यात्रायें

Detail

एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन में भाग लेने हेतु प्रधानमंत्री की बिश्केक की आगामी यात्रा पर सचिव (पश्चिम) द्वारा मीडिया ब्रीफिंग प्रतिलेख (10 जून, 2019)

जून 11, 2019

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार :मित्रों नमस्कार !राज्‍य के प्रमुखों की एस.सी.ओ परिषदकी बैठक में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री की बिश्केक यात्रा पर इस विशेष ब्रीफिंग मे स्वागत है। प्रधानमंत्री किर्गिस्तान की द्विपक्षीय यात्रा के बाद राज्‍यों के प्रमुखों की बिश्‍केक परिषद की बैठक में भाग लेंगे । सचिव (पश्चिम) श्री गीतेश शर्मा मेरे साथ मंचासीन हैं। संयुक्त सचिव (ईआरएस) मनीष प्रभात भी मेरे साथ मंचासीन हैं। सचिव (पश्चिम) द्वारा प्रारंभिक ब्रीफिंग के बाद मैंप्रश्‍नों तथा उत्‍तरों हेतु आमंत्रित करूंगा।

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा : रवीश,धन्‍यवाद। आप सभी को नमस्कार। हम प्रधानमंत्री की बिश्केक, किर्गिस्तान की यात्रा की पूर्व संध्या पर आगामी एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन कीबैठक का आयोजन कर रहे हैं और जैसा कि रवीश ने कहा,भारत-किर्गिस्तान यात्रा का द्विपक्षीय खंड(सेगमेंट्स)भी है।

वर्ष,2017 में इसके विस्तार के बाद यह दूसरा एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन होगा जब इसमें सदस्य के रूप में पाकिस्तान के साथ भारत शामिल हुआ। यह पहला बहुपक्षीय शिखर सम्मेलन है जिसमें चुनाव के बाद पी.एम भी उपस्थित होंगे । शिखर सम्मेलन वास्‍तव में 14 जून,2019 को आयोजित किया जाएगा। नेताओं के 13 जून, 2019 को पहुंचनेकी संभावना है।

मित्रों, यह संगठन विश्व की जनसंख्‍या का लगभग 42%, उसके भूमि क्षेत्र का 22% और जी.डी.पी. का 20% प्रतिनिधित्व करता है। हमारे लिए यह मध्य एशियाई देशों के साथ जुड़ने के लिए एक संरचित मंच है। एस.सी.ओ के फ्रेमवर्क के भीतर उठाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों में आतंकवाद, अफगानिस्तान, अलगाववाद, उग्रवाद और उनकी कई स्‍ट्रीम्‍सशामिल हैं जिनके भीतर सहयोग विकसित हुआहै और आगे बढ़ा है।

यहां मैं यह जोड़ना चाहूंगा कि विदेश मंत्रालय के भीतरइस संगठन के साथ हमारे जुड़ाव को प्रबंधन करने के लिए हमारे पास विशेषकृत एस.सी.ओ डिवीजन है। यह आपको हमारी प्रतिबद्धता और इस संगठन के साथ हमारे जुड़ाव की सीमा को इंगित करेगा। भारत ने पिछले एक वर्ष में किर्गिस्तान नेतृत्व के अंतर्गत विभिन्न एस.सी.ओ तंत्रों में सक्रिय रूप से भाग लिया है।

संगठन संदर्भ उद्देश्यों के लिए आम सहमति के आधार पर कार्य करता है। आमतौर पर वैश्विक सुरक्षा स्थिति, बहुपक्षीय आर्थिक सहयोग, जन विनिमय और अन्य सामयिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जाता है।

मैं सदस्य-सूची में नहीं जाऊंगा लेकिन भारत सहित 8 देश एस.सी.ओ के सदस्य हैं। आप पर्यवेक्षकों की अवधारणा से भी परिचित हैं, इसलिए पर्यवेक्षक, संवाद सहयोगी और ऐसे अन्य लोग भी हैं, जो एस.सी.ओ की बैठकों में भाग लेते हैं,एस.सी.ओ महासचिव, ताशकंद स्थित आरएटीएस (क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना) के कार्यकारी निदेशक हैं।

