सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार: शाम की नमस्ते और मैं एक बार फिर आपका बिश्केक से इस विशेष ब्रीफिंग
में आपका स्वागत करता हूं। प्रधानमंत्री ने अभी-अभी रूसी राष्ट्रपति के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक को समाप्त किया है। मेरे साथ भारत के विदेश सचिव मौजूद हैं जो आपको इस बैठक के संबंध में संक्षिप्त जानकारी देंगे और उसके पश्चात प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम होगा। सर,अब
आप मंच संभालिए।
विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: रवीश जी आपका धन्यवाद। हम अभी-अभी प्रधानमंत्री और रूसी गणराज्य के
राष्ट्रपति पुतिन के बीच गर्मजोशी और मैत्रीपूर्ण बैठक से लौटे हैं। इस पूरे बैठक में रिश्ते की गर्माहट और व्यक्तिगत मित्रता स्पष्ट रूप से दिखी और वास्तव में पूरी बैठक मित्रता से ओतप्रोत थी जिसका उन्होंने सहयोगी की तरह आनंद उठाया और कि इसका आनंद उन्होंने पिछले
कुछ वर्षों से उठाया है।
राष्ट्रपति पुतिन ने इस संबंध को और मजबूत करने में प्रधानमंत्री के व्यक्तिगत योगदान की विशेष रूप से सराहना की। उन्होंने एक से अधिक अवसर पर इसका उल्लेख किया,उन्होंने विशेष रूप से यह भी कहा कि
रूस ने अपना सर्वोच्च सम्मान,द ऑर्डर आफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टलप्रधानमंत्री को उनके प्रयास और उन पहलों के लिए दिया जिसे उन्होंने रूस के साथ संबंध को विकसित करने
के लिए किया है।
दोनों ही नेताओं ने इस साझेदारी को भावी दुनिया के स्थायित्व के लिए महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में मान्यता दी और दोनों के बीच यह समझ थी कि यह साझेदारी,यह संबंध पुराना संबंध है,यह
एक ऐसा संबंध है जो नेतृत्व और लोगों के बीच विश्वास पर आधारित है और कि इस संबंध को बनाए रखने की आवश्यकता है,इसे विकसित किए जाने की आवश्यकता है,इसे और प्रोत्साहित
किए जाने की आवश्यकता है।
राष्ट्रपति पुतिन ने औपचारिक रूप से सितम्बर की शुरूआत में व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच के लिए मुख्य अतिथि के रूप में प्रधानमंत्री को आमंत्रित किया और प्रधानमंत्री ने बड़े गर्मजोशी के साथ इस निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है। इसलिए यह यह
एक द्विपक्षीय दौरा होगा जिसे प्रधानमंत्री पूर्वी आर्थिक मंच और उसके बाद भारत-रूस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए मुख्य अतिथि के रूप में सितम्बर के शुरू में व्लादिवोस्तोक में करेंगे।
प्रधानमंत्री ने यह महसूस किया कि यह सहयोग का नया क्षेत्र है जिसे सक्रिय रूप से दोनों पक्षों द्वारा तलाशा जाना चाहिए और इसलिए प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को सूचित किया कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए अपनी ओर से गंभीर तैयारी करेंगे कि पूर्वी
आर्थिक मंच में उसकी भागीदारी अर्थपूर्ण हो तथा इसलिए प्रधानमंत्री ने यह बताया है कि कारोबारी शिष्टमंडल और मुख्य भारतीय राज्यों के प्रतिनिधि इस नए क्षेत्र की पहचान करने,अवसर तलाशने और कारोबारी सहयोग के क्षमता
वाले क्षेत्रों में कार्य करने के लिए प्रधानमंत्री के सितम्बर के शुरू में होने वाले अपने दौरे से पूर्व व्लादिवोस्तोक और सुदूर पूर्वी रूस की यात्रा करेंगे।
जैसा कि आप जानते हैं कि रूसी सुदूर पूर्वी भाग संसाधन से भरपूर है और यहां तेल व गैस के भंडार हैं,यहां अन्य खनिज पदार्थ भी हैं,यहां लकड़ी है और
यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें हम रूस के साथ मिलकर कार्य करना चाहेंगे क्योंकि प्रशांत क्षेत्र में रूस एक महत्वपूर्ण देश है और यह हमारे एक्ट ईस्ट नीति का एक हिस्सा है। इसलिए,ऐसी ऐसी बात है जिस पर हम विशेष जोर देने
