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मंत्रिस्तरीय घोषणा: विदेश मंत्रियों की आईबीएसए स्टैंडअलोन बैठक

फरवरी 23, 2024

भारत गणराज्य के विदेश राज्य मंत्री, श्री वी. मुरलीधरन, ब्राजील संघीय गणराज्य के विदेश मामलों के मंत्री, महामहिम एम्बेसडर माउरो विएरा और दक्षिण अफ़्रीका गणराज्य की अंतर्राष्ट्रीय संबंध और सहयोग मंत्री महामहिम डॉ. ग्रेस नलेदी पंडोर (यहां से आगे "मंत्रीगण" कहा गया है) ने 22 फरवरी को रियो डी जेनेरियो में एक स्टैंडअलोन बैठक की।

2. मंत्रीगणों ने स्मरण किया कि एशिया, दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के तीन बड़े बहुलवादी, बहु-सांस्कृतिक और बहु-जातीय लोकतंत्रों के बीच वैश्विक मुद्दों पर समन्वय को बढ़ावा देने और क्षेत्रीय कार्यक्षेत्रों में त्रिपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए आईबीएसए का गठन 20 वर्ष से भी अधिक समय पूर्व किया गया था जिसने दक्षिण-दक्षिण सहयोग को एक नई रूपरेखा प्रदान की। उन्होंने आईबीएसए के सिद्धांतों, मानदंडों और मूल्यों का महत्व रेखांकित किया, जिनमें सुधार आधारित बहुपक्षवाद, सहभागितापूर्ण लोकतंत्र, मानवाधिकारों और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून का पालन, संप्रभु समानता, क्षेत्रीय अखंडता, शांतिपूर्ण बातचीत, कूटनीति, स्वतंत्रता, अंतर्राष्ट्रीय कानून की प्रधानता और सतत विकास शामिल हैं।

3. मंत्रीगणों ने आईबीएसए फोरम को और अधिक ऊर्जावान बनाने और इसका लाभ उठाने पर बल दिया, विदेश मंत्रियों की यह स्टैंडअलोन बैठक उसी दिशा में एक और कदम है। शेरपाओं और सूस शेरपाओं ने आईबीएसए के संस्थागत विकास, और खाद्य सुरक्षा और पोषण पर आईबीएसए अधिकारियों की पहली बैठक के संबंध में कांसेप्ट नोट्स पर चर्चा की।

4. मंत्रीगण इस पर सहमत हुए कि गरीबी और भूख के खिलाफ लड़ाई तीनों देशों के बीच सहयोग के लिए एक प्राथमिकता और दीर्घकालिक विषयक्षेत्र है। वे अपने-अपने क्षेत्रों और वैश्विक स्तर पर खाद्य सुरक्षा और पोषण सुनिश्चित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का लाभ उठाने पर सहमत हुए और खाद्य सुरक्षा और पोषण पर आईबीएसए अधिकारियों की पहली बैठक करने का निर्णय लिया।

5. मंत्रीगण, दक्षिण-दक्षिण सहयोग की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त पहल आईबीएसए फंड को 37 देशों में 45 परियोजनाओं के साथ सुदृढ़ करने, विस्तार करने और बढ़ावा देने पर सहमत हुए।

6. मंत्रीगणों ने स्मरण किया कि भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका धारणीय विकास को गति प्रदान करने, विकास संबंधी चुनौतियों के समाधान करने, वैश्विक अभिशासन में सुधार करने और स्वतंत्र विदेश नीतियों को बनाए रखने पर केंद्रित हैं। वे मानते हैं कि आईबीएसए के मूल्य और सिद्धांत विकासशील और विकसित देशों के बीच एक सेतु का कार्य करते हैं। मंत्रीगणों ने बहुपक्षीय निकायों सहित वैश्विक मंच पर वैश्विक दक्षिण के हितों के संरक्षण, तथा उन्हें आगे बढ़ाने के लिए आईबीएसए के रणनीतिक महत्व की पुष्टि की।

7. मंत्रीगणों ने विश्व के विभिन्न भागों में भू-राजनैतिक तनाव में वृद्धि पर चिंता व्यक्त की और ऐसी विभाजनकारी विचारधाराओं के विपरीत शांति की खोज में फिर से संलग्न होने की तत्काल ज़रूरत पर जोर दिया, जो केवल विखंडन और भू-राजनैतिक ध्रुवीकरण के वर्तमान परिदृश्य को और सुदृढ़ बनाती हैं। संघर्षों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए उन्होंने बातचीत की ज़रूरत और संघर्ष की रोकथाम के लिए मध्यस्थता और निवारक कूटनीति जैसे उपायों को सुदृढ़ बनाने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और बहुपक्षवाद के सिद्धांतों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की।

8. उन्होंने 21वीं सदी की समकालीन वैश्विक चुनौतियों के पर्याप्त समाधान करने और वैश्विक अभिशासन को अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण, लोकतांत्रिक, प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के उद्देश्य से 2030 एजेंडा को लागू करने पर लक्षित सुधार-आधारित, पुन:ऊर्जित और नवसशक्तीकृत बहुपक्षवाद की ज़रूरत पर बल दिया।

9. उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापित करने के प्रयासों हेतु रणनीतिक दृष्टिकोण और सुसंगति हेतु पीसबिल्डिंग आयोग के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र के निकायों को सलाह देने, और एक सेतु के रूप में कार्य करने और शांति निर्माण पर अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों सहित प्रासंगिक हितधारकों के दृष्टिकोण को शामिल करने हेतु सुगमता प्रदान करने में आयोग की भूमिका को मान्यता दी। उन्होंने शांति स्थापना गतिविधियों के क्रियान्वयन के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने हेतु भी प्रोत्साहित किया। इस संबंध में, उन्होंने रोकथाम और शांति स्थापना हेतु निवेश पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के संकल्प 78/257 को अपनाने का स्वागत किया, जिसमें मूल्यांकन किए गए योगदान सहित संयुक्त राष्ट्र द्वारा शांति स्थापना गतिविधियों के वित्तपोषण में हुई महत्वपूर्ण प्रगति को रेखांकित किया गया। मंत्रीगणों ने स्वीकार किया कि राष्ट्रीय, क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय शांति स्थापना के प्रयासों को प्रभावी ढंग से समर्थन देने के लिए पीस बिल्डिंग कमीशन की भूमिका को और बढ़ाया जा सकता है, और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा संकल्प 75/201 और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 2558 (2020) द्वारा अधिदेशित शांति स्थापना रूपरेखा की 2025 समीक्षा की दिशा में काम करने की इच्छा व्यक्त की।

10. जिनेवा कन्वेंशन की 75वीं वर्षगांठ को दृष्टिगत रखते हुए, मंत्रीगणों ने विश्व भर में जारी 100 से अधिक सशस्त्र संघर्षों के गंभीर मानवीय परिणामों को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और इस बात पर जोर दिया कि अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून के अनुपालन की एक सार्वभौमिक संस्कृति, युद्ध से होने वाली मानवीय हानि की रोकथाम करने और इसे कम करने के लिए अनिवार्य है।

11. मंत्रीगणों ने इसे दोहराया कि सशस्त्र संघर्षों से संबंधित समस्त पक्षों को नागरिकों का सम्मान और सुरक्षा करनी चाहिए और विभेद, आनुपातिकता और पूर्वसावधानियों के मानवीय सिद्धांतों का पालन करते हुए नागरिक संपत्तियों को बचाने का निरंतर ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने मानवीय अभिगमन की किसी गैरकानूनी मनाही, और सशस्त्र संघर्ष की स्थितियों में नागरिकों को उनके जीवनयापन के लिए आवश्यक वस्तुओं से वंचित करने की भी निंदा की [संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद संकल्प 2573/2021 पर आधारित]।

12. मंत्रीगणों ने निरस्त्रीकरण संधि की रूपरेखा में प्रयासों सहित वैश्विक हथियार नियंत्रण, निरस्त्रीकरण और अप्रसार पर बल दिए जाने का भी आह्वान किया।

13. 26 सितंबर 2019 को न्यूयॉर्क में बहुपक्षीय प्रणाली के सुधार पर आईबीएसए के संयुक्त वक्तव्य, और 16 सितंबर 2020 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर आईबीएसए के संयुक्त मंत्रिस्तरीय वक्तव्य का स्मरण करते हुए, मंत्रीगणों ने उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु, तथा संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के सिद्धांत, जैसे कि समान संप्रभुता और अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने, वृहत्तर लोकतंत्र और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में कानून का अभिशासन, तथा पारस्परिक रूप से लाभप्रद सहयोग के माध्यम से एक प्रतिनिधित्वपूर्ण, उत्तरदायी और सहभागी अंतर्राष्ट्रीय अभिशासन रूपरेखा विकसित करने के लिए भी अपनी प्रतिबद्धताओं की पुष्टि की।

14. मंत्रीगणों ने जोर दिया कि संयुक्त राष्ट्र प्रणाली में व्यापक सुधार एक महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय जिम्मेदारी है, सुरक्षा परिषद में सुधारों को आगे बढ़ाना एक तत्काल और सर्वोपरि प्राथमिकता होनी चाहिए। मंत्रीगणों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों पर अंतर-सरकारी वार्ताओं में आई शिथिलता पर एक बार पुन: निराशा व्यक्त की, जिसमें हालिया प्रगति के बावजूद, अभी भी इसकी कार्यविधियों में पारदर्शिता नहीं है और संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में ठोस प्रगति नहीं हुई है। उन्होंने इस पर जोर दिया कि अब परिणाम देने वाली प्रक्रियाओं की दिशा में बढ़ने का समय आ चुका है और सुरक्षा परिषद में शीघ्र व्यापक सुधार को दृष्टिगत रखते हुए 79वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान एक औपचारिक परिवेश में एक एकल व्यापक पाठ पर आधारित, पाठ-आधारित वार्ताओं की शुरुआत के माध्यम से इस मुद्दे पर एक निश्चित समय सीमा में ठोस परिणाम प्राप्त करने के प्रयासों पर दोगुना बल देने हेतु आग्रह किया।

15. मंत्रीगणों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधारों के संबंध में निर्णायक प्रगति और ठोस परिणामों के लिए आगामी महत्वपूर्ण कार्यक्रमों पर, जैसे कि 2024 में समिट ऑफ दि फ्यूचर और 2025 में संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ के महत्व पर जोर दिया।

