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सिंगापुर फिनटेक महोत्सव में प्रधानमंत्री का मुख्य अभिभाषण

नवम्बर 14, 2018

वित्तीय दुनिया के प्रभावशाली व्यक्तित्व सिंगापुर के उप-प्रधानमंत्री थर्मन शनमुगरत्नम, अग्रणी फिनटेक संस्थान सिंगापुर मौद्रिक प्राधिकरण के प्रबंध निदेशक श्री रवि मेनन, सौ से अधिक देशों से आये हुए हज़ारों प्रतिभागियो,

नमस्कार!

मेरे लिए सिंगापुर फिनटेक महोत्सव में मुख्य अभिभाषण देने वाला पहला शासनाध्यक्ष होना बहुत बड़ा सम्मान है।

यह भारत के युवाओं के प्रति श्रद्धांजलि है, जिनकी आंखें भविष्य पर दृढ़ता से टिकी हुई हैं।

यह भारत में फैल रही वित्तीय क्रांति, जो 1.3 अरब लोगों का जीवन बदल रही है, की स्वीकारोक्ति है.

यह वित्त और प्रौद्योगिकी इवेंट है और साथ ही एक उत्सव भी है।

यह मौसम भारतीय प्रकाशोत्सव दीपावली का मौसम है। इसे पूरी दुनिया में पुण्य, आशा, ज्ञान और समृद्धि की जीत के रूप में मनाया जाता है। सिंगापुर में अभी भी दिवाली के दिए जल रहे हैं।

फिनटेक महोत्सव भी विश्वास का उत्सव है।

नवाचार की भावना और कल्पना की शक्ति में विश्वास।

युवाओं की ऊर्जा और परिवर्तन के प्रति उनके जुनून में विश्वास।

दुनिया को बेहतर बनाने का विश्वास।

और यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि महज़ अपने तीसरे वर्ष में ही यह महोत्सव दुनिया में सबसे बड़ा बन चुका है।

सिंगापुर वैश्विक वित्तीय केंद्र रहा है और अब यह वित्त के डिजिटल भविष्य की ओर छलांग लगा रहा है।

इस साल जून में इसी जगह मैंने भारत के रुपे कार्ड और विश्व स्तरीय एकीकृत भुगतान इंटरफेस या यू.पी.आई. पर आधारित पहली अंतरराष्ट्रीय प्रेषण मोबाइल ऐप लॉन्च की थी।

आज मुझे आसियान, भारतीय बैंकों और फिनटेक कंपनियों से शुरू होने वाले वैश्विक मंच को शुरू करने का सम्मान मिला है, जो फिनटेक फर्मों और वित्तीय संस्थानों को जोड़ेगा।

भारत और सिंगापुर भारत और आसियान के छोटे और मध्यम उद्यमों को भारतीय मंच पर जोड़ने और इसे विश्व स्तर पर फैलाने का का काम भी कर रहे हैं।

मित्रो,

मैंने स्टार्ट-अप दायरों में प्रचलित एक सलाह के बारे में सुना है।

  • अपनी जोखिम पूंजी या वी.सी. वित्तपोषण को 10 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहते हैं तो निवेशकों से कहें कि आप नियमित व्यवसाय नहीं चलाते हैं, बल्कि आप "प्लेटफ़ॉर्म" चलाते हैं।
  • अपनी जोखिम पूंजी या वी.सी. वित्तपोषण को 20 प्रतिशत तक बढ़ाना चाहते हैं तो निवेशकों से कहें कि आप फिनटेक क्षेत्र में काम करते हैं।
  • लेकिन यदि आप वास्तव में अपने निवेशकों की जेब खाली करना चाहते हैं तो उनसे कहें कि आप "ब्लॉकचेन" का उपयोग कर रहे हैं।
इससे आपको वित्तीय दुनिया को बदलने में उभरती प्रौद्योगिकियों की संभावनाओं के बारे में पता चलता है।

