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उपराष्ट्रपति की कंबोडिया यात्रा पर सचिव (पूर्व) द्वारा विशेषवार्ता का प्रतिलेख (नवंबर 12, 2022)

नवम्बर 13, 2022

सुश्री नव्या सिंगला, यूएस डीडी: सभी को नमस्कार। भारत के माननीय उपराष्ट्रपति की कंबोडिया की चल रही यात्रा पर इस विशेष वार्ता में आपका स्वागत है। आज हमारे साथ सचिव (पूर्व) श्री सौरभ कुमार महोदय हैं, जो आपको अपनी आज की गतिविधियों के बारे में बताएँगे और यह भी बताएँगे कि कल क्या होने वाला है। हमारे साथ आसियान में भारत के राजदूत जयंत महोदय और कंबोडिया में भारत की राजदूत देवयानी मैडम भी हैं, मंत्रालय से हमारे पास विश्वास महोदय और जेएस आईपी गीतिका मैडम थीं। आगे कुछ और न कहते हुए, महोदय, मैं आपको उद्घाटन टिप्पणियों के लिए माइक सौंपती हूँ और फिर हम कुछ प्रश्न ले सकते हैं।

सौरभ कुमार, सचिव (पूर्व): तो गुड इवनिंग, दोस्तों, देर से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ । तो चलिए मैं आपको उपराष्ट्रपति के आज के कार्यक्रम के बारे में बताता हूँ, कल उनकी क्या गतिविधियाँ रहीं थीं और कल के लिए क्या निर्धारित है, मैं संक्षेप में उसे भी बताऊँगा। आज भारत के माननीय उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ जी ने 19वें आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में भाग लिया। जैसा कि हम सभी जानते हैं, इस शिखर सम्मेलन को आसियान-भारत संबंधों की 30वीं वर्षगाँठ के अवसर पर आसियान-भारत स्मारक शिखर सम्मेलन के रूप में चिह्नित किया गया है। माननीय उपराष्ट्रपति का आसियान नेताओं के साथ विचारों का अच्छा आदान-प्रदान हुआ । शिखर सम्मेलन ऐतिहासिक है क्योंकि यह आसियान-भारत संबंधों को एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी के रूप में उन्नत करेगा। आज के शिखर सम्मलेन के बाद अभी जिस रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी का नाम दिया गया है, उसे व्यापक रणनीतिक साझेदारी कहा जाता है। एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी की स्थापना करते हुए आज की बैठक का परिणाम दस्तावेज़ विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर पहले ही लोड किया जा चुका है तो आप सभी इसे देख सकते हैं। यह साझेदारी पाँच क्षेत्रों में व्यावहारिक सहयोग पर केंद्रित होगी और मैं उनके बारे में आपको बताता हूँ, वह हैं समुद्री सुरक्षा, आपदा प्रबंधन, आपातकालीन प्रतिक्रिया और राहत के क्षेत्रों में, साथ ही हिन्द-प्रशांत और हिन्द प्रशांत महासागरीय पहल के आसियान दृष्टिकोण के तहत परियोजनाओं के कार्यान्वयन के माध्यम से उन्नत समुद्री सहयोग। तो मैं समझता हूँ कि इससे संबंधों को सामुद्रिक बल मिलता है। दूसरा बिंदु डिजिटल वित्तीय प्रणालियों की अंतर-संचालनीयता की खोज सहित साइबर सुरक्षा, डिजिटल अर्थव्यवस्था फिनटेक सहयोग में सहयोग को मजबूत करना है। तीसरा क्षेत्र अक्षय ऊर्जा, स्मार्ट कृषि, स्मार्ट सिटी, स्वास्थ्य देखभाल और अंतरिक्ष क्षेत्र में सहयोग जैसे क्षेत्रों में नई और उभरती प्रौद्योगिकी पर ध्यान देने के साथ सतत विकास के क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना होगा। चौथा बिंदु है, पर्यटन के पुनरुद्धार को बढ़ावा देना और लोगों से लोगों के संपर्क को बढ़ावा देने के लिए युवा केंद्रित गतिविधियों को बढ़ाना। और अंत में, क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए आम चिंता के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर मिलकर काम करना। जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है, नेताओं की व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर संयुक्त वक्तव्य विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया है।

