्छा जताई है, ताकि नई चुनौतियों का सामना मिल-जुलकर किया जा सके, चाहे वह ग्रहों की खोज अथवा मानव की अंतरिक्ष उड़ान से ही क्यों न जुड़ी हुई हो। इसे ध्यान में रखते हुए फ्रांस और भारत ने उन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों के लिए सहायक चिकित्सा कर्मियों को प्रशिक्षित करने का निर्णय लिया है, जो वर्ष 2022 तक भारत के मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन का हिस्सा होंगे। यह प्रशिक्षण फ्रांस के साथ-साथ भारत में भी दिया जाएगा।
दोनों देश डिजिटल क्षेत्र में उस खुले, सुरक्षित और शांतिपूर्ण साइबरस्पेस के जरिये आर्थिक एवं सामाजिक विकास को आवश्यक सहयोग देते हैं, जहां अंतर्राष्ट्रीय कानून लागू होता है। इसे ध्यान में रखते हुए दोनों राजनेताओं ने एक साइबर सुरक्षा एवं डिजिटल प्रौद्योगिकी रोडमैप को अपनाया है जिसका उद्देश्य विशेषकर उच्च प्रदर्शन युक्त कंप्यूटिंग एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के रणनीतिक क्षेत्रों में भारत-फ्रांस द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाना है। इसका लक्ष्य दोनों देशों के स्टार्ट-अप परिवेश को एक-दूसरे के करीब लाना है।
दोनों राजनेताओं ने भारत में 6 परमाणु ऊर्जा रियक्टरों के निर्माण के लिए जैतापुर, महाराष्ट्र में वर्ष 2018 में दोनों पक्षों के बीच ‘औद्योगिक आगे की राह समझौता’ होने के बाद एनपीसीआईएल और ईडीएफ के बीच वार्ता में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने यह बात भी नोट की कि तकनीकी-वाणिज्यिक पेशकश के साथ-साथ परियोजना के वित्त पोषण पर बातचीत फिलहाल जारी है। इसके अलावा भारत में विनिर्माण के जरिये स्थानीयकरण बढ़ाने के तरीकों और दोनों पक्षों के बीच सीएलएनडी अधिनियम की पारस्परिक समझ बढ़ाने के लिए भी विचार-विमर्श जारी है। दोनों पक्षों ने फिर से इस बात की पुष्टि की कि वे बातचीत को सक्रियतापूर्वक जारी रखने के लिए संकल्पबद्ध हैं, ताकि इन्हें जल्द पूरा किया जा सके। उन्होंने ‘नाभिकीय ऊर्जा साझेदारी के लिए वैश्विक केंद्र’ के साथ सहयोग हेतु परमाणु ऊर्जा विभाग और फ्रेंच अल्टरनेटिव एनर्जीज तथा परमाणु ऊर्जा आयोग (सीईए) के बीच सहमति पत्र को जनवरी, 2019 में 5 साल और बढ़ाने का स्वागत किया।
द्विपक्षीय सहयोग मुख्य रूप से रक्षा क्षेत्र में महत्वाकांक्षी साझेदारी पर आधारित है। वरुण नौसेना और गरुड़ हवाई अभ्यास के 2019 संस्करणों की सफलता की सराहना करते हुए फ्रांस और भारत ने अपने सशस्त्र बलों के बीच सहयोग को और अधिक बढ़ाने का संकल्प व्यक्त किया। पारस्परिक लॉजिस्टिक्स सहायता के प्रावधान से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किया जाना इस दिशा में एक अभिव्यक्ति है।
रक्षा उद्योग में सहयोग भारत और फ्रांस के बीच सामरिक साझेदारी का एक मुख्य आधार है। भारत के प्रधानमंत्री और फ्रांसीसी गणराज्य के राष्ट्रपति ने हस्ताक्षरित समझौतों के कार्यान्वयन, विशेषकर इसीवर्ष से प्रथम राफेल लड़ाकू विमान की डिलीवरी करने की दिशा में हुई प्रगति पर काफी संतोष व्यक्त किया। दोनों पक्षों ने बड़े संतोष के साथ यह बात रेखांकित की कि भारत के सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) बड़ी तेजी से फ्रांस के रक्षा एवं एयरोस्पेसमूल उपकरण निर्माताओं की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं (सप्लाई चेन) का हिस्सा बनते जा रहे हैं। दोनों पक्षों ने इस रुझान को आगे भी जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।
फ्रांस और भारत ने दोनों देशों की जनता के बीच संपर्क बढ़ाने के साथ-साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान बढ़ाने पर भी सहमति जताई। वाणिज्य दूतावास से संबंधित मुद्दों पर नियमित संवाद शुरू करने पर रजामंदी व्यक्त की गई जिससे आदान-प्रदान और गतिशीलता में सुविधा होगी। एक-दूसरे के यहां पर्यटकों को प्राथमिकता देने का स्वागत किया गया। वर्ष 2018 में 7 लाख भारतीय पर्यटक फ्रांस घूमने गए जो वर्ष 2017 की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह फ्रांस से ढाई लाख से भी अधिक पर्यटकों का भारत आगमन हुआ।
