यात्रायें

Detail

ओमान के सुल्तान की भारत की राजकीय यात्रा पर विदेश सचिव द्वारा विशेष वार्ता का प्रतिलेख (16 दिसंबर, 2023)

दिसम्बर 16, 2023

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आप सभी को दोपहर की नमस्कार। ओमान के सुल्तान की राजकीय यात्रा के अवसर पर इस विशेष मीडिया ब्रीफिंग में हमारे साथ भाग लेने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। प्रधानमंत्री के साथ वार्ता अभी समाप्त हुई है। वार्ता की जानकारी देने के लिए हमारे साथ विदेश सचिव श्री विनय क्वात्रा हैं । इसके अलावा मंच पर हमारे साथ श्री मुक्तेश परदेशी, सचिव (सीपीवी और ओआईए), श्री असीम महाजन, संयुक्त सचिव (गल्फ) तथा श्री अमित नारंग, ओमान में हमारे राजदूत भी सम्मिलित हैं। सर, मैं मंच आपको सौंपता हूँ।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: बहुत-बहुत धन्यवाद। मीडिया के मित्रों को दोपहर की नमस्कार। जैसा कि अरिंदम ने अभी बताया, प्रधानमंत्री ने अभी-अभी ओमान सल्तनत के राष्ट्र प्रमुख, महामहिम सुल्तान हैथम बिन तारिक के साथ, जो कि इस समय भारत के राजकीय दौरे पर हैं, अपनी वार्ता का समापन किया है। महामहिम के इस दौरे पर साथ में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है जिसमें उनके रक्षा उपप्रधानमंत्री, सात कैबिनेट मंत्री और तीन उपमंत्री सम्मिलित हैं।

उनके राजकीय दौरे के अंग के रूप में, महामहिम का आज सुबह राष्ट्रपति भवन में औपचारिक स्वागत किया गया, जिसके बाद प्रधानमंत्री और महामहिम के बीच हैदराबाद हाउस में वार्ता हुई, जो अभी संपन्न हुई है। यह वार्ता सीमित प्रारूप में, और प्रतिनिधिमंडल-स्तरीय प्रारूप दोनों में थी, और इसमें हमारे द्विपक्षीय सहयोग के व्यापक क्षेत्र सम्मिलित थे, और जो भारत-ओमान द्विपक्षीय संबंधों की बहुमुखी प्रकृति को भी परिलक्षित करता है। आज बाद में, अब से थोड़ी देर में, माननीय उपराष्ट्रपति महोदय, महामहिम से मुलाकात करेंगे, और उसके बाद शाम को, माननीय राष्ट्रपति जी द्वारा राजकीय भोज के लिए महामहिम की मेजबानी की जाएगी। ओमान के सुल्तान के रूप में सुल्तान हैथम का यह भारत का पहला दौरा है।

यह विगत 26 वर्षों में ओमान से भारत का प्रथम राजकीय दौरा भी है। आप में से कुछ लोगों को याद होगा कि दिवंगत महामहिम सुल्तान कबूस बिन सईद ने 1997 में भारत का दौरा किया था, और उन्हें मरणोपरांत 2019 में गांधी शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। हाल ही में, पिछले कुछ वर्षों में हमारे आदान-प्रदान के परिप्रेक्ष्य में, माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने फरवरी 2018 में ओमान सल्तनत का दौरा किया था।

महामहिम का यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह भारत की अध्यक्षता के दौरान जी20 में, और विशेष रूप से इस साल सितंबर में जी20 के शिखर सम्मेलन में, एक विशेष अतिथि देश के रूप में ओमान की बेहद सफल भागीदारी के बाद हो रहा है। ओमान उन नौ देशों में से एक था जिन्हें भारत ने विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, यह तथ्य अपने-आप में भारत सरकार द्वारा इस संबंध को दिए गए महत्व और महत्ता को दर्शाता है। भारत का ओमान के साथ एक विशेष साझा संबंध है, जो हमारे लोगों के बीच संपर्कों के पुराने इतिहास पर आधारित है।

