सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: नमस्कार, दोपहर की नमस्ते और कोरिया गणतंत्र के लिए प्रधानमंत्री के दौरे के संबंध में इस विशेष ब्रीफिंग के में आपका स्वागत है। यह ब्रीफिंग सियोल से है।
चूंकि प्रधानमंत्री का कल सुबह ही आगमन हो गया है और उनका कार्यक्रम बहुत व्यस्त रहा है तथा कल ही हमारा कई अनुबंध था। आज उन्होंने कोरिया गणतंत्र के राष्ट्रपति के साथ एक बैठक की और अभी अभी पुरस्कार समारोह समाप्त हुआ है। मेरे साथ सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर
सिंह हैं। मेरे साथ संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) श्री प्रणय वर्मा और दक्षिण कोरिया में हमारे राजदूत श्रीमती श्रीप्रिया रंगनाथन भी हैं।
महोदया, आप इस कार्यक्रम के बारे में तथा दोनों नेताओं के बीच हुई चर्चा के बारे में बताएं।
सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: आप सबों को दोपरह का नमस्कार, प्रधानमंत्री जी का कोरिया दौरा बड़ा सफल रहा है। यहां उनका यह दूसरा दौरा है। वे यहां अंतिम बार 2015 में आए थे जब एक विशेष रणनीतिक साझेदारी हुई थी।
राष्ट्रपति मून जे-इन के दौरे के बाद प्रधानमंत्री का दौरा हुआ है। वे जुलाई, 2018 में भारत आए थे और उसके बाद प्रथम महिला ने नवम्बर, 2018 में भारत की यात्रा की थी तथा वे अयोध्या में दीपोत्सव में अतिथि थीं।
इसलिए, प्रधानमंत्री का यह दौरा हमारे दोनों देशों के बीच एक उच्च स्तरीय आदान-प्रदान का हिस्सा है। यह दोनों देशों के बीच हमारे संबंध के विभिन्न स्तंभों के संबंध में हुए तीव्र विकास के कारण अस्तित्व में आए संबंध को दर्शाता है।
रवीश ने यह उल्लेख किया था कि उनका यह दौरा बड़ा ही व्यस्त कार्यक्रमों वाला रहा। मैं आपको ब्यौरा दूंगी। प्रधानमंत्री ने कारोबारियों, संसद सदस्यों के साथ मुलाकात की, उनकी समुदाय के साथ बैठक हुई तथा राष्ट्रपति मून जे-इन ने उन्हें एक निजी भोज दिया जो यह दर्शाता
है कि दोनों नेताओं के बीच संबंधों की कितनी गर्माहट है।
राष्ट्रपति मून जे-इन ने अपने भाई और अपने मित्र की तरह प्रधानमंत्री का स्वागत किया। इसलिए, एक निजी भोज दिया गया जिसके मेजबान राष्ट्रपति मून जे-इन थे एवं उसके पश्चात एक सीमित बैठक थी और बाद में शिष्टमंडल स्तरीय बातचीत हुई।
मैं आपको इस चर्चा का संक्षेप बताउंगी जो चर्चा यहां हुई और उसके बाद समझौता ज्ञापन एवं घोषणाओं का सार बताउंगी।
प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति मून जे-इन ने समग्र संबंध की समीक्षा की। उन्होंने भविष्य की रूपरेखा खींची और यह लोगों के साझा दृष्टिकोण, शांति और भविष्य की समृद्धि पर आधारित है।
जहां तक आर्थिक सहयोग का संबंध है आपको पता होगा कि द्विपक्षीय व्यापार 21 बिलियन डॉलर का है और वर्ष 2030 तक के लिए 50 बिलियन डॉलर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। संपूर्ण फोकस इस पर होगा कि हम किस प्रकार इस लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। जैसा कि आप जानते हैं,
सीआईसीए समीक्षा और इसके अद्यतन के संबंध में हमारी बातचीत चल रही है इसलिए ये चर्चाएं चलती रहेंगी और दोनों देशों के बीच यह बड़ा महत्वपूर्ण समझौता होगा।
जहां तक फ्लैगशिप कार्यक्रम ‘मेक इन इंडिया’ का संबंध है, कोरिया इस कार्यक्रम का बड़ी मजबूती से समर्थन कर रहा है तथा उन्होंने पहले ही इसमें निवेश किया है तथा आज की चर्चा में उन्होंने मेक इन इंडिया और अन्य क्षेत्रों में और दिलचस्पी दिखायी है।
