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प्रधानमंत्री की कोरिया गणराज्य की आगामी यात्रा पर सचिव (पूर्व) की मीडिया वार्ता की प्रतिलिपि (14 फरवरी, 2019)

फरवरी 15, 2019

सरकारी प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: नमस्कार, 21-22 फरवरी को प्रधानमंत्री की कोरिया गणराज्य की आगामी यात्रा पर एक बार फिर से आपका स्वागत है। मेरे साथ सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह हैं। मेरे साथ संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) प्रणय वर्मा भी हैं जो हमें यात्रा के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी देंगे।

सचिव (पूर्व) को अपनी बात कहने के लिए आमंत्रित करने से पहले मैं बताना चाहता हूँ कि आरओके भारत का एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और यह यात्रा दक्षिण कोरिया के साथ हमारी महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी और बहु-आयामी संबंधों के महत्व की अभिव्यक्ति होगी। अब मैं सचिव (पूर्व) से अनुरोध करता हूँ कि आप सभी को यात्रा के बारे में जानकारी दें। महोदया, मैं आपको आमंत्रित करता हूँ।

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: धन्यवाद, रवीश और आप सभी को नमस्कार। यह प्रधानमंत्री की कोरिया गणराज्य की यात्रा के बारे में एक संक्षिप्त जानकारी है। वे कोरिया के राष्ट्रपति महामहिम राष्ट्रपति मून जे-इन के निमंत्रण पर 21 और 22 फरवरी को राजकीय यात्रा पर सियोल जाएंगे।

हालांकि यह यात्रा बहुत छोटी, मुश्किल से 30 घंटे की होगी। लेकिन कोरियाई नेतृत्व, व्यवसायों और अन्य हितधारकों के साथ कई कार्यक्रम होने जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री की यात्रा दोनों देशों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान में हाल की बढ़ती गति का एक हिस्सा है। जैसा कि आप जानते हैं, राष्ट्रपति मून ने जुलाई 2018 में द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए भारत का दौरा किया था, जिसके बाद प्रथम महिला, महामहिम किम जंग-सूक, पिछले वर्ष नवंबर में अयोध्या में दीपोत्सव में भाग लेने के लिए भारत आई थीं। इससे पहले 2018 में कोरियाई संसद के अध्यक्ष ने भारत का दौरा किया था और उसके बाद अगस्त 2018 में कोरियाई रक्षा मंत्री भारत के द्विपक्षीय दौरे पर आए थे। हाल ही में कोरिया के विदेश मंत्री, मंत्री कांग दिसंबर में विदेश मंत्री के साथ संयुक्त आयोग की बैठक के लिए भारत आए थे।

प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति मून ने हाल ही में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में और इस वर्ष की शुरुआत में जी20 बैठक के दौरान भी बातचीत की थी। इसलिए उच्चतम स्तरों पर बैठकों की यह आवृत्ति दोनों पक्षों के नेतृत्व के संबंध के महत्व को रेखांकित करती है जो एक विशेष रणनीतिक साझेदारी की विशेषता है।

आरंभ में मैं आपको प्रधानमंत्री की यात्रा के उन कार्यक्रमों की जानकारी देती हूँ, जिन तत्वों पर हम वर्तमान में काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री का 21 फरवरी को दोपहर से पहले सियोल पहुंचने का कार्यक्रम है। उस दोपहर वे भारत-कोरिया व्यापार संगोष्ठी को संबोधित करेंगे, साथ ही भारत-कोरिया स्टार्टअप हब का शुभारंभ करेंगे।

प्रधानमंत्री, दक्षिण कोरिया के एक प्रमुख विश्वविद्यालय, योनसेई विश्वविद्यालय के सियोल परिसर में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा का अनावरण करेंगे। 21 की दोपहर को ही प्रधानमंत्री, भारत-कोरिया संसदीय मैत्री समूह के सदस्य, किमहे शहर के मेयर जैसे कुछ महत्वपूर्ण गणमान्य व्यक्तियों के साथ बैठक करेंगे। अब हम जिस किमहे शहर को जानते हैं, उसका एक ऐतिहासिक संबंध है, क्योंकि अयोध्या की राजकुमारी सुरीरत्ना बहुत वर्ष पहले वहाँ गई थीं, इसके बाद हमारे दोनों देशों के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री महापौर के माध्यम से किमहे शहर के लोगों को पवित्र बोधि वृक्ष का एक पौधा सौंपेंगे।

