यात्रायें

Detail

प्रधान मंत्री जी की टोरंटो यात्रा पर विदेश सचिव एवं सचिव (पश्चिम) की प्रेस वार्ता

जून 22, 2010

सरकारी प्रवक्ता (श्री विष्णु प्रकाश): नमस्कार। इतनी बड़ी संख्या में आप सबको यहां देखकर खुशी हो रही है। जैसा कि आप सबको जानकारी होगी, भारत के प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने और कनाडा में अपने समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठकों में भागीदारी करने के लिए शीघ्र ही टोरंटों के लिए प्रस्थान करने वाले हैं। विदेश सचिव श्रीमती निरुपमा राव और सचिव (पश्चिम) श्री विवेक काटजू जी-20 शिखर सम्मेलन और द्विपक्षीय वार्ताओं के संबंध में आप सबको जानकारी देने के लिए यहां उपस्थित हैं। मैं आप सबका परिचय श्रीमती वाणी राव, निदेशक (एएमएस)

से भी करवाना चाहूंगा जो सचिव (पश्चिम) के दायीं ओर बैठी हैं। विदेश सचिव और सचिव (पश्चिम) अपना आरंभिक वक्तव्य देंगे और तदुपरांत उन्हें आपके कुछ सवालों का उत्तर देने में खुशी होगी। अब मैं विदेश सचिव महोदया से आरंभिक वक्तव्य देने का अनुरोध करता हूं।

विदेश सचिव (श्रीमती निरुपमा राव): धन्यवाद विष्णु। आप सबको भी नमस्कार। जी-20 के चौथे शिखर सम्मेलन का आयोजन 26 और 27 जून को टोरंटो, कनाडा में किया जा रहा है।

20 माह की अवधि के भीतर यह इस अंतर्राष्ट्रीय समूह का चौथा शिखर सम्मेलन है। पहले शिखर सम्मेलन का आयोजन नवम्बर 2008 में वाशिंगटन में, दूसरे का अप्रैल, 2009 में लंदन में और तीसरे का सितम्बर 2009 में पिट्सवर्ग में किया गया था। हमारा मानना है कि यह एक ऐसे समूह की गतिशीलता और महत्व को परिलक्षित करता है जिसे पिट्सवर्ग शिखर सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के सर्वप्रमुख मंच के रूप में मान्यता प्रदान की गई।

मेजबान के रूप में कनाडा के प्रधान मंत्री इस शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। इसमें जी-20 के सभी सदस्य देशों के नेताओं के भाग लेने की आशा है। कनाडा ने स्पेन, नीदरलैंड, मलावी(अफ्रीकी संघ के अध्यक्ष के रूप में), इथोपिया (जो नेपाड का अध्यक्ष है), वियतनाम (आसियान के अध्यक्ष के रूप में) को भी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया है। इसके अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र महासचिव, विश्व बैंक के अध्यक्ष, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के प्रबंध निदेशक, विश्व व्यापार संगठन के महानिदेशक, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन तथा वित्तीय स्थिरता बोर्ड के प्रमुखों के भी उपस्थित रहने की आशा है।

हमारे प्रधान मंत्री जी भी जी-20 टोरंटो शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे। प्रधान मंत्री जी के प्रतिनिधिमंडल में योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा. मोंटेक सिंह आहलुवालिया भी शामिल होंगे जो जी-20 में भारत के मुख्य प्रतिनिधि हैं। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी प्रधान मंत्री जी के प्रतिनिधिमंडल के भाग होंगे।

प्रधान मंत्री जी 26 जून को टोरंटो पहुंचेंगे जहां उनका अत्यंत ही व्यस्त कार्यक्रम है। जी-20 शिखर सम्मेलन का शुभारंभ आधिकारिक स्वागत संबोधन के साथ होगा जिसके उपरांत कनाडा के प्रधान मंत्री द्वारा रात में कार्यकारी भोज का आयोजन किया गया है।

दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। 27 जून को शिखर सम्मेलन के मुख्य सत्र का आयोजन किया गया है जिसके उपरांत अन्य मुख्य सत्र आयोजित किए जाएंगे। तदुपरांत जी-20 नेताओं के फोटोग्राफ सत्र, दोपहर के भोज और दोपहर बाद अंतिम मुख्य सत्र का आयोजन किया गया है।