अब हमारा संबंध एक रणनीतिक साझेदारी में विकसित हुआ है, जो विभिन्न क्षेत्रों में मजबूत सहयोग की विशेषता है। भारत और ओमान पश्चिमी हिंद महासागर में सामुद्रिक सुरक्षा के लिए भागीदार हैं। दोनों पक्ष मजबूत और बहुआयामी रक्षा सहयोग से लाभान्वित हैं। ओमान में बड़े पैमाने पर भारतीय प्रवासी भी रहते है। लगभग 7 लाख भारतीयों के लिए ओमान उनका घर है और इस प्रक्रिया में उन्होंने ओमान की अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण और सार्थक योगदान किया है। हमारे व्यापार और वाणिज्यिक संबंधों के संदर्भ में देखें तो, भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2022-23 में लगभग 12.5 बिलियन के स्तर पर था, और महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों में इसकी मात्रा दोगुनी हो गई है। प्रधानमंत्री और महामहिम के बीच चर्चाएं काफी व्यापक और रचनात्मक रहीं।

जैसा कि मैंने बताया, उन्होंने सामुद्रिक सहयोग, व्यापार और निवेश सहयोग, अंतरिक्ष, वित्तीय प्रौद्योगिकी सहित अनेक नए क्षेत्रों में सहयोग सहित हमारे द्विपक्षीय संबंधों की पूरी श्रृंखला पर बात की। उन्होंने आतंकवाद की समस्याओं पर चिंताएं साझा कीं। उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा, विशेष रूप से पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग के संभावित अवसरों पर भी चर्चा की, साथ ही दोनों देशों में क्रिकेट के लोकप्रिय खेल सहित व्यक्तियों के बीच संबंधों को और मजबूत बनाने की अन्य संभावनाओं पर भी चर्चा की। महामहिम ने जी20 की अध्यक्षता में भारत की सफलता के लिए प्रधानमंत्री मोदी को बधाई दी और ओमान को दिए गए निमंत्रण और विशेष अतिथि के रूप में उनकी भागीदारी के लिए उनकी सराहना की।

नेताओं ने क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपने परिप्रेक्ष्यों का आदान-प्रदान किया। चर्चा के महत्वपूर्ण परिणामों के संदर्भ में, सबसे पहले, दोनों नेताओं ने भावी साझेदारी के रूप में भारत-ओमान संयुक्त विज़न को अपनाया। संयुक्त विज़न मूल रूप से हमारे द्विपक्षीय जुड़ाव के लिए एक रूपरेखा प्रस्तुत करता है, जो ओमान विज़न 2040, जो कि महामहिम सुल्तान हैथम के विचार में उनके राष्ट्रीय विकास की रूपरेखा है, और प्रधानमंत्री के अमृतकाल के विज़न, जो कि विकास के लिए भारत का विज़न है, में निहित है।

यह विज़न दस्तावेज़ भारत-ओमान के बीच साझेदारी कायम करने और व्यापक रूप में आठ से दस क्षेत्रों पर केंद्रित है, जो कि, जैसा कि मैंने कुछ समय पहले भी उल्लेख किया था, एक क्षेत्र सामुद्रिक सहयोग और संपर्क सुविधाओं से संबंधित है; दूसरा, ऊर्जा सुरक्षा और पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा का, विशेष रूप से पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन का क्षेत्र है; तीसरा, फिनटेक के अन्य परिवेशी उद्योगों सहित डिजिटल भुगतान के लिए संभावनाओं का क्षेत्र है; प्रधानमंत्री और महामहिम के बीच चर्चा में स्वास्थ्य, पर्यटन और आतिथ्य-संबंधित साझेदारी, आपदा प्रबंधन, कृषि और खाद्य सुरक्षा और निश्चित रूप से क्रिकेट की व्यापक चर्चाएं भी प्रमुखता से सम्मिलित रहीं। इससे पहले, इस दौरे से पहले, दोनों देशों ने सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग, संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग, वित्तीय अपराधों से निपटने और इसके अलावा ओमान में आईसीसीआर की हिंदी पीठ की स्थापना सहित अनेक समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए थे।

