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रूस के राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान भारत-रूस का संयुक्त वक्तव्य (05 अक्टूबर, 2018)

अक्तूबर 05, 2018

भारत-रूस: एक बदलते विश्व में एक स्थायी साझेदारी

1. भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री, महामहिम श्री नरेंद्र मोदी और रूसी संघ के राष्ट्रपति, महामहिम श्री व्लादिमीर वी. पुतिन 4-5 अक्टूबर, 2018 को नई दिल्ली में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के 19वें संस्करण के लिए मिले। भारत-रूस सहयोग, भारत गणराज्य और यूएसएसआर, 1993 के बीच 1971 की शांति, मैत्री और सहयोग की संधि और भारत गणराज्य एवं रूसी संघ, 2000 के बीच मैत्री और सहयोग संधि की ठोस नींव पर आधारित है। 2010 में भारत गणराज्य और रूसी संघ के बीच सामरिक साझेदारी की घोषणा और संयुक्त वक्तव्य इस साझेदारी को एक विशेष और विशेषाधिकृत सामरिक साझेदारी में परिवर्तित करता है। भारत और रूस के बीच का सहयोग विभिन्न क्षेत्रों में विस्तारित है और यह राजनीतिक और सामरिक सहयोग, सैन्य व सुरक्षा सहयोग, अर्थव्यवस्था, ऊर्जा, उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग तथा सांस्कृतिक और मानवीय सहयोग के मौलिक स्तंभों पर टिका है।

2. भारत और रूस ने 21 मई, 2018 को सोची में हुए अनौपचारिक शिखर सम्मेलन की समकालीन प्रासंगिकता और महत्व का मूल्यांकन किया। यह अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति में एक अनूठी बैठक थी, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच के गहरे भरोसे और आत्मविश्वास को दर्शाते हुए, दोनों देशों की नियमित संपर्क बनाए रखने और पारस्परिक हित के मुद्दों पर लगातार परामर्श आयोजित करने और आपसी समन्वय तथा सभी प्रमुख मुद्दों पर विचारों का अभिसरण बढ़ाने की इच्छा को रेखांकित किया गया। सोची शिखर सम्मेलन ने बहु-ध्रुवीय विश्व व्यवस्था के निर्माण में भारत और रूस के बीच बातचीत और सहयोग की भूमिका को प्रकट किया। दोनों पक्ष ऐसी अनौपचारिक बैठकें आयोजित करने के अभ्यास को जारी रखने और नियमित आधार पर सभी स्तरों पर सामरिक संचार बनाए रखने पर सहमत हुए।

3. दोनों पक्षों ने भारत और रूस की विशेष और विशेषाधिकृत सामरिक साझेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने घोषणा की कि यह संबंध वैश्विक संबंध और स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है और वैश्विक शांति और स्थिरता बनाए रखने की साझा जिम्मेदारियों के साथ प्रमुख शक्तियों के रूप में एक-दूसरे की संबंधित भूमिकाओं की सराहना करता है।

4. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि उनका संबंध परिपक्व और भरोसे युक्त है, यह सभी क्षेत्रों को आवृत करता है और गहरे विश्वास, आपसी सम्मान और एक-दूसरे की स्थिति की गहरी समझ से चिह्नित है। उन्होंने पुष्टि की कि बहुसांस्कृतिक, बहुभाषी और बहुआयामी समाज होने के नाते, भारत और रूस आधुनिक युग की चुनौतियों का समाधान करने के लिए सभ्यतागत ज्ञान प्रस्तुत करते हैं। वे साथ मिलकर एक अधिक अंतःस्थापित और विविधतापूर्ण विश्व बनाने में योगदान करते हैं।

5. दोनों पक्षों ने सभी राष्ट्रों से वैश्विक तनाव को कम करने और अंतर-राष्ट्रीय संबंधों में सहिष्णुता, सहयोग, पारदर्शिता और खुलेपन के आदर्शों को बढ़ावा देने के लिए काम करने के लिए कहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि तेज और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ आर्थिक विकास, गरीबी उन्मूलन, राष्ट्रों के बीच और उनके भीतर की असमानता को कम करना और बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करना विश्व के बड़े हिस्से में प्राथमिक चुनौती बने हुए हैं। भारत और रूस ने इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक-दूसरे के साथ सहयोग करने का वचन दिया।

6. दोनों पक्षों ने, सभी क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच के संपर्कों की तीव्रता पर संतुष्टि सहित ध्यान दिया - मंत्रिस्तरीय स्तर पर 50 से अधिक यात्राओं ने इस संबंध को नई शक्ति दी है। दोनों पक्ष, 2017-18 की अवधि के लिए विदेश कार्यालय परामर्श पर प्रोटोकॉल के सफल कार्यान्वयन के बाद, परामर्श की अवधि को पांच और वर्षों (2019-2023) के लिए बढ़ाने पर सहमत हुए और इस आशय के एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए। रूस ने एकतेरिनबर्ग और आस्ट्रखन में भारत के मानद महावाणिज्यदूतों की नियुक्ति का स्वागत किया, जो दोनों पक्षों के लोगों और क्षेत्रों के बीच घनिष्ठ संपर्क की सुविधा प्रदान करेंगे।

7. दोनों पक्षों ने नवंबर 2017 में, 2018-2020 की अवधि के लिए अपने संबंधित अधिकारियों के बीच, आंतरिक सुरक्षा, नशीली दवाओं की तस्करी और आपदा प्रबंधन पर सहयोग के लिए, भारत गणराज्य के नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, गृह मंत्रालय और रूसी संघ के आंतरिक मंत्रालय के बीच संयुक्त कार्य योजना समेत समझौतों का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में रूसी पक्ष की तकनीकी विशेषज्ञता को स्वीकार किया और प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण और आपातकालीन प्रतिक्रिया संरचनाओं के विकास सहित सहयोग का पता लगाने पर सहमति व्यक्त की।