शिखर सम्मेलन के पश्चात प्रधान मंत्री जी कनाडा में द्विपक्षीय बैठकों में भाग लेंगे। इस संबंध में मेरे सहयोगी श्री विवेक काटजू मेरे वक्तव्य के तत्काल बाद आप सबको जानकारी देंगे।

प्रधान मंत्री जी जी-20 शिखर सम्मेलन में आपसी हित के अनेक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर सहभागी देशों के नेताओं के साथ वार्ता करेंगे। शिखर सम्मेलन के दौरान अतिरिक्त समय में कुछ अन्य द्विपक्षीय बैठकों की भी परिकल्पना की गई है जिसकी जानकारी हम आप सबको देते रहेंगे।

जी-20 शिखर सम्मेलन के साथ ही मेजबान देश कनाडा द्वारा अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जा रहा है। 25 और 26 जून 2010 को जी-20 व्यावसायिक शिखर बैठक अथवा बी-20 का आयोजन किया जा रहा है जिसके लिए प्रत्येक देश से दो वाणिज्यिक इकाइयों को आमंत्रित किया गया है।

बी-20 में भारत का प्रतिनिधित्व सीआईआई और फिक्की द्वारा किया जाएगा। इस कार्यक्रम का आयोजन कनाडा के वित्त मंत्री की पहल पर किया गया है।

इसके अतिरिक्त जी-20 देशों के युवा शिखर सम्मेलन का भी आयोजन किया गया है जिसे ‘माय समिट' कहा गया है जिसके लिए प्रत्येक देश सात व्यक्तियों को भेजेंगे। भारत का प्रतिनिधित्व युवा मामले विभाग द्वारा चयनित युवकों के एक समूह द्वारा किया जाएगा। युवा शिखर सम्मेलन के लिए चयनित सहभागी 27 जून को दोपहर बाद जी-20 नेताओं के साथ भी संक्षिप्त मुलाकात करेंगे।

टोरंटों में आयोजित किए जा रहे भावी शिखर सम्मेलन की विषय वस्तु "सुधार और नई शुरुआत” होगी। शिखर सम्मेलन में विशेषकर पिछले शिखर सम्मेलनों में लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन पर बल दिया जाएगा। अतः इस बात की आशा की जा रही है कि विभिन्न देश के नेता वर्तमान स्थिति का आकलन करेंगे तथा भावी दिशाओं का निर्धारण करेंगे। इसके साथ ही वे वैश्विक आर्थिक सुधार की वर्तमान स्थिति तथा जी-20 के पिछले शिखर सम्मेलनों में लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की प्रगति की समीक्षा भी करेंगे।

उपर्युक्त के आलोक में विभिन्न देश के नेता जी-20 के भावी कार्यों के अधिदेश और दिशा के संबंध में निर्णय लेंगे। हालांकि हमें शिखर सम्मेलन में किए जाने वाले विचार विमर्शों के संबंध में पूर्वानुमान लगाने का प्रयास नहीं करना चाहिए परंतु कहा जा सकता है कि व्यापक तौर पर विभिन्न देश के नेताओं द्वारा निम्नलिखित समस्याओं पर विचार-विमर्श किए जाने की आशा है: वैश्विक आर्थिक सुधार, इसकी संभावनाएं और चुनौतियां; ठोस, सतत और संतुलित विकास की रूपरेखा; अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं में सुधार; वित्तीय नियामक सुधार; संरक्षणवाद; तथा नवम्बर 2010 में सियोल में आयोजित होने वाला अगला जी-20 शिखर सम्मेलन।