प्रधानमंत्री उस शाम दक्षिण कोरिया में भारतीय समुदाय से बातचीत करेंगे। 21 की शाम राष्ट्रपति मून प्रधानमंत्री के लिए एक निजी रात्रिभोज आयोजित करेंगे।

अगला दिन अर्थात् 22 तारीख व्यस्तताओं का मुख्य दिन होगा, प्रधानमंत्री सियोल के राष्ट्रीय कब्रिस्तान जाएंगे और सम्मान व्यक्त करेंगे। इसके बाद वे कोरियाई राष्ट्रपति के कार्यालय, ब्लू हाउस जाएंगे जहाँ उनका औपचारिक स्वागत किया जाएगा।

इसके बाद राष्ट्रपति मून के साथ शिखर बैठकें होंगी, दोनों नेता अपनी बैठक के बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत करेंगे। प्रधानमंत्री के लिए राष्ट्रपति मून द्वारा ब्लू हाउस में एक आधिकारिक भोज आयोजित किया जाएगा।

दोपहर में भारत लौटने से ठीक पहले एक संक्षिप्त समारोह में, प्रधानमंत्री को सियोल पीस प्राइज कल्चरल फाउंडेशन द्वारा सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। आपको याद होगा कि सियोल पीस प्राइज कल्चरल फाउंडेशन ने पिछले वर्ष अक्टूबर में अंतरराष्ट्रीय सहयोग, वैश्विक विकास और मानव विकास के प्रति प्रधानमंत्री मोदी के समर्पण को मान्यता देते हुए, प्रधानमंत्री मोदी को 2018 के लिए सियोल शांति पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की थी।

यह कार्यक्रमों के संक्षिप्त रूपरेखा है और विवरणों पर काम किया जा रहा है, लेकिन जैसा कि आप देख सकते हैं कि यात्रा की छोटी अवधि के बावजूद यह कई व्यस्ताओं की एक श्रृंखला से भरी है। हम एक महत्वपूर्ण एजेंडे पर चर्चा की आशा करते हैं जिसमें द्विपक्षीय सहयोग, पारस्परिक हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों को आवृत किया जाएगा। दोनों नेताओं के पास अनुवर्ती कार्रवाई की समीक्षा करने का भी अवसर होगा जो लोगों, समृद्धि, शांति और भविष्य के लिए उनके साझा दृष्टिकोण के अनुसार होगा और यह वही दृष्टिकोण है जिसके लिए राष्ट्रपति मून ने जुलाई 2018 में भारत का दौरा किया था।

आपको हमारे संबंधों और जिस संदर्भ में यात्रा हो रही है, उसके बारे में बताते हुए मैं कहना चाहती हूँ कि हम आरओके को भारत के आर्थिक आधुनिकीकरण में एक बहुत महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में देखते हैं। विगत वर्षों में हमारे व्यापार और निवेश संबंध और संपर्क बढ़े हैं। कोरियाई कंपनियां हुंडाई, एलजी या सैमसंग आज घरेलू नाम हैं और कई कोरियाई कंपनियां भारत में काम कर रही हैं तथा मेक इन इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहल में शामिल हो रही हैं। हम आईटी, आईसीटी, जैसे नए क्षेत्रों और भविष्य की प्रौद्योगिकियों में भी सहयोग आरंभ कर रहे हैं। हमारा रक्षा सहयोग भी बढ़ रहा है। हमारे रक्षा मंत्रालयों के साथ-साथ तीनों सेवाओं और तट रक्षकों के बीच घनिष्ठ परामर्श चलता है। रक्षा प्रौद्योगिकी और रक्षा सह-उत्पादन हमारे सहयोग के लिए एक अन्य आशाजनक क्षेत्र है।

