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यूगांडा की राजकीय यात्रा के दौरान युगांडा की संसद में प्रधानमंत्री का भाषण

जुलाई 25, 2018

महामहिम राष्ट्रपति योवेरीमुसेवेनी,
महामहिम उपराष्ट्रपति
यूगांडा संसद के अध्यक्ष, राइट माननीय रेबेका कडागा,
माननीय मंत्रीगण,
संसद के माननीय सदस्यगण,
महामहिम,
भाइयों और बहनों,


नमस्कार।
बाला मुसीजा।


इस प्रतिष्ठित सदन को संबोधित करने का निमंत्रण पाकर मैं सम्मानित हुआ हूँ। मुझे अन्य संसदों में भी ऐसा सम्मान मिला है। हालांकि, यह विशेष है। भारत के किसी प्रधानमंत्री को यह सम्मान पहली बार प्राप्त हुआ है। यह भारत के 1.25 अरब लोगों के लिए एक विशेष सम्मान है। मैं इस सदन और युगांडा के सभी लोगों के लिए उनकी मित्रता और शुभकामनाएँ लाया हूँ। अध्यक्ष महोदया, आपकी उपस्थिति, मुझे मेरे अपने लोकसभा की याद दिलाती रहा है, वहाँ भी एक महिला अध्यक्ष हैं। मैं यहां संसद में बड़ी संख्या में युवा सदस्यों को एक देख रहा हूँ। यह लोकतंत्र के लिए अच्छी खबर है। हर बार जब मैं युगांडा आता हूँ, मैं इस "अफ्रीका के मोती" से मंत्रमुग्ध हो जाता हूँ। यह विपुल सौंदर्य, अकूत संसाधनों और समृद्ध विरासत की भूमि है। इसकी नदियों और झीलों ने इस विशाल क्षेत्र की सभ्यताओं को पोषित किया है। मैं इतिहास के प्रति सजग हूँ जो हमें इस बिंदु पर लाता है, जहाँ एक सबसे बड़े लोकतंत्र का प्रधानमंत्री दूसरे संप्रभु राष्ट्र की संसद के निर्वाचित सदस्यों से बात कर रहा है। हमारा प्राचीन समुद्री संपर्क, औपनिवेशिक शासन के अंधेरे युग, स्वतंत्रता के लिए साझा संघर्ष, एक विभाजित दुनिया में स्वतंत्र देशों के अनिश्चित मार्ग, नए अवसरों की शुरुआत और हमारी युवा आबादी की आकांक्षाओं की एकता, ये सभी हमें आपस में जोड़ते हैं।

राष्ट्रपति महोदय,

हमारे लोग, युगांडा और भारत को एक साथ जोड़नेवाले कई धागों में से एक धागा हैं। एक शताब्दी पहले, वीरता पूर्ण श्रम ने युगांडा को रेलवे के माध्यम से हिंद महासागर के तट से जोड़ा। आपकी उदार उपस्थिति आज हमारे लोगों के बीच दोस्ती और एकजुटता के बहुमूल्य बंधन की बात करती है। आप अपने देश और क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाए हैं। आपने कई चुनौतियों के बीच इसे विकास और प्रगति के मार्ग पर रखा है। आपने महिलाओं को अधिकार दिया है और अपने देश को अधिक समावेशी बनाया है। आपके दूरदर्शी नेतृत्व ने युगांडा के भारतीय मूल के लोगों को अपने इच्छित घर में लौटने, अपने जीवन को वापस पाने और उस राष्ट्र के पुनर्निर्माण में मदद करने में सक्षम किया है, जिसे वे गहराई से प्यार करते हैं। दीपावली के उत्सव के लिए राज्य सभा को खोल कर, आपने भारत और युगांडा से जुड़े संबंधों के कई पहलुओं को प्रकाशित किया है। इनमें से नील नदी के स्रोत पर जिंजा का स्थल सबसे अधिक पवित्र है, जहां महात्मा गांधी की राख का एक हिस्सा विसर्जित किया गया था। अपने जीवन में और उससे परे, वे अफ्रीका और अफ्रीकी लोगों में से एक हैं। और, जिंजा में पवित्र स्थल पर, जहां अब गांधीजी की प्रतिमा है, हम गांधी विरासत केंद्र का निर्माण करेंगे। जब हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाएंगे, तो अफ्रीका में गांधी की भूमिका को याद दिलाने के लिए इस केंद्र से बेहतर कोई अन्य श्रद्धांजलि नहीं हो सकती, जिससे अफ्रीका को स्वतंत्रता और न्याय के लिए प्रेरित किया जा सके और उनके जीवन और संदेश के सार्वभौमिक और कालातीत मूल्यों याद रखा जा सके।

