इकोनॉंमिक टाइम्स : पीरजादा अब्रार
15 वर्षीया शैलजा सी को अब हर बार पढ़ाई के लिए बैठने पर मिट्टी के तेल से जलने वाले चिराग से और अधिक धुँआ नहीं निगलना पड़ेगा। कोलार जनपद के क्यासमबल्ली में स्थित एक राजकीय माध्यमिक विद्यालय की छात्रा शैलजा अब एक बोलत की आकार के सौर टेबल लैम्प का उपयोग प्रत्येक
संध्या में दो घण्टे तक अध्ययन के लिए करती हैं।
उसकी मॉं उसी प्रकाश को खाना बनाने के लिए करती है और उसका उपयोग सांयकाल के ऑंधेर में दुकान पर जाने के लिए टार्च की तरह भी करती हैं। यह गांव प्रौद्योगिकी केन्द्र बंगलूरू से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर है यहां पर अभी भी बिजली नदारद है। वहां के लोगों के जीवन
में यह परिवर्तन बंगलूरू आधारित सामाजिक उद्यमी सौर विद्युत प्रकाश कंपनी (सेल्को) द्वारा लाया गया है जिसके सह-संस्थापक स्वच्छ प्रौद्योगिकी के उद्यमी श्री हरीश हाण्डे हैं।
यह कंपनी सतत ऊर्जा समाधानों को विकसित करती है और घरों और व्यवसायों में बिजली से वंचित लोगों को अपनी सेवायें प्रदान करती है।
सोलर लैम्प उन्हीं समाधानों में से एक है जो एक बार चार्ज किये जाने पर लगातार 9 घण्टे तक चल सकता है। इसका प्रायोजन विद्यालयों, अनुदानकर्ताओं अथवा सरकार द्वारा शिक्षा परियोजनाओं के लिए सेलको लाइट के एक हिस्से के रूप में किया जाता है। "इस परियोजना की अच्छाई
यह है कि इसमें शिक्षा के संबर्धन में प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाता है'', एक अग्रणी परिसम्पति विकासकर्ता आर एम जेड निगमीय घराने के अध्यक्ष श्री अर्जुन मेंडा ने कहा था जो आई आई टी खड़गपुर के स्नातक हैं और अपने फाउण्डेशन के माध्यम से शिक्षा परियोजना के
लिए सेलको लाइट की सहायता करते हैं।
क्यासमबल्ली जैसे सरकारी विद्यालयों के छात्रों की उपस्थिति में सुधार आया है क्योंकि वे अपने लैम्पों के चॉंकलेट की एक टिकिया के आकार की बैटरी को अपने स्कूलों में लगे केन्द्रीयकृत सौर ऊर्जा चार्जिंग प्रणाली से चार्ज करते हैं। सेलको जिसमें 180 लोग सम्मिलित
हैं जिनमें मानवविज्ञानी, प्राणी शास्त्री, अभिकल्पकार और अभियंतागण आदि नये उत्पादों और प्रौद्योगिकीयों को इसकी प्रयोगशाला में पोषण करते हैं और इसे अभिनव स्वरूप प्रदान करते हैं ताकि ऊर्जा समास्या का सामना कर रहे वंचित और अल्पभोगी समुदायों को इसका समाधान
प्रदान किया जा सके।
प्रकाश और शिक्षा परियोजना के अतिरिक्त इस प्रयोगशाला ने श्रमिकों, दाईयों और सड़क पर फेरी लगा कर सब्जी बेचने वालों के लिए हेड लैम्प भी विकसित किया है। प्रयोगशाला ने संकरित फसलों को घरों और लघु उद्योगों में सुखाने के लिए उपयोग में लाने हेतु एक छोटा सा सौर
ऊर्जा आधारित ड्रायर यंत्र भी विकसित किया है।
बहु-राष्ट्रीय कंपनियों के बीच रुचि
गत माह सेलको के श्री हाण्डे ने संयुक्त राज्य आधारित विश्व की विशालतम् चिप बनाने वाली उपकरणों की उत्पादक कंपनी अप्लाइड मटेरियल्स पर लगभग 1000 ग्रामीण घरों और संपूर्ण कर्नाटक के ग्रामीण स्कूलों का सौर ऊर्जा के माध्यम से विद्युतीकरण के लिए डोरी डाली
थी।
10.5 बिलियन अमरीकी डॉलर की यह कंपनी वैश्विक सेमीकंडेक्टर कंपनी अप्लाइड मटेरियल्स फाउण्डेशन की एक शाखा है जो पायलट परियोजना के लिए उससे संबंधित उपकरणों, फोटोवोल्टिक सेलों, सौर पैनलों आदि के लिए अग्रिम लागत 1,70,000 अमरीकी डॉलर की राशि प्रदान करेगी। सेलको
सौर प्रकाश प्रणाली को लगायेगा और उसका रख-रखाव अपने 28 शाखा कार्यालयों के माध्यम से करेगा। ‘‘यह निश्चित ही हमें अनुबंधों के मानकों की ओर देखने की समझ प्रदान करेगा। भारत का लगभग 70 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहा है इसलिए यह एक बहुत बड़ा अवसर है'', अप्लाइड
मटेरियल्स इण्डिया के अध्यक्ष श्री अनिन्द मोइत्रा ने कहा था।
मोइत्रा को इस प्रकार के और अधिक अनुबंध उद्यमियों के साथ किये जाने की आशा है और अन्य देशों में परिणाम के आधार पर इन मानको को दोहराया जायेगा।
परियोजना के पूरे होने पर सौर प्रकाश प्रणाली 1,000 ग्रामीण घरों में रहने वाले लगभग 10,000 लोगों को चार घण्टे लगातार बिजली प्रदान करने के लिए ऊर्जा का उत्पादन करेगी
विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार, संपूर्ण भारत में लगभग 400 मिलियन लोगों की पहुँच अभी भी एक विश्वसनीय बिजली तक नहीं है और एक अनुमान के अनुसार देश में 1,00,000 गॉंवों को राष्ट्रीय ऊर्जा ग्रिड के साथ जोड़ना अभी शेष है। भारत के कई मिलियन ग्रामीण लोग अंधेरा
होने के बाद मिट्टी के तेल से जलने वाले टिन के लैम्प का प्रयोग करते हैं और सेलको जैसे संगठन उसे बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
(व्यक्त किये गये उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं)