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प्रधानमंत्री की मालदीव और श्रीलंका की आगामी यात्रा के संबंध में विदेश सचिव द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेख (06 जून, 2019)

जून 07, 2019

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: मित्रों आपको दोपहर की नमस्ते और प्रधानमंत्री की मालदीव और श्रीलंका की यात्रा के संबंध में विदेश सचिव द्वारा इस विशेष ब्रीफिंग में आप सभी का स्वागत है। विदेश सचिव की शुरूआती टिप्पणी के बाद हम प्रश्नोत्तरी का कार्यक्रम शुरू करेंगे। महोदय, अब यह मंच आपका है।

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: आपका धन्यवाद रवीश। देवियों और सज्जनों आप सभी को दोपहर की नमस्ते। आज मैं आपको दिनांक 8-9 जून को मालदीव और श्रीलंका की प्रधानमंत्री की यात्रा के संबंध में संक्षिप्त जानकारी दूंगा।

आम चुनाव के बाद प्रधानमंत्री की यह प्रथम विदेश यात्रा है और दो पड़ोसी देशों –मालदीव और श्रीलंका, का चुनाव उस सतत महत्व को दर्शाता है जिसे यह सरकार "सर्वप्रथम पड़ोस” की नीति पर देती है।

वे मालदीव में संसद को संबोधित करेंगे। यह सम्मान सामान्यतया केवल राष्ट्र प्रमुखों को ही प्राप्त होता है और इसलिए यह भारत और प्रधानमंत्री के प्रति सम्मान का एक प्रतीक है जो उन्हें मिलने जा रहा है जो सामान्यतया राष्ट्र प्रमुख को दिया जाता है।

वर्ष 2011 के बाद मालदीव में हमारे प्रधानमंत्री की प्रथम यात्रा है। अंतिम यात्रा वर्ष 2011 में डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा की की गयी थी जो सार्क सम्मेलन के लिए थी और उसके बाद द्विपक्षीय वार्ता हुई थी और उसके पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी ने 2002 में यात्रा की थी। इसलिए 8 वर्ष से अधिक समय के बाद हमारे प्रधानमंत्री मालदीव की यात्रा कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री की यात्रा नियमित शीर्ष स्तरीय आदान-प्रदान की एक सतत परंपरा है और मुझे स्मरण है कि मालदीव में वर्तमान सरकार के चुनाव के बाद हमारे यहां नवम्बर, 2018 में विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहीद, 2018 में ही राष्ट्रपति सोलिह यात्रा पर आए। जनवरी, 2019 में रक्षा मंत्री मारिया दीदी आयीं, मार्च, 2019 में पूर्व विदेश मंत्री की यात्रा हुई और अब आगामी यात्रा प्रधानमंत्री की हो रही है। इसलिए, लगभग 8 महीने की इस अवधि में उच्चतम स्तर और मंत्री स्तर पर गहन आदान-प्रदान हुआ है।

मैं केवल कुछ कार्यक्रम संघटकों के बारे में बताना चाहता हूं। स्पष्टत: स्वागत समारोह के बाद राष्ट्रपति सोलिह के साथ एक बैठक होगी, दोनों नेता संयुक्त रूप से पूर्ण परियोजनाओं जिन्हें हमने पूरा किया है, को रिमोर्ट के जरिये उद्घाटन करेंगे और मैं इन परियोजनाओं के बारे में थोड़ी देर के बाद बताउंगा। उपराष्ट्रपति श्री नसीम, अध्यक्ष श्री नशीद और कुछ राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक होगी और जैसा कि आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री को मजलिस में संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया गया है जिसे वे जून 8 को देंगे।

देवियों और सज्जनों, नवम्बर, 2018 को राष्ट्रपति सोलिह के चुने जाने के बाद द्विपक्षीय संबंध में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है और मैं उसके बाद हुए कुछ सकारात्मक घटनाओं के बारे में ही बात करना चाहता हूं।

हमने एक वीजा सुविधा समझौता पर हस्ताक्षर किया है जो मार्च में प्रभावी हुआ है जो महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे कई समस्याओं का समाधान होता है जिसे मालदीव की सरकार ने विशेष कर अपने छात्रों और उन लोगों के लिए उठाया था जो लोग चिकित्सा के लिए यहां आते हैं तथा हमारे दृष्टिकोण से इसने हमें , विशेषकर मालदीव की यात्रा करने वाले भारतीय कारोबारियों को बहुत लाभ पहुंचाया है।