दूसरी बात, एक क्षेत्र जो दोनों नेताओं के बीच चर्चा में बहुत प्रमुखता से सम्मिलित था, वह व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते के लिए दोनों देशों के बीच जारी चर्चा थी। हालाँकि सीईपीए पर बातचीत हाल ही में शुरू हुई है, लेकिन पिछले कुछ दौर की चर्चा में इसमें काफी प्रगति हुई है और दोनों नेताओं ने सीईपीए समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने के लिए मजबूत प्रोत्साहन और जोर डाला है। तीसरा, भारत-ओमान व्यापार और पूंजी सहयोग के संदर्भ में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में ओमान-भारत संयुक्त निवेश कोष की तीसरी किश्त की घोषणा थी। यह कोष विशुद्ध रूप से विस्तार के तौर पर 300 मिलियन डॉलर यानी लगभग ₹ 2,500 करोड़ का होगा। यह कोष भारतीय स्टेट बैंक और ओमान निवेश प्राधिकरण के बीच 50-50 भागीदारी वाले संयुक्त उद्यम के रूप में स्थापित किया गया था, जो अनिवार्य रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते क्षेत्रों में निवेश को पहुँचाने के लिए है।

शुरुआती दो किश्तें - पहली किश्त का मूल्य 100 मिलियन था, दूसरी का मूल्य लगभग 200 मिलियन था, और तीसरी किश्त, जिसका मैंने अभी उल्लेख किया है, यह 300 मिलियन है - स्पष्ट रूप से दोनों देशों और उनके नेतृत्व के बीच आपसी विश्वास को दर्शाती है। दोनों देश भारतीय अर्थव्यवस्था के बढ़ते क्षेत्रों में प्रत्यक्ष पूंजी निवेश के माध्यम से आर्थिक संबंधों का एक बहुत मजबूत आधार निर्मित कर रहे हैं। चौथा, दौरे से ठीक एक या दो दिन पहले, इस दौरे के अवसर पर एक संयुक्त स्मारक डाक टिकट जारी किया गया था। यह टिकट ओमान और भारत दोनों के पारंपरिक लोक नृत्यों को दर्शाता है।

मैंने आपको उन समझौता ज्ञापनों के बारे में बताया जिन पर यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए हैं। कुल मिलाकर, महामहिम सुल्तान हैथम बिन तारिक का यह दौरा एक अत्यंत सफल यात्रा है, जिसके बारे में हमें विश्वास है कि यह भारत और ओमान के बीच हमारी रणनीतिक साझेदारी में नए आयाम जोड़ेगी। मैं अपनी टिप्पणी यहीं समाप्त करूंगा, और यदि कोई प्रश्न हैं, तो हम उनका उत्तर देने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: धन्यवाद सर। अब मैं प्रश्न आमंत्रित करता हूँ। कृपया अपना और उस संगठन का परिचय दें जिसका आप प्रतिनिधित्व करते हैं। मैं सिद्धांत से शुरुआत करूंगा।

सिद्धांत: हैलो सर, मैं WION से सिद्धांत हूं। मेरा पहला प्रश्न यह है कि बैठक के दौरान पश्चिम एशियाई संकट पर कितनी चर्चा हुई? और दूसरा, दुकम बंदरगाह के उपयोग पर, क्या कोई चर्चा हुई, क्या उस बंदरगाह को भारतीय जहाजों द्वारा उपयोग करने के लिए वे तैयार हैं?

निवेदिता: मैं संडे गार्जियन से निवेदिता हूं। सर, आपने वित्तीय अपराधों पर कुछ उल्लेख किया था। क्या आप कृपया इसके बारे में थोड़ा विस्तार से बता सकते हैं?

हुमा सिद्दीकी: मैं फाइनेंशियल एक्सप्रेस से हुमा सिद्दीकी हूं। आपने कृषि और खाद्य सुरक्षा के बारे में बात की, क्या आप अधिक जानकारी दे सकते हैं। और अंतरिक्ष सहयोग के बारे में क्या बात हुई, वे किस प्रकार का सहयोग चाहते हैं?