दरअसल इतिहास प्रमाणित करता है कि वित्तीय क्षेत्र ही अक्सर नई तकनीक और कनेक्टिविटी को सबसे पहले अपनाता है।

मित्रो,

हम प्रौद्योगिकी से जनित ऐतिहासिक परिवर्तन के युग में जी रहे हैं।

डेस्कटॉप से ​​क्लाउड तक, इंटरनेट से सोशल मीडिया तक, आईटी सेवाओं से इंटरनेट ऑफ़ थिंग्ज़ तक - हम बहुत कम समय में लंबा सफर तय कर चुके हैं। व्यवसायों में दिन प्रतिदिन व्यवधान होते हैं।

वैश्विक अर्थव्यवस्था की प्रकृति बदल रही है।

इस नये विश्व में प्रौद्योगिकी ही प्रतिस्पर्धात्मकता और शक्ति को परिभाषित कर रही है।

और इससे जीवन में परिवर्तन लाने के असीमित अवसर पैदा हो रहे हैं।

मैंने 2014 में संयुक्त राष्ट्र में कहा था कि हमें मानकर चलना होगा कि विकास और सशक्तिकरण उसी गति से फैल सकते हैं जिस गति से फेसबुक, ट्विटर या मोबाइल फोन फैल चुके हैं।

यह सपना दुनिया भर में तेज़ी से सच्चाई में बदल रहा है।

इससे भारत में सार्वजनिक सेवाओं का वितरण और शासन बदल गए हैं। इससे नवाचार, आशा और अवसर पैदा हुए हैं। इसने कमज़ोर लोगों को सशक्त किया है और हाशियों पर मौजूद लोगों को मुख्यधारा में लाने का काम किया है। इसने आर्थिक पहुंच को अधिक लोकतांत्रिक बना दिया है।

2014 में मेरी सरकार समावेशी विकास के इस अभियान के साथ सत्तासीन हुई थी, जिसमें हर नागरिक के जीवन को, यहां तक कि दूरस्थ गाँव में बैठे सबसे कमज़ोर व्यक्ति के, छूने का सपना था।

इस अभियान को पूरा करने हेतु सार्वभौमिक वित्तीय समावेश की ठोस नींव की आवश्यकता थी - ऐसा कार्य जो भारत के आकार वाले देश में आसान नहीं था।

इसके बावजूद हम यह लक्ष्य महीनों में हासिल करना चाहते थे, नाकि वर्षों में, जैसा परम्परागत तौर पर माना जाता है।

फिनटेक की शक्ति और डिजिटल कनेक्टिविटी की पहुंच के दम पर हमने अभूतपूर्व तेज़ी से व्यापक क्रांति का उद्घोष किया है।

सबसे पहले तो वित्तीय समावेश अब 1.3 अरब भारतीयों के लिए एक वास्तविकता बन गई है। हमने कुछ ही वर्षों में 1.2 अरब से अधिक बायोमेट्रिक पहचान - जिसे आधार या नींव कहा जाता है, उत्पन्न की हैं।

जन धन योजना के माध्यम से हमारा उद्देश्य हर भारतीय को बैंक खाता प्रदान करना था। हमने तीन वर्षों में 33 करोड़ नए बैंक खाते खोले हैं। ये 33 करोड़ खाते पहचान, गरिमा और अवसर के स्रोत हैं।

2014 में 50 प्रतिशत से कम भारतीयों के पास बैंक खाते थे; अब यह लगभग सार्वभौमिक हो चुका है।

इस तरह से आज एक अरब से अधिक बॉयोमीट्रिक पहचान, एक अरब से अधिक बैंक खातों और एक अरब से अधिक सेल फोन की बदौलत भारत का दुनिया में अब तक का सबसे बड़ा सार्वजनिक आधारभूत ढांचा है।

3.6 लाख करोड़ रुपये या 50 अरब डॉलर के बराबर के सरकारी लाभ सीधे लोगों तक पहुंचे हैं।

अब किसी गरीब नागरिक को अपने अधिकार प्राप्त करने के लिए लम्बा सफर तय करने या बिचौलियों को पैसा देने की ज़रूरत नहीं है।

