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प्रधानमंत्री द्वारा सोल (रिपब्लिक ऑफ कोरिया) में महात्मा गांधी जी की प्रतिमा के अनावरण के दौरान वक्तव्य

फरवरी 21, 2019

योर एक्सेलेंसी राष्ट्रपति मून,
हर एक्सेलेंसी, फर्स्ट लेडी किम,
योर एक्सेलेंसी, और मेरे मित्र बान की मून,
योंग-हक किम, प्रेसिडेंट ऑफ़ योंसेई यूनिवर्सिटी,
कोरिया के सभी युवा साथियों, आप सभी को मेरा नमस्कार।


मेरे लिए ये बहुत हर्ष और सम्मान का विषय है कि आज यहाँ कोरिया में सबसे प्रमुख विश्वविद्यालय में महात्मा गाँधी की प्रतिमा का अनावरण करने का सौभाग्य मिला है।

आज का अवसर इसलिए भी बड़ा महत्वपूर्ण है क्योंकि हम इस वर्ष महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मना रहे हैं और पूरा विश्व मानवता के इस मसीहा की 150वीं जयंती मनाकर एक उज्जवल भविष्य जहाँ मानवता, मानवीय हित के लिए एक नई उर्जा, नया प्रकाश विश्व की मानवजाति को संपन्न हो।

गत शताब्दी में अगर मानवजाति को सबसे बड़ी भेंट अगर कोई मिली है तो वो महात्मा गाँधी के रूप में एक ऐसे व्यक्तित्व की मिली है जिसने युगों का भाग्य क्या होगा इसका अनुमान लगाते हुए, जीवनशैली कैसी हो उसका रास्ता जी करके दिखाया था और वो कहा करते थे, मेरा जीवन ही मेरा सन्देश है।

आज मानवजाति पूरे विश्व में दो गंभीर संकटों से जूझ रही है। एक संकट है आतंकवाद का और दूसरा संकट है Climate Change का। अगर महात्मा गाँधी के जीवन को देखें तो इन दोनों समस्याओं का समाधान महात्मा गाँधी के जीवन में, उनके आदर्शों में और उनके उपदेश में हम रास्ता खोज सकते हैं।

महात्मा गाँधी कहा करते थे कि परमात्मा और प्रकृति ने मनुष्य की need के लिए जो भी चाहिए सबकुछ दिया है लेकिन मनुष्य की greed को संतुष्ट करने के लिए ये सारी प्राकृतिक सम्पदा कम पड़ जायेगी। और ईसलिए मनुष्य का जीवन need based होने चाहिए, greed based नहीं होना चाहिए।

महात्मा गाँधी के जीवन कालखंड में न कोई environment के issue की चर्चा होती थी न climate change की चर्चा होती थी, न global warming की चर्चा होती थी लेकिन उस महापुरुष ने ऐसा जीवन जिया कि उन्होंने कोई carbon footprint छोड़े नहीं ताकि भावी पीढ़ी का कोई नुक्सान हो। और वो कहते थे कि हमें हमारी भावी पीढ़ी का जो हक़ है उसको छीनने का अधिकार नहीं है। हमारी भावी पीढ़ी को जो शुद्ध हवा मिलनी चाहिए, जो शुद्ध पानी मिलना चाहिए, जितनी जरूरत के अनुसार प्राकृतिक सम्पदा मिलनी चाहिए, अगर हम उसका दुर्पयोग करते हैं मतलब हम हमारी आने वाली पीढ़ी के हमारे बच्चों के हक़ का हम छीन रहे हैं, हम खा रहे हैं और वो चेतावनी देते थे कि ये पाप करने का हमें हक़ नहीं है।

और वो अपने जीवन में कभी भी, ऐसा जीवन जी कर गए कोई भी carbon footprint छोड़कर नहीं गए।

दूसरा, आज जो हम मानवजाति आतंकवाद के भयंकर संकट से गुजर रही है, आतंकवाद ने पूरी मानवता को ललकारा है ऐसे समय महात्मा गाँधी का सन्देश मानवता की एकता का, मानवीय मूल्यों का, महत्म्य का और अहिंसा के माध्यम से, ह्रदय परिवर्तन के माध्यम से, हिंसा के रास्ते पर गए हुए लोगों को लौटाने का, आज भी विश्व के लिए मानवता की शक्ति पर बल देने का, मानवीय शक्तियों का एकत्र होने का सन्देश, आज भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए मानवतावादी शक्तियों को एक करने की प्रेरणा देता है।