प्रारूपी शिखर सम्‍मेलन के संदर्भ में, मैं आपको संक्षिप्त रूप से बता सकता हूं। पहला कुछ समय समूह फोटोग्राफ के लिए रखा गया है, राज्य के प्रमुखों की परिषद एक प्रतिबंधित प्रारूप में मिलती है, पर्यवेक्षक राज्यों की भागीदारी के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की बैठक, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर, फिर से एक समूह फोटोग्राफ जिसमें पर्यवेक्षक देश भी होते हैं और फिर बाद में एक आधिकारिक रूप से दोपहर का भोजन शामिल है। तो यह तिथि 14कोएक सुगठितकार्यक्रम का आयोजन है।

इस फार्मेट में हम संबंधितस विषय के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसमें जब प्रधानमंत्री सहभागिता करते हैं, तो वे अपने विचार रखते हैं, तो वह एस.सी.ओ प्रक्रिया के संबंध में भारतीय मुद्दों और प्राथमिकताओं को प्रतिबिंबित करेंगे।

मैंने आपसे अफगानिस्तान पर संपर्क समूह के बारे में उल्लेख किया है। जिसमें कई गतिविधियाँ हुई हैं इसलिए मुझे उनमें से कुछ का उल्लेख करना चाहिए। संपर्क समूह की अंतिम बैठक 18 से 19 अप्रैल, को बिश्केक में हुई थी। आर.ए.टी.एस. एक बहुत ही महत्वपूर्ण निकाय है जिसके साथ सूचनाओं का आदान-प्रदान तथा आतंकवाद विरोधी गतिविधियों पर सहयोग प्राप्त होता है। हमारी ओर से एन.एस.सी.एस नोडल एजेंसी है।

रक्षा एस.सी.ओ प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। हाल ही में29-30 अप्रैल, 2019 को केवल रक्षा मंत्री नेबिश्केक में आयोजित एस.सी.ओ रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लिया ।

सितंबर,2019 में और बाद में भी रक्षा संबंधी कुछ गतिविधियाँ होने वाली हैं।

मैं इस स्तर पर जोड़ना चाहूंगा कि जब हमने आपको एस.सी.ओ बैठकों के प्रारूप का विहंगावलोकन दिया है, तो वास्तव में द्विपक्षीय बैठकों की गुंजाइश है और हम रूस और चीन के साथ द्विपक्षीय बैठकों की पुष्टि करके प्रसन्न हैं, जो एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन के माध्‍यम से आयोजित की जा रही हैं। और भी कई अनुरोध होंगे तथा हैं भी परंतु सीमित समय उपलब्ध होने के कारण अन्य अनुरोधों पर विचार करना प्रक्रियाधीन हैं।

मैं यह भी बताना चाहूंगा कि यह एक बहुत ही विशेष यात्रा है क्योंकि इसमें एक द्विपक्षीय घटक भी है। भारत-किर्गिस्तान द्विपक्षीय खंड(सेगमेंट)14 जून कोदेर सेदोपहर में होगा। कुल मिलाकर हमारा किर्गिज गणराज्य के साथ बहुत सक्रिय द्विपक्षीय जुड़ाव है।

इसे याद किया जा सकता है कि भारत में जनवरी,2019 में समरकंद में मध्य एशिया संवाद(डायलॉग) आयोजित किया गया था और इस रूपरेखा(फ्रेमवर्क) के अंतर्गत कई पहलों की योजना बनाई गई थी। किर्गिस्तान भी इस वार्ता का सदस्य है। यहां हम कह सकते हैं कि भारत के साथ मजबूत संबंधपर मध्य एशिया में सुदृढ़ सहमति बनी है, इसलिए हम मध्य एशियाई राज्यों के साथ सामूहिक रूप से तथाद्विपक्षीय आधार पर जुड़े हुए हैं।

