यात्रायें

Detail

भारत के उत्तर–पूर्व क्षेत्र के लिए भारत– जापान सतत विकास पहल

मार्च 19, 2022

1. वर्ष 2017 में भारत और जापान ने (i) भारत के उत्तर पूर्वी क्षेत्र (एनईआर) के विकास और (ii) इस क्षेत्र में और इस क्षेत्र एवं दक्षिण पूर्ण एशिया के बीच कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए एक्ट ईस्ट फोरम (एईएफ) की स्थापना की थी। एईएफ भारत की एक्ट ईस्ट नीति और स्वतंत्र और मुक्त हिंद– प्रशांत के लिए जापान के दृष्टिकोण के बीच तालमेल को दर्शाता है। एक्ट ईस्ट फोरम की अब तक छह बैठकें हो चुकी हैं जबकि आवश्यक जमीनी कार्यों के लिए समन्वय दल की बैठक अक्सर होती है।

2. इस दृष्टिकोण के अनुसार, भारत और जापान ने उत्तरपूर्वी क्षेत्र के सतत विकास हेतु व्यापक पहल शुरू करने का निर्णय लिया है। यह उत्तर पूर्वी क्षेत्र की राज्य सरकारों और भारत सरकार की वर्तमान विकासात्मक पहलों का पूरक होगा।

3. पहल के तहत गतिविधियों के दायरे को एईएफ के तत्वाधान में पूरा किया जाएगा और एनईआर की अंतर्निहित शक्तियों का भी उपयोग किया जाएगा। आपसी परामर्श एवं सहमति के माध्यम से परियोजनाओं को शामिल या संशोधित कर इस दस्तावेज को समय– समय पर अद्यतन किया जाएगा। निम्नलिखित में चल रही परियोजनाएं और संभावित भावी सहयोग दोनों का पता लगाया जाना शामिल है।

दायरा

(i) कृषि


· मिजोरम में सतत कृषि और सिंचाई विकास हेतु क्षमता वृद्धि

(ii) कृषि– उद्योगों का विकास, विशेष रूप से एसएमई के माध्यम से

· पूर्वोत्तर में बांस मूल्य श्रृंखला को सशक्त बनाने की पहल [दस्तावेज संलग्न]; और

· चाय उद्योग, जैविक खेती और बागवानी समेत खाद्य प्रसंस्करण, महिला सशक्तिकरण का समर्थन वाली परियोजना के साथ

यह पहल उपर्युक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए भारत और जापान के बीच बी2बी सहयोग को प्रोत्साहित करने पर ध्यान देगी।

(iii) पर्यटन और सांस्कृतिक आदान–प्रदान को बढ़ावा देना

· सक्रिए सूचना आउटरीच के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा देना;

· मेघालय में शिलॉन्ग चेरी ब्लॉसम फेस्टिवल समेत उत्तर पूर्वी क्षेत्र एवं जापान के बीच कला और संस्कृति का आदान–प्रदान; और

· मेघालय में पर्यटन को बढ़ावा देने पर और चर्चा करना।

(iv) स्किल इंडिया को बढ़ावा देना

· कौशल केंद्रों के माध्यम से सहयोग करना, जैसे आईआईटी गुवाहाटी, असम में जैपनीज़ एन्डाउडेड कोर्स (जेईसी);

· जेआईसीए की जापान ओवरसीज़ कोऑपरेशन वालंटियर्स (जोओसीवी) टीचर्स और जापान फाउंडेशन (जेएफ) स्कीम्स के माध्यम से जापानी भाषा की शिक्षा को बढ़ावा देना;

· तकनीकी प्रशिक्षु प्रशिक्षण कार्यक्रम (टीआईटीपी)/ विनिर्दिष्ट कुशल श्रमिक (एसएसडब्ल्यू) सिस्टम के तहत जापान में प्रशिक्षुओं/ श्रमिकों की नियुक्ति; और

· जेआईसीए नॉलेज को– क्रिएशन प्रोग्राम की भावी संभावनाओं की तलाश।

(v) शहरी क्षेत्रों के विकास में सहयोग

· गुवाहाटी, असम में जल आपूर्ति और सीवरेज परियोजनाओं को जारी रखना;

· पर्यावरण के अनुकूल गतिशीलता को बढ़ावा देना;

· निवेशकों को आकर्षित करने और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए नागरबेरा, असम में जापान औद्योगिक टाउनशिप (जेआईटी) ("विकेंद्रीकृत” प्रकार समेत) की संभावना तलाशना; और

· सतत शहरी विकास हेतु कोहिमा स्मार्ट सिटी मिशन में सहयोग की संभावना तलाशना।

(vi) स्वास्थ्य सेवा प्रदान करना

· असम में स्वसाथ्य प्रणाली और चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को मजबूत बनाना; और

· आईज़ोल, मिज़ोरम में एक तृतीयक सुपर– स्पेशलिटी कैंसर और अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए सहयोग पर परामर्श को आगे बढ़ाना और कोहिमा, नगालैंड में मेडिकल कॉलेज अस्पताल की कार्यप्रणालियों को दुरुस्त करने में सहयोग की संभावनाओं को तलाशना।

(vii) वन संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देना

· त्रिपुरा, नगालैंड, सिक्किम और मेघालय में चल रही परियोजनाएँ।

(viii) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा का विकास

· उमियम– उमट्रू चरण–।।। जलविद्युत पावर स्टेशन, मेघालय के नवीकरण और आधुनिकीकरण के लिए चल रही परियोजनाएँ।

(ix) आपदा प्रबंधन

· भविष्य के सड़क विकास हेतु जेआईसीए की तकनीकी सहयोग (टी/सी) परियोजना के तहत शुरू किए गए जापानी तरीकों और दिशानिर्देशों को लागू करना;

· जेआईसीए की तकनीकी सहयोग (टी/सी) परियोजना "लचकदार पहाड़ी राजमार्गों के रखरखाव हेतु क्षमता विकास” के माध्यम से लोचदार कनेक्टिविटी का पालन करना।

· आपदा प्रबंधन में मॉक ड्रिल; और

· कोहिमा, नगालैंड में क्षेत्रीय आपातकालीन प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान हेतु संभावित प्रशिक्षण पर सूचना के आदान–प्रदान करना और चर्चा को बढ़ाना।

(x) कनेक्टिविटी

· चल रहे उत्तर–पूर्व सड़क नेटवर्क कनेक्टिविटी सुधार परियोजनाएं:

Ø चरण 1-5 (राष्ट्रीय राजमार्ग [एनएच] मेघालय में 40 और 51 और मिज़ोरम में एनएच– 54 , त्रिपुरा में एनएच-208, असम में एनएच -127बी (धुबरी– फुलबारी ब्रिज एक्सेस रोड) के साथ– साथ ब्रह्मपुत्रा नदी पर 20 किमी लंबा धुबरी– फुलबारी पुल);

Ø चरण 6 (त्रिपुरा में एनएच-208 में खोवाई– सबरूम खंड);

· मेघालय में फेज– 7 (एनएच-127बी (धुबरी– फुलबारी ब्रिज एक्सेस रोड) की क्षमता को जारी रखना; और

· सिक्किम में राज्य राजमार्गों, प्रमुख जिला सड़कों, अन्य जिला सड़कों के उन्नयन और इस्पात पुलों के प्रतिस्थापन की संभावना तलाशना।



टिप्पणियाँ

टिप्पणी पोस्ट करें

  • नाम *
    ई - मेल *
  • आपकी टिप्पणी लिखें *
  • सत्यापन कोड * पुष्टि संख्या