जैसा कि पूर्व में हुआ है, टोरंटो शिखर सम्मेलन घोषणा अथवा विज्ञप्ति भी जारी किए जाने की आशा है हालांकि मैं इस शिखर सम्मेलन के परिणामों और विज्ञप्ति की विषय वस्तु के संबंध में किसी प्रकार का अनुमान लगाने से परहेज करुंगी। मैं समझती हूं कि आप सबको जी-20 के पिछले शिखर सम्मेलनों और उनमें हुई चर्चाओं की जानकारी होगी। इसलिए मैं इसके ब्यौरे में नहीं जाना चाहती परंतु पिछले शिखर सम्मेलनों में और वित्त मंत्रियों की बैठकों में वैश्विक वित्तीय और आर्थिक संकट के कारणों के प्रति साझी समझ विकसित करने और वित्तीय बाजारों में सुधार लाने तथा सूचनाओं के प्रसार हेतु राष्ट्रीय योजनाओं की शुरुआत करने की पुष्टि की गई थी।

जैसा कि आप सब जानते हैं, पिट्सवर्ग में आयोजित पिछले शिखर सम्मेलन में जी-20 को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के सर्वप्रमुख मंच के रूप में नामित किया गया था और त्वरित एवं प्रभावी कार्रवाइयों के जरिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय एवं आर्थिक संकट का समाधान करने में प्राप्त सफलता को स्वीकार किया गया था। इसने ठोस लघु-आर्थिक नीतियों के जरिए 21वीं सदी में सुदृढ़, सतत, एवं संतुलित विकास की रूपरेखा बनाए जाने का अधिदेश दिया था इसके साथ ही स्थायी आर्थिक सुधार प्राप्त किए जाने तक सतत नीतिगत प्रत्युत्तरों और एक्जिट रणनीतियां बनाते समय प्रोत्साहन पैकेजों को समय से पूर्व समाप्त करने से परहेज करने पर बल दिया गया था।

इसमें बैंकों, वित्तीय संस्थानों, पूंजी बाजारों, मुआवजा मानकों, जोखिमों, ओवर-दी-कांउटर डेरिवेटिव्स, क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों, सुरक्षित कोषों एवं गैर-सहकारी अधिकार क्षेत्रों के लिए नियामक उपाय कार्यान्वित किए जाने का आह्वान किया गया था और सभी प्रकार के संरक्षणवाद का मुकाबला किए जाने के तथ्य को दोहराया गया था। इसमें टोरंटों के उपरांत सियोल में जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किए जाने और तदुपरांत वर्ष 2011 में फ्रांस में आयोजित होने वाले शिखर सम्मेलन से आरंभ करते हुए प्रति वर्ष ऐसे शिखर सम्मेलनों का आयोजन करने का भी निर्णय लिया गया था।

जैसा कि आप सब जानते हैं, जी-20 में निम्नलिखित देश हैं: अर्जेंटीना, आस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सउदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, टर्की, यूके और संयुक्त राज्य अमरीका। धन्यवाद।

सरकारी प्रवक्ताः अब मैं सचिव (पश्चिम) को आरंभिक वक्तव्य देने के लिए आमंत्रित करता हूं।

सचिव (पश्चिम) (श्री विवेक काटजू): धन्यवाद विष्णु। जी-20 शिखर सम्मेलन के लिए प्रधान मंत्री जी की कनाडा यात्रा से प्रधान मंत्री और उनके कनाडाई समकक्ष श्री स्टीफन हार्पर के बीच ठोस द्विपक्षीय कार्यकलाप करने का भी उपयुक्त अवसर मिला है। दोनों प्रधान मंत्रियों के बीच 27 जून को टोरंटो में बातचीत होगी।

भारत और कनाडा लोकतांत्रिक एवं संवैधानिक शासन तथा विधि सम्मत शासन, नागरिक स्वतंत्रता के संरक्षण और संवर्धन तथा समावेशी विकास और बहुलवाद के प्रति वचनबद्ध हैं। ये मूल्य ही द्विपक्षीय संबंधों की ठोस आधारशिला का निर्माण करते हैं। दोनों देशों के बीच पिछले कई वर्षों से कार्यकलाप किया जाता रहा है और उन क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा भी दिया जा रहा है जिनसे लोगों के हित कल्याण में प्रत्यक्ष योगदान मिलता है। इसलिए आर्थिक और व्यावसायिक सहयोग तथा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं कृषि क्षेत्र पर विशेष बल दिया जा रहा है।

नवम्बर 2009 में कनाडा के प्रधान मंत्री श्री स्टीफन हार्पर की भारत यात्रा से इन क्षेत्रों में हमारे सहयोग को और गति प्रदान करने का अवसर मिला था।

