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बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की आगामी नेपाल यात्रा पर सचिव (पूर्व) द्वारा मीडिया वार्ता का प्रतिलेख (24 अगस्त, 2018)

अगस्त 25, 2018

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : नमस्कार, शुभ दोपहर। बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के लिए प्रधानमंत्री की नेपाल यात्रा पर इस विशेष वार्ता में आपका स्वागत है। इस अवसर पर सचिव (पूर्व) का स्वागत करते हुए मुझे खुशी हो रही है। आप सभी सचिव (पूर्व), श्रीमती प्रीति सरन से परिचित हैं। मेरे साथ, सार्क और बिम्सटेक की देखभाल कर रहे संयुक्त सचिव, पीयूष भी हैं। सचिव (पूर्व) बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री की भागीदारी पर आप सभी को जानकारी देंगी और इसके बाद सचिव (पूर्व) कुछ प्रश्नों का उत्तर देंगी।

सचिव (पूर्व), श्रीमती प्रीति सरन : धन्यवाद रवीश और प्रिय मित्रों, 30-31 अगस्त को काठमांडू में आयोजित किए जाने वाले चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन पर इस विशेष वार्ता में शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। शिखर सम्मेलन से पहले 29 अगस्त को विदेश मंत्रियों की सोलहवीं बैठक और 28 अगस्त को वरिष्ठ अधिकारियों की उन्नीसवीं बैठक आयोजित की जाएगी।

बिम्सटेक के बारे में आपको कुछ बताने से पहले, मैं आपको इसके बारे में जानकारी देना चाहती हूँ। आप जानते हैं कि यह बहु क्षेत्रीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग के लिए बंगाल की खाड़ी पहल है। यह सात देशों का एक क्षेत्रीय समूह है, जिसमें दक्षिण एशिया के पाँच देश और दक्षिण पूर्व एशिया के दो देश शामिल हैं। इसमें बांग्लादेश, भूटान, भारत, म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड और श्रीलंका शामिल हैं।

आपको याद होगा कि बिम्सटेक आउटरीच शिखर सम्मेलन और 2016 में गोवा में आयोजित नेताओं के रिट्रीट के दौरान बिम्सटेक को काफी प्रोत्साहन मिला जिसमें हमारे प्रधानमंत्री ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेजबानी भी की थी। उस विशेष शिखर सम्मेलन के बाद बिम्सटेक के भीतर हुई प्रगति के साथ ही सुरक्षा, आतंकवाद, परिवहन और संपर्क, पर्यटन, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन, ऊर्जा और लोगों के आपसी संपर्क सहित सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई है।

एक क्षेत्रीय समूह के रूप में बिम्सटेक के वास्तविक घटक के बारे में अधिक जानकारी देने से पहले, मैं आपको शिखर सम्मेलन के कार्यक्रम पर कुछ जानकारी देकर यह वार्ता आरंभ करती हूँ। जैसा मैंने उल्लेख किया है यह 30 अगस्त को दोपहर बाद बीआईएमटीईसी देशों के सभी नेताओं द्वारा मेजबान, अर्थात् नेपाल के राष्ट्रपति से संयुक्त भेंट के साथ 30 अगस्त को आरंभ होगा।

दोपहर में बिम्सटेक उद्घाटन का पूर्ण सत्र आयोजित किया जाएगा । इसके बाद बिम्सटेक के वर्तमान अध्यक्ष अर्थात् नेपाल सरकार द्वारा एक रात्रिभोज और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। अगले दिन अर्थात् 31 अगस्त को नेताओं का रिट्रीट होगा । नेता रिट्रीट के प्रारूप में मिलेंगे और दोपहर में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन का समापन सत्र होगा।

