यात्रायें

Detail

प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा के दौरान सचिव (पूर्व) द्वारा की गई मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेखन

नवम्बर 15, 2018

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: नमस्कार! प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा के दौरान आयोजित की गई इस विशेष प्रेस ब्रीफिंग में आपका स्वागत है जो यहां भारत-आसियान शिखर-सम्मेलन, पूर्व-एशिया शिखर-सम्मेलन और अन्य संबंधित बैठकों में भाग लेने के लिए आए हैं। आज दिन के प्रारंभ में एक ब्रीफिंग विदेश सचिव द्वारा आयोजित की गई थी। उन्होंने मुख्य तौर पर प्रधानमंत्री की अमेरिका के उपराष्ट्रपति के साथ हुई बैठक के बारे में बात की थी।

अपने कार्यक्रम के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा की गई अन्य बैठकों के बारे में जानकारी देने के लिए मेरे साथ यहां सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह मौजूद हैं। यहां श्री सुधांशु पाण्‍डेय हैं जो वाणिज्य मंत्रालय में अपर सचिव और श्री मनीष, संयुक्त सचिव (दक्षिण) भी हैं। हम सचिव (पूर्व) के साथ आज की ब्रीफिंग प्रारंभ करेंगे तथा आरसीईपी पर हम श्री पाण्‍डेय से अनुरोध करेंगे कि वे आपको जानकारी प्रदान करें। मैं महोदया से अनुरोध करता हूं कि वे अपनी बात कहें।

सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह : धन्यवाद, रवीश जी। मैं प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के साथ अपनी बात आरंभ करूंगी। वे यहां आज सुबह पहुंचे हैं तथा प्रधानमंत्री का पहला कार्यक्रम सिंगापुर फिनटेक फेस्टिवल में अतिथि वक्ता के रूप में था।

यह एक ऐसा समारोह है जिसके बारे में सिंगापुर में मौजूद आप सभी जानते हैं कि यह तृतीय संस्करण है, परंतु यह पहला अवसर है कि किसी सरकार प्रमुख को आधार व्याख्यार के लिए आमंत्रित किया गया है। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में अनेक प्रगतियों का उल्लेख किया, किस प्रकार भारत ने अपनी सरकार में प्रौद्योगिकी का समावेश किया है, लोगों तक और अपने सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में सरकारी सेवाओं को पहुंचाया है तथा किस प्रकार भारत फिनटेक क्षेत्र में अपना स्थान बनाने में सफल रहा है जहां इसके लिए गुंजाइश अत्यंत कम थी और उन्होंने इस बात का उल्लेख किया कि किस प्रकार प्रौद्योगिकी, डिजिटल प्रौद्योगिकी ने अनेक पहलुओं में लोगों के जीवन को आसान बनाया है।

प्रधानमंत्री ने एपिक्स का भी शुभारंभ किया जो एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके माध्यम से आसियान वित्तीय संस्थाएं, नवप्रर्वतक और प्रयोक्ता भारतीय प्रयोक्ताओं के साथ जुड़ेंगी तथा यह अंतत: एक ऐसा वैश्विक मंच होगा जिसमें और भी अधिक जुड़ाव की गुजाइंश होगी।

इसके उपरांत, प्रधानमंत्री ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री के साथ भेंट की। आपको स्मरण होगा कि इस वर्ष जनवरी में भारत में हमने एक स्मारक शिखर-सम्मेलन का आयोजन किया था। यह भारत और आसियान के संबंधों के 25 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में था तथा इस स्मारक शिखर-सम्मेलन में सभी आसियान प्रमुख मौजूद थे और केवल यही नहीं, उसके उपरांत 26 जनवरी को उनमें से सभी भारत के गणतंत्र दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि थे। अत: प्रधानमंत्री ली भी वहां मौजूद थे और उसके बाद प्रधानमंत्री ने जून में सिंगापुर की यात्रा की थी जहां वे शांग्रीला वार्ता में भाग लेने आए थे और उन्होंने भारत-प्रशांत के बारे में भारतीय दृष्टिकोण का वर्णन किया था।