मैंने पहले भी उल्लेख किया है लेकिन मैं यहाँ फिर से दोहराती हूँ कि भारत आने वाले कोरियाई नागरिकों के लिए ई-वीजा जैसी सुविधाओं के साथ सांस्कृतिक और लोगों के आपसी संबंधों को आगे बढ़ाया जा रहा है। हमें आशा है कि इससे हमारे लोगों के परस्पर आदान-प्रदान में उल्लेखनीय लाभ होगा।

वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री की आरओके की यात्रा में यह संबंध एक विशेष रणनीतिक साझेदारी बना और उसके बाद भारत और आरओके के संबंधों में एक नई गति आई है। 2017 में राष्ट्रपति मून के प्रशासन के आरंभ होने और कोरिया के अंतर्गत उनकी नई दक्षिणी नीति लागू की गई, जिसमें कोरिया अपने तत्काल क्षेत्र से परे संबंधों का विस्तार करना चाहता है, भारत से संबंध इस आउटरीच का एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्तंभ है।

हम अपनी ओर से आरओके के साथ मजबूत साझेदारी को, हमारी एक्ट ईस्ट पॉलिसी के एक तार्किक विस्तार के रूप में देखते हैं इसलिए नए क्षेत्र और सामग्री के साथ नए क्षेत्रों में अपने संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए इस मोड़ पर स्वाभाविक तालमेल है। प्रधानमंत्री की यह यात्रा इस तालमेल को उजागर करेगी और हम अपने दोनों देशों के बीच विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर विचार कर रहे हैं। मैं यहाँ अपनी बात समाप्त करूँगी। धन्यवाद।

सरकारी प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: धन्यवाद महोदया। अब मैं प्रश्नोत्तर सत्र आरंभ करूँगा।

प्रश्न: मैं यह जानना चाहता हूँ कि क्या रक्षा पर कोई चर्चा होगी क्योंकि रक्षा मंत्री एयरो इंडिया के लिए आठ सदस्यीय दल का नेतृत्व कर रहे हैं और कुछ कोरियाई कंपनियां कह रही हैं कि कानूनों को नहीं समझ पाने के कारण वे भारतीय बाजार में नहीं जा पा रही हैं।

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: हाँ, कोरिया के रक्षा मंत्री ने भारत का दौरा किया था और जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, दोनों रक्षा मंत्रालयों के बीच, हमारे तीनों सशस्त्र बलों के बीच और तट रक्षकों के बीच अधिक से अधिक चर्चा चल रही है। हम रक्षा प्रौद्योगिकियों और सह-उत्पादन पर विचार कर रहे हैं और आपको यह बताना चाहूँगी कि संयुक्त रक्षा सह-उत्पादन में से एक लार्सन एंड टुब्रो और कोरियाई कंपनी के बीच एक संयुक्त उद्यम है और वे 100 तोपों का उत्पादन कर रहे हैं।

प्रश्न जारी: ……… सुना नहीं जा सका …………।

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: विशिष्ट रक्षा खरीद के विषयों के संदर्भ में, कृपया ध्यान दें कि यह रक्षा मंत्रालय के क्षेत्र में आता है।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: आम तौर पर हम विशिष्ट रक्षा खरीद के मामलों को संबोधित नहीं करते हैं।

प्रश्न जारी: लेकिन रक्षा मंत्रालय कह रहा है कि आप विदेश मंत्रालय से पूछें।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: लेकिन हमने पहले भी स्पष्ट किया था कि विशिष्ट रक्षा खरीद के मामलों को रक्षा मंत्रालय द्वारा संबोधित किया जाना चाहिए। हम शायद बड़े नीतिगत मुद्दों पर प्रश्नों का उत्तर दे सकते हैं लेकिन विशिष्ट सौदों पर किए जाने वाले प्रश्नों के उत्तर नहीं दे सकते।

प्रश्न: यह सुविदित है कि पहले उत्तर कोरिया ने पाकिस्तान को रॉकेट तकनीक की आपूर्ति की थी और पाकिस्तान ने उसका अनुसरण किया था और ए क्यू खान की विशेष रूप से परमाणु सामग्री के साथ मदद की थी, यही वजह है कि आज पाकिस्तान के पास भारत को लक्षित करने वाली सभी प्रकार की मिसाइलें हैं और उत्तर कोरिया के पास परमाणु शस्त्रागार है। अब, जबकि दक्षिण कोरियाई राष्ट्रपति ने उत्तर कोरियाई लोगों के साथ नरमी बरतनी शुरू की है, क्या यह मुद्दा चर्चा के दौरान सामने आएगा?