16. मंत्रीगणों ने सुधार-आधारित, प्रतिनिधित्वपूर्ण, न्यायसंगत, उत्तरदायी लक्ष्य प्राप्त करने के लिए स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व को सम्मिलित किए जाने हेतु सुरक्षा परिषद की सदस्यता के विस्तार, और समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को परिलक्षित करने वाली प्रभावी संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की दिशा में प्रयास हेतु अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता के लिए अफ्रीकी देशों की वैध महत्वाकांक्षा का समर्थन किया और सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटें प्राप्त करने हेतु ब्राजील और भारत के प्रयासों का समर्थन किया। मंत्रीगणों ने क्रमशः 2021-2022 और 2022-23 के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सदस्यों के रूप में भारत और ब्राजील की भूमिका की सराहना की।

17. मंत्रीगणों ने विश्व भर में जारी आतंकवादी हमलों की निंदा की। उन्होंने हर कहीं, और किसी के भी द्वारा आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की। उन्होंने इस पर सहमति व्यक्त की कि आतंकवाद एक वैश्विक संकट है जिसका मिलकर सामना करना होगा और विश्व के हर भाग से आतंकवादियों के सुरक्षित शरणस्थलों को खत्म करना होगा। उन्होंने अपनी एकजुटता की पुष्टि की और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष का संकल्प लिया। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अंतर्राष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों के अनुरूप एक वास्तविक व्यापक अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-रोधी रूपरेखा स्थापित करने और अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद-विरोधी सहयोग में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय समन्वय भूमिका का समर्थन करने का आह्वान किया। उन्होंने आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवादी नेटवर्क के वित्तपोषण और विभिन्न देशों के क्षेत्रों से आतंकवादी कार्यवाहियों सहित आतंकवाद को रोकने और उसका सामना करने के लिए सभी देशों का उत्तरदायित्व रेखांकित किया। मंत्रीगणों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधिपत्र को शीघ्र अपनाने के लिए संयुक्त प्रयासों को तेज करने का अपना संकल्प दोहराया।

18. मंत्रीगणों ने आतंकवाद विरोधी सहयोग को और गहन बनाने की आशा व्यक्त की और प्रतिबंध लगाने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एकमात्र अधिकार की पुष्टि की और साक्ष्य-आधारित मानदंडों पर प्रस्तावों को निष्पक्ष रूप से सूचीबद्ध करने के साथ, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद प्रतिबंध समितियों की किन्हीं भी कार्यवाहियों के राजनीतिकरण और दोहरे मानकों से बचाव के साथ, इन समितियों की प्रभावशीलता, जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उनकी कार्यविधियों में तत्काल सुधार का आह्वान किया।

19. मंत्रीगणों ने विदेश नीति और वैश्विक कल्याण के बीच घनिष्ठ संबंध को मान्यता दी और यह स्वीकारोक्ति की कि वैश्विक कल्याण संबंधी चुनौतियों, जैसे कि कोविड-19 के लिए ठोस और निरंतर साझा प्रयासों की ज़रूरत है। उन्होंने विश्व को भविष्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के प्रति अधिक लोचशील बनाने के लिए मिलकर काम करने की तत्परता जाहिर की, और महामारी की रोकथाम, पूर्वतैयारी और प्रतिक्रिया को सुदृढ़ बनाने के लिए समानता और एकजुटता द्वारा निर्देशित संधिपत्र, समझौते या अन्य अंतर्राष्ट्रीय दस्तावेज़ का प्रारूप तैयार करने और वार्ता करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के नेतृत्व में अंतर सरकारी वार्ताकार निकाय के अंतर्गत सदस्य देशों द्वारा, और इस सामूहिक प्रयास में अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम (2005) में संशोधनों पर कार्य समूह द्वारा निभाई जा रही महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख किया।

20. मंत्रीगणों ने स्वास्थ्य तंत्रों के सुदृढ़ीकरण को बढ़ावा देने के लिए स्वास्थ्य के क्षेत्र में देशों के बीच त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर, तथा द्विपक्षीय, विशेषकर दक्षिण-दक्षिण सहयोग के महत्व पर जोर दिया, जिसमें स्थानीय उत्पादन द्वारा, तथा टीकों, थेराप्यूटिक्स, डायग्नोस्टिक्स, तथा अन्य स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों और उत्पादों सहित सुरक्षित, प्रभावी, गुणवत्तापूर्ण और किफायती चिकित्सा उपायों तक सार्वभौमिक, समयबद्ध और समानतापूर्ण पहुंच शामिल है।

21. मंत्रीगणों ने स्वदेशी नागरिकों के स्वास्थ्य के संबंध में 76वीं विश्व स्वास्थ्य सभा के दौरान अपनाए गए संकल्प WHA 76.16 के अनुमोदन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों को बधाई दी। सभी आईबीएसए देशों में पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को दृष्टिगत रखते हुए मंत्रीगणों ने माना कि गैर-संचारी रोगों, पोषण संबंधी कमियों, संक्रामक रोगों और कई अन्य रोगों की रोकथाम और नियंत्रण में पारंपरिक चिकित्सा की बड़ी भूमिका है। मंत्रीगणों ने पारंपरिक चिकित्सा की उपयोगिता और प्रभावशीलता के वैज्ञानिक प्रमाण विकसित करने के लिए आईबीएसए देशों में अकादमिक जगत के साथ मिलकर काम करने के प्रस्ताव का स्वागत किया। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग पर 17 अक्टूबर 2007 को प्रिटोरिया, दक्षिण अफ्रीका में हस्ताक्षरित आईबीएसए समझौता ज्ञापन का स्मरण करते हुए, जिसमें पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा देने और विकसित करने का आह्वान किया गया था, पारंपरिक चिकित्सा क्षेत्र में सहयोग के लिए, तथा अपने नागरिकों के स्वास्थ्य में सुधार हेतु सहयोग के लिए व अन्य के अतिरिक्त पारंपरिक चिकित्सा के क्षेत्र में व्यापार सुगम बनाने के लिए एक रूपरेखा विकसित और कार्यान्वित करने के लिए मंत्रीगण एक पृथक आईबीएसए समझौता ज्ञापन की संभावनाओं पर विचार करने पर सहमत हुए।

