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दुशांबे में 5वें सीआईसीए सम्मेलन में विदेश मंत्री का सम्बोधन

जून 15, 2019

माननीय राष्ट्रपति एमोमली रहमान जी,
सम्माननीय अतिथि गण,


मैं सीआईसीए की अध्यक्षता करने तथा 5वें सीआईसीए सम्मेलन की मेजबानी की सफलता के लिए ताजिकिस्तान का अभिनन्दन करता हूं। मैं अपने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की आपको बधाई देता हूँ और इस सम्मेलन की सफलता के प्रति उनकी शुभकामना का सन्देश पहुँचाता हूँ।

मैं अपने तथा मेरे प्रतिनिधिमण्डल का गर्मजोशी से आतिथ्य करने और इस सम्मेलन के उत्कृष्ट आयोजन हेतु ताजिकिस्तान सरकार को बधाई देता हूँ। मैं सीआईसीए के सदस्य के रूप में अपने पड़ोसी श्रीलंका का भी स्वागत करता हूँ। मैं सीआईसीए की सफलता की गाथा तैयार करने के लिए पूर्व में इसकी अध्यक्षता करने वाले कजाकिस्तान, तुर्की तथा चीन को और विशेष रूप से कजाकिस्तान के प्रथम राष्ट्रपति के नेतृत्व को हार्दिक बधाई देता हूँ।

श्रीमान अध्यक्ष महोदय,

मैं एशिया की सुरक्षा तथा समृद्धि के साथ-साथ इसकी चिन्ताओं के प्रति भारत का दृष्टिकोण स्पष्ट करना चाहता हूँ। 21वीं शताब्दी एशिया की शताब्दी होने जा रही है और एशिया में शान्ति, सुरक्षा तथा विकास को बढ़ावा देने में सीआईसीए निश्चित रूप से एक उपयोगी भूमिका निभा सकता है।

आज यह महत्त्वपूर्ण है क्योंकि विश्व में बड़ी तीव्रता से भू-रणनीतिक परिवर्तन हो रहे हैं जिसने एशिया की शान्ति और सुरक्षा को भी प्रभावित किया है। नवीन एवं उभरती भू-राजनीतिक एवं भू-आर्थिक प्रतिकूलताओं के कारण वैश्वीकरण की प्रक्रिया तनावपूर्ण हो गयी है। किन्तु हम आतंकवाद, संघर्षों, सीमा पार के अपराधों तथा नौवहन के जोखिमों जैसी अपरिहार्य चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। ऊर्जा सुरक्षा, निम्न अन्तरा-क्षेत्रीय व्यापार तथा सम्पर्क के अभावों सहित सतत विकास के मुद्दे भी विद्यमान हैं। साझा हितों के लिए इनका समाधान शीघ्रातिशीघ्र करने की आवश्यकता है।

अध्यक्ष महोदय,

आतंकवाद एक बहुत बड़ा खतरा बन चुका है जिसका सामना आज एशिया को करना पड़ रहा है। सीआईसीए के अनेक सदस्य देश आतंकवाद के शिकार बन चुके हैं और यह स्पष्ट हो जाना चाहिए कि आतंकवादी तथा उनके शिकारों को समरूपता में नहीं देखना चाहिए। सीआईसीए ने सदैव आतंकवाद तथा चरमपंथ का सामना करने में सदैव सशक्त प्रतिबद्धता दर्शाई है और आतंकवाद का सामना करने के लिए एक व्यापक रणनीति अपनाई है। भारत द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन आयोजित करने का प्रस्ताव आज अत्यन्त आवश्यक हो गया है और हम इस सम्बन्ध में आपके सहयोग की अपेक्षा करते हैं।

अफगानिस्तान में हमने राष्ट्रीय शांति और सौहार्द्र प्रक्रिया का समर्थन किया है जिसका नेतृत्व अफगान सरकार द्वारा अफगानी स्वामित्व में है। हमें समस्त पहलों तथा प्रक्रियाओं में अफगानी समाज के सभी वर्गों सहित वैधानिक रूप से चुनी गयी सरकार के इसमें शामिल होने का विश्वास है।

श्रीमान अध्यक्ष महोदय, हाल के भारत-मध्य एशिया का 5 मंत्रिस्तरीय संवाद एक अत्यन्त सकारात्मक विकास है जो एकमात्र हमारे क्षेत्र में सहयोग और स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है। समावेशी, स्थाई, पारदर्शी क्षेत्रीय सम्पर्क पहलें और सम्प्रभुता के सिद्धान्त का सम्मान तथा क्षेत्रीय अखण्डता व्यापार को बढ़ावा दे सकती हैं और इस क्षेत्र में समृद्धि तथा विकास लाने में एक ध्रुवीय भूमिका अदा सकती हैं। इस विषय में इस प्रकार के क्षेत्रीय सम्पर्क पहलों का सदैव समर्थन करेगा।

ऊर्जा सुरक्षा का अभाव एक अन्य प्रमुख विकासपरक चुनौती बनकर उभरा है। भारत ने स्थायी ऊर्जा बाजार तथा ऊर्जा दक्षता एवं नवीकरणीय ऊर्जा के प्रोत्साहन हेतु उपभोक्ताओं तथा उत्पादकों के मध्य उत्तम संवाद का समर्थन किया है। अन्तर्राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संगठन की भारत की पहल को अपार समर्थन मिला है, 74 देशों ने फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं। नवीकरणीय ऊर्जा का विकास एशिया की सुरक्षा तथा स्थिरता में अपार योगदान देगा और मैं सीआईसीए के उन सदस्यों को इसमें आमन्त्रित करता हूँ जो इस संगठन में अब तक शामिल नहीं हुए हैं।

पुन:, भारत ने इस क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने के लिए लक्षित पहलों का समर्थन किया है जो कि बिम्सटेक, सार्क, आसियान, इयास, आर्फ, जीसीसी तथा आयोरा जैसे क्षेत्रीय संगठनों में हमारी भागीदारी तथा सहयोग करने से परिलक्षित हो जाता है।

जून, 2018 में सिंगापुर में हमारे प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा रेखांकित के अनुसार भारत का भारत-प्रशान्त के प्रति दृष्टिकोण सागर के पक्षपोषण में निहित है-इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा तथा विकास। यह इस सम्मेलन की संकल्पना "एक सुरक्षित तथा अधिक समृद्धि सीआईसीए क्षेत्र हेतु साझा दृष्टिकोण" के अनुरूप है।

भारत सीआईसीए की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेता रहेगा। हमें विश्वास है कि सीआईसीए बहुविधि चुनौतियों का सामना करने, अधिक सुरक्षित तथा समृद्ध एशिया हेतु अपने साझा दृष्टिकोण के अनुरूप कार्य करने के लिए अन्तर्क्रिया एवं सहयोग हेतु एशियाई देशों के लिए एक सन्तुलित, मुक्त तथा समावेशी ढाँचा तैयार करता रहेगा।

धन्यवाद

दुशांबे
जून 15, 2019


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