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जी-20 शिखर सम्‍मेलन से वापस आते समय विमान में प्रधान मंत्री की मीडिया से बातचीत

जून 28, 2010

प्रश्‍न: जी-20 शिखर सम्‍मेलन से आपकी क्‍या अपेक्षाएं हैं, खासकर तब जब इसे कम समृद्ध देशों के विरुद्ध समृद्ध देशों का मंच माना जाता है। क्‍या आप द्विपक्षीय वार्ताओं से संतुष्‍ट हैं?

उत्‍तर: जी-20 की यह बैठक कतिपय मायनों में नवंबर में सियोल में आयोजित होने वाली शिखर बैठक की तैयारी भी थी। मैं समझता हूँ कि इस सम्‍मेलन से सियोल में आयोजित होने वाले आगामी शिखर सम्‍मेलन के लिए कार्यसूची और कार्रवाई की मदों को निर्धारित करने में मदद मिली है। जहां तक यूरो जोन की स्‍थिति और यूरोप में बैंकिंग प्रणाली की स्‍थिति के संबंध में हमारी तात्‍कालिक चिन्‍ता का संबंध है,

इस बात पर सहमति व्‍यक्‍त की गई कि पिछले वर्ष जो प्रगति हुई, वह अभी भी पर्याप्‍त नहीं है। अभी भी हमें राजकोषीय मजबूती के लिए ठोस प्रयास करने की आवश्‍यकता है। सभी देशों के लिए समान नीति उपयोगी नहीं हो सकती। जो राष्‍ट्र राजकोषीय मजबूती से संबंधित प्रयासों को आगे बढ़ाना चाहते हैं उन्‍हें विकास को भी बढ़ावा देने के लिए साथ-साथ प्रयास करने होंगे। मेरा मानना है कि जो यूरोपीय देश राजकोषीय मजबूती के लक्ष्‍यों के साथ आगे आए हैं,

उन्‍हें भी इस संबंध में यथोचित सावधानी के साथ अपनी कार्रवाइयां करनी होंगी। इस प्रकार इस शिखर सम्‍मेलन ने राजकोषीय मजबूती के क्षेत्र और इसके क्रियान्‍वयन के तौर तरीकों पर स्‍पष्‍ट दृष्‍टिकोण व्‍यक्‍त किया है। जहां तक भारत का संबंध है, हमारी बैंकिंग प्रणाली अभी भी सुव्‍यवस्‍थित है और हमारी अर्थव्‍यवस्‍था में प्रति वर्ष 8.5 प्रतिशत की दर से विकास हो रहा है। हमारी राजकोषीय स्‍थिति हमारे लिए चिन्‍ता का एक विषय अवश्‍य है परन्‍तु जब हम अपने राजकोषीय घाटे अथवा सकल घरेलू उत्‍पाद ऋण अनुपात की तुलना प्रमुख विकसित देशों के राजकोषीय घाटे अथवा सकल घरेलू उत्‍पाद ऋण अनुपात से करते हैं, तो हमें लगता है कि हमारी स्‍थिति बेहतर है।

प्रश्‍न: आपने जब कनाडा की संसद के सिख सदस्‍यों के साथ मुलाकात की तो क्‍या उन्‍होंने 1984 के दंगों में हुए नरसंहार की बात भी उठाई?

उत्‍तर: जी हां। मैंने भारतीय मूल के सांसदों से मुलाकात की। मैंने उन्‍हें शुभकामनाएं दीं और मैंने भारतीय समुदाय के लोगों की उपलब्‍धियों और कनाडा के सार्वजनिक जीवन तथा कनाडा की अर्थव्‍यवस्‍था और सेवा क्षेत्र में उन्‍होंने अपने लिए जो स्‍थान बनाया है उसके लिए भी मैंने उन्‍हें बधाई दी। अत: मैंने अपनी ओर से उन्‍हें यह बताने का प्रयास किया कि भारत को उनकी उपलब्‍धियों पर गर्व है और यहां भारतीय समुदाय को एक बने रहना चाहिए।

हमारे उप महाद्वीप की विभाजक राजनीति से यहां के सामंजस्‍य में व्‍यवधान उत्‍पन्‍न नहीं होना चाहिए क्‍योंकि इस प्रकार का सामंजस्‍य और मेल-मिलाप भारतीय समुदाय के लोगों द्वारा कनाडाई ढांचे में आवश्‍यक भागीदारी सुनिश्‍चित करने के लिए आवश्‍यक है।

प्रश्‍न: क्‍या ईंधन के मूल्‍य को विनियंत्रित करने का अर्थ यह माना जाए कि आप कठोर सुधारों के लिए तैयार हैं। क्‍या विनियंत्रण की प्रक्रिया हमे आगे भी देखने को मिलेगी।

