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प्रधानमंत्री की आगामी सिंगापुर यात्रा पर सचिव (पूर्व) की मीडिया वार्ता की प्रतिलेख

नवम्बर 12, 2018

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: नमस्कार दोस्तों, सोलहवें आसियान-भारत जलपान शिखर सम्मेलन और तेरहवें पूर्व एशियाई शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा पर इस विशेष वार्ता में आपका स्वागत है।

मेरे साथ सचिव (पूर्व) सुश्री विजय ठाकुर सिंह और दो संयुक्त सचिव हैं, संयुक्त सचिव (आसियान) अनुराग भूषण और संयुक्त सचिव (दक्षिण) मनीष। वे हमें सिंगापुर में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के बारे में जानकारी देंगे। सचिव (पूर्व) की प्रारंभिक टिप्पणियों के बाद हमारा प्रश्नोत्तर सत्र होगा। महोदया अब मैं आपको जानकारी देने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

सचिव (पूर्व), सुश्री विजय ठाकुर सिंह:
नमस्कार, आपसे मिलकर बहुत अच्छा लगा। यह मेरी पहली प्रेस वार्ता है और यह प्रधानमंत्री की 14 से 15 नवंबर की सिंगापुर की यात्रा के संबंध में है।

यह प्रधानमंत्री की सिंगापुर की दूसरी यात्रा है। आपको याद होगा कि वे इस वर्ष जून में वहाँ गए थे। उस समय उन्होंने शांगरी-ला वार्ता में मुख्य वक्तव्य दिया था और भारत-प्रशांत दृष्टिकोण के बारे में बताया था।

इस बार प्रधानमंत्री 14 नवंबर की सुबह सिंगापुर पहुँचेंगे और 15 नवंबर को अपराह्न वहाँ से प्रस्थान करेंगे। लगभग 36 घंटों की इस बहुत छोटी और केंद्रित यात्रा में कई कार्यक्रम होंगे।

अब मैं आपको कार्यक्रमों का विवरण देती हूँ। जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, वे 14 तारीख को पहुँचेंगे और सिंगापुर फिनटेक महोत्सव में उनका पहला कार्यक्रम एक मुख्य वक्तव्य है, फिनटेक महोत्सव में एक भारतीय मंडप भी है। इसके बाद वे आरसीईपी शिखर सम्मेलन की दूसरी बैठक में भाग लेंगे और उसके बाद द्विपक्षीय बैठकों का समय होगा। वे आसियान के वर्तमान अध्यक्ष, प्रधानमंत्री ली हसीन लूंग द्वारा दिए जाने वाले एक रात्रिभोज में शामिल होंगे।

15 तारीख को वे आसियान-भारत जलपान शिखर सम्मेलन के साथ अपना दिन आरंभ करेंगे और इसके बाद पूर्वी-एशिया लंच रिट्रीट होगा जिसमें प्रधानमंत्री भाग लेंगे, तत्पश्चात् वे 13वें पूर्व एशिया शिखर सम्मेलन के पूर्ण सत्र में शामिल होंगे। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के तुरंत बाद वे भारत के लिए प्रस्थान करेंगे।

सिंगापुर में वे कई शिखर सम्मेलनों, आरसीईपी शिखर सम्मेलन, भारत-आसियान जलपान शिखर सम्मेलन के साथ-साथ पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग ले रहे हैं। इसके अलावा द्विपक्षीय बैठकें होंगी तथा वे सिंगापुर फिनटेक महोत्सव में वक्तव्य देंगे और भारत-सिंगापुर हैकथॉन के प्रतिभागियों से भी मिलेंगे।

अब आसियान की बैठकों की बात करते हैं, ये वार्षिक बैठकें हैं और ये हमारे राजनयिक कैलेंडर का बहुत अभिन्न हिस्सा हैं। भारत अनिवार्य रूप से आसियान देशों के साथ संलग्न है क्योंकि हमारी एक बहुत ही सक्रिय एक्ट ईस्ट नीति है और हमने अपने पूर्वी पड़ोसियों के साथ संपर्क जारी रखा है।

आज भारत के साथ आसियान क्षेत्र सबसे गतिशील आर्थिक स्थानों में से एक है। आप देख सकते हैं कि हमारी संयुक्त आबादी 1.9 करोड़ की है, जो विश्व की आबादी का एक चौथाई हिस्सा है इसके अलावा हमारा संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 5 ट्रिलियन का है। तो भारत आसियान अनिवार्य रूप से एक बहुत ही महत्वपूर्ण आर्थिक खंड है।