8. दोनों पक्षों ने इस पर ध्यान दिया कि भारत और रूस के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70वें सालगिरह समारोह के सफल समापन में दोनों देशों के लोगों में संबंधों को समेकित करने के लिए उत्साही प्रतिक्रिया देखी गई। दोनों पक्षों ने 2017 में हस्ताक्षरित 2017-2019 की अवधि के सांस्कृतिक विनिमय कार्यक्रम के कार्यान्वयन पर संतुष्टि व्यक्त की। उन्होंने रूस में भारतीय उत्सवों और भारत में रूसी उत्सवों के वार्षिक आयोजन का स्वागत किया और निरंतर युवा विनिमय कार्यक्रम, लेखकों के आदान-प्रदान और राष्ट्रीय फिल्म समारोहों के पारस्परिक समर्थन की सराहना की। दोनों पक्षों ने पिछले दो वर्षों में पर्यटन में हुए पारस्परिक विकास का स्वागत किया और इस सकारात्मक रुझान को सुविधाजनक बनाने पर सहमति व्यक्त की। भारत ने 2018 फीफा विश्व कप के सफल आयोजन के लिए रूस की सराहना की। पक्षों ने कई दशकों से भारत-रूस संबंधों को बढ़ावा देने के लिए रूसी एकेडमी ऑफ साइंसेज के ओरिएंटल स्टडीज संस्थान द्वारा किए गए विशाल योगदान को स्वीकार किया। प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया कि भारत इस संस्थान की स्थापना के 200 साल के उत्सव की सफलता में योगदान देगा।

अर्थव्यवस्था

9. दोनों पक्षों ने रूसी संघ के उप-प्रधानमंत्री, यूरी आई. बोरिसोव और भारत गणराज्य की विदेश मंत्री, सुषमा स्वराज की सह-अध्यक्षता में, 14 सितंबर, 2018 को मास्को में आयोजित अर्थव्यवस्था, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और सांस्कृतिक सहयोग पर भारत-रूस अंतर सरकारी आयोग की 23वीं बैठक के परिणामों का स्वागत किया।

10. दोनों पक्षों ने वर्ष 2025 तक दो-तरफा निवेश 30 अरब अमरीकी डॉलर तक बढ़ाने के लक्ष्य में की गई प्रगति की समीक्षा की और संतोष व्यक्त किया कि दोनों देश इस लक्ष्य को प्राप्त करने के मार्ग पर हैं। उन्होंने ध्यान दिया कि 2017 में द्विपक्षीय व्यापार में 20% से अधिक की वृद्धि हुई और वे इसे आगे बढ़ाने तथा इसके विविधीकरण की दिशा में काम करने पर सहमत हुए। पक्षों ने राष्ट्रीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने का समर्थन किया।

11. दोनों पक्षों ने इस बात पर ध्यान दिया कि भारत के नीति आयोग और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय के बीच सामरिक आर्थिक वार्ता की पहली बैठक 2018 के अंत में रूस में आयोजित की जाएगी।

12. दोनों पक्षों ने, यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन और उसके सदस्य राज्यों तथा भारत गणराज्य के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर परामर्श की शुरुआत का स्वागत किया और वार्ता प्रक्रिया में तेजी लाने के विचार का समर्थन किया।

13. दोनों पक्षों ने व्यापार और आर्थिक संबंधों तथा निवेश सहयोग के विकास के लिए संयुक्त रणनीति की कार्यवाही हेतु किए गए संयुक्त अध्ययन की सराहना की और ध्यान दिया कि, इसे आगे बढ़ाने के लिए, पक्षों ने क्रमशः भारतीय विदेश व्यापार संस्थान और विदेश व्यापार की अखिल-रूसी अकादमी को नामित किया है।

14. दोनों पक्षों ने रूस में भारतीय कंपनियों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्रालय द्वारा "एकल खिड़की सेवा" की योजना बनाने और भारत में रूसी निवेशकों की सुविधा के लिए "निवेश भारत" द्वारा किए गए कार्यों की सराहना की।

15. दोनों पक्षों ने द्विपक्षीय सहयोग के महत्वपूर्ण क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले, बड़े व्यापार प्रतिनिधिमंडलों की भागीदारी के साथ नई दिल्ली में 4-5 अक्टूबर, 2018 को आयोजित 19वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के हाशिये पर भारत-रूस व्यापार सम्मेलन के आयोजन का स्वागत किया। यह दोनों देशों के व्यापार क्षेत्रों की आर्थिक, व्यापार और निवेश साझेदारी को और मजबूत करने की इच्छा और क्षमता का एक मजबूत संकेत दे रहा है।

16. दोनों पक्षों ने खनन, धातु विज्ञान, बिजली, तेल और गैस, रेलवे, फार्माच्यूटिकल्स, सूचना प्रौद्योगिकी, रसायन, बुनियादी संरचना, ऑटोमोबाइल, विमानन, अंतरिक्ष, जहाज निर्माण और विभिन्न उपकरणों के निर्माण के क्षेत्र में प्राथमिकता के आधार पर निवेश परियोजनाओं के कार्यान्वयन में प्रगति की समीक्षा की। पक्षों ने रूस में एडवांस फार्मा कंपनी द्वारा फार्माच्यूटिकल संयंत्र की स्थापना का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने रूस से उर्वरकों के आयात में वृद्धि करने की अपनी इच्छा प्रकट की। दोनों पक्षों ने एल्यूमीनियम क्षेत्र में सहयोग के विस्तार के महत्व पर ध्यान दिया।

17. उन्होंने राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम और रूसी लघु और मध्यम व्यापार निगम के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन का स्वागत किया।

18. पक्षों ने जोर दिया कि बुनियादी ढांचे का विकास दोनों देशों के लिए एक महत्वपूर्ण राष्ट्रीय प्राथमिकता है जो सहयोग के लिए अत्यधिक अवसर प्रदान करती है। भारतीय पक्ष ने रूसी कंपनियों को सड़क और रेल के बुनियादी ढांचे, स्मार्ट शहरों, वैगनों के निर्माण और संयुक्त परिवहन लॉजिस्टिक्स कंपनी के निर्माण सहित, भारत में औद्योगिक गलियारों के विकास में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया।

रूसी पक्ष ने उपरोक्त औद्योगिक गलियारे के ढांचे सहित भारत में संयुक्त परियोजनाओं को साकार करने के लिए उपग्रह नेविगेशन प्रौद्योगिकियों के आधार पर कर संग्रह में अपनी विशेषज्ञता के उपयोग का प्रस्ताव दिया।

