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ताजिकिस्तान में भारतीय समुदाय के सम्मेलन में राष्ट्रपति का सम्बोधन

अक्तूबर 09, 2018

मेरे प्रिय भारतीय मित्रो,
भारत के विशिष्ट ताजिकिस्तानी मित्रो,
देवियो और सज्जनों,
आप सभी को नमस्कार तथा सलोम,


1. सर्वप्रथम मैं आपको सबको इस गर्मजोशी से स्वागत के लिए हृदय की गहराइयों से धन्यवाद देता हूँ। मुझे आज ताजिकिस्तान आकर और आप सभी से मिलकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई। इस देश के साथ हमारे विशेष और ऐतिहासिक सम्बन्ध हैं। भारत के राष्ट्रपति के रूप में इस सुन्दर देश तथा मध्य एशिया का मेरा यह पहला दौरा है। लेकिन मैं ताजिकिस्तानी भाइयों और यहाँ की संस्कृति से विशेष रूप से जुड़ा हूँ जिसे मैं आपसे साझा करना चाहता हूँ।

2. जब मैं बिहार का राज्यपाल था तो उस समय मुझे महान पारसी कवि 'बेदिल' के मानवतावाद को गहराई से समझने का अवसर मिला था। उनका जन्म बिहार की राजधानी पटना में हुआ था। ताजिकिस्तान निवासी उन्हें बहुत पसन्द करते हैं और उनकी कविताओं के बहुत शौकीन हैं।

3. कल राष्ट्रपति रहमान से मेरी मुलाकात होगी और उनके साथ मैं भारत-ताजिकिस्तान सम्बन्धों में प्रगाढ़ता लाने के उपायों की चर्चा करूँगा। वे भारत के घनिष्ठ मित्र हैं और उन्होंने भारत तथा ताजिकिस्तान के परस्पर सम्बन्धों को विशेष महत्त्व दिया है।

4. मुझे दुशांबे में बहुत अधिक प्यार और सम्मान मिला। जब किसी अन्य देश में आप अपने लोगों से, अपने भाइयों और बहनों से मिलते हैं तो आपको उनसे एक गहरे लगाव का अनुभव होता है। विश्व के अनेक भागों में मैं जहाँ कहीं भी गया मुझे वहाँ भारतीय समुदाय से मिलने और सम्बोधित करने का अवसर मिला। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि इस प्रकार अपने लोगों से मिलने पर बहुत प्रसन्नता होती है और ये भावनाएँ मेरे हृदय में समाहित हो जाती हैं।

देवियो और सज्जनों,

5. मुझे बताया गया है कि यहाँ भारतीय लोग अधिक संख्या में नहीं है किन्तु यह उनकी विशिष्टता है कि वे न केवल आपस में ही एक-दूसरे से घुले-मिले हैं बल्कि वे ताजिकिस्तान के लोगों से भी घुले-मिले हैं। अभी-अभी मेरे स्वागत समारोह के दौरान कुछ ताजिक तथा भारतीय युवाओं ने मिलकर एक भारतीय सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। यह भव्य प्रस्तुतीकरण इस बन्धुत्व का एक प्रमाण है और इसने मेरे हृदय को प्रभावित किया। मुझे यह देखकर अत्यन्त प्रसन्नता हुई कि इस देश में भारतीय संस्कृति, भाषा, नृत्य संगीत के विषय में जानने की विशेष उत्सुकता है। यहाँ पर भारतीय सिनेमा तथा बॉलीवुड के सितारे बहुत लोकप्रिय हैं। यदि हम विचार करें कि ऐसा क्यों है तो शायद इसका कारण दोनों देशों के समरूप जीवन-शैली है और इसी कारण हम एक-दूसरे को आसानी से समझ पाते हैं।

6. ताजिकिस्तान तथा भारत के मध्य अनेक सांस्कृतिक समानताएँ हैं। इन समानताओं को हम अपनी भोजन शैली, संगीत, पोशाक तथा भाषा में देख सकते हैं। यहाँ रहने वाले हमारे भारतीय भाई और बहनें इसके विषय में देखकर तथा अनुभव करके प्रसन्न होंगे।