द्विपक्षीय वार्ता के संदर्भ में जहाँ तक किर्गिस्तान का संबंध है, यह याद किया जा सकता है कि हाल ही में 30 मई, 2019 को प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण समारोह में किर्गिज के राष्ट्रपति ने भाग लिया था। वास्‍तव में यह एस.सी.ओ अध्यक्ष के रूप में उनकी हैसियतमें था परंतु यह शपथ ग्रहण समारोह में उपस्थित होने वाले एकमात्र मध्य एशियाई देश से संबंधित था लेकिन यह एक तरह का आयोजन नहीं है।

वास्तव मे यह एक बहुत ही सक्रिय संबंध है, यदि आपने देखा हो,कि हाल ही में नवंबर,2018 को भारत-किर्गिज संयुक्त आयोग की हमारे वाणिज्य मंत्री और किर्गिज स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में मुलाकात की है। किर्गिज के विदेश मंत्री ने जनवरी,2019 में भारत का दौरा किया। 21-22 मई, 2019 को एस.सी.ओ की बैठक में विदेश मंत्री के स्तर पर एक यात्रा हुई थी, जहाँ फिर से द्विपक्षीय संबंधों(इंगेजमेंट) की गुंजाइश थी। विदेश कार्यालय परामर्श का 10 वां दौर(राउंड) था, जहां अप्रैल,2019 में मैंने भारतीयोंकी ओर से बिश्केक में इसके आयोजन की अध्यक्षता की।

यदि आप थोड़ा और पीछे जाएं तो पाएंगे कि प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष2015 में मध्य एशिया की एक ऐतिहासिक यात्रा की थी जहाँ उन्होंने किर्गिज गणराज्य का दौरा किया था और दिसंबर,2016 में पूर्व किर्गिज राष्ट्रपति ने भारत का दौरा किया था। इसलिए यदि हम इस स्नैपशॉट को ध्यान में रखें, तो यह किर्गिज गणराज्य के साथ बहुत-हीसक्रिय संबंध है।

यह लगभग 6 मिलियन लोगों का देश है। मध्य एशियाई देशों के साथ विकासशील संबंधों के साथ मुख्य रूप से उनके लैंडलॉक होने के कारण कुछ चुनौतियां हैं, लेकिन हम वाणिज्यिक और आर्थिक पहलुओं सहित हमारे संबंधों के सभी पहलुओं को सबसे अधिक महत्व देते हैं और हम उन तरीकों को देखते हैं जिनमें हम विशेषकर कनेक्टिविटी की समस्याओं का समाधान कर सकते हैं।

वर्ष 2017-18 में किर्गिस्तान के साथ द्विपक्षीय व्यापार लगभग 60 मिलियन डॉलर था। तो यही आर्थिक संबंधों(इंगेजमेंट) का पैमाना है। किर्गिज गणराज्य में हमारे लगभग आठ हजार भारतीय विद्यार्थी हैं, यह एक ऐसी चीज है जो अक्सर पर्याप्त ध्यान तो आकर्षित नहीं करती हैपरंतु किर्गिज गणराज्य के साथ हमारे द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रकार के शैक्षिक दृष्टिकोण(एंग्‍ल)को दर्शाती है।

चूंकि मैंने आपको एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन के प्रारूप का एक स्नैपशॉट दिया था, इसलिए फिर से द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन उसी तरह के प्रारूप का पालन करेगा जो सामान्य रूप से द्विपक्षीय यानी प्रतिबंधित प्रारूप, प्रतिनिधिमंडल स्तर और दस्तावेजों और शायद एक भोज के लिए होता है। मुझे केवल उसी दिन अर्थात्14 जून को फिक्की और उसके समकक्ष किर्गिज संगठन से जुड़े व्यापारिक शिखर सम्मेलन की संभावना पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहिए। 13 जून कोहम ‘भारत तथा मध्‍य एशिया के कलर्स एवं वेव्स‘ विषय पर एक भारत-किर्गिज कपड़ाप्रदर्शनी पर काम कर रहे हैं।

