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जी 20 के लिए प्रधानमंत्री की अर्जेन्‍टीना में आगामी दौरे पर विदेश सचिव द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेखन

नवम्बर 27, 2018

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार : नमस्‍कार दोस्‍तों। इस जी 20 शिखर सम्‍मेलन के लिए प्रधानमंत्री की ब्‍यूनोज एयर्स, अर्जेन्‍टीना के दौरे पर इस विशेष ब्रीफिंग में आपका स्‍वागत है। प्रधानमंत्री कल शाम लगभग 6 बजे अर्जेन्‍टीना से प्रस्‍थान करेंगे और 2 दिसंबर देर रात तक भारत वापस पहुंचेंगे।

अर्जेन्‍टीना में आयोजित शिखर सम्‍मेलन में प्रधानमंत्री के अनेक कार्यक्रम हैं और प्रधानमंत्री के पूर्ण सम्‍मेलन तथा बैठकों, विभिन्‍न कार्यक्रमों का ब्‍यौरा देने के लिए, मेरे साथ भारत के विदेश सचिव उपस्थित हैं जो आप सभी को जी 20 शिखर सम्‍मेलन के लिए प्रधान मंत्री दौरे का संक्षिपत ब्‍यौरा देंगे। अब विदेश सचिव बात करेंगे।

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले :
धन्‍यवाद रवीश। नमस्‍कार देवियों और सज्‍जनों। मैं ब्‍यूनोज एयर्स में आगामी जी 20 शिखर सम्‍मेलन के बारे में आपको ब्‍यौरा देने जा रहा हूं। वैसे तो मैं यह चाहता था कि आर्थिक कार्य विभाग के मेरे सहयोगी इस समय पर मेरे साथ होते, पर वे ब्‍यूनोज एयर्स में ही व्‍यस्‍त हैं क्‍योंकि वहां कई वरिष्‍ठ आधिकारिक बैठकें हैं, इसलिए मुझे ही अब ब्रीफिंग करनी है।

यह एक बहुत ही छोटा सा दौरा है, और कुल मिलाकर प्रधानमंत्री ब्‍यूनोज एयर्स में केवल 48 घंटों तक उपस्थित रहेंगे, और इसलिए इन 48 घंटों में वे बहुपक्षीय बैठकों, जी 20 शिखर सम्‍मेलन के सत्रों तथा सामान्‍य अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलनों की प्रथा के अनुसार शिखर सम्‍मेलन के इत्तर द्विपक्षीय बैठकों में शामिल होंगे।

शिखर सम्‍मेलन और उसके कार्यक्रमों के विशेष बिंदुओं के बारे में बात करने से पहले मैं, इस विशेष जी 20 बैठक की महत्ता पर संक्षिप्‍त ब्‍यौरा देना चाहूंगा। यह जी 20 शिखर सम्‍मेलन का 10वां वर्ष है, आप सभी याद कीजिए कि वित्तीय संकट के दौरान वर्ष 2008 में जी 20 शिखर सम्‍मेलन की पहली बैठक आयोजित हुई थी और उस बैठक का प्रमुख उद्देश्‍य उस समय में वित्तीय संकट से उभरना था। तब से जी 20 शिखर सम्‍मेलन अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक प्रणाली सुधारों में एक बड़े एजेंडा के रूप में विकसित हुआ है जिसके अंतर्गत कराधान प्रणाली, जलवायु परिवर्तन से संबंधित मुद्दों, ऊर्जा पारगमन वैश्विक आर्थिक नीति और व्‍यापार नीति पर भी नेताओं द्वारा इस बैठक में चर्चा की जाती है। अत: जी 20 की 10वीं वर्षगांठ पर यह निश्चित रूप से हमारी उम्‍मीद होगी कि नेता पिछले 10 वर्षों में जो कुछ हासिल किया गया है और अगले 10 वर्षों में हम क्‍या उम्‍मीद कर सकते हैं, उस पर भी बात करेंगे।