शिखर सम्मेलन में कुछ अन्य बिंदु, आज माननीय उपराष्ट्रपति ने हिन्द-प्रशांत के भारत के दृष्टिकोण में आसियान की केंद्रीयता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि आसियान के साथ साझेदारी भारत की एक्ट ईस्ट नीति का प्रमुख स्तंभ है। यह हमारा दृष्टिकोण है और यह शिखर सम्मेलन में उपराष्ट्रपति द्वारा दोहराया गया था। माननीय उपराष्ट्रपति ने आसियान और भारत के बीच अधिक भौतिक, डिजिटल और लोगों से लोगों के संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने स्मार्ट सिटी और फिनटेक में सहयोग बढ़ाकर डिजिटल रूपांतरण की हमारी साझा यात्रा में और अधिक सहयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया, ये वे बिंदु हैं जिनका मैंने पहले भी उल्लेख किया है। भारत और आसियान के बीच अधिक आर्थिक जुड़ाव का आह्वान करते हुए माननीय उपराष्ट्रपति ने आसियान-भारत माल व्यापार में समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की आवश्यकता को रेखांकित किया ताकि इसे और अधिक व्यापार को सुगम करने वाला बनाया जा सके। इसे सभी आसियान नेताओं का समर्थन प्राप्त था। इसलिए मुझे लगता है कि यह भी एक महत्वपूर्ण परिणाम है, हम इस पर काम कर रहे हैं और मुझे लगता है कि शिखर सम्मेलन के दौरान इस पर फिर से जोर दिया गया था। माननीय उपराष्ट्रपति ने हमारी जलवायु, स्वास्थ्य, खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए वैश्विक चुनौतियों के बरक्स आसियान-भारत सहयोग बढ़ाने के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने सार्वजनिक स्वास्थ्य, नवीकरणीय ऊर्जा, स्मार्ट कृषि और नीली अर्थव्यवस्था के उभरते क्षेत्रों में हमारे सहयोग को बढ़ाने के लिए आसियान-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी कोष में भारत द्वारा 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अतिरिक्त योगदान की घोषणा की।

उपराष्ट्रपति कल 17वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी भाग लेंगे, जिसकी अध्यक्षता कंबोडिया द्वारा आसियान अध्यक्ष के रूप में की जाएगी।शिखर सम्मेलन के दौरान, माननीय उपराष्ट्रपति से इस क्षेत्र में प्रमुख नेताओं के नेतृत्व वाले एक मंच के रूप में पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के महत्व की फिर से पुष्टि करने और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में आसियान और आसियान के नेतृत्व वाले तंत्र की केंद्रीयता को रेखांकित करने की उम्मीद है। वे क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान भी करेंगे। इसलिए मुझे लगता है कि जहाँ तक इन बहुपक्षीय संबंधों का संबंध है, मुझे यही कहना है।

उप राष्ट्रपति ने, जैसा कि आप सभी जानते हैं, कंबोडियाई पक्ष के साथ द्विपक्षीय वार्ताएँकी थीं, मैं आपको उस पर एक अच्छी त्वरित जानकारी दूँगा। इसलिए जब हम उपराष्ट्रपति की यात्रा के दूसरे दिन के अंत में पहुँच रहे हैं, तो मैं

आपको संक्षिप्त और क्रमिक रूप से द्विपक्षीय मोर्चे पर अब तक क्या हुआ है, और इन बैठकों के परिणामों के बारे में कुछ जानकारी देने की कोशिश करता हूँ ।

