यात्रायें

Detail

बिश्केाक में एससीओ शिखर सम्मेेलन 2019 में सचिव (पश्चिम) द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (14 जून, 2019)

जून 15, 2019

सरकारी प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार: मित्रों दोपहर की नमस्‍ते और बिश्‍केक से इस खास ब्री‍फिंग में आपका स्‍वागत है। जैसा कि आप जानते हैं कि एससीओ शिखर सम्‍मेलन के लिए प्रधानमंत्री के आगमन बाद से कल द्विपक्षीय बैठक पर फोकस था। आज एससीओ की बैठकों के विभिन्‍न प्रारूपों में प्रधानमंत्री की भागीदारी पर फोकस रहा है। मेरे साथ सचिव (पश्चिम), श्री गितेश शर्मा और संयुक्‍त सचिव (एससीओ) हैं। ये दोनों अधिकारी एससीओ बैठकों में प्रधानमंत्री के हिस्‍सा लेने तथा और अन्‍य ब्‍यौरों के बारे में बताएंगे जिन्‍हें वे मीडिया के साथ साझा करना चाहें। महोदय, अब यह मंच आपके हवाले है।

सचिव (पश्चिम), श्री गितेश शर्मा: आपका बहुत-बहुत धन्‍यवाद और सीमित समय को देखते हुए हम सीधे ब्रीफिंग पर आते हैं।

आज प्रधानमंत्री ने एससीओ शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा लिया और इस शिखर सम्‍मेलन में हीं विचार विमर्श दो भागों में बटां था। प्रथम भाग उस प्रारूप तक सीमित था जो इन सदस्‍यों के लिए था और उसके बाद विस्‍तारित प्रारूप था जहां पर्यवेक्षकों ने भी हिस्‍सा लिया। जैसा कि आप जानते हैं कि चार पर्यवेक्षक देश भी इस शिखर सम्‍मेलन में हिस्‍सा ले रहे हैं।

प्रधानमंत्री ने बड़ी शालीनता के साथ इस शिखर सम्‍मेलन की मेजबानी करने और इस उत्‍कृष्‍ट व्‍यवस्‍था के लिए किर्गिज राष्‍ट्रपति को धन्‍यवाद दिया। उन्‍होंने राष्‍ट्रपति पुतिन को भी धन्‍यवाद दिया; उन्‍हें अगले शिखर सम्‍मेलन के लिए बधायी दी जिसकी मेजबानी रूस द्वारा की जाएगी, इसलिए उन्‍होंने अगले शिखर सम्‍मेलन के लिए भी बधायी दी।

मित्रों, आपको इस प्रकार के विषयों पर आश्‍चर्य होगा जिन पर इन दोनों सत्रों में चर्चा की गयी। आवश्‍यक चर्चाएं आतंकवाद, अफगानिस्‍तान, आर्थिक मुद्दों पर केंद्रित रहा विशेषकर उन अवसरों पर जो आर्थिक सहयोग के लिए है। जहां तक आतंकवाद का संबंध है, इसके लिए आरएटीएस- ताशकंद आधारित क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना, के मंच का प्रयोग कर सदस्‍य देशों के साथ निकट सहयोग करने की आवश्‍यकता महसूस की गयी।

अफगानिस्‍तान के मुद्दे पर प्रधानमंत्री ने सर्वविदित भारतीय स्थिति को दुहराया कि अफगानिस्‍तान में किसी भी प्रक्रिया का नेतृत्‍व अफगानी द्वारा, अफगान स्‍वाधिकृत और अफगान नियंत्रित होना चाहिए और अफगानिस्‍तान के मित्र होने के नाते भारत ने उस देश की शांति और स्थिरता के लिए अपनी प्रतिबद्धता को दुहराया।

इन चर्चाओं में आर्थिक मुद्दों को भी शामिल किया गया और साथ हीं बेहतर संपर्क के लिए इसके इतर कुछ मुद्दे उठाए गए जिसे प्रधानमंत्री ने उत्‍तर-दक्षिण गलियारा, चावहार पत्‍तन का उल्‍लेख किया जो परिचालन में है और यह उपलब्‍ध है।

उन्‍होंने नवीकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण संरक्षण और सौर ऊर्जा जैसे मुद्दों पर भी बात की। उन्‍होंने कहा कि भारत के पास क्षमता है और वह जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में सबकी भलाई के लिए अपनी ऊर्जा बास्‍केट और कार्य में सुधार करने के लिए शंघाई सहयोग संगठन के देशों के साथ कार्य करने के लिए तैयार है।

मित्रों, यह बड़ा दिलचस्‍प हो सकता है कि प्रधानमंत्री ने एचईएएलटीएच संक्षिप्ति का इस्‍तेमाल किया, उन्‍होंने इस संक्षिप्ति को लागू किया। मैं बहुत ही धीरे से इसे पढ़ूंगा कि इस संक्षिप्‍त शब्‍द का क्‍या अर्थ है।

एच अक्षर स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल सहयोग के लिए
ई अक्षर आर्थिक सहयोग के लिए
ए अक्षर वैकल्पिक ऊर्जा के लिए
एल अक्षर साहित्‍य और संस्‍कृति के लिए
टी अक्षर आतंकवाद मुक्‍त समाज के लिए
एच अक्षर मानवीय सहयोग के लिए

इसलिए, यह प्रधानमंत्री का संदेश था। मैं मानता हूं कि यह एक बड़ा अच्‍छा संदेश था, वास्‍तव में यह भारत के उस दृष्टिकोण को दर्शाया जो बहुत ही रचनात्‍मक है और यह समग्र एससीओ प्रक्रिया के बारे में बहुत सकारात्‍मक एजेंडे और सकरात्‍मक भावना को सृजित करता है।

