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आधिकारिक प्रवक्ता द्वारा साप्ताहिक मीडिया वार्ता का प्रतिलेख (01 फरवरी, 2024)

फरवरी 01, 2024

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: नमस्कार मित्रों। इस प्रेस वार्ता में आपका स्वागत है। आइए, हम सीधे आपके प्रश्नों के साथ शुरुआत करते हैं।

संदीप: सर मेरा नाम संदीप है, न्यूज 18 इंडिया से। मेरा सवाल है कि एक वीडियो जो है वो आया था सोशल मीडिया पे और चुशूल के काउंसलर ने वीडियो रिलीज किया था, जिसमें ये दिखाया गया है कि कैसे चाइनीज पीएलए हमारे ग्रेजर्स को वहाँ से भगा रहे हैं और उनको वहाँ ग्रेजिंग नहीं करने दिया जा रहा है। क्या रिपोर्ट है? किस तरीके की अभी फ़िलहाल स्थिति है वहाँ?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: इससे जुड़े जितने सवाल हैं, पूछ लें।

मधुरेन्द्र: महोदय, मधुरेन्द्र मैं न्यूज नेशन से हूँ। मैं जानना चाहता हूँ कि जो क्षेत्र है खास तौर पर पे जहाँ पर ग्रेजिंग करने से रोका गया है, क्या उसे भारत ने जो चीनी सैनिक हैं उनका अतिक्रमण माना है, क्योंकि ये हमारा क्षेत्र है जिसमें चीनी सैनिक घुसकर आए हैं, उनका पेट्रोलिंग देखा जा रहा है है, और क्या इसपर हमने चीन से विरोध भी दर्ज किया है?

सिद्धांत: चीन पर नहीं, लेकिन मेरा प्रश्न यह है कि आज म्यांमार में तख्तापलट को तीन साल हो गए हैं। तो उस पर भारत का दृष्टिकोण क्या है, भारत लोकतंत्र की मांग करता रहा है, तो क्या हम उस पर बात कर सकते हैं। और मेरा दूसरा प्रश्न अफ्रीका के बारे में है जहाँ सोमालिया और इथियोपिया के बीच एक समझौता हुआ है, क्या उस पर कोई प्रतिक्रिया देना चाहेंगे?

मुकेश: एलएसी पर पांच बफर जोन बने हैं। मैं मुकेश कौशिक हूँ दैनिक भास्कर से। पांच बफर जोन बने हुए हैं उनको चीनी पीएलए वहाँ पर ड्रोन भेज कर उनकी निगरानी करते हैं कि कोई उसका उल्लंघन तो नहीं हो रहा। क्या ये ड्रोन भेजना उस समझौते का उल्लंघन नहीं है कि बफर जोन में कोई नहीं आएगा?

सृंजॉय: धन्यवाद. महोदय, मैं टाइम्स नाउ से सृंजॉय हूँ। अभी, चीन ने 27 जनवरी को असाफिला सेक्टर में, बड़ी संख्या में पीएलए ने अतिक्रमण किया, हालांकि यह थोड़े समय के लिए था। अब, क्या भारत ने यह मामला चीन के समक्ष कूटनीतिक रूप से उठाया है?

येशी: मैं न्यू इंडियन एक्सप्रेस से येशी सेली हूँ। विदेश सचिव हाल ही में भूटान गए थे। क्या बातचीत के दौरान सीमा संबंधी मुद्दे, और चीन के साथ भूटान के समीकरण पर चर्चा हुई?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: यदि हमारे पास चीन पर कोई और प्रश्न नहीं है, ताकि हम उन्हें एक साथ जोड़ सकते हैं।

संदीप देखिए आपका जो सवाल रहा है ग्रेजर्स लोग, जो वहाँ पर चरवाहा लोग हैं उनके बारे में। तो हम लोगों ने भी एक ऐसा वीडियो देखा है मीडिया के हवाले से, लेकिन जहाँ तक विशिष्ट आपके सवाल का ज़िक्र है, मैं चाहूँगा कि आप इस सवाल को जो हमारी संबंधित एजेंसीज हैं उनके पास ले जाएं। जहाँ तक हम लोगों का सवाल है, दोनों देशों के लोग अपने-अपने जो उनके इलाके हैं जहाँ ग्रेजिंग हो सकती है, चरवाहे जा सकते हैं, उसके बारे में भलीभाँति अवगत हैं। और कोई भी इस प्रकार का मुद्दा अगर आता है जिसमें कि थोड़ी खटपट हुई हो, या कुछ टकराव हुआ हो, तो उसको जो तंत्र हमारे पास हैं, जो प्लेटफॉर्म हैं बातचीत के उनके जरिए हम इसको सुलझाते हैं, उसके जरिए हम इसकी देखरेख करते हैं, कि कैसे इसको बेहतर किया जाए।