एक क्षेत्रीय समूह के रूप में, बिम्सटेक का महत्व आर्थिक और रणनीतिक दोनों अर्थों में बढ़ रहा है। यह 1.6 अरब लोगों का घर है, इसलिए दुनिया की लगभग 22% आबादी इसमें शामिल है। इसका कुल सकल घरेलू उत्पाद 2.8 ट्रिलियन डॉलर है। यह अपने लोगों की शांति, समृद्धि और विकास की एक साझा प्रतिबद्धता के साथ समान विचारधारा के देशों को एकजुट करता है। यह साझा विरासत, साझा मूल्यों और जीवन के साझा तरीकों के साथ साझा भविष्य बनाने का एक प्राकृतिक मंच है।

इस विशेष समूह की ताकत प्रतिकूलताओं के लिए सामूहिक रूप से प्रतिक्रिया करने और अपनी क्षमताओं को साझा करने में है। चौथा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन, गोवा शिखर सम्मेलन के बाद से हुई प्रगति पर आधारित होगा और क्षेत्रीय सहयोग और क्षेत्रीय एकीकरण के बिम्सटेक एजेंडा को आगे बढ़ाएगा।

बिम्सटेक के संस्थापक सदस्य के रूप में, भारत बिम्सटेक के भीतर सहयोग को गहन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और हम बिम्सटेक को शाब्दिक अर्थों में समुद्र के प्रवेश द्वार के साथ-साथ भूटान और नेपाल जैसे भूमि से घिरे सदस्य देशों की सामुद्रिक अभिगम्यता के रूप में देखते हैं।

भारत के लिए बिम्सटेक हमारा पड़ोस पहले और एक्ट ईस्ट की विदेश नीति की प्राथमिकताओं को पूरा करने का एक स्वाभाविक विकल्प है। बिम्सटेक के अंतर्गत क्षेत्रीय सहयोग दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के बीच एक पुल बना कर भारत के उत्तर पूर्वी राज्यों के विकास को भी बढ़ा रहा है।

यह हिमालय की अनूठी पारिस्थितिकी को बंगाल की खाड़ी से जोड़ता है। एक वर्ष पहले हमारी विदेश मंत्री ने पिछले वर्ष अगस्त में, काठमांडू में आयोजित 15वीं बिम्सटेक विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया था। इस बैठक में गोवा में हमारे नेताओं द्वारा अपनाए गए कार्रवाई के एजेंडे के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा की गई और प्रगति का आकलन किया गया जिसमें सहयोग के क्षेत्रों को चिह्नित किया गया और एक विस्तृत संयुक्त वक्तव्य जारी किया गया।

पिछले दो वर्षों में, पिछले वर्ष हमने बहुत शानदार तरीके से बिम्सटेक की स्थापना की 20वीं वर्षगांठ मनाई थी। हमने पूरे भारत में कार्यक्रम आयोजित किए थे, जिनमें गुवाहाटी में एक व्यापारिक कार्यक्रम, कोलकाता में एक कक्ष समारोह, पांडिचेरी में अस्पतालों का नेटवर्क, नई दिल्ली में बोधिपर्व आदि शामिल थे। हमने उस गति को बनाए रखा और निश्चित रूप से हमने प्रमुख क्षेत्रों में बिम्सटेक के भीतर सहयोग को मजबूत करने के लिए कई अन्य पहलें आरंभ की हैं।

उदाहरण के लिए, भारत में पिछले वर्ष बिम्सटेक राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की पहली बैठक आयोजित की गई थी। पहला आपदा प्रबंधन अभ्यास भारत में आयोजित किया गया था। टूर ऑपरेटरों के नेटवर्क की पहली बैठक और पारंपरिक दवाओं पर पहला कार्य बल भी आयोजित किया गया था। हमने इस क्षेत्र में दस अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों में बिम्सटेक टेली-मेडिसिन नेटवर्क का शुभारंभ किया, जिसका मैंने पहले भी उल्लेख किया था।