हम कल शाम नोम पेन्ह पहुंचे थे, पहला कार्यक्रम। तो यह मैं बस पीछे जा रहा हूँ और आज द्विपक्षीय मोर्चे पर क्या हुआ उस पर आने से पहले कल के कार्यक्रम में जा रहा हूँ। कल का पहला कार्यक्रम माननीय उपराष्ट्रपति के सम्मान में कंबोडियाई संस्कृति और ललित कला मंत्रालय द्वारा आयोजित नृत्य प्रदर्शन था। यह प्रदर्शन भारत के कथकली नृत्य मंडली द्वारा महाभारत का एक एपिसोड था। कथकली नृत्य प्रदर्शन से पहले महाभारत के दो दृश्यों का कम्बोडियन नृत्य प्रदर्शन हुआ। तो यह फिर से कम्बोडियन नर्तकों द्वारा किया गया था, लेकिन महाभारत पर केंद्रित किया गया था। जैसा कि आप सभी जानते हैं, कंबोडिया के साथ हमारा सभ्यतागत संबंध है, जो ऐतिहासिक हैं। सांस्कृतिक कार्यक्रम के बाद, माननीय उपराष्ट्रपति ने आसियान-भारत कलाकार समूह द्वारा एक पेंटिंग प्रदर्शनी देखी। हालांकि कंबोडिया में एक छोटा सा भारतीय समुदाय है, लेकिन इस आयोजन के लिए कंबोडियाई दोस्तों के साथ इतने सारे लोगों को देखकर अच्छा लगा, कंबोडिया के संस्कृति मंत्री ने शालीनता से साथ दिया और सांस्कृतिक प्रदर्शन के दौरान और उपराष्ट्रपति द्वारा किए गए सामुदायिक कार्यक्रम के दौरान भी मौजूद रहे थे।

इस पेंटिंग प्रदर्शनी पर बस थोड़ा सा विस्तार। यह भारत और आसियान के बीच 30 साल के जश्न का हिस्सा था। हमारे पास आसियान कलाकारों का एक समूह था, उनमें से 10, भारत आए, हमारे पास 10 भारतीय कलाकार भी थे, और उदयपुर में नौ दिनों तक उन्होंने एक-दूसरे के साथ काम किया और इन चित्रों का निर्माण किया। तो यह फिर से, आप जानते हैं, भारत और कंबोडिया, भारत और आसियान के बीच युवा सहयोग पर बल देना था। और मुझे लगता है कि कम्बोडियन संदर्भ में, एक सांस्कृतिक और सभ्यतागत जुड़ाव दिया गया है, और बड़े दक्षिण पूर्व एशियाई संदर्भ में, इस प्रदर्शनी का बहुत महत्व था।

तो, आज के द्विपक्षीय मोर्चे पर आते हुए, आज का पहला कार्यक्रम माननीय उप राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हुन सेन के बीच बैठक थी। प्रधानमंत्री हुन सेन ने शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए उपराष्ट्रपति को धन्यवाद दिया और उन्हें उपराष्ट्रपति का पद संभालने के लिए बधाई दी।उन्होंने कहा कि उपराष्ट्रपति की यात्रा से हमारे दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध मजबूत होंगे। उन्होंने मोरबी हादसे, पुल के ढहने पर भी शोक व्यक्त किया। प्रधानमंत्री हुन सेन ने उल्लेख किया कि खमेर रूज को हटाने के बाद कंबोडियाई सरकार को मान्यता देने वाला भारत पहला लोकतांत्रिक देश था। उन्होंने 1981 में अपनी भारत यात्रा को याद किया, इसके तुरंत बाद, हमने कंबोडियाई सरकार को मान्यता दी, जब वे केवल 29 वर्ष के थे,और एक विदेश मंत्री थे, और उस समय से भारत ने कंबोडिया को राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र के साथ-साथ सांस्कृतिक मोर्चे पर जो समर्थन दिया है, उसकी सराहना की। मुझे लगता है कि कंबोडिया की सांस्कृतिक विरासत की बहाली एक ऐसा क्षेत्र रहा है जिसमें हम 80 के दशक के मध्य से लेकर 90 के दशक के मध्य तक बहुत व्यापक रूप से लगे हुए हैं, मुझे लगता है कि हम अंगकोर वाट में आने वाले और नवीकरण का काम करने वाले पहले देशों में से एक थे। प्रधानमंत्री हुन सेन ने 2025 तक कंबोडिया कोखदान मुक्त देश बनाने के उद्देश्य से उनकी सरकार द्वारा डि-माइनिंग को दिए जा रहे महत्व का भी उल्लेख किया। और इस संदर्भ में भारत से मिल रहे समर्थन के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग में वृद्धि की इच्छा व्यक्त की और कृषि और सिंचाई के क्षेत्रों में अधिक सहायता की माँग की।