इस विशेष मामले पर, मैं आप सभी को सुझाव दूंगा कि यदि आपके पास कुछ है, यदि आप बहुत विशिष्ट विवरण मांग रहे हैं, तो आपको संबंधित अधिकारियों से, इस मामले में, रक्षा मंत्रालय से संपर्क करना चाहिए। अपनी ओर से, हम जो कह सकते हैं वह यह है कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में पारंपरिक चरागाह क्षेत्रों के बारे में जानते हैं। टकराव की किसी भी घटना में, जैसा भी उचित हो, स्थापित व्यवस्थाओं के माध्यम से कार्यवाही की जाती है।

मधुरेन्द्र, आपका भी सवाल इससे जुड़ा था तो आपके सवाल का मैंने जवाब दे दिया है।

सिद्धांत, अब हम आपके प्रश्न पर बात करते हैं...आज 1 फरवरी है, यह घटनाक्रम के तीन वर्ष पूरे होने का अवसर है। उस पर मैं कहना चाहूँगा कि हम म्यांमार में बिगड़ती परिस्थितियों से चिंतित हैं, जो हमें सीधे प्रभावित करती हैं। एक पड़ोसी देश होने के नाते और म्यांमार के मित्र के रूप में, भारत लंबे समय से हिंसा की पूर्ण समाप्ति और म्यांमार में समावेशी संघीय लोकतंत्र की दिशा में बदलाव का पक्षसमर्थन करता रहा है। हम रचनात्मक बातचीत के माध्यम से मुद्दे का शीघ्र समाधान, तथा देश में शांति और स्थिरता की वापसी चाहते हैं।

वक्ता: (अस्पष्ट)

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: सामान्य तौर पर चिंता देश में हो रही सभी गतिविधियों, सुरक्षा स्थिति, अस्थिरता, हिंसा आदि के संदर्भ में हो रही सभी बातों को लेकर है।

सोमालिया और इथियोपिया के संबंध में, मैं आपको बताना चाहूँगा कि हमने इथियोपिया संघीय लोकतांत्रिक गणराज्य और सोमालीलैंड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर के बाद हॉर्न ऑफ अफ्रीका में घटनाक्रम पर ध्यान केंद्रित किया है। भारत सभी राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने पर बल देता है। इस स्थिति का समाधान करने के लिए हम सभी पक्षों के बीच शांतिपूर्ण बातचीत का आह्वान करते हैं।

सृंजॉय, आपके प्रश्न के संदर्भ में, जैसा कि मैंने पूर्ववर्ती प्रेस वार्ता में कहा था, कि भारत और चीन के बीच कुछ मुद्दे हैं, जिन पर दो ट्रैक पर चर्चा की जा रही है, सैन्य स्तर पर चर्चा के साथ राजनयिक चैनल पर भी यह चर्चा की जा रही है। इसलिए ये सभी मुद्दे, जब भी सामने आते हैं, तो इन पर समुचित ढंग से कदम उठाए जाते हैं।

येशी, भूटान पर आपके प्रश्न के संबंध में, विदेश सचिव अभी हाल ही में वहाँ गए थे, जब वह भूटान में थे, तो हमने एक रीड-आउट, एक प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी जिसमें हमारी चर्चा में शामिल सभी बातों का विवरण था, सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा की गई थी। उन्होंने महामहिम नरेश से भेंट की। उन्होंने प्रधानमंत्री से भी भेंट की। उन्होंने विदेश सचिव से भी भेंट की, जहाँ उन्होंने संपर्क सुविधा के मामलों, ऊर्जा, विकास सहयोग और हमारे द्विपक्षीय संबंधों के अन्य पहलुओं पर द्विपक्षीय चर्चा की।

सुधि: महोदय, मैं ब्लूमबर्ग से सुधि रंजन हूँ। हमने भारत द्वारा एमक्यू9बी ड्रोन की खरीद को ब्लॉक किए जाने के बारे में कुछ रिपोर्टें देखी हैं, संयुक्त राज्य अमेरिका से इस मामले में कुछ अनिश्चितता है। क्या आप हमें बता सकते हैं और क्या यह वास्तव में सच है कि पन्नून घटना के कारण कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है?

