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प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा के दौरान यूएसए के उपराष्ट्रपति के साथ हुई बैठक के बारे में विदेश सचिव द्वारा मीडिया ब्रीफिंग का प्रतिलेखन

नवम्बर 14, 2018

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: नमस्कार मित्रों! इस विशेष ब्रीफिंग में हमारे साथ यहां उपस्थित रहने के लिए आपका धन्यवाद। यह ब्रीफिंग केवल प्रधानमंत्री की यूनाइटेड स्टेट्स के उपराष्ट्रपति के साथ हुई बैठक के बारे में है, जो हमारे यहां एकत्र होने से ठीक पहले आयोजित हुई है। मेरे साथ भारत के विदेश सचिव श्री विजय गोखले हैं जो उस बैठक का सार प्रस्तुत करेंगे।

आज देश शाम को, हम प्रधानमंत्री की यात्रा के विभिन्न पहलुओं जैसे पूर्व एशिया शिखर-सम्मेलन और आसियान के अन्य पहलुओं पर एक अन्य ब्रीफिंग संचालित करेंगे।

विदेश सचिव श्री विजय गोखले : धन्यवाद। मैं यहां उस बैठक के बारे में जानकारी देने के लिए उपस्थित हुआ हूँ जो अभी-अभी हमारे प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र के उपराष्ट्रपति पेंस के बीच आयोजित हुई है।

यह एक बढ़िया बैठक रही। यह एक अत्यंत सकारात्मक बैठक थी। बैठक कक्ष में पर्याप्त सकारात्मक माहौल विद्यमान था। उपराष्ट्रपति पेंस ने वांशिगटन में वर्ष 2017 में प्रधानमंत्री के साथ हुई उनकी पूर्व बैठक का उत्साहपूर्वक स्मरण किया तथा प्रधानमंत्री ने भी उनके व्यस्त कार्यक्रम में समय निकालकर प्रधानमंत्री के साथ बैठक हेतु समय निकालने के लिए उनके प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया।

प्रधानमंत्री ने इस बात की भी पर्याप्त सराहना की कि राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत के दिवाली के त्योहार को मनाने के लिए कल व्हाइट हाउस में एक कार्यक्रम आयोजित किया। चर्चाओं में द्विपक्षीय संबंधों तथा क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों को उठाया गया तथा हमारे प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल संभालने के बाद से ट्रम्प प्रशासन के अंतर्गत हमारे द्विपक्षीय संबंधों के लिए विद्यमान नए अवसरों का उल्लेख किया।

उपराष्ट्रपति पेंस ने विशेष रूप से यह उल्लेख किया कि भारत ने आर्थिक दृष्टि से और साथ ही क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में राजनयिकता के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति कर ली है। उन्होंने प्रधानमंत्री द्वारा दर्शाए गए सुदृढ़ नेतृत्व की सराहना की तथा उल्लेख किया कि क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिए भारत एक सकारात्मक कारक है और यह कहा कि यूनाइटेड स्टेट्स राजनीतिक और आर्थिक, दानों ही क्षेत्रों में विभिन्न मुद्दों पर भारत के साथ कार्य करने की महत्वाकांक्षा रखता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि हम अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था पर आधारित उचित नियम तैयार कर सकें। प्रधानमंत्री ने उनकी भावनाओं की सराहना की।

दोनों नेताओं ने उनके साझे मूल्यों, लोकतंत्र के प्रति साझी प्रतिबद्धता, एक नियम आधारित व्यवस्था के प्रति उनकी साझी प्रतिबद्धता और संवैधानिक प्रक्रियाओं के प्रति उनकी साझी प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। नेताओं का यह मानना था कि इस समय इन मुद्दों पर बल प्रदान करना महत्वपूर्ण है। यह भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के बीच एक नई भागीदारी का आधार है, तथा वे इस बात पर सहमत हुए कि अंतर्राष्ट्रीय मंचों में हमें अपने साझे मूल्यों के आधार पर ही कार्यवाही करनी चाहिए तथा अनेक क्षेत्रों में यथासंभव सहयोग करना चाहिए।

भारत-प्रशांत मुद्दा भी चर्चा में उठाया गया। प्रधानमंत्री ने जून में सिंगापुर मे शंघाई-ला वार्ता के दौरान अपने भाषण का स्मरण किया जिसमें उन्होंने भारत-प्रशांत के बारे में भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया था। हमने उपराष्ट्रपति को सूचित किया कि भारत-प्रशांत का यह दृष्टिकोण स्वीकार्यता अर्जित कर रहा है तथा हमें उसका आगे निर्माण करने के लिए अपने वाले पूर्व एशिया शिखर-सम्मेलन का उपयोग करना चाहिए।

