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ब्रिटेन के प्रधान मंत्री और फ्रांस के राष्ट्रपति के साथ हुई प्रधान मंत्री जी की बैठकों पर सरकारी प्रवक्ता की प्रेस वार्ता

जून 26, 2010

सरकारी प्रवक्ता (श्री विष्णु प्रकाश): नमस्कार। मैं जानता हूं कि आपका आज का दिन काफी व्यस्त रहा है और आप थके होंगे और सोना चाह रहे होंगे। परंतु मुझे लगा कि मैं आपको जल्दी से ब्रिटेन एवं फ्रांस के नेताओं के साथ आज हुई प्रधान मंत्री जी की दो महत्वपूर्ण बैठकों के बारे में जानकारी दे दूं।

सर्वप्रथम हमारे प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह और ब्रिटेन के नवनियुक्त प्रधान मंत्री श्री डेविड कैमरोन के बीच बैठक हुई। प्रधान मंत्री जी ने चुनाव में विजय प्राप्त करने पर श्री कैमरोन को बधाई दी। अगले माह जुलाई में प्रधान मंत्री श्री कैमरोन को भारत आने का न्यौता दिया गया है। हमारे प्रधान मंत्री जी ने कहा कि उन्हें परम माननीय श्री डेविड कैमरोन की भारत यात्रा की प्रतीक्षा है।

प्रधान मंत्री कैमरोन ने वर्ष 2006 में विपक्ष के नेता के रूप में भारत का दौरा किया था और उन्होंने इस यात्रा का स्नेहपूर्ण स्मरण किया। दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की और इन संबंधों की गतिशीलता पर संतोष और प्रसन्नता व्यक्त की। भारत और अमरीका ने वर्ष 2004 में अपने संबंधों को उन्नयित करते हुए इसे सामरिक भागीदारी के स्तर तक पहुंचाया था। ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने भारत के साथ संबंधों को और सुदृढ़ बनाने की अपनी पार्टी और अपने देश की वचनबद्धता व्यक्त की।

प्रधान मंत्री श्री सिंह और ब्रिटिश प्रधान मंत्री श्री कैमरोन ने कहा कि व्यापार और आर्थिक संबंध, मानव संसाधन विकास इत्यादि जैसे क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाएं विद्यमान हैं।

आपमें से अनेक लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि यूनाइटेड किंगडम के साथ हमारा 13 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का व्यापार किया जाता है। आमतौर पर भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच का व्यापार संतुलित है। यूनाइटेड किंगडम भारत में चौथा सबसे बड़ा निवेशक है और इसी प्रकार यूनाइटेड किंगडम में भी भारत द्वारा पर्याप्त निवेश किए गए हैं जिसमें अभी भी वृद्धि हो रही है।

भारत के प्रधान मंत्री ने कहा कि वे भारत में अतिरिक्त ब्रिटिश निवेश का स्वागत करेंगे। ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने कहा कि यूके में अध्ययन करने वाले छात्रों में दूसरी सबसे बड़ी संख्या भारतीय छात्रों की है। आगे उन्होंने कहा कि वे यूनाइटेड किंगडम में अधिकाधिक संख्या में भारतीय छात्रों को देखना चाहते हैं।

दोनों प्रधान मंत्रियों ने जी-20 के संबंध में भी संक्षिप्त विचार विनिमय किए। आपको स्मरण होगा कि अप्रैल 2009 में यूनाइटेड किंगडम ने जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी की थी। प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत सभी देशों के संयुक्त प्रयास से वैश्विक आर्थिक सुधार की जारी प्रक्रिया को और मजबूत बनाना चाहता है क्योंकि सुधार की यह प्रक्रिया अभी भी नाजुक बनी हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि निजी मांग में कमी की प्रतिपूर्ति राजकोषीय उपायों और प्रोत्साहन पैकेजों के जरिए की जाएगी।

उन्होंने अफगानिस्तान सहित समग्र क्षेत्रीय स्थिति पर विचार विमर्श किया और एक दूसरे के संपर्क में रहने पर अपनी सहमति व्यक्त की।

ब्रिटेन के प्रधान मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सहित अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार की इच्छा और आवश्यकता की भी पुष्टि की। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी के प्रति यूनाइटेड किंगडम के समर्थन को दोहराया।