शिक्षा भी सहयोग का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है। दोनों पक्षों ने भारत और फ्रांस के बीच विद्यार्थियों की आवाजाही की मौजूदा स्थिति पर संतोष व्यक्त किया। भारत में फ्रेंच भाषा की पढ़ाई की सुविधा के साथ-साथ फ्रांस में उत्कृष्टता के लिए स्कूलों के नेटवर्क को बनाने से इसमें मदद मिली है। वर्ष 2018 में तय 10,000 विद्यार्थियों के आदान-प्रदान के लक्ष्य को इसी वर्ष पूरा कर लिया जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों ने इस लक्ष्य को बढ़ाकर वर्ष 2025 तक 20,000 विद्यार्थी करने का निर्णय लिया है।
उन्होंने अक्टूबर, 2019 में फ्रांस के लियोन में द्वितीय ज्ञान शिखर सम्मेलन आयोजित करने का स्वागत किया। इस शिखर सम्मेलन से एयरोस्पेस, नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट सिटी, कृषि, समुद्री विज्ञान और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कॉरपोरेट निकायों के साथ शैक्षणिक एवं वैज्ञानिक साझेदारियां करने में मदद मिलेगी। कौशल विकास के क्षेत्र में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए फ्रांस और भारत ने एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए।
दोनों राजनेताओं ने संस्कृति के क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग बढ़ाने की संभावनाओं की सराहना की जिसे एक-दूसरे के यहां होने वाले प्रमुख सांस्कृतिक आयोजनों में साझेदारी के जरिये साकार किया जाएगा। यह निर्णय लिया गया कि पेरिस अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले ‘लिवरे पेरिस’ के 2020 संस्करण में भारत ‘कंट्री ऑफ ऑनर’ होगा, दिल्ली स्थित नेशनल गैलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट जनवरी, 2020 में भारत में फ्रांसीसी कलाकार गेरार्ड गारोउस्ते की प्रथम प्रदर्शनी आयोजित करेगी। इसी तरह भारत वर्ष 2021-22 में ‘नमस्ते फ्रांस’ का आयोजन करेगा। दोनों देश वर्ष 2019 के आखिर में एक कार्य योजना को अपनाएंगे जिसका उद्देश्य सिनेमा, वीडियो गेम और वर्चुअल रियल्टी के क्षेत्रों में सह-उत्पादित परियोजनाओं की संख्या और प्रशिक्षण में वृद्धि करना है। फ्रांस और भारत ने दोनों देशों में फिल्मों की शूटिंग में सहयोग करने पर सहमति जताई।
पृथ्वी के लिए अपनी साझेदारी की रूपरेखा के तहत फ्रांस और भारत ने जलवायु परिवर्तन तथा जैव विविधता के नुकसान की समस्या से कारगर ढंग से निपटने के लिए अपनी साझा प्रतिबद्धता की फिर से पुष्टि की।
बहुस्तरीय यानी स्थानीय, राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर कार्रवाई की जरूरत को स्वीकार करते हुए फ्रांस और भारत ने सभी हितधारकों से 23 सितंबर, 2019 को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव द्वारा आयोजित की जाने वाली ‘क्लाइमेट एक्शन समिट’ की सफलता के साथ-साथ जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने के लिए वैश्विक प्रयासों को प्रोत्साहित करने में योगदान देने का अनुरोध किया।
भारत और फ्रांस ने यूएनएफसीसीसी तथा पेरिस समझौते के तहत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अहमियत की फिर से पुष्टि की और इसके साथ ही सभी विकसित देशों से अपनी-अपनी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप अपने प्रथम पुनःपूर्ति चक्र के तहत ‘ग्रीन क्लाइमेट फंड’ में अपना अंशदान बढ़ाने का अनुरोध किया। पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ-साथ औद्योगिक क्रांति से पहले के स्तर के संदर्भ में ग्लोबल वार्मिंग (1.5 डिग्री सेल्सियस) के असर पर जलवायु परिवर्तन संबंधी अंतर-सरकारी पैनल की विशेष रिपोर्ट के हालिया निष्कर्षों और जलवायु परिवर्तन तथा भूमि पर आईपीसीसी की विशेष रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए भारत और फ्रांस वर्ष 2020 तक ग्रीनहाउस गैस(जीएचजी) के कम उत्सर्जन के लिए अपनी दीर्घकालिक रणनीतियां विकसित करेंगे।