कनाडा पक्ष के साथ अनेक करार और समझौता ज्ञापन संपन्न किए जाने पर बातचीत चल रही है। इनमें से कुछ में पर्याप्त प्रगति हुई है और यदि उन्हें सभी प्रकार से पूर्ण समझा जाएगा तो इसी यात्रा के दौरान उन पर हस्ताक्षर किए जाएंगे। इनमें असैनिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग पर एक करार, खनन क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन, उच्च शिक्षा क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन, संस्कृति क्षेत्र में सहयोग पर समझौता ज्ञापन और एक सामाजिक सुरक्षा करार शामिल हैं।

सरकारी प्रवक्ताः विदेश सचिव और सचिव (पश्चिम) को जी-20 शिखर सम्मेलन तथा कनाडा के नेताओं के साथ द्विपक्षीय वार्ता के लिए प्रधान मंत्री की कनाडा यात्रा से संबंधित कुछ प्रश्नों का उत्तर देने में खुशी होगी।

प्रश्नः मेरा प्रश्न वित्तीय कारोबार कर प्रस्ताव पर भारत के संभावित दृष्टिकोण के संबंध में है। पूर्व में भी इस संबंध में बात की गई है। जी-20 शिखर सम्मेलन में भारत का इस पर क्या रुख होगा?

विदेश सचिवः हाल में दिए गए एक साक्षात्कार में वित्त सचिव ने इस विषय पर बात की थी। वस्तुतः यह प्रश्न वित्त मंत्रालय से संबंधित है।

मैं इतना ही कहना चाहूंगी कि हमारा बैंकिंग क्षेत्र मजबूत स्थिति में है। हमने जी-20 के संदर्भ में वित्तीय विनियमों का उल्लेख किया है और कहा जा सकता है कि भारत का बैंकिंग क्षेत्र बेहतर स्थिति में है।

प्रश्नः महोदया, जैसा कि श्री काटजू ने कहा, कनाडा और भारत के बीच संपन्न किए जाने वाले करारों में एक करार असैनिक परमाणु ऊर्जा से संबंधित भी है। पिछले हफ्ते आपने दक्षिण कोरिया के साथ बातचीत शुरू की है। इस वर्ष आप इस संबंध में कनाडा के साथ बातचीत करने वाली हैं। भारत के परमाणु ऊर्जा पोर्टफोलियो के विस्तार के संबंध में आपका क्या दृष्टिकोण है?

विदेश सचिवः सकारात्मक। मैं समझती हूं कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के लिए भारत के समक्ष असीम अवसर उपलब्ध हुए हैं। जहां तक कनाडा का संबंध है, आपके प्रश्न का उत्तर श्री काटजू देंगे।

प्रश्नः यह एक संपूरक प्रश्न है। वर्ष 1974 में जब भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था तब कनाडा भारत के साथ संपन्न करार से एक मायने में पीछे हट गया था। अब आप इसे किस प्रकार देखते हैं?

सचिव (पश्चिम): हम पीछे नहीं देखना चाहते, हम भविष्य की ओर देखना चाहते हैं। निश्चित रूप से जिस करार पर विचार किया जा रहा है वह असैनिक परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग से ही संबंधित है। इसमें कृषि, स्वास्थ्य रक्षा उद्योग और पर्यावरण क्षेत्रों में परमाणु ऊर्जा अनुप्रयोगों का विकास करना और परमाणु कचरा प्रबंधन, परमाणु सुरक्षा, विकिरण सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण इत्यादि क्षेत्रों में सहयोग करना शामिल है। इसमें परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रयोजनार्थ अनेक क्षेत्रों को शामिल किया गया है।

प्रश्नः यह प्रश्न सचिव (पश्चिम) के लिए है। जैसा कि आप सब जानते हैं, कनाडाई सरकार ने भारत के अनेक वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों को वीजा देने से मना कर दिया। हालांकि इसके लिए उन्होंने क्षमा मांगी परंतु क्षमा मांगने के बाद भी वीजा नहीं दिया गया। क्या द्विपक्षीय बैठकों में प्रधान मंत्री जी इस मुद्दे को उठाएंगे? इसके साथ ही क्या कनाडा में खालिस्तान समर्थक तत्वों और उनकी गतिविधियों से जुड़े मुद्दे को भी उठाया जाएगा?