अब नकली और दोहरे खातों से सरकारी खज़ाने को चूना नहीं लगाया जा सकेगा। हमने इस रिसाव को बंद कर 80,000 करोड़ रुपये या 12 अरब डॉलर से अधिक की बचत की है।

अनिश्चितता में रहने वाले लाखों लोग अपने खातों में बीमा राशि प्राप्त करते हैं; और बुढ़ापा पेंशन की सुरक्षा का फायदा उठाते है।

छात्र को सीधे उसके खाते में छात्रवृत्ति मिल सकती है। अब उसे अंतहीन काग़ज़ी कार्रवाई में गुम होने की ज़रूरत नहीं है।

आधार पर आधारित 400,000 माइक्रो ए.टी.एम. के ज़रिए दूरदराज के गांवों में भी बैंकिंग लोगों के द्वार तक पहुंच गई है।

और अब इस डिजिटल बुनियादी ढांचे की मदद से इस वर्ष दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना शुरू की गई है। 'आयुषमान' से 50 करोड़ भारतीयों को किफायती स्वास्थ्य बीमा मिलेगा।

इसके ज़रिये हम मुद्रा योजना के तहत छोटे उद्यमियों को 14. 5 करोड़ ऋण भी दे सके हैं। कुल चार वर्षों में इनकी राशि 6.5 लाख करोड़ रुपये या 90 अरब डॉलर हो चुकी है। इन ऋणों में से लगभग 75 प्रतिशत महिलाओं को दिए गए हैं।

अभी कुछ हफ्ते पहले ही हमने इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक शुरू किया। पूरे भारत में 1, 50, 000 से अधिक डाकघर और 300,000 डाक सेवा कर्मचारी घर-घर बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए तकनीक का उपयोग कर रहे हैं।

निस्संदेह वित्तीय समावेशन हेतु डिजिटल कनेक्टिविटी की भी ज़रूरत है।

भारत में 120,000 से अधिक गांव परिषदों को लगभग 300,000 किलोमीटर लम्बी फाइबर ऑप्टिक केबल से पहले ही जोड़ा जा चुका है।

300,000 से अधिक आम सेवा केंद्रों के दम पर गांवों में डिजिटल पहुंच हो गई है। इनसे हमारे किसानों को भूमि अभिलेख, ऋण, बीमा, बाज़ार और सर्वोत्तम मूल्य की बेहतर जानकारी मिलती है। इनके माध्यम से महिलाओं को स्वास्थ्य सेवाएं और स्वच्छता उत्पाद प्रदान किये जाते हैं।

इनमें से कुछ भी फिनटेक से जनित अन्य बड़े बदलाव यानी भारत में भुगतान और लेनदेन के डिजिटलीकरण के बिना प्रभावी नहीं हो सकता था।

भारत में विविध परिस्थितियां और चुनौतियां है। हमारे समाधान भी विविध होने चाहियें। हमारा डिजिटलीकरण सफल हुआ है क्योंकि हमारे भुगतान उत्पाद सभी की ज़रूरतों को पूरा करते हैं।

जिनके पास मोबाइल और इंटरनेट हैं, उनके लिए भीम-यू.पी.आई. आभासी भुगतान पते पर आधारित खातों के बीच भुगतान हेतु दुनिया का सर्वाधिक उन्नत, सरल और निर्बाध मंच है।

जिनके पास मोबाइल है, लेकिन इंटरनेट नहीं है, उनके लिए 12 भाषाओं में यू.एस.एस.डी. प्रणाली उपलब्ध है।

और जिनके पास न तो मोबाइल है और न ही इंटरनेट है, उनके लिए आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली है, जिसमें बॉयोमीट्रिक्स का उपयोग होता है। इसके माध्यम से अब तक एक अरब लेनदेन हो चुके हैं और इसका प्रयोग दो साल में छह गुना बढ़ा है।