मुझे लगता है जी 20 की पृष्‍ठभूमि आप सभी को अच्‍छी तरह मालूम है। दुनिया में काफी बदलाव और अनिश्चित्तता रही है। जी 20 में कई स्‍थापित बहुपक्षीय संस्‍थाओं और पक्रियाओं पर चर्चा की जा रही है और कुछ सुधार अथवा बदलाव किए जाने की आवश्‍यकता महसूस की गई है। हमारा विचार यह है कि जी 20 एकमात्र मुद्दा आधारित बैठक नहीं होनी चाहिए। मेरा इशारा इस सच्‍चाई की ओर है कि कि जिस प्रक्रिया में अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार किया जाना चाहिए, उसमें अंतर है। अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार के लिए नियम बनाए जाने चाहिए, चाहे बहुपक्षीय व्‍यापार संस्‍थाओं में सुधार की आवश्‍यकता हो। हमारे प्रधानमंत्री हर संभव इन सभी बिंदुओं पर चर्चा करते हैं तथा उन पर अपने विचार साझा करते हैं। लेकिन, हमारा मानना है कि जी 20 एकमात्र मुद्दे से आगे निकले और कृषि क्षेत्र सुधारों, ऊर्जा में पारगमन, जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों, दुनियाभर में लोगों की स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल समस्‍याओं सहित समस्‍त आ‍र्थिक पहलुओं आदि को कवर करे। मेरे विचार में यह एक ऐसा दृष्टिकोण या विचारार्थ विषय है जिस पर भारत के प्रधानमंत्री की अगुवाई में भारतीय प्रतिनिधिमंडल निश्चित रूप से प्रतिभागिता करेगा।

जैसा कि मैंने कहा था कि वह सिर्फ 48 घंटों के लिए यहां रहेंगे और जी 20 के अंतर्गत नेताओं की पारस्‍परिक बातचीत और तीन मुख्‍य सत्र होंगे। जी 20 का थीम है ‘उचित और दीर्घकालिक विकास के लिए सर्वसम्‍मति बनाना’। यही वह थीम है जिसका चयन मेजबान देश अर्थात अर्जेन्‍टीना द्वारा किया गया है, जिसके पास थीम का चयन करने का विशेषाधिकार है और इसमें तीन सत्र हैं। पहला है, ‘लोगों को प्राथमिकता देना’ जो वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था, आर्थिक दृष्टिकोण अथवा भावी कार्य पर मूल रूप से केंद्रित है। दूसरा सत्र है ‘सर्वसम्‍मति बनाना’ जो इस समय पर निश्चित रूप से एक महत्‍वपूर्ण विषय है, और इसमें अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार, वित्त कराधान, स्‍थायी विकास और जलवायु परिवर्तन पर बात की जाएगी। तीसरा सत्र है ‘अवसरों की संभावना’ जो ऊर्जा, बुनियादी ढांचे, स्‍थायी खाद्य सुरक्षा आदि से संबंधित है।

प्रधानमंत्री पहले सत्र में प्रमुख भूमिका निभाएंगे। इस सत्र का टाइटल है ‘लोगों को प्राथमिकता देना’। इसके अलावा, निस्‍संदेह, वह सहायक भूमिका भी निभाएंगे अर्थात मुख्‍य वक्‍ता के बजाए वह एक ऐसे नेता के रूप में दो अन्‍य सत्रों में तथा ‘सर्वसम्‍मति बनाना’ और ‘अवसरों की संभावना’ पर मुख्‍य वक्‍ताओं के बोलने के बाद अपनी बात रखेंगे। वस्‍तुत:, नेताओं के पारस्‍परिक संवाद में सभी नेता अपनी इच्‍छानुसार बोलने के लिए स्‍वतंत्र होते हैं और इसके लिए कोई विशेष एजेंडा नहीं होता है।