भारत का रेल मंत्रालय, जब और जैसे भी रेलवे की गति बढ़ाने वाली परियोजनाओं को निष्पादित करने का फैसला करे, रूसी पक्ष ने उसके लिए अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली में भाग लेने में अपनी रूचि व्यक्त की।

दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय परिवहन गलियारों के कार्यान्वयन में परिवहन शिक्षा, कर्मियों के प्रशिक्षण और वैज्ञानिक सहायता के क्षेत्र में सहयोग के महत्व पर ध्यान दिया। इन उद्देश्यों के लिए दोनों पक्ष भारत गणराज्य के राष्ट्रीय रेल और परिवहन संस्थान (वडोदरा) और रूसी विश्वविद्यालय परिवहन (एमआईआईटी) के बीच सहयोग बनाए रखते हैं।

19. दोनों पक्षों ने अपने बीच संपर्क बढ़ाने के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने सीमा शुल्क प्राधिकरणों, सड़क और रेल के बुनियादी ढांचे के विकास से संबंधित लंबित मुद्दों को हल करने और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) के विकास के लिए द्विपक्षीय चर्चाओं के साथ-साथ अन्य साझेदार देशों से, जल्द से जल्द चर्चा के माध्यम से वित्तीय सुविधा को अंतिम रूप देने के लिए कहा। पक्षों ने रूस के लिए ईरान के क्षेत्र के माध्यम से भारतीय माल परिवहन के मुद्दे पर मॉस्को में "परिवहन सप्ताह - 2018" के दौरान भारत गणराज्य, रूसी संघ और ईरान के इस्लामी गणराज्य के बीच प्रस्तावित त्रिपक्षीय बैठक का स्वागत किया। भारतीय पक्ष ने रूसी पक्ष को टीआईआर कार्नेट के अंतर्गत माल के अंतर्राष्ट्रीय परिवहन पर सीमा शुल्क सम्मेलन में अपने प्रवेश के बारे में सूचित किया। पक्षों ने प्राथमिकता के आधार पर आईएनएसटीसी मंत्रिस्तरीय और समन्वय बैठक आयोजित करने के प्रयास करने पर सहमति व्यक्त की।

20. दोनों पक्ष व्यापार को बढ़ावा देने के लिए, किसी भी उत्पाद के निर्यात/आयात के समय अनिवार्य निरीक्षण/नियमों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पारस्परिक रूप से सर्वोत्तम प्रयास को साझा करने पर सहमत हुए ताकि ऐसे निरीक्षण से संबंधित किसी भी देरी को कम किया जा सके।

21. पक्षों ने अपनी व्यापार प्रदर्शनियों और मेलों के साथ-साथ संस्थानों/निर्यात प्रचार परिषदों और अन्य निर्यात संबंधित संस्थानों की सूची साझा करने पर सहमति व्यक्त की, जहां से दोनों अपने संपर्कों को सुविधाजनक बनाने के लिए निर्यातकों और आयातकों दोनों के विवरण प्राप्त कर सकते हैं।

22. पक्षों ने, भारत और रूस के बीच परिवहन किए जाने वाले सामानों के संबंध में सीमा शुल्क संचालन के सरलीकरण के उद्देश्य से ग्रीन कॉरिडोर परियोजना को शीघ्र आरंभ करने का समर्थन किया। उन्होंने इसे आपसी व्यापार बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना। परियोजना की शुरुआत के बाद दोनों देशों के सीमा शुल्क प्रशासन इसके आगे विस्तार के लिए प्रतिबद्ध होंगे।

23. दोनों पक्षों ने भारतीय राज्यों और रूसी क्षेत्रों के बीच सहयोग को आगे बढ़ाने और इसे संस्थागत बनाने के प्रयासों की सराहना की। दोनों पक्षों ने भारत गणराज्य के राज्यों और संघ शासित प्रदेशों और रूसी संघ के विषयों के बीच सहयोग की गति को आगे बढ़ाने के लिए, दोनों पक्षों के व्यापार, उद्यमियों और सरकारी निकायों के बीच प्रत्यक्ष संपर्कों को और तीव्रता प्रदान करने का निर्देश दिये। पक्षों ने असम और सखालिन, हरियाणा और बास्ककोर्तोस्तान, गोवा और कैलिनिंग्रेड, ओडिशा और इरकुत्स्क, विशाखापत्तनम और व्लादिवोस्तोक के बीच समझौतों पर हस्ताक्षर करने के प्रयासों का स्वागत किया। दोनों पक्ष सेंट पीटर्सबर्ग इंटरनेशनल इकोनॉमिक फोरम, ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम और साझेदारी/निवेश शिखर सम्मेलन जैसी प्रमुख घटनाओं में क्षेत्रीय प्रतिनिधिमंडलों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर सहमत हुए और भारत-रूस अंतरक्षेत्रीय मंच आयोजित करने के इरादे का भी स्वागत किया।

24. दोनों पक्ष प्राकृतिक संसाधनों का किफायती, वातावरण के अनुकूल उपयोग सुनिश्चित करते हुए उचित प्रौद्योगिकियों के उपयोग के माध्यम से एक दूसरे के देश में प्राकृतिक संसाधनों के उत्पादक, कुशल और आर्थिक उपयोग के लिए संयुक्त परियोजनाओं का पता लगाने में मिलकर काम करने पर सहमत हुए।

दोनों पक्षों ने कृषि क्षेत्र को सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र माना और व्यापार की बाधाओं को खत्म करने, कृषि उत्पादों में अधिक उत्पादन और व्यापार करने का संकल्प किया।

25. दोनों पक्षों ने हीरा क्षेत्र में सहयोग के स्तर की सराहना की, जिसमें पीजेएससी एएलआरओएसए द्वारा भारतीय कंपनियों को किसी न किसी हीरे की आपूर्ति के नए दीर्घकालिक अनुबंधों पर हस्ताक्षर करना, मुंबई में एएलआरओएसए का प्रतिनिधि कार्यालय खोलना और भारतीय बाजार में हीरे के जेनेरिक विपणन के कार्यक्रमों के विकास पर एएलआरओएसए और अंतर्राष्ट्रीय हीरा उत्पादक संगठन के भारत के जेम एंड ज्वेलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल द्वारा संयुक्त वित्त पोषण शामिल है। दोनों पक्षों ने रूस के फार ईस्ट में हीरा निर्माण में भारतीय कंपनियों द्वारा किए गए हालिया निवेशों पर ध्यान दिया।