रुपे के माध्यम से भुगतान कार्ड सभी की पहुंच में आ रहे हैं। इनमें से 25 करोड़ कार्ड उन लोगों के पास हैं, जिनके पास 4 साल पहले तक कोई बैंक खाता नहीं था।

भारत में कार्ड से लेकर क्यू.आर. और वॉलेट तक डिजिटल लेनदेन तेज़ी से बढ़ रहे हैं। आज भारत में 128 बैंक यू.पी.आई. से जुड़े हुए हैं।

पिछले 24 महीनों में यू.पी.आई. के ज़रिये लेनदेन 1500 गुना बढ़ गया। हर महीने लेनदेन की राशि में 30 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हो रही है।

लेकिन इसकी गति से अधिक मैं डिजिटल भुगतान द्वारा प्रदत्त अवसरों, दक्षता, पारदर्शिता और सुविधा से प्रभावित हूं।

कोई भी दुकानदार अपनी सामग्री सूची को छोटा करने और संग्रहण में तेज़ी लाने के लिए ऑनलाइन जा सकता है।

किसी फल उत्पादक, किसान या ग्रामीण कारीगर के लिए अब बाज़ार तक प्रत्यक्ष पहुंच उपलब्ध है और ये उसके करीब स्थित हैं, कमाई अधिक हो रही है, और भुगतान तेज़ी से हो रहे हैं।

कर्मचारी अपना दिन का काम छोड़े बिना मज़दूरी ले सकता है अथवा पैसा जल्दी घर भेज सकता है।

प्रत्येक डिजिटल भुगतान से समय की बचत होती है। इससे बहुत बड़ी राष्ट्रीय बचत होती है। इससे व्यक्तियों और हमारी अर्थव्यवस्था की उत्पादकता में वृद्धि हो रही है।

इससे कर संग्रहण में सुधार होता है और अर्थव्यवस्था में निष्पक्षता आती है।

इससे भी आगे, डिजिटल भुगतान से संभावनाओं की दुनिया के प्रवेश द्वार खुलते हैं।

डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से हमें लोगों के लिए विभिन्न मूल्यवर्धित सेवायें देने में मदद मिल रही है। इसमें उन लोगों को ऋण देना भी शामिल है, जिनका निम्न या कोई ऋण पृष्ठभूमि नहीं है।

वित्तीय समावेश सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों तक भी पहुंचा है।

ये सभी एक साल पहले ही शुरू हुए राष्ट्रव्यापी वस्तु और सेवा कर डिजिटल नेटवर्क में आ रहे हैं।

बैंक उन तक ऋण लेकर पहुंच रहे हैं। वैकल्पिक ऋण मंचों से अभिनव वित्तपोषण मॉडल मिल रहे हैं। उन्हें अब अनौपचारिक बाज़ारों से ऊंची ब्याज दरों पर ऋण नहीं लेना पड़ेगा।

और इसी महीने हमने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के लिए 1 करोड़ रुपये या 150,000 डॉलर तक के ऋण की 59 मिनट में मंजूरी देने की घोषणा की, जो बैंक में जाए बिना भी लिए जा सकते हैं।

यह एल्गोरिदम द्वारा संचालित है, जिसमें ऋण संबंधी निर्णय लेने के लिए जी.एस.टी. रिटर्न, आयकर रिटर्न और बैंक स्टेटमेंट का उपयोग किया जाता है। महज़ कुछ ही दिनों में 150,000 ऐसे उद्यम ऋण लेने के लिए आगे आए हैं।

यही तो फिनटेक की शक्ति है जो उद्यम, रोज़गार और समृद्धि को जन्म देती है।

डिजिटल तकनीक से पारदर्शिता आ रही है और सरकारी ई-मार्केटर जी.ई.एम. जैसे नवाचारों के माध्यम से भ्रष्टाचार कम हो रहा है। यह सरकारी एजेंसियों द्वारा खरीदारी के लिए निर्मित एकीकृत मंच है।