यह एक ऐसी प्रदर्शनी है जो दोनों देशों की कपड़ा परंपराओं को एक साथ लाती है और आप जानते हैं कि ऐसी कई समानताएँ हैं जो भारत और मध्य एशियाई देशों के बीच इस तरह के संयुक्त प्रदर्शनों में उजागर होती हैं। इसलिए किर्गिज गणराज्य और भारत इस प्रदर्शनी में एक साथ अपने प्रदर्शन लगाएंगे। लगभग 100 भारतीय प्रदर्शनीय वस्‍तुओं का प्रदर्शन किया जाएगा और इसे हस्तशिल्प के लिए कपड़ा मंत्रालय और निर्यात संवर्धन परिषद द्वारा आयोजन किया जाता है।

इसलिए वास्‍तव में हम प्रधानमंत्री की आगामी बिश्केक की यात्रा की तैयारियों वाले स्‍थान में हैं।

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : धन्यवाद महोदय ! अब आप अपने प्रश्न पूछ सकते हैं।

प्रश्न: क्या प्रधानमंत्री के रहते आर.आई.सी (रूस-भारत-चीन) के शिखर सम्मेलन की संभावना है ? औरआपने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठक के लिए कई अनुरोध हैं, क्या पाकिस्तान से भीकोई है?

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: पाकिस्तान को पहले ही जवाब दिया जा चुका है लेकिन अन्य प्रश्नों का जवाब सचिव देंगे।

प्रश्न: क्या अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण उत्पन्न व्यापार मुद्दों पर राष्ट्रपति शी और राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठकों के दौरान चर्चा की जाएगी। आपने यह भी कहा कि एस.सी.ओ के संबंध में वर्ष में बाद में कुछ रक्षा संबंधी विकास होंगे, वह क्या हो सकता है? और क्या आप एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन में व्यापार, कनेक्टिविटी और निवेश पर चर्चा के बारे में कुछ बता सकते हैं ?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा:ठीक है, मैं पहले ही द्विपक्षीय बैठकों के बारे में उल्लेख कर चुका हूं जो एस.सी.ओ शिखर सम्मेलन के दौरानस्थापित किए गए हैं। हमारा रूस के साथ द्विपक्षीय जुड़ाव रहा है और चीन के साथ हमारा द्विपक्षीय जुड़ाव है। मैंने यह भी उल्लेख किया है कि जहां तक समय उपलब्धता का संबंध है तो उसकी एक सीमा है, यदि अवसर होगा तो द्विपक्षीय बैठकों के लिए दूसरे अनुरोध पर कार्रवाई की जाएगी तो अभी मैं इस विषय को यहीं छोड़ता हूं।

जहां तक आपने व्यापार और रक्षा के बारे में उल्लेख किया है, एस.सी.ओ की बैठकों में हस्तक्षेप बहुत स्वतंत्र और स्पष्ट हैं और हर देश इसके लिए अधिक महत्व के मुद्दों को उजागर करता है, इसलिए हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि भाग लेने वाले नेता उन सभी मुद्दों पर विचार करेंगे जो उनके मन में सबसे प्राथमिकता पर हैं। इसलिए मुझे यकीन है कि जैसा कि मैंने बहुपक्षीय आर्थिक जुड़ाव और वर्तमान वैश्विक परिदृश्य का उल्लेख किया है, ये ऐसी चीजें हैं जो उनके दिमाग में भी एक प्रकार से, सर्वप्रथम है, इसलिए हम इसे उन्हीं पर छोड़ देंगे क्योंकि यह नेताओं पर निर्भर है कि वे विशिष्ट पहलुओं और विशिष्ट दृष्टिकोणों को सामने लाते हैं, लेकिन यह बहुत अनुकूल सभा है और अधिकांश परिणाम दस्तावेज से प्राप्त होतेहैं और सभी की आमतौर पर पूर्व में बातचीत की जाती है, इसलिए ये आपसी आम सहमति को दर्शाते हैं।

प्रश्न जारी: मैं विशेष रूप से द्विपक्षीय बैठकों के बारे में पूछ रहा हूं।

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: यदि मैं सुझाव दूं कि हमें इस अटकलबाजी में नहीं आना चाहिए कि क्या चर्चा की जाएगी। एक बार बैठकें होने के बाद, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि ब्रीफिंग होगी, जो प्रकाशित(रिलीज) होगी, जहां हम आपको घटनाक्रमों के बारे में सूचित करेंगे, इसलिए अब हम इसमें शामिल नहीं होते हें ।

