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प्रधान मंत्री जी की यात्रा के दौरान कनाडा के साथ हस्ताक्षरित करार और समझौता ज्ञापनों पर नोट

जून 27, 2010

परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग के लिए करार

आज हस्ताक्षरित परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग में सहयोग से संबद्ध भारत-कनाडा करार में परमाणु रिएक्टरों की डिजाइन, निर्माण, रख-रखाव, ऑपरेटिंग अनुभवों के आदान-प्रदान और डीकमीशनिंग, यूरेनियम की आपूर्ति, तीसरे देश में परियोजनाओं के संचालन, परमाणु ईंधन चक्र और परमाणु कचरा प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में सहयोग का प्रावधान किया गया है। दोनों देश कृषि, स्वास्थ्य, उद्योग एवं पर्यावरण और परमाणु सुरक्षा, विकिरण सुरक्षा तथा पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा अनुप्रयोगों के विकास और उपयोग में सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।

भारत और कनाडा मैत्रीपूर्ण देश हैं जिनके पास अग्रिम परमाणु प्रौद्योगिकियों की व्यापक क्षमता मौजूद है। वे इस बात को स्वीकार करते हैं कि परमाणु ऊर्जा विद्युत का एक सुरक्षित, पर्यावरण हितेषी तथा सतत स्रोत है। दाबयुक्त गुरुजल रिएक्टरों(पीएचडब्ल्यूआर) और सीएएनडीयू रिएक्टरों के संबंध में दोनों देशों की क्षमताओं को देखते हुए दोनों देशों के बीच संयुक्त रूप से कार्य करने की पर्याप्त संभावनाएं मौजूद हैं।

खनन क्षेत्र में सहयोग से संबद्ध समझौता ज्ञापन

आज हस्ताक्षरित भारत-कनाडा समझौता ज्ञापन के जरिए खनन एवं भू विज्ञान क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा दिया जा सकेगा। इस समझौता ज्ञापन में निम्नलिखित विशिष्ट क्षेत्रों में सहयोग की परिकल्पना की गई हैः

क. अन्वेषण भू-रसायन एवं भू-भौतिकी;
ख. भू-परिसंकट;
ग. भू-विज्ञान सूचना एवं संबंधित सूचना विज्ञान;
घ. पर्यावरण भूगर्भ विज्ञान;
ड़. विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर संबद्ध गतिविधियों पर संवर्धित संवाद में सहयोग;
च. दोनों देशों में यथा उपयुक्त अन्वेषण से संबंधित बाजार पहुंच एवं द्विपक्षीय निवेश को प्रोत्साहन; तथा
छ. सहभागियों द्वारा निर्धारित पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्र।

  खनन के संबंध में कनाडा एक महत्वपूर्ण राष्ट्र है जिसके पास खनन क्षेत्र से संबंधित आधुनिकतम प्रौद्योगिकी एवं विशेषज्ञता है। भू-विज्ञान क्षेत्र में शिक्षा, प्रशिक्षण और मानव संसाधन विकास तथा खनिजों एवं धातुओं, सहकारी परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी अंतरण और अनुसंधान एवं विकास पर सूचना का आदान-प्रदान किए जाने के संदर्भ में भारत को इस समझौता ज्ञापन से लाभ होगा।

संस्कृति क्षेत्र में सहयोग से संबद्ध समझौता ज्ञापन

  • आज हस्ताक्षरित सांस्कृतिक सहयोग से संबद्ध भारत-कनाडा समझौता ज्ञापन से कला, साहित्य, इतिहास, खेल एवं अन्य सांस्कृतिक विधाओं में बेहतर समझबूझ को बढ़ावा मिलेगा और सांस्कृतिक विविधता का संरक्षण और संवर्धन होगा;
  • दोनों देशों में आयोजित बड़े अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रमों के दौरान कला एवं सांस्कृतिक महोत्सवों, प्रदर्शनियों के आयोजन और आदान-प्रदान को प्रोत्साहन देना;
  • व्यावसायिकों/विशेषज्ञो के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना, ज्ञान, तकनीकी सहायता और पुरातत्व विज्ञान, संग्रहालयों, चलचित्र विज्ञान, कला, पुस्तकालयों, पुरातत्वों, जनसंचार, पर्यटन को बढ़ावा देना और कला, शिल्प, चित्रकला, नई मीडिया कला, मानव और सामाजिक इतिहास तथा विरासत सहित कला, सूचना विज्ञान, इतिहास और पुरातात्विक स्वरूप की प्रदर्शनियों के आयोजन को सुविधाजनक बनाना;
  • भारतीय और कनाडाई सांस्कृतिक वस्तुओं एवं सामानों के सृजन, उत्पादन, वितरण और प्रसार से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञता का आदान-प्रदान करना तथा दोनों देशों की विविध सांस्कृतिक वस्तुओं एवं सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए आयोजित सांस्कृतिक एवं व्यापारिक कार्यक्रमों में भागीदारी को सुविधाजनक बनाना;
  • कनाडा द्वारा इसी वर्ष नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में ‘इन्विट आर्ट' पर एक प्रदर्शनी का आयोजन किया जाएगा। भारत द्वारा भी वर्ष 2011 में कनाडा में भारत महोत्सव का आयोजन किया जाएगा।

उच्च शिक्षा क्षेत्र में सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन

  • आज हस्ताक्षरित उच्च शिक्षा क्षेत्र में सहयोग से संबद्ध भारत-कनाडा समझौता ज्ञापन में निम्नलिखित प्रावधान किए गए हैं:
  • स्नातक पूर्व, स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों का आदान-प्रदान तथा भारतीय एवं कनाडाई विश्वविद्यालयों में डॉक्टोरल अध्ययन सहित अनुसंधान एवं पाठ्यचर्या विकास में शामिल संकाय सदस्यों एवं छात्रों के लिए लघु आवधिक वृत्तियां प्रदान करना;
  • संयुक्त कार्यशालाओं, सेमिनारों, विशेष तकनीकी कार्यक्रमों और व्यवसायिक/शैक्षिक विकास गतिविधियों, शोध सामग्रियों, प्रकाशनों, शैक्षिक साहित्य, शिक्षण सामग्रियों, प्रदर्शन सामग्रियों एवं सूचना का आदान-प्रदान;
  • भारत और कनाडा के शिक्षण संस्थानों को आपस में जोड़ना और शिक्षण एवं अनुसंधान गतिविधियों को बढ़ावा देना। इसका उद्देश्य तकनीकी, व्यावसायिक एवं उच्च शिक्षा संस्थानों को शिक्षा एवं शिक्षण कार्यक्रमों के जरिए एक साथ लाना है;
  • एक दूसरे देश की शैक्षिक अर्हताओं को मान्यता प्रदान करने तथा आपसी हित के क्षेत्रों में पारस्परिक इंटर्नशिप कार्यक्रमों की संभावना का पता लगाना।

नई दिल्ली
27 जून, 2010



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