ऋषभ: महोदय, मैं टाइम्स नाउ से ऋषभ हूँ, सुधि के प्रश्न को थोड़ा और विस्तार देते हुए, एक और रिपोर्ट है कि कांग्रेस ने ड्रोन निर्माता को यह भारत को बेचने के लिए अनुमति दे दी है, और अधिसूचना 24 घंटे में जारी की जा सकती है। ये दो विरोधाभासी रिपोर्टें आई हैं। क्या विदेश मंत्रालय स्पष्ट कर सकता है कि क्या सही है और इस सौदे को लेकर अभी हमारी क्या स्थिति है।

सिद्धांत: नमस्ते महोदय, मैं सीएनएन न्यूज18 से सिद्धांत हूँ। महोदय, मेरा प्रश्न मालदीव के संबंध में है। महोदय, मालदीव में जो हो रहा है उस पर पूरे विश्व की नज़र है। सदन के अंदर विपक्षी दलों के सांसदों को पीटा गया और मालदीव की सड़कों पर एक महिला सांसद को परेशान किया गया महोदय। कुछ सांसदों ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति मुइज्जू कुछ सांसदों को अपने पक्ष में करने के लिए उन्हें रिश्वत देने की कोशिश कर रहे हैं। मालदीव में जो राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है, उस स्थिति को लेकर भारत का क्या दृष्टिकोण है?

सुहासिनी: मैं दि हिंदू से सुहासिनी हैदर हूँ। सुधि रंजन के प्रश्न को फॉलो-अप करते हुए, हाल ही में सप्ताहाँत में अमेरिकी सहायक विदेश मंत्री डोनाल्ड लू सहित वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारियों ने दिल्ली का दौरा किया था। इसलिए मैं बस यह पूछना चाहती थी कि क्या उन्होंने पन्नून की हत्या की कथित साजिश की भारत में जाँच का प्रश्न उठाया था; और क्या उच्च स्तरीय समिति, उच्च स्तरीय जाँच पैनल पर कोई प्रगति हुई है, मेरे विचार में, जिसकी घोषणा 18 नवंबर को विदेश मंत्रालय द्वारा की गई थी; उस पैनल की संरचना, इन दो महीनों में क्या प्रगति हुई है, यदि कोई हुई हो तो? तो यह एक प्रश्न था, लेकिन मेरा जो दूसरा प्रश्न था वह एक अलग मुद्दे पर था। मैं इसे अभी पूछ सकती हूँ, और यह इज़राइल के संबंध में है। पिछले हफ्ते हमने जो देखा है, उसे देखते हुए, आईसीजे के उस फैसले पर भारत की क्या प्रतिक्रिया है जिसमें मूल रूप से इजरायल से नरसंहार के कृत्यों को रोकने के लिए आह्वान किया गया है? और दूसरी बात, ऐसे कई देश हैं, विशेष रूप से पश्चिम में, जिन्होंने इज़राइल के आरोपों पर UNRWA में अपना योगदान वापस ले लिया है। दरअसल, भारत ने UNRWA में अपना योगदान बढ़ाकर, मेरे विचार में, 2020 के बाद से अब एक वर्ष में 10 मिलियन तक कर दिया है। तो क्या भारत वहाँ अपने योगदान में किसी बदलाव पर विचार कर रहा है? मेरे विचार में पिछली किश्त अभी पिछले माह ही गई है।

सृंजॉय: महोदय, मेरा प्रश्न मालदीव मुद्दे से संबंधित है। हम पहले से ही मालदीव में एक चीनी जहाज, जियांग यांग होंग 3 के बारे में जानते हैं। लेकिन हमें दूसरे जहाज की खबरें मिल रही हैं। और यह एक बड़ा जहाज है, 3,000 टन का, इसे लानहाई, या ब्लू ओशन कहा जाता है। अब वह भी मालदीव के जल क्षेत्र में है, जिसका अर्थ यह है कि उस द्वीप राष्ट्र में चीन के दो प्रमुख जहाज हैं। अब, क्या आप इसे सरकार में बदलाव के मद्देनजर उनकी सशक्त समर्थन अभिव्यक्ति की तरह देखते हैं?