उत्‍तर: मैं यह नहीं बता सकता कि हम आगे क्‍या करने जा रहे हैं। जब सरकारी प्रणाली में किसी निर्णय को अंतिम रूप दे दिया जाता है तभी इसके संबंध में जानकारी दी जाती है। पेट्रोलियम के मूल्‍य और पेट्रोल के मूल्‍य को स्‍वतंत्र बनाए जाने के संबंध में मैं बताना चाहूंगा कि डीजल के मूल्‍यों के संबंध में भी यही किया जाने वाला है। यह एक आवश्‍यक सुधार है। मिट्टी के तेल और एलपीजी के मूल्‍य में जो समायोजन किया गया है वह भी आवश्‍यक था क्‍योंकि मिट्टी के तेल और एलपीजी पर सब्‍सिडी की मात्रा बहुत अधिक थी। हमने यह सुनिश्‍चित करने के लिए आवश्‍यक सावधानी बरती है कि इस निर्णय का गरीबों पर कम से कम प्रभाव पड़े और इसलिए हमने मिट्टी के तेल ओर एलपीजी के मूल्‍य को विनियमों कें अंदर रखने का प्रयास किया है।

प्रश्‍न: क्‍या तेल के मूल्‍य में वृद्धि करने का निर्णय किसी दबाव में लिया गया?

उत्तर: भारत सरकार पर किसी ओर से किसी तरह का दबाव नहीं था। हमें अपने देश के लिए अच्‍छा कार्य करना है। पेट्रोलियम उत्‍पादों पर दी जाने वाली सब्‍सिडी ऐसे स्‍तर पर पहुंच गई है, जो हमारी अर्थव्‍यवस्‍था के ठोस वित्‍तीय प्रबंधन के हित में नहीं है। अत: इस बात को ध्‍यान में रखते हुए ही आम आदमी पर थोड़ा बोझ डालने का निर्णय लिया गया। मेरा मानना है कि इतना बोझ सहा जा सकता है।

प्रश्‍न: इस बार जारी जी-20 विज्ञप्‍ति में क्‍या ऐसी ऐसी स्‍थिति का उल्‍लेख है जिसके तहत किसी राष्‍ट्र को अपनी आर्थिक नीति के विरुद्ध जाने के लिए बाध्‍य किया गया है?

उत्‍तर: हम संप्रभु राष्‍ट्रों के मुद्दों का ही समाधान करने का प्रयास करते हैं। मैं समझता हूँ कि आज के उत्‍तरोत्‍तर एक हो रहे विश्‍व में आज सूक्ष्‍म नीति समन्‍वय की पहले से कहीं अधिक आवश्‍यकता है। कुछ लोगों ने बृहत आर्थिक समन्‍वय अर्थात वित्‍तीय प्रणाली के समन्‍वय और राजकोषीय मजबूती से जुड़े मुद्दे को भी उठाया है और कहा है कि ये कार्य इस प्रकार से किए जाएं कि इनसे विकास को बढ़ावा मिले।

अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष ने देशों की कुछ ऐसी श्रेणियों का निर्धारण किया है जिनमें बृहत आर्थिक समन्‍वय से संबंधित समस्‍याओं का समाधान करने के लिए समान दृष्‍टिकोण अपनाया जाता है। परन्‍तु इस प्रक्रिया का अभी आकलन करना जल्‍दबाजी होगी। अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्राकोष सभी 20 देशों के संबंध में अपने वित्‍तीय आकलन और वित्‍तीय अनिवार्यताओं का प्रकाशन करने वाला है और मैं समझता हूँ कि उसी समय इस संबंध में निर्णय लिया जा सकेगा कि कोई देश उत्‍तरोत्‍तर अंतर्निर्भर हो रहे इस विश्‍व को प्रबंधित करने की आवश्‍यकता के संबंध में अपनी संप्रभुता से किस सीमा तक समझौता कर सकता है।

प्रश्‍न: आप पाकिस्‍तान के साथ शांति स्‍थापना के लिए अथक प्रयास करते रहे हैं। आपने राष्‍ट्रपति ओबामा से भी इस बात पर चर्चा की। यदि भारत के विरुद्ध पाकिस्‍तान से 26/11 तरह का ही कोई अन्‍य हमला किया जाता है, तो आपकी क्‍या प्रतिक्रिया होगी?

