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राष्ट्रपति के मॉरीशस के राजकीय दौरे के संबंध में विदेश सचिव द्वारा विशेष वार्ता का प्रतिलेख (13 मार्च, 2024)

मार्च 14, 2024

श्री राजेश परिहार, निदेशक (एक्सपीडी): सभी को शुभ दोपहर। मैं महामहिम राष्ट्रपति द्वारा मॉरीशस के वर्तमान दौरे के संबंध में इस विशेष मीडिया वार्ता में आप सभी का स्वागत करता हूँ। और इसके लिए, मुझे यहां मंच पर उपस्थित महानुभावों का परिचय कराते हुए प्रसन्नता है, मेरे साथ यहां मंच पर श्री विनय क्वात्रा, भारत के विदेश सचिव; श्री पुनीत अग्रवाल, विदेश मंत्रालय में हिंद महासागर क्षेत्र के संयुक्त सचिव; तथा सुश्री नविका गुप्ता, महामहिम राष्ट्रपति की प्रेस उपसचिव जी उपस्थित हैं। इस संक्षिप्त परिचय के पश्चात, अब मैं विदेश सचिव महोदय से इस दौरे के बारे में जानकारी देने का अनुरोध करता हूँ।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: बहुत बहुत धन्यवाद, राजेश। महामहिम राष्ट्रपति द्वारा मॉरीशस के वर्तमान दौरे के संबंध में इस विशेष वार्ता में आए मीडिया के सभी मित्रों को शुभ दोपहर। जैसा कि आप सभी अवगत हैं कि मॉरीशस के माननीय प्रधानमंत्री के निमंत्रण पर महामहिम राष्ट्रपति जी, मॉरीशस के राजकीय दौरे पर हैं। और उन्होंने कल आयोजित मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया।

मैं आपको स्मरण कराना चाहूँगा कि मार्च 2018 के बाद से भारत से मॉरीशस का यह पहला वीवीआईपी दौरा है। आपको स्मरण होगा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने मार्च 2015 में मॉरीशस का दौरा किया था। महामहिम राष्ट्रपति जी का यह दौरा विशेष महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कोविड-19 महामारी के कारण पांच वर्ष के अंतराल के बाद मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस के प्रथम पूर्ण समारोह के संदर्भ में हो रहा है। 2000 के बाद से मॉरीशस राष्ट्रीय दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में किसी भारतीय गणमान्य प्रतिनिधि का यह छठा राजकीय दौरा है।

आपको स्मरण होगा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने मार्च 2015 में जब मॉरीशस का दौरा किया था, तब उन्होंने मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस समारोह में भाग लिया था। और उस दौरे के अंतर्गत माननीय प्रधानमंत्री ने भारत के और उनके SAGAR अर्थात सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन दि रीज़न के विज़न की घोषणा की थी, जो कि अनिवार्य रूप से एक ऐसा विज़न है जो हिंद महासागर क्षेत्र, मॉरीशस सहित संबंधित देशों में भागीदारों के साथ हमारी भागीदारी का मार्गदर्शन करता है। आप सभी अवगत होंगे कि मॉरीशस के स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस दोनों के लिए निर्दिष्ट 12 मार्च की तारीख को मॉरीशस के नेतागणों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के लिए विचारपूर्वक चुना था क्योंकि इसी दिन गांधीजी ने अपनी प्रसिद्ध दांडी यात्रा आरंभ की थी। यह तथ्य भारत और मॉरीशस के बीच वर्तमान घनिष्ठ, विशेष और ऐतिहासिक संबंधों का संपूर्ण साक्षी है।

अब मैं महामहिम राष्ट्रपति जी के वर्तमान दौरे के कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों के बारे में संक्षेप में आपको बताना चाहूँगा। 11 मार्च को वहां आगमन के समय महामहिम राष्ट्रपति जी का औपचारिक स्वागत किया गया और मॉरीशस के माननीय प्रधानमंत्री द्वारा पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका स्वागत किया गया। इसके बाद राष्ट्रपति जी ने मॉरीशस के राष्ट्रपति महामहिम पृथ्वीराज सिंह रूपन के साथ बैठक की और हमारे दोनों देशों के बीच हमारे बेमिसाल और घनिष्ठ संबंधों को आगे बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की।