आपको पता ही होगा कि हम स्टार्टअप सहयोग संबंधी समझौता करने में समर्थ हुए हैं। प्रधानमंत्री जब कारोबारी समुदाय के साथ थे तो उन्होंने भारत-कोरिया स्टार्टअप केन्द्र का उद्घाटन किया था। यह विचार एक प्लेटफार्म के सृजन का है जहां हम एक संबंध के लिए तैयार रहें
जो चौथी औद्योगिक क्रांति शुरू करने में निर्माण और सेवा अनुबंध में पहले से ही मजबूत है।
इसलिए, यह वह विजन था जिसमें आप स्टार्टअप और कोरिया स्टार्टअप केन्द्र संबंधी किए गए समझौते को देख सकते हैं।
हमने रक्षा क्षेत्र में भी संभावनाएं तलाशी हैं और जैसा कि आप अवगत हीं होंगे कि पहले से ही एं संयुक्त उद्यम भारत में लार्सन और टर्बो तथा हन्वाहा के बीच है। वे के9 वज्र का निर्माण कर रहे हैं। आज की चर्चा यही थी और दोनों ही नेताओं ने रक्षा सह उत्पादन तथा रक्षा
प्रौद्योगिकी में भावी सहयोग के लिए रूपरेखा की घोषणा की।
राष्ट्रपति मून जे-इन ने भी रक्षा कोरिडोरों में दिलचस्पी दिखायी है जिसे हम भारत में विकसित कर रहे हैं, एक तमिलनाडु में और एक उत्तर प्रदेश में। जहां तक लोगों के बीच परस्पर विचारों के आदान प्रदान का संबंध है, प्रिंसेस सुरीरत्ना के नाम पर एक डाक टिकट जारी
करने का समझौता किया गया, और आप इससे भी अवगत होंगे कि भारतीय और कोरियाई फिल्म कंपनियों के बीच प्रिंसेस सुरीरत्ना के जीवन पर एक फिल्म के सह निर्माण का भी समझौता हुआ है।
इसके अलावा, पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रपति मून जे-इन ने घोषणा की थी कि वे समूह पर्यटन के लिए वीजा सुविधा प्रदान करेंगे, यह एक घोषणा थी। हमने अपनी ओर से पहले हीं कोरयाई लोगों के लिए आगमन होने पर वीजा देने की सुविधा प्रदान की है और प्रधानमंत्री द्वारा
एक घोषणा की गयी थी कि भारत में कार्यरत कोरियाई लोगों के लिए वीजा की अवधि को तीन वर्षों लिए विस्तार किया जाएगा।
वैश्विक और क्षेत्रीय परिस्थितियों पर हमने विचारों का आदान –प्रदान किया है। मैंने शुरूआत में ही कहा कि राष्ट्रपति मून जे-इन ने पुरजोर तरीके से पुलवामा आतंकी हमले की निंदा की है और उन्होंने आतंकवाद के विरूद्ध लड़ाई में अपना समर्थन और निष्ठा व्यक्त करते हुए
प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है।
यह भी चर्चा थी कि, और इस संदर्भ में आपने नोटिस किया होगा कि कोरिया के साथ जो हमारा समझौता हुआ है वह अंतरराष्ट्रीय अपराध और आतंकवाद संबंधी समझौता है। इसलिए, यह एक कदम है जिसे उठाया जा रहा है और उस समझौता ज्ञापन पर आप हस्ताक्षर हुए हैं। इसलिए एक आंदोलन है और
आतंकवाद से लड़ाई में भारत के साथ एकता जाहिर की है।
प्रधानमंत्री ने अपनी ओर से कोरियाई प्रायद्वीप में चल रही चर्चाओं में राष्ट्रपति मून जे-इन के व्यक्तिगत योगदान की सराहना की है और आशा व्यक्त की है कि कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता वार्ता के माध्यम से आएगी तथा उन्होंने इस संबंध में भारत का समर्थन
दिया है।
कल के कार्यक्रमों की झलकियों में से एक महात्मा गांधी की मूर्ति का अनावरण था। योनसेई विश्वविद्यालय, जहां बड़ी संख्या में छात्र उपस्थित थे, उनकी मूर्ति का अनावरण किया गया तथा राष्ट्रपति मून जे-इन और प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त रूप से इसका अनावरण किया। वहां