सचिव (पश्चिम): हम खालिस्तान समर्थक तत्वों की गतिविधियों के प्रति सजग हैं।

इस प्रकार की गतिविधियों की ओर हमने कनाडाई पक्ष का ध्यान भी आकर्षित किया है और कहा है कि इस प्रकार की गतिविधियां अवांछनीय हैं तथा इनसे संबंधों के विकास में कोई योगदान नहीं मिलेगा। जहां तक वीजा से संबंधित मुद्दे का प्रश्न है, हमने इस मुद्दे को उठाया है। आपने सही स्मरण दिलाया कि कनाडाई प्राधिकारियों ने अपने अधिकारियों द्वारा जारी किए गए पत्र पर खेद भी व्यक्त किया था। तदुपरांत विदेश मंत्री जी ने कहा था कि अब यह मुद्दा समाप्त हो गया है।

प्रश्नः आपने बताया कि उच्च शिक्षा, खनन और कृषि क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा की जाएगी। हम आतंकवाद का मुकाबला करने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर क्यों नहीं चर्चा करेंगे जो संपूर्ण विश्व के लिए खतरा है?

सचिव (पश्चिम): भारत और कनाडा आतंकवाद का मुकाबला करने से संबद्ध क्षेत्र में भी सहयोग कर रहे हैं। दोनों देशों के बीच नियमित वार्ता तंत्र विद्यमान है और आवधिक आधार पर इस संबंध में चर्चा की जाती है। इस विषय पर दोनों पक्षों के बीच अभी भी सहयोग किया जा रहा है।

प्रश्नः मैं असैनिक परमाणु ऊर्जा सहयोग के बारे में स्पष्टीकरण चाहूंगा। क्या इस करार के संपन्न हो जाने के बाद कनाडाई परमाणु कंपनियों द्वारा भारत में परमाणु रियक्टरों की स्थापना और भारत को परमाणु ईंधन की आपूर्ति करने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा? चूंकि कनाडा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का एक सदस्य देश है इसलिए क्या प्रधान मंत्री जी चीन-पाकिस्तान परमाणु सहयोग मुद्दे को भी उठाएंगे?

सचिव (पश्चिम): जहां तक चीन-पाकिस्तान परमाणु सहयोग मुद्दे का संबंध है, मैं समझता हूं कि इस संबंध में विदेश सचिव महोदया कुछ कहना चाहेंगी। प्रश्न के पहले भाग के उत्तर में मैं अवश्य कह सकता हूं कि जी हां, उक्त करार में यूरेनियम और प्राकृतिक संसाधनों की आपूर्ति को भी शामिल किया गया है। जहां तक सहयोग का संबंध है, इस संबंध में संबंधित प्राधिकरण अर्थात परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा निर्णय लिया जाएगा।

विदेश सचिवः मैंने अनुमान लगाया था कि आप यह प्रश्न पूछेंगे। जैसा कि आपको जानकारी होगी, हम चीन द्वारा पाकिस्तान को दो अतिरिक्त परमाणु ऊर्जा रिएक्टरों की आपूर्ति से संबंधित रिपोर्टों पर नजर रखते रहे हैं।

अब रिपोर्ट आई है जिसमें इन रिएक्टरों की आपूर्ति परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के दिशा-निर्देशों के संबंध में किए जाने का उल्लेख किया गया है। जैसा कि आप सब जानते हैं, भारत परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह का सदस्य देश नहीं है। परंतु हम इस संबंध में चलने वाली बहस और अन्य घटनाक्रमों पर नजर रख रहे हैं क्योंकि ये चीन द्वारा पाकिस्तान को परमाणु रिएक्टरों की आपूर्ति किए जाने से संबंधित हैं।

प्रश्नः खाड़ी में हाल में तेल के रिसाव से संबंधित घटनाओं के आलोक में क्या कनाडा के साथ परमाणु ऊर्जा के अतिरिक्त सौर ऊर्जा जैसे ऊर्जा के गैर पारंपरिक स्रोतों के क्षेत्र में सहयोग पर भी चर्चा होगी?