बियाररिज में जी-7 शिखर सम्मेलन और 23 सितंबर, 2019 को संयुक्त राष्ट्र के महासचिव की क्लाइमेट एक्शन समिट की रूपरेखा के तहत फ्रांस और भारत उन नई पहलों को आवश्यक सहयोग देंगे जिनका लक्ष्य ग्रीनहाउस गैसके उत्सर्जन में कमी लाना है और जो जलवायु परिवर्तन के लिहाज से उपयुक्त है। इस लक्ष्य की पूर्ति मुख्यतः वित्तीय प्रवाह के जरिये की जाएगी, जो पेरिस समझौते के उद्देश्यों के अनुरूप भीहोगा। फ्रांस और भारत ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान की गई प्रतिबद्धताओं को दोहराया जिसमें मध्यमकालिक युक्तिकरणऔर जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली व्यर्थ सब्सिडी को चरणबद्ध ढंग से समाप्त करने का उल्लेख किया गया है। इसमें सबसे असुरक्षित को लक्षित सहायता देने और समकक्ष समीक्षा में मिल-जुलकर भाग लेने का भी उल्लेख किया गया है।
दोनों देशों ने विकास और नवीकरणीय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों देश ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन द्वारा सदस्य देशों में क्षमता निर्माण को संतोषजनक बताया। दोनों देशों ने भारत सौर ऊर्जा निगम (एसईसीआई) द्वारा भुगतान सुरक्षा व्यवस्था (पीएसएम) के कार्यान्वयन की सराहना की। दोनों देशों ने सौर जोखिम मंदन पहल (एसआरएमआई) के संदर्भ में विश्व बैंक और फ्रांस विकास एजेंसी की उपलब्धियों की सराहना की। दोनों देशों ने हाइड्रोजन ऊर्जा के क्षेत्र में एनआईएसई और सीईए के बीच हुए समझौते का स्वागत किया। भारत और फ्रांस, अफ्रीका में सतत विकास की प्रक्रिया में योगदान दे रहे हैं। दोनों देशों ने अफ्रीका महादेश में संयुक्त परियोजनाओं को लागू करने में परस्पर सहयोग की इच्छा व्यक्त की। अफ्रीका में सौर ऊर्जा, सिंचाई और ग्रामीण विकास क्षेत्रों में त्रिपक्षीय परियोजनाओं के लिए विचार-विमर्श जारी है। अफ्रीका के चाड में सौर फोटोवोल्टिक क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण के लिए भी त्रिपक्षीय समझौते के लिए भी विचार-विमर्श किया गया।
जैव विविधता क्षरण और फ्रांस में आयोजित होने वाले जी-7 शिखर सम्मेलन के जैव विविधता चार्टड को ध्यान में रखते हुए भारत 2020 में आयोजित होने वाले प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अपनी स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संकल्पों को सामने रखेगा। इन सम्मेलनों में आईयूसीएन विश्व संरक्षण सम्मेलन, मारसिली और जैव विविधता पर कॉप-15 सम्मेलन प्रमुख है। वैश्विक जैव विविधता रणनीति का सफल क्रियान्वयन संसाधनों की व्यवस्था करने पर आधारित है। चुनौतियों के अनुसार वित्तीय संसाधन जुटाए जाने चाहिए। हैदराबाद, 2012 में तय किया गया था कि विकासशील देशों में जैव विविधता संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संसाधनों के आवंटन में वृद्धि की जानी चाहिए।
भारत और फ्रांस ने इस बात पर सहमति व्यक्ति की कि महासागर, जलवायु परिवर्तन का सामना करने, जैव विविधता का संरक्षण करने और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। दोनों देश समुद्री क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए। समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग के लिए महासागर प्रशासन, ब्लू इकॉनोमी और तटीय सुरक्षा, भारत और फ्रांस के प्राथमिकता वाले क्षेत्र है। हिन्द महासागर समेत सभी महासागरों के बेहतर समक्ष के लिए दोनों पक्ष समुद्री विज्ञान अनुंसधान में समझौते की संभावना पर विचार करेंगे।