तदुपरांत, फ्रांस के राष्ट्रपति श्री निकोलस सरकोजी के साथ हमारे प्रधान मंत्री जी की सौहार्दपूर्ण बैठक हुई। वर्ष 1998 से ही दोनों देश सामरिक भागीदार हैं। जैसा कि मैंने बताया, पुराने मित्रों के रूप में दोनों के बीच अत्यंत सौहार्दपूर्ण मुलाकात हुई। प्रधान मंत्री जी ने भारत में गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित समारोहों में मुख्य अतिथि के रूप में जनवरी 2008 में राष्ट्रपति सरकोजी की भारत यात्रा का स्मरण किया।

पहले ही राष्ट्रपति सरकोजी और मादाम कार्ला ब्रूनी को भारत यात्रा का निमंत्रण दिया जा चुका है। प्रधान मंत्री जी ने कहा कि उन्हें इस वर्ष बाद में राष्ट्रपति महोदय की भारत यात्रा की प्रतीक्षा है और भारत में फ्रांस के राष्ट्रपति और उनकी पत्नी का शानदार स्वागत किया जाएगा। उन्होंने राष्ट्रपति सरकोजी की भारत यात्रा के परिणामों पर भी चर्चा की। स्वयं राष्ट्रपति सरकोजी ने 14 जुलाई, 2009 को फ्रांसीसी राष्ट्रीय दिवस पर आयोजित समारोहों में सम्मानित अतिथि के रूप में प्रधान मंत्री श्री सिंह की फ्रांस यात्रा का स्मरण किया। यहां स्मरणीय है कि राष्ट्रपति सरकोजी ने विशेष सद्भावना का प्रदर्शन करते हुए

400 भारतीय सशस्त्र बलों की एक टुकड़ी को इस समारोह के अवसर पर आमंत्रित किया था जिसने पेरिस में सैन्य परेड का नेतृत्व किया।

राष्ट्रपति सरकोजी ने कहा कि फ्रांस भारत को विश्व में अपने सबसे महत्वपूर्ण भागीदारों में से एक मानता है और यह भी मानता है कि वैश्विक मामलों में भारत की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है। आगे उन्होंने कहा कि भारत की न सिर्फ जी-20 में बल्कि वैश्विक शासन की सभी संस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी के प्रति फ्रांस के पूर्ण समर्थन को दोहराया। उन्होंने आतंकवाद का मुकाबला करने के संबंध में भारत द्वारा किए जाने वाले प्रयासों के प्रति अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया।

तदुपरांत, दोनों नेताओं ने जी-20 के संबंध में विचार विनिमय किए। आप जानते हैं कि इस वर्ष नवम्बर में सियोल में आयोजित किये जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन के बाद फ्रांस ही जी-20 के अध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण करेगा। राष्ट्रपति सरकोजी ने जी-20 के अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद फ्रांस की प्राथमिकताओं और जी-20 के संबंध में फ्रांस के दृष्टिकोण का उल्लेख प्रधान मंत्री जी के समक्ष किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि वे जी-20 के विजन को मूर्तरूप देने की प्रक्रिया में भारत के साथ घनिष्ठ सहयोग करना चाहेंगे। उन्होंने द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की और प्रौद्योगिकी, रक्षा सहयोग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी इत्यादि जैसे क्षेत्रों में सहयोग किए जाने के महत्व को दोहराया।

मैं बताना चाहूंगा कि यूरोपीय संघ के देशों में से फ्रांस भारत का पाचवां सबसे बड़ा व्यापार साझीदार है।

संक्षेप में प्रधान मंत्री जी की दोनों बैठकों में यही चर्चा हुई।

प्रश्नः क्या ब्रिक देशों के साथ कोई बैठक नहीं हुई जिसकी आशा की जा रही थी?

सरकारी प्रवक्ताः आपको इस बात की जानकारी होगी कि ब्राजील की आंतरिक स्थिति, खासकर बाढ़ के कारण राष्ट्रपति श्री लूला की यात्रा संभव नहीं हो सकी। तदुपरांत यह निर्णय लिया गया कि यथा परिकल्पित ब्रिक बैठकों का आयोजन नहीं किया जाए।

प्रश्नः भारत के प्रधान मंत्री द्वारा वैश्विक आर्थिक सुधार और निजी मांग में कमी के संबंध में की गई टिप्पणियों के आलोक में क्या यह मानना सही होगा कि भारत वस्तुतः विकसित विश्व से मांग में कमी नहीं करने का अनुरोध कर रहा है? क्या माना जा सकता है कि यह भारत के प्रधान मंत्री द्वारा अपने समकक्षों को दिए गए महत्वपूर्ण संदेशों में से एक था?