दोनों पक्ष संयुक्त निवेश, उत्पादन, प्रसंस्करण और कुशल श्रम के माध्यम से लकड़ी समेत कीमती धातुओं, खनिजों, प्राकृतिक संसाधनों और वन उत्पादन में संयुक्त सहयोग के अवसरों का पता लगाने पर सहमत हुए।

26. रूसी पक्ष ने, भारतीय पक्ष को रूस की फार ईस्ट एजेंसी में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। भारतीय पक्ष ने फार ईस्ट एजेंसी द्वारा मुंबई में कार्यालय खोलने के फैसले का स्वागत किया। भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सितंबर 2018 में व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच में भाग लिया था, जिसका नेतृत्व वाणिज्य और उद्योग तथा नागर उड्डयन मंत्री, सुरेश प्रभु ने किया था। एक उच्च स्तरीय रूसी प्रतिनिधिमंडल, निवेश रोड शो दिखाने और फार ईस्ट में अधिक भारतीय निवेश को बढ़ावा देने के लिए भारत आएगा।

27. दोनों पक्ष जैसे तीसरे देशों में रेलवे, ऊर्जा और अन्य क्षेत्रों में संयुक्त परियोजनाओं को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने पर सहमत हुए, जहां प्रौद्योगिकी और संसाधनों के संदर्भ में उनके बीच एक पूरकता है।

विज्ञान और तकनीक

28. दोनों पक्षों ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सहयोग को और तेज करने की आवश्यकता पर ध्यान दिया और फरवरी 2018 में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी पर 10वें भारतीय-रूसी कार्य समूह के सफल संचालन का स्वागत किया। जिसका पर्यवेक्षण संयुक्त रूप से भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और रूसी संघ के विज्ञान और उच्च शिक्षा मंत्रालय द्वारा किया जाता है।

29. दोनों पक्षों ने भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और रूसी फाउंडेशन फॉर बेसिक रिसर्च के बीच सफल सहयोग का उल्लेख किया। जून 2017 में बुनियादी और व्यावहारिक विज्ञान के क्षेत्र में संयुक्त शोध की 10वीं वर्षगांठ मनाई गई। पक्षों ने संतुष्टि के साथ भारत के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और रूसी विज्ञान फाउंडेशन के बीच सहयोग को स्वीकार किया। दोनों पक्ष पारस्परिक प्राथमिकता के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोगशालाओं, शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, संस्थानों और वैज्ञानिक और प्रौद्योगिकी संगठनों के बीच आगे सहयोग के लिए एक रूपरेखा तैयार कर भारत गणराज्य सरकार और रूसी संघ सरकार के बीच विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचारों के क्षेत्र में सहयोग के लिए एकीकृत दीर्घकालिक कार्यक्रम के अंतर्गत सहयोग को पुनर्जीवित करने पर सहमत हुए।

30. दोनों पक्ष सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में, विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स प्रणाली डिजाइन एव विनिर्माण, सॉफ्टवेयर विकास, सुपरकंप्यूटिंग, ई-गवर्नमेंट, सार्वजनिक सेवाओं के वितरण, नेटवर्क सुरक्षा, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग, फिन-टेक, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, मानकीकरण, रेडियो नियंत्रण और रेडियो फ्रीक्वेंसी स्पेक्ट्रम के विनियमन आदि क्षेत्रों में अपने सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए। पक्षों ने ब्रिक्स और आईटीयू समेत विभिन्न मंचों पर पारस्परिक समर्थन और सहभागिता जारी रखने का संकल्प किया।

31. दोनों पक्षों ने भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री, सुरेश प्रभु और रूसी संघ के आर्थिक विकास मंत्री, मैक्सिम ओरेस्किन द्वारा नई दिल्ली में, मार्च 2018 में संयुक्त घोषणा - "भारत-रूस आर्थिक सहयोग: आगे का मार्ग" पर हस्ताक्षर करने का स्वागत किया। उन्होंने इंडियन इंडस्ट्रीज और स्कोकोवोव फाउंडेशन के कन्फेडरेशन द्वारा दिसंबर 2018 में, पहला भारत-रूस स्टार्ट-अप शिखर सम्मेलन आयोजित करने के फैसले की अत्यधिक सराहना की। उन्होंने एक ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च करने के विचार का स्वागत किया, जो स्टार्टअप, निवेशकों, इनक्यूबेटर और दोनों देशों के महत्वाकांक्षी उद्यमियों को स्टार्ट-अप के वैश्वीकरण को विस्तारित और सक्षम करने के लिए प्रासंगिक संसाधन प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

32. दोनों पक्षों ने बाहरी अंतरिक्ष में लंबे समय तक और पारस्परिक रूप से लाभकारी भारत-रूस सहयोग के महत्व पर जोर दिया और क्रमशः भारत गणराज्य तथी रूसी संघ में भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम एनएवीएलसी और रूसी नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम ग्लोनास के क्षेत्र में मापन डेटा संग्रह ग्राउंड स्टेशनों की स्थापना की गतिविधि का स्वागत किया। पक्षों ने शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए बाहरी अंतरिक्ष के अनुसंधान और उपयोग के क्षेत्र में सहयोग को और तीव्र करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम, वैज्ञानिक परियोजनाओं के अलावा ब्रिक्स रिमोट सेंसिंग उपग्रह नक्षत्र पर सहयोग विकसित करने के लिए सहमति व्यक्त की गई।

33. दोनों पक्षों ने संयुक्त वैज्ञानिक अनुसंधान के क्षेत्र में अन्य बातों के साथ-साथ आर्कटिक में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग के विकास में रुचि व्यक्त की। पक्षों ने अंटार्कटिक में भारतीय और रूसी वैज्ञानिकों के लंबे समय से चल रहे सहयोग पर संतोष प्रकट किया।

34. पक्षों ने दोनों देशों के उच्च शिक्षा संस्थानों के बीच संबंधों के विस्तार पर ध्यान दिया, 2015 में स्थापित भारत-रूस विश्वविद्यालय नेटवर्क की गतिविधियों की वजह से तीन बार इनकी बैठक हुई है और इनकी कुल सदस्यता 42 तक पहुंच गई है। दोनों पक्षों ने शिक्षकों और छात्रों के अकादमिक आदान-प्रदान के साथ-साथ संयुक्त वैज्ञानिक और शैक्षणिक परियोजनाओं पर काम करने में बहुत रुचि दिखाई।

ऊर्जा

35. दोनों पक्षों ने भारत और रूस के बीच ऊर्जा सहयोग को आगे बढ़ाने के महत्व को ध्यान में रखते हुए, प्राकृतिक गैस समेत रूसी ऊर्जा परिसंपत्तियों में भारतीय पक्ष की रुचि को ध्यान में रख कर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के क्षेत्र में संभावित संयुक्त परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर भी विचार किया। 36. दोनों पक्षों ने ऊर्जा क्षेत्र में पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग की संभावना को स्वीकार किया और दोनों देशों की कंपनियों को दीर्घकालिक अनुबंध, संयुक्त उद्यम और दोनों देशों में ऊर्जा संपत्तियों के अधिग्रहण सहित तीसरे देशों में संभावित सहयोग के अवसरों पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित किया।

37. पक्षों ने रूसी और भारतीय ऊर्जा कंपनियों के बीच चल रहे सहयोग का स्वागत किया, जिसमें रूस में वानकोर्नेफ्ट और तास-युरीख नेफ्टेगाज़ोडोबिचा में भारतीय संघ द्वारा निवेश और एस्सार ऑयल कैपिटल में पीजेएससी रोसनेफ्ट तेल कंपनी की भागीदारी शामिल है। पक्षों ने व्यापक सहयोग के विकास में कंपनियों द्वारा की गई प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और वेंकर क्लस्टर पर वार्ता के शीघ्र पूरी होने की आशा व्यक्त की।

38. दोनों पक्षों ने एलएनजी क्षेत्र के सहयोग में रूसी और भारतीय कंपनियों के हित को स्वीकार किया और गजप्रोम समूह और गेल इंडिया लिमिटेड के बीच दीर्घकालिक अनुबंध के अंतर्गत एलएनजी की आपूर्ति शुरू करने का स्वागत किया।

39. दोनों पक्षों ने पीजेएससी नोवाटेक और भारत की ऊर्जा कंपनियों के बीच वार्ता के विस्तार को जारी रखने के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया और एलएनजी के क्षेत्र में सहयोग विकसित करने के संयुक्त इरादे का स्वागत किया।

40. दोनों पक्षों ने रूस के आर्कटिक शेल्फ तथा पेचोरा और ओखॉटस्क सागर के शेल्फ पर परियोजनाओं के संयुक्त विकास सहित रूस के तेल क्षेत्रों में सहयोग और संयुक्त विकास के अवसरों की खोज करने के लिए दोनों पक्षों की कंपनियों को अपना समर्थन व्यक्त किया।

41. रूस और अन्य देशों से भारत के गैस पाइपलाइन आपूर्ति मार्गों पर 2017 में किए गए संयुक्त अध्ययन का स्वागत करते हुए, दोनों पक्षों ने भारतीय और रूसी मंत्रालयों और कंपनियों के बीच चल रहे परामर्शों को भारत में गैस पाइपलाइन बनाने की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कहा और दोनों मंत्रालयों के बीच समझौता ज्ञापन के संभावित फैसले पर एक दूसरे से परामर्श जारी रखने पर सहमति व्यक्त की।

42. भारत और रूस के बीच असैनिक परमाणु सहयोग रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अंतर्गत इसकी प्रतिबद्धताओं में योगदान करतता है। दोनों पक्षों ने कुडनकुलम एनपीपी में शेष छह बिजली इकाइयों के निर्माण में हुई प्रगति के साथ-साथ स्थानीयकरण के घटकों के निर्माण के लिए किए जा रहे प्रयासों पर ध्यान दिया। दोनों पक्षों ने भारत में रूस द्वारा डिजाइन किए गए नए एनपीपी के साथ-साथ एनपीपी उपकरण द्वारा परमाणु उपकरणों के संयुक्त विनिर्माण पर परामर्श और तीसरे देशों में सहयोग का स्वागत किया।

दोनों पक्षों ने बांग्लादेश में रूपपुर परमाणु ऊर्जा परियोजना के कार्यान्वयन में त्रिपक्षीय सहयोग पर समझौते ज्ञापन में परिकल्पित समझौते को पूरा करने में हुई प्रगति पर प्रकाश डाला। पक्षों ने परमाणु क्षेत्र में संयुक्त रूप से पहचाने गए प्राथमिकता और सहयोग क्षेत्रों के कार्यान्वयन के लिए कार्य योजना पर हस्ताक्षर करने पर संतोष व्यक्त किया।

43. पक्षों ने जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए जल विद्युत और नवीकरणीय ऊर्जा के स्रोतों एवं ऊर्जा दक्षता पर घनिष्ठ सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने का भी निर्णय लिया।

सैन्य-तकनीकी सहयोग

44. दोनों पक्षों ने उल्लेख किया दोनों देशों के बीच सैन्य और सैन्य-तकनीकी सहयोग उनकी रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। उन्होंने सैन्य-तकनीकी सहयोग पर दिसंबर 2018 में होने वाली भारतीय-रूसी अंतर सरकारी आयोग की आगामी बैठक का स्वागत किया। सैन्य सहयोग की रूपरेखा ने दोनों देशों की सेनाओं के बीच अधिक बातचीत के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, जिसमें प्रशिक्षण, सेनाओं के वरिष्ठ कर्मियों का आदान-प्रदान, स्टाफ वार्ता और अभ्यास शामिल हैं। रूसी पक्ष ने सैन्य खेल 2018, सेना 2018 और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर मास्को सम्मेलन में भारतीय भागीदारी का सकारात्मक रूप से मूल्यांकन किया। दोनों पक्षों ने पहले त्रि-सेवा अभ्यास आईएनडीआरए (इंद्र) 2017 के सफल समापन की सराहना की और 2018 में अपने संयुक्त सैन्य अभ्यास - आईएनडीआरए नौसेना, आईएनडीआरए सेना और अविया आईएनडीआरए को जारी रखने की प्रतिबद्धता स्वीकार की।