आपको याद होगा कि वर्ष 2017 में भारत और आसियान ने अपनी संवाद साझेदारी के 25 वर्षों का जश्न मनाया, साथ ही उन्होंने अपनी शिखर सम्मेलन स्तर साझेदारी की 15वीं वर्षगांठ और रणनीतिक साझेदारी की 5वीं वर्षगांठ मनाई।

ये सभी उत्सव भारत-आसियान स्मारक शिखर सम्मेलन में समाप्त हुए, जो इस वर्ष 25 जनवरी को आयोजित किया गया था और उसके बाद सभी आसियान नेताओं ने हमारे मुख्य अतिथि के रूप में, हमारे गणतंत्र दिवस समारोहों में भाग लिया था। यह एक अभूतपूर्व घटना है और यह भारत के लिए एक विशेष संकेत है।

उस शिखर सम्मेलन के परिणामस्वरूप दिल्ली घोषणा को अपनाया गया, जो आसियान देशों के साथ भारत के संबंधों का मार्गदर्शन करेगा। इसलिए आगामी भारत-आसियान शिखर सम्मेलन हमारे द्वारा की गई प्रगति की समीक्षा करने और सहयोग के तीन स्तंभों-राजनीतिक सुरक्षा, सामाजिक-आर्थिक और सांस्कृतिक पर विचार-विमर्श करने का अवसर होगा।

दूसरे कार्यक्रम के संबंध में, मैं पहले ईस्ट-एशिया शिखर सम्मेलन की बात करूँगी, प्रधानमंत्री पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे, यह ऐसा शिखर सम्मेलन है जिसके साथ भारत 2005 में इसकी स्थापना के बाद से ही जुड़ा हुआ है। यह प्रधानमंत्री मोदी का 5वां पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन होगा और जैसा कि मैंने उल्लेख किया है कि इसे दो खंडों में आयोजित किया जाएगा।

एक खंड रिट्रीट का होगा जहाँ अनौपचारिक व्यवस्था में नेताओं के बीच सक्रिय चर्चा होगी, जिसमें वे वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार करेंगे और इसके बाद पूर्वी-एशिया की औपचारिक पूर्ण बैठक होगी। इसमें आईसीटी, स्मार्ट शहरों, समुद्री सहयोग सहित कई विषय हैं और इनके साथ सीमा पार आतंकवाद भी है।

पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के अंत में सामान्य अभ्यास के रूप में अध्यक्ष द्वारा इसका सारांश दिया जाएगा और नेताओं द्वारा उचित समझे जाने वाले अन्य वक्तव्य भी होंगे। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन, काफी हद तक नेताओं द्वारा संचालित शिखर सम्मेलन है, जहाँ वे उन विषयों पर चर्चा करते हैं जिन पर उन्हें उस समय ध्यान देने की आवश्यकता होती है।

इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी दूसरे आरसीईपी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे और इस शिखर सम्मेलन में 16 देशों के 16 नेता होंगे जो आरसीईपी पर बातचीत करेंगे। इस शिखर सम्मेलन में वे सिंगापुर में चल रही आरसीईपी वार्ता में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे। सिंगापुर में एक मंत्रिस्तरीय बैठक चस रही है और वे इस चरण में आरसीईपी पर चर्चा कर रहे हैं। मैं उल्लेख कर सकती हूँ कि इन शिखर सम्मेलनों के दौरान, आसियान के नेतृत्व वाले तीन शिखर सम्मेलनों में द्विपक्षीय बैठकों के लिए समय होगा और हम उन पर काम कर रहे हैं और उन्हें व्यवस्थित कर रहे हैं।

इसके अलावा प्रधानमंत्री सिंगापुर फिनटेक महोत्सव में भाग लेंगे और वहाँ मुख्य वक्तव्य देंगे। यह एक उत्सव है जो वित्तीय प्रौद्योगिकी पर सबसे बड़ी घटनाओं में से एक है और यह इसका तीसरा संस्करण है। पहली बार एक सरकार के प्रमुख इसमें मुख्य भाषण दे रहे हैं और निश्चित रूप से यह इसलिए है क्योंकि इस बात को मान्यता दी गई है कि भारत ने नवाचार, विकास और वित्तीय समावेश के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में बहुत काम किया है।