मानस: मैं पीटीआई से मानस हूँ। फिर से, ड्रोन डील के संबंध में, ड्रोन डील पर भारत और अमेरिकी अधिकारियों के बीच बातचीत की वास्तविक स्थिति क्या है? क्योंकि यह सरकार-से-सरकार के बीच सौदा है, जिसकी घोषणा पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी के वाशिंगटन दौरे के समय की गई थी; और क्योंकि स्थिति की ताज़ा जानकारी को लेकर विरोधाभासी रिपोर्टें हैं, कुछ रिपोर्टें बता रही हैं, वास्तव में, यह कांग्रेस का मामला है। कल एक और रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि डील रोक दी गई है। और कुल मिलाकर, क्या आपको लगता है कि पन्नून की हत्या की नाकाम साजिश से संबंधित आरोपों के मद्देनजर बड़े रक्षा सौदों पर बातचीत मंद पड़ रही है? इन चर्चाओं की क्या स्थिति है?

विशाल: महोदय, मेरा नाम विशाल है। मैं ज़ी न्यूज़ से हूँ। मालदीव के मौजूदा राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग लाने की तैयारी है और विपक्षी जो दल हैं मालदीव के, वो लगतार ये कह रहे हैं कि भारत प्रथम नीति पर मालदीव को चलना चाहिए ना कि चीन की तरफ। भारत कैसे देखता है जो महाभियोग की तैयारी मालदीव के राष्ट्रपति के खिलाफ लाने की है?

वक्ता 2: मालदीव की एक सांसद ने पहले भी प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ विवादित ट्वीट कर विवाद खड़ा किया था। उन्होंने हाल ही में एक वीडियो ट्वीट किया था जिसमें कहा गया है कि भारत सरकार, मालदीव में समग्र राजनीतिक उथल-पुथल का वित्तपोषण कर रही है, और श्रीलंका में मालदीव के...एमडीपी सदस्यों के साथ भारतीय अधिकारियों की कुछ बैठकें हुई हैं। क्या आप उस बारे में कोई टिप्पणी करना चाहेंगे?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: ठीक है। ड्रोन मुद्दे पर आते हैं, सुधि और हमारे सभी मित्रों के लिए। देखिए, यह विशेष मामला अमेरिकी पक्ष से संबंधित है। उनकी अपनी आंतरिक प्रक्रियाएं हैं और हम उसका सम्मान करते हैं। तो इस मामले में मैं केवल यही टिप्पणी करना चाहूँगा।

ऋषभ आपने एक प्रश्न पूछा था, संबंधित प्रश्न।

ऋषभ: महोदय, मैं जिस दूसरी रिपोर्ट के बारे में बात कर रहा था...कांग्रेस की सहमति के बारे में भारत में सर्वोच्च प्राधिकारी को भी सूचित किया गया है और भारत को ज्ञात है कि डील चल रही है और हरी झंडी मिल गई है। तो, इस डील के बारे में भारत क्या जानता है?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: इस पर, मुझे जो कहना था, मैंने वह यथास्थिति बताई है। यह ऐसा मामला है जो अमेरिकी पक्ष से संबंधित है। उनकी अपनी आंतरिक प्रक्रियाएं हैं और हम उसका सम्मान करते हैं। हमें उनका सम्मान करना होगा और हम उनका सम्मान करते हैं।

सिद्धांत, आपका मालदीव पर एक प्रश्न था। देखिए, जहाँ तक संसद या इन प्रश्नों का मामला है, ये मालदीव के आंतरिक मामले हैं और हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे। तो मैं इस मामले में केवल इतना ही कहना चाहूँगा।

सृंजॉय, मालदीव में आने वाले कुछ देशों के जहाजों के बारे में आपके प्रश्न के संबंध में; जैसा कि हमने पहले भी कहा है, हमारे हितों, आर्थिक हितों और सुरक्षा हितों को प्रभावित करने वाले घटनाक्रमों पर हम सदैव कड़ी नजर रखते हैं; और आवश्यकता पड़ने पर यथोचित सुरक्षात्मक उपाय करते हैं।