दिन में बाद में, महामहिम राष्ट्रपति जी ने प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौथ के साथ बातचीत की और प्रधानमंत्री जुगनौथ और श्रीमती कोबिता जुगनौथ द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी के सम्मान में एक भोज का भी आयोजन किया गया। इस भोज के दौरान महामहिम राष्ट्रपति जी ने मॉरीशस के अन्य प्रमुख राजनीतिक नेतागणों तथा वहां उपस्थित मॉरीशस समुदाय के प्रतिष्ठित सदस्यों और भारत के मित्रों से भी वार्ता की।

मॉरीशस के राष्ट्रपति और मॉरीशस के प्रधानमंत्री के साथ अपनी वार्ता के दौरान, महामहिम राष्ट्रपति जी ने भारतीय बैंकों द्वारा जारी एक रुपे कार्ड प्रस्तुत किया, जिसमें से एक मॉरीशस के महामहिम राष्ट्रपति को और दूसरा मॉरीशस के प्रधानमंत्री को दिया गया।

12 मार्च को राष्ट्रपति जी को मॉरीशस यूनिवर्सिटी द्वारा डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्रदान की गई। इस सम्मान कार्यक्रम के पश्चात महात्मा गांधी स्टेशन तक मेट्रो से जाने का कार्यक्रम हुआ; यह मेट्रो मॉरीशस में भारत की एक प्रमुख विकास साझेदारी परियोजना है। इसके बाद उन्होंने महात्मा गांधी संस्थान में एक स्वागत समारोह को संबोधित किया, जिसमें संस्थान में मौजूद भारतीय प्रवासी सदस्यों और मॉरीशस के सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

12 मार्च को ही, चैंप डे मार्स में राष्ट्रीय दिवस समारोह के पश्चात, महामहिम राष्ट्रपति ने ध्वजारोहण समारोह, मॉरीशस बलों और एक भारतीय दल की परेड, तथा मॉरीशस कलाकारों द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रदर्शन का अवलोकन किया। मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने आज पहले महामहिम राष्ट्रपति जी से भेंट की, जिसके दौरान दोनों पक्षों ने पारस्परिक संबंधों में हुई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया, विभिन्न क्षेत्रों में हमारी साझेदारी में प्रगति का आकलन किया, तथा सभी क्षेत्रों में, व हमारे दोनों देशों के व्यक्तियों के बीच, जो कि हमारे संबंधों का एक विशेष आधार बना हुआ है द्विपक्षीय संबंधों को और गहन बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

दौरे के ठोस परिणामों और कुछ विशेष घोषणाओं के संदर्भ में, जो आपने भी सुनी होंगी, महामहिम राष्ट्रपति जी ने मॉरीशस को 200 इलेक्ट्रिक बसों की आपूर्ति और गंगा तालाव क्षेत्र के पुनर्विकास के लिए भारत सरकार द्वारा सहयोग दिए जाने की घोषणा की, जिसका मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने स्वागत किया। हमारी इस वार्ता के समय महामहिम राष्ट्रपति जी इस समय गंगा तालाव विरासत स्थल का दौरा कर रही हैं।

महामहिम राष्ट्रपति ने इस संबंध में भी भारत सरकार के निर्णय की घोषणा की कि वह विशेष व्यवस्था जिसके अंतर्गत भारतीय मूल के मॉरीशस नागरिक, छठी पीढ़ी तक भारत के विदेशी नागरिक कार्ड, अर्थात ओसीआई कार्ड के लिए पात्र थे, वह अब मॉरीशस में भारतीय मूल की सातवीं पीढ़ी तक बढ़ा दी जाएगी। महामहिम राष्ट्रपति जी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने आज फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला परियोजना की आधारशिला भी रखी, जो भारत की विकास सहायता से बनाई जा रही है। उन्होंने 14 लघु विकास परियोजनाओं का भी वर्चुअल उद्घाटन किया जो भारतीय अनुदान सहायता के माध्यम से वित्त पोषित की जा रही हैं।