हमने मालदीव सरकार को लगभग 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर की बजटीय सहायता देने का वादा किया था। बजटीय उद्देश्यों के लिए नकद सहायता के रूप में 50 मिलियन अमेरिकी डॉलर प्रदान कर दिया गया है और शेष राशि सरकारी हुंडी के रूप में होगी जो एक सतत प्रक्रिया है और यह तब जारी की जाएगी जब उनके केन्द्रीय बैंक इन सरकारी हुंडियों को जारी करेगा। हम इस मुद्रा संबंधी अदला-बदली समझौते को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में है जो सार्क के अंतर्गत है। उन्होंने इस राशि में बढ़ोतरी करने तथा भुगतान स्थगित करने की अवधि में विस्तार करने का अनुरोध किया है और कि इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है।

जैसा कि मैंने उल्लेख किया कि प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति संयुक्त रूप से दो परियोजनाओं का रिमोट से उद्घाटन करेगें। इनमें से एक परियोजना तटीय निगरानी रडार प्रणाली तथा दूसरी परियोजना मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल के लिए संशलिष्ट प्रशिक्षण केन्द्र का निर्माण है। ये दो महत्वपूर्ण परियोजनाएं हैं, इनकी कुल लागत लगभग 180 करोड़ रूपए है और इनका उद्घाटन दोनों नेताओं द्वारा रिमोट से किया जाएगा।

हमने मालदीव को लगभग 800 मिलियन अमेरिकी डॉलर की ऋण सहायता की भी पेशकश की थी और मुझे आपको यह बताकर खुशी है कि ये तीन महत्वपूर्ण परियोजनाएं पहले से पहचान कर ली गयी हैं और इसकी परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इनमें से एक इस देश के 36 प्रायद्वीपों के लिए जलापूर्ति और मलजल निकासी से संबंधित है। एक अन्य परियोजना अड्डु शहरी विकास केन्द्र के निर्माण की है। अड्डु, मालदीव के दक्षिण भाग की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण शहर है और तीसरी परियोजना एक एसएमई विकास वित्तपोषण परियोजना है। इसलिए, ये तीन परियोजनाएं, जिनके संबंध में हमें पहले ही शुरूआती प्रस्ताव प्राप्त हो चुके हैं और हम एक परियोजना रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। यद्यपि अन्य परियोजनाएं भी पंक्ति में हैं किंतु उनकी अभी जांच चल रही है।

हमने उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाओं पर कार्य करना शुरू कर दिया है। यदि आपको स्मरण हो तो जब पूर्व विदेश मंत्री ने मार्च में मालदीव का दौरा किया था तो हमने इसकी घोषणा की थी कि हम 50 करोड़ रूपए की अनुदान राशि देकर भारत की इस पहल का समर्थन करेंगे। विभिन्न द्वीपों के बीच संपर्क, मादक पदार्थ पुनर्वास केन्द्रों आदि सहित विभिन्न अन्य क्षेत्रों में 14 परियोजनाओं की अभी पहचान कर ली गयी है।

हमने 1000 आईटीईसी छात्रवृत्तियों के वितरण की प्रक्रिया पहले ही शुरू कर दी है जिन्हें हम अगले पांच वर्षों में मालदीव को देंगे।

इस दौरे के दौरान कुछ समझौतों पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इस चरण के दौरान मैं इसे विस्तार पूर्वक नहीं बताउंगा किंतु हमें निश्चय ही आशा है कि उनके बीच सीमा शुल्क, ह्वाइट शिपिंग और लोक सेवकों के प्रशिक्षण के संबंध में भी समझौते होंगे। इनमें से एक फोकस क्षेत्र लोगों के बीच संबंध को सुदृढ़ करते हुए पी2पी संबंध क्षेत्र है।

यदि आप अप्रैल की घटना को स्मरण करें तो हमने राष्ट्रपति सोलिह को आमंत्रित किया था जो बड़े इच्छुक क्रिकेटर है और बंगलुरू में आकर आईपीएल के मैच को देखना चाहते थे और उसके बाद उन्होंने मालदीव में एक क्रिकेट टीम विकसित करने की इच्छा जतायी थी और इसमें इस टीम को प्रशिक्षण प्रदान करने और इस टीम को अपेक्षित स्तर लाने में भारत की सहायता की मांग की।

इसलिए उनके अनुरोध, जो हमारे क्रिकेट स्टेडियम के सकारात्मक रूप से विचाराधीन है जिसे हम ऋण साख के तहत बनाने के आशा करते हैं जिसे हम प्रदान करेंगे और हम बीसीसीआई के साथ भी कार्य कर रहे हैं। बीसीसीआई की एक टीम ने मालदीव क्रिकेट खिलाड़ियों के प्रशिक्षण, कोचिंग कार्यक्रम, किटों की आपूर्ति आदि के लिए मई में मालदीव का दौरा किया था।