उपराष्ट्रपति पेंस ने भी एक स्वतंत्र और खुले भारत-प्रशांत की बात की। उनका मानना था कि इसे सुनिश्चित करने में भारत का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण होगा तथा तब यह चर्चा हुई कि किस प्रकार दोनों पक्ष इस क्षेत्र में सहयोग को सुदृढ़ बना सकते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि यह भविष्य में इस क्षेत्र के समस्त देशों के लिए संवृद्धि, समृद्धि, विकास और लाभ का क्षेत्र बन सके।

द्विपक्षीय मुद्दों के क्षेत्र में, व्यापार संबंधी विषयों पर भी संक्षिप्त चर्चा हुई। दोनों पक्षों के लिए यह महत्वपूर्ण है तथा हमने सहमति व्यक्त की कि हमारे द्वारा यूनाइटेड स्टेट्स के साथ निर्मित किए जा रहे इस नए संबंध में, जहां व्यापार विस्तारित हो रहा है, हमें ऐसे नए तरीकों को तलाश करने की आवश्यकता है जिसमें हम उस प्रक्रिया को सहायता प्रदान कर सकें जो संचालित की जाएगी।

प्रधानमंत्री ने उल्लेख किया कि पिछले दो वर्षों में, अर्थात् उन दो वर्षों में जब से राष्ट्रपति ट्रम्प ने कार्यभार ग्रहण किया है, भारत के लिए अमरीकी निर्यात में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह संभवत: उन दस देशों में एक और वस्तुत: एकमात्र देश है जिसे साथ यूनाइटेड स्टेट्स का व्यापार घाटा विद्यमान है, और उस घाटे में पिछले वर्ष में पर्याप्त कमी आई है और इस वर्ष और भी कमी आएगी तथा यह यूनाइटेड स्टेट्स के परिप्रेक्ष्य से अत्यंत महत्वपूर्ण बात है।

ऊर्जा के क्षेत्र में भी पर्याप्त चर्चा की गई। यह भारत-यूएस संबंधों में एक नया क्षेत्र है। हमने यूनाइटेड स्टेट्स से तेल और गैस का आयात करना प्रारंभ कर दिया है। यह अनुमान है कि इस वर्ष इसका मूल्य लगभग 4 बिलियन डॉलर होगा तथा हमने अपने व्यापार का विस्तार करने के भाग के रूप में यूनाइटेड स्टेट्स से और अधिक तेल और गैस का आयात करने की इच्छा व्यक्त की।

एक अन्य क्षेत्र, जो हम समझते हैं कि आर्थिक मोर्चे के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा, रक्षा क्षेत्र है। वस्तुत: दोनों देश सहमत हुए कि हमारे रक्षा संबंधों में, यूनाइटेड स्टेट्स से उपकरणों के हमारे आयात में काफी वृद्धि हो गई है, परंतु प्रधानमंत्री ने विशेष रूप से इस बात पर बल प्रदान किया कि भारत में रक्षा उपकरणों का निर्माण करने तथा भारत में रक्षा उद्योग स्थापित करने के क्षेत्र में यूनाइटेड स्टेट्स के लिए पर्याप्त अवसर विद्यमान है। न केवल इस कारण कि भारत एक विशाल बाजार है, बल्कि हमारी क्षेत्रीय स्थिति के कारण भी हम शेष क्षेत्र के लिए निर्यात के प्रयोजनार्थ एक विशाल हब बन सकते हैं।

अत: उन्होंने उपराष्ट्रपति पेंस को यह सूचित किया कि उन्हें आशा है कि ट्रम्प प्रशासन इसे एक नए अवसर, एक नए आर्थिक अवसर के रूप में पहचानेगा। इस बात पर भी कतिपय चर्चा की गई कि हमें इस प्रकार के व्यापार में किस प्रकार वृद्धि करनी चाहिए तथा मंत्रालयी 2+2 में हाल ही हुई चर्चाओं के परिणामों तथा 2+2 की चर्चाओं पर अनुवर्ती कार्यवाही पर भी संतोष व्यक्त किया गया जो विदेश नीति तथा रक्षा संबंधी क्षेत्रों पर आधारित थी।