प्रश्न: क्या ईरान की ओरसेद्विपक्षीय बैठक के लिएकोई अनुरोध किया गया है?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: मैं कहूंगा कि हमारे पास एक से अधिक अनुरोध हैं और यह सब समय की उपलब्‍धतापर निर्भर करता है। उस स्थान पर प्रधानमंत्री के बहुत अधिक कार्यक्रम है, इसलिए मैं फिर से वही बात दोहराऊंगा कि हमने जो पुष्टि की है, हम वही आपको बता सकते हैं ।

प्रश्न:आपने कहा कि इस रूपरेखा को देखते हुए आप अभी भी उन मुद्दों पर जोर देने की कोशिश करेंगे जो एस.सी.ओ में भारत की प्राथमिकता हैं। इसे आप समझा सकते हैं? और आपने यह भी कहा कि पहले से दो द्विपक्षीय तय किए गए हैं, आमतौर पर इस तरह के पुल-आउट द्विपक्षीय और कितनी देर तक उन पर चर्चा होने वाली है, क्या यह सिर्फ आंगिक(आर्गेनिक) हैंअथवाक्या वे पहले से तय किए गए हैं, बस यह जानने के लिए कि इन द्विपक्षीय बैठकों में क्या होता है।

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: आप देखें जब हमने दो द्विपक्षीय बैठकों की पुष्टि की है तो हमने यह नहीं कहा है कि ये खींच-तान भरी बैठकें हैं, ये उपयुक्‍तद्विपक्षीय बैठकें हैं। बैठकों में चर्चा की कार्यसूची(एजेंडा) और विषय, जैसा कि मैंने कहा, कुछ ऐसा नहीं है जिसे हम अभी साझा करें। बेशक द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जाएगी लेकिन आमतौर पर बैठक खत्म होने के बाद हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस तरह की बैठकों के परिणाम शीघ्र‍ातिशीघ्रआपके सामने रखें।

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा:मैं सोचता हूं कि मैं आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं कि जिस तरह से हम एस.सी.ओ से संपर्क करते हैं, यह हमें एक ढांचा प्रदान करता है जहां हम विशेष रूप से मध्य एशियाई देशों के साथ जुड़ सकते हैं और हम उनमें से हर एक के साथ मजबूत संबंध रखते हैं लेकिन यह एक ढांचा(फेमवर्क) प्रदान करता है जिसमें हम मध्य एशियाई देशों के साथ और अधिक कुशल तरीके से जुड़ सकते हैं।

एस.सी.ओ स्वयं मध्य एशिया प्रक्रियाओं के आधार पर विकसित हुआ जो उस समय हो रहे थे। इसलिए निश्चित रूप से इस अवसर का उपयोग मध्य एशियाई देशों के साथ हमारे संबंधों को मजबूत करने के लिए किया जाएगा। बेशक आप अन्य देशों को ध्यान में रखते हैं, हमने आपको पहले ही बताया है कि हमारे रूस और चीन दोनों के साथ बहुत अच्छे संबंध हैं, बहुत व्यापक संबंध हैं। इसलिए यह भी द्विपक्षीय पहलू में समाहित हो जाएगा लेकिन एस.सी.ओ बैठक उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी जो विशेष रूप से उस संगठन के लिए महत्वपूर्ण हैं और जो मध्य एशिया संगठन के केंद्र में है।