उच्च-स्तरीय समिति के मामले में, सुहासिनी आपके प्रश्न के संबंध में यह कहना है कि उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया गया है। इसे अपनी रिपोर्ट देनी है। इसलिए हमें रिपोर्ट आने तक इंतजार करना है। और उसके बाद, आपको अधिक जानकारी मिलेगी कि हम किस स्थिति में हैं। सहायक विदेश मंत्री के मामले में, हाँ, वह यहाँ थे। उन्होंने भारत-अमेरिका फोरम में भाग लिया। उनके कई अन्य कार्यक्रम भी थे। मैं इस मामले में केवल इतना ही कहना चाहूँगा। आईसीजे के इस निर्णय के मामले में मैं कहना चाहूँगा कि हमने उन अंतरिम उपायों पर गौर किया है जिन पर आईसीजे ने अपना निर्णय दिया है। तो अंतरिम उपायों संबंधी आईसीजे के निर्णय के मामले में, हमारी वही स्थिति है।

UNRWA पर, भारत फिलिस्तीन का एक महत्वपूर्ण विकास भागीदार है। हम उन्हें द्विपक्षीय, और संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से सहायता प्रदान करते रहे हैं। लेकिन साथ ही, आतंकवाद के प्रति हमारी शून्य सहनशीलता की नीति है। और इस संबंध में, हम इन आरोपों से बहुत चिंतित हैं कि UNRWA के कर्मचारी 7 अक्टूबर के आतंकवादी हमलों में शामिल थे। हम इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र द्वारा शुरू की गई जाँच का भी स्वागत करते हैं।

विशाल आपका सवाल मालदीव पर था। मालदीव की संसद के बारे में था। देखिए ये सब जो मसला है, मालदीव का, ये उनका अंदरूनी मसला है, तो इसपे हम लोग कोई अपनी टिप्पणी देना नहीं चाहते हैं। ये उनका खुद का मामला है और इसको आपको इस प्रकार से समझना चाहिए।

अभिषेक आपने जो बात कही वीडियो वाली, हम लोगों ने भी उस वीडियो को मीडिया के हवाले से देखा है, फिर, ये उनका अंदरूनी मामला है और इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करना चाहेंगे।

वक्ता 3: (अस्पष्ट)

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: ये उनका अंदरूनी मामला है, ये तो मीडिया के हवाले से पता चला है, ये तो वीडियो है, वीडियो मीडिया में देखा गया है, उसके आगे कोई बात नहीं आई।

सिद्धांत: नमस्ते महोदय, मैं सीएनएन से सिद्धांत हूँ। महोदय, मेरा प्रश्न महादेव ऐप वाले मामले में अभियुक्तों के प्रत्यर्पण के संबंध में है; और रायपुर के न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय को संयुक्त अरब अमीरात, दुबई से सौरभ चंद्राकर और रवि उप्पल के प्रत्यर्पण के लिए आगे कार्यवाही करने की अनुमति दी है। महोदय, पिछले दो महीनों में दोनों देशों के नेताओं की दो बार भेंट हुई। क्या इस मुद्दे पर चर्चा हुई? और यदि हाँ, तो प्रत्यर्पण की स्थिति क्या है? धन्यवाद।

अखिलेश: महोदय, मैं अखिलेश सुमन, एक फ्रीलांसर हूँ। मेरा प्रश्न लाल सागर की स्थिति के बारे में है। विदेश मंत्री ईरान गए थे, उन्होंने अपने समकक्ष से बात की थी। उन्होंने इजरायल के विदेश मंत्री से भी हाल ही में बात की थी। फ्रांस के राष्ट्रपति भारत आए थे और प्रधानमंत्री ने उनसे बात की थी। इसलिए, चूंकि लाल सागर की स्थिति के कारण हमारा निर्यात और आयात प्रभावित हो रहा है, हूथी हमले कर रहे हैं, हमने भी कुछ किया है; हमारी पूरी नीति क्या है? क्या हम लाल सागर में हूथियों को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय शक्तियों के साथ जुड़ने जा रहे हैं, या क्या हमने उन्हें रोकने के लिए ईरान से कोई अनुरोध किया है?