आतंकवाद के मुद्दे पर भी कतिपय चर्चा की गई तथा उपराष्ट्रपति पेंस ने मुंबई आतंकी हमलों की दसवीं बरसी, जो 26/11 को है, का भी उल्लेख किया। इस संदर्भ में, उन्होंने आतंकवाद का विरोध करने के लिए यूनाइटेड स्टेट्स और भारत के बीच निर्मित हो रहे संबंधों की पर्याप्त सराहना की और इसके प्रत्युत्तर में, प्रधानमंत्री ने उनकी सराहना के लिए धन्यवाद देते हुए उन्हें स्मरण कराया कि वैश्विक आतंकी हमलों के समस्त निशान और समस्त संकेत उनके उद्गम के एक ही स्रोत और एक ही स्थान की ओर इशारा करते हैं और इस संदर्भ में उन्होंने मुंबई आतंकी हमलों में शामिल लोगों की मुख्यधारा का ऐसी राजनीतिक प्रक्रिया के रूप में उल्लेख किया जो हाल ही में पाकिस्तान में आयोजित निर्वाचनों के माध्यम से संचालित हुई थी तथा उल्लेख किया कि यह न केवल दो देशों अर्थात् भारत और यूनाइटेड स्टेट्स के लिए बल्कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए भी गंभीर चिंता का विषय है।

अत: इस क्षेत्र पर भी बेहतर समझ थी कि किस प्रकार हम आतंकवाद का सामना करने पर सहयोग निर्माण में आगे बढ़ सकते हैं तथा दोनों देशों ने यह पहचाना कि यह एक चुनौती होगी जिसका सामना हम मिलकर करेंगे तथा शेष अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर आतंकवाद के विरुद्ध संघर्ष करेंगे।

दीवाली समारोह आयोजित करने के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प की प्रधानमंत्री द्वारा सराहना पर भी चर्चा का उद्गम हुआ जिसमें भारतीय मूल के अमरीकियों, भारतीय-अमरीकी समुदाय द्वारा पिछले तीन दशकों में दिए गए सांस्कृतिक और आर्थिक योगदान के फलस्वरूप उत्पन्न एकता की भावना, लोकतंत्र के निर्माण अथवा उसके निर्माण में सहयोग की सराहना की गई। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति को सूचित किया कि अमेरिका आने वाले भारतीय न केवल अपनी प्रतिभा और अभिनवता की क्षमता, उत्कर्ष की क्षमता को लेकर वहां पहुंचे हैं बल्कि वे लोकतांत्रिक मूल्यों के सच्चे अनुयायी भी हैं। यह भारत की ऐसी परंपरा है जिसे वे अमेरिका लेकर आए हैं और न केवल आर्थिक क्षेत्र में मूल्यवर्धन हुआ है, बल्कि अमेरिका के राजनीतिक और सामाजिक ताने-बाने को भी सुदृढ बनाया गया है। अत: इस दिशा में प्रधानमंत्री ने इच्छा व्यक्त की कि इस पहलू की अमेरिका एच1बी वीजा के संपूर्ण मुद्दे की समीक्षा के दौरान ध्यान में रखेगा और उपराष्ट्रपति पेंस द्वारा इसकी सहमति व्यक्त की गई।

अंतत: प्रधानमंत्री ने उपराष्ट्रपति को स्मरण दिलाया कि उन्होंने उन्हें भारत आने के लिए निमंत्रण दिया था तथा उपराष्ट्रपति ने उत्तर दिया कि वे उनका निमंत्रण स्वीकार करने के लिए तैयार हैं और वे 2019 में पारस्परिक दृष्टि से सहमत समय पर भारत की यात्रा करेंगे। अत: यह एक सकारात्मक बैठक थी और यह दोनों ही पक्षों के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक थी। द्विपक्षीय मुद्दों तथा वैश्विक मुद्दों पर पर्याप्त अभिसारिता व्याप्त थी तथा हम आने वाले माहों में और वर्ष 2019 में इस संबंध को और आगे तक ले जाने के लिए प्रयासरत हैं। धन्यवाद।

अधिकारिक प्रवक्ता श्री रवीश कुमार: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। हमारे पास समय का नितांत अभाव है, अत: हम अभी प्रश्नों को नहीं ले पाएंगे। अभी एक बैठक और होनी है और उसके बाद हमें एक और बैठक के लिए जाना है। कृपया शाम को होने वाली बैठक के लिए अपने प्रश्नों को तैयार रखिए। हमारे साथ उपस्थित रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

(समाप्त)



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