इसके अतिरिक्त हम महत्वपूर्ण सांस्कृतिक स्थलों को उन्नत बनाने के बारे में सोच रहे हैं और संस्कृति सचिव के नेतृत्व में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की एक टीम ने भी मालदीव का दौरा किया था, उक्त रिपोर्ट को अभी सौंपा जाना है और हम आशा करते हैं कि वहां कई परियोजनाएं होंगी।

इस वर्ष की शुरूआत में हमने माले शहर की गलियों में लाइट लगाने के लिए 2 लाख एलईडी बल्बों को देकर मालदीव के जलवायु परिवर्तन पहल को सहायता प्रदान की थी। इसलिए, ये ऐसी कुछ पहलें हैं जिन्हें हमने इस संबंध में शुरू किया है।

सारांशत: मैं मानता हूं कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा तीन उद्देश्यों पर अनिवार्य रूप से केंद्रित है। प्रथम, निकट पड़ोसियों के बीच उच्च स्तर पर संबंधों को बनाए रखना। दूसरा, हम मालदीव को उनकी अर्थव्यवस्था के पुनरूद्धार और विकास में एक विकास साझेदार के रूप में सहायता करना चाहते हैं और तीसरा लोगों के बीच संबंध जो मालदीव के साथ हमारा है, को मजबूत करना।

9 जून को प्रधानमंत्री श्रीलंका की संक्षिप्त किंतु बहुत व्यस्तम यात्रा भी करेंगे। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि यह 21 अप्रैल की त्रासदी पूर्ण घटना जब कई बम धमाकों के बाद श्रीलंका में भारी संख्या में लोग हताहत हुए थे, के बाद किसी विदेशी नेता की पहली यात्रा है। यह एक बड़ा विशेष भाव भंगिमा है और यह एकता का बड़ा स्पष्ट संदेश है कि भारत के लोग और यहां की सरकार इस दुखद समय में श्रीलंका के लोगों और सरकार के साथ मजबूती के साथ खड़ा है।

यद्यपि हमारी श्रीलंका के साथ परंपरागत मित्रता है, इसमें प्रधानमंत्री के प्रथम कार्यकाल में महत्वपूर्ण मजबूती आयी है तथा दूसरे कार्यकाल की शुरूआत में ही प्रधानमंत्री की यात्रा का बड़ा स्पष्ट संकेत है कि हम न केवल इस मित्रता को जारी रखना चाहते हैं बल्कि श्रीलंका के साथ इस संबंध को बढ़ाने के प्रति कटिबद्ध हैं।

इस संक्षिप्त यात्रा के बावजूद उन्हें सरकारी स्वागत समारोह सहित पूर्ण सम्मान प्रदान किया जाएगा। उनकी बातचीत राष्ट्रपति सिरीसेना, प्रधानमंत्री रानिल बिक्रमसिंघे के साथ होगी। वे विपक्षी नेता महिन्दा राजपक्षे के साथ मिलेंगे और तमिल दल टीएनए के प्रमुख श्री संप्थन से भी मिलेंगे।

स्पष्टत: यद्यपि यह यात्रा संक्षिप्त होगी किंतु संबंध की समीक्षा होगी और इसकी पहचान होगी कि हम आगे कैसे बढ़ें। एक बार फिर मैं केवल यह उद्धृत करना चाहता हूं कि प्रधानमंत्री की आखिरी यात्रा दो वर्ष पूर्व मई, 2017 में हुई थी, मैं केवल उन कुछ क्षेत्रों को उद्धृत करना चाहता हूं जिनमें हमने प्रगति की है।

प्रधानमंत्री ने उस समय घोषणा की थी कि हम देहात में रहने वाले तमिलों अर्थात् देहात क्षेत्रों में रहने वाले भारतीय मूल के तमिलों के लिए 14 हजार घरों की व्यवस्था करेंगे। लगभग 1500 घरों की प्रथम खेप अगस्त, 2018 में सौंप दी गयी थी और हम वास्तव में शेष घरों को पूरा करने की प्रक्रिया में हैं जिन्हें अगले वर्ष के प्रथम भाग में सौंप दिया जाएगा।हमने रूहुना विश्वविद्यालय प्रेक्षागृह भी सौंप दिया है, यह सबसे बड़ा प्रेक्षागृह है जिसे हमने अक्टूअर, 2018 में श्रीलंका के किसी विश्वविद्यालय में बनाया है। कई उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएं जिनकी मोटे तौर पर लागत लगभग 250 करोड़ रूपए है, कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसमें वावुनिया अस्पताल के लिए अस्पताल उपकरण, जाफना विश्वविद्यालय में इंजीनियरिंग और वास्तुकला सुविधाएं और हम्बनटोटा में आजीविका परियोजना शामिल हैं।