प्रश्न: दक्षिण कोरियाई लोगों को ई-वीजा जारी करने का प्रस्ताव, क्या इस पर पारस्परिक बात होगी, क्या वे भारतीयों को भी ई-वीजा जारी करेंगे?

प्रश्न: क्या आप हमें बता सकते हैं कि व्यापार के मोर्चे पर क्या हो रहा है, जो मुझे समझ आ रहा है, उन्होंने तिल और कुछ अन्य चीजों पर भारी कर रखा है और क्या हम कुछ वीजा लाभ प्राप्त करने के लिए देशी अंग्रेजी बोलने वाले राष्ट्र के रूप में एक स्थिति पाने की आशा कर रहे हैं?

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: डीपीआरके से संबंधित पहले प्रश्न के बारे में, मैं यह कहना चाहती हूँ कि भारत को आशा है कि वर्तमान में कोरिया गणराज्य और डीपीआरके के बीच संबंध बन रहे है और दूसरा शिखर सम्मेलन, हम आशा करते हैं कि यह कोरियाई प्रायद्वीप में तनाव को कम करने और शांति और सुलह का मार्ग प्रशस्त करने में मदद करेगा।

भारत कूटनीति और संवाद के माध्यम से कोरियाई प्रायद्वीप में शांति और स्थिरता लाने के सभी प्रयासों का समर्थन करता है और हम यह भी आशा करते हैं कि कोरियाई प्रायद्वीप की समस्या के समाधान भारत के पड़ोस में प्रसार संबंधी संपर्कों के बारे में हमारी चिंताओं को ध्यान में रखेगा।

व्यापार पर प्रश्न के बारे में, मैं आपको बताना चाहती हूँ कि आर्थिक जुड़ाव और आर्थिक स्तंभ कोरिया गणराज्य के साथ संबंधों का बहुत मजबूत आधार है। यदि आप प्रवृत्ति को देखते हैं, तो पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार 16.8 करोड़ डॉलर से बढ़कर 20 करोड़ डॉलर से अधिक हो गया, हमने लगभग 22-23 प्रतिशत की वृद्धि देखी है। तो यह ऊपर की ओर बढ़ता प्रक्षेपवक्र है और किसी भी व्यापारिक संबंध में हमेशा मुद्दे रहते हैं लेकिन हमारे पास चर्चा के लिए प्रारूप हैं और उन्हें उठाया जाता है।

अन्य प्रश्न वीजा से संबंधित है, हमने कोरियाई लोगों के लिए आगमन पर वीजा देना आरंभ किया है। जहाँ तक पारस्परिक व्यवस्थाओं और चर्चाओं का संबंध है, निरंतर संवाद जारी है और देखते हैं कि उस संवाद के माध्यम से क्या होता है, लेकिन फिलहाल आगमन पर वीजा देना आरंभ किया गया है।

प्रश्न: कोरिया के साथ व्यापारिक घाटे के बारे में जानना चाहता था और क्या हम इसे कम करने के लिए कदम उठा रहे हैं?

प्रश्न: यह यात्रा अमेरिकी राष्ट्रपति और उत्तर कोरियाई नेता के बीच दूसरी बैठक से कुछ दिन पहले हो रही है, भारत ने बैठक के बारे में जो कहा है और निश्चित रूप से प्रधानमंत्री और दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के बीच द्विपक्षीय बैठक के दौरान इस पर भी चर्चा की जाएगी।

प्रश्न: भारत-कोरिया परमाणु सहयोग समझौते के बाद, कोरियाई कंपनियां भी भारत में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने में रुचि रखती हैं, तो क्या उस पर कोई चर्चा हुई है?