यहां सब कुछ मिलता है - तलाश करें और तुलना करें, निविदा भरें, ऑनलाइन आर्डर दें, अनुबंध बनाएं और भुगतान करें।

इसमें पहले से ही 600,000 उत्पाद शामिल हैं। इस प्लेटफ़ॉर्म पर लगभग 30,000 खरीदार संगठन और 150,000 से अधिक विक्रेता और सेवा प्रदाता पंजीकृत हैं।

मित्रो

भारत में फिनटेक से जुड़े नवाचार और उद्यम में क्रांति हुई है। इसके बल पर भारत दुनिया में अग्रणी फिनटेक और स्टार्टअप देश बन गया है। भारत में फिनटेक और उद्योग 4.0 का भविष्य उज्जवल है।

हमारे युवा ऐसे ऐप्स विकसित कर रहे हैं, जिनसे काग़ज़ -रहित, नकदी-रहित, उपस्थिति-रहित और सर्वाधिक सुरक्षित, सभी के लिए लेन-देन का सपने साकार होना संभव हो रहा है। यही तो इंडिया स्टैक की करामात है, जो निर्विवाद रूप से विश्व में एप्लिकेशन प्रोग्रामिंग का सबसे बड़ा इंटरफेस है।

ये बैंकों, नियामकों और उपभोक्ताओं के लिए समाधान बनाने हेतु कृत्रिम बुद्धि, ब्लॉकचेन और मशीन लर्निंग का उपयोग कर रहे हैं।

और इसके साथ ही वे स्वास्थ्य और शिक्षा से लेकर सूक्ष्म ऋण और बीमा तक, हमारे देश के सामाजिक अभियानों में भी भाग ले रहे हैं।

भारत के इस विशाल प्रतिभा संग्रह को डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप इंडिया, सहायक नीतियों, प्रोत्साहनों और वित्त पोषण कार्यक्रमों जैसे पहलुओं से निर्मित पारिस्थितिक तंत्र से लाभ मिलता है।

इस बात से भी मदद मिलती है कि भारत में दुनिया की सबसे अधिक डेटा खपत है और डेटा की सबसे सस्ती दरें हैं। और इसीलिये भारत फिनटेक अपनाने के मामले में शीर्ष देशों में से एक है। इसलिए मैं सभी फिनटेक कंपनियों और स्टार्टअप को यही कहता हूं - भारत आपके लिए सर्वोत्तम गंतव्य है।

भारत में एल.ई.डी. बल्ब उद्योग द्वारा प्राप्त आर्थिक पैमाने से इस ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकी को विश्व स्तर पर अधिक किफायती बनने में मदद मिली। इसी तरह से विशाल भारतीय बाज़ार फिनटेक उत्पादों को स्केल हासिल करने, जोखिम और लागत को कम करने और विश्व स्तर पर फैलने में सक्षम बना सकता है।

मित्रो

संक्षेप में कहूँ तो भारतीय गाथा फिनटेक के छह बड़े लाभ दर्शाती है: पहुंच, समावेशन, कनेक्टिविटी, जीवनयापन सुगमता, अवसर और उत्तरदायित्व।

भारत-प्रशांत से लेकर अफ्रीका और लैटिन अमेरिका तक दुनिया भर में हम साधारण ज़िंदगियों में परिवर्तन लाने वाले अद्भुत नवाचार की प्रेरणादायक कहानियां देखते हैं।

लेकिन अभी और बहुत कुछ किया जाना बाकी है।

हमारा ध्यान अंत्योदय यानी निर्धनतम व्यक्ति के विकास के माध्यम से सबका सर्वोदय विकास पर होना चाहिए।

हमें दुनिया में बैंकिंग सेवा-रहित 1.7 अरब लोगों को औपचारिक वित्तीय बाज़ार में शामिल करना चाहिए।

हमें दुनिया भर के अनौपचारिक क्षेत्रों में कार्यरत एक अरब से अधिक श्रमिकों को बीमा और पेंशन की सुरक्षा देनी चाहिए, जो अभी तक इससे वंचित हैं.