यह एक बड़ा आयोजन है और एक समय में वहाँ लगभग 30,000 लोग होंगे तथा हमारे प्रधानमंत्री वहाँ मुख्य भाषण देंगे। एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम में प्रधानमंत्री भारत-सिंगापुर हैकथॉन के प्रतिभागियों से भेंट करेंगे। जब प्रधानमंत्री जून 2018 में सिंगापुर गए थे और प्रधानमंत्री ली से मिले तब इस हैकथॉन के लिए सहमति हुई थी, तो यह हैकथॉन हो रहा है और प्रधानमंत्री वहाँ प्रतिभागियों से भेंट करेंगे। इसमें उत्साह पूर्ण भागीदारी रही है। भारत के लगभग 80 प्रतिभागी होंगे और सिंगापुर से भी समान संख्या में प्रतिभागी शामिल होंगे। सिंगापुर की तरफ से नान्यांग प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय और हमारी तरफ से अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद द्वारा इसका नेतृत्व किया जा रहा है।

हम आशा करते हैं कि प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा, सिंगापुर के साथ भारत के संबंधों को मजबूत करने के अतिरिक्त आसियान और ईएएस नेताओं के साथ संबंधों और हमारी भागीदारी को नई गति प्रदान करेगी।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: धन्यवाद महोदया। अब मैं प्रश्नोत्तर सत्र आरंभ करता हूँ। हम एक समय में दो प्रश्नों का उत्तर देंगे।

प्रश्न: हम आरसीईपी वार्ताओं में किस स्थान पर हैं, इस समय सिंगापुर समेत कुछ आसियान भागीदारों का काफी दबाव हैं कि एक लाभकर समझौता किया जाए और यह बातचीत लंबे समय से चल रही है, हमारा क्या विचार है और इन आरसीईपी वार्ताओं के अंत में हम किस तरह के निष्कर्ष की आशा कर सकते हैं?

प्रश्न: भारत के प्रधानमंत्री और अमेरिकी उपराष्ट्रपति श्री पेन्स के बीच बैठक में, भारतीय पक्ष कौन सी महत्वपूर्ण चीज प्रस्तुत करने जा रहा है? चतुर्पक्षीय (क्वाड) के संबंध में, चतुर्पक्षीय मीटिंग होने जा रही है, विशेष रूप से जब भारत-प्रशांत पर भारत की नीति की बात आती है तो भारत किस क्षेत्र पर केंद्रित होगा?

सचिव (पूर्व), सुश्री विजय ठाकुर सिंह: प्रश्नों के तीन समूह हैं, एक है आरसीईपी, फिर बैठक और अंत में चतुर्पक्षीय बैठक है।

मैं सबसे पहले यह पुष्टि करना चाहती हूँ कि प्रधानमंत्री और उपराष्ट्रपति माइक पेन्स के बीच बैठक होगी। बैठक होने के बाद और उस बैठक के परिणाम पता चलने के बाद हम आपको उसके बारे में संक्षेप में बताएंगे, लेकिन हम पुष्टि करते हैं कि वह बैठक हो रही है।

दूसरा, मैं चतुर्पक्षीय बैठक पर आती हूँ, मुझे यह कहना है कि भारत विभिन्न प्रारूपों में और साथ ही कई देशों के संपर्क में है। हम द्विपक्षीय, त्रिपक्षीय और चतुर्पक्षीय स्तरों पर बैठकें करते हैं, हम बहु-पार्श्व और बहुपक्षीय प्रारूपों में मिलते हैं। तो यह चतुर्पक्षीय बैठक होने वाली है लेकिन इसका पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन से कोई संबंध नहीं है। यह बैठक चार देशों के बीच आधिकारिक कार्यात्मक स्तर पर होती है और इसकी कार्यसूची में सामान्य रूप से यह देखना होता है कि हम इस क्षेत्र में शांति और समृद्धि के मुद्दों को कैसे संभाल सकते हैं।