मैं यहाँ उल्लेख करूँगा कि हमारी पहले से ही 102 मिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट है, जो वर्तमान में चल रही है, और इस लाइन ऑफ क्रेडिट का उपयोग करके कंबोडियाई सरकार द्वारा सिंचाई और बिजली पारेषण परियोजनाएँ शुरू की जा रही हैं। बदले में उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया को आसियान की सफल अध्यक्षता और भारत कंबोडिया द्विपक्षीय संबंधों के सात दशकों के लिए बधाई दी। उन्होंने भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी में कंबोडिया के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण, डी-माइनिंग, मानव संसाधन विकास और क्षमता निर्माण में और सहायता का आश्वासन दिया।उपराष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के समर्थन के लिए कंबोडिया को धन्यवाद दिया और उल्लेख किया कि हम जल्द से जल्द उप कमांडर इन चीफ जनरल हुन मानेट की भारत यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तो इस यात्रा की तारीखों पर अभी चर्चा चल रही है। माननीय उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री हुन सेन की उपस्थिति में तीन समझौता ज्ञापनों और एक वित्तपोषण समझौते का आदान-प्रदान किया गया। मैं जल्दी से इनकी सूची बताता हूँ : संबंधित स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच स्वास्थ्य और चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोग, संबंधित पर्यावरण मंत्रालयों के बीच जैव विविधता संरक्षण और सतत वन्यजीव प्रबंधन में सहयोग,तीसरा, आईआईटी जोधपुर और प्रौद्योगिकी संस्थान, कंबोडिया के बीच सांस्कृतिक विरासत के डिजिटल प्रलेखन के लिए अनुसंधान, विकास और प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोग के क्षेत्र में सहयोग होगाऔर अंत में- इस तीसरे का उपयोग बौद्ध दस्तावेजों के डिजिटलीकरण के लिए किया जाएगा, जो कि कंबोडिया के पास पाली में है, और अंतिम सिएम रीप, कंबोडिया में वाट राजा बो पैगोडा पेंटिंग के संरक्षण और परिरक्षण पर एक वित्तपोषण समझौता है। तो, आप हमारे सहयोग के सांस्कृतिक विरासत तत्व को देख सकते हैं। डी-माइनिंग सहयोग के हिस्से के रूप में, जिसका मैंने पहले ही उल्लेख किया है, भारत देश में तीन जिलों और एक कम्यून में डी-माइनिंग के लिए 426,000 अमेरिकी डॉलर से अधिक की अनुदान सहायता प्रदान करेगा। औरमुझे लगता है कि इस गतिविधि के शुरू होने के बाद, ये क्षेत्र, तीन जिले और कम्यून पूरी तरह से खदान मुक्त हो जाएंगे।

तो, पहले अगस्त 2020 में, भारत और कंबोडिया ने जी2जी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। मैं फिर से इस पर ध्यान दे रहा हूँ, आपको डी-माइनिंग सहयोग पर थोड़ी सी पृष्ठभूमि दे रहा हूँ। अगस्त 2020 में हमने रॉयल कंबोडियन सशस्त्र बलों को डी-माइनिंग उपकरणों की व्यवस्था के लिए 1.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुदान के प्रावधान के लिए सरकार से सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। भारत ने कंबोडिया को 15 प्रशिक्षित माइन स्निफर डॉग उपहार में दिए हैं। चार और प्रशिक्षित माइन स्निफर डॉग उपहार में दिए जाएँगे और इस 1.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में से 20% पहले ही दिया जा चुका है और इस पैसे का उपयोग डी-माइनिंग उपकरण खरीदने के लिए किया जाएगा। माननीय उपराष्ट्रपति ने कंबोडिया के लिए भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग स्लॉट की संख्या में वृद्धि, उन्हें 200 से बढ़ाकर 250 करने और आईसीसीआर छात्रवृत्तियों को 30 से बढ़ा कर 50 की वृद्धि की भी घोषणा की। यह हमारे पास उपलब्ध क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास सहयोग का एक हिस्सा है।