बड़ी उपलब्धियों में से एक और नि:संदेह एक ऐसी उपलब्धि जिसने लोगों के ध्यान आकृष्ट किया है, वह है निशुल्क आपातकालीन एंबुलेंस सेवा। यह 280 एंबुलेंस प्रदान करने की भारत की एक पहल है जिसमें पूरे राष्ट्र में, पूरे द्वीप पर आपातकाल में एंबुलेंस सेवाएं प्रदान की जाती हैं और अभी यह 9 में से 8 प्रांतों में परिचालन में है तथा इसकी न केवल सरकार द्वारा बल्कि लोगों द्वारा खूब प्रशंसा की जा रही है।

हमने 2800 करोड़ रूपए के पूर्व ऋण साख के तहत रेलवे चल स्टॉक की आपूर्ति पहले ही शुरू कर दी है। इन आपूर्तियों में डीजल इंजिन शामिल है, इसमें दिसम्बर, 2018 से अन्य चल स्टॉक शामिल है, यह श्रीलंका को मिलना शुरू हो गया है और रेल क्षेत्र में एक नई ऋण साख भी है जिसकी हम वर्तमान में जांच कर रहे हैं और जिन पर अंतर मंत्रालयी स्तर पर चर्चा चल रही है।

मैं आपका ध्यान दो त्रिपक्षीय एमओयू की ओर आकृष्ट करना चाहता हूं जिन पर हमने हस्ताक्षर किया है। भारत, जापान और श्रीलंका। इनमें से एक अप्रैल में जो एलएनजी टर्मिनल के लिए, एक इस महीने की शुरूआत में जो ईस्ट कंटेनर टर्मिनल के विकास के लिए था। ये एएमयू महत्वपूर्ण हैं और हमने वृहत्तर दमबुला में जलापूर्ति परियोजना में लगभग 60 मिलियन डॉलर के एग्जिम बैंक के खरीददार ऋण को भी पूरा किया है।

इस प्रकार जब प्रधानमंत्री मई, 2017 में वहां गए थे तो कई वायदे किए थे, हमने इसमें महत्वपूर्ण प्रगति देखा है और हम आशा करते हैं कि जब प्रधानमंत्री इस बार जाएंगे तो न केवल हम इन परियोजनाओं की समीक्षा करेंगे बल्कि कुछ नयी परियोजनाओं की भी संभावनाएं भी देखेंगे।

इसलिए, नि:संदेह सारांश रूप में मैं श्रीलंका की इस यात्रा को प्रथमत: 21 अप्रैल को हुई त्रासदी पूर्ण घटना को देखते हुए वहां के लोगों और सरकार के साथ पूर्ण एकता दर्शाना और इस राष्ट्रीय त्रासदी से बाहर आने में श्रीलंका की सरकार में हमारे आत्मविश्वास की अभिव्यक्ति मानूंगा। दूसरा, प्रधानमंत्री अपनी प्रतिबद्धता और आगामी पांच वर्षों में एक दूसरे के प्रति चिंता के लिए परस्पर विश्वास और परस्पर संवेदनशीलता के आधार पर मजबूत संबंध बनाने के लिए उच्चतम स्तर पर सरकार के इरादे का स्पष्ट संकेत देंगे। और तीसरा, विकास संबंधी साझेदारी में बढ़ोतरी करने के लिए तरीकों पर चर्चा करेंगे।

मैं यही अपनी बात समाप्त करूंगा और मैं कुछ प्रश्न लूंगा। आपका धन्यवाद।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: आपका धन्यवाद महोदय। अब हम प्रश्नोत्तरी के लिए मंच को खोलते हैं। जब आप प्रश्न पूछें तो कृपया अपना परिचय, अपना नाम और अपने संगठन का नाम बताएं।

सीएनबीसी से प्रश्न: आज श्री जयशंकर ने अगले कुछ वर्षों के लिए भारत की विदेश नीति के लिए अपने विजन को रेखांकित किया। उसके बाद उन्होंने दक्षिण एशिया में संपर्क और आर्थिक समेकन पर ध्यान केन्द्रित किया। इसलिए दोनों ही मोर्चों पर जब संपर्क की बात आती है और मालदीव के साथ निकट आर्थिक संबंध को मजबूत करने की बात आती है तो इस बातचीत से हम क्या उम्मीद कर रहे हैं और इसका क्या परिणाम हो सकता है?

वायोन से प्रश्न: यह प्रश्न दो परियोजनाओं पर है जिनका उद्घाटन रिमोर्ट द्वारा किया जाएगा, क्या आप इन दोनों परियोजनाओं यथा तटीय निगरानी और अन्य परियोजना के बारे में संक्षिप्त रूप में बता सकते हैं?