22. मंत्रीगणों ने साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा की बढ़ती वैश्विक लोकप्रियता और मांग पर प्रतिक्रियास्वरूप 2022 में गुजरात, भारत में पहले WHO वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा केंद्र की स्थापना का भी स्वागत किया।

23. मंत्रीगणों ने, सतत विकास हेतु 2030 एजेंडा का इसके तीन आयामों - आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरण - में संतुलित और एकीकृत तरीके से तथा सर्वसमावेशी ढंग से पूर्ण क्रियान्वयन के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने विकसित देशों से क्षमता सृजन, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, अनुदान और रियायती वित्त सहित क्रियान्वयन के उपाय सुदृढ़ बनाने और सतत विकास के लिए वैश्विक साझेदारी पर नए सिरे से जोर देने की ज़रूरत पर बल दिया। उन्होंने विकसित देशों से उनकी आधिकारिक विकास सहायता (ODA) प्रतिबद्धताओं का पूरी तरह से पालन करने और विकासशील देशों में नए और अतिरिक्त वित्तपोषण और एसडीजी के क्रियान्वयन के उपाय प्रदान करने का आग्रह किया।

24. मंत्रीगणों ने जोर दिया कि अत्यधिक गरीबी को दूर करने, असमानताओं को कम करने और सर्वोत्तम विधियों को साझा करने के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय और दक्षिण-दक्षिण सहयोग सहित सभी के लिए सतत विकास को बढ़ावा देना अनिवार्य है। उन्होंने इसे भी अभिस्वीकृत किया कि अत्यधिक गरीबी के साथ गरीबी के सभी रूपों और आयामों में गरीबी उन्मूलन को राष्ट्रीय प्रयासों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ जोड़ा जाना चाहिए क्योंकि यह सबसे बड़ी वैश्विक चुनौती है, और सतत विकास की दिशा में आगे बढ़ने के लिए इसका समाधान करना अनिवार्य है।

25. मंत्रीगणों ने पर्यावरण और विकास पर रियो घोषणा के सिद्धांतों के अनुरूप बहुपक्षीय पर्यावरण समझौतों के क्रियान्वयन का आह्वान किया। दिसंबर 2022 में जैविक विविधता पर कन्वेंशन में पक्षकारों के 15वें सम्मेलन में अपनाए गए "कुनमिंग-मॉन्ट्रियल ग्लोबल बायोडाइवर्सिटी फ्रेमवर्क" को राष्ट्रीय परिस्थितियों के अनुसार लागू किए जाने पर बल देते हुए, मंत्रीगणों ने जैव विविधता के संरक्षण और धारणीय उपयोग के लिए तथा स्वदेशी व्यक्तियों और स्थानीय समुदायों के योगदान को बढ़ावा देने हेतु पर्याप्त, किफायती, सुलभ और पूर्वानुमानयोग्य वित्तीय संसाधन सुनिश्चित करने तथा विशेषकर विकसित देशों से विकासशील देशों को उचित और किफायती प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण के महत्व को रेखांकित किया। इस अर्थ में, उन्होंने ग्लोबल एन्वायरनमेन्ट फैसिलिटी (GEF) के निर्णयों में विकासशील देशों की पूर्ण भागीदारी सुनिश्चित करते हुए और परियोजनाओं के पारदर्शितापूर्ण और तेज़ अनुमोदन के साथ इस संस्था के अभिशासन और दक्षता में सुधार करने का आह्वान किया। उन्होंने विकास संबंधी और जलवायु संबंधी चुनौतियों से निपटने, सतत विकास के लिए उपयुक्‍त जीवनशैली को बढ़ावा देने और जैव विविधता के संरक्षण के लिए कार्यवाहियों में तत्काल तेजी लाने की ज़रूरत पर भी बल दिया। मंत्रीगणों ने 2023-2024 की अवधि हेतु लाइकमाइंडेड मेगाडायवर्स कंट्रीज (LMMC) के समूह की ब्राजील द्वारा अध्यक्षता का स्वागत किया और इस समूह तथा अन्य बहुपक्षीय पर्यावरण मंचों में स्थितियों के समन्वय को सशक्त बनाने के महत्व पर बल दिया।

26. मंत्रीगणों ने सामुद्रिक पर्यावरण में प्लास्टिक प्रदूषण पर एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी रूप से बाध्यकारी साधन हेतु जारी बातचीत के महत्व की पुष्टि की, और वित्तपोषण की जरूरतों का समाधान करने के लिए मूल प्रावधानों के अंतर्गत वित्त पोषण अपेक्षाओं के एकीकरण और एक समर्पित बहुपक्षीय निधि की स्थापना का आह्वान किया।