7. शताब्दियों से विचार, दर्शन, चिन्तन तथा धर्म का भारत तथा ताजिकिस्तान के मध्य विनिमय होता रहा है। दोनों देशों में सहिष्णु मानवतावादी परम्पराएँ फली-फूली हैं। महान सम्राट कनिष्क का जितना सम्मान भारत में किया जाता है उतना ही यहाँ भी किया जाता है। बौद्धवाद, जरथुष्ट्रवाद तथा हिन्दुत्व भी इस देश में फले-फूले। 'रेशम मार्ग' तथा नदी-घाटियों और पहाड़ी मार्गों से ताजिक कला एवं क्राफ्ट, वाणिज्य तथा व्यापार का कार्य भारत तक किया जाता था। जब अभी दोपहर को मैं वायुयान से ताजिकिस्तान आ रहा था मुझे यह देखकर प्रसन्नता हुई कि दोनों देशों के बीच के आपसी सम्बन्धों को प्रगाढ़ करने में न केवल इतिहास बल्कि भूगोल ने पर्याप्त सहायता प्रदान की है। यदि हम आकाश से देखें तो यह ऐसा प्रतीत होता है कि पामीर का विशाल पठार अपनी बाँहें पसारे हिमालय से मिलने के लिए उसकी ओर दौड़ता चला आ रहा है।

देवियो और सज्जनों,

8. मुझे बताया गया है कि इस देश में भारतीय समुदाय के लोगों में अधिकतर चिकित्सा के विद्यार्थी तथा पेशेवर लोग हैं। मुझे प्रसन्नता है कि आपने यहाँ अपने कठोर परिश्रम तथा अखण्डता के बल पर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। आप में से अनेक लोग शीघ्र ही यहाँ अपनी शिक्षा समाप्त करके स्वदेश लौट जायेंगे और हमारे स्वास्थ्य तथा कल्याण में योगदान देना प्रारम्भ करेंगे।

9. मुझे प्रसन्नता है कि आप लोगों ने इस देश में अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं को जीवित रखा है। मुझे बताया गया है कि आप सभी यहाँ होली, दीवाली, ईद तथा अन्य भारतीय त्यौहार पूरे जोशो-खरोश से मनाते हैं। एक समय था जब हमारा भारतीय समुदाय खुजांड, पंजकाण्डा, समरकन्द, बुखारा तथा रेशम मार्ग पर स्थित अन्य महान नगरों में पुष्पित-पल्लवित था। ये नगर यहाँ से बहुत दूर नहीं हैं। जैसे आप आजकल त्यौहार मनाते हैं तथा मेले में जाते हैं वे भी इसी प्रकार आमोद-प्रमोद करते रहे हैं।

देवियो और सज्जनों,

10. आज भारत विश्व की तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है जिसकी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत है। हमारे आर्थिक सुधारों तथा विकास आधारित प्रशासन ने अच्छे परिणाम प्रदान करने प्रारम्भ कर दिये हैं। मात्र 4 वर्षों की अवधि के दौरान हमने सुदूरवर्ती इलाकों के 18000 गाँवों का विद्युतीकरण किया और प्रत्येक भारतीय गाँव तक बिजली उपलब्ध कराई। इस उपलब्धि के कारण भारत विश्व की 'विद्युत तक पहुँच' की सूची में 73 स्थान की उछाल के साथ 26वें पायदान पर पहुंच गया है। 'मेक इन इण्डिया', 'स्वच्छ भारत', 'स्टार्ट अप इण्डिया' तथा 'डिजिटल इण्डिया' जैसे महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। 'उज्ज्वला योजना' के माध्यम से हमने 50 मिलियन घरों में स्वच्छ एलपीजी ईंधन मुहैया कराया है। अपनी 'मुद्रा' योजना के माध्यम से हमने लाखों लोगों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई है और इस योजना का लाभ अधिकतर महिलाओं को मिला है। अन्तर्राष्ट्रीय सौर संगठन के माध्यम से हम जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विश्व को एकसूत्र में पिरो रहे हैं।

11. आजकल भारत में एक नई ऊर्जा का संचार प्रतीत होता है। मैं चाहता हूँ कि आप भारत में अवसरों की तलाश करें और अपने ढंग से इसके आर्थिक विकास में योगदान दें।