न्यूज नेशन का प्रश्न: जैसा कि आपने कहा कि श्रीलंका का दौरा पूर्ण एकता दर्शाने के लिए भी है और खास तौर पर संबंधों को बेहतर बनाने के लिए है। मैं यह जानना चाहता हूं कि क्या आंतकवाद के मुद्दे पर खास तौर पर क्या कोई बातचीत होने वाली है, क्या आंतकवाद से पीड़ित श्रीलंका को लेकर हम कोई सहायता देने वाले हैं, खास तौर पर अगर हम सूचना साझा करने या तकनीकी साझा की बात करें, तो क्या कुछ ऐसा होने वाला है?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: आपका धन्यवाद। जहां तक कनेक्टिविटी का संबंध है, यह हमारे सभी पड़ोसी देशों के साथ एक प्राथमिकता है तथा किसी भी स्थिति में मालदीव के साथ भारत से मालदीव को जोड़ने के संबंध में और इन द्वीप को जोड़ने के संबंध में कई ऐसी परियोजनाएं हैं। अब एक और क्षेत्र जिन्हें हम खोज रहे हैं और हमें आशा है कि इसका एक ठोस परिणाम निकलेगा, जो वास्तव में कोच्चि से मालदीव तक फेरी सेवा की शुरूआत है।

अभी भी कुछ है जो जांचाधीन है किंतु हमें विश्वास है कि इससे दोनों देशों के बीच संपर्क में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी। जहां तक अंत:द्वीप संपर्क का संबंध है, जैसा कि मैंने कहा, एक परियोजना जिस पर हमलोग विचार कर रहे हैं, उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास परियोजनाएं वास्तव में स्पीडबोट देते हुए द्वीप संपर्क है विशेषकर छात्रों के लिए, जो एक द्वीप से दूसरे द्वीप पर जा सकें। इसलिए, यह निश्चित रूप से एक ऐसा क्षेत्र है जिसे हम मालदीव की सरकार के साथ और विकसित करना चाहेंगे और इसके लिए श्रीलंका की सरकार, जैसा कि मैंने कई एलओसी के बारे में उल्लेख किया है, जो वास्तव में रेल परियोजनाओं से संबंधित है और हमारे लिए वह महत्वपूर्ण है।

सरकार ने शुरू में ही इन दोनों परियोजनाओं के बारे में प्रतिबद्धता जतायी है। यह संशलिष्ट प्रशिक्षण केन्द्र मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बलों के प्रशिक्षण के लिए केन्द्र है और यह एक ऐसा केन्द्र है जिसका अनुरोध मालदीव की सरकार ने केन्द्रीय प्रशिक्षण सुविधा प्रदान करने के लिए किया था। अब यह सुविधा पूरी हो गयी है, हमने भवन और तथाकथित साफ्टवेयर को पूरा कर लिया है। इसलिए, यह उक्त केन्द्र की एक आधिकारिक शुरू होने जा रहा है और इससे मालदीव के राष्ट्रीय रक्षा बलों की क्षमता में बढ़ोतरी होगी।

तटीय निगरानी रडार प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जिसे हमने अपने क्षेत्र में अन्य देशों के साथ साझा किया है। यह विचार ह्वाइट शिपिंग की निगरानी करने और उस देश को अपनी ईईजेड (विशेष आर्थिक जोन) में अपनी संप्रभुता की रक्षा करने में सहायता करने के लिए है तथा इसे अन्य राष्ट्रों के साथ मालदीव को तटीय निगरानी रडार प्रणाली की सुविधा प्रदान की गयी है। इसलिए जब दो नेता मिलेंगे तो इसका भी उद्घाटन रिमोट द्वारा किया जाएगा।

जहां तक आंतकवाद का संबंध है, जैसा कि आप जानते हैं, भारत सरकार किसी भी देश को किसी भी रूप में आतंकवाद से निपटने में सहायता करने के लिए तैयार है। यह एक साझा अभिशाप है और हम क्षमता विकसित करने, सूचना साझा करने, गुप्त सूचना साझा करने के लिए तैयार हैं, कुछ सुनिश्चित तंत्र हैं जो हमारे पास मौजूद हैं। स्पष्टत: मैं उसके विस्तार में नहीं जा सकता किंतु इतना कहना पर्याप्त है कि जब हम श्रीलंका के लोगों और सरकार के साथ खड़े हैं, तो हम किसी भी रूप में उनकी सहायता करने के लिए भी तैयार हैं जैसा वे चाहते हैं और हम इस समस्या से निपटने के लिए उनकी इच्छा अनुसार सहायता करेंगे।

प्रश्न: क्या भारत श्रीलंका के साथ अपने बंदरगाहों में पनडुब्बी जैसे आक्रमक सैन्य वाहन को नहीं आने देने के बारे में बात कर रहा है?