साहिल: सर, मैं एएनआई से साहिल हूं। आपने डिजिटल भुगतानों के बारे में भी बात की। हम दोनों देशों के बीच किस प्रकार के सहयोग की आशा कर सकते हैं?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: हम इन प्रश्नों पर बात करेंगे।

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: धन्यवाद। सिद्धांत,...पश्चिम एशिया में जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए, गाजा में चल रहे संघर्ष के कारण सामने आने वाली कई चुनौतियों के संदर्भ में, यह निश्चित रूप से दोनों नेताओं के बीच चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय था, और दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष के उभरते अनेक आयामों के कारण उन दोनों को ही जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, उस पर बात हुई, जिसमें विनाशकारी मानवीय स्थिति, आतंकवाद की चुनौती और निश्चित रूप से आगे बढ़ने के रास्ते के रूप में द्वि-राज्यीय समाधान का प्रयास करने और पाने की बड़ी आवश्यकता सम्मिलित है और इसके अलावा वहां की स्थिति के संबंध में दोनों पक्षों के दृष्टिकोणों का आदान-प्रदान भी किया जाना आवश्यक है। इस बारे में चर्चाएं हुईं और दोनों नेताओं ने वहां की स्थिति के बारे में अपने-अपने नज़रियों का विस्तार से आदान-प्रदान किया।

दुकम के मामले में, जैसा कि मैंने अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों में आपको बताया था, जैसा कि आप जानते हैं, सामुद्रिक क्षेत्र में हमारा सहयोग काफी व्यापक है। मैंने आपसे इस तथ्य के बारे में भी बात की कि दोनों नेताओं ने मानवीय सहायता और आपदा राहत और आपदा प्रबंधन के उस पहलू को सहयोग के एक महत्वपूर्ण क्षेत्र के रूप में मान्यता दी है। अब, सामुद्रिक सहयोग में प्रमुख तत्वों में से लॉजिस्टिक्स का प्रश्न हमेशा रहा है, और मुझे लगता है कि इस अर्थ में दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए दुकम हमें मानवीय आपदा राहत सहित सामुद्रिक सहयोग के क्षेत्र में अनिवार्य रूप से एक लॉजिस्टिक्स आधार प्रदान करता है।

वित्तीय अपराधों के मामले में, जैसा कि मैंने बताया, जैसा कि आपको पता है, यह उन समझौता ज्ञापनों में शामिल है जिस पर सूचनाओं के आदान-प्रदान के संबंध में हस्ताक्षर किए गए हैं। और जैसा कि आप जानते हैं, यह प्राय: वित्तीय आसूचना इकाई, जो भारतीय पक्ष में ऐसी सूचनाओं का संरक्षक है और ऐसी सूचनाओं का आदान-प्रदान करती है, और ओमान के पक्ष से, राष्ट्रीय वित्तीय सूचना केंद्र नामक इकाई, जो ऐसा करती है उनकी ओर से समान कार्य करती है, के बीच की बात है। मनी लॉन्ड्रिंग वाली जारी गतिविधियों और उनसे संबंधित अपराधों को रोकना इस क्षेत्र में हमारे सहयोग का एक महत्वपूर्ण अंतर्निहित तत्व है, जिसमें, जैसा कि आप जानते हैं, कि ऐसा धन आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण में भी लगता है। इसलिए जब दोनों प्रणालियाँ सूचना के आदान-प्रदान के बारे में बात करने की कार्यवाही करेंगी, तो इस प्रकार के अपराधों के बारे में डेटा वहाँ मौजूद होगा।

अंतरिक्ष के क्षेत्र में सहयोग के मामले में, मैं कहना चाहूँगा कि यह काफी समय से भारत और ओमान के बीच चर्चा का विषय रहा है। इसमें कई बातें हैं। निस्संदेह, इसमें अंतरिक्ष-आधारित प्रणालियों से संबंधित सेवाएँ, डेटा सेवाएँ, सूचना सेवाएँ सम्मिलित हैं जिनका दोनों देशों के बीच आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसमें उपग्रहों के निर्माण, उपग्रहों के प्रक्षेपण के बारे में भी बात की गई है। और इसमें क्षमता सृजन की भी बात कही गई है कि दोनों देश एक-दूसरे की अंतरिक्ष क्षमता के सृजन के संबंध में किस तरह से आपसी सहयोग कर सकते हैं।