जून, 1994 में पेरिस में आयोजित सम्मेलन के रजत जयंती समारोह के अंतर्गत मरुस्थलीकरण पर 14वां संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन नई दिल्ली में 2-13 सितंबर, 2019 को आयोजित किया जाएगा। फ्रांस और भारत ने ‘मदर अर्थ’ के सतत उपयोग की आवश्यकता पर बल दिया। एक तरफ गरीबी, असमानता और खाद्य असुरक्षा का सामना करने के लिए तथा दूसरी तरफ जलवायु परिवर्तन के कुप्रभावों को कम करने तथा जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए दोनों पक्षों ने भूमि संरक्षण में योगदान के प्रति इच्छा व्यक्त की। ये उपाए भूमि निम्नीकरण पर आईपीबीईएस स्पेशल रिपोर्ट तथा जलवायु परिवर्तन पर आईपीसीसी स्पेशल रिपोर्ट की अनुशंसाओं के आधार पर निर्धारित किए जाएंगे।
इस भावना के तहत भारत और फ्रांस, मेट्ज में आयोजित जी-7 पर्यावरण मंत्रियों की बैठक में लिए गए निर्णयों को बढ़ावा देंगे। इसके अंतर्गत कृषि उत्पादों की आपूर्ति की व्यवस्था है जिससे वनों की कटाई के कुप्रभाव कम होंगे।
दोनों राजनेताओं ने भारत और फ्रांस में सीमापार आंतकवाद तथा आतंकवादी घटनाओं समेत सभी प्रकार के आतंकवाद के रूपों की कड़े शब्दों में निंदा की। दोनों राजनेताओं ने कहा कि किसी भी आधार पर आतंकवाद को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता और इसे किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या समुदाय से जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए।
जनवरी, 2016 में दोनों देशों द्वारा आतंकवाद पर जारी संयुक्त वक्तव्य को याद करते हुए दोनों राजनेताओं ने इस बात की पुष्टि की कि वे आतंकवाद को समाप्त करने के लिए दृढ़ संकल्प है और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का आह्वान किया कि आतंकवाद की वित्तीय सहायता को समाप्त करने के लिए सम्मिलित प्रयास किए जाने चाहिए। दोनों राजनेताओं ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों का आह्वान किया कि उन्हें आतंकवाद वित्तीय सहायता का सामना करने पर आधारित यूएनएससी संकल्प- 2462 को लागू करना चाहिए। दोनों राजनेताओं ने इस विषय पर 7-8 नवंबर को मेलबर्न में आयोजित ‘नो मनी फॉर टेरर’, अप्रैल, 2018 में पेरिस में आयोजित सम्मेलन और पेरिस एजेंडा का स्वागत किया। दोनों राजनेताओं ने आतंकवाद के खतरे से निपटने के लिए भारत द्वारा प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के शीघ्र आयोजन पर सहमति व्यक्त की।
दोनों राजनेताओं ने कहा कि सभी देशों को आतंकवाद को पनाह देने वाले क्षेत्रों, और इसकी अवसंरचना को जड़ से समाप्त करना चाहिए। आतंकवाद के नेटवर्क और उनके वित्तीय सहायता को भी जड़ से खत्म किया जाना चाहिए। अलकायदा, दाएश/आईएसआईएस, जैश-ए-मोहम्मद, हिजबुल मुजाहिद्दीन, लश्कर-ए-तैयबा तथा इनके सहयोगी संगठनों से जुड़ी आतंकवादियों के सीमापार आवाजाही पर रोक लगाई जानी चाहिए, जो दक्षिण एशिया और साहेल क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है।
दोनों राजनेताओं ने दोनों देशों की नोडल एजेंसिओं और जांच एजेंसियों की आपसी सहयोग को बढ़ाने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि दोनों देश ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन का सामना करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाएंगे।
दोनों राजनेताओं ने 15 मई को पेरिस में आयोजित क्राइस्टचर्च कॉल टू एक्शन को लागू करने में सहायता प्रदान करने की पुष्टि की। इसके तहत आतंकवाद और हिंसक अतिवाद से जुड़ी ऑनलाइन सामग्री को समाप्त करने का प्रावधान है। दोनों राजनेताओं ने यूएन, जीसीटीएफ, एफएटीएफ, जी-20 आदि बहुपक्षीय अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद विरोधी प्रयासों को मजबूत करने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त सदस्य देशों से यूएनएससी संकल्प-1267 तथा अन्य प्रस्तावों को लागू करने का आह्वान किया। दोनों राजनेताओं ने यूएन में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन (सीसीआईटी) को जल्द पारित करने के लिए साथ मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।