एबीपी न्यूज़ से प्रश्न: चूंकि प्रधानमंत्री ने अपने शपथ ग्रहण समारोह में बिम्सटेक नेताओं को आमंत्रित किया था और इसलिए दो देश जिन्हें उन्होंने अपने प्रथम द्विपक्षीय दौरे के लिए चुना, वे बिम्सटेक के सदस्य हैं। क्या भारत इन बिम्सटेक देशों में एकमत तैयार करने की योजना बना रहा है कि यहां आतंकवाद से निपटने के लिए अधिक ढ़ांचा हो क्योंकि वे सुरक्षा मुद्दों पर श्रीलंका के साथ पूर्ण एकता व्यक्त करेंगे, क्या बिम्सटेक के छतरी के नीचे एक क्षेत्रीय आतंकवाद रोधी अथवा सुरक्षा साझा तंत्र के संबंध में एकमत तैयार करने का कोई विचार है?

प्रश्न: पिछले वर्ष श्रीलंका ने हम्बनटोटा के निकट अपने एक हवाई अड्डे के परिचालन के लिए इसे भारत को सौंपा था। इसलिए, क्या भारत उस हवाई अड्डे के प्रबंधन में इच्छुक है, अभी क्या स्थिति है?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: कई देशों के साथ हम परस्पर हितों के कई क्षेत्रों पर चर्चा करते हैं। मैं इसके विस्तार में नहीं जाना चाहूंगा कि उन देशों के साथ हम क्या चर्चा करते हैं।

इसके अतिरिक्त, मैं बिम्सटेक के संबंध में प्रश्नों का उत्तर नहीं दूंगा क्योंकि यह ब्रीफिंग विशेष रूप से प्रधानमंत्री की मालदीव और श्रीलंका की यात्रा के संबंध में है। मैं यह नहीं बतान चाहता हूं कि मालदीव बिम्सटेक का सदस्य नहीं है बल्कि मालदीव की यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि वह हमारा पड़ोसी देश है और प्रधानमंत्री जो बात कह रहे हैं कि उनके द्वितीय कार्यकाल में पड़ोसी प्रथम उनकी प्राथमिकता में है।

जहां तक हम्बनटोटा में इस हवाई अड्डे का संबंध है, ऐसी कई परियोजनाएं हैं जिनमें हमारी रूचि है और जिनके बारे में हम श्रीलंकाई पक्ष से बातचीत कर रहे हैं। यदि आपको स्मरण हो, तो वर्ष 2017 में आर्थिक विकास सहयोग के लिए एक एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया था। जब भी वे परियोजनाएं पूरी होंगी, यदि कोई द्विपक्षीय समझ होगी, तो हम लोगों को इस बारे में सूचित करेंगे। अब तक कई परियोनाओं पर चर्चाएं जारी हैं।

न्यूज24 से प्रश्न: क्रिकेट विश्व कप चल रहा है और ऐसे में आप खबर दे रहे हैं कि भारत मालदीव को एक क्रिकेट टीम बनाने में मदद करेगा। यह मदद किस तरह की होगी, क्या हम किसी खिलाड़ी विशेष को वहां भेज रहे हैं और क्या बीसीसीआई ही सब कुछ करेगा, किस तरह की और जानकारी है जो आप हमसे साझा करना चाहेंगे?

द प्रिंट से प्रश्न: यदि आप इस बारे में कुछ बता सकें कि क्या भारत और मालदीव के बीच रक्षा सहयोग के लिए किसी कार्य योजना पर चर्चा होगी और साथ हीं ऐसी रिपोर्ट है कि भारत जापान के साथ कोलंबो पत्तन का निर्माण कर रहा है, यदि आप इस पर कोई प्रकाश डाल सकें?

प्रश्न एसएनआई: अभी प्रधानमंत्री दो देशों, श्रीलंका और मालदीव की यात्रा कर रहे हैं जहां आईएसआईएस का प्रभाव बढ़ रहा है। भारत इन देशों में इस स्थिति को कैसे देख रहा है?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: जहां तक क्रिकेट सहयोग का संबंध है, जैसा कि मैंने आपको बताया कि बीसीसीआई के एक दल ने इस महीने की शुरूआत में मालदीव का दौरा किया था। जैसा कि मैंने बताया कि हम पूरी तरह से उनकी सहायता कर सकते हैं, उनमें से एक ऋण साख के तहत क्रिकेट स्टेडियम का निर्माण है अथवा वित्तीय सहायता के कतिपय अन्य साधन जिसे हम करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने युवा मालदीव खिलाड़ियों जिसमें पुरूष और महिलाएं शामिल हैं, को भारत में कुछ कोचिंग कार्यक्रम का अनुरोध किया है और हम उस संभावना को देखने तथा उस रूप में मालदीव की सहायता करने के लिए पुन: तैयार हैं। वे चाहते हैं कि हम मालदीव में कुछ प्रशिक्षण कार्यक्रम करें जिसे हम करने के इच्छुक हैं और हमने वास्तव में उन्हें कुछ क्रिकेट किट और प्रशिक्षण किट प्रदान किया है, इन्हें वास्तव में भारत सरकार द्वारा दिया गया है न कि बीसीसीआई द्वारा किंतु हमें आशा है कि बीसीसीआई इस संबंध में अतिरिक्त जिम्मेदारियां उठाएगा।