कुछ ऐसे बिंदु हैं जिनके बारे में हम उम्‍मीद करते हैं कि उन्‍हें जी 20 में उठाया जाएगा, जिन पर मैं बात करना चाहूंगा। निस्‍संदेह कुछ ऐसी चुनौतियां हैं जिन्‍हें हम जी 20 में प्रमुखता से उठाना चाहते हैं। इनमें तेल की कीमतों में अस्थिरता से उत्‍पन्‍न जोखिम एक ऐसा मुद्दा है जिसने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को सीधे तौर पर प्रभावित किया है। यह कुछ ऐसा मुद्दा है, जो लोगों के जीवन को प्रभावित करता है और यह आवश्‍यक है कि 20 सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था के नेता तेल की कीमत और बाजार में इसकी उपलब्‍धता दोनों पर चिंतन करें। अत: यह एक ऐसा विषय है, जिस पर प्रधानमंत्री बोलेंगे। मैं आप सभी को यह याद दिलाना चाहता हूं कि चूंकि प्रधानमंत्री के बोलन का एक निर्धारित समय है, क्‍योंकि बहुत से विश्‍व नेताओं को भी अपनी बात कहनी है, इसलिए प्रधानमंत्री का वक्‍तव्‍य भी संक्षिप्‍त रूप में होगा।

जिन अन्‍य विषयों पर प्रधानमंत्री बात करेंगे उसमें से एक विषय है डिजिटल क्रांति और विशेष रूप से इससे नए अवसर और रोजगार सृजित हों। यह एक ऐसा विषय है जो भारत सरकार के सरकारी डिजिटल इंडिया और स्किल इंडिया कार्यक्रमों के आधार पर उपयुक्‍त है। मेरे विचार से यह एक ऐसा विषय है जो इस समय वैश्विक रूप से प्रासंगिक है, जब हम वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍थाओं की प्रक्रिया में बदलावों और नये रोजगार अवसरों की ओर देख रहे हैं।

सम्‍मेलन का प्रथम सत्र जहां प्रधानमंत्री मुख्‍य वक्‍ताओं में से एक हैं, प्रधानमंत्री भावी कार्य के बारे में तथा महिला सशक्तिकरण पर विशेष रूप से बात करेंगे। वह ऐसे प्रमुख कार्यक्रमों को रेखांकित करेंगे जो उनकी सरकार ने वित्तीय समावेशन तथा समाज एवं अर्थव्‍यवस्‍था के निम्‍नतम पायदानों तक पहुंचने की दिशा में जन-धन योजना, आधार योजना, जीएसटी, स्‍टार्ट अप्‍स और मुद्रा योजना के रूप में शुरू किए हैं। मेरा अनुमान है कि जी 20 बहुपक्षीय व्‍यापार संस्‍थाओं, विशेषत: डब्‍ल्‍यूटीओ के सुधारों पर चर्चा करेगा। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर कई देशों के साथ आने की संभावना है और इस संदर्भ में भारत सरकार का नजरिया है कि बहुपक्षीयता, नियम आधारित बहुपक्षीय अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यवस्‍था अनिवार्य है, और हम उसमें सुधार करने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री ने ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन में बहुपक्षीयता पर बात की थी जिस पर वे पुन: अपने विचार रखेंगे। दूसरे शब्‍दों में इस बात का तात्‍पर्य यह है कि हम एकपक्षीय नियम आधारित, सहमत बहुपक्षीय आदेश को स्‍वीकार नहीं कर सकते, परंतु हम निश्चित रूप से नई परिस्थिति के आलोक में प्रणालियों के सुधार पर विचार कर सकते हैं।

पेरिस समझौते और जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धताओं के संदर्भ में, प्रधानमंत्री निश्चित रूप से अंतर्राष्‍ट्रीय सौर संघ और अपने स्‍वयं के ‘एक विश्‍व एक सूर्य एक ग्रिड’ के विजन पर ध्‍यान आकर्षित करेंगे। जैसा कि आप जानते हैं अक्‍तूबर में आयोजित की गई आम सभा की बैठक में आईएसए ने सहमति व्‍यक्‍त की थी कि इसका विस्‍तार केवल कर्क और मकर रेखा के बीच बसे देशों तक ही नहीं अपितु सभी देशों तक किया जाएगा। अत: निश्चित रूप से जी 20 में प्रधानमंत्री उन देशों के लिए अंतर्राष्‍ट्रीय सौर संघ में शामिल होने की राह तैयार करेंगे जो कर्क और मकर रेखा के बीच नहीं आते हैं।