कल्लोल: महोदय, मैं द हिंदू से कल्लोल हूँ। कुछ दिन पहले, हमने देखा कि तालिबान के राजदूत ने बीजिंग में राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अपना परिचय पत्र प्रस्तुत किया। उस संदर्भ में, क्या हम कह सकते हैं कि भारत भी निकट भविष्य में काबुल में स्थापित तालिबान को वस्तुत: मान्यता दे सकता है, क्योंकि मानवाधिकार के मोर्चे पर तालिबान के बारे में स्पष्ट आलोचनाएँ हैं, लेकिन फिर यह भी राय बढ़ रही है कि तालिबान के मामले में चीन शायद भारत से आगे निकलने की कोशिश कर रहा है। तो, महोदय, मैं इस पर आपकी प्रतिक्रिया का आग्रह करता हूँ।

मुकेश: महोदय, मैं दैनिक भास्कर से मुकेश कौशिक हूँ। आपने ऐसी खबरें देखी होंगी कि ब्रिटेन में ऋषि सुनक सरकार, भारत के हिंदू पुजारियों को वीजा देने से इनकार कर रही है और इसके कारण बर्मिंघम में एक राम मंदिर सहित 50 से अधिक मंदिर बंद कर दिए गए हैं। तो क्या आप इस बारे में ऋषि सुनक सरकार के समक्ष मुद्दा उठा रहे हैं?

पिया: मैं प्रिंट से पिया हूँ। महोदय, बजट के संबंध में मेरे दो प्रश्न हैं। बजट के अनुसार, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में अपना योगदान काफी कम कर दिया है। विगत वर्ष का पुनरीक्षित अनुमान 382 करोड़ था। अब आवंटन 175 करोड़ है। तो इस कटौती, जो लगभग आधी हो गयी है, का क्या कारण है? और दूसरा प्रश्न विविध सामान्य सेवाओं के रूप में लिखित हमारे व्यय पर है। इसमें कहा गया है कि पिछले साल का पुनरीक्षित अनुमान 9,000 करोड़ था और इस वर्ष आवंटन लगभग 4,300 करोड़ है। क्या आप बता सकते हैं कि यह व्यय क्या है और विविध सामान्य सेवाओं से आपका क्या आशय है? धन्यवाद।

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: ठीक है। तो चलिए इन प्रश्नों पर बात करते हैं। पिया, आपके प्रश्न के संबंध में, आज माननीय वित्तमंत्री द्वारा बजट प्रस्तुत किया गया है। ऐसे कई मुद्दे हैं जो विदेश मंत्रालय से संबंधित हैं, जिनमें हमारी अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी और हमारी विकास साझेदारी शामिल है। विशिष्ट बिंदुओं के संबंध में, मेरे पास अभी कोई उत्तर नहीं है, लेकिन आपके द्वारा उठाए गए विविध मुद्दों और हमारे बजट प्रावधानों के संबंध में, हम इसे देखेंगे, और उस संबंध में आगे आपसे बात करेंगे।

मुकेश जी आपने जो जिक्र किया वीजा के बारे में, इससे आप अवगत हैं लेकिन मैं नहीं हूँ, तो मैं इस मुद्दे पर जा के चर्चा करूंगा और उसके बाद आपको बताएंगे कि क्या सही है, क्या हो रहा है, और हम लोग किस प्रकार से इस मसले को देख रहे हैं?

कल्लोल, तालिबान को लेकर आपके प्रश्न के संबंध में, हम क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों स्तरों पर विभिन्न प्रारूपों में अफगानिस्तान संबंधी कई बैठकों में भाग लेते रहे हैं। आपने देखा होगा कि हाल ही में हमने काबुल में भी एक क्षेत्रीय बैठक में भाग लिया था जहाँ हमारी तकनीकी टीम के प्रमुख शामिल हुए थे। उन्होंने बैठक में अफगानी नागरिकों के साथ भारत की दीर्घकालिक मैत्री और उस देश में हमारे द्वारा प्रदान की जा रही मानवीय सहायता के बारे में अवगत कराया। जिस विशेष बैठक में हमने भाग लिया उसे भी उस विशेष संदर्भ में देखा जाना चाहिए। जहाँ तक अफगानिस्तान के साथ हमारे संबंधों का प्रश्न है, हमारी यही स्थिति है।