प्रश्‍न: हम यह पूछना चाहते हैं कि क्या सरकार ने प्रधानमंत्री मोदी केबिश्केक जाने के लिए पाकिस्तान के रास्‍तेउड़ान भरने के अधिकार के लिए पाकिस्तान से ओवरफ्लाइट के लिए अनुरोध किया है, साथ ही सरकार के अंदर क्या चल रहा है कि आम भारतीयों को उनके लिए इस तरह के दुर्लभ अपवाद नहीं मिल रहे हैं,क्या सरकार इस मुद्दे को उठाने जा रही है कि सैकड़ों हजारों भारतीयों को निर्वासित किया जा रहा है, रोगियों(पेशेंट) को अधिक समय तक यात्रा करने अथवाअतिरिक्त घंटे तक यात्रा करने में सक्षम नहीं किया जा रहा है, लेकिन पहली बातचीत में सरकार ने अनुमति मांगी है और यदि मांगी है, तो क्या पाकिस्तान द्वारा अनुमति दी गई है?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा:
मुझे लगता है कि प्रधानमंत्री के हवाई मार्गों, तकनीकी पहलुओं से संबंधित पहलुओं पर बात करना मेरे लिए कठिन है, इनसे अलग तरीके से निपटा जाता है। इसमें अन्य आइटम सुरक्षा और अन्य प्रकार के आयाम हैं, जिन्हें बहुत अलग तरीके से संसाधित किया जाता है, इसलिए शायद यह चर्चा करने का सही स्थान नहीं है और हम इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए सही व्यक्ति नहीं हैं।

प्रश्न जारी: क्या प्रधानमंत्री इस मुद्दे को उठा रहे हैं क्योंकि यह कनेक्टिविटी से जुड़ा मुद्दा है?

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: पुनः मुझे लगता है कि अगर इस मुद्दे को उठाया जाता है तो आपको पता चल जाएगा। इस समय हम वास्तव में उन मुद्दों के बारे में नहीं बता सकते जो एस.सी.ओ में उठाए जाएंगे।

प्रश्न: इस बात का अहसास होना चाहिए कि क्या यहवास्तव में महत्वपूर्ण है क्योंकि आर.ए.टी.एस (क्षेत्रीय आतंकवादरोधी संरचना) को एक महत्वपूर्ण स्तंभ के रूप में माना जा रहा। जब से भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ, तब से अब तक भारत में आर.ए.टी.एस से काफी महत्वपूर्ण परिवर्तन हुआ है और इस तथ्य को देखते हुए कि भारत-पाकिस्तान के संबंधों ने एक तरह से पूरे सार्क मंच को ओवरशेडो किया है, जो पटरी से उतरता दिख रहा है, आप कैसे सुनिश्चित कर रहे हैं जब आप एस.सी.ओ कक्ष में सभी घटनाओं पर एक साथ होते हैं तो यह द्विपक्षीय वार्ता गतिशील नहीं है?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: मुझे लगता है कि एस.सी.ओ के अंदर उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की समझ है जहां सहयोग का दायरा अधिक है और विवादास्पद मुद्दों को आमतौर पर बड़े पैमाने पर नहीं बढ़ायाजाता है। एस.सी.ओ के साथ अपने काम में हमने वास्तव में ऐसी पहल की बहुत गुंजाइश नहीं देखी है जहां विवादास्पद मुद्दों को आगे बढ़ाया जाता हो, इसलिए मुझे लगता है कि यह फिर से आश्वस्त करना होगा।

जहाँ तक आर.ए.टी.एस का संबंध है, हाँ सूचना का बहुत उपयोगी आदान-प्रदान है और आर.ए.टी.एस से जुड़े अन्य प्रकार के सहयोग जो ताशकंद में स्थित हैं। एस.सी.ओ का एक प्रमुख उद्देश्य अलगाववाद, उग्रवाद और आतंकवाद से लड़ना भी है। इसलिए आरएटीएस इस तरह के प्रयास जारी है और हम आरएटीएस के साथ जुड़कर खुश हैं।

प्रश्न: क्या भारत इस वर्ष एस.सी.ओ रक्षा सहयोग के तहत किसी भी रक्षा संबंधी गतिविधि की मेजबानी कर रहा है?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: मुझे ठीक से याद नहीं है, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि जिस तरह से हम कुछ स्‍तर (स्टेज) पर काम करते हैं, सभी एस.सी.ओ सदस्य देश भी दूसरे देशों के लिए कुछ करते हैं, लेकिन इस स्तर पर हमारे पास आपको बताने के लिए कुछ भी नहीं है।

प्रश्न जारी:इस वर्ष कौन-कौन सी गतिविधियाँ नियोजित की जा रही हैं?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: मैंने इस वर्ष नहीं कहा है।