प्रधानमंत्री ने हेम्‍बर्ग में भी आपदा अनुकूल बुनियादी ढांचा पर एक महत्वपूर्ण बात की थी जो कि अभी तक किसी और द्वारा नहीं उठाई गई थी। प्रधानमंत्री का यह विचार रहा है कि जब विश्‍व में कभी भी कोई प्राकृतिक आपदा आती है तब देश तत्‍काल राहत देने को तैयार तो होते हैं परंतु वास्‍तव में उस देश के बुनियादी ढ़ांचे का पुनर्निर्माण नहीं किया जाता है जहां अगली बार आपदा आने पर वह उसे झेल पाए। इस दिशा में संयुक्‍त राष्‍ट्र की एजेंसियां हैं कार्य कर रही है, परंतु प्रधानमंत्री यह महसूस करते हैं कि इसमें प्रमुख देशों, विशेष रूप से जी 20 देशों को शामिल किया जाना चाहिए जहां हम क्षमता निर्माण, तकनीकी ज्ञान को साझा कर सकते हैं तथा किसी देश में आई आपादा (जिससे बुनियादी ढांचा या विकास बूरी तरह प्रभावित होता है तथा जहां आपादा के बाद तत्‍काल राहत पहुंचाई जाती है) के शीघ्र पश्‍चात अनुभवों को साझा कर सकें ।

अत: भारत सरकार ने इस विषय पर सभी जी20 देशों को एक कन्‍सेप्‍ट पेपर परिचालित किया है और हमें इस पर बहुत ही सकारात्‍मक समर्थन मिला है। मेरे विचार से प्रधानमंत्री इसे आगे ले जाने की दिशा में आगामी कदमों के बारे में बात करेंगे। इस प्रकार ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर प्रधानमंत्री जोर देंगे। मैं यह भी उल्‍लेख करना चाहता हूं कि आतंकवाद को मिलने वाली वित्तीय सहायता और लॉन्ड्रिंग पर रोक लगाना फिर से एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है जिस पर हमारा विशेष ध्‍यान बना रहेगा।

इन बैठकों के अलावा, ये बैठकें 30 नवंबर को पूरे दिन से लेकर 01 दिसंबर की दोपहर तक जारी रहेंगी और शिखर सम्‍मेलन संपन्‍न होने के तत्‍काल बाद प्रधानमंत्री देश को रवाना हो जाएंगे, लेकिन सम्‍मेलन के इत्तर यथासंभव हम कई और बैठकें या अनौपचारिक बैठकें करने की कोशिश कर रहे हैं। सभी जी 20 देश के सदस्‍यों का दौरा संक्षिप्‍त है, इसलिए हम उनके साथ बैठकें करने का प्रयास कर रहे हैं कार्य प्रगति पर है। इस समय मैं आपके साथ यही साझा कर सकता हूं कि जी20 बैठक में ब्रिक्‍स देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों और सरकार के बीच बैठक होती है और यह बैठक होनी तय होती है।