45. दोनों पक्षों ने एस-400 लंबी दूरी की जमीन से हवा में वार करने वाली मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति के लिए अनुबंध के पूरा होने का स्वागत किया।

पक्षों ने भारत और रूस के बीच सैन्य तकनीकी सहयोग बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिसमें परस्पर विश्वास और पारस्परिक हित का लंबा इतिहास शामिल है। दोनों पक्षों ने सैन्य तकनीकी सहयोग की चल रही परियोजनाओं में की गई उल्लेखनीय प्रगति पर संतोष व्यक्त किया और दोनों देशों के बीच संयुक्त अनुसंधान और सैन्य तकनीकी उपकरणों के संयुक्त उत्पादन की दिशा में सकारात्मक बदलाव को मान्यता दी। उन्होंने सैन्य औद्योगिक सम्मेलन प्रक्रिया का भारत सरकार की "मेक इन इंडिया" नीति को बढ़ावा देने वाले एक महत्वपूर्ण तंत्र के रूप में मूल्यांकन किया।

पक्षों ने नवंबर 2017 में स्थापित उच्च प्रौद्योगिकियों में सहयोग पर उच्चस्तरीय समिति की बैठक का सकारात्मक मूल्यांकन किया, जिसने संयुक्त अनुसंधान और विकास के लिए आपसी हित के क्षेत्रों में ठोस परियोजनाओं की पहचान की है।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे

46. दोनों पक्षों ने "संयुक्त राष्ट्र चार्टर और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के राष्ट्रों के बीच मित्रता पूर्ण संबंधों और सहयोग के संबंध में 1970 के अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों की घोषणा के आधार पर सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत मानदंडों के रूप में समानता, पारस्परिक सम्मान और गैर-हस्तक्षेप के पुष्टि की।"

47. दोनों पक्षों ने जुलाई 2018 में, दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की 10वीं वर्षगांठ के परिणामों का उल्लेख करते हुए अंतर्राष्ट्रीय कानून और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के कठोरता से पालन के आधार पर निष्पक्ष, न्यायसंगत और बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था के निर्माण की प्राथमिकताओं का बचाव करने और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए भारत और रूस की उत्पादक बातचीत जारी रखने के इरादे को स्वीकार किया।

48. पक्षों ने अफगान सरकार और अफगान-स्वामित्व वाली राष्ट्रीय शांति सुलह प्रक्रिया को साकार करने के लिए अफगान सरकार के प्रयासों के प्रति अपना समर्थन घोषित किया। अफगानिस्तान में अप्रत्याशित हिंसा और गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त सुरक्षा की स्थिति और इस क्षेत्र पर इसके प्रतिकूल प्रभाव से संबंधित पक्षों ने मॉस्को प्रारूप, अफगानिस्तान पर एससीओ संपर्क समूह, और अन्य सभी मान्यता प्राप्त प्रारूपों के माध्यम से अफगानिस्तान में लंबे समय से चल रहे संघर्ष, आतंकवादी हिंसा, बाहरी सुरक्षित आश्रयों और देश में नशे की बदतर समस्या को शीघ्र समाप्त करने के लिए काम करने का संकल्प किया। दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अफगानिस्तान में किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को रोकने, इसकी अर्थव्यवस्था को बहाल करने, शांति, सुरक्षा, आर्थिक और राजनीतिक विकास को बनाए रखने में योगदान देकर एक स्थिर, सुरक्षित, एकजुट, समृद्ध और स्वतंत्र अफगानिस्तान के निर्माण के प्रयासों में शामिल होने के लिए कहा। दोनों पक्ष अपनी गतिविधि को अफगानिस्तान में विकास और क्षमता निर्माण परियोजनाओं के लिए निर्देशित करेंगे।

49. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 2254 (2015) के अनुसरण में सीरिया की संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करने के लिए सीरियाई नेतृत्व और सीरियाई स्वामित्व वाली राजनीतिक प्रक्रिया के माध्यम से सीरिया में चल रहे संघर्ष के राजनीतिक निपटारे के लिए भारत और रूस की प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने जिनेवा प्रक्रिया और संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई मध्यस्थता के साथ-साथ अस्थाना प्रक्रिया के प्रति अपना समर्थन दोहराया और दोनों पहलों के बीच की पूरकता पर बल दिया। दोनों पक्षों ने सभी हितधारकों को शांतिपूर्ण, स्थिर और संप्रभु सीरियाई राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए कहा और किसी पूर्व शर्त या बाहरी हस्तक्षेप के बिना अंतर-सीरियाई वार्ता का समर्थन किया। दोनों पक्षों ने लंबे समय से पीड़ित सीरियाई लोगों के लिए जरूरी मानवीय सहायता प्रदान करने के प्रयासों को बढ़ाने के लिए कहा, पुनर्निर्माण की तत्काल जरूरतों और शरणार्थियों और आंतरिक रूप से विस्थापित लोगों की वापसी पर ध्यान दिया।

50. दोनों पक्षों ने परमाणु अप्रसार व्यवस्था को मजबूत करने और ईरान के साथ सामान्य आर्थिक सहयोग विकसित करने में अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा का समर्थन करने के लिए ईरानी परमाणु कार्यक्रम पर संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने ईरानी परमाणु कार्यक्रम से संबंधित सभी मुद्दों को शांतिपूर्वक और बातचीत के माध्यम से हल करने के लिए कहा।

51. दोनों पक्षों ने कोरियाई प्रायद्वीप में हो रहे सकारात्मक विकास का स्वागत किया और कूटनीति और वार्ता के माध्यम से इस उप-क्षेत्र में स्थायी शांति और स्थिरता लाने के प्रयासों के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि कोरियाई प्रायद्वीप के मुद्दों को हल करने के तंत्र को बनाते समय इसके प्रसार संबंधों से संबंधित चिंताओं को ध्यान में रखना और संबोधित करना आवश्यक है।