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: मुझे एक बार फिर से व्यापारिक मुद्दे के साथ शुरू करना चाहिए। व्यापार पर हमने उनके साथ सीईपीए उन्नयन के लिए विचार-विमर्श किया है, इसलिए ये चर्चाएं चल रही हैं और हम व्यापार संतुलन मुद्दे जैसे विभिन्न पहलुओं से संबंधित मुद्दों पर विचार कर रहे हैं। इसलिए सीईपीए उन्नयन के अंतर्गत उन पर चर्चा हो रही है।

जहाँ तक डीपीआरके का प्रश्न है, देखिए कोरिया के साथ हमारे बहुत बहुआयामी संबंध हैं। हम आपसी हितों, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करते हैं। डीपीआरके के संबंध में जो बातचीत चल रही है, वह एक महत्वपूर्ण बातचीत है और जैसा कि मैंने पहले कहा था भारत उन चर्चाओं और संवादों का स्वागत करता है जिनके परिणामस्वरूप तनाव कम होगा और कोरियाई प्रायद्वीप में सामंजस्य स्थापित होगा।

परमाणु सहयोग पर अंतिम प्रश्न, हम अभी कुछ भी विशिष्ट नहीं देख रहे हैं।

सरकारी प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: अब हम कुछ अंतिम प्रश्नों का उत्तर देंगे।

प्रश्न: मेरा प्रश्न कोरिया से एफडीआई निवेश के संबंध में है। पिछली बार जब कोरियाई नेता ने भारत का दौरा किया था, तो नोएडा में सबसे बड़े मोबाइल विनिर्माण संयंत्र का उद्घाटन किया गया था। क्या प्रधानमंत्री की आगामी यात्रा में इस परियोजना की तरह कोई अन्य परियोजना है?

प्रश्न: क्या अंतरिक्ष सहयोग भी सूची में है?

सचिव (पूर्व), श्रीमती विजय ठाकुर सिंह: मैं अंतरिक्ष से शुरू करती हूँ। अंतरिक्ष के बारे में, हाँ, कोरिया के साथ हमारी चर्चा और सहयोग चल रहा है, इसलिए हम इस बात पर ध्यान दे सकते हैं कि सहयोग के विशिष्ट क्षेत्रों को कैसे देखा जाए।

और जहाँ तक दक्षिण कोरिया के निवेश का प्रश्न है, अगर आप उस निवेश को देखें जो पहले से ही यहाँ है, तो यह 3 करोड़ डॉलर से अधिक है और यदि आप पिछले वर्ष की गई घोषणा को देखते हैं, तो महत्वपूर्ण घोषणाएँ की गई हैं। बस आपको कुछ संकेत देने के लिए, किया मोटर्स के आंध्र प्रदेश की विनिर्माण इकाई में लगभग 1.1 बिलियन डॉलर का निवेश करने की बात कही गई है। आपने पहले ही उल्लेख किया था कि सैमसंग नोएडा में अपनी इकाई का विस्तार कर रहा है। वह उस संयंत्र में लगभग 780 मिलियन डॉलर और लगा रहा है, जो दुनिया में सैमसंग का सबसे बड़ा विनिर्माण संयंत्र है और इसके अलावा हुंडई भी है। हुंडई ने भारत में अपनी उत्पादन इकाइयों का विस्तार करने के लिए लगभग 900 मिलियन डॉलर के निवेश की घोषणा की है। इसलिए कोरिया से भारत में निवेश आ रहा है और भारत के बारे में सकारात्मक आकलन है, आकलन किया गया है कि यहाँ कई अवसर हैं। इसलिए मैं यह नहीं कह रही कि वास्तव में क्या होगा, क्या कोई भी घोषणा होगी, लेकिन निश्चित रूप से रुचि है और निश्चित रूप से हम जमीनी परिणाम की आशा कर रहे हैं और हमारा संबंध सकारात्मक है और ऊपर बढ़ रहा है।

सरकारी प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: प्रधानमंत्री की कोरिया यात्रा पर यह विशेष वार्ता समाप्त होती है। धन्यवाद महोदया, धन्यवाद प्रणय, इस वार्ता में शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

(समापन)



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