प्रश्न: आपने कहा कि हर देश अपनी ऐसी चिंताओं(कन्‍सर्न) और मुद्दों को उठाता है जो उसके लिए महत्वपूर्ण हैं। चीनी उप विदेश मंत्री ने कुछ समय पहले एक ब्रीफिंग आयोजित की, जहां उन्होंने कहा कि एस.सी.ओ. किसी एक देश को लक्षित करने के लिए एक मंच नहीं है लेकिन आतंकवाद के मुद्दे पर बड़े पैमाने पर चर्चा की जाएगी। क्या भारत पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद का मुद्दा उठाएगा?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेशशर्मा :
मुझे लगता है कि यदि आप पिछले एस.सी.ओ इंटरैक्शन और शिखर सम्मेलन के रिकॉर्ड को देखें, तो आतंकवाद शंघाई सहयोग संगठन के विचार-विमर्श में आता है। जब मैंने अफगानिस्तान पर संपर्क समूह के बारे में भी उल्लेख किया, तो वहां के हालात से वहां के देशों को चुनौती मिली है और उन्होंने अफगानिस्तान की स्थिरता में भी गहरी दिलचस्पी ली है। इसलिए इन मुद्दों पर चर्चा होने की संभावना है। मैं विशिष्ट देशों के बारे में कुछ नहीं कह सकता।

जैसा कि मैंने उल्लेख किया है कि एस.सी.ओ एक सुसंगठित तंत्र है और कुल मिलाकर यदि आप दस्तावेजों में परिणाम को देखते हैं तो वे सर्वसम्मति की राय को दर्शाते हैं परन्तु वे देश की चिंता को भी दर्शाते हैं। वे सभी, मध्य एशियाई देशों, रूस, सभी आतंकवाद जैसी गंभीर चुनौती के बारे में बात करते हैं।

प्रश्न: आपने कुछ रक्षा संबंधी विकासों के बारे में बात की है, जो इस वर्ष के अंत में होंगे। क्या इसमें बहुपक्षीय रक्षा अभ्यास शामिल होगा जो स्पष्ट रूप से भारत और पाकिस्तानी दोनों सेनाओं को शामिल करेगा?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: भारत में?

प्रश्न जारी:अथवाकहीं और।

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: रक्षा अभ्यास चल रहे हैं, मेरा मानना है कि एक रक्षा अभ्यास सितंबर में रूस में हुआऔर इसे रक्षा व्यायाम अभ्यास 2019 में ऑब्जर्वर कहा जाता है। पहले भी कई रक्षा अभ्यास हो चुके हैं, इसलिए यह होने की उम्मीद है।

प्रश्न जारी: क्या इसमें सभी सदस्य देश शामिल होंगे?

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा:
निश्चित रूप से डोमेन से जुड़े लोगों के होने की संभावना है, जैसा कि मैंने कहा कि पहले भी अभ्यास होता रहा है इसलिए यह भी एक तरह का निरंतर अभ्यास है और इस पहलू पर और अधिक अटकलें न दें क्योंकि यह सब एस.सी.ओ सहमति सिद्धांतों पर आधारित है और जो आम चुनौतियों और खतरों से लड़ने के लिए है और मैंने इसमें कोई समस्या नहीं देखी है।

प्रश्न: क्या आप वह तिथि बता सकते हैं जिस दिन प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी मिलेंगे और हम यह भी जानते हैं कि अनौपचारिक बैठक के दूसरे दौर के लिए राष्ट्रपति शी की भारत यात्रा से पहले यह बैठक बहुत महत्वपूर्ण है। कुछ रिपोर्ट्स कह रही हैं कि यह साइडलाइन बैठक एक संरचनात्मक बातचीत होगी जिसका मतलब है कि कार्यसूची(एजेंडा) पहले से ही निर्धारित है। क्या आप इसके बारे में अधिक सेजानकारी साझा कर सकते हैं और इस वार्ता के लिए विशेष तैयारी क्या है?