नोएडा में, मौसम और जलवायु के लिए बिम्सटेक केंद्र स्थापित किया गया और इस विशेष केंद्र के शासी बोर्ड की पहली बैठक पिछले महीने जुलाई में आयोजित हुई थी। भारत ने सीमा शुल्क सहयोग, तटीय नौवहन और मोटर वाहन के समझौते जैसे महत्वपूर्ण समझौतों पर बात करने के लिए बैठक की मेजबानी में अग्रणी भूमिका निभाई। इन सभी पहलुओं से काफी प्रोत्साहन मिला है।

शिखर सम्मेलन की तैयारी में, 28 अगस्त को वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक आयोजित की जाएगी और विदेश मंत्री एसओएम नेताओं के फैसलों की समीक्षा करेंगे जिन्हें बाद में शिखर सम्मेलन के दौरान विचार के लिए राष्ट्रों और सरकारों के प्रमुखों के समक्ष रखा जाएगा। एक घोषणा है जिस पर चर्चा जारी है।

ऐसे अन्य दस्तावेज भी हैं जिनपर अभी वार्ता चल रही है। मुझे पता नहीं है कि उनमें से कितने हस्ताक्षर करने के लिए तैयार होंगे, लेकिन निश्चित रूप से हम एक घोषणा की उम्मीद कर रहे हैं, जो अंत में जारी की जाएगी और बिम्सटेक को पिछले 21 वर्षों में समूह द्वारा किए गए काम पर क्षेत्रीय समूह के रूप में और अधिक जुड़ने और निर्माण करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेगी। मैं अपनी बात यहाँ समाप्त करती हूँ और आपके प्रश्नों का उत्तर देने में मुझे प्रसन्नता होगी।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : धन्यवाद महोदया। अब मैं आपको प्रश्न करने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

प्रश्न : जहाँ तक हमें पता है, सितंबर में किसी समय बिम्सटेक देशों का सैन्य अभ्यास होने जा रहा है। इन सभी देशों के प्रमुख अभ्यास के लिए भारत आने वाले हैं, क्या आप बिम्सटेक के लिए सैन्य अभ्यास पर कुछ बता सकती हैं?

प्रश्न : क्या आप बिम्सटेक सदस्यों के बीच सार्क जैसे एफटीए समझौते की भी आशा कर रही हैं?

प्रश्न : क्या आप हमें सुरक्षा प्रतिमान के बारे में कुछ और विवरण दे सकती हैं जिस पर बिम्सटेक के भीतर चर्चा की जा रही है?

सचिव (पूर्व), श्रीमती प्रीति सरन : इन प्रश्नों के लिए धन्यवाद। पहला सवाल यह था कि सितंबर में बिम्सटेक के भीतर एक सैन्य अभ्यास, त्रि-सेवा अभ्यास होने जा रहा है या नहीं। जैसा मैंने आरंभिक टिप्पणी में उल्लेख किया है, कुछ चर्चाएं हैं कि बिम्सटेक क्षेत्र के देशों ने आपदा प्रबंधन और एचडीआर अभ्यासों पर एक साथ काम किया है। हमने पिछले वर्ष आपदा प्रबंधन में काम करने वाले 135 से अधिक विशेषज्ञों और पेशेवरों की पहली बैठक आयोजित की थी और बिम्सटेक देशों की तरफ से पिछले वर्ष आयोजित की गई उस विशेष सफल बैठक को आगे बढ़ाने में रुचि व्यक्त की गई है। हम मानते हैं कि हम तारीखों और साथ ही इस तरह के अभ्यास की पद्धतियों पर भी काम कर रहे हैं लेकिन इन पर अभी भी काम जारी है। हमें उम्मीद है कि शिखर सम्मेलन तक हम इसे अंतिम रूप देने के करीब पहुँचने में सक्षम हो सकेंगे, उस समय हम इसके बारे में अधिक जानकारी साझा करेंगे।

