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भारत– जापान स्वच्छ ऊर्जा साझेदारी

मार्च 19, 2022

1. भारत और जापान सतत आर्थिक विकास एवं जलवायु परिवर्तन, दोनों ही लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ऊर्जा की सुरक्षित और स्थिर आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न विकल्पों का पता लगाने की आवश्यकता को स्वीकार किया है। वे इस विचार को साझा करते हैं कि न्यून– कार्बन अर्थव्यवस्था प्राप्त करने का कोई एक रास्ता नहीं है बल्कि हर एक देश के लिए अलग– अलग रास्ते हैं। इस संबंध में, यह साझेदारी दो देशों के बीच सहयोग के आधार का काम करेगी। भारत ने जापान की एशिया एनर्जी ट्रांजिशन इनिशिएटिव (एईटीआई) पर ध्यान दिया है।

2. भारत ने वर्ष 2070 शुद्ध शून्य सहित संवर्धित लक्ष्य की घोषणा की है। जापान ने भी वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य प्राप्त करने के लक्ष्य के लिए काम करना शुरू कर दिया है। दोनों देश कार्बन– उत्सर्दन को कम करने के लिए न्यून– कार्बन सनराइज़ सेक्टरों का उपयोग और नई तकनीकों एवं व्यापार मॉडलों का दोहन कर रहे हैं। इसमें स्वच्छ एवं सतत विकास के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। भारत और जापान ने सुरक्षित, कुशल, लचीले एवं टिकाऊ ऊर्जा प्रणाली के दृष्टिकोण को लागू करने की दिशा में पर्याप्त प्रगति की है। दोनों ही देशों की ऊर्जा नीतियां ऊर्जा सुरक्षा, दक्षता, स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण के साथ पर्यावरणीय स्थिरता एवं प्रतिज्ञा के रूप में सुरक्षा द्वारा निर्देशित हैं।

3. इस साझेदारी के तहत सहयोग 2007 में स्थापित 'भारत– जापान ऊर्जा वार्ता' के तहत दोनों पक्षों द्वारा पहले से ही किए जा रहे काम पर किया जाएगा और आपसी लाभ हेतु सहयोग के क्षेत्रों का पर्याप्त रूप से विस्तार करेगा। जैसे– जैसे दोनों देश अपनी संबंधित ऊर्जा संक्रमण योजनाओं में प्रगति करेंगें नवाचारों एवं लचीले और विश्वसनीय आपूर्ति श्रृंखलाओं के निर्माण को भी प्रोत्साहित मिलेगा। इस साझेदारी के तहत संचालन संचालन में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं लेकिन इन्हीं तक सीमित नहीं हैं:

λ इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी), बैटरी समेत भंडारण प्रणाली, इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर (ईवीसीआई);

λ इमारतों और उद्योगों में ऊर्जा संरक्षण, ऊर्जा कुशल उपकरण;

λ सौर पीवी सेल समेत सौर ऊर्जा का विकास;

λ पवन ऊर्जा;

λ स्वच्छ, हरित हाइड्रोजन समेत;

λ स्वच्छ, हरित अमोनिया समेत;

λ एलएनजी का अधिक एवं स्वच्छ उपयोग;

λ कार्बन कैप्चर, उपयोग और भंडारण (सीसीयूएस)/कार्बन पुनर्चक्रण;

λ जैव ईंधन, सीबीजी समेत नए प्रकार के ईंधन

λ सामरिक पेट्रोलियम भंडार आदि।

λ स्वच्छ कोयला तकनीक।

4. इस तंत्र में शामिल मंत्रालयों और संगठनों जैसे विभिन्न हितधारकों के बीच वर्तमान ‘भारत– जापान ऊर्जा संवाद’ के तबत साझेदारी का कार्यान्वयन किया जाएगा। वर्तामन 5 कार्य समूहों (डब्ल्यूजी) का विलय 4 डब्ल्यूजी में कर दिया जाएगा:

λ बिजली और ऊर्जा संरक्षण (भारत: ऊर्जा मंत्रालय और ऊर्जा दक्षता ब्यूरो, जापानः अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय (एमईटीआई))

λ नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा (नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, एमईटीआई)

λ पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय, एमईटीआई)

λ कोयला (कोयला मंत्रालय, एमईटीआई)

नए डब्लयूजी बनाए जा सकते हैं और आवश्यकता के अनुसार क्षेत्रों को फिर से निर्धारित/ शामिल किया जा सकता है।

5. इस साझेदारी के तहत, दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि दोनों देशों के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग समेत अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग को आगे बढ़ाया जा सकता है ताकि उनकी संबंधित ऊर्जा संक्रमण योजनाओं के अनुसार व्यावहारिक कदम उठाए जा सकें।

λ बैटरियों, सौर पैनलों, टरबाइन के ब्लेड्स और इलेक्ट्रॉनिक्स से उपयोगी सामग्री का निपटान, पुनर्चक्रण और सुधार;

λ स्वच्छ इस्पात;

λ स्वच्छ निर्माण;

λ सतत शहरी विकास;

λ जल संसाधनों का सतत विकास और उनका उपयोग आदि।

6. उपर उल्लिखित क्षेत्र विकास के नए क्षेत्र हैं और सबसे बड़े व्यावसायिक अवसर वाले भी। इस अवसर का सही मायने में लाभ उठाने के लिए और प्रयोगशाला से कारखाने तक एवं आखिरकार उपभोक्ताओं के लिए नवीन तकनीकों को लाने के लिए निजी क्षेत्र एवं सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की भागीदारी आवश्यक है। दोनों पक्ष अपने व्यापार पारिस्थितिकी तंत्र को जोड़ने के विभिन्न पहलों पर विचार कर सकते हैं जैसे सार्वजनिक– निजी कार्यशालाएं और व्यापार मैचमेकिंग कार्यक्रम।

7. वैश्विक और लचीला आपूर्ति श्रृंखला बनाने के लिए आगे के प्रयासों के हिस्से के रूप में, न केवल विनिर्माण क्षेत्र में बल्कि अनुसंधान और विकास (आरएंडडी), तकनीक के हस्तांतरण, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण एवं कम लागत वाली लंबी अवधि के वित्तपोषण के क्षेत्र में दीर्घकालिक आधार पर सहयोग करना चाहिए।

8. साझेदारी रोजगार सृजन, नवाचार एवं निवेश को बढ़ावा देकर स्वच्छ विकास को बढ़ावा देगी। यह विश्व को यह भी दिखाएगी कि भारत एवं जापान महत्वाकांक्षी जलवायु और सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने में सबसे आगे हैं।

नई दिल्ली
मार्च 19, 2022



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