उत्‍तर: इस सप्‍ताह के आरंभ में हमारे गृह मंत्री पाकिस्‍तान में थे। उन्‍होंने जो कहा, उसे आपने पढ़ा भी होगा। मुझे लगता है कि कुछ आशा बनी है। जैसा कि मैंने पहले भी कहा है, पाकिस्‍तान के साथ कार्यकलाप करने में हमारा नजरिया आस्‍था और विश्‍वास का होता है। परन्‍तु हम उसे सत्‍यापित अवश्‍य करते हैं। इसलिए समय ही बताएगा कि ऊंट किस करवट बैठता है।

प्रश्‍न: टोबिन कर के संबंध में आपका क्‍या नजरिया है?

उत्‍तर: वर्तमान में कारपोरेट शासन पर काफी चर्चा की जा रही है। मैं समझता हूँ अब अच्‍छे कारपोरेट घराने इस बात पर भी विचार कर रहे हैं कि वे पारम्‍परिक तरीकों से हटते हुए किस प्रकार अपने कर्मचारियों को सामाजिक सेवाएं, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य सुविधाएं इत्‍यादि उपलब्‍ध करा सकते हैं। मैं समझता हूँ कि यह कारपोरेट जगत का दायित्‍व है और यह दायित्‍व उन्‍हें ही निभाना चाहिए। हम इस क्षेत्र में कोई विधान बनाने का विचार नहीं कर रहे हैं।

विशेष परिस्‍थितियों में टोबिन कर अच्‍छा है परन्‍तु जहां तक भारत का संबंध है। अभी हम ऐसे दौर में नहीं पहुंच पाए हैं जिसमें पूंजी का प्रवाह एक समस्‍या बन गई हो। मैं समझता हूं कि प्रत्‍यक्ष निवेश के जरिए तथा पोर्टफोलियो निवेश के आधार पर ही हमारे देश में पूंजी के प्रवाह में सामान्‍य वृद्धि हुई है। इसलिए हमारे समक्ष ऐसी कोई समस्‍या नहीं है कि टोबिन टैक्‍स लगाने की जरूरत पड़े।

प्रश्‍न: ब्रिक के प्रस्‍तावित विस्‍तार पर आपका क्‍या विचार है? मेरा दूसरा प्रश्‍न यह है कि अब जी-8 की क्‍या प्रासंगिकता रह गई है जब जी-20 ने आर्थिक कार्यकलापों के लिये सर्वप्रमुख मंच का रूप ले लिया है।

उत्‍तर: जहां तक ब्रिक का संबंध है, हम इस समूह के सदस्‍य हैं। हम चाहेंगे कि ब्रिक के सदस्‍य देश ऐसे सभी मुद्दों पर एक दूसरे के साथ विचार-विमर्श करें जिनका वैश्‍विक आर्थिक प्रबंधन पर प्रभाव पड़ता हो। जहां तक इसकी सदस्‍यता में विस्‍तार किए जाने का प्रश्‍न है, इस पर स्‍वयं सदस्‍य देशों द्वारा ही चर्चा की जाएगी। मेरे लिए इस संबंध में सार्वजनिक स्‍तर पर टिप्‍पणी करना उपयुक्‍त नहीं होगा।

जहां तक जी-8 का संबंध है, मैं समझता हूँ कि इस संबंध में जी-8 को ही निर्णय लेना है। जहां तक जी-20 का संबंध है, इस बात पर सहमति हो चुकी है कि यही मंच अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर चर्चा का सर्वप्रमुख मंच होगा।

इस संबंध में मैंने कनाडा के प्रधान मंत्री से बात भी की थी और उन्‍होंने कहा कि अब से जी-8 को शायद सुरक्षा से जुड़े मुद्दो पर पहले की अपेक्षा अधिक ध्‍यान देने का अवसर मिलेगा।

प्रश्‍न: राष्‍ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा से संबंधित क्‍या योजनाएं हैं?

उत्‍तर: अमरीका के साथ हमारे बहुत अच्‍छे संबंध हैं। राष्‍ट्रपति ओबामा के साथ अच्‍छी चर्चा हुई है और उनकी यात्रा की तैयारियां की जा रही हैं। हमारे पास वास्‍तव में एक महत्‍वाकांक्षी कार्यसूची है। जुलाई के दूसरे हफ्ते में अमरीका के राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भारत आएंगे।

वे हमारे राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से मुलाकात करेंगे और राष्‍ट्रपति ओबामा की यात्रा की कार्यसूची निर्धारित करेंगे। हम राष्‍ट्रपति ओबामा की इस यात्रा को अत्‍यंत सफल बनाना चाहते हैं और राष्‍ट्रपति जी भी यही चाहते हैं।

प्रश्‍न: भारत में तेल की कीमतों में वृद्धि का लगातार विरोध हो रहा है और यहां तक कि आपके गठबंधन के सहभागी भी इस पर चिन्‍तित हैं। इस मुद्दे पर आपका क्‍या विचार है?