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: देखिए, हमने अभी पुष्टि की है कि बैठक हो रही है। जैसे-जैसे बैठक की तिथि करीब होगी शायद हमारे पास अधिक जानकारी होगी। इस समय हम बैठक की सही तिथि का उल्लेख नहीं कर सकते हें क्योंकि यह एक बहुपक्षीय प्रारूप है और इस पर चर्चा जारी है। एक बार जब हमारे पास समय तय हो जाएगा तो हम आपके साथ साझा करेंगे।

प्रश्न जारी: क्या यह 13 तारीख को भी है?

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: हम जो कह रहे हैं, वह बैठक 13 तारीख को भी हो सकती है। चूंकि प्रधानमंत्री 13 जून को आने वाले हैं इसलिए बैठक 13अथवा14तारीखको होने की संभावना है। जहां तक कार्यसूची(एजेंडा) की बात है, फिर से कहना चाहूंगा कि कार्यसूची(एजेंडा) हमने पहले से साझा नहीं किया है, जैसा कि मैंने बताया है, बैठक होने के बाद हम विवरण साझा करेंगे और बैठक में क्या हुआ आप सभी के समक्ष रखेंगे।

प्रश्न: पाकिस्तान को उसकी आतंकीनीतियों के चलते हमारी पॉलिसी का हिस्सा रहा है कि हर फोरम पर हम उसको अलग-थलग करते रहे हैं। क्या एस.सी.ओ के फोरम का भी इस्तेमाल हम इसके लिए करेंगे जहां पर पाकिस्तान हमारे साथ संयुक्त रूप से शामिल होगा ?

(यह हमारी नीति का एक हिस्सा है कि हम आतंकवाद की अपनी नीति के कारण हर मंच पर पाकिस्तान को अलग-थलग कर रहे हैं। क्या हम एस.सी.ओ मंच का उपयोग उसी के लिए करेंगे जहां पाकिस्तान भी हमारे साथ भाग ले रहा है?)

सचिव (पश्चिम), श्री गीतेश शर्मा: मैं किसी खास देश के बारे में नहीं कहना चाहूंगा यहां पर, लेकिन जो एस.सी.ओ में हमें करना चाहिए वो हम करेंगे और जहां तक आतंकवाद का मुद्दा है तो जो हमारे लिए खतरा बना है और वहां पर मौजूद सभी देशों के लिए भी खतरा बना बना हुआ है, तो हम अपनी राय,हमारे दृष्टिकोण, हमारे अनुभव उसको हम जरूर आगे बढ़ाना चाहेंगे।

(मैं यहां किसी विशेष देश के बारे में उल्लेख नहीं करना चाहूंगा और हम एस.सी.ओ में जो भी करने वाले हैं और जहां तक आतंकवाद के मुद्दे का सवाल है, हम उठाएंगे और जो हमारे लिए और मंच के अन्य सदस्यों के लिए एक खतरा है। इसके अलावा, हम निश्चित रूप से इस विषय पर अपने विचारों और अपने अनुभवों को आगे बढ़ाना चाहेंगे।)

प्रश्न: जैसा कि आपने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और इमरान खान के बीच कोई औपचारिक बैठक की योजना नहीं है, लेकिन क्या आप दोनों नेताओं के बीच किसी भी अंतिम क्षण को लेकर खींचतानी तो नहीं कर हो रही है?

आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: आप देखते हैं कि हमें जो कुछ भी साझा करना था, वास्तव में पिछले ब्रीफिंग में मैंने पहले ही उल्लेख किया था कि जहां तक मेरी जानकारी है प्रधानमंत्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री, इमरान खान के बीच कोई बैठक आयोजित नहीं की जा रही है। मुझे लगता है कि अब और कुछ भी नहीं है जिसे हम आपसे साझा कर सकते हैं।

मुझे कोई और अदर हैंड नहीं दिखता। धन्यवाद सर, शुक्रिया मनीष जी और एस.सी.ओ समिट के लिए प्रधानमंत्री की बिश्केक यात्रा के लिए इस विशेष ब्रीफिंग में शामिल होने के लिए आप सभी को धन्यवाद।

(समापन)



पेज की प्रतिक्रिया

टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या