मैं आपके साथ बैठकों का समय साझा नहीं करूंगा क्‍योंकि आयोजित होने वाली बैठकों के बारे में प्रतिदिन बताया जाएगा। प्रधानमंत्री संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव से भी मुलाकात करेंगे। संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव श्री गुटेरस ने प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात के लिए कहा है और वह संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव से मुलाकात करेंगे। मेजबान देश के राष्‍ट्रपति से मिलना एक शिष्‍टाचार होता है, इसलिए अर्जेन्‍टीना के राष्‍ट्रपति के साथ भी एक बैठक होगी। भारत के प्रधानमंत्री की चाइल के नए राष्‍ट्रपति के साथ भी एक बैठक होगी और मेरा मानना है कि यह चौथा समय होगा जब प्रधानमंत्री चीन के राष्‍ट्रपति जी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे। जोहान्‍सबर्ग में ब्रिक्‍स शिखर सम्‍मेलन में यह निर्णय लिया गया कि राष्‍ट्रोध्‍यक्षों के बीच नियमित बैठकें होंगी और इसलिए दोनों देश अपने-अपने कार्यक्रमों में इस बैठक को समायोजित करने के प्रति काफी उत्‍साहित थे।

भारत के प्रधानमंत्री की स्‍पेन, जैमेका के प्रधानमंत्री के साथ बैठकें होंगी। जैमेका केवल द्विपक्षीय भूमिका में ही नहीं है अपितु CARICOM (कैरिकॉम), कैरीबियाई समुदाय देशों का प्रमुख भी है। नीदरलैंड, जर्मनी और संभवत: फ्रांस के राष्‍ट्रपति के साथ भी बैठकें किए जाने पर काम किया जा रहा है। अन्‍य तय बैठकों में एक संयुक्‍त बैठक, यूरोपीय आयोग के अध्‍यक्ष और यूरोपीय परिषद के अध्‍यक्ष के साथ भी तय है।

जैसा कि आप जानते हैं कि इस वर्ष भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्‍मेलन की बैठक होनी थी, लेकिन उसके आयोजन के कारण वह नहीं हो पाई। यह बैठक काफी महत्‍वपूर्ण है, विशेष रूप से यूरोपीय संघ में हो रहे बदलावों को ध्‍यान में रखते हुए। अत: अभी तक ये बैठकें सुनिश्चित की जा चुकी हैं।

हम अभी भी कुछ बैठके सुनिश्चित करने की प्रक्रिया में हैं, और यदि कल या गुरूवार को जो भी खबरें मिलती हैं उस पर प्रवक्‍ता बात करेंगे। ब्‍यूनोज एयर्स में हुई सभी प्रमुख बैठकों के उपरांत हम हर हाल में विस्‍तृत ब्‍यौरा देंगे।

देवियो और सज्‍जनों, जी20 शिखर सम्‍मेलन पर मैं इस समय इतनी ही बातें साझा कर सकता हूं।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार: धन्‍यवाद सर। केवल जी20 पर प्रश्‍न पूछें।

प्रश्‍न: क्‍या यूएस राष्‍ट्रपति के साथ कोई द्विपक्षीय बैठक प्‍लान की गई है ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले:
हम विभिन्‍न द्विपक्षीय बैठकों पर काम कर रहे हैं। इस समय मैं केवल उन्‍हीं देशों को इंगित कर रहा हूं जहां दोनों पक्षों की समकालिक बैठकें तय हैं।

प्रश्‍न: पिछले प्रश्‍न के अनुक्रम में, सच्‍चाई यह है कि वास्‍तव में प्रधानमंत्री की पिछले जून से राष्‍ट्रपति ट्रंप से मुलाकात नहीं हुई है और उनके बीच कोई वार्तालाप भी नहीं हुई है, जिसकी हमें इस वर्ष फरवरी के बाद से कोई जानकारी मिली हो। क्‍या कोई विशेष कारण है कि अवसर होने के बावजूद दोनों के बीच बैठक की पुष्टि नहीं हो पाई है। वर्तमान में चल रहे यूएस-चीन व्‍यापार युद्ध के मामले में, इस बात की काफी चर्चा है कि दोनों देशों के बीच किसी प्रकार के समझौते की संभावना हो सकती है, जबकि यह एक द्विपक्षीय मुद्दा है, भारत की स्थिति वास्‍तव में क्‍या है या उस हिसाब से भारत का विकास पर क्‍या दृष्टिकोण है ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: द्विपक्षीय बैठकों पर मुझे जो कहना था मैं कह चुका, तो मैं आगे टिप्‍पणी नहीं दूंगा। हमने यह भी खबरें देखी हैं कि अमेरिका और चीन कुछ इस प्रकार के व्‍यापार समझौते पर चर्चा कर रहे हैं जैसा अमेरिका चाहता है। हमें इस मामले में ज्‍यादा जानकारी नहीं है।