एफटीए पर, हाँ एक एफटीए है जो सीमा शुल्क सहयोग के साथ-साथ मोटर वाहन समझौते, तटीय समझौते जैसी अन्य व्यापार सुविधा से संबंधित समझौतों पर एक समझौता है, पर यह विचार-विमर्श और वार्ता के अंतर्गत है। इन सभी का उद्देश्य क्षेत्रीय व्यापार को बढ़ावा देना है। इन समझौतों में से कुछ पर बातचीत करने के लिए एक अलग कार्यकारी समूह स्थापित किया गया है। तो चर्चा चल रही है लेकिन अन्य सभी एफटीए की तरह, इनमें समय लगेगा।

सुरक्षा प्रतिमान पर, पिछले वर्ष मार्च में राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की पहली बैठक आयोजित की गई थी। इसके बाद राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की दूसरी बैठक हुई थी और इस वर्ष मार्च में, यह ढाका में आयोजित की गई थी। तो वास्तव में इन दो बैठकों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ज़ाहिर है, कि आतंकवाद का मुकाबला करना सबसे महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि हम सभी देश आतंकवाद से पीड़ित हैं। आप जानते हैं कि गोवा शिखर सम्मेलन में एक बड़ा सूत्रीकरण और चिंता व्यक्त की गई थी, वास्तव में सुरक्षा प्रमुखों ने आतंकवाद का मुकाबला करने की चिंता के कारण बैठक की थी।

सुरक्षा संदर्भ के भीतर चल रही चर्चा में, राष्ट्रीय आपदा, मानव तस्करी, नशीले पदार्थों और मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर क्राइम, कट्टरपंथीकरण का मुकाबला करने सहित पारंपरिक और गैर पारंपरिक खतरों से निपटने के अन्य क्षेत्र शामिल हैं। तो इन मुद्दों पर चर्चा चल रही है। प्रमुखों ने दो बार बैठक की है और सुरक्षा के इन सभी क्षेत्रों को गति और आगे सहयोग मिला है।

प्रश्न : क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बांग्लादेश के साथ विशेष रूप से कोई द्विपक्षीय बैठक होगी, और यदि हाँ, तो ये दोनों चीजें क्या हो सकती हैं जिन पर चर्चा होगी?

प्रश्न : क्या संपर्क, मोटर वाहन और अंतरिक्ष क्षेत्र पर भी कोई चर्चा होगी। कहा जा रहा था कि कुछ उपग्रह संयुक्त रूप से विकसित या लॉन्च किए जाएंगे।

प्रश्न : जैसा आपने कहा, हम बिम्सटेक में आतंकवाद विरोधी तंत्र को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा करेंगे और हम सभी जानते हैं कि इस क्षेत्र में आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान है, तो क्या इन सभी देशों द्वारा आतंकवाद और पाकिस्तान में उनके बुनियादी ढांचे के संबंध में पाकिस्तान पर दबाव डालने का कोई प्रयास होगा?

सचिव (पूर्व), श्रीमती प्रीति सरन : मैं पहले प्रश्न से शुरू करूँगी और बाद में अन्य प्रश्नों का उत्तर दूँगी। क्या द्विपक्षीय बैठकें होगी, हाँ, मैं पुष्टि कर सकती हूँ कि नेपाल के साथ निश्चित रूप से द्विपक्षीय बैठक होगी क्योंकि यह मेजबान देश है, यह हमारे प्रधानमंत्री के लिए परंपरागत है, जब भी वे ऐसे क्षेत्रीय शिखर सम्मेलनों में भाग लेते है, तो यह निश्चित रूप से उनके लिए पड़ोसी देशों के अपने समकक्षों से मिलने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अवसर होता है। लेकिन कार्यक्रम अभी भी तैयार किया जा रहा है। मैं अन्य की पुष्टि करने में सक्षम नहीं हूँ, लेकिन हाँ इसके लिए प्रयास होगा। शिखर सम्मेलन से समय मिलने पर निश्चित रूप से द्विपक्षीय बैठकें होंगी और हमारे आधिकारिक प्रवक्ता आपको उनके बारे में सूचित करेगा।