महामहिम राष्ट्रपति और मॉरीशस के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में कई महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापनों का आदान-प्रदान किया गया। ये समझौता ज्ञापन, सार्वजनिक प्रशासन, दोहरे कराधान से बचाव, वित्तीय सेवाओं और सुशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में हमारे द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों से संबंधित हैं। अधिक विवरण के बजाय यदि मैं मोटे तौर पर इन समझौता ज्ञापनों में सहयोग के संबंधित क्षेत्रों का उल्लेख करना चाहूँ तो भारत के संघ लोक सेवा आयोग और मॉरीशस के लोक सेवा आयोग के बीच किए गए समझौता ज्ञापन में अनुभवों को साझा करने और भर्ती के क्षेत्रों में साझेदारी, तथा दोनों लोक सेवा आयोगों के बीच संस्थागत संबंध भी विकसित करने की बात की गई है।

दूसरा भारत मॉरीशस दोहरे कर बचाव समझौते में संशोधन करने के लिए प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए गए हैं जो बेस इरोशन और प्रॉफिट शेयरिंग के न्यूनतम मानकों के अनुरूप बनाने के लिए है। आपको याद होगा कि बीईपीएस परियोजना, जिसे बेस इरोशन एंड प्रॉफिट शेयरिंग कहा जाता है, को एक जी20 बैठक द्वारा अनुमोदित किया गया था और यह प्रोटोकॉल अनिवार्य रूप से दोहरे कर बचाव के संबंध में भारत मॉरीशस प्रोटोकॉल में संशोधन के लिए है ताकि इसे बेस इरोशन और प्रॉफिट शेयरिंग के न्यूनतम मानकों के अनुरूप बनाया जा सके।

तीसरा समझौता ज्ञापन GIFT सिटी और भारत के वित्तीय सेवा आयोग के बीच है। यह समझौता ज्ञापन अनिवार्य रूप से उन आधारों पर आधारित होगा जो जुलाई 2017 में GIFT सिटी और वित्तीय सेवा आयोग द्वारा एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए जाने के समय निर्मित किए गए थे और इसके माध्यम से बैंकिंग, बीमा, पूंजी बाजार और फिनटेक सहित वित्तीय सेवा क्षेत्रों में हमारे सहयोग को सुगमता प्राप्त होगी। चौथा समझौता ज्ञापन केंद्रीय जांच ब्यूरो, भारत की सीबीआई, और मॉरीशस के भ्रष्टाचार विरोधी स्वतंत्र आयोग, आईसीएसी के बीच सहयोग समझौता है।

अपने वर्तमान दौरे के अंतर्गत, महामहिम राष्ट्रपति ने विपक्ष के नेताओं और अन्य राजनीतिक दलों के नेतागणों सहित मॉरीशस के कई अन्य गणमान्य प्रतिनिधियों से भी भेंट की। उन्होंने अपने वर्तमान दौरे के अंतर्गत ऐतिहासिक स्थलों का भी भ्रमण किया, जिनमें से एक अप्रवासी घाट भी है, जहां उन्होंने आज भ्रमण किया। अभी, मॉरीशस के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा महामहिम राष्ट्रपति जी के सम्मान में एक भोज आयोजित किया गया और जैसा कि मैंने कहा, महामहिम राष्ट्रपति अभी प्रार्थना के लिए पवित्र गंगा तालाव के भ्रमण पर हैं, जिसके बाद वे भारत के लिए प्रस्थान करेंगी।