महानुभावों,

भारत के अपने स्वतंत्रता संग्राम की कहानी भी अफ्रीका से गहराई से जुड़ी है। यह केवल उन 21 सालों की बात नहीं है, जो गांधी जी ने अफ्रीका में बिताये थे, या यहाँ पहले असहयोग आंदोलन का नेतृत्व किया था। भारत के लिए, स्वतंत्रता आंदोलन के नैतिक सिद्धांत, या इसे आगे बढ़ाने के शांतिपूर्ण साधन, केवल भारत की सीमाओं या भारतीयों के भविष्य तक ही सीमित नहीं थे। यह हर इंसान की स्वतंत्रता, गरिमा, समानता और अवसर के लिए एक सार्वभौमिक खोज थी। यह अफ्रीका में सबसे अधिक लागू हुई है। हमारी स्वतंत्रता से बीस साल पहले, हमारे राष्ट्रीय आंदोलन के नेताओं ने, भारत के स्वतंत्रता संग्राम को दुनिया भर में औपनिवेशिक शासन, विशेष रूप से अफ्रीका के खिलाफ लड़ाई से जोड़ा था। यहां तक कि जब भारत आजादी की सीमा पर खड़ा था, तब भी अफ्रीका का भाग्य हमारे दिमाग से बहुत दूर नहीं था। महात्मा गांधी का दृढ़ विश्वास था कि जब तक अफ्रीका बंधक रहेगा तब तक भारत की स्वतंत्रता अधूरी रहेगी। स्वतंत्र भारत अपने शब्दों को नहीं भूला। भारत ने बांडुंग में अफ्रीकी-एशियाई एकजुटता का अनुसरण किया। दक्षिण अफ्रीका में हम नस्लवाद के विरोध में दृढ़ रहे। हमने पूर्व रोडेसिया में अग्रणी और मजबूत स्थान लिये - जिन्हें अब जिम्बाब्वे, गिनी बासाऊ, अंगोला और नामीबिया के नाम से जाना जाता है। गांधीजी के शांतिपूर्ण प्रतिरोध ने नेल्सन मंडेला, डेसमंड तुतु, अल्बर्ट लुथुली, जूलियस न्यरेरे और क्वाम एनक्रुमा जैसे नेताओं को प्रेरित किया। इतिहास भारत और अफ्रीका के प्राचीन ज्ञान और शांतिपूर्ण प्रतिरोध की स्थायी ताकत की सफलता का साक्षी है। अफ्रीका में कुछ सबसे गहरे बदलाव गांधीवादी तरीकों से आये थे। अफ्रीका के मुक्ति आंदोलनों के लिए भारत के सैद्धांतिक समर्थन की कीमत अक्सर हमारे देश के व्यापार से चुकाई गई। पर, अफ्रीका की स्वतंत्रता की तुलना में कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं था।

महामहिम,

पिछले सात दशकों में हमारी आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी को नैतिक सिद्धांतों और भावनात्मक बंधनों के साथ ही आर्थिक आवेग ने भी प्रेरित किया है। हमने बाजारों और संसाधनों के लिए एक निष्पक्ष और न्यायसंगत पहुंच की मांग की। हम वैश्विक व्यापार की नींव के विकास के लिए साथ मिलकर लड़े। और, हमने दक्षिण के देशों के बीच आर्थिक साझेदारी को विविधता देने के लिए काम किया। हमारे डॉक्टर और शिक्षक केवल अपने पेशेवर अवसरों की तलाश करने के लिए ही नहीं बल्कि स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में विकास के एक आम कारण के साथ एकजुट होने के लिए भी अफ्रीका गए। राष्ट्रपति मुसेवेनी ने 2015 में दिल्ली में आयोजित तीसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में कहा था और मैं उनकी बात को उद्धृत कर रहा हूँ - "हमने औपनिवेशिक शासन के खिलाफ एक साथ लड़ाई की। आइए पारस्परिक समृद्धि के लिए हम साथ मिलकर लड़ें।"