मेरे विचार में आपका दूसरा प्रश्न कृषि और खाद्य सुरक्षा के बारे में था। इस बारे में, मैं कह सकता हूँ कि जैसा कि आप जानते हैं, पहले से ही हमारे दोनों देशों के बीच आपसी संबंधों का एक मजबूत क्षेत्र रहा है, और समझौता ज्ञापन वाणिज्यिक क्षेत्र में आपसी चर्चाओं को आगे बढ़ाएगा, उनमें से अनेक में दोनों देशों की सरकारें सक्षमकर्ता के रूप में कार्य कर सकती हैं जिससे कृषि, कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा के संबंधित तत्वों के क्षेत्र में वाणिज्यिक साझेदारी का विस्तार किया जा सकता है। साहिल, डिजिटल मामले में, फिनटेक के मामले में, ओमान के परिवेश में संभावित डिजिटल स्टैक के साथ यूपीआई स्टैक का उपयोग करने के संबंध में दोनों देशों के बीच चर्चा चल रही है। डिजिटल अवसंरचना के संदर्भ में भारत के कई अन्य ऐसे तत्व भी हैं, जो ओमान की प्राथमिकताओं के लिए उपयोग के संबंध में उपयुक्त हो सकते हैं। अब, वित्तीय समावेशन, वित्तीय प्रौद्योगिकी भुगतान प्रणाली, ये इसका केवल एक तत्व हैं, लेकिन ओमान के संबंधित प्लेटफॉर्म के साथ यूपीआई का इंटरफ़ेस एक ऐसी बात है जिसके बारे में हम बात कर सकते हैं। चूंकि डिजिटेक और, जैसा कि आप जानते हैं, व्यापार और पूंजी सहयोग का संदर्भ सामने आया है, मुझे यह भी कहना होगा कि चर्चा का एक और पहलू जिसमें हम प्रयास करेंगे और आगे बढ़ेंगे, वह जैसा कि आप जानते हैं, रुपये में व्यापार पर विचार करने की संभावना है जो दोनों देशों के बीच काम हो सकता है, लेकिन यह अभी भी खोजबीन के चरण में है, लेकिन आगे चलकर यह सहयोग का एक महत्वपूर्ण घटक हो सकता है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: हमारे पास कुछ और प्रश्न हैं। सुधि।

सुधि रंजन: सर, मैं ब्लूमबर्ग से सुधि रंजन हूँ। क्या आप हमें इस बारे में कोई जानकारी दे सकते हैं कि क्या भारत और ओमान के बीच ऊर्जा के बारे में, और विशेष रूप से गैस के बारे में कोई दीर्घकालिक या अल्पकालिक अनुबंध हुआ है, सर?

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: ऊर्जा? हाँ। एक और सज्जन कुछ पूछना चाहते हैं। हाँ, कल्लोल।

कल्लोल: मैं द हिंदू से कल्लोल हूँ। सर, मैं जानना चाहूंगा कि क्या बातचीत के दौरान ओमान के आस-पास के इलाकों में समुद्री सुरक्षा का मुद्दा उठाया गया था, खासकर क्योंकि मेर्स्क ने घोषणा की है कि उन्होंने लाल सागर में से होकर अपने कंटेनर जहाजों का आवागमन रोक दिया है।

संध्या: मैं ईटी से संध्या हूँ। मैं बस आईसीटी सहयोग पर थोड़ा अधिक जानना चाहती हूँ। सर, क्या दोनों देशों के स्टार्ट-अप के बीच सहयोग के लिए कोई प्रस्ताव है? धन्यवाद।

हुमा: सर, आपने सीईपीए के बारे में बात की, तो मैं सिर्फ यह जानना चाहती थी कि क्या यह केवल सीईपीए के बारे में है या हम भारत जीसीसी एफटीए के बारे में भी बात कर रहे हैं?