जैसा मैने कहा था कि डब्‍ल्‍यूटीओ मुद्दे पर चर्चा की जाएगी और इसको मजबूत बनाने, उसका सुधार करने में हमारी रूचि दोगुना है। पहला यह है कि जी20 व्‍यापार संबंधी एकमात्र मुद्दे तक सीमित न रहे, चाहे वह दो देशों के बीच हो या अन्‍यथा। दूसरा, हम डब्‍ल्‍यूटीओ को रचनात्‍मक रूप से कैसे सुधार सकते है, जिससे यह भारत के हितों की पूर्ति करे। यह एक बहुआयामी मुद्दा है और इसलिए यह जी20 बैठकों का या जी20 में भारत की भूमिका का एक अहम मुद्दा हो सकता है।

प्रश्‍न: संरक्षणवाद और एकपक्षीय आर्थिक प्रतिबंध जैसे मुद्दे विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था, क्ष्‍ेात्रीय अर्थव्‍यवस्‍थाओं में व्‍यवधान पैदा कर रहे हैं। यही चिंता भारत की है और प्रधानमंत्री इन मुद्दों को अपने वक्‍तव्‍य में उठाएंगे?

प्रश्‍न: अंतर्राष्‍ट्रीय वित्तीय संस्‍थानों में सुधार का क्‍या तात्‍पर्य है? आर्थिक ढांचा जी20 का एक स्‍थायी विषय रहा है, इसमें प्रगति कितनी हुई है और कर-चोरी, अर्थव्‍यवस्‍था आधार क्षरण तथा लाभ साझाकरण जैसे विशेष मुद्दों पर प्रधानमंत्री का दृष्टिकोण क्‍या होगा, क्‍या इसमें कोई प्रगति हुई है, उस पर हमारा दृष्टिकोण क्‍या है ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: धन्‍यवाद। आपने अभी तक जो भी कहा है, वह इस जी20 का एक अहम विषय रहने वाला है और भारत सरकार का दृष्टिकोण यह है कि हम इस मुद्दे को एक रचनात्‍मक तरीके से देखें। किसी के प्रति अंगुली उठाने से जरूरी नहीं कि हम उसे पा ले जिसे हम चाहते हैं। इसीलिए डब्‍ल्‍यूटीओ है, जिसमें हमारे हित संरक्षित किए जाते हैं और जिसमें नियम आधारित व्‍यवस्‍था है। हालांकि हम उस प्रक्रिया के बारे में चिंतित है जिसमें कुछ हद तक एकपक्षीयता है। हमारा ध्‍यान उस महत्तवपूर्ण सुव्‍यवस्थित बहुपक्षीयता जैसे बिंदु पर होगा जिसके बारे में प्रधानमंत्री लगातार कहते आ रहे हैं। यदि वर्तमान बहुपक्षीयता प्रणाली में कोई कमी है और उन पर चर्चा करने की आवश्‍यकता है, तो हम इसमें सुधार लाने के लिए जी20 की तरह काम करेंगे लेकिन हमें एक बहुपक्षीय व्‍यवस्‍था को ठीक रखने की आवश्‍यकता है। मेरे विचार से जी20 में प्रधानमंत्री और उनके प्रतिनिधिमंडल का यह मूल दृष्टिकोण है।

वित्तीय मुद्दों पर, मैं ईमानदारी से कहना चाहूंगा कि मेरे सहयोगी, आर्थिक मामलों के सचिव टिप्‍पणी बात करते क्‍योंकि वह इन मुद्दों से ज्‍यादा वाकिफ हैं। निश्चित रूप से जी20 में कराधान विषय पर पर्याप्‍त प्रगति और उपलब्धियां प्राप्‍त की गई हैं। मैं यह बताने में सक्षम नहीं हूं कि वित्तीय पक्ष पर कोई विशिष्‍ट प्रस्‍ताव किए जा रहे हैं, लेकिन निश्चित रूप से यह हमारी रूचि का एक क्षेत्र है और रहेगा।