महामहिम,

आज, भारत और अफ्रीका: आत्मविश्वासी, सुरक्षित, युवा, अभिनव और गतिशील लोगों के रूप में महान संभावनाओं से युक्त भविष्य की सीमा पर खड़े हैं। युगांडा इस कदम के लिए अफ्रीका का एक उदाहरण है। यह बढ़ती लिंग समानता, बढ़ते शैक्षिक और स्वास्थ्य मानक, और बुनियादी ढांचे और संपर्क का विस्तार का साक्षी है। यह बढ़ते व्यापार और निवेश के साथ उभरता क्षेत्र है। हम नवाचार में वृद्धि देख रहे हैं। हम भारतीय दोस्ती की गहरे बंधन के कारण हर अफ्रीकी सफलता पर खुश हैं।

महामहिम,

भारत को अफ्रीका का साथी होने पर गर्व है। और, युगांडा इस महाद्वीप के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का केंद्र है। कल, मैंने युगांडा के लिए दो ऋण श्रृंखलाओं की घोषणा की। बिजली की लाइनों के लिए 1410 लाख अमेरिकी डॉलर की पहली ऋण श्रृंखला। और कृषि और डेयरी उत्पादन के लिए 640 लाख अमेरिकी डॉलर की दूसरी ऋण श्रृंखला। हम अतीत की तरह ही - कृषि और स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे और ऊर्जा, सरकार में क्षमता निर्माण और रक्षा में प्रशिक्षण आदि क्षेत्रों में युगांडा के लोगों की आकांक्षाओं का समर्थन करना जारी रखेंगे। मैं अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन में शामिल होने का फैसला करने के लिए राष्ट्रपति मुसेवेनी और इस सदन की तारीफ करता हूँ।

महामहिम,

हमने युगांडा के साथ ही अफ्रीका में अपनी साझेदारी और सम्बद्धता को विशाल स्तर पर गहरा किया है। पिछले चार वर्षों में, हमारे राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और मैंने सामूहिक रूप से अफ्रीका में कम से कम 25 देशों का दौरा किया है। हमारे मंत्रियों ने लगभग सभी अफ्रीकी राष्ट्रों की यात्रा की है। अक्टूबर 2015 में तीसरे अफ्रीकी-भारत मंच शिखर सम्मेलन में – हमें 54 के 40 से अधिक राष्ट्र और सरकारों के प्रमुखों की मेजबानी करने का अवसर मिला। अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के उद्घाटन शिखर सम्मेलन में हमें कई अफ्रीकी नेताओं की मेजबानी करने का भी सौभाग्य मिला। इनके अलावा, पिछले चार वर्षों में अफ्रीका के 32 राष्ट्र या सरकार प्रमुखों ने भारत का दौरा किया है। मेरे गृह राज्य गुजरात को पिछले साल भारत में अफ्रीकी विकास बैंक की पहली बैठक की मेजबानी करने पर गर्व है। और हम अफ्रीका में 18 नए दूतावास भी खोल रहे हैं।

महामहिम,

वर्तमान समय में हमारी विकास साझेदारी में 40 से अधिक अफ्रीकी देशों में 11 अरब अमेरिकी डॉलर की 180 ऋण श्रृंखलाओं के कार्यान्वयन शामिल हैं। पिछले भारत अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में, हमने अनुदान सहायता में 10 अरब अमेरिकी डॉलर और 600 मिलियन डॉलर की रियायती ऋण श्रृंखला की प्रतिबद्धता की थी। हर साल, 8000 से अधिक अफ्रीकी युवाओं को विभिन्न कार्यक्रमों में प्रशिक्षित किया जाता है। हमेशा की तरह, हमारे प्रयास आपकी प्राथमिकताओं से प्रेरित होंगे। भारतीय कंपनियों ने अफ्रीका में 54 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश किया है। अफ्रीका के साथ हमारा 62 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का व्यापार है। यह पिछले वर्ष की तुलना में 21 प्रतिशत अधिक है। भारत में अफ्रीका के निर्यात बढ़ रहे हैं। और, हमारे आर्थिक संबंध अब डिजिटल अर्थव्यवस्था में नवाचार की नई साझेदारी से तेजी से प्रेरित हैं। पैन अफ्रीका ई-नेटवर्क 48 अफ्रीकी देशों को आपस में एक दूसरे से और साथ ही भारत से जोड़ता है। यह अफ्रीका में डिजिटल नवाचार का नया मेरुदंड बन सकता है। कई तटीय राष्ट्रों के साथ, हमारी भागीदारी अब तेजी से नीली अर्थव्यवस्था के लाभों का स्थायी तरीके से उपयोग करने की कोशिश कर रही है। और, भारत की दवाओं ने उन बीमारियों को कम किया है जो कभी अफ्रीका के भविष्य के लिए खतरा थीं। वे बहुत लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल को सस्ता और सुलभ बनाती हैं।

