भारत की विकास साझेदारी का अवलोकन

विकास साझेदारी के लिए भारत सरकार के दृष्टिकोण को भारत की आज़ादी के संघर्ष तथा अन्य उपनिवेश एवं विकासशील देशों के साथ एकजुटता के साथ-साथ महात्मा गांधी के प्रेरक नेतृत्व द्वारा आकार प्राप्त हुआ है, जिन्होंने कहा था "मैं पूरी दुनिया के संदर्भ में सोचना चाहता हूं। मेरी देशभक्ति में सम्पूर्ण मानव जाति की भलाई समाहित है। इसलिए, भारत के प्रति मेरी सेवा में मानवता की सेवा शामिल है।" अपनी स्वयं की संसाधन बाधाओं के बावजूद, भारत "वसुधैव कुटुम्बकम" की भावना के साथ अपने विकास के अनुभवों और तकनीकी विशेषज्ञता को अन्य देशों के साथ साझा कर रहा है।

विकास के लिए भारत का दृष्टिकोण मुख्य रूप से मानव-केंद्रित है और इसे सम्मान, विविधता, भविष्य की चिंता और सतत विकास द्वारा चिह्नित किया जाता है। भारत के लिए, सहयोग में सबसे बुनियादी सिद्धांत विकास साझेदारों का सम्मान करना और उनकी विकास प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होना है। भारत का विकास सहयोग शर्तों पर आधारित नहीं होता है, जैसा कि भारत के माननीय प्रधानमंत्री ने जुलाई, 2018 में युगांडा की संसद में अपने संबोधन में कहा था, "हमारी विकास साझेदारी आपकी प्राथमिकताओं द्वारा निर्देशित होगी। यह उन शर्तों पर होगी जो आपके लिए सुविधाजनक होंगे, जो आपकी क्षमता को मुक्त करेगी और आपके भविष्य को बाधित नहीं करेगी… हम अधिक से अधिक स्थानीय क्षमताओं का निर्माण करेंगे और यथासंभव अधिक से अधिक स्थानीय अवसरों का सृजन करेंगे”।

विकासात्मक सहयोग का भारतीय मॉडल व्यापक है और इसमें अनुदान-सहायता, ऋण तथा क्षमता निर्माण एवं तकनीकी सहायता सहित कई उपकरण शामिल हैं। साझेदार देशों की प्राथमिकताओं के आधार पर, भारत का विकास सहयोग वाणिज्य से लेकर संस्कृति, ऊर्जा से लेकर इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य से आवास, आईटी से बुनियादी ढांचा, विज्ञान से खेल, आपदा राहत और मानवीय सहायता से लेकर सांस्कृतिक संपत्तियों एवं विरासतों के संरक्षण तक विस्तृत है।

विकास साझेदारी पर और पढ़ें www.meadashboard.gov.in/indicators/92External website that opens in a new window