भारत और फ्रांस, भारत-प्रशांत क्षेत्र समेत सभी महासागरों में आवागमन की स्वतंत्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। मार्च, 2018 में फ्रांस के राष्ट्रपति श्री मैक्रॉन भारत की यात्रा थे। इस दौरान भारतीय महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग पर संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण पर सहमति बनी थी। फ्रांस और भारत ने इस प्रयास के त्वरित कार्यान्वयन का स्वागत किया।
भारत और फ्रांस ने व्हाइट शिपिंग एग्रीमेंट के कार्यान्वयन के लिए गुरुग्राम के इंफॉर्मेशन फ्यूजन सेंटर-इंडियन ओसीन रिजन (आईएफसी-आईओआर) में फ्रांसीसी अधिकारी की नियुक्ति का स्वागत किया।
भारत और फ्रांस ने इंडियन ओसीन रिम एसोसिएशन (आईओआरए) में सहयोग की इच्छा व्यक्त की। फ्रांस इंडियन ओसीन नेवल सिम्पोजियम (आईओएनएस) में भारत के साथ काम करना चाहता है। फ्रांस 2020-22 तक इसकी अध्यक्षता करेगा।
फ्रांस और भारत लोकतांत्रिक समाज है, जो बहुलतावाद को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। डिजिटल रूपांतरण, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता क्षरण जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिए फ्रांस जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत को जोड़ना चाहता है। फ्रांस और भारत चाहते है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार किया जाए और भारत को स्थायी सदस्यता दी जाए। दोनों देश चाहते है कि जून, 2020 में आयोजित होने वाले 12वें मंत्रिस्तरीय सम्मेलन समेत विश्व व्यापार संगठन का आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए। संगठन के नियमों और कार्यप्रणाली को अद्यतन बनाया जाना चाहिए। विकास के लिए बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली आवश्यक है। इसके लिए उचित पारदर्शी और नियम आधारित व्यवस्था होनी चाहिए तथा विवाद-समाधान प्रणाली को बेहतर और आधुनिक बनाया जाना चाहिए।
यूरोपीय संघ द्विपक्षीय संबंधों में मूल्य संवर्धन करता है। फ्रांस और भारत ने विश्वास व्यक्त किया कि भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार, निवेश और नवाचार तथा रणनीतिक व बहुपक्षीय मामलों में संबंध और गहरे होंगे।
फ्रांस और भारत अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में प्रमुखता से सहयोग प्रदान करते है। दोनों देश अफगानिस्तान में समावेशी शांति और परस्पर विचार-विमर्श का समर्थन करते है। शांति प्रक्रिया अफगान के नेतृत्व में और अफगान के नियंत्रण में होनी चाहिए। इससे राजनीतिक समाधान स्थायी होगा। पिछले 18 वर्षों में प्राप्त संवैधानिक व्यवस्था, मानव अधिकार, महिलाओं के अधिकार और स्वतंत्रता का संरक्षण संभव हो सकेगा। उन्होंने अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थायित्व के लिए समय पर राष्ट्रपति चुनाव, आतंकवादी हिंसा की समाप्ति तथा आतंकवादियों को पनाह देने वाले क्षेत्रों को खत्म करने का आह्वान किया।
फ्रांस और भारत ने ईरान न्यूक्लियर कार्यक्रम पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के पूर्ण कार्यान्वयन पर सहमति जताई। अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प-2231 का क्रियान्वयन आवश्यक है। परस्पर बातचीत के माध्यम से वर्तमान विवादों का समाधान किया जाना चाहिए।
परस्पर सहयोग की वर्तमान स्थिति पर संतोष व्यक्त करते हुए, दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों के प्रति अपने दृष्टिकोण के तालमेल के साथ और भी अधिक सुदृढ़, घनिष्ठ और पूरक संबंध बनाने के उद्देश्य के साथ अपनी साझेदारी को और मजबूत बनाने की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
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