महामहिम,

हम समृद्धि के लिए मिलकर काम करते हैं, हम शांति के लिए एकजुट होकर खड़े हैं। भारतीय सैनिकों ने नीले हेल्मेट में सेवा की है ताकि अफ्रीका के बच्चे शांति पूर्ण भविष्य देख सकें।1960 में कांगो में हमारे पहले मिशन के बाद, हमें भारतीय शांति रक्षकों के अफ्रीका में एक दर्जन से अधिक संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में काम करने पर गर्व है। दुनिया में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में 163 भारतीयों ने अपना जीवन बलिदान दिया है। यह किसी भी देश के लिए जीवन देने वालों की सबसे अधिक संख्याओं में से एक है। इन शहीदों में से लगभग 70 प्रतिशत ने अफ्रीका में मौत का गले लगाया। आज, 6,000 से अधिक भारतीय अफ्रीका में पांच शांति कार्य संचालनों में काम कर रहे हैं। भारतीय महिलाओं ने लाइबेरिया में संयुक्त राष्ट्र की पहली महिला महिला इकाई होने का ऐतिहासिक गौरव स्थापित किया। अफ्रीका के देशों के साथ हमारा बचाव और सुरक्षा सहयोग बढ़ रहा है, क्योंकि हम आतंकवाद और समुद्री डाकुओं का सामना करने के लिए मिलकर काम करते हैं और अपने समुद्रों को सुरक्षित रखते हैं।

महामहिम,

अफ्रीका के साथ भारत की भागीदारी को 10 सिद्धांतों द्वारा निर्देशित किया जाएगा।

एक, अफ्रीका हमारी प्राथमिकताओं के शीर्ष पर होगा। हम अफ्रीका के साथ अपनी भागीदारी को तेज और गहन बनाए रखेंगे। जैसा कि हमने अब तक दर्शाया है, यह निरंतर और नियमित रहेगा।

दो, हमारी विकास साझेदारी आपकी प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित की होगी। यह उन शर्तों पर होगी जो आपके लिए सुविधाजनक हों, जो आपकी क्षमता को मुक्त करें और आपके भविष्य को बाधित नहीं करेंगी। हम अफ्रीकी प्रतिभा और कौशल पर भरोसा करेंगे। हम जितना अधिक संभव हो सके स्थानीय क्षमता का निर्माण करेंगे और स्थानीय अवसर बनाएंगे।

तीन, हम अपने बाजारों को खुला रखेंगे और भारत के साथ व्यापार करना आसान और अधिक आकर्षक बना देंगे। हम अफ्रीका में निवेश करने के लिए अपने उद्योग का समर्थन करेंगे।

चार, हम अफ्रीका के विकास का समर्थन करने के लिए डिजिटल क्रांति के भारत के अनुभव का उपयोग करेंगे, सार्वजनिक सेवाओं के वितरण में सुधार, शिक्षा और स्वास्थ्य का विस्तार, डिजिटल साक्षरता फैलाना, वित्तीय समावेश का विस्तार करें, और हाशिए के लोगों को मुख्यधारा में लाएंगे।

हमारी साझेदारी केवल संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए नहीं होगी, बल्कि यह अफ्रीका के युवाओं को डिजिटल युग में अपना स्थान बनाने के लिए भी तैयार करेगी।