सरकारी प्रवक्ताः आज भारत के प्रधान मंत्री जी ने जो भी कहा उसकी जानकारी मैंने आप सबको दे दी है। कल आप प्रधान मंत्री जी का संबोधन भी देखेंगे जिसमें इस मामले पर उनके विजन और विचारों का उल्लेख होगा।

प्रश्नः क्या उन्होंने बैंक कर के संबंध में कुछ कहा?

सरकारी प्रवक्ताः इन दोनों नेताओं के साथ प्रधान मंत्री जी की जो चर्चा हुई उससे संबंधित जानकारी मैंने आप सबको दे दी है। बैंक कर के संबंध में आप सबको पहले से जानकारी है।

प्रश्नः यदि ब्रिक देशों की बैठक होती तो प्रधान मंत्री जी चीन के राष्ट्रपति के साथ इन मुद्दों पर बात करते। क्या कल प्रधान मंत्री जी की कोई बैठक निर्धारित है?

सरकारी प्रवक्ताः जहां तक मुझे जानकारी है, चीन के राष्ट्रपति श्री हू जिंताओ के साथ किसी बैठक की रूपरेखा नहीं बनाई गई थी। इस वर्ष अप्रैल माह में ब्रासीलिया में

आयोजित ब्रिक शिखर सम्मेलन के दौरान भी प्रधान मंत्री जी ने श्री हू जिंताओं के साथ द्विपक्षीय मुलाकात की थी। आज जी-20 शिखर सम्मेलन के संबंध में ब्रिक नेताओं की बैठक की परिकल्पना की गई थी।

प्रश्नः देर शाम आयोजित प्रेस वार्ता के लिए आपको धन्यवाद। मैं सिर्फ दो प्रश्न पूछना चाहता हूं। मैं समझता हूं कि कनाडाई प्रधान मंत्री श्री स्टीफन हार्पर के साथ हुई द्विपक्षीय बैठकों में प्रधान मंत्री श्री सिंह ने कनाडा में सिख उग्रवाद का प्रश्न उठाया था और कनाडा से इन उग्रवादियों के विरुद्ध कार्रवाई करने का अनुरोध भी किया था। कल जब प्रधान मंत्री जी श्री हार्पर से मुलाकात करेंगे तो क्या वे अन्य विषयों के साथ इस विषय पर भी चर्चा करेंगे?

विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं को सक्रिय बनाए रखने के उद्देश्य से व्यय पर नियंत्रण नहीं लगाने के संबंध में क्या ब्रिटेन भी व्यय की राशि में कुछ कमी कर रहा है? वस्तुतः उन्होंने कुछ कटौतियां की थीं। इसलिए क्या प्रधान मंत्री श्री कैमरोन और डा. सिंह के बीच इस विषय पर कोई चर्चा हुई?

सरकारी प्रवक्ताः धन्यवाद। दोनों ही प्रश्न अत्यंत ही प्रासंगिक हैं।

दूसरे प्रश्न के संबंध में मेरे पास जो जानकारी थी वह मैंने आप सबको दे दी है। द्विपक्षीय बैठकों में मैं स्वयं उपस्थित नहीं था। इसलिए मैंने अभी जो आपको जानकारी दी है इसके अतिरिक्त फिलहाल कोई अन्य सूचना मेरे पास नहीं है।

जहां तक आपके पहले प्रश्न का संबंध है, यह बैठक कल होने जा रही है।

आप जानते हैं कि यह भारत के प्रधान मंत्री और कनाडा के प्रधान मंत्री के बीच द्विपक्षीय बैठक होगी। मैं समझता हूं कि दोनों नेता द्विपक्षीय हित के मुद्दों के साथ-साथ क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे। आपके द्वारा उल्लिखित मुद्दे के संबंध में मैं बताना चाहूंगा कि परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन के दौरान अप्रैल माह में वाशिंगटन में आयोजित प्रेस वार्ता में आप भी उपस्थित थे। प्रधान मंत्री श्री सिंह और कनाडा के प्रधान मंत्री श्री हार्पर के बीच बैठक हुई थी और उक्त बैठक से संबंधित जानकारी मैंने आप सबको दी भी थी।

यह जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध है और आप उसे देख सकते हैं। उस समय प्रधान मंत्री श्री सिंह ने इस मुद्दे पर श्री हार्पर का ध्यान आकर्षित किया था। हम इस मुद्दे के साथ-साथ साझी हित चिंता के अन्य मुद्दों पर एक दूसरे के संपर्क में हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

(समाप्त)

टोरंटो
26 जून, 2010



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