सांस्‍कृतिक संघटक को भी बड़ी मजबूती के साथ दुहराया गया है और हमें विशेष रूप से यह विचार करते हुए एकजुट होकर कार्य करने की आवश्‍यकता है कि भारत और मध्‍य एशिया के अधिकांश देशों के बीच बड़ी समानताएं हैं। उदाहरण के लिए भारतीय फिल्‍में जिसे हमने फिल्‍मोत्‍सव के आयोजन के बारे में उल्‍लेख किया था, यह पहले से ही उज्‍बेकिस्‍तान, ताजिकिस्‍तान और किर्गिस्‍तान में हमने आयोजन किया है, इसलिए यह ऐसी कुछ चीजें हैं जो चल रही हैं। समग्र रूप से संदेश यह था कि भारत इस एससीओ प्रक्रिया में बहुत ही सकारात्‍मक संघटक देखना चाहेगा, हम इसमें योगदान देने के लिए तैयार हैं, हम शंघाई सहयोग संगठन के देशों के साथ कार्य करने के लिए तैयार हैं।

मित्रों, आज कई दस्‍तावेजों और समझौतों पर भी हस्‍ताक्षर हुए। मैं अपने सहयोगी संयुक्‍त सचिव (एससीओ) सुश्री मधुमिता से अनुरोध करूंगा कि वे इस बारे में बताएं।

संयुक्‍त सचिव (एससीओ), सुश्री मधुमिता: आप लोगों को दोपहर की नमस्‍ते। हमने सफलतापूर्वक दूसरे शिखर सम्‍मेलन को समाप्‍त कर लिया है जिसमें हमने एससीओ के एक पूर्ण सदस्‍य के रूप में भाग लिया है। जैसी कि एससीओ में परंपरा है, प्रत्येक शिखर सम्मेलन की समाप्ति के बाद एक संयुक्त घोषणा की जाती है और हमने आतंकवाद के बारे में बात की, एससीओ के सभी देशों के सांसदों के बीच गहरे सहयोग से संबंधित मुद्दों के बारे में भी बोला और एससीओ देशों के क्षेत्रों, हमारे मामलों में राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने के बारे में भी बात की।

इस शिखर सम्मेलन से निकले कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज मादक पदार्थ रोधी रणनीतिक और कार्य योजना संबंधी दस्तावेज थे। उसके बाद जैसा कि मैंने आपको अंतर्क्षेत्रीय सहयोग और क्षेत्रीय मंच के प्रमुखों के बारे में कहा तथा साथ ही तीन दस्तावेज जिन्हें समनुदेशित किया गया, वे स्वास्थ्य, पर्यावरण और खेल सहयोग के संबंध में थे।

इसके अलावा सामान्य प्रशासनिक समझौते भी हैं। कुल मिलाकर 14 निर्णयों पर राष्ट्र प्रमुखों के परिषद् द्वारा हस्ताक्षर किए गए और इसके इतर हमने एससीओ व संयुक्त राष्ट्र के विशेषीकृत एजेंसियों के बीच कुछ सहयोग समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए। आपका धन्यवाद।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: आपका धन्यवाद महोदय, मधु आपको भी धन्यवाद। हमारे पास एकाध प्रश्न लेने का समय है।

प्रश्न: क्या विशेषकर भारतीय पक्ष, प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बिश्केक घोषणा में आंतकवाद के संबंध में कोई विशेष बात कही गयी और दूसरा, उन क्षेत्रों के संदर्भ में अगली एससीओ शिखर सम्मेलन के लिए किसी खाके के बारे में कोई बात कही गयी है जिस पर ध्यान दिया जाएगा अथवा जिस पर सदस्य देशों द्वारा कार्य किया जाएगा जो शिखर सम्मेलन रूस में होने जा रहा है?

संयुक्त सचिव (एससीओ) सुश्री मधुमिता: आतंकवाद पर संयुक्त घोषणा में बात कही गयी, एससीओ समझौता में मुख्य बात एक वक्तव्य पर एकमत होना है और यह सभी देशों का एकमत है जो देश यह संयुक्त घोषणा लेकर आ रहे हैं। इसलिए यह आतंकवाद के विरूद्ध एक मजबूत वक्तव्य है तथा संयुक्त घोषणा जल्द ही एससीओ की वेबसाइट पर उपलब्ध होगा तथा आप यह देख पाएंगे कि इसकी भाषा बड़ी कठोर है जिसको एससीओ के सभी सदस्यों ने एक प्रकार से समर्थन भी किया है, यह एक एकमत से दिया गया वक्तव्य है जो निकलकर बाहर आया है।

जहां तक अगले शिखर सम्मेलन के लिए खाका तैयार करने का संबंध है, यह बैटन रूस के पास चला गया है और रूस ने पहले ही सूचित कर दिया है कि उसमें लगभग 90 कार्यक्रम होंगे, 90 दस्तावेजों को उद्धृत किया जाएगा और राष्ट्रपति पुतिन ने अपने भाषण में भी इसे उद्धृत किया है कि वे साइबर आतंकवाद जैसे कतिपय क्षेत्रों पर फिर फोकस करेंगे, यह क्षेत्र उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, आईटी और डिजिटलीकरण में सहयोग होगा और दूसरे विश्व युद्ध की 75वीं बरसी मनायी जाएगी। रूस इसकी तैयारी कर रहा है और अन्य क्षेत्रों के लिए तैयारी कर रहा है।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार:
यहां आने के लिए आप सभी का धन्यवाद।



टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या