अत: यह वस्तुत: इस वर्ष प्रधानमंत्री ली और प्रधानमंत्री मोदी के बीच तीसरी बैठक है तथा प्रधानमंत्री मोदी ने प्रधानमंत्री ली को उनकी अध्यक्षता तथा आसियान के अध्यक्ष के रूप में सिंगापुर द्वारा प्रदान किए गए उत्कृष्ट नेतृत्व के लिए बधाई दी। प्रधानमंत्री ली ने सिंगापुर फिनटेक समारोह में आधार व्याख्यान देने के लिए प्रधानमंत्री मोदी को धन्यवाद दिया जिससे यह प्रतीत होता है कि यह न केवल विश्व के लिए बल्कि इन दोनों देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण क्षेत्र है तथा दोनों ही नेताओं ने इस बात को मान्यता दी कि यह सहयोग का एक ऐसा क्षेत्र होगा, जिसमें हमें साथ मिलकर और अधिक कार्य करना चाहिए।

उन्होंने वर्तमान संबंधों की समीक्षा की। वे इस बात से संतुष्ट थे कि सीआईसीए की दूसरी समीक्षा की जा चुकी है तथा तीसरी समीक्षा चल रही है। उन्होंने दोनों देशों के बीच पर्याप्त संयोजनता का अवलोकन किया। हम यह जानते हैं कि दोनों देशों के बीच पर्यटकों की संख्या में वृद्धि हो रही है तथा यात्री उड़ान सेवाएं भी बढ़ रही हैं। उन्होंने आरसीईपी वार्ताओं पर की गई प्रगति के बारे में विचारों का आदान-प्रदान किया।

प्रधानमंत्री की दूसरी बैठक आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के साथ हुई। यह प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरीसन के प्रधानमंत्री का पद संभालने के बाद से प्रथम बैठक थी अत: प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें प्रधानमंत्री बनने के लिए बधाई दी।

प्रधानमंत्री मोदी ने 2014 में अपनी आस्ट्रेलिया यात्रा का स्मरण किया जो वस्तुत: भारत के प्रधानमंत्री द्वारा आस्ट्रेलिया की 30 वर्ष के बाद की गई प्रथम यात्रा थी तथा 2014 के बाद से संबंधों में संवृद्धि करने के लिए उच्च स्तरीय आदान-प्रदान किए गए हैं क्योंकि आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने भारत की यात्रा की और अब भारत के राष्ट्रपति भी आस्ट्रेलिया जा रहे हैं तथा यह किसी भी भारतीय राष्ट्रपति की प्रथम आस्ट्रेलियाई यात्रा होगी। यह यात्रा 21 नवम्बर से प्रारंभ हो रही है।

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों के समस्त क्षेत्रों पर विचारों का आदान-प्रदान किया तथा प्रादेशिक मुद्दों पर भी बातचीत की। द्विपक्षीय संबंधों में, उन्होंने आस्ट्रेलिया की विदेश नीति श्वेत पत्र पर तथा उस पत्र पर चर्चा की जो आस्ट्रेलियाई व्यापार विभाग को प्राप्त हुआ है और जो भारत की आर्थिक कार्यनीति है। उस पर विचार करते हुए दोनों नेताओं ने इस बात को मान्यता दी कि ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें हम आर्थिक भागीदारी का निर्माण करने के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं, विशेष रूप से भारत का कार्यनीतिक पत्र जिसे आस्ट्रेलिया द्वारा एक पहल के रूप में तैयार किया गया है जिसमें ऐसे अनेक विचार निहित हैं कि किस प्रकार आप आस्ट्रेलिया के एक राज्य और भारत के किसी अन्य राज्य के बीच सहयोग स्थापित कर सकते हैं और किस प्रकार हम उस पहलू में आगे बढ़ सकते हैं।

उन्होंने उच्च स्तरीय वार्ताओं को जारी रखने से संबंधित मुद्दों पर भी चर्चा की। हमारे प्रधानमंत्री ने तीन ऐसे विनिर्दिष्ट क्षेत्रों का उल्लेख किया जहां पर्याप्त अवसर विद्यमान हैं। उनमें से एक आस्ट्रेलिया की संप्रभु और पेंशन निधि है, जहां उनके लिए निवेश की पर्याप्त गुंजाइश है। प्रधानमंत्री मोदी ने आस्ट्रेलिया को राष्ट्रीय अवसंरचना निवेश निधि में निवेश करने का निमंत्रण दिया। दूसरी मद जिस पर हमने विचार किया है, वह प्रौद्योगिकी है जो खनन के लिए आस्ट्रेलिया के पास है और उस क्षेत्र में सहयोग स्थापित किया जा सकता है। रक्षा और सुरक्षा सहयोग के बारे में भी चर्चा की गई तथा दोनों पक्षों ने संतोष व्यक्त किया कि ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें हम साथ मिलकर कार्य कर रहे हैं, तथा विभिन्न संयुक्त अभ्यासों में हमारा सहयोग भी निरंतर आगे बढ़ रहा है। मैं समझती हूं कि इससे आस्ट्रेलिया के बारे में पर्याप्त जानकारी मिल गई होगी।