सीनेट के अध्यक्ष महामहिम साय छुम के साथ उपराष्ट्रपति की बैठक के दौरान संसदीय सहयोग बढ़ाने के लिए निम्नलिखित पर सहमति बनी। उपराष्ट्रपति ने सीनेट के अध्यक्ष और संसदीय प्रतिनिधिमंडल को भारत आने के लिए आमंत्रित किया, सीनेट के अध्यक्ष ने निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया और तारीखें राजनयिक माध्यमों से तय की जाएँगी। दोनों पक्ष संसदीय सहयोग के लिए एक समझौता ज्ञापन को नवीनीकृत करने पर सहमत हुए, जो हमारे बीच था, और समाप्त हो गया है, और इसे फिर से नवीनीकृत किया जा सकता है। और क्षमता निर्माण जारी रखने पर भी सहमति हुई। यह फिर से, जैसा कि मैंने उल्लेख किया है, सहयोग का महत्वपूर्ण क्षेत्र है। इसलिए संसदीय क्षेत्र में भी हम उपक्रम करते रहे हैं, और हम क्षमता निर्माण सहयोग जारी रखेंगे।

महामहिम नरेश, नोरोडोम सिहामोनी ने आज शाम रॉयल पैलेस में उपराष्ट्रपति का बहुत गर्मजोशी और गरिमा के साथ स्वागत किया। यह वास्तव में उपराष्ट्रपति के होटल लौटने से पहले का अंतिम कार्यक्रम था। महामहिम ने अपने पिता नरेश नोरोडम सियानोम और भारतीय नेतृत्व के बीच संबंधों और वर्तमान में दोनों देशों के बीच मौजूद अच्छे संबंधों को याद किया। उन्होंने सभी समयों में, विशेष रूप से कंबोडिया के कठिन समय के दौरान, कंबोडिया का समर्थन करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया।उन्होंने देश के विकास में मदद के लिए सभी क्षेत्रों में समर्थन देने के लिए भारत को धन्यवाद दिया। उन्होंने हमारे प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के प्रति हार्दिक सम्मान और स्नेह प्रेषित किया। उपराष्ट्रपति ने महामहिम को अवगत कराया कि कंबोडिया न केवल भारत के विस्तारित पड़ोस में है, बल्कि भारत के विस्तारित परिवार का एक हिस्सा है। माननीय उपराष्ट्रपति ने अवगत कराया कि हम महामहिम और महारानी माँ की लंबे समय से प्रतीक्षित भारत यात्रा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। और हम इस विशेष यात्रा के लिए कंबोडियाई पक्ष के साथ काम करेंगे। माननीय उपराष्ट्रपति ने नरेश को भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का अभिवादन प्रेषित किया ।

उपराष्ट्रपति ने आज सीनेट और रॉयल पैलेस में बैठक के बीच, कंबोडिया के राष्ट्रीय संग्रहालय का भी दौरा किया, जहाँ कलाकृतियों का बहुत अच्छा संग्रह है। आप में से जो वहाँ गए हैं वे जानते हैं कि मैं किसके बारे में बात कर रहा हूँ । यदि आप में से कुछ वहाँ नहीं गए हैं, तो कृपया वहाँ जाएँ। माननीय उपराष्ट्रपति और उनकी पत्नी ने संग्रहालय का निर्देशित दौरा किया। मैं इस बात पर जोर देना चाहता हूँ कि माननीय उपराष्ट्रपति की सभी द्विपक्षीय बैठकें बहुत गर्मजोशी और मित्रता के माहौल में हुई थीं और हमें पूरा विश्वास है कि उपराष्ट्रपति की यह अत्यंत महत्वपूर्ण और उल्लेखनीय यात्रा जो सात साल बाद हो रही है, पिछली बार उपराष्ट्रपति यहाँ 2015 में आए थे, तो यह यात्रा हमारे संबंधों को और आगे ले जाएगी और दोस्ती के हमारे ऐतिहासिक बंधन को और गहरा करेगी।इसलिए मैं केवल यह उल्लेख करते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहता हूँ कि कल पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद, जैसा कि मैंने पहले ही उल्लेख किया है, भारत वापसी के अपने रास्ते पर, उपराष्ट्रपति सिएम रीप में रुकेंगे जहाँ वे ता प्रोह्म मंदिर में हॉल ऑफ डांसर्स का उद्घाटन करेंगे और अंगकोर वाट भी जाएँगे। इन दोनों स्थलों पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और परिरक्षण कार्य में शामिल रहा है, जिसका मैंने पहले उल्लेख किया है। इसलिए आपके धैर्य के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद। यह एक लंबी ब्रीफिंग थी, लेकिन उपराष्ट्रपति का एक अत्यंत व्यस्त कार्यक्रम था, मैंने सोचा कि सब पर बताना अच्छा होगा।

सुश