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मॉरीशस यूनिवर्सिटी में राष्ट्रपति का संबोधन

मार्च 12, 2024

महामहिम पृथ्वीराज सिंह रूपुन, मॉरीशस गणराज्य के राष्ट्रपति,

महामहिम प्रविंद कुमार जुगनौथ, मॉरीशस गणराज्य के प्रधानमंत्री,

डॉ. लुईस ऑट्रे, मॉरीशस यूनिवर्सिटी के चांसलर,

विशिष्ट अतिथिगण और प्रिय विद्यार्थियों,

1. मॉरीशस की इस प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी में मॉरीशस के राष्ट्रीय दिवस के प्रतीक इस शुभ दिन का शुभारंभ करते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता है। इस महत्वपूर्ण दिवस के अवसरपर, मैं मॉरीशस निवासी हमारे सभी भाइयों और बहनों को 1.4 बिलियन से अधिक भारतीयों की ओर से शुभकामनाएं देती हूँ, और आज बाद में शाडेमार्स में होने वाले उल्लासपूर्ण समारोह में प्रतिभाग हेतु मुझे उत्सुकता से प्रतीक्षा है।

2. मॉरीशस में आगमन के बाद से मुझे प्राप्त हुए हृदयस्पर्शी स्नेह और हार्दिक स्वागत से मैं अभिभूत अनुभव कर रही हूँ। यह भारत-मॉरीशस संबंधों की स्थायी सुदृढ़ता को, और इसे पोषित करने वाले व्यक्तियों से व्यक्तियों के बीच घनिष्ठ संबंधों को दर्शाता है।

3. आज मॉरीशस यूनिवर्सिटी में आप सभी के बीच उपस्थित मैं कहना चाहूँगी कि हमारे दोनों देशों के बीच इस विशेष संबंध को, तथा मॉरीशस के विकास को साकार करने की दिशा में शिक्षा एक महत्वपूर्ण साधन रही है। 1901 में, महात्मा गांधी ने भारतीय गिरमिटिया श्रमिकों को शिक्षित बनने के लिए प्रेरित किया था, जिसके परिणामस्वरूप उनका राजनीतिक और सामाजिक सशक्तिकरण हुआ, और जिसके फलस्वरूप मॉरीशस का रूपांतरण हुआ।मॉरीशस के सर शिव-सागर रामगुलाम और सर अनिरुद्ध जगनाथ जैसे नेतागणों के अनुवर्ती दूरदर्शी नेतृत्व ने इस समृद्ध आधार पर एक जीवंत, बहुलवादी और समृद्ध मॉरीशस का विकास किया, जो अफ्रीका और पूरे विश्व को प्रेरित करता है।

4. शिक्षा की यह शक्ति निजी तौर पर भी मुझसे दृढ़ता से संबंधित रही है, क्योंकि शिक्षा एकमात्र सबसे महत्वपूर्ण साधन रही है जिसका मेरे अपने जीवन में रूपांतरणकारी प्रभाव रहा है। मेरे गांव से पहली ऐसी महिला होने के नाते जिसे कॉलेज में शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला, मेरे लिए शिक्षा के माध्यम से कमजोर व्यक्तियों को सशक्त बनाना एक ऐसा मुद्दा है जो मेरे पूरे प्रशासनिक और राजनीतिक जीवन में मेरे दिल के करीब रहा है, और जिसके प्रति मैं पूर्णत: समर्पित हूँ।

5. ओडिशा राज्य में मेरे गृह जनपद मयूरभंज में श्री. अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में बच्चों को पढ़ाने में व्यतीत समय के दौरान, मैंने स्वयं देखा कि सही तरह की शिक्षा नई प्रतिभाओं को दूरगामी रूप से प्रेरित कर सकती है और इसका व्यापक प्रभाव हो सकता है। यह रूपांतरण न केवल उनके अपने जीवन पर दिखाई देता है, बल्कि उनके परिवार, उनके गांव और समग्र रूप से व्यापक समाज पर भी दिखाई देता है। शिक्षा ही ऐसा साधन है जो हमें असुरक्षा और अभाव की स्थितियों से नई संभावनाओं और आशाओं की ओर ले जाती है।

6. एक शिक्षक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुझे यह भी अनुभव हुआ कि शिक्षा के साथ जुड़ाव कई मायनों में एक गहन अनुभव है। बच्चों को शिक्षित करने के दौरान, मैं स्वयं भी लगातार सीख रही थी और विकसित हो रही थी। मेरे विचार में, यहां हमारे साथ उपस्थित सभी शिक्षक इस बात से सहमत होंगे कि सीखना और सिखाना अक्सर साथ-साथ चलते हैं।

7. मेरा मानना है कि इस तरह की यूनिवर्सिटी, महत्त्वाकांक्षी युवाओं के सपनों की सीढ़ी मात्र नहीं हैं; बल्कि यह ऐसी जगह है जहां मानवता का भविष्य निर्मित होता है। यही कारण है कि आज इस प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी से डॉक्टर ऑफ सिविल लॉ की मानद उपाधि प्राप्त करके मैं विशेष रूप से सम्मानित महसूस कर रही हूँ। मुझे आशा है कि यह सभी युवाओं, विशेषकर युवा महिलाओं को उनकी विशिष्‍ट प्रेरणाओं की खोज करने और अपने सपनों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित करेगा। मैं इस सम्मान के लिए मॉरीशस यूनिवर्सिटी के चांसलर डॉ. ऑट्रे को धन्यवाद देती हूँ।

