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जी-20 शिखर सम्‍मेलन के लिए सियोल प्रस्‍थान करने से पूर्व प्रधान मंत्री जी का वक्‍तव्‍य

नवम्बर 10, 2010

कोरिया के राष्‍ट्रपति ली म्‍यूंग-बाक के निमंत्रण पर मैं सियोल में आयोजित होने वाले जी-20 शिखर सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए आज प्रस्‍थान कर रहा हूँ।

यह इस वर्ष आयोजित जी-20 का दूसरा शिखर सम्‍मेलन है। इससे इस बात का पता चलता है कि वर्ष 2008 में उत्‍पन्‍न तात्‍कालिक संकट से आगे बढ़ने तथा दीर्घकाल में सतत एवं संतुलित आर्थिक सुधार सुनिश्‍चित करने की दिशा में आगे बढ़ने में जी-20 से विश्‍व को किस प्रकार की ऊंची आकांक्षाएं हैं। सियोल में आयोजित शिखर सम्‍मेलन जी-8 देशों के बाहर और एशिया में आयोजित होने वाला शिखर सम्‍मेलन है।

सियोल शिखर सम्‍मेलन की विषय-वस्‍तु है 'आर्थिक संकट के उपरान्‍त साझा विकास' भारत के समक्ष जिस प्रकार की बड़ी विकासात्‍मक चुनौतियां हैं, उन्‍हें देखते हुए यह भारत के हित में होगा कि व्‍यापार, निवेश प्रवाह, प्रौद्योगकी अंतरण अथवा मुक्‍त बाजारों के क्षेत्र में मुक्‍त, स्‍थिर एवं विधिसम्‍मत अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक परिवेश उपलब्‍ध हो। हमें संरक्षणवादी प्रवृत्‍तियों से विशेष रूप से सावधान रहना होगा। विभिन्‍न देशों के भीतर और विभिन्‍न देशों के बीच विकासात्‍मक असंतुलन है और विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में संतुलन लाना एक बड़ी चुनौती है। इस संबंध में पारस्‍परिक आकलन की प्रक्रिया की सफलता महत्‍वपूर्ण होगी।

भारत इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से भाग लेगा जिससे कि इसकी विश्‍वसनीयता और विभिन्‍न देशों के राष्‍ट्रीय हितों में सही संतुलन स्‍थापित किया जा सके।

सियोल शिखर सम्‍मेलन में सियोल कार्य योजना के रूप में एक महत्‍वाकांक्षी निष्‍कर्ष सहित मजबूत स्‍थाई एवं संतुलित विकास के लिए जी-20 रूपरेखा पर विशेष बल दिया जाएगा। इस प्रयोजनार्थ हम अन्‍य देशों के साथ मिलजुलकर कार्य करेंगे और जी-20 को विकास कार्यसूची पर विशेष बल देने के लिए प्रोत्‍साहित करेंगे जिसका शुभारंभ पहली बार सियोल में किया जा रहा है।

हमें इस बात पर भी विचार करना होगा कि हम अमीर और गरीब देशों के बीच बुनियादी ढांचे से संबंधित खाई को पाटने के लिए किस प्रकार कार्य करें।

वित्‍तीय क्षेत्र में हमें अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार की प्रक्रिया का लाभ उठाना चाहिए जिसके संबंध में जी-20 विदेश मंत्रियों की पिछले माह आयोजित बैठक में अच्‍छी प्रगति और कोटे की हिस्‍सेदारी के हस्‍तांतरण पर सहमति हुई है जबकि सबसे गरीब देशों के मताधिकारों का भी संरक्षण किया गया है। यह हस्‍तांतरण भारत के पक्ष में भी किया गया है।

इस शिखर सम्‍मेलन में वित्‍तीय क्षेत्र के नियामक सुधारों से संबद्ध मुद्दों पर भी जांच की जाएगी और साथ ही बेसल-III मानदण्‍डों पर विचार किया जाएगा। यह हमारे कार्य का एक महत्‍वपूर्ण क्षेत्र है और यदि हमें ठोस वित्‍तीय नियामक रूपरेखा और प्रभावी पर्यवेक्षण व्‍यवस्‍था का निर्माण करना है, तो हमें आत्‍म संतुष्‍टि की भावना के प्रति सचेत रहना होगा।

विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था पुनरुत्‍थान के मार्ग पर है परन्‍तु हमें अपना ध्‍यान इस बात पर केंद्रित रखना चाहिए कि हम उत्‍तरोत्‍तर अंतर्निर्भर हो रहे विश्‍व में वैश्‍विक निष्‍कर्षों को किस प्रकार इष्‍टतम बनाएं।

आज जब भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था उच्‍चतर विकास के मार्ग पर अग्रसर है और विश्‍व के लिए खुली है, तो एक स्‍थाई, समावेशी एवं प्रातिनिधिक वैश्‍विक, आर्थिक एवं वित्‍तीय प्रणाली में हमारा हित और भी महत्‍वपूर्ण होगा।

अपनी यात्रा के दौरान मुझे राष्‍ट्रपति फिलिप काल्‍डेरॉन, प्रधान मंत्री मेलेस जेनावी, प्रधान मंत्री डेमिड कैमरून और प्रधान मंत्री स्‍टीफन हार्पर के साथ अलग-अलग मुलाकात करने की प्रतीक्षा है।

नई दिल्‍ली
10 नवंबर, 2010



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