न्यू इण्डियन एक्सप्रेस
अवास्तविक लगता है, लगता है ना ? बहुत अच्छा, तो अब उन्नत विश्व के नैनो प्रौद्योगिकी का स्वागत करें जिसने कम मूल्य पर और तुरन्त समाधान प्रदान किये हैं।
विद्युतीय एवं इलेक्ट्राँनिक अभियांत्रिकी (आई ई ई ई) का ‘इण्डिकॉंन 2011' भारत परिषद हैदराबाद में चल रहे वार्षिक सम्मेलन में आई आई टी बाम्बे के प्रो0 वी रामगोपाल राव (चित्र में बायें) ने संस्थान के एक उद्यमीय उपक्रम, नैनो स्निफ टेक्नॉंलोजीज प्राइवेट लि0
द्वारा विकसित उत्पादों का अनावरण किया था।
"विस्फोटक पदार्थों, ह्रदवाहिनी बीमारियों आदि दोनों का निदान एक नैनो-मैकनिकल कैन्टीलीवर सिस्टम (एन सी एम एस) के मौलिक अभिकल्प के माध्यम से किया जाता है। यह कैन्टीलीवर एक चिप पर लगे होते हैं और एक बीमारी प्रणाली के मामले में इस पर प्रतिजन जैसे पदार्थ
की परत चढ़ी होती है। जब रोगी के रक्त का नामूना चिप के सजे हुए भाग पर रखा जाता है तब रोगी के सैम्पल में उपस्थित विशेष प्रतिरोधी प्रतिजन में प्रतिक्रिया होती और परिणाम देखा जा सकता है।
विस्फोटक के पता लगने के मामले में विस्फोटक का भाप के चरण में एक पम्प नामूना लिया जाता है, प्रो0 ने बताया था, जो आई आई टी बाम्बे में विद्युतीय अभियांत्रिकी विभाग के संस्थागत अध्यक्ष हैं।
नैदानिक-किट में विशेष रुचि के लिए उनके समूह द्वारा विकसित किया गया हृदय रोगों के लिए एक किट है जिसका चिकित्सालय परीक्षण के शीघ्र ही भेजा जाना निर्धारित है।
प्रणाली में सावधानी के एक बिन्दु के रूप में अभिकल्पित किट का उपयोग रोगविज्ञान प्रयोगशाला में ले जाने के समय की बचत करने के लिए उसकी अपेक्षा यहां तक कि इसका परीक्षण प्रशिक्षित नर्सों के द्वारा भी किया जा सकता है।
"प्राय: रोगी हृदय में बेचैनी की शिकायत के साथ शीघ्रता से चिकित्सालय की ओर भागता है जहां पर प्रथम परीक्षण में ई सी जी किया जाता है और यदि कोई अनियमितता का पता लगाने में सफलता नहीं मिलती है तब एक सामान्य रक्त परीक्षण के लिए 24 घण्टे अथवा उससे अधिक समय
लगता है। हम पता लगाने और आँनलाइन चिकित्सा प्रदान करने के समयान्तराल को कम से कम करने की तलाश में हैं'' उन्होंने बताया था।
सर्वोत्तम पक्ष यह है कि विकसित किये जा रहे इसके आदर्श स्वरूप की लागत बहुत कम राशि संभवत: मात्र 100 रुपये है और प्रशिक्षित चिकित्साकर्मियों द्वारा इसे तत्काल दिया जा सकता है, डा0 रामगोपाल राव ने आगे कहा था।
चिप पर सजे हुए शिल्प के लिए सिलीकॉंन की जगह पॉंलिमर का उपयोग किया गया है और सूक्ष्म-संरचना की प्रक्रिया ने प्रौद्योगिकी के व्यय भार को वहनीय बना दिया है। "प्रत्येक सजा हुआ भाग लगभग 0.1 वर्ग मिली मीटर क्षेत्र में होता है।
एक बार इस टुकड़े को प्रसंस्कृत कर दिया गया तो यह किफा़यती हो जायेगा और इसकी अनेकों प्रतियां उत्पादित की जा सकेंगी'' इस प्रक्रिया के बारे में विस्तार से इसके माप और प्रौद्योगिकी के बारे में बताते हुए इसको विकसित करने वाले ने जानकारी दी थी।
इस परियोजना को आकार ग्रहण करने में 6 वर्ष का समय लगा था और इसका विपणन नैनो स्निफ प्रौद्योगिकी द्वारा किया जायेगा जिसे सोसाइटी फार इनोवेशन एण्ड इंटरप्रेनेवरशिप (एस आई एन ई) द्वारा आई आई टी बाम्बे में सेया गया है। "अनुसंधान विपणन योग्य प्रौद्योगिकी की मानसिकता
के साथ विकसित किया जाना चाहिए।
उन विकसित किये गये अभिनव उत्पादों का चयन या तो किसी कंपनी को प्रौद्योगिकी स्थानान्तरण के लिए करना चाहिए अथवा यह उत्तम होगा कि इसे स्वयं से बाजार में लाया जाये'', प्रयोगशाला में पड़ी प्रक्रियाओं की एक विशाल संख्या पर टिप्पणी करते हुए डॉं0 रामगोपाल
राव ने कहा था।
कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है कि परियोजना ने ‘‘इसे स्वयं करो'' के मोटो को अंगीकार किया है जो इस प्रौद्योगिकी को जीवन के संनिकट और अधिक सस्ते मूल्य पर उपलब्ध कराने में इसे अग्रणी बनायेगा।
(व्यक्त किये गये उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं)