भारत और आसियान क्षेत्रीय मंच
पृष्ठभूमि
क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता मंच के तौर पर 1994 में आसियान क्षेत्रीय मंच की स्थापना की गई थी । आसियान के विदेश मंत्रियों और इसके पूर्ण वार्ता भागीदारों के बीच आसियान पश्चात् मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में विचार विमर्श से इस मंच का विस्तार हुआ । आसियान क्षेत्रीय
मंच संधि पर आधारित संगठन नहीं है किंतु इसकी त्रिस्तरीय ढांचा प्रक्रिया है – स्तर-। में सदस्य देशों द्वारा विचार विमर्श और समाधान किए जाने वाले क्रियाकलाप शामिल हैं; स्तर-। ½ में आसियान क्षेत्रीय मंच द्वारा अनुमोदित क्रियाकलाप शामिल है जिसमें अपनी निजी
क्षमता में सदस्य देशों के विद्धान और अधिकारी भाग लेते हैं तथा स्तर-।। ढांचागत क्षेत्रीय प्रक्रिया के विकास के लिए विद्धानों शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं को संपर्क के लिए एक गैर सरकारी मंच प्रदान करता है ।
आसियान क्षेत्रीय मंच एशिया प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग का एकमात्र मंच है । आसियान क्षेत्रीय मंच की मंत्रिस्तरीय बैठकें अनौपचारिक होती हैं । विचार विमर्श स्वतंत्र होता है और इसका कोई औपचारिक वक्तव्य अथवा औपचारिक कार्यसूची नहीं होती । मोटे तौर पर कार्यसूची
में वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा के मसले तथा निरस्त्रीकरण और अप्रसार के मुद्दे होते हैं । आसियान क्षेत्रीय मंच की सहमति और वार्ता की भावना (मुफाकत और मशवरा) से यह विचार विमर्श किए जाते हैं ।
1995 में ब्रुनेई में ‘विश्वासोत्पादक उपायों को बढ़ावा देने’, ‘सुरक्षात्मक राजनय तंत्र का विकास’ और ‘विवाद समाधान तंत्र के विकास’ से संबंधित 3 त्रिस्तरीय अवधारणा दस्तावेज प्रस्तुत किया गया था । आसियान क्षेत्रीय मंच इस समय विश्वासोत्पादक उपाय करने तथा
चरण-। और चरण-।। के बीच दोहरेपन को समाप्त करने पर कार्य कर रहा है ।
संघटन
इस समय आसियान क्षेत्रीय मंच में 25 सदस्य राष्ट्र हैं । 10 आसियान देश – ब्रुनेई, दारूस्सलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपिंस, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम, 10 आसियान वार्ता देश – आस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, भारत, जापान,
आर ओ के, न्यूजीलैंड, रूस और अमेरिका के साथ-साथ मंगोलिया, डीपीआरके, पाकिस्तान, पपुआ न्यू गुयाना और तिमोर-लेस्टे आसियान क्षेत्रीय मंच के वर्तमान सदस्य हैं । तिमोर-लेस्टे को जुलाई, 2005 में लाओस में आयोजित आसियान क्षेत्रीय मंच की 12वीं मंत्रिस्तरीय बैठक
में शामिल किया गया था । सदस्यता का निर्णय तीसरे आसियान क्षेत्रीय मंच के सिद्धांतों और सहमत मापदंड के आधार पर दिया जाता है अर्थात् आसियान क्षेत्रीय मंच के प्रमुख उद्देश्यों को प्राप्त करने में सहायता की प्रतिबद्धता और आसियान क्षेत्रीय मंच द्वारा लिए गए निर्णयों
और जारी वक्तव्यों का पूर्णत: पालन और सम्मान, आसियान क्षेत्रीय मंच के ‘भौगोलिक स्थल’ की शांति असुरक्षा के लिए औचित्य, सदस्य देशों का निरंतर विकास और परामर्श । वास्तविक निर्णय मंत्रियों द्वारा सहमति से लिए जाते हैं ।
आसियान क्षेत्रीय मंच की बैठकें
आसियान क्षेत्रीय मंच की मंत्रिस्तरीय बैठकें अब तक बैंकाक, ब्रुनेई, जकार्ता, कुआलालम्पुर, फेनम पेन्ह, सिंगापुर, बैंकाक, हनोई, ब्रुनेई, फेनम पेन्ह, जकार्ता और वेंटाइन में हो चुकी है । ये बैठकें अनौपचारिक मौहाल में होती हैं । मुक्त विचार विमर्श होता है और
कोई वक्तव्य जारी नहीं किया जाता है न ही कोई औपचारिक कार्यसूची होती है । मोटे तौर पर वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा के मामले पर तथा आसियान क्षेत्रीय मंच की भावी दिशा पर विचार विमर्श किया जाता है । बैठक के अंत में अध्यक्ष का वक्तव्य जारी किया जाता है । यह