27. मंत्रीगणों ने महासागरों का धारणीय उपयोग प्रेरित करने के उद्देश्य से नीतियों तथा आईबीएसए में एसडीजी 14 हासिल करने के लिए रणनीतिक उपायों पर विचारों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने इंटरनेशनल व्हेलिंग कमीशन (IWC) की रूपरेखाा के अंतर्गत स्थापित किए जाने वाले साउथ अटलांटिक व्हेल सैंक्चुअरी (SAWS) के गठन हेतु अपना समर्थन व्यक्त किया। मंत्रीगणों ने राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों की सामुद्रिक जैविक विविधता के संरक्षण और धारणीय उपयोग हेतु सामुद्रिक कानून पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अंतर्गत समझौते को अपनाने का भी स्वागत किया, जो गहन समुद्र में सामुद्रिक जैव विविधता को उन्नत सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण कीर्तिमान है। उन्होंने इसे अभिस्वीकृत किया कि राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से परे क्षेत्रों में सामुद्रिक आनुवांशिक संसाधन, जिनको BBNJ समझौते में मानव जाति की साझी विरासत माना गया है, उनका संरक्षण और धारणीय उपयोग, आईबीएसए देशों के बीच सहयोग का एक अवसर प्रस्तुत करता है।

28. उन्होंने यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC), इसके क्योटो प्रोटोकॉल और इसके पेरिस समझौते के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। उन्होंने सीओपी 28 द्वारा अपनाई गई "यूएई सर्वसम्मति" का स्वागत किया, जो विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में तथा सतत विकास और गरीबी उन्मूलन के प्रयासों के संदर्भ में सर्वोत्तम उपलब्ध वैज्ञानिक क्षमताओं के आधार पर समानता और सामान्य लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत को परिलक्षित करते हुए इस महत्वपूर्ण दशक में जलवायु संबंधी कार्यवाही त्वरित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण दशक में कार्यवाही और क्रियान्वयन को बढ़ाने और 1.5 डिग्री सेल्सियस का लक्ष्य सुलभ बनाने को दृष्टिगत रखते हुए, राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के अगले दौर में महत्वाकांक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और अंतर्राष्ट्रीय सक्षम वातावरण को संवर्धित बनाने के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्‍त किया।

29. मंत्रीगणों ने 2024 में अज़रबैजान की सीओपी29 की अध्यक्षता हेतु, विकासशील देशों की जरूरतों और प्राथमिकताओं को दृष्टिगत रखते हुए प्रति वर्ष 100 बिलियन अमरीकी डालर से एक नया सामूहिक मात्रात्मक लक्ष्य (NCQG) अपनाने के लिए अपना समर्थन दोहराया। उन्होंने स्मरण कराया कि ग्लोबल स्टॉक टेक पर सीओपी 28 के फैसले ने विकासशील देशों वाले पक्षों की जरूरतों, और उनके राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) को लागू करने के प्रयासों के लिए प्रदान किए गए और जुटाए गए सहयोग के बीच बढ़ते अंतराल को चिह्नित किया है, इसे रेखांकित किया गया कि वर्तमान में ऐसी जरूरतें 2030 से पूर्व अवधि के लिए 5.8-5.9 ट्रिलियन अमरीकी डालर अनुमानित हैं।

30. उन्होंने 2025 में ब्राजील द्वारा सीओपी 30 की अध्यक्षता के लिए अपने समर्थन की भी पुष्टि की, जिसमें पेरिस समझौते में शामिल पक्ष, NDC के अपने दूसरे दौर को प्रस्तुत करेंगे। उन्होंने स्मरण कराया कि सीओपी 28 ने पक्षों को सभी ग्रीनहाउस गैसों, क्षेत्रों और श्रेणियों को कवर करते हुए महत्वाकांक्षी, अर्थव्यवस्था-व्यापी उत्सर्जन कटौती लक्ष्यों के साथ अगले NDC में आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया है।

31. मंत्रीगणों ने UNFCCC के पेरिस समझौते में निर्धारित वैश्विक लक्ष्यों के महत्व पर जोर दिया और राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आयामों और समाज के सभी क्षेत्रों को संबोधित करते हुए, जस्ट ट्रांजिशन पर समावेशी सोच के साथ यूएई वर्क प्रोग्राम ऑन जस्ट ट्रांजिशन के प्रचालन का स्वागत किया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि किफायती वित्तपोषण, प्रौद्योगिकी और महत्वपूर्ण खनिजों तक पहुंच, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए ऊर्जा प्रणालियों में रूपांतरणकारी बदलाव की दिशा में मुख्य बाधा है। इस संबंध में, उन्होंने वित्तपोषण के इस बढ़ते अंतर को दूर करने के लिए विकसित देशों से निर्णायक भूमिका निभाने का आह्वान किया।