पांच, दुनिया की कृषि भूमि का 60 प्रतिशत हिस्सा अफ्रीका में है, लेकिन यह वैश्विक उत्पादन का मात्र 10 प्रतिशत उत्पादन करता है। अफ्रीका की कृषि में सुधार के लिए हम आपके साथ काम करेंगे।

छह, हमारी साझेदारी जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का समाधान करेगी। हम अंतर्राष्ट्रीय जलवायु व्यवस्था को सुनिश्चित करने, हमारी जैव विविधता को संरक्षित करने के लिए और स्वच्छ और कुशल ऊर्जा स्रोतों को अपनाने के लिए अफ्रीका के साथ काम करेंगे।

सात, हम आतंकवाद और कट्टतवाद का मुकाबला करने में अपने सहयोग और पारस्परिक क्षमताओं को मजबूत करेंगे, हमारे साइबर स्पेस को सुरक्षित और संरक्षित रखते हुए, शांति को आगे बढ़ाने और बनाए रखने में संयुक्त राष्ट्र का समर्थन करेंगे।

आठ, हम सभी राष्ट्रों के लाभ के लिए महासागरों को खुला और मुक्त रखने के लिए अफ्रीकी राष्ट्रों के साथ काम करेंगे। विश्व को अफ्रीका और पूर्वी हिंद महासागर के पूर्वी तटों पर सहयोग की जरूरत है प्रतिस्पर्धा की नहीं। यही कारण है कि हिंद महासागर सुरक्षा के प्रति भारत का दृष्टिकोण सहकारी और समावेशी है, जो इस क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास में निहित है।

नौ, और, यह मेरे लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है: अफ्रीका में जैसे-जैसे वैश्विक जुड़ाव बढ़ता है, हम सभी को यह सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए कि अफ्रीका एक बार फिर प्रतिद्वंद्वी महत्वाकांक्षाओं के रंगमंच पर न आकर अफ्रीका के युवाओं की आकांक्षाओं का पोषण करने का स्थान बने।

दस, भारत और अफ्रीका ने जिस प्रकार औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध एकजुट होकर लड़ाई की है, उसी तरह हम एक समान, प्रतिनिधित्व पूर्ण और लोकतांत्रिक वैश्विक व्यवस्था के लिए मिलकर काम करेंगे, जिसमें अफ्रीका और भारत में रहने वाले मानवता की एक-तिहाई मानवता की एक आवाज और भूमिका होगी। वैश्विक संस्थानों में सुधारों के लिए भारत की खोज अफ्रीका के लिए समान जगह के बिना अपूर्ण है। यह हमारी विदेश नीति का एक प्रमुख उद्देश्य होगा।

महामहिम,

यदि इसे उन राष्ट्रों की शताब्दी बनना है, तो स्वतंत्रता और समानता में साथ बढ़ रहे हैं, अगर इसे एक ऐसा युग होना चाहिए जब अवसरों का प्रकास सभी मनुष्यों को प्राप्त होता है, अगर इसे ऐसा समय बनना है जब हमारे ग्रह के पास एक आशावादी भविष्य हो, तो अफ्रीका के इस शानदार महाद्वीप के बाकी हिस्सों को साथ कदम बढ़ाना चाहिए। भारत आपके साथ और आपके लिए काम करेगा। हमारी साझेदारी अफ्रीका में सशक्तिकरण के साधनों का निर्माण करेगी। हम आपके प्रयासों में, पारदर्शिता, सम्मान के साथ और समानता के सिद्धांत पर एकजुट होकर खड़े रहेंगे। हम आपके लिए और आपके साथ बात करेंगे। भारत के दो तिहाई और अफ्रीका के दो तिहाई लोग 35 साल से कम उम्र के हैं। और, यदि भविष्य युवाओं से संबंधित है, तो यह शताब्दी हमें आकार देने और निर्माण करने के लिए है। और, हमें युगांडा द्वारा- "अनयजीजाहिदीहुफादी" कह कर निर्देशित किया जाना चाहिए, जिसका अर्थ है "जो अतिरिक्त प्रयास करेगा वह लाभान्वित होगा"। भारत ने अफ्रीका के लिए अतिरिक्त प्रयास किया है। और अफ्रीका के लाभ के लिए हमेशा ऐसा करेगा।

धन्यवाद। आपका बहुत बहुत धन्यवाद।

असांते साना



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