भारत, मॉरीशस संबंधों में पुन: नई ऊर्जा और प्रगाढ़ता को दृष्टिगत रखते हुए, मॉरीशस के साथ हमारे संबंध विशेष और ऐतिहासिक रूप से अद्वितीय रहे हैं, जो स्वतंत्रता-पूर्व के वर्षों से चले आ रहे हैं, व्यक्तियों से व्यक्तियों के बीच शताब्दियों पुराने संबंध, और अनवरत सांस्कृतिक संपर्क इस विशेष संबंध का बहुत सुदृढ़ आधार और नींव निर्मित करते हैं। मॉरीशस भारत की पड़ोसी प्रथम नीति, प्रधानमंत्री मोदी के विज़न SAGAR तथा अफ्रीका पर भारत के प्राथमिकता फोकस के अंतर्गत हमारी प्राथमिकताओं के बहुत महत्वपूर्ण घटकों और खंडों में शामिल है। इसलिए, मॉरीशस एक तरह से इन तीन प्रमुख नीतिगत आधारों के समामेलन पर स्थित है जिनका भारत सरकार अनुसरण करती है। दोनों देशों के नेतागणों के बीच बहुत नियमित, अनवरत और गहन उच्च स्तरीय राजनीतिक जुड़ाव भी बना रहा है। हमारे प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री मोदी जी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौथ ने पिछले छह महीनों में पांच बार बातचीत की है और भारत द्वारा जी20 की अध्यक्षता के दौरान एक प्रमुख अतिथि देश के रूप में मॉरीशस की भागीदारी, मॉरीशस के साथ भारत के प्राथमिकता आधारित और विशेष संबंधों का एक प्रमुख प्रमाण रहा है। यह वास्तव में भारत और मॉरीशस के बीच विशेष संबंधों को रेखांकित करता है।

महामहिम राष्ट्रपति द्वारा मॉरीशस का दौरा, भारत और मॉरीशस के बीच दीर्घकालिक और विश्वसनीय साझेदारी के बढ़ते विस्तार को दर्शाता है। यह दौरा हमारे विशेष संबंधों में सकारात्मक, निरंतर सकारात्मक गति और प्रवृत्तियों को सुदृढ़ करता है, और यह इस महत्वपूर्ण साझेदार के साथ हमारे संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने की हमारी साझा और सुदृढ़ प्रतिबद्धता भी इंगित करता है। अब इसी के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूँ, और यदि आपके कोई प्रश्न हों तो हम उनका उत्तर देंगे। धन्यवाद।

गिरीश निशाना: सर, नमस्कार। सर, मैं गिरीश निशाना डीडी न्यूज़ से। सर अभी हाल ही में मॉरीशस के अंदर यूपीआई और रुपे कार्ड सेवाओं के महत्व बारे में क्या आप जानकारी दे सकते हैं? और क्या ये भारत और मॉरीशस के बीच में वित्तीय कनेक्टिविटी को बढ़ाने में किस तरह से मदद करेगा?

वक्ता: सर अभी हाल में भारत और मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने अगालेगा, मॉरीशस में परियोजना का संयुक्त रूप से उद्घाटन किया था। तो सर उसमें बता सकते हैं आप कि वो प्रोजेक्ट को किस तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है? क्या कुछ उसमें निर्माण किया जा रहा है?

भूपेन सिंह: महोदय, मैं ऑल इंडिया रेडियो न्यूज से भूपेन सिंह हूँ। महोदय, मेरा प्रश्न यह है कि भारत मॉरीशस में विभिन्न विकास संबंधी परियोजनाओं में सहयोग हेतु सक्रिय रूप से शामिल रहा है। क्या आप इन परियोजनाओं के प्रभाव और सफलता के विवरणों पर प्रकाश डाल सकते हैं, विशेषकर अवसंरचना, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा आदि क्षेत्रों में? धन्यवाद।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: अवसंरचना, स्वास्थ्य देखभाल, और?