32. मंत्रीगणों ने इस बात पर जोर दिया कि स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियां अपनाने के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ खनन महत्वपूर्ण है। वे आगे इस बात पर सहमत हुए कि जिन देशों में वे रणनीतिक महत्त्वपूर्ण खनिज उपलब्ध हैं, उन्हें केवल कच्चे माल के निर्यातक बनने के बजाय वैश्विक मूल्य श्रृंखला का हिस्सा बनने का अवसर प्राप्त होना चाहिए। उन्होंने विकसित देशों से संसाधन संपन्न देशों में रणनीतिक खनिजों के प्रसंस्करण, शोधन और मूल्यवर्धन में निवेश को बढ़ावा देने तथा महत्वपूर्ण खनिजों की चक्रीयता बढ़ाने की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया और ऊर्जा रूपांतरण हेतु महत्वपूर्ण खनिजों पर सहयोग के लिए भारतीय जी20 अध्‍यक्षता के स्वैच्छिक उच्च-स्तरीय सिद्धांतों का पालन करने के महत्व पर जोर दिया। ।

33. मंत्रीगणों ने जलवायु कार्यवाही और पर्यावरण की रक्षा की ओट में विकसित देशों द्वारा अपनाए गए कार्बन सीमा कर जैसे बढ़ते एकतरफा उत्पीड़क, और व्यापार में बाधक उपायों पर गंभीर चिंता व्यक्त की। इस तरह के एकतरफा उपाय विकासशील देशों के धारणीय विकास के लिए खतरा हैं और वैश्विक दक्षिण से वैश्विक उत्तर की ओर पूंजी का वर्तमान बहिर्वाह बढ़ाएंगे, जिससे विकसित देशों की जलवायु वित्तपोषण प्रतिबद्धताएं अपूर्ण रहेंगी। उन्होंने उचित प्रतिक्रिया या प्रति-उपाय अपनाने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया।

34. मंत्रीगणों ने विकासशील देशों की बढ़ती भागीदारी के साथ विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आदि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में एक सुधार आधारित और अधिक प्रतिनिधित्वपूर्ण अभिशासन संरचना की ज़रूरत पर बल दिया। मंत्रीगणों ने इन संस्थानों से प्रक्रियाएं सरल बनाने, ऋण शर्तों को कम करने और घरेलू विकास नीतियों के लिए अधिक गुंजाइश बनाने का आग्रह किया।

35. मंत्रीगणों ने विकासशील देशों में ऋण असुरक्षा के गंभीर मुद्दे को रेखांकित किया, जो निम्न और मध्यम आय वाले देशों को प्रभावित करती है। उन्होंने इस चुनौती से निपटने की प्राथमिकता और तात्कालिकता को रेखांकित किया। मंत्रीगणों ने स्मरण कराया कि अंतर्राष्ट्रीय ब्याज दरों में त्वरित वृद्धि के पिछले दौर के परिणामस्वरूप वैश्विक दक्षिण के देशों में ऋण संकट उत्पन्न हुआ और आर्थिक वृद्धि और विकास के संदर्भ में एक दशक निरर्थक हो गया। उन्होंने स्मरण कराया कि विकास के लिए औद्योगीकरण, आर्थिक विविधीकरण और उच्च मूल्यवर्धित वस्तुओं का उत्पादन महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि विकासशील देशों को अपनी वस्तुओं और सेवाओं के लिए अंतर्राष्ट्रीय बाजारों तक अधिक पहुंच के लिए संघर्ष जारी रखना चाहिए और नवीकृत संरक्षणवाद की वर्तमान लहर का सामना करना चाहिए।

36. मंत्रीगणों ने नियम-आधारित, पारदर्शी, भेदभावरहित, निष्पक्ष, न्यायसंगत, उदार और समावेशी बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली (MTS) के केंद्रीय महत्व की पुष्टि की, जिसके मूल में WTO है, और पूर्वानुमानयोग्यता, स्थिरता, कानूनी निश्चितता को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए समान अवसर प्रदान करने में इसकी भूमिका है जिसके साथ एलडीसी सहित विकासशील देशों के लिए विशेष और विभेदक व्यवहार का संरक्षण किया जाना चाहिए। मंत्रीगणों ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली में सुधार और मजबूती के लिए रचनात्मक रूप से काम करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की और MC12 परिणाम दस्तावेज़ में अधिदेशित किए गए अनुसार 2024 तक एक पूर्ण और सुचारू क्रियाशील विवाद समाधान प्रणाली बहाल करने की ज़रूरत पर जोर दिया। मंत्रीगणों ने MC12 के सफल परिणाम की सराहना की जो बहुपक्षवाद के मूल्य को रेखांकित करता है। उन्होंने गति बनाए रखने और MC13 द्वारा और अधिक सार्थक परिणाम प्राप्त करने के लिए व्यापक WTO सदस्यता को प्रोत्साहित किया।

37. मंत्रीगणों ने बहुपक्षीय संगठनों के साथ आईबीएसए में और अधिक कृषि सहयोग सुदृढ़ बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। सदस्यों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि कृषि और इसके इनपुट में उदार, विश्वसनीय, भेदभावरहित और निर्बाध अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वैश्विक खाद्य सुरक्षा संकट को दूर करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। मंत्रीगणों ने WTO नियमों के विपरीत, कृषि व्यापार को एकतरफा प्रतिबंधों और संरक्षणवादी उपायों से मुक्त करने की ज़रूरत पर भी बल दिया।