उत्‍तर: मैं प्रेस में विपक्ष की मंशाओं के बारे में पढ़ता हूँ। मैंने स्‍वयं किसी के साथ बात नहीं की है और न ही हमारी राजनैतिक संस्‍थापना द्वारा इस संबंध में हमें जानकारी दी गई है।

मैं समझता हूँ कि पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्‍य में समायोजन किए जाने के पीछे जो मजबूरी है, उसे भारत की जनता समझेगी। हमारी जनता बहुत समझदार है और जानती है कि लोक-लुभावन कार्रवाइयों से राष्‍ट्र निर्माण की प्रगति में बाधा आती है। इसके लिए अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर हमारी सराहना की जाती है।

प्रश्‍न: राष्‍ट्रपति ओबामा के साथ अपनी बातचीत में क्‍या आपने चीन द्वारा पाकिस्‍तान को परमाणु रिएक्‍टरों की आपूर्ति किए जाने से संबंधित मुद्दे को उठाया? क्‍या मानसून सत्र के दौरान मंत्रिमंडल का विस्‍तार किया जाएगा?

उत्‍तर: राष्‍ट्रपति ओबामा के साथ चर्चा से संबंधित आपके पहले प्रश्‍न के उत्‍तर में मैं बताना चाहूंगा कि इस चर्चा का मुख्‍य उद्देश्‍य नवंबर माह में राष्‍ट्रपति ओबामा की भारत यात्रा के लिए कार्यसूची का निर्धारण करना ही था। इसलिए मुझे आपके द्वारा उठाए गए मुद्दे पर बात करने का समय नहीं मिला।

जहां तक मानसून सत्र और मंत्रिमंडल में फेर-बदल का संबंध है। मैं समझता हूँ कि इस संबंध में घोषणा करने के लिए यह प्रेस सम्‍मेलन उपयुक्‍त स्‍थान नहीं हो सकता। जब फेर-बदल होगा तो, आपको जानकारी दी जाएगी।

प्रश्‍न: औद्योगिक त्रासदियों,

जिनका जलवायु पर अत्‍यंत प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, ने अमरीका में भारी नुकसान पहुंचाया। क्‍या आपने वारेन एंडरसन से जुड़े प्रत्‍यर्पण से जुड़े मुद्दे को अमरीकी पक्ष के साथ उठाया?

उत्‍तर: अभी भी हमारा दृष्‍टिकोण वही है। हम यह सुनिश्‍चित करने का प्रयास करेंगे कि अमरीकी सरकार प्रत्‍यर्पण के संबंध में रचनात्‍मक रुख का प्रदर्शन करेगी। परन्‍तु हमने अभी उनसे सम्‍पर्क नहीं किया है। राष्‍ट्रपति ओबामा के साथ चर्चाओं में हमने इस मुद्दे को नहीं उठाया। इससे संबंधित चर्चाओं में इस मुद्दे को उठाया जाएगा।

प्रश्‍न: क्‍या भोपाल गैस त्रासदी में सरकार, राजनैतिक संस्‍थापना और न्‍यायपालिका इत्‍यादि सभी की सामूहिक असफलता नहीं रही है?

उत्‍तर: हम जो करने का प्रस्‍ताव करते हैं उसे मंत्रिसमूह ने बिल्‍कुल स्‍पष्‍ट कर दिया है और मंत्रिसमूह की रिपोर्ट को कैबिनेट ने भी अपनी मंजूरी दे दी है। यह सही है कि हमारी न्‍यायिक प्रक्रियाओं में काफी समय लगता है। भोपाल गैस त्रासदी मामले में 25 वर्ष का समय लग गया जिससे पता चलता है कि हमें अपनी न्‍यायिक प्रणाली की कमियों के संबंध में विचार-विमर्श करने की आवश्‍यकता है।

प्रश्‍न: क्‍या आपको नहीं लगता कि एंडरसन को जाने देने की जिम्‍मेदारी पर कांग्रेस की संस्‍थापना को स्‍पष्‍टीकरण देना चाहिए? इस मुद्दे में वास्‍तविकता क्‍या है?

उत्‍तर: हम किसी भी बात को छिपा नहीं रहे हैं। मैं समझता हूँ कि मंत्रिसमूह ने रिकार्डों को भी देखा है। उनको ऐसा कुछ नही मिला जिससे इस बात का पता चले कि इस संबंध में किसने निर्णय लिया। वे रिकार्ड अब उपलब्‍ध नहीं हैं।

18 जून, 2010



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