12. इस वर्ष पूरे साल हम राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150वीं जयन्ती मनाने जा रहे हैं। 2 अक्टूबर को बापू की स्मृति में दिल्ली में महात्मा गांधी अन्तर्राष्ट्रीय स्वच्छता सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें ताजिकिस्तान ने भी भाग लिया। मैं आशा करता हूँ कि आप सभी लोग पूज्य बापू के सन्देश का पूर्ण उत्साह के साथ चहुँमुखी प्रसार करेंगे। मैं स्वयं कल की प्रतीक्षा कर रहे हैं जब मैं यहाँ दुसांबे में उनकी प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करूँगा।

13. हमारा विकास हमारे देश के नये आत्मविश्वास को प्रतिबिम्बित करता है। हमने अपने अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को व्यापक बनाया है। प्राचीन समय से ही हमने 'वसुधैव कुटुम्बकम्' का अनुसरण किया है और सम्पूर्ण विश्व को अपना परिवार माना है। इसीलिए हमने न केवल अपने उन लोगों का बचाव कार्य किया जो विपरीत परिस्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं में फँसे थे बल्कि उतनी ही तत्परता से अन्य देशों के लोगों का भी बचाव कार्य किया। गत 4 वर्षों में हमने विदेशों में फँसे 90,000 नागरिकों का बचाव कार्य किया। इसमें 50 से अधिक देशों के नागरिक शामिल थे।

14. गत कुछ वर्षों में आपने अनुभव किया होगा कि प्रवासी भारतीय समुदाय तक पहुँचने और उनसे सम्पर्क करने के प्रयासों में वृद्धि करना हमारी सरकार का प्रमुख लक्ष्य रहा है। भारत तथा विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच भावनात्मक, सांस्कृतिक, आथिक और संस्थागत सम्बन्ध इन वर्षों में प्रगाढ़ हुए हैं। हमने विदेशों में रहने वाले भारतीयों से उत्तम सम्पर्क बनाने के लिए 'भारत को जाने-प्रश्नोत्तरी' कार्यक्रम प्रारम्भ किया है। हमने अपने मिशन को निर्देशित किया है कि सहायता तथा किसी आवश्यकता के लिए चौबीसो घण्टे तत्पर रहें।

15. हमारा विश्वास है कि विदेश स्थित भारतीय समुदाय अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों को मजबूत करने में हमारा महत्त्वपूर्ण सहयोगी है। भारत के सन्देश को प्रसारित करने में यहाँ के प्रत्येक भारतीय की भूमिका महत्त्वपूर्ण है। हाँ, यह सच है कि हमने यहाँ अपना राजदूत नियुक्त किया है किन्तु हम यहाँ के प्रत्येक भारतीय को अपना सांस्कृतिक राजदूत मानते हैं। हमें विश्वास है कि ताजिकिस्तान के साथ भारत को सम्बन्धों को आप घनिष्ट बनायेंगे। अगले वर्ष हम 21 से 23 जनवरी तक प्रवासी भारतीय दिवस का आयोजन करेंगे। इस अवसर पर मैं आप सभी को आमन्त्रित करता हूँ।

16. यहाँ उपस्थित अपने ताजिक मित्रों से कहना चाहता हूँ कि भारत ताजिकिस्तान को क्षमता निर्माण तथा विकास कार्यों में अपना सहयोग देना जारी रखूँगा। मैं इस देश में कार्यरत अध्यापकों, प्रोफेसरों तथा भारतीय भाषाओं के विशेषज्ञों के कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूँ। मुझे ताजिकिस्तान के प्रसिद्ध इण्डोलॉजिस्ट हबीबुल्लाराजाबोव को इस वर्ष शिक्षा तथा साहित्य के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए पद्मश्री पुरस्कार प्रदान करने में प्रसन्नता का अनुभव हो रहा है।

17. अन्त में मैं आप सभी से इन दोनों महान देशों के मध्य साझेदारी को घनिष्ट करने में आपके योगदान का आह्वान करता हूँ।

धन्यवाद,
भारत अमर रहे।

दुशांबे
07 अक्टूबर, 2018



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