38. मंत्रीगणों ने अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच के रूप में जी20 की भूमिका की पुष्टि की और इस पर जोर दिया कि वर्तमान में तीन आईबीएसए देश समूह के त्रिक में शामिल हैं। उन्होंने रियो डी जेनेरियो में जी20 विदेश मंत्रियों की बैठक की सफल मेजबानी की सराहना की और ब्राजील द्वारा जी20 अध्‍यक्षता के लिए अपना पूर्ण समर्थन व्यक्त किया। चार विकासशील देशों द्वारा क्रम से समूह की अध्यक्षता (इंडोनेशिया, 2022; भारत, 2023; ब्राजील, 2024; दक्षिण अफ्रीका, 2025) जी20 के एजेंडे में विकास के परिप्रेक्ष्य को और अधिक एकीकृत करने और वैश्विक दक्षिण की आवाज सशक्त बनाने का एक मूल्यवान अवसर प्रदान करती है। मंत्रीगणों ने पिछले वर्ष जी-20 में स्थायी सदस्य के रूप में अफ्रीकी संघ के प्रवेश का फिर से स्वागत किया। उन्होंने सुदृढ़, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी विकास प्राप्त करने और नकारात्मक स्पिलओवर और बाहरी झटके को कम करने के उद्देश्य से जी20 में व्यापक आर्थिक नीति समन्वय की ज़रूरत को दोहराया। वे साझा हित के मुद्दों, विशेष रूप से सामाजिक समावेशन और खाद्य सुरक्षा, एसडीजी पर प्रगति में तेजी लाने, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन और वैश्विक अभिशासन सुधार पर सहयोग करने के लिए भी सहमत हुए।

39. देशों में व उनके बीच आय और धन की बढ़ती असमानता से चिंतित, मंत्रीगणों ने कर सहयोग बढ़ाने और अधिक प्रगतिशील कराधान प्रणाली बनाने की पहल का समर्थन किया, जो मौजूदा खामियों को प्रभावी ढंग से दूर करने, कर चोरी का सामना करने और विश्व के सबसे अमीर व्यक्तियों को उनके उचित करों का भुगतान करने में सक्षम बनाती हो। उन्होंने भारत और ब्राजील में कर सुधारों के लिए किए जाने वाले प्रयासों की सराहना की और आईबीएसए देशों के बीच सर्वोत्तम विधियों और कर सहयोग के आदान-प्रदान का आह्वान किया। मंत्रीगणों ने संयुक्त राष्ट्र में समावेशी और प्रभावी अंतर्राष्ट्रीय कर सहयोग को बढ़ावा देने हेतु AGNU संकल्प 78/230 की भी सराहना की, और यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन इंटरनेशनल टैक्स कोऑपरेशन के आयोजन का समर्थन किया, और BEPS वार्ताओं पर जारी OECD/जी20 समावेशी रूपरेखा में विकासशील देशों के हितों को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करना जारी रखने की बात की। उन्होंने ब्राज़ील द्वारा G20 की अध्‍यक्षता में प्रस्तावित महत्वाकांक्षी अंतर्राष्ट्रीय कराधान एजेंडे का स्वागत किया, जिसमें अंतर्राष्ट्रीय कर सहयोग पर G20 घोषणा का प्रस्ताव भी शामिल है।

40. मंत्रीगणों ने एक विश्वसनीय, उदार, सुरक्षित, स्थिर, सुलभ और शांतिपूर्ण साइबरस्पेस सुनिश्चित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि की। मंत्रीगणों ने इस बात पर बल दिया कि संयुक्त राष्ट्र महासभा, ICT से संबंधित अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा पर वैश्विक वार्ताओं के लिए उपयुक्त मंच है, जहां व्यापक, आम समझ है और आगे भी हासिल की जा सकती है। वैश्विक दक्षिण के देशों की सुदृढ़ भागीदारी के साथ यह संवाद, देशों को डिजिटल रूपांतरण का लाभ प्रदान करने में सुगमता के लिए अनिवार्य है, जिसमें डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर (DPI) प्लेटफॉर्म भी शामिल है, ताकि पहले से ही सर्वव्यापी और सीमाओं से रहित डिजिटल क्षेत्र से उत्पन्न होने वाले शांति और सुरक्षा संबंधी खतरों को रोका जा सके। इस संदर्भ में, मंत्रीगणों ने सूचना और संचार प्रौद्योगिकियों (ICT) (2021-2025) की सुरक्षा और उपयोग पर वर्तमान ओपन-एंडेड वर्किंग ग्रुप (OEWG) की रूपरेखा में सर्वसम्मति से एक एकल-ट्रैक, अंतर-सरकारी, उदार, समावेशी, स्थायी, लोचशील, पारदर्शी और कार्यवाही-उन्मुख नियमित संस्थागत संवाद तंत्र स्‍थापित करने के लिए अपना सुदृढ़ समर्थन व्यक्त किया, जो संयुक्त राष्ट्र महासभा की प्रथम समिति को रिपोर्ट करे। डिजिटल अंतराल दूर करने के लिए मंत्रीगणों ने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग पर जोर दिया और कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों सहित साइबर-संबंधित मुद्दों पर आईबीएसए सहयोग की स्थापना का स्वागत किया।