अखिलेश जी, आपका प्रश्न लाल सागर क्षेत्र में होने वाली सभी गतिविधियों के संबंध में था। इस बारे में हम पहले भी बात कर चुके हैं। यह सिर्फ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि कई अंतरराष्ट्रीय पक्षों के लिए चिंता का विषय है। हम इस मामले पर अपने वार्ताकारों के साथ चर्चा करते रहे हैं; जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ, और फ्रांस, फ्रांस के राष्ट्रपति यहाँ आए थे; ईरान के साथ जब हमारे विदेश मंत्री ने वहाँ का दौरा किया; संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रपति के साथ भी जब वह यहाँ दौरे पर थे। इसलिए, यह चिंता का विषय है और हम सामुद्रिक सुरक्षा को संबोधित करना चाहते हैं। हम नौवहन की स्वतंत्रता को संबोधित करना चाहते हैं और यह कि हम ये मार्ग किस प्रकार सुरक्षित बना सकते हैं। जैसा कि आप अवगत हैं कि भारतीय नौसेना इस क्षेत्र में, अदन की खाड़ी में, अरब सागर में सक्रिय है, और वह न केवल भारत, बल्कि अन्य देशों के कई जहाजों को भी समर्थन और सहायता प्रदान कर रही है; और निश्चित रूप से, उन पर भारतीय नाविकों की मदद कर रही है, जिसे व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है और व्यापक रूप से सराहना भी की गई है।

सिद्धांत, आपका एक प्रश्न यूएई के संबंध में था। जैसा कि आप जानते हैं, ऐसे कई मामले हैं जो कांसुलर क्षेत्र से ही संबंधित हैं। ये ऐसे मामले हैं जिन्हें आवश्यकता के अनुसार उठाया जाता है। आपके प्रश्नों के बारे में मेरे पास विशिष्ट विवरण नहीं है, लेकिन ये प्रासंगिक प्रश्न हैं जिन पर देशों के साथ कांसुलर सहभागिता में चर्चा की जाती है।

अभिषेक: मैं सीएनएन न्यूज़18 से अभिषेक झा हूँ। मेरा प्रश्न चीनी दूतावास के संबंध में है। दिल्ली में चीन के राजदूत का पद काफी समय से खाली है। क्या आपके पास इस बारे में कोई नई जानकारी है, कि दिल्ली में चीन के राजदूत कब आ सकते हैं? कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार वह शीघ्र ही ज्वॉइन कर सकते हैं। तो, क्या आप इस मामले में कुछ बताना चाहेंगे?

कादम्बिनी: मैं एनडीटीवी से कादम्बिनी शर्मा हूँ। सर लाल सागर में एक यूरोपीय संघ के देशों का गठबंधन बनने की बात है, जहाँ पर सिर्फ व्यापारिक जहाजों को संरक्षित किया जाएगा। उसमें हमले की बात नहीं है जैसे कि यूएस, यूके कर रहे हैं। तो इस बाबत क्या भारत क्योंकि उस इलाके में सक्रिय है, भारत की नौसेना भी, क्या कोई फीलर्स आए हैं कि भारत भी शामिल हो, या इस तरह की कोई बात?

श्री रणधीर जायसवाल, आधिकारिक प्रवक्ता: अभिषेक, आपके प्रश्न के संबंध में, आपने जो पूछा है उसके बारे में मेरे पास कोई नई जानकारी नहीं है, हालाँकि आशा है आगे जानकारी मिले। जैसे ही मेरे पास कोई नई जानकारी होगी, मैं आपको सूचित करूंगा।

कादम्बिनी जी आपका जो प्रश्न है..हम लोगों ने, हमारी जो नीति है उससे आपको मैंने अवगत कराया था, कि अभी जो स्थिति है, इस पर हम कोई भी बहुपक्षीय मंच या संस्था है उसके हम अभिन्न अंग नहीं हैं। लेकिन वहाँ की जो स्थिति बनी हुई है, उस पर हम लोग नजर रखे हुए हैं। आज एक स्थिति है, कल हो सकता है दूसरी स्थिति हो जाए। तो ये हमारा पहलू है इस मुद्दे पर।

यदि हमारे पास और प्रश्न नहीं हैं, तो हम आज की यह वार्ता अब समाप्त कर सकते हैं। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी भागीदारी और उपस्थिति के लिए धन्यवाद। आपका दिन शुभ हो।

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