52. पक्षों ने बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की होड़ बढ़ने और बाहरी अंतरिक्ष के एक सैन्य अखाड़े में परिवर्तित होने की संभावना के संबंध में गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने पुष्टि की कि बाहरी अंतरिक्ष (पीआरओएस) में हथियारों की होड़ की रोकथाम, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के एक गंभीर खतरे को रोकेगी। पक्षों ने पीएआरओएस पर कानूनी रूप से बाध्यकारी उपकरण के लिए संभावित तत्वों पर चर्चा करने के लिए बाहरी अंतरिक्ष में हथियारों की तैनाती की रोकथाम पर, संयुक्त राष्ट्र समूह के सरकारी विशेषज्ञों के संयुक्त सत्र के पहले सत्र में हुए विचार-विमर्श का स्वागत किया। उन्होंने जोर देकर कहा कि व्यावहारिक पारदर्शिता और विश्वास निर्माण के उपाय पीएआरओएस के उद्देश्यों में भी योगदान कर सकते हैं।

53. दोनों पक्षों ने रासायनिक हथियारों के निषेध के लिए, रासायनिक हथियारों के विकास, उत्पादन, भंडारण और उपयोग पर निषेध में सम्मेलन की भूमिका को संरक्षित करने और संगठन की गतिविधियों के राजनीतिकरण को रोकने के प्रयासों और पहलों का समर्थन करने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि की। भारतीय पक्ष ने रूसी संघ के रासायनिक हथियारों के भंडारों के विनाश के शीघ्र समापन का स्वागत किया, जो रासायनिक हथियार से मुक्त विश्व बनाने के लक्ष्य को प्राप्त करने में उसके महत्वपूर्ण योगदान दर्शाता है।

54. पक्षों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में इसकी निंदा की और बिना किसी दोहरे मानदंडों के निर्णायक और सामूहिक प्रतिक्रिया से अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद का मुकाबला करने की आवश्यकता को दोहराया। दोनों पक्ष आतंकवादी विचारधारा, प्रचार और भर्ती का मुकाबला करने के लिए आतंकवादी नेटवर्क, उसके वित्त पोषण के स्रोतों, हथियारों और लड़ाकों को आपूर्ति चैनलों को खत्म करने के अपने प्रयासों को एकजुट करने पर सहमत हुए। पक्षों ने सीमा पार आतंकवाद सहित राष्ट्रों द्वारा आतंकवादियों के सभी प्रकार के समर्थन और आतंकवादियों और उनके नेटवर्क को सुरक्षित आश्रय प्रदान करने की निंदा की। दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय कानून का हिस्सा बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में लंबित अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक सम्मेलन को अपनाने के महत्व को पहचाना तथा अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इसे शीघ्र पूरा करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करने के लिए कहा। रासायनिक और जैविक आतंकवाद के खतरों को संबोधित करते हुए, दोनों पक्षों ने रासायनिक और जैविक आतंकवाद के कृत्यों का दमन करने के लिए निरस्त्रीकरण पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में बहुपक्षीय वार्ता शुरू करने की आवश्यकता पर बल दिया।

55. दोनों पक्षों ने अंतर्राष्ट्रीय कानूनों और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीयता के सिद्धांतों के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्ष इस विचार को साझा करते हैं कि आम तौर पर मान्यता प्राप्त सिद्धांतों और अंतर्राष्ट्रीय कानून के नियमों पर विश्वास का कार्यान्वयन कुछ राष्ट्रों के दोहरे मानकों या अन्य राष्ट्रों पर दबाव बनाने की उनकी इच्छा को समाप्त करता है, और माना कि अंतर्राष्ट्रीय कानून पर आधारित एकतरफा जबरदस्ती के उपायों को लागू न करना, ऐसे अभ्यास का एक उदाहरण है। दोनों पक्ष वैश्विक और साझा हितों के आधार पर एक लोकतांत्रिक विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे।

56. दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करने की आवश्यकता की पुष्टि की ताकि उसे वर्तमान विश्व व्यवस्था को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने और उभरती वैश्विक चुनौतियों से निपटने में अधिक प्रभावी बनाया जा सके। रूस ने विस्तारित यूएनएससी में स्थायी सदस्यता के लिए भारत के दावे को अपना दृढ़ समर्थन दोहराया। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर शांति, सुरक्षा और न्यायसंगत विकास सुनिश्चित करने और विश्व व्यवस्था की स्थिरता की चुनौतियों का समाधान करने के अपने प्रयासों को समन्वयित करने के लिए बारीकी से काम करने का संकल्प किया।

57. पक्षों ने सतत विकास के 2030 एजेंडा को पूरी तरह कार्यान्वित करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। दोनों पक्ष एक संतुलित और एकीकृत तरीके से अपने आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय तीनों आयामों में सतत विकास करने के लिए न्यायसंगत, खुले, समग्र, नवाचार संचालित और समावेशी विकास का अनुसरण करेंगे। उन्होंने 2030 एजेंडा के वैश्विक कार्यान्वयन के समन्वय और समीक्षा में, सतत विकास पर उच्चस्तरीय राजनीतिक मंच सहित संयुक्त राष्ट्र की महत्वपूर्ण भूमिका की बात दोहराई। वे 2030 के एजेंडा को लागू करने में सदस्य देशों के समर्थन में अपनी क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से संयुक्त राष्ट्र विकास प्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर सहमत हैं। दोनों पक्षों ने विकसित देशों से अपनी आधिकारिक विकास सहायता प्रतिबद्धताओं का समय पर और पूर्ण रूप से सम्मान करने और विकासशील देशों को अधिक विकास संसाधन प्रदान करने का आग्रह किया।

58. पक्षों ने स्थायी विकास और गरीबी उन्मूलन के संदर्भ में, हरित विकास और कम कार्बन अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने सभी देशों से जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन के सिद्धांतों के अंतर्गत अपनाए गए पेरिस समझौते को पूरी तरह कार्यान्वित करने और विकसित देशों से विकासशील देशों को शमन और अनुकूलन में अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए वित्तीय, तकनीकी और क्षमता निर्माण सहायता प्रदान करने का आग्रह किया, जिसमें साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत शामिल थे।

59. पक्षों ने वैश्विक अप्रसार को और मजबूत करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। रूस ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की भारत की सदस्यता के लिए अपना समर्थन व्यक्त किया।