हमारे प्रधानमंत्री की तीसरी द्विपक्षीय थाइलैंड के प्रधानमंत्री के साथ थी। थाइलैंड वस्तुत: आसियान का आगामी अध्यक्ष बनने जा रहा है तथा यह न केवल आसियान का अध्यक्ष होगा बल्कि भारत के लिए समन्वय देश भी होगा अत: यह बात हमारे संबंधों के लिए पर्याप्त महत्व रखती है। दोनों प्रधानमंत्रियों ने संबंधों की समीक्षा की। संयोजनता की परियोजनाओं पर बल दिया गया, आर्थिक सहयोग की परियोजनाओं पर बल दिया गया तथा दोनों नेताओं द्वारा यह प्रतिबद्धता व्यक्त की गई कि वे आगामी अवधि में भारत-आसियान संबंधों का निर्माण करने के लिए मिलकर कार्य करेंगे।

प्रधानमंत्री द्वारा चौथी द्विपक्षीय बैठक यूएस के उपराष्ट्रपति माइक पेंस के साथ की गई थी जिसके बारे में विदेश सचिव ने आपको पहले ही बता दिया है। अब मैं अपनी बात यही समाप्त करती हूं। धन्यवाद।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: महोदय, क्या आप हमें आरसीईपी शिखर-सम्ेलन पर कुछ जानकारी देंगे?

अतिरिक्त सचिव वाणिज्य श्री सुधाशु पाण्डेय : आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। यह आरसीईपी नेताओं का द्वितीय शिखर-सम्मेलन था। इस शिखर-सम्मेलन का उद्देश्य उन वार्ताओं का जायजा लेना था जहां तक वह पहुंचे हैं तथा व्यापार मंत्रियों का अधिदेश देना और उसे आगे ले जाने के लिए वार्ताएं करना था।

अपने हस्तक्षेप में प्रधानमंत्री ने पांच अत्यंत महत्वपूर्ण बातों का उल्लेख किया। प्रथमत: उन्होंने पर्याप्त प्रगति करने के लिए व्यापार मंत्रियों और वार्ताकारों की सराहना की जो विशेष रूप से 2018 में हासिल की गई है क्योंकि कुल 16 में से सात अध्याय समाप्त हो चुके हैं। दूसरे उन्होंने यह उल्लेख प्रगति की है, लेकिन यह संकेत किया हमें सेवा वार्ताओं में प्रगति करने के लिए भी समान प्रयास करने की आवश्यकता है क्योंकि वह अधिकांश सीआरईपी देशों के जीडीपी का 50 प्रतिशत से भी अधिक भाग है तथा भविष्य में सेवाएं एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

जिस तीसरे महत्वपूर्ण बिंदु का उन्होंने उल्लेख किया, वह बहुपक्षीय और द्विपक्षीय, दोनों ही स्तरों पर की जाने वाली वार्ताओं को त्वरित और गहन बनाते हुए शीघ्र समाप्त करने से संबंधित था। अंत में, उन्होंने एक अत्यंत महत्वपूर्ण बिंदु की चर्चा की जो एक ऐसा बहुपक्षीय करार के बारे में थी, जिसकी विविधतापूर्ण परिस्थितियां हों और जिसकी विकासात्मक अपेक्षाएं आधुनिक, व्यापक, संतुलित और पारस्परिक दृष्टि से लाभप्रद हों। केवल तभी समस्त देशों के लोग ऐसे किसी करार से लाभान्वित हो सकेंगे।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: धन्यवाद महोदय। प्रधानमंत्री भव्य रात्रिभोज के लिए जाने वाले हैं तथा सचिव (पूर्व) भी उनके साथ सम्मिलित होंगे। अत: हमारे पास केवल दो प्रश्नों के लिए ही समय शेष है।

प्रश्न : सचिव महोदया, क्या किसी भी द्विपक्षीय बैठक में क्वाड का मुद्दा उठाया गया विशेष रूप से आस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री के साथ तथा जैसा कि हमें आस्ट्रेलिया की ओर से बताया गया है कि वस्तुत: इस क्वाड मुद्दे पर एक अधिकारिक बैठक का आयोजन किया गया जहां भारतीय अधिकारियों ने तथा यूएस, जापान और आस्ट्रेलिया के भी अधिकारियों ने यूएस, जापान और आस्ट्रेलिया के भी अधिकारियों ने भाग लिया। क्या आप इस बैठक के आयोजन की पुष्टि कर सकती है?