भूपेन सिंह: शिक्षा।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: धन्यवाद। मैं सबसे पहले अंतिम प्रश्न का उत्तर देना चाहूँगा, क्योंकि मेरे विचार में, आपका प्रश्न कई मायनों में संपूर्ण स्पेक्ट्रम का व्यापक और समग्र अर्थ प्रकट करता है, कम से कम भारत-मॉरीशस साझेदारी के स्पेक्ट्रम के प्रमुख भागों को। यदि आप भारत-मॉरीशस साझेदारी के संदर्भ ढांचे के प्रमुख बिंदुओं को देखें, तो आप पाएंगे कि यह मॉरीशस की प्राथमिकताओं में सर्वोपरि और सबसे महत्वपूर्ण है। इसलिए भारत द्वारा विकास संबंधी सहयोग की रूपरेखा जिसे हम किसी भी देश के साथ अपनाते हैं, विशेष रूप से वैश्विक दक्षिण के देशों के साथ, और विशेष रूप से वे देश जो हमारे पड़ोसी को प्राथमिकता वाली नीति के अंतर्गत प्रमुख प्राथमिकता वाले क्षेत्र हैं; प्रधानमंत्री मोदी के विज़न SAGAR के अंतर्गत, हमारी विकास साझेदारी, सर्वोपरि और सबसे महत्वपूर्ण, प्राप्तकर्ता देशों की प्राथमिकताओं पर आधारित है। इसलिए मॉरीशस सरकार की जो भी प्राथमिकताएँ हैं, वह हमारी सहयोग आधारित परियोजनाओं की प्रेरक विशेषता है। यह इस विशेष नीति के अनुरूप है कि यदि आप मॉरीशस में जारी किसी परियोजना का विश्लेषण करें, जिसमें दो विशिष्ट परियोजनाएं शामिल हैं जिनका पिछले दो प्रश्नों में उल्लेख किया गया था, तो एक तो वित्तीय संपर्क सुविधाओं से संबंधित है और दूसरी संपर्क सुविधा के व्यापक मुद्दे से संबंधित है, वे सभी उस विशेष रूपरेखा में केंद्रित हैं। और ये परियोजनाएं मॉरीशस सरकार की प्राथमिकताओं पर आधारित संदर्भ के उस विशेष ढांचे के अनुरूप हैं।

इसलिए, उदाहरण के लिए, यदि आप मॉरीशस में मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना पर विचार करें, और यदि आप शहर में गए हैं, तो आप देखेंगे कि मेट्रो एक्सप्रेस परियोजना इस बात का एक बहुत ही जीवंत उदाहरण है कि शहरी क्षेत्रों में विकास संबंधी साझेदारी की रूपरेखा पर आधारित अवसंरचनागत सहयोग, वास्तव में किस प्रकार किसी शहर के नियोजित शहरी विकास का एक सुदृढ़ प्रेरक हो सकता है। यह मॉरीशस के साथ भारत की एक प्रमुख विकास परियोजना है। जैसा कि स्पष्ट है, इसने बहुत विश्वसनीय, पर्यावरण अनुकूल और अत्यधिक शहरीकृत परिवहन प्रणाली प्रदान की है, जहाँ तक मुझे ज्ञात है, कि यह शहर में स्थानीय लोगों के बीच व्यापक रूप से लोकप्रिय हुई है। हमारे विशेष आर्थिक पैकेज के अंतर्गत आपने इंफ्रास्ट्रक्चर की बात की थी। हमने लगभग 950 से अधिक सामाजिक आवास इकाइयाँ, स्कूली बच्चों के लिए ई-टैबलेट जैसी शैक्षिक परियोजनाएँ लागू की हैं, उच्‍चतम न्यायालय का नया भवन, जो रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हो गया, न्यायिक क्षेत्र में अवसंरचनागत सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। तो यह इस परियोजना के माध्यम से दो स्थानों को जोड़ता है। अत्याधुनिक ईएनटी अस्पताल। आपने स्वास्थ्य देखभाल की बात की थी। मॉरीशस पहला देश है जिसके साथ भारत ने करार किया है, प्रधानमंत्री मोदी की जन-औषधि योजना के अंतर्गत भारत ने स्वास्थ्य सहयोग बनाने पर सहमति व्यक्त की है। अनिवार्य रूप से, यह जनता के लिए सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण दवाएं, जेनेरिक दवाएं प्रदान करने के लिए है। यह अवधारणा और विशिष्टताएं हैं। हमें आशा है, हमें विश्वास है कि यह बड़े पैमाने पर आगे बढ़ेगा और स्वास्थ्य अभिशासन प्रदान करने के क्षेत्र में अन्य देशों के साथ साझेदारी के लिए एक उपयोगी रूपरेखा के रूप में काम करेगा। परियोजनाएं, समुदायों के व्यापक वर्ग तक विस्तृत हैं, भारत सरकार पूरे मॉरीशस में 96 लघु समुदाय विकास परियोजनाओं को कार्यान्वित कर रही है। और आपने देखा होगा कि आज सुबह महामहिम राष्ट्रपति ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री के साथ एक समारोह में उनमें से 14 परियोजनाओं का उद्घाटन किया। और ये परियोजनाएँ भी विभिन्न क्षेत्रों में आम नागरिकों के जीवन से संबंधित हैं। मॉरीशस के सार्वजनिक सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए हम अभी एक नए सिविल सेवा कॉलेज का भी निर्माण कर रहे हैं। हम (अश्रव्य) में सरकार की भी सहायता कर रहे हैं, यह एक किडनी प्रत्यारोपण इकाई, एक मेडिकल इकाई और दो स्वास्थ्य क्षेत्र केंद्रों वाली एक पारंपरिक परियोजना है। मैं हमारी साझेदारी के विभिन्न पहलुओं के बारे में बात कर सकता हूँ। लेकिन यह व्यापक रूप में हमारे दोनों देशों के बीच हमारी सफल विकास साझेदारी की हाल की उपलब्धियों और हम जो देख रहे हैं उसके संदर्भ में भविष्य की संभावनाओं को भी दर्शाता है।