सचिव (पश्चिम): हमारे बीच एक द्विपक्षीय ऊर्जा पैनल विद्यमान है और कुछ हफ्ते पूर्व कनाडा में इस ऊर्जा पैनल की बैठक भी हुई थी। इस पैनल में कार्य क्षेत्र के भीतर सौर ऊर्जा एवं अन्य गैर पारंपरिक ऊर्जा जैसे सभी क्षेत्रों को शामिल किया गया है। ऊर्जा प्रभाविता से जुड़े मामलों पर भी बातचीत की जा रही है।

प्रश्नः व्यापक आर्थिक सहयोग करार (सीईपीए) पर भी चर्चा की जा रही थी। क्या इस संबंध में भी कुछ प्रगति हुई है? क्या इस पर हस्ताक्षर किए जाने की आशा है अथवा इसमें कुछ अन्य क्षेत्रों को भी शामिल किया जाना है?

सचिव (पश्चिम): कनाडा के प्रधान मंत्री की यात्रा के दौरान आपके द्वारा उल्लिखित मुद्दे अर्थात व्यापक आर्थिक सहयोग करार से संबंधित मामलों की जांच करने के लिए एक संयुक्त अध्ययन दल की स्थापना की गई थी। संयुक्त अध्ययन दल के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की बैठक हुई है और उन्होंने अपनी रिपोर्ट भी प्रस्तुत कर दी है। दोनों देशों द्वारा इसका अध्ययन किया जा रहा है।

प्रश्नः युआन और विश्व अर्थव्यवस्था में संतुलन लाने में इसकी भूमिका के संदर्भ में भारत का क्या रुख रहेगा? उल्लेखनीय है कि अमरीका भी युआन के पुनर्मूल्यांकन हेतु दबाव डालता रहा है जिससे कि एक पक्ष के घाटे और दूसरे पक्ष के अधिशेष में कमी लाई जा सके। इस संबंध में भारत का दृष्टिकोण क्या होगा?

विदेश सचिवः एक बार पुनः मैं इस मुद्दे पर वित्त सचिव द्वारा कल ही किए गए उल्लेख का संदर्भ देना चाहूंगी। उन्होंने कहा था कि वे युआन को संतुलित बनाए जाने संबंधी चीन के कदमों के प्रभावों की प्रतीक्षा करेंगे। हम इस बात का इंतजार करेंगे कि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर इस कदम का क्या प्रभाव पड़ता है। निश्चित रूप से चीन भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार है। इसलिए हम हाल के घटनाक्रमों के प्रभावों का आकलन सावधानीपूर्वक करना चाहते हैं।

प्रश्नः भारतीय वायुसेना ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य और सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशनों से अपने हेलीकॉप्टरों को वापिस बुलाए जाने की अनुमति मांगी है। नोडल एजेंसी होने के नाते क्या विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में कोई निर्णय लिया है? क्या इस मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र को लिखा है?

विदेश सचिवः जी हां, रक्षा मंत्री ने इस मुद्दे को हमारे साथ उठाया है। इस संबंध में हम न्यूयार्क स्थित अपने स्थायी मिशन के संपर्क में हैं। चरणबद्ध तरीके से हेलीकॉप्टरों को वापिस बुलाए जाने के लिए हम एक ओर नई दिल्ली में रक्षा मंत्रालय के साथ और दूसरी ओर संयुक्त राष्ट्र के प्राधिकारियों के संपर्क में हैं।

प्रश्नः कुछ हफ्ते पूर्व कनाडा के संसद ने 1984 में हुए सिख दंगों को नरसंहार घोषित किए जाने संबंधित एक प्रस्ताव पारित किया था। इस पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है? कनिष्का के संबंध में हम क्या कर रहे हैं?