जहाँ तक संयोजकता से संबंधित मोटर वाहन समझौते हैं, मुझे लगता है कि मैंने पहले भी उल्लेख किया है। संयोजकता बिम्सटेक के भीतर हमारी चर्चाओं का एक बहुत ही महत्वपूर्ण घटक है। जैसा कि मैंने पहले उल्लेख किया था कि दो बंदरगाह विहीन देश हैं और उनके लिए पानी की पहुँच बहुत महत्वपूर्ण है और भारत और अन्य देशों ने, जिनकी बंगाल की खाड़ी तक शाब्दिक अर्थों में पहुँच है, भूमि और जल मार्गों के माध्यम से विभिन्न प्रकार के भौतिक संपर्क सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक रूप से काम किया है।

आप जानते हैं कि कलादान मल्टी-मॉडल प्रोजेक्ट, त्रि-पक्षीय राजमार्ग जैसी परियोजनाएं चल रही हैं जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को सीधे बिम्सटेक देशों से जोड़ती हैं। मोटर वाहन समझौते जैसी सरल संपर्क परियोजनाएं हैं, जिन पर चर्चा चल रही है।

ग्रिड संयोजकता के बारे में एक और चर्चा है, फिर भी, हमने टूर ऑपरेटर नेटवर्क पर काम किया, क्योंकि हम देखते हैं कि हमारी साझी सभ्यता और सांस्कृतिक विरासत के कारण पर्यटन में लोगों के आपसी संपर्क के नेटवर्क के निर्माण की बहुत अधिक संभावनाएं हैं, तो हम यह संपर्क भी बना रहे हैं। इसका एक बड़ा आयाम है और मोटर वाहन समझौते तटीय शिपिंग समझौते के साथ इसका रूप बनता है। ये दोनों महत्वपूर्ण हैं।

अंतरिक्ष क्षेत्र पर, क्या कोई चर्चा है। हाँ, राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों की पिछली बैठक में हुई चर्चाएं चल रही हैं, जिनमें यह विचार आया है। मुझे नहीं लगता कि हम सामूहिक रूप से एक उपग्रह लॉन्च करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग सभी बिम्सटेक देशों के लिए रुचि का क्षेत्र है और हमें इस क्षेत्र में बिम्सटेक देशों के साथ सहयोग करने में बहुत खुशी होगी।

आतंकवाद, हाँ, आतंकवाद का मुकाबला सभी बिम्सटेक देशों के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। मैं गोवा शिखर सम्मेलन में अपनाई गई घोषणा पर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहती हूँ। आतंकवाद का मुकाबला करने पर एक विस्तृत चर्चा हुई। मैं उस से बस एक अंश पढ़ूँगी जहाँ नेताओं ने गोवा में मुलाकात की थी, उन्होंने यह स्वीकार किया था कि "आतंकवाद हमारे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरा बना हुआ है और हम इसके सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद से लड़ने की प्रतिबद्धता को मजबूती से दोहराते हैं और यह भी कि किसी भी आधार पर आतंक के कृत्यों के लिए कोई औचित्य नहीं हो सकता।" नेताओं ने आतंकवाद की निंदा की, उस समय बर्बर आतंकवादी हमले हुए थे और उन्होंने उसकी निंदा की थी और उन्होंने कहा था कि "वे आतंकवादियों, आतंकवादी संगठनों और नेटवर्क को बाधित और खत्म करने, उनकी पहचान करने, उन्हें जवाबदेह रखने की कोशिश करेंगे और आतंकवाद को प्रोत्साहित करने, समर्थन करने और वित्त पोषित करने और आतंकवादियों और आतंकवादी समूहों को आश्रय प्रदान करने और उनके कृत्यों को झूठे तरीके से प्रचारित वाले राष्ट्रो के खिलाफ सख्त उपाय करेंगे।" तब से आतंकवाद राष्ट्रीय सुरक्षा प्रमुखों के साथ-साथ अन्य क्षेत्रीय बैठकों में चर्चाओं का एक महत्वपूर्ण घटक बना रहा है।