जैसा मैंने आपको बताया था, आरसीईपी शिखर सम्मेलन, 14 नवंबर को है। इसमें नेता एक चल रही वार्ता की समीक्षा करेंगे। यह वार्ता 2012 से चल रही है और मैं आपको केवल इतना बता सकती हूँ कि यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण समूह है। यदि आप वैश्विक व्यापार को देखते हैं तो आरसीईपी वार्ताओं में 40% वैश्विक व्यापार शामिल है। भारत इन वार्ताओं में एक बहुत रचनात्मक दृष्टिकोण अपना रहा है, लेकिन इसमें अनेक देशों और कई मुद्दों के शामिल होने के कारण इस समय मंत्रिमंडल स्तर पर चर्चा चल रही है, इसलिए मैं परिणाम के बारे में इसके अतिरिक्त कुछ नहीं कह सकती कि इस बातचीत में प्रगति हुई है।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: दोनों बैठकों, अर्थात् अमेरिका के उपराष्ट्रपति के साथ और चतुर्पक्षीय बैठक के लिए, आम तौर पर हम एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हैं। अमेरिकी उपराष्ट्रपति के साथ प्रधानमंत्री की बैठक के बाद निश्चित रूप से चतुर्पक्षीय बैठक के लिए हम प्रेस विज्ञप्ति जारी करेंगे जो आपको बैठक के बारे में ब्योरा देगी।

प्रश्न: आज से चार महीने से कुछ पहले प्रधानमंत्री ने शांगरी-ला वार्ता में मुख्य भाषण दिया था। जिसमें उन्होंने बताया था कि भारत-प्रशांत के विकास और अवधारणा के बारे में वे क्या सोचते हैं, क्या यह नाश्ते की बैठक में या अन्यथा पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं के साथ प्रधानमंत्री के राजनयिक पहुँच में शामिल होगा। और संक्षेप में यह भी बताएं कि प्रमुख प्रदेयों में क्या प्रगति हुई है, विशेष रूप से समुद्री परिवहन सहयोग पर दिल्ली स्मारक शिखर सम्मेलन के क्या महत्वपूर्ण परिणाम रहे हैं?

प्रश्न: क्या आप फिनटेक पर कोई विवरण दे सकते हैं? मुझे लगता है कि पिछली बार जब वे वहाँ गए थे तो उन्होंने किसी डिजिटल भुगतान ऐप्स का उल्लेख किया और कुछ घोषणाएं की थीं, तो क्या इस बारे में कोई जानकारी है कि किस प्रकार की पहल की जा सकती है?

सचिव (पूर्व), सुश्री विजय ठाकुर सिंह: मुझे फिनटेक से आरंभ करने दें। फिनटेक के बारे में जैसा कि आप जानते हैं, पिछली बार प्रधानमंत्री ने सिंगापुर में रुपे कार्ड का शुभारंभ किया था। इस बार हम एपीआई नामक एक मंच का शुभारंभ करने की सोच रहे हैं। आसियान देशों ने मिलकर अपने वित्तीय संस्थानों को एक मंच पर रखा है और प्रधानमंत्री भारतीय वित्तीय संस्थान के साथ उस लिंक का शुभारंभ करेंगे ताकि इसे फिनटेक शिखर सम्मेलन में रखा जा सके।

भारत-प्रशांत के संदर्भ में, हाँ भारत-प्रशांत की सराहना की गई है और जैसा कि आप जानते हैं, भारत-प्रशांत का सिद्धांत एक खुले और स्वतंत्र, प्रगतिशील, समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र का है, जो अंतरराष्ट्रीय कानून को शामिल करता है और इसका सम्मान करता है। तो मूल बात यह है कि हम इसे लेकर उत्साहित हैं।

वहाँ इस क्षेत्र में काम करने के तरीके और भारत-प्रशांत पर अन्य देशों के विचारों के बारे में चर्चा होगी, चूंकि हम इस क्षेत्र में जा रहे हैं और हम इस क्षेत्र में हैं तो इस पर बातचीत होगी कि अलग-अलग देश भारत-प्रशांत को कैसे देखते हैं ।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: कृपया अगले दो प्रश्न करें।

प्रश्न: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनौपचारिक शिखर सम्मेलन के लिए वुहान में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से भेंट के बाद यह पहला आसियान शिखर सम्मेलन है। प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ने भारत-प्रशांत के बारे में अवश्य बात की होगी, तो क्या आपको लगता है कि भारत-प्रशांत, दक्षिण चीन सागर, नौवहन आदि की स्वतंत्रता के मुद्दे पर हमारी तरफ से कोई अद्यतन होगा।

प्रश्न: क्या प्रधानमंत्री सिंगापुर में चीनी नेता से मिलेंगे?