लेकिन मैं यह फिर से कहना चाहूँगा कि मॉरीशस के साथ हमारी साझेदारी का मुख्य प्रेरक, पड़ोसी को प्राथमिकता वाली नीति, विजन SAGAR के माध्यम से केंद्रित है, और मॉरीशस की प्राथमिकताओं पर आधारित है।

देखिये आपका जो प्रश्न था अगालेगा को ले के, अगालेगा का प्रोजेक्ट भी, उसके 3 मुख्य भाग हैं, एक तो एयर स्ट्रिप का निर्माण, जेटी का निर्माणऔर वहां पर सामुदायिक विकास परियोजनाएँ, ये सभी परियोजनाएँ जो हैं अभी चंद दिन पहले, भारतीय प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी जी और मॉरीशस के प्रधानमंत्री ने मिल के इन सभी परियोजनाओं का अनावरण किया था। और अगर आप ध्यान से देखें तो ये परियोजनाएँ 3-4 मुख्य चीज़ों पर केन्द्रित हैं। सबसे पहला कनेक्टिविटी, आपने पिछले प्रश्न में वित्तीय कनेक्टिविटी की बात की ये एक भौतिक इंफ्रास्ट्रक्चर कनेक्टिविटी है, जो अगालेगा द्वीप और मेनलैंड मॉरीशस के बीच में एक प्रकार से जो उनकी कनेक्टिविटी है उसको और सशक्त और सामर्थ्‍य प्रदान करेगा। इसके कारण किसी भी प्रकार का जो अगालेगा द्वीप से आपातकालीन निकास होना है, चाहे वह स्वास्थ्य की आपदा हो या किसी भी प्रकार की आपदा हो, उसमें महत्त्वपूर्ण सहूलियत प्रदान होती है, जो कि पहले थी लेकिन थोड़ी कठिन थी। इसी प्रकार से कनेक्टिविटी के कारण सफ़र, अगालेगा और मेनलैंड मॉरीशस के बीच में प्रदान होता है। जो वहां पर हमने सामुदायिक विकास परियोजनाएँ शुरू की हैं, वो अगालेगा द्वीप निवासियों के विकास और उनकी विकास ज़रूरतों के आधार पर ही उनका कार्यान्वयन और उनकी अवधारणा की गई है। तीसरा यदि आप देखेंगे तो जहां तक सामुद्रिक सुरक्षा, सामुद्रिक निगरानी की जो हमारी, भारत और मॉरीशस की जो एक साझी प्राथमिकता हैं, अगालेगा परियोजना उसको भी आगे बढ़ाने में काफी महत्वपूर्ण साबित होगा, उसमें चाहे हाइड्रोग्राफी हो, चाहे मानवीय सहायता हो, चाहे सामुद्रिक क्षेत्र में ड्रग तस्करी की बात हो, मानव तस्करी की बात हो ये सभी जो हमारे एक प्रकार से साझी चुनौतियाँ हैं सामुद्रिक क्षेत्र को ले के, अगालेगा में जो भी भौतिक कनेक्टिविटी के प्रोजेक्ट और सामुदायिक विकास की परियोजनाएँ जो भारत ने की हैं वो इनमें प्राथमिकताओं को मद्देनजर किए हैं और हमें पूर्ण विश्वास है कि इससे उस क्षेत्र के विकास में काफी मदद मिलेगी।