60. दोनों पक्षों ने आईसीटी के उपयोग में राष्ट्रों के जिम्मेदार व्यवहार के नियमों, मानदंडों और सिद्धांतों को शीघ्र अपनाने की आवश्यकता के साथ-साथ इस क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय कानूनी उपकरण विकसित कर आपराधिक उद्देश्यों के लिए आईसीटी के उपयोग को रोकने के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता का उल्लेख किया। इस संबंध में, पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपने 73वें सत्र के दौरान प्रासंगिक प्रस्तावों को अपनाने के महत्व को रेखांकित किया। पक्षों ने आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ब्रिक्स राज्यों के बीच सहयोग के ढांचे को स्थापित करने की आवश्यकता को स्वीकार किया और इस मामले में सहयोग पर ब्रिक्स अंतर सरकारी समझौते के विस्तार के लिए काम करने की अपनी इच्छा की पुष्टि की।

61. दोनों पक्षों ने आईसीटी के उपयोग में सुरक्षा सुनिश्चित करने के सामान्य दृष्टिकोणों और सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग में सुरक्षा के क्षेत्र में सहयोग पर अंतर सरकारी समझौते को आगे ले जाने के लिए द्विपक्षीय अंतर-एजेंसी व्यावहारिक वार्ता को मजबूत करने की अपनी इच्छा को रेखांकित किया।

62. दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय सुरक्षा व्यवस्था की स्थापना के विचार का समर्थन किया, जो एशिया के सभी देशों और प्रशांत और भारतीय महासागरों के क्षेत्रों में समान और अविभाज्य सुरक्षा प्रदान करती है। पक्षों ने पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों और अन्य क्षेत्रीय मंचों के ढांचे के भीतर इस विषय पर बहुपक्षीय वार्ता की निरंतरता के महत्व पर बल दिया। दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हुए कि क्षेत्रीय व्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से की जाने वाली सभी नई पहलें बहुपक्षवाद, पारदर्शिता, समावेश, पारस्परिक सम्मान और एकता के आधार पर प्रगति और समृद्धि के सामान्य प्रयासों पर आधारित हैं और किसी भी देश के खिलाफ निर्देशित नहीं हैं। इस संबंध में, पक्षों ने 24 अगस्त 2018 को, मास्को में रूसी संघ के उप विदेश मंत्री इगोर मोर्गुलोव और भारत गणराज्य के विदेश सचिव विजय गोखले के बीच आयोजित रचनात्मक परामर्श का स्वागत किया।

63. पक्षों ने ब्रिक्स, जी-20, एससीओ, आरआईसी और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन जैसे क्षेत्रीय बहुपक्षीय मंचों में प्रयासों के संपर्क और समन्वय को बढ़ाने के अपने दृढ़ संकल्प की पुष्टि की। भारत ने यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ सहयोग बढ़ाने की अपनी आकांक्षा व्यक्त की।

64. पक्षों ने, जून 2018 में क़िंगदाओ में एससीओ राष्ट्र प्रमुखों की परिषद की बैठक में भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी की भागीदारी का उल्लेख किया, जो पूर्ण सदस्य के रूप में, संगठन के काम में भारत की सफल भागीदारी को चिह्नित करती है। दोनों पक्ष एससीओ चार्टर, मानदंडों और अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के प्रति अपनी वचनबद्धता की पुष्टि करते हैं और संगठन की सभी गतिविधियों में संगठन की क्षमता साकार करने के लिए समन्वित प्रयासों को जारी रखेगे।

सुरक्षा और स्थिरता के मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा, जिसमें आतंकवाद, अवैध नशीली दवाओं की तस्करी और संगठित अपराध का मुकाबला शामिल है। इनसे एससीओ क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना के भीतर सहयोग की प्रभावशीलता बढ़ेगी।

रूस ने आतंकवाद विरोधी सैन्य अभ्यास "शांति मिशन-2018" में भारत की भागीदारी का स्वागत किया। दोनों पक्ष एससीओ संगठन के साथ-साथ पर्यवेक्षकों, साझेदार देशों और अन्य इच्छुक राज्यों के साथ अंतःक्रिया के उद्देश्य से परिवहन और बुनियादी संरचना परियोजनाओं को साकार करने सहित एससीओ के आर्थिक घटक को विकसित करने के लक्ष्य पर विचार करेंगे। वे अंतरराष्ट्रीय मामलों में एससीओ की भूमिका में वृद्धि के समर्थक हैं और मानते हैं कि संयुक्त राष्ट्र और इसकी संरचनाओं, अन्य अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय संगठनों के साथ एससीओ के संपर्क और सहयोग का विस्तार करना आवश्यक है। दोनों पक्ष एससीओ के भीतर सांस्कृतिक और मानवीय संबंधों को गहरा बनाने पर सहमत हुए।

65. दोनों पक्ष खुले, समावेशी, पारदर्शी, गैर-भेदभावपूर्ण और नियम-आधारित बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मजबूत बनाने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार संबंधों तथा व्यापार संरक्षणवाद के सभी रूपों में विघटन की रोकथाम के लिए प्रतिबद्ध हैं।

66. भारत ने एक बड़ी यूरेशियाई साझेदारी बनाने की रूस की पहल का स्वागत किया। यह साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय कानून के सख्ती से पालन, समानता के सिद्धांतों और एक-दूसरे के राष्ट्रीय दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए पारस्परिक सम्मान के आधार पर रचनात्मक सहयोग के प्रभावी मंच के निर्माण के हित में राष्ट्रीय विकास रणनीतियों और बहुपक्षीय एकीकरण परियोजनाओं के संयोजन को निर्धारित करती है।

67. दोनों पक्षों ने भारत-रूस संबंध की प्रगति, साझा हितों और द्विपक्षीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर समान दृष्टिकोण पर संतोष व्यक्त किया और दोनों देशों के लोगों की पारस्परिक समृद्धि के लिए भारत तथा रूस की विशिष्ट व विशेषाधिकार युक्त रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए निकट सहयोग, समन्वय और लाभ के एकीकरण के इस प्रक्षेपण को जारी रखने पर सहमत हुए।

68. रूसी संघ के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपने आतिथ्य के लिए भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया और उन्हें 2019 में आयोजित किए जाने वाले 20वें वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए रूस आने का आमंत्रण दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अत्यंत प्रसन्नता सहित निमंत्रण स्वीकार किया।

नई दिल्ली
05 अक्टूबर, 2018



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