श्री विनय क्वात्रा, विदेश सचिव: सबसे पहली बात यह कि, दोनों नेताओं के बीच चर्चा अनिवार्य रूप से द्विपक्षीय व्यापक आर्थिक साझेदारी की व्यवस्था पर केंद्रित रही। ऊर्जा पर अल्पकालिक, दीर्घकालिक अनुबंध के मामले में, जैसा कि मैंने अपनी प्रारंभिक टिप्पणियों में भी उल्लेख किया था, ऊर्जा में हमारी साझेदारी के संदर्भ में, हमारे पास पहले से ही साझेदारी का एक बहुत मजबूत और सुदृढ़ आधार है। आज की चर्चा में, मौजूदा ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग को मजबूत करने के अतिरिक्‍त, सोलर और पर्यावरण अनुकूल हाइड्रोजन सहित नवीकरणीय ऊर्जा के दो तत्वों पर चर्चा में मजबूत फोकस रहा। अपने-अपने संबंधित परिवेशों के निर्माण के संदर्भ में दोनों देशों की यह साझा प्राथमिकता है, लेकिन उन दोनों परिवेशों के बीच सहयोग की संभावनाओं को भी देखा जाना है।

सूचना प्रौद्योगिकी के मामले में, आईटी एमओयू के चार या पांच प्रमुख घटकों में अनिवार्य रूप से जो बातें सम्मिलित हैं, उनमें से एक डिजिटलीकरण का एक तत्व है, जिसके बारे में मैंने बात की, दूसरा, ई-प्रशासन, जो सार्वजनिक क्षेत्र के प्रशासन के साथ-साथ निजी क्षेत्र तक भी व्यापक है। तीसरा, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सर्वोत्तम विधियों का आदान-प्रदान किया जाना, चौथा, इसे समझना कि क्या दोनों देशों के बीच कुशल आईटी पेशेवरों के आदान-प्रदान को और मजबूत और गहन बनाने का कोई आधार हमारे पास मौजूद है। इनमें से कुछ चीज़ें...हालाँकि, एमओयू में उल्लिखित नहीं है, लेकिन हम परोक्ष रूप से उस दिशा में बढ़ेंगे जिसका आपने उल्लेख किया है, जो कि दोनों देशों के बीच स्टार्टअप सहयोग का मामला है, और निश्चित रूप से आईटी उद्योग का समग्र विकास करना हमारे ध्यान में है। नवप्रवर्तन सहयोग पर ध्यान केंद्रित करना भी एक ऐसा क्षेत्र था जिस पर अंतर्निहित रूप से जोर दिया गया है, और स्वाभाविक रूप से स्टार्टअप उस नवप्रवर्तन साझेदारी का एक प्रमुख घटक है।

कल्लोल, आपके प्रश्न पर बात करते हुए, जैसा कि आप जानते हैं, जैसा कि मैंने पहले भी कहा था कि वर्तमान संघर्ष के संदर्भ में क्षेत्र में गतिविधि, चल रहे संघर्ष के व्युत्पन्न प्रभावों, इनमें से प्रत्येक घटक पर दोनों नेताओं के बीच चर्चा हुई, और उन्होंने अपना विज़न साझा किया और गतिविधि और उन गतिविधियों से उत्पन्न चुनौतियों के बारे में अपनी चिंताएं साझा कीं। वैसे भी हम लगातार निगरानी कर रहे हैं कि आपने जिस बारे में संकेत दिया था उस बारे में क्या हो रहा है, और...लेकिन यह कुछ ऐसा था जिस पर दोनों नेताओं ने कुछ समय देकर विचारों का आदान-प्रदान किया है।

श्री अरिंदम बागची, आधिकारिक प्रवक्ता: आपका बहुत बहुत धन्यवाद महोदय। सचिव (सीपीवी) के साथ-साथ संयुक्त सचिव (गल्फ) और हमारे राजदूत महोदय को भी धन्यवाद। हमारे साथ इसमें भाग लेने के लिए आप सभी का आभार। कृपया इस दौरे के बारे में नई जानकारियों के लिए हमारे साथ जुड़े रहें। धन्यवाद।



पेज की प्रतिक्रिया

टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या