इसी धरती की संतान, मेरे मित्र, बान की मून जब UN के सेक्रेटरी जनरल थे तब 2 अक्टूबर, महात्मा गाँधी जयंती को UN ने पूरे विश्व में अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय किया, एक प्रकार से आतंकवाद के खिलाफ ये एक रास्ता प्रशस्त करने का बहुत ही उत्तम अवसर 2 अक्टूबर बना है।

महात्मा गाँधी विश्व मानव थे, महात्मा गाँधी किसी युग के बंधन में बंधे हुए नहीं थे। वो आने वाले युगों तक मानवजाति को प्रेरणा देने वाले हैं। और आज जब मैं देख रहा हूँ कि जब महात्मा गाँधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है तो पूरा विश्व उनके सन्देश को receive करने के लिए उत्सुक है।

महात्मा गाँधी का प्रिय भजन था ‘वैष्णव जन तो तेने रे कहीये रे जे पीर पराई जाने रे।’ मुझे ख़ुशी है कि दुनिया के गरीब, 155 देशों के, वहाँ के प्रमुख गायकों ने, संगीतकारों ने वैष्णव जन तो तेने रे कहिए गीत गाया, रिकॉर्ड किया है और वो आज विश्व की एक विरासत बना हुआ है। महात्मा गाँधी को 150वीं जयंती पर इन गायकों ने, कलाकारों ने एक बहुत ही चिरंजीव श्रद्धांजलि दी है और में इसलिए विश्व के ऐसे सभी लोगों का आभार भी व्यक्त करना चाहूँगा।

यूनिवर्सिटी में छात्रों के बीच महात्मा गाँधी की प्रतिमा का होना, आज जो छात्र हैं वो और भविष्य में जो छात्र आयेंगें उनको प्रेरणा देते रहेंगें। महात्मा गाँधी के जीवन और आदर्श के तरफ उनकी जिज्ञासा बढ़ेगी लेकिन एक सन्देश मैं समझता हूँ हर पीढ़ी के युवकों को काम आने वाला है।

महात्मा गाँधी कहा करते थे कि जब आप किसी निर्णय पर पहुँचने जा रहे हैं, कोई नीति निर्धारित करने जा रहे हैं, कोई महत्वपूर्ण फैसला लेने जा रहे हो और अगर आपके मन में दुविधा है, तो आप पल भर के लिए रुक जाइए और अपने मन में समाज के आखिरी छोर पर बैठा वो जो इंसान है, जो गरीब है, पीड़ित है, शोषित है, वंचित है। जिसकी आँख में आंसू हैं, ज्सिके दिल में दर्द है। जो जीवन में आगे बढ़ने के लिए आशा-आकांक्षा लेकर के बैठा हुआ है, पल भर के लिए ऐसे व्यक्ति के जीवन का स्मरण कीजिये, उसके चेहरे को याद कीजिये और फिर सोचिये कि आप जो निर्णय कर रहे हैं, क्या वो निर्णय उसकी भलाई करेगा क्या? अगर आप की आत्मा कहती है कि आपका निर्णय जरूर उसकी भलाई करेगा तो आप बिना हिचकिचाहट फैसला कर लीजिये, आपका फैसला अवश्य सही होगा। Confusion की कोई जरूरत नहीं रहेगी। गाँधी जी का ये सन्देश हर पीढ़ी के हर युवा को जो जीवन में निर्णायक पद पर पहुँचने वाले हैं उनको बहुत बड़ी प्रेरणा देगा। यह एक सन्देश उसके जीवन के सभी निर्णयों को मानवजाति की भलाई के लिए बनाएगा और मैं समझता हूँ मानवजाति के कल्याण के लिए पूज्य बापू का ये सन्देश बहुत काम आएगा।

मैं साउथ कोरिया के नागरिकों को भी सौ साल पूर्व, 1 मार्च को, जिस संघर्ष के लिए आपने जीवन दिया था उसकी शताब्दी मना रहे हैं। मैं भी आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं देता हूँ।

150 वर्ष कि महात्मा गाँधी के शताब्दी और आपके संघर्ष के शताब्दी, ये दोनों हम दोनों देशों के लिए प्रेरणा का कारण बनेगी। मैं फिर एक बार यूनिवर्सिटी के सभी महानुभावों को ह्रदय से आभार व्यक्त करता हूँ।

मैं राष्ट्रपति जी का, First Lady जी का, Baan Ki Moon का, सबका आभार व्यक्त करता हूँ कि इस महत्वपूर्ण समारोह में आपने समय निकला, शिरकत की और मुझे इस बड़े पवित्र कार्यक्रम में आज आने का अवसर मिला, मैं ह्रदय से आपका बहुत बहुत आभारी हूँ।

धन्यवाद।



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