सहमत पाठ नहीं होता है अपितु विचार विमर्श से निकली व्यापक सहमति को संक्षेप में दिया जाता है । गत वर्ष के क्रियाकलापों से संबंधित रिपोर्ट पर विचार किया जाता है तथा अगले वर्ष के लिए कार्यक्रम अनुमोदित किया जाता है ।
गत कुछ वर्षों में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग बढ़ाने के संबंध में आसियान क्षेत्रीय मंच में अधिक ध्यान दिया गया है । भारत ने आतंकवाद प्रतिरोध के संबंध में आसियान क्षेत्रीय मंच के विभिन्न कार्यशालाओं के प्रयासों तथा सहयोग से संबंधित अन्य प्रस्तावों
और आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए आसियान क्षेत्रीय मंच में संयुक्त कार्रवाई का समर्थन किया है । आसियान क्षेत्रीय मंच की 9वीं बैठक में आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने के विरुद्ध उपायों के बारे में एक वक्तव्य जारी किया गया था । इस बैठक में आसियान क्षेत्रीय मंच
की आतंकवाद प्रतिरोध और अंतर्राष्ट्रीय अपराध संबंधी अंतर अधिवेशन बैठक का भी समर्थन किया था जिसकी अब तक तीन बैठकें हो चुकी हैं ।
विश्वासोत्पादक उपायों, आपदा राहत, अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध, समुद्री सहयोग और शांति अभियानों के लिए प्रशिक्षण के संबंध में अंतर-अधिवेशन कार्य आसियान क्षेत्रीय मंच के क्रियाकलापों का मुख्य हिस्सा हैं । वे वार्ता और विचार विमर्श के लिए मंच प्रदान करते
हैं जो आसियान क्षेत्रीय मंच की भावी दिशा के लिए प्रेरक का कार्य करता है । विश्वासोत्पादक उपायों से संबंधित अंतर अधिवेशन समर्थन समूह, स्तर-। के तहत आसियान क्षेत्रीय मंच का प्रमुख अंतर अधिवेशन कार्य है । यह सभी विश्वासोत्पादक उपाय प्रस्तावों के लिए क्लियरिंग
हाउस का कार्य करता है तथा विचार विमर्श के पश्चात् मंत्रियों के विचारार्थ विभिन्न मुद्दों पर अपनी सिफारिशें देता है । एशिया और प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सहयोग परिषद ट्रेक ।। कार्यों का समन्वय करती है जिसकी औपचारिक रूप से जून, 1993 में स्थापना की गई थी
। इसका सचिवालय कुआलालम्पुर में है ।
भारत एसओएम, विश्वासोत्पादक उपायों संबंधी आईएसजी की बैठकों तथा ट्रेक । और ।। के अन्य कार्यों अर्थात- आपदा राहत, शांति, समुद्री मामलों आदि में नियमित रूप से भाग लेता है । विदेश मंत्रालय के अलावा रक्षा मंत्रालय के अधिकारी और विद्धान आसियान क्षेत्रीय मंच के
विचार विमर्श में शामिल होते रहे हैं ।
भारत की भागीदारी
दिसंबर, 1995 में बैंकाक आसियान सम्मेलन में भारत को पूर्ण वार्ता भागीदार बनाने के लिए आमंत्रित करने का निर्णय लिया गया था । यह निर्णय पूर्व के प्रति भारत की नीति को देखते हुए लिया गया था । इसलिए भारत को 1996 में आसियान क्षेत्रीय मंच-पीएमसी की बैठकों के लिए
आमंत्रित किया गया था । आसियान क्षेत्रीय मंच में भारत का प्रवेश एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका और स्थिति को स्वीकार किए जाने को रेखांकित करता है । भारत 1996 में आसियान क्षेत्रीय मंच का सदस्य बन गया था । हम आसियान क्षेत्रीय मंच में अपनी सदस्यता
को काफी महत्व देते हैं तथा इसे बहुलवादी, सहयोगी सुरक्षा व्यवस्था और एशिया प्रशांत क्षेत्र की विविधता के प्रतिबिंब के एक अनुभव के तौर पर देखते हैं ।
आसियान क्षेत्रीय मंच में एशिया प्रशांत क्षेत्र की विविधता के अनुरूप नई बहुलवादी, सहयोगी सुरक्षा व्यवस्था और सैनिक ध्रुवीकरण की दुनिया से दूर परिवर्तनशीलता देखने को मिलती है । हम इसे अपना योगदान देने के लिए तैयार हैं । यद्यपि आसियान क्षेत्रीय मंच का दायरा
काफी व्यापक है, भारत को विश्वास है कि यह आसियान के आसपास निर्मित है और आसियान से ही संचालित होता है । आसियान क्षेत्रीय मंच में हमारी भागीदारी राजनीतिक-सुरक्षा और आर्थिक क्षेत्र दोनों में एशिया प्रशांत क्षेत्र में बढ़ती भागदारी दर्शाता है तथा स्थायी क्षेत्रीय
शांति और स्थायित्व के उद्देश्य के प्रति हमारी प्रतिबद्धता रेखांकित करता है ।