प्रश्न : बिम्सटेक देशों के राजदूत ने इस सप्ताह की शुरुआत में फिक्की के साथ एक बैठक की थी और उन्होंने एक राय व्यक्त की कि बिम्सटेक में योजनाओं की गति वास्तव में अच्छी नहीं है और भारत के माध्यम से म्यांमार से थाईलैंड के बीच सड़क पूरी होने में बहुत समय लग रहा है। इस असामान्य देरी के क्या कारण हैं और 21 वर्षों में बिम्सटेक के पास दिखाने के लिए खास उपलब्धि नहीं है।

प्रश्न : आपने आपदा प्रबंधन के बारे में बात की थी। यदि किसी भी बिम्सटेक देशों द्वारा सहायता की पेशकश की जाती है, तो भारत की प्रतिक्रिया क्या होगी?

प्रश्न : बिम्सटेक देशों के दूतावासों के बारे में पिछले प्रश्न से, उन्होंने बिम्सटेक के सहयोग के बहुत से क्षेत्रों के बारे में भी बात की। कुल 14 क्षेत्र हैं और वे वास्तव में महसूस करते हैं कि उन्हें केवल 4 या 5 क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और बाकी पर बाद में काम करना चाहिए। तो, सहयोग के क्षेत्रों की संख्या को कम करने या कम से कम क्षेत्रों को प्राथमिकता देने के बारे में भारत की क्या सोच है, और ये क्षेत्र क्या होंगे?

सचिव (पूर्व), श्रीमती प्रीति सरन : मैं तीन सवालों का जवाब दूँगी। एक निश्चित रूप से तथ्य यह है कि बिम्सटेक में प्रगति धीमी रही है, यह आपका परिप्रेक्ष्य है, लेकिन ग्लास आधा भरा या आधा खाली होने की सोच की तरह कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता है।

हाँ, कुछ मायनों में यह निराशाजनक है कि चीजें धीमी गति से बढ़ रही हैं लेकिन आप इसे अन्य तरीकों से देखें तो मुझे लगता है कि 21 वर्ष मे यह अपने यौवन के शीर्ष पर है, इसलिए गोवा के तुरंत बाद के केवल दो वर्ष के समय में उत्पन्न हुई ऊर्जा और उन क्षेत्रों की संख्या विशेष रूप से उत्साहित करती है। मैंने उल्लेख किया है कि यह आपदा प्रबंधन में सहयोग हो या संयोजकता में, या व्यापार में हो, यह अधिक सकारात्मक है और यह आतंकवाद का मुकाबला कर रहा है। मुझे लगता है कि ये तीन मुख्य क्षेत्र हैं, ऊर्जा सहयोग पाँचवां है, जिसने पहले से ही अपनी गति को तेज किया है ताकि 14 क्षेत्रों के तीसरे प्रश्न के साथ इसे प्रदर्शित किया जा सके। मुझे लगता है कि बिम्सटेक ने पिछले दो सालों में हुई बैठकों के आधार पर अपनी प्राथमिकताओं को विकसित किया है और यह वास्तव में सदस्य राष्ट्रो को निर्धारित करना है। आप इस तथ्य को जानते हैं कि वरिष्ठ अधिकारी 28 को बैठक करेंगे जिसमें वे इस पर विचार करेंगे। वे अपनी सिफारिशें विदेश मंत्रियों को प्रस्तुत करेंगे जो आगे नेताओं से अपनी सिफारिशें करेंगे कि क्या वे कुछ क्षेत्रों को प्राथमिकता देना या उसे कम करना चाहते हैं। हम उनकी सिफारिशों के आने का इंतजार करेंगे। सहायता की पेशकश पर, मुझे लगता है कि कुछ दिन पहले हमारे सरकारी प्रवक्ता ने सवाल का जवाब दिया है, इसलिए हम उसे ही बनाए रखेंगे।