देखिए जो आपने प्रश्न किया रूपे और यूनिफाइड पेमेंट सिस्टम लिंकेज के बीच में, इसके कारण जो, आपने बिल्कुल सही कहा, मैं आपसे पूरी तरह सहमत हूँ कि ये वित्तीय कनेक्टिविटी का एक मुख्य आधार है। कनेक्टिविटी की परिभाषा आज के युग में केवल भौतिक कनेक्टिविटी तक सीमित नहीं है, अपितु डिजिटल कनेक्टिविटी हो, वित्तीय अंतरसंचालनीयता हो, वित्तीय कनेक्टिविटी जैसे आपने कहा ये सब नई उभरती हुई विमाएँ हैं संबंधों की और कनेक्टिविटी की। उसमें अगर देखा जाए तो रुपे कार्ड और यूपीआई सिस्टम का एक दूसरे से - एक प्रकार से कहें, वित्तीय प्रणाली का एक दूसरे से बातचीत करने की जो एक सहूलियत उत्पन्न हुई है वो इसका एक मुख्य आधार है। इसके अंतर्गत जो भारतीय यात्रीगण जो मॉरीशस की यात्रा करते हैं और मॉरीशस के नागरिक जो भारत की यात्रा करते हैं वो दोनो यूपीआई और त्वरित भुगतान प्रणाली, जो मॉरीशस के हैं उनको प्रयोग करते हुए तुरंत भुगतान कर पाएंगे।

ये एक प्रकार से समझें तो इसका लोगों से लोगों के संबंधों में दोनों देशों की जो वित्तीय संस्थाएं हैं उनके सहयोग में, और पर्यटन के विकास में, तीनों में जो है वो काफी मदद प्रदान होती है। मॉरीशस इसके साथ, इसके साथ पहला अफ्रीकन देश होगा जिसने यूपीआई भुगतान प्रणाली को अपनाया था। रूपे कार्ड का जहां तक प्रश्न है, रूपे कार्ड अब चाहे स्वचालित टेलर मशीनें हों, एटीएम मशीनें हों, पीओएस - प्वाइंट ऑफ सेल्स मशीनें हों, उस पर प्रयोग किये जा सकते हैं। फिर, इसका भी फिर यही फ़ायदा है कि एक प्रकार से यात्रा में आसानी, संचार में आसानी, वित्तीय संचार और पर्यटन में आसानी, पर्यटन को बढ़ाने में काफ़ी मदद मिलती है। और इसको भी देखेंगे तो शायद मॉरीशस शायद पहला ऐसा गैर-एशियाई देश होगा जिसने रुपे कार्ड अपनाया। और जैसा कि मैंने कहा माननीय राष्ट्रपति जी ने स्वयं से मॉरीशस के राष्ट्रपति को और मॉरीशस के प्रधानमंत्री को ये भारतीय रुपे कार्ड प्रदान किया। और जिस तरह से वित्तीय कनेक्टिविटी में और बढ़ाव आएगा, और गहराई आएगी और उसकी जो तीव्रता आदान-प्रदान की बढ़ेगी तो भुगतान प्रणाली ज्यादा निर्बाध होंगी, पर्यटन को प्रत्यक्ष रूप से काफी समर्थन प्रदान होगा, और लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी और इसके चलते जो आदान-प्रदान हैं दोनों देशों के बीच में वो बढ़ेंगे। तो यदि देखें तो नई अर्थव्यवस्था के ये जो नए मापदंड हैं उसमें भी भारत-मॉरीशस का सहयोग जो है काफी ही सुदृढ़, काफी ही सशक्त और समर्थवान रूप से आगे बढ़ रहा है।

श्री राजेश परिहार, निदेशक (एक्सपीडी): धन्यवाद महोदय, चूंकि हमारे पास अब समय कम है। महोदय, आपकी अनुमति से मैं इस मीडिया ब्रीफिंग का अब समापन करना चाहूँगा। धन्यवाद महोदय, और आज हमारे साथ इसमें भाग लेने के लिए आप सभी साथियों को हार्दिक धन्यवाद।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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