हम यह सुनिश्चित करने के लिए फिनटेक का उपयोग कर सकते हैं कि वित्तीय पहुँच की कमी के कारण कोई भी सपना अधूरा ना रहे और कोई भी उद्यम असमय बंद ना हो.

हमें बैंकों और वित्तीय संस्थानों को जोखिम प्रबंधन, धोखाधड़ी से निपटने और पारंपरिक मॉडलों में व्यवधान से निपटने में अधिक लचीला बनाना होगा।

हमें अनुपालन, विनियमन और पर्यवेक्षण में सुधार हेतु प्रौद्योगिकी का उपयोग करना होगा, ताकि नवाचार को बढ़ावा मिले और जोखिम कम हो सकें।

धन परिशोधन और अन्य वित्तीय अपराधों से निपटने के लिए हमें फिनटेक साधनों का उपयोग करना होगा।

जब हमारे डेटा और सिस्टम विश्वसनीय और सुरक्षित होंगे, तभी उभरती वित्तीय दुनिया हमारी पारस्परिक जुड़ी हुई दुनिया में सफल हो पाएगी।

हमें अपनी वैश्विक स्तर पर जुड़ी प्रणाली की साइबर खतरों से रक्षा करनी है।

हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि फिनटेक की गति और प्रक्षेपण लोगों के हित में काम करें, न कि उन्हें हानि पहुंचाएं और वित्त क्षेत्र में प्रौद्योगिकी हाशिए के किनारे बैठे व्यक्ति से सीधे संपर्क के माध्यम से मानवीय स्थिति में सुधार लाये।

हमें जनता को और जागरूक करना है और उन्हें समावेशी नीतियों और प्रौद्योगिकी के उपयोग से जनित अवसरों के बारे में शिक्षित करने की भी आवश्यकता है।

इस काम के लिए फिनटेक केवल एक तंत्र नहीं होना चाहिए बल्कि इसे तो एक आंदोलन बनना होगा।

और हमें डेटा स्वामित्व और प्रवाह, गोपनीयता और सहमति, निजी और सार्वजनिक भलाई, कानून और नैतिकता से जुड़े अपरिहार्य प्रश्नों के भी उत्तर ढूंढने होंगे।

अंत में, हमें भविष्य हेतु कौशल निर्माण में निवेश करना होगा। और विचारों को समर्थन देने और दीर्घावधि निवेश करने के लिए तैयार रहें।

मित्रो

प्रत्येक युग की विशेषता इसके अवसर और चुनौतियां होती हैं। प्रत्येक पीढ़ी पर भविष्य को आकार देने की ज़िम्मेदारी बनती है।

वर्तमान पीढ़ी दुनिया में हर हाथ में निहित भविष्य को आकार देगी।

इतिहास के किसी भी युग में हमारे पास इतनी सारी संभावनाएं नहीं थीं:

अरबों लोगों के जीवनकाल में ही अवसरों और समृद्धि को साकार करने की।

हमारी दुनिया में अधिक मानवीयता और बराबरी लाने की - आशाओं और उपलब्धियों के मामले में, शहरों और गांवों के के मामले में, अमीर और गरीब के मामले में।

जैसे जैसे भारत दूसरों से सीखेगा, हम अपने अनुभव और विशेषज्ञता दुनिया के साथ साझा करेंगे।

ऐसा इसलिए है क्योंकि जिस चीज़ से भारत प्रेरित होता है, वही चीज़ दूसरों के लिए आशा का स्रोत बन सकती है। और जो सपना हम भारत के लिए देखते हैं, वही सपना हम दुनिया के लिए भी चाहते हैं।

यह हम सबका सांझा सफर है।

जैसे प्रकाशोत्सव हमें अँधेरे की बजाए प्रकाश और निराशा के स्थान पर आशा का संदश देता है, उसी तरह इस उत्सव का भी यही संदेश है कि हम मानवता के बेहतर भविष्य हेतु मिलकर काम करें।

धन्यवाद
सिंगापुर
14 नवंबर, 2018

 



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