मॉरीशस यूनिवर्सिटी से यह प्राप्त करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है, जो कि 1965 में अपनी स्थापना के बाद से एक अग्रणी यूनिवर्सिटी के रूप में विकसित हुई है, और जो मॉरीशस की जरूरतों को पूरा करने के लिए उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करती है।

महामहिम, चांसलर ऑट्रे, गणमान्य देवियो एवं सज्जनो,

8. शिक्षा की रूपांतरणकारी शक्ति को पहचानते हुए, और भारत में 25 वर्ष से कम आयु की आधी जनसंख्या को दृष्टिगत रखते हुए, भारत को भविष्य की 'ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था' में ले जाने के लिए भारत सरकार ने युवाओं को शिक्षित और सशक्त बनाने को प्राथमिकता दी है।

9. मुझे विश्वास है कि भारत की भविष्योन्मुखी नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति भारत की जनसांख्यिकीय परिस्थितियों का उपयोग करके नवप्रवर्तन का एक पावर हाउस निर्मित करेगी, जो मानव मात्र के लिए कल्याणकारी होगा। एक दशक से भी कम समय में, भारत ने लगभग 400 नई यूनिवर्सिटी, 5300 नए कॉलेज, 75 नए राष्ट्रीय महत्व के संस्थान, 14 नए एम्स, 7 नए आईआईटी और 7 नए आईआईएम स्थापित किए हैं, जिनमें से आधी नई यूनिवर्सिटी और अधिकांश नए कॉलेज ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित हैं।

10. भविष्य के इस रोमांचकारी सफ़र में, भारत मॉरीशस जैसे अपने विशेष मित्रों के साथ साझेदारी करने की आकांक्षा रखता है। हर वर्ष, हमारे भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) कार्यक्रम के अंतर्गत भारत में मॉरीशस के 400 विद्यार्थियों को प्रशिक्षित किया जाता है और मॉरीशस के लगभग 60 विद्यार्थियों को भारत में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उनमें से कई आज मॉरीशस में अधिकारी वर्ग और सार्वजनिक सेवाओं में उच्च पदों पर प्रतिष्ठित हैं।

2020 से, मॉरीशस के 500 से अधिक विद्यार्थियों को भारत के ई-विद्याभारती और ई-आरोग्यभारती दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों से भी लाभ मिला है। मॉरीशस के सैकड़ों युवा भी भारत को जानें कार्यक्रम और कई अन्य आदान-प्रदान कार्यक्रमों के अंतर्गत भारत भ्रमण करते हुए अपनी भारतीय जड़ों से फिर से जुड़ रहे हैं। मुझे विश्वास है कि हमारे युवाओं के बीच मैत्री के ये बंधन हमारे संबंधों को प्रगति की ओर ले जाएंगे, क्योंकि भारत 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनने के लिए 'अमृतकाल' के अपने सफ़र पर आगे बढ़ रहा है। मैं मॉरीशस के अपने मित्रों से आग्रह करती हूँ कि वे भारत के साथ अपनी विशेष घनिष्ठता का लाभ उठाएं और इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले विशाल आर्थिक अवसरों से लाभ प्राप्त करें।

11. भारत, मॉरीशस को एक निकटवर्ती सामुद्रिक पड़ोसी, हिंद महासागर क्षेत्र में एक प्राथमिक भागीदार और हमारे अफ्रीका संपर्क क्षेत्र में एक प्रमुख हितधारक मानता है। हम यही कामना करते हैं कि मॉरीशस एक अग्रणी अर्थव्यवस्था के रूप में, और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि के पक्षधर के रूप में प्रगतिपथ पर अग्रसर बना रहे।
इसे दृष्टिगत रखते हुए कि व्यक्तियों के बीच सशक्त संबंध, भारत और मॉरीशस के बीच विशेष मैत्री का आधार रहे हैं, मेरा दृढ़ विश्वास है कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों का भविष्य हमारे युवाओं के कंधों पर है। मुझे आशा है कि मॉरीशस और भारत के युवा इस विशेष साझेदारी को और गहन बनाने की दिशा में प्रयास करते रहेंगे।

12. मेरा स्वागत करने और मेरा सम्मान करने के लिए मैं एक बार फिर से मॉरीशस यूनिवर्सिटी को धन्यवाद देती हूँ। मैं चांसलर, सभी सम्मानित संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं और विद्यार्थियों को उनके शैक्षणिक प्रयासों में सफलता के लिए शुभकामनाएं देती हूँ। मेरे युवा साथियों- आप अपनी मातृ संस्था और अपने देश का गौरव बढ़ाएं, ऐसी मेरी शुभकामना है। मैं कामना करती हूँ कि आप विश्व को बेहतर बनाने वाली शक्ति बनें।

धन्यवाद।

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