41. धारणीय विकास के 2030 एजेंडे को पूरा करने और धारणीय विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मंत्रीगणों ने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवप्रवर्तन के महत्व पर जोर दिया, और उन सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए अनुसंधान, विकास और नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की। उन्होंने समाज के विभिन्न वर्गों में इन उन्नत प्रौद्योगिकियों की उपलब्धता, पहुंच और उपयोगिता को लेकर जागरूकता बढ़ाने तथा इन प्रौद्योगिकियों की प्रभावशीलता पर सभी प्रासंगिक हितधारकों से नियमित प्रतिक्रिया प्राप्त करने के लिए क्षेत्रीय भाषाओं/बोलियों के महत्व सहित प्रभावी विज्ञान संचार की प्रासंगिकता को भी रेखांकित किया।

42. मंत्रीगणों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सहित उभरती प्रौद्योगिकियों के जिम्मेदारीपूर्वक विकास, परिनियोजन और उपयोग हेतु वर्ल्‍ड समिट्स ऑफ दि इन्‍फार्मेशन सोसायटी (WSIS) के दौरान बनी आम सहमति के अनुरूप मानव-केंद्रित, समावेशी और नैतिक दृष्टिकोण प्राप्त करते हुए नागरिकों के जीवन को उन्नत बनाने और डिजिटल अंतराल को दूर करने के लक्ष्य पर जोर दिया। उस अर्थ में, उन्होंने इस अवसर को रेखांकित किया कि आगामी यूनाइटेड नेशंस समिट ऑफ दि फ्यूचर, प्रभावी, समावेशी और निष्पक्ष उन्नत वैश्विक डिजिटल अभिशासन की दिशा तय कर सकता है, बशर्ते प्रस्तावित ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट (GDC) जिस पर समिट के दौरान सहमति होनी है वह यह सुनिश्चित करने के लिए तंत्र बना सके कि वर्तमान तकनीकी क्रांति से सभी देशों को लाभ हो।

43. GDC और WSIS+20 पुनरीक्षण प्रक्रियाओं को जिनेवा और ट्यूनिस में निहित विकासात्मक परिप्रेक्ष्यों को समेकित और अद्यतन करने, तथा सामूहिक कार्यवाही और प्रभावी वैश्विक डिजिटल प्रशासन की दिशा में नवप्रवर्तक बहुपक्षीय और बहुहितधारक व्यवस्थाओं पर चर्चा करने के अवसरों के रूप में रेखांकित करते हुए मंत्रीगणों ने विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय फोरमों में यह सुनिश्चित करने के लिए आईबीएसए की प्रतिबद्धता की पुष्टि की कि मानव केंद्रित तरीके से विकसित, परिनियोजित और प्रयुक्‍त कृत्रिम बुद्धिमत्ता सहित उभरते प्रौद्योगिकी समाधान, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए इन प्रौद्योगिकियों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को, जिनमें अन्य के अलावा जॉब मार्केट पर संभावित नकारात्मक प्रभाव और AI संवर्धित दुष्प्रचार अभियानों का प्रसार शामिल हैं, कम करने के दृष्टिकोण के साथ जिम्मेदार और नैतिक तरीके से उपयोग किए जाएं।

44. मंत्रीगण बौद्धिक संपदा, आनुवांशिक संसाधनों और संबद्ध पारंपरिक ज्ञान पर WIPO द्वारा मई 2024 में आयोजित किए जाने वाले राजनयिक सम्मेलन के लिए उत्सुक हैं। उन्होंने आशा की कि यह सम्मेलन, आनुवांशिक संसाधनों और संबंधित पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा के लिए न्यूनतम मानक स्थापित करने वाले अंतर्राष्ट्रीय बाध्यकारी कानूनी उपाय का परिणाम दे सकेगा। मंत्रीगणों ने सम्मिलित रूप से अभिस्वीकृत किया कि बौद्धिक संपदा प्रणाली के अंतर्गत यह सुरक्षा व्यवस्था, एक ओर वैज्ञानिक और तकनीकी नवप्रवर्तन के लिए संतुलित सुरक्षा प्राप्त करने और दूसरी ओर सतत विकास, जैव विविधता संरक्षण और पारंपरिक समुदायों के मानवाधिकारों की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करेगी।

45. मंत्रीगणों ने ब्रिक्स के परिणामों को संरक्षित करने के महत्व की पुष्टि की और ब्रिक्स की सदस्यता के विस्तार के लिए अनुमोदित मार्गदर्शक सिद्धांतों, मानकों, मानदंडों और प्रक्रियाओं सहित विगत निर्णयों को बरकरार रखने की निरंतर प्रासंगिकता को रेखांकित किया।

46. मंत्रीगण इस पर सहमत हुए कि शिखर सम्मेलन में उन चयनित देशों के साथ एक आउटरीच सत्र होगा जो शांति, वैश्विक शासन सुधार, सतत विकास और गरीबी और भूख के खिलाफ लड़ाई के लिए आईबीएसए के दृष्टिकोण को साझा करते हैं, क्योंकि ऐसे देश दक्षिण-दक्षिण और दक्षिण-उत्तर संवाद और सहयोग के लिए एक पुल के रूप में काम कर सकते हैं।

47. मंत्रीगणों ने ब्राजील में आयोजित होने वाले छठे आईबीएसए शिखर सम्मेलन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

48. भारत और दक्षिण अफ्रीका के मंत्रीगणों ने आईबीएसए स्टैंडअलोन बैठक की मेजबानी के लिए ब्राजील के विदेश मंत्री को धन्यवाद दिया।

रियो डी जेनेरियो,
22 फ़रवरी 2024

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