पुन: वे कोचों, अंपायरों, स्कोररों, मैच रेफरी में प्रशिक्षण चाहते हैं, इसलिए कुल मिलाकर हम मालदीव सरकार को एक राष्ट्रीय क्रिकेट टीम तैयार करने में अथवा क्रिकेट को एक राष्ट्रीय स्तर पर लाने में जो भी सहायता कर सकते हैं भारत सरकार इसके लिए तैयार है और उन्हें सहायता देने के इच्छुक है। हम इसे लोगों के बीच उसी प्रकार से संबंध बनाने के लिए महत्वपूर्ण कार्य के तौर पर देखते हैं जिसे, यदि आपको स्मरण हो, तो कुछ वर्ष पूर्व हमने अफगानिस्तान के लिए किया था।

जहां तक रक्षा सहयोग संबंधी कार्य योजना का संबंध है, जैसा कि आप जानते हैं, कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्हें हमने पहले ही समाधान कर लिया है और यदि आपको स्मरण हो, तो कुछ ऐसे मुद्दे थे जो पूर्व सरकार से एएलएच के साथ थे जिसे हमने खोज और बचाव आपरेशन के लिए स्थापित किया है, इसे परस्पर संतुष्टि के स्तर पर समाधान कर लिया है। हलांकि तटीय निगरानी रडार प्रणाली और सीटीसी रक्षा सहयोग के संबंध में इस कार्य योजना के तहत है। हमने हाल ही में उनके तट रक्षक जहाजों में से एक मालदीव जहाज हुरावी का नवीकरण किया है और जिसे पुन: तैयार कर वापस मालदीव की सरकार को दे दिया गया है तथा हम उनके लिए ऐसा करना जारी रखेंगे। इसलिए कई कार्य पहले से ही चल रहे हैं। अन्य परियोजना जो बड़ी हैं, उन पर स्पष्टत: द्विपक्षीय चर्चाएं चल रही हैं और जब भी इस पर बातचीत पूरी हो जाएगी, हम आपको इसकी जानकारी देंगे।

जहां तक आईएसआईएस के प्रभाव का संबंध है, यह निश्चय ही हमारे लिए चिंता का विषय है। हमने दक्षिण एशिया के कई भागों में कथित गतिविधियों से संबंधित रिपोर्टों को देखा है। जैसा कि मैंने कहा कि हम उन सरकारों और किसी अन्य सरकार के साथ सहयोग करने के लिए तैयार हैं जो इसमें सहयोग करने के लिए इच्छुक हैं। स्वाभाविक रूप से उनकी मांग और सहयोग जिसके लिए वे इच्छुक हैं, उक्त सूचना की प्राप्ति पर हो, जैसा कि मैंने कहा, हमारी सरकार उस मुद्दे पर उनके साथ सहयोग करने के लिए प्रसन्न होगी।

इसके अतिरिक्त, आप जानते हैं कि यह एक त्रिपक्षीय व्यवस्था है जिसमें भारत, जापान और श्रीलंका कोलंबो पत्तन के पूर्वी कंटेनर टर्मिनल में मिलकर कार्य करेंगे। इसलिए, हमारे बीच एक शुरूआती समझौता हुआ है जिसे त्रिपक्षीय व्यवस्था के लिए उद्देश्य ज्ञापन कहा जाता है जिसके तहत श्रीलंकाई पत्तन प्राधिकरण जो श्रीलंका सरकार के तहत एक पीएसयू है, की बड़ी साझेदारी होगी और शेष साझेदारी जापान और भारत की कंपनियों के बीच होगी।

वास्तविक शेयरधारण पैटर्न आदि पर अभी भी कार्य किया जाना है किंतु इरादा यह है कि उद्देश्य ज्ञापन पर हस्ताक्षर के साथ और यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, हम इस पत्तन के कार्यक्षेत्र, वित्तपोषण, समय-सीमा आदि के बारे में चर्चा करेंगे। इसलिए हम इस प्रक्रिया को शुरू कर रहे हैं किंतु हमारे लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है और यह तथ्य की हम इसमें जापान के साथ साझेदारी कर रहे हैं, किसी रूप में ऐसा नहीं है कि यह केवल द्विपक्षीय महत्व के लिए है बल्कि यह भी दर्शाता है कि हम अपने क्षेत्र में अवसंरचना विकास में अन्य देशों के साथ भी साझेदारी करने के इच्छुक हैं।