जा रहे हैं।
दोनों नेताओं ने व्यापार और निवेश संबंधों की समीक्षा की,उन्होंने नोट किया कि हम उर्ध्व प्रक्षेप पथ पर हैं,कि वास्तव में हमने व्यापार और निवेश
के लिए जो लक्ष्य निर्धारित किए हैं वे अधिक हो गए हैं,कि हमारा ऊर्जा सहयोग बेहतर तरीके से चल रहा है। राष्ट्रपति पुतिन ने वेंकोर क्लस्टर,जो माना जाता है कि रूस
के पास तेल और गैस के सबसे बड़े भंडारों में से एक है, के लिए रूसी कंपनियों और भारतीय व्यापार संघ के बीच चल रही बातचीत के बारे में उल्लेख किया।
फोकस का एक नया क्षेत्र जिसकी दोनों नेताओं द्वारा पहचान की गयी वह है आर्कटिक क्षेत्र तेल और गैस भंडार। यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां हम महसूस करते हैं कि हमें और ध्यान देना व साथ कार्य करना चाहिए और हमने पहले से ही साथ मिलकर कार्य करना शुरू कर
दिया है। पिछले महीने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के एक शिष्टमंडल की रूस पक्ष से पहले ही इस मामले में बातचीत हुई थी और यह ऐसी बात है जिसे इन नेताओं ने महसूस किया कि हमें इसे आगे ले जाना चाहिए।
दोनों नेताओं ने रूसी सुदूर उत्तरी भाग में कार्य करने पर भी बातचीत की जो भाग एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और वे इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए भारतीय जनशक्ति का उपयोग कर रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि यह एक विशाल क्षेत्र है किंतु यहां जनसंख्या
बहुत कम है। इसलिए भविष्य में इसका भी अन्वेषण किया जाएगा और रणनीतिक आर्थिक वार्ता जिसमें हमारी ओर से नीति आयोग के उपाध्यक्ष अध्यक्षता करेंगे,में इन सभी क्षेत्रों पर चर्चा की जाएगी। यह बैठक जुलाई में होगी।
इसके पूर्व उप प्रधानमंत्री और सुदूर पूर्व में आर्कटिक क्षेत्र से राष्ट्रपति पुतिन के विशेष प्रतिनिधि,उप प्रधानमंत्री ट्रटनेव जून में भारत का दौर करेंगे और हमलोग भी भारत-रूस अंतर्संरकारी परामर्श
की संभावना की भी योजना बना रहे हैं जिसकी अध्यक्षता हमारी ओर से विदेश मंत्री करेगें और इसकी बैठक वार्षिक सम्मेलन के पूर्व सितम्बर से पूर्व होने वाली है। इसलिए,जिन क्षेत्रों को हमने रेखांकित किया है,जो
ऊर्जा,जनशक्ति,व्यापार व निवेश के बारे में तथा इन सभी संस्थागत तंत्रों में रूसी सुदूर पूर्वी क्षेत्र पर विचार किया जाएगा।
एक क्षेत्र जिसके बारे में राष्ट्रपति पुतिन ने विशेष रूप से उल्लेख किया वह था भारतीय रेलवे का आधुनिकीकरण। इस संबंध में वे नागपुर-सिकंदराबाद के उन्नयन के लिए अध्ययन कर रहे हैा और यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें उन्होंने महसूस किया कि रूस की इसमें
दिलचस्पी है। स्वाभाविक रूप से रक्षा संबंधी मुद्दों पर चर्चा हुई और प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति पुतिन को उस तत्परता के लिए धन्यवाद दिया जिस पर रूस ने अमेठी में एके203 कलशनिकोव राइफल के निर्माण के लिए मेक इन इंडिया के हमारे अनुरोध पर प्रतिक्रिया दी थी। यह एक
ऐसी परियोजना है जिसे रिकार्ड समय में स्थापित की गयी थी और राष्ट्रपति पुतिन ने वास्तव में इस बात की पुष्टि की कि प्रथम आर्डर पहले ही शुरू कर दिया गया है। दोनों ही नेता इससे बहुत खुश थे।
एक तरह से यह एक प्रक्रिया की शुरूआत है जहां हम खरीददार-विक्रेता संबंध से आगे निकलकर ऐसे संबंध में प्रवेश करते हैं जहां प्रौद्योगिकी अंतरण और मेक इन इंडिया और रोजगार सृजन व भारत में वस्तु निर्माण शामिल है। इसलिए हम अन्य अंतर्सरकारी समझौतों