सचिव (पूर्व) श्रीमती विजय ठाकुर सिंह : क्वाड के बारे में वस्तुत: एक बैठक आयोजित की जाती थी परंतु मैं आपको यह बता दूं कि यह पूर्व एशिया शिखर-सम्मेलन का भाग नहीं है परंतु उनकी बैठक हुई थी। यह एक ऐसी बैठक है जो अभी आयोजित होनी है और सामान्यतः जब ऐसी बैठक होती है, तो उसकी प्रेस प्रकाशनी भी जारी की जाती है। अत: आपको उसके बारे में सूचित किया जाएगा।

प्रश्न (जारी): तो क्या अभी यह बैठक नहीं हुई है?

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: यह बैठक कल होगी। मैं समझता हूं कि विभिन्न अधिकारियों के बीच मैं तथा बैठक के उपरांत प्रत्येक देश इसकी प्रेस प्रकाशनी जारी करेंगे। उस बैइक में भारत की स्थिति तथा उसमें हुए विचार-विमर्श के बारे में हम बैठक की समाप्ति के उपरांत एक प्रेस प्रकाशनी जारी करेंगे।

प्रश्न : श्री पाण्डेय, मैं आरसीईपी पर बात कर रहा हूं, क्या आप इस बात का वर्णन कर सकते हैं कि आरसीईपी के बारे में भारत की सबसे बड़ी चिंता क्या है?

अपर सचिव वाणिज्य श्री सुधांशु पाण्डेय : प्रधानमंत्री ने अत्यंत स्पष्ट रूप से यह आरसीईपी करार के प्रति अपने सहयोग को प्रदर्शित किया है तथा वस्तुत: उसने सभी देशों से आग्रह किया कि वे अपेक्षित अधिदेश दें ताकि ये वार्ताएं यथाशीघ्र समाप्त हो सकें। उन्होंने "शीघ्र समाप्ति" शब्दों का प्रयोग किया है जिसका अर्थ यह है कि भारत इसके प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध है।

जहां तक चिंताओं का संबंध है, चूंकि प्रत्येक देश की विकासात्मक परिस्थितियां भिन्न-भिन्न हैं, अत: उन्होंने यह आग्रह किया कि ऐसा करार, जिसे अंतिम रूप प्रदान किया जाएगा, आधुनिक व्यापक, संतुलित और पारस्परिक लाभदायक होना चाहिए जिसका अर्थ यह है कि वह प्रतिभागिता करने वाले सभी सदस्य देशों के लिए लाभप्रद होना चाहिए।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: क्या आपके द्वारा पहले पूछे गए विषयों के अलावा कोई अन्य प्रश्न हैं?

प्रश्न : क्या आप बताएंगे कि सेवा क्षेत्र में भारत क्या चाहता है, भारत के पास पर्याप्त कुशल मानवशक्ति है जिसे भेजे जाने की आवश्यकता है, क्या आप इस पर प्रकाश डालेंगे?

अपर सचिव वाणिज्य श्री सुधांशु पाण्डेय : सबसे पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि आपके द्वारा निर्दिष्ट लोगों का संचलन उस भावना में वस्तुत: व्यापार वार्ताओं का भाग नहीं है। यह सेवाएं प्रदान करने के लिए लोगों का केवल अस्थायी संचलन है जिसे किसी भी व्यापार करार में शामिल किया जाता है। और भारत की चिंता किसी विशेष मुद्दे पर नहीं है, बल्कि भारत एक संतुलित और पारस्परिक दृष्टि से लाभप्रद करार के लिए बात कह रहा है।

सेवा क्षेत्रों में आज अधिकांश व्यापार ऑनलाइन हो रहा है जिसे आप व्यापार के क्षेत्र में "मोड वन" कह सकते हैं तथ 'मोड वन' वहां कार्य करता है जहां व्यक्तियों का संचलन अत्यंत सीमित होता है, यह केवल वृत्तिकों तक ही सीमित होता है, यह ऑनलाइन संचालित किया जाता है, अत: डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में भविष्य में अधिकांश व्यापार ऑनलाइन होने वाला है जहां भारत के पास सक्षमता है तथा वह समस्त आरसीईपी के लिए लाभ के लिए उस अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने का इच्छुक है।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार:
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, महोदय, आपका भी धन्यवाद महोदय तथा हमारे साथ शामिल रहने के लिए आप सभी का धन्यवाद। इसके साथ ही सिंगापुर की यह विशेष प्रेस ब्रीफिंग समाप्त होती है।

(समाप्त)



टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या