त्रि-पक्षीय राजमार्ग पर, हाँ, यह धीमा रहा है लेकिन इसकी गति बढ़ी है। भारत इन 69 पुलों को बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। अब हम उम्मीद करते हैं कि 2019 तक यह पूरा हो जाना चाहिए। I मुझे लगता है कि इन पुलों के लिए निविदा प्रक्रिया शुरू की गई है। जमीन अधिग्रहण, कठोर इलाके आदि की चुनौतियां बनी हुई हैं, जो परियोजना को बाधित करती है। लेकिन मैं कहूँगी कि हाल के दिनों में तेजी से प्रगति हुई है और हम अगले वर्ष इस परियोजना के पूरी होने की आशा कर रहे हैं।

प्रश्न : आपने मानव तस्करी के बारे में बात की है, आपने देखा होगा कि नेपाल, भूटान या म्यांमार से भारत में विशेष रूप से महिलाओं की उल्लेखनीय मानव तस्करी हुई है, तो क्या हम इस पर भी ध्यान दे रहे हैं?

प्रश्न : जैसा कि हम जानते हैं बिम्सटेक ने हाल के दिनों में भारत के लिए प्रासंगिकता हासिल की है, लेकिन यह केवल चौथा शिखर सम्मेलन है। तो क्या आप इस शिखर सम्मेलन को नियमित बनाने की सोच रहे हैं?

सचिव (पूर्व), श्रीमती प्रीति सरन : आपने मानव तस्करी के बारे में पूछा है। हाँ, निश्चित रूप से यह चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और बिम्सटेक के अंतर्गत इस पर चर्चाएं चल रही हैं। ऐसे अन्य कार्यकारी समूह भी हैं जो इस मुद्दे को संबोधित कर रहे हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है जहाँ हमें सामूहिक रूप से काम करने की आवश्यकता है। विशेष रूप से, इस तथ्य को देखते हुए कि नेपाल और हमारे पड़ोसी देशों के साथ, हमारी एक बहुत ही झरझरी सीमा है। यह भारत सरकार के साथ-साथ अन्य बिम्सटेक देशों के लिए घरेलू रूप से चिंता का एक क्षेत्र है। यह एक मानवीय मुद्दा है और निश्चित रूप से यह चर्चा में है और मुझे लगता है कि इसका एकमात्र समाधान यह है कि इस पर सामूहिक रूप से काम किया जाए, जिसके लिए हम दृढ़ और प्रतिबद्ध हैं।

यह केवल चौथा शिखर सम्मेलन होने के संबंध में है । हाँ, यह एक तथ्य है कि यह केवल चौथा शिखर सम्मेलन है । हम आशा करते हैं कि इसकी आवृत्ति बढ़ेगी। पहला 2004 में आयोजित किया गया था, दूसरा 2008 में, फिर 2014 में और उसके बाद 2016 में हमारा आउटरीच शिखर सम्मेलन था। तो 14, 16, 18 से इसकी आवृत्ति पहले ही बढ़ी है। दो वर्षों के भीतर नेता अधिक बार मिले हैं। बिम्सटेक ने अभी तक अपना खुद का चार्टर भी नहीं बनाया है। संगठनात्मक रूप से बिम्सटेक के सदस्य देश इस पर भी चर्चा कर रहे हैं और इसके नियमों और प्रक्रियाओं को भी मजबूत कर रहे हैं। उन्होंने एक सचिवालय स्थापित किया है जो ढाका में स्थित है। इसके दूसरे महासचिव हैं, पहले महासचिव ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया और एक नये महासचिव आये हैं। स्पष्ट रूप से सचिवालय बिम्सटेक सदस्य देशों को अपने नियमों और प्रक्रियाओं को बनाने और आंतरिक रूप से समेकित करने में सहायता करेगा और मुझे यकीन है कि यह सुनिश्चित करेगा कि सदस्य देश अधिक बार मिलें और मुझे उम्मीद है कि यह एक वार्षिक कार्यक्रम बन जाएगा।

सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : धन्यवाद महोदया। इस वार्ता में आने के लिए आप सभी को धन्यवाद।

(समापन)



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