सचिव (पश्चिम): हमें इस प्रस्ताव की जानकारी है। हमें इस बात की भी जानकारी है कि कनाडाई संसद के उक्त सदस्य की पार्टी के नेता ने अपने आप को इससे अलग कर लिया था। इसलिए इस प्रकार का आरोप लगाना सही नहीं होगा। जहां तक कनिष्का से संबंधित मामले का संबंध है, जी हां, हमने रिपोर्ट देखी है और हम इसका अध्ययन कर रहे हैं।

रिपोर्ट के निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि जिस आतंकवाद के कारण यह दुखद घटना घटी उस पर न तो इस घटना के पहले और न ही इसके बाद विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मैं समझती हूं कि यह निष्कर्षों का एक भाग मात्र है।

प्रश्नः महोदया, वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण से संबंधित मुद्दे पर पहले आपने कहा था कि आप मंत्रियों के समूह की अनुशंसाओं की प्रतीक्षा करेंगी। मंत्रियों के समूह ने अब अपनी अनुशंसाएं प्रस्तुत कर दी हैं और संकेत दिया है कि प्रत्यर्पण के लिए नए स्तर से प्रयास किए जाएंगे। क्या इस शिखर सम्मेलन के दौरान द्विपक्षीय बैठकों में इस मुद्दे को उठाया जाएगा? इस संबंध में विदेश मंत्रालय कब अपनी ओर से कार्रवाई आरंभ करेगा?

विदेश सचिवः 1984 की भोपाल गैस त्रासदी पर पुनर्गठित मंत्रियों के समूह ने कल अपनी अनुशंसाएं प्रधान मंत्री जी को मुहरबंद लिफाफे में सौंप दी है। यह सूचना कल मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष, गृह मंत्री श्री पी. चिदंबरम ने मीडिया को दी थी। आशा है कि इस रिपोर्ट की जांच करने के लिए शीघ्र ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक होगी।

प्रश्नः महोदया, कल आप पाकिस्तान जा रहीं हैं। 26/11 मुंबई आतंकी हमलों के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक 19 डोजियरों का आदान-प्रदान किया है परंतु जांच में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हो पाई है।

क्या गृह मंत्री की यात्रा से इस संबंध में प्रगति होने की आशा है? क्या आपको लगता है कि अब पाकिस्तान को 26/11 के गुनहगारों पर मुकद्दमा चलाने के लिए विश्वसनीय कार्रवाई करनी चाहिए?

विदेश सचिव: हमने मुंबई आतंकी हमलों के संबंध में उपलब्ध कराए गए साक्ष्यों और पिछले कुछ महीनों के दौरान दी गई अन्य जानकारियों के आधार पर पाकिस्तान द्वारा विश्वसनीय कार्रवाई किए जाने पर निरंतर बल दिया है। हमने कहा है कि पाकिस्तान को इन साक्ष्यों को गंभीरता से लेना चाहिए और हमारे द्वारा उपलब्ध की गई जानकारियों पर ठोस कार्रवाई करनी चाहिए।

स्पष्ट है कि आगामी यात्रा के दौरान भी पाकिस्तानी समकक्ष के साथ होने वाली मेरी चर्चाओं में इस विषय पर विशेष बल दिया जाएगा। दो दिन बाद मैं इस्लामाबाद में पाकिस्तान के विदेश सचिव श्री सलमान वशीर के साथ बैठक करने जा रही हूं। सार्क देशों के आंतरिक मामलों के मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए हमारे गृह मंत्री श्री पी. चिदंबरम भी इस्लामाबाद जा रहे हैं और वे भी अपने पाकिस्तानी समकक्ष श्री रहमान मलिक से मुलाकात करेंगे। स्पष्ट है कि उन्हें हमारी चिंताओं से अवगत कराया जाएगा और प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा होगी।

जहां तक गोलीबारी का संबंध है, यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण है। पिछले कुछ माह के दौरान घुसपैठ की घटनाओं में हुई वृद्धि और युद्धविराम के उल्लंघन संबंधी घटनाओं पर हमने पाकिस्तान पक्ष के समक्ष अपनी चिंताएं व्यक्त की हैं। हमने यह भी कहा है कि अकारण होने वाली इस प्रकार की घटनाओं से भारत और पाकिस्तान के बीच सकरात्मक वातावरण बनाने में योगदान नहीं मिलेगा।

सरकारी प्रवक्ताः आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
(समाप्त)

नई दिल्ली
22 जून, 2010



पेज की प्रतिक्रिया

टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या