सचिव (पूर्व), सुश्री विजय ठाकुर सिंह: जब आप एक शिखर सम्मेलन में जाते हैं, तो वहाँ निर्धारित और अन्य मुद्दों जैसे बहुत सारे मुद्दे होते हैं। हम द्विपक्षीय बैठकों पर काम करेंगे और जब उन्हें अंतिम रूप दिया जाएगा, तो हम आपको बताएंगे कि वे बैठकें कब होनी हैं। वहाँ संयुक्त सचिव (एक्सपी) होंगे और वे दैनिक आधार पर आपको उन बैठकों का संक्षिप्त विवरण देंगे।

जहाँ तक भारत-प्रशांत पर चर्चाओं का संबंध है, आप देख सकते हैं कि हम शिखर सम्मेलन में जा रहे हैं। तो देखते हैं कि क्या चर्चाएं होती हैं और वे कैसे आगे बढ़ती हैं लेकिन निश्चित रूप से हम भारत-प्रशांत क्षेत्र में प्रगति और समृद्धि लाने के तरीके पर कई देशों के साथ काम करने की सोच रहे हैं।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार:
द्विपक्षीय बैठकों के बारे में मैं फिर से उल्लेख करता हूँ कि हम आम तौर पर एक दिन पहले इन्हें निर्धारित करते हैं। तो बुधवार के लिए, हम कल शाम कुछ बताएंगे। इसमें द्विपक्षीय बैठकों सहित प्रधानमंत्री के सभी कार्यों का विवरण होगा।

आपको यह भी ध्यान में रखना है कि अर्जेंटीना अर्थात् जी20 में एक और बहुपक्षीय आयोजन हो रहा है। इसलिए बैठकें निर्धारित की जा रही हैं, साथ ही कुछ बैठकें ईएएस के दौरान निर्धारित की जा रही हैं।

प्रश्न: क्या आप हमें प्रगति और दिल्ली शिखर सम्मेलन के महत्वपूर्ण परिणामों बारे में कुछ विवरण दे सकते हैं, विशेष रूप से समुद्री सहकारी समझौते, नागरिक उड्डयन इत्यादि पहलों में क्या प्रगति हुई है?

सचिव (पूर्व), सुश्री विजय ठाकुर सिंह: मैं कुछ के बारे में बताऊँगी। एक निर्णय यह था कि हम डिजिटल कनेक्टिविटी को देखेंगे और हमने सीएमएलवी देशों में डिजिटल कनेक्टिविटी के लिए 400 लाख डॉलर अलग रख दिए है। तो इन सभी देशों में हम एक डिजिटल ग्राम कनेक्टिविटी देख रहे हैं। हमारी टीसीआईएल टीम वहाँ गई है और उसने सर्वेक्षण किए हैं इसलिए हम आशा करते हैं कि इसमें प्रगति परिलक्षित होगी।

हम 2019 को भारत और आसियान के बीच पर्यटन-वर्ष के रूप में देख रहे हैं। तो यह एक और कार्यान्वयन है। जैसा कि आपने कहा, हम यह भी मानते हैं कि समुद्री सहयोग बहुत महत्वपूर्ण है। हमने ब्लू इकोनोमी पर दो बैठकें की हैं, जिनमें एक वियतनाम में और एक भारत में हुई है। तो यह समुद्र के संबंध में एक अन्य क्षेत्र है जिस पर हमने चर्चा की थी।

इसलिए कई पहलें आकार ले रही हैं और मैं उन सभी के बारे में नहीं बताऊँगी लेकिन हम भारत-आसियान शिखर सम्मेलन में जाएंगे और दिल्ली घोषणा के कार्यान्वयन की समीक्षा होगी।

प्रश्न: एक छोटा सा स्पष्टीकरण, क्या अमेरिका के उपराष्ट्रपति के साथ यह बैठक इस महीने की 14 तारीख को होने वाली है?

सचिव (पूर्व), सुश्री विजय ठाकुर सिंह:
हाँ, यह 14 को है।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार: क्या प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा पर कोई अन्य प्रश्न है। मुझे नहीं लगता कि कोई अन्य प्रश्न है। इस प्रेस वार्ता में आने के लिए धन्यवाद। धन्यवाद मनीष और अनुराग, इस वार्ता में शामिल होने के लिए आप सभी को धन्यवाद।

(समापन)



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