प्रश्‍न जारी : काला धन और भ्रष्‍टाचार।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार:
हम अर्जेन्‍टीना से ब्रीफिंग देंगे और शायद आपके द्वारा उठाए गए कुछ प्रश्‍नों के उत्तर वहां दिए जा सकते हैं।

प्रश्‍न: आपने बताया कि ब्रिक्‍स देशों के राष्‍ट्राध्‍यक्षों के अलावा दूसरी ओर चीन के राष्‍ट्रपति जी जिनपिंग के साथ बैठक होगी। तो क्‍या वस्‍तुत: दो अलग बैठकें होंगी?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले:
हां, दो अलग बैठकें होंगी। ब्रिक्‍स बैठक देशों के पांचों राष्‍ट्राध्‍यक्षों और सरकार के साथ होगी और उसके बाद दूसरी द्विपक्षीय बैठक राष्‍ट्रपति जी जिनपिंग के साथ होगी।

प्रश्‍न: जी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक के एजेंडा में क्‍या होगा, भारत किन मुद्दों पर बातचीत करेगा और हम चीन से किन मुद्दों पर चर्चा की उम्‍मीद कर सकते हैं ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: मेरे विचार से इन बैठकों का पूरा उद्देश्‍य रिश्‍तों में एक पारस्‍परिक विश्‍वास और समझ पैदा करनी है। वुहान में बैठक के दौरान यह निर्णय किया गया था कि वे बैठक करने के लिए कहीं भी और कभी भी मिल सकते हैं तथा उन मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं जो किसी भी इन दो नेताओं के विचार में हैं और परस्‍पर संबंधित हैं।

अत: इस समय मैं उन मुद्दों पर बात नहीं करूंगा जिनकी वे चर्चा करेंगे लेकिन मेरे विचार में यह ध्‍यान रखना महत्‍वपूर्ण है कि ये दोनों राष्‍ट्राध्‍यक्षों की 7 या 8 महीनों के अंतराल पर चौथी बैठक होगी और मेरा मानना है कि यह वुहान के बाद चीन और भारत के बीच राजनीतिक स्‍तर पर आदान-प्रदान तथा संपर्कों का सूचक है।

प्रश्‍न: आपने कहा कि जी20 में भारत की भूमिका यह होगी कि हालांकि वर्तमान बहुपक्षीय प्रणाली में खामियों को हल किया जाए, लेकिन इसे एकपक्षीयता से प्रतिस्‍थापित नहीं किया जाना चाहिए। लेकिन वर्तमान में हम डब्‍ल्‍यूटीओ में देखते हैं कि अमेरिका बहुपक्षीय प्रणाली में विवाद निपटान निकाय में न्‍यायाधीशों के चुनाव रोककर बाधा डालता है और यह एक बड़ी चिंता का विषय है जहां भारत, यूरोपीय संघ और अन्‍य कई देशों ने साथ मिलकर काम किया है। तो क्‍या यह मुद्दा भारत द्वारा उठाया जाएगा या क्‍या हम दूसरों को बातें बनाने का मौका देंगे और उनका साथ देंगे ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: मेरी समझ में यह मुद्दा दूसरे सत्र में है जहां प्रधानमंत्री मुख्‍य वक्‍ता नहीं हैं। प्रधानमंत्री प्रथम सत्र में मुख्‍य वक्‍ताओं में हैं अत:, हम यह मान सकते हैं कि अन्‍य नेता अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार और वित्त के मुद्दों पर बात कर सकते हैं लेकिन प्रधानमंत्री के इस विषय पर बात करने की संभावना है।