प्रथम महिला तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव बान की मून भी उपस्थित थे।
जब 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में घोषित किया गया तो बान की मून महासचिव थे।
प्रधानमंत्री को सियोल शांति पुरस्कार दिए जाने के साथ ही आज इस कार्यक्रम का समापन हुआ। यह 14वां सियोल शांति पुरस्कार है और यह पुरस्कार प्रधानमंत्री को क्षेत्रीय स्थिरता, विश्व शांति, आर्थिक नीतियों, जिनसे भारतीय लोगों के जीवन यापन स्तर में सुधार आया है
तथा सामाजिक समावेश नीतियों के लिए प्रदान किया गया है । प्रधानमंत्री ने शांति पुरस्कार को स्वीकार किया और उन्होंने भी यह घोषणा की कि पुरस्कार राशि के रूप में 2,00,000 डॉलर की राशि जो लगभग 1.3 करोड़ रूपए है, को नमामि गंगे परियोजना को देंगे।
यह पुरस्कार बहुत महत्वपूर्ण है और प्रधानमंत्री ने भारत की जनता की ओर से इसे स्वीकार किया है। अभी अभी यह समारोह समाप्त हुआ है तथा इसके साथ ही यह दौरा समाप्त होगा। किंतु मैं और बात कहना चाहूंगी जिसे प्रधानमंत्री ने अपने दौरे के दौरान किया, वह यह कि उन्होंने
गिम्हे के मेयर को बोधि वृक्ष का पौधा उपहार में दिया।
गिम्हे वह स्थान है जहां राजकुमार सुरीरत्ना आयीं और वहीं ठहरीं तथा प्रधानमंत्री ने इसे इस आशा के साथ वहां के मेयर को दिया कि भारत और कोरिया के बीच दोस्ती की जड़ें जिस प्रकार गहरी होगी, उसी प्रकार इस पौधे की जड़ें भी गहरी होंगी। अब मैं यहीं अपनी बात समाप्त
करती हूं। आपका धन्यवाद।
प्रश्न: यदि आप संक्षिप्त रूप में बता सकें कि इस दौरे से क्या प्रमुख बातें निकलकर आयी हैं क्योंकि यह प्रधानमंत्री का दूसरा दौरा है और हो सकता है कि आम चुनाव के पूर्व यह अंतिम दौरा हो, इसलिए आप इसे किस प्रकार देखते हैं?
सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: इस दौरे की प्रमुख उपलब्धि यह है कि प्रधानमंत्री एक ऐसे देश आए जिसके साथ हमारी विशेष रणनीतिक साझेदारी है। यह एक ऐसा देश है जिसके साथ हमारा आर्थिक क्षेत्र, रक्षा क्षेत्र में गहरा रिश्ता
है, साथ हीं परमाणु व अंतरिक्ष क्षेत्र में संभावित सहयोग के बारे में बातचीत हुई। यह देश हमारे लिए महत्वपूर्ण साझेदार है और यदि आप देखें तो पाएंगे कि यह दो देशों के बीच नीतिगत अभिसरण है। हमारी एक्ट ईस्ट पालिसी तथा कोरिया की नई दक्षिणी नीति जिसे कोरिया और
भारत के बीच संबंध को मजबूत बनाए जाने पर फोकस किया जा रहा है।
विचारों का अभिसरण बहुत अधिक है और दोनों ही नेताओं द्वारा यह निर्णय लिया गया कि हमें इस विशेष मुद्दे पर अनुबंध रखना जारी रखना चाहिए। इसलिए कोरिया एक बहुत महत्वपूर्ण साझीदार है और आपने भारत प्रति गर्मजोशी, भारत के प्रति मित्रता और भारत जो महत्व रखता है, को
देखा होगा तथा आपने यह भी देखा होगा कि सियोल शांति पुरस्कार में इन बातों को मान्यता मिली है जिस पुरस्कार की शुरूआत ओलंपिक खेलों के इतिहास से हुई है, इसलिए यह एक ऐसा पुरस्कार है जिसका ऐतिहासिक उद्गम है और प्रधानमंत्री को यह पुरस्कार दिया जाना भी महत्वपूर्ण
है। किंतु संबंध वहां है जहां दोनों नेताओं ने इस संबंध को जोड़ने का प्रयास किया है।
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: इसके साथ हीं हम इस ब्रीफिंग को समाप्त करते हैं। आप सभी का यहां आने के लिए धन्यवाद।
(समाप्त)