पर चर्चा करेंगे जिसे हम आशापूर्वक करने का प्रयास करेंगे यदि हम इस द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के समय कर सकें किंतु इस वर्ष के अंत तक निश्चय हीं जहां ऐसे कई और अवसर आएंगे जिनमें रूसी प्रौद्योगिकी और रूसी निर्माण भारत में आएंगे।
इसलिए, कुल मिलाकर यह एक संक्षिप्त बैठक थी किंतु विषय-वस्तु व रेखांकित विषयों के संदर्भ में यह एक बड़ी महत्वपूर्ण बैठक थी जहां हम अगले द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए आगे बढ़ेंगे जो अब से दो
या तीन महीने में होगी। और यद्यपि उन्होंने यह कहकर बैठक को समाप्त किया कि वे,जैसा कि आप जानते हैं,जी20 शिखर वार्ता में एक दूसरे के साथ ओसाका में मिलने की प्रतीक्षा
करेंगे। प्रधानमंत्री राष्ट्रपति शी जिंगपिंग के साथ मिलेंगे और यह पूर्वनियोजित है कि रूस-भारत-चीन जी20 शिखर सम्मेलन के इतर एक त्रिपक्षीय बैठक भी करेंगे।
इसलिए, इस बैठक की समाप्ति इस आश्वासन के साथ हुई कि दोनों ही नेता निकट भविष्य में पुन: मिलेंगे और इस बीच जिन क्षेत्रों पर हमारी सहमति बनी है,जिन्हें
अभी-अभी हमने रेखांकित किया है,हम यात्रा,साथ मिलकर कार्य करने तथा सितम्बर में वार्षिक शिखर वार्ता के लिए ठीक से तैयारी करने के लिए कतिपय समझौतों पर कार्य करने
के संदर्भ में प्रगति देखेंगे।
प्रश्न: क्या एस400 पर कोई चर्चा हुई जिसके लिए अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है और वह इसका विकल्प भी दे रहा है?दूसरा,इस
बैठक में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच आतंकवाद अथवा पाकिस्तान से संबंधित चर्चा हुई?
विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: प्रधानमंत्री द्वारा अमेठी में एके203 कलासनिकोव फैक्ट्री के लिए
रूसी राष्ट्रपति को धन्यवाद देने के अतिरिक्त किसी खास रक्षा उपकरण के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई।
इस पर चर्चा हुई कि हम इस मेक इन इंडिया को कैसे आगे ले जा रहे हैं और कुछ अन्य विशिष्ट क्षेत्र जहां हम आपस में सहयोग करना चाहेंगे,पर भी चर्चा हुई किंतु बहुत ही कम समय उपलब्ध होने के कारण कोई
विस्तृत चर्चा नहीं हुई। और न ही किसी क्षेत्रीय या अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई क्योंकि इस बातचीत का फोकस पूर्णत: इस पर आधारित था कि अगले वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की यात्रा को कैसे सफल बनाएं और हमें इस नए क्षेत्र,रूसी
सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र में सहयोग के नए आयाम के लिए कार्य करने की आवश्यकता है। यह चर्चा इस मुद्दे पर आधारित था।
प्रश्न: मेरा प्रश्न यह है कि यदि रूसी राष्ट्रपति के एक अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए भारत आने की उम्मीद है क्योंकि वास्तव में रूसी दूत ने वायोन से कहा कि रूसी राष्ट्रपति दूसरी अनौपचारिक वार्ता
के लिए भारत आएंगे। क्या यही योजना है?
विदेश सचिव,श्री विजय गोखले: इस समय आज कोई चर्चा नहीं हुई है। हमारा पिछले वर्ष रूस के साथ अनौपचारिक
बातचीत हुई थी और जैसा कि मैंने कहा कि इस समय जिस यात्रा की घोषणा की गयी है वह यात्रा सितम्बर के शुरू में प्रधानमंत्री की यात्रा।
उसके पश्चात, मैं आश्वस्त हूं कि कई अन्य अवसर होंगे जहां दोनों नेतागण द्विपक्षीय और बहुपक्षीय रूप से मिलेंगे। आपकी सूचना के लिए वर्तमान सरकार के पिछले पांच वर्ष के कार्यकाल अर्थात् 2014-2019
के दौरान प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के बीच 27 बैठकें,
13 द्विपक्षीय वार्ता और 14 बहुपक्षीय वार्ताएं हुई हैं। इसलिए मैं मानता हूं कि यह परंपरा और निरंतरता जारी रहेगी तथा यह दोनों पक्षों का उद्ददेश्य और लक्ष्य है।
सरकारी प्रवक्ता,श्री रवीश कुमार:आपका धन्यवाद
सर और सभी लोगों का धन्यवाद।
(समाप्त)