जी न्यूज़ से प्रश्न: आपने कहा कि मालदीव की पिछली सरकार के कुछ मुद्दों का समाधान हो गया है। पिछली सरकार के समय यह भी आ रहा था कि जो वहां पर भारतीय रह रहे हैं उनको मुश्किल हो रही थी, उनके मुद्दे थे, तो क्या उनका समाधान हो गया है या इस यात्रा के दौरान वे मसले उठेंगे?

द ट्रिब्यून से प्रश्न: एक समय हम श्रीलंका के साथ ऊर्जा सुरक्षा के संबंध में बहुत ऊंचाई पर थे, कावेरी बेसिन, मन्नार बेसिन अन्वेषण, ट्रिंकोमाली फार्म टोंक पर बातचीत होती थी, क्या उन पर अभी भी बातचीत चल रही है?

रायटर से प्रश्न: क्या यह भारत की नीति है कि श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए जापान के साथ वह साझेदारी करे अथवा हो सकता है कि मालदीव के साथ भी उस मुद्दे के समाधान के लिए हम पड़ोसी देश के साथ हो रहे हैं?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: जहां तक प्रथम प्रश्न का संबंध है, यह एक महत्वपूर्ण विषय है और यह एक ऐसा मसला है जिसे हमने दो पूर्व सरकार और वर्तमान सरकार के साथ उठाया है। मुझे आपको बताते हुए खुशी है कि वर्तमान सरकार से इस पर बड़ी सकारात्मक सूचना प्राप्त हुई है। यदि आपको स्मरण हो, तो कार्यानुमति संबंधी कई मुद्दे उठे, कई भारतीय जिन्हें अपनी कार्यानुमति का नवीकरण करना पड़ा, वे पिछली सरकार के दौरान करने में असमर्थ रहे।

हमारी समझ यह है कि इस समस्या पूर्ण समाधान हो गया है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए चर्चा कर रहे हैं कि भविष्य में कार्य अनुमति प्रक्रिया को सरल बनाया जाए। इसलिए यह हमारे लिए निश्चय ही एक प्राथमिकता है और हम उनके साथ लगातार चर्चा कर रहे हैं। हो सकता है कि उच्चतम स्तर पर इस पर चर्चा नहीं हो क्योंकि इस मुद्दे पर दोनों ही देशों के विदेश मंत्रियों के बीच बेहतर कार्य समझ है।

ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दे पर मैं आपको पुन: स्मरण दिलाना चाहूंगा। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसे मैं नहीं मानता हूं कि जब प्रधानमंत्री वहां जाएंगे तो हम इस पर चर्चा करेंगे बल्कि इस मुद्दे पर वापस आएंगे।

जहां तक इस अंतिम प्रश्न का संबंध है, मैं नहीं मानता हूं कि हम नहीं मानते हैं कि हमें प्रच्छन्न उद्देश्य अथवा अन्य देश के विरूद्ध प्रत्यक्ष अथवा कतिपय व्यापक रणनीति के भाग के रूप में आवश्यक रूप से किसी देश के साथ सहयोग देखना चाहिए। मैं मानता हूं कि हमारा उद्देश्य यह है कि हमारे क्षेत्र में अवसंरचना विकास से हमारी अर्थव्यवस्था और उस देश की अर्थव्यवस्था को लाभ हो। हम मानते हैं कि हमारी क्षमताएं सीमित हैं, इन्हीं सीमित क्षमताओं में हम द्विपक्षीय रूप से सभी प्रयास कर रहे हैं किंतु जापान जैसे प्रमुख विदेशी निवेशक जब इन परियोजनाओं, जो हमारे राष्ट्रीय हितों के लिए है, में जुड़ने के इच्छुक हों, तो उनके साथ जुड़ने में हमें कोई आपत्ति नहीं है। यह एक ऐसा मॉडल है जिसे मैं कह सकता हूं कि आप इसे न सिर्फ श्रीलंका में बल्कि आने वाले दिनों में अन्य पड़ोसी देशों के साथ भी देखेंगे।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: महाशय, आपका धन्यवाद। इसके साथ ही हम प्रधानमंत्री के मालदीव और श्रीलंका दौरे से संबंधित इस विशेष ब्रीफिंग को समाप्त करते हैं। यहां हमारे साथ आने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

(समाप्त)



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