प्रश्‍न: जी20 में प्रधानमंत्री के लिए शेर्पा कौन होगा और दूसरा यह कि आपने यह जिक्र किया था कि प्रधानमंत्री जन धन, जीएसटी, मुद्रा योजना के मुद्दों पर बात करेंगे, क्‍या वह अपने बड़े आर्थिक सुधार पर भी बात करेंगे अर्थात विमुद्रीकरण?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: श्री शक्तिकांत दास शेर्पा हैं जो आर्थिक कार्य विभाग के पूर्व सचिव हैं और वह वित्तीय सचिव भी थे, तो इसलिए वह शेर्पा रहे हैं। इस पूरी जी20 प्रक्रिया के दौरान शेर्पाड उनके पास ही था।

मैं पहले ही उन विषयों को सूचीबद्ध कर चुका हूं जिन पर प्रधानमंत्री बात करने वाले हैं। मैं कुछ महत्‍वपूर्ण बातें बताने में चूका जिन पर प्रधानमंत्री भी बात करेंगे। इनमें से एक है उनकी आयुष्‍मान भारत स्‍कीम जो स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल पर एक महत्‍वपूर्ण योजना है। जी20 में चर्चा किए जाने वाले मुद्दों में से यह एक महत्‍वपूर्ण मुद्दा है। कृषि क्षेत्र, मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड और उत्‍पादकता बढ़ाने की पहलों जैसे महत्‍वपूर्ण मुद्दों पर भी प्रधानमंत्री बात करेंगे। इसके अलावा मुझे इस बात पर टिप्‍पणी करने का अधिकार नहीं है कि वह किस विषय पर बात करने की इच्‍छा रखेंगे और किस पर नहीं। मुझे विश्‍वास है कि उनके बोलने के बाद आप इस विषय में जान सकेंगे।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार: आखिरी दो सवाल।

प्रश्‍न: फ्रांस के राष्‍ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच द्विपक्षीय बैठक में अजेंडा क्‍या होगा? क्‍या लडाकू विमानों पर आईजी की समीक्षा करने की कोई योजना है ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले: नहीं। इस समय पर मैं इस विषय पर कुछ नहीं कह सकता कि क्‍या कोई द्विपक्षीय बैठक का एजेंडा है। हम बैठकें होने के बाद जल्‍द से जल्‍द एक ब्रीफिंग देंगे।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार: सामान्‍यत:
द्विपक्षीय बैठक होने के बाद हम एक ब्रीफिंग करते हैं। हम इस शेड्यूल का पालन करेंगे, और बैठक पूरी होने पर आपको ब्‍यौरा देंगे।

प्रश्‍न: मैं केवल यह सोच रहा था कि क्‍या सऊदी अरेबिया के मोहम्‍मद बिन सलमान से मिलने की कोई योजना है या उनसे कोई वार्ता चल रही है या मोदी और क्राउन प्रिंस के बीच किसी बैठक की कोई संभावना है ?

विदेश सचिव, श्री विजय गोखले:
जैसा कि मैंने पहले ही तय हुई बैठकों के बारे में सूचित कर दिया है, अन्‍य बैठकें अभी होनी बाकी हैं। अत: उनके तय होने पर या तय किए जाने के बाद हम आपको सूचित कर देंगे।

प्रश्‍न: क्‍या हमें बैठकों के सही दौरों की जानकारी मिल सकती है, कि कौन सी बैठक किस दिन होगी ? आपने यह स्‍पष्‍ट नहीं किया है।

आधिकारिक प्रवक्‍ता, श्री रवीश कुमार: मैं आपसे यह साझा करूंगा। मेरे पास कार्यक्रम की जानकारी है और मैं इसे आपसे साझा करूंगा।

धन्‍यवाद सर और इसमें शामिल होने के लिए सभी को धन्‍यवाद। इसके साथ जी20 शिखर सम्‍मेलन के लिए प्रधानमंत्री दौरों के विशेष ब्‍यौरे की ब्रीफिंग संपन्‍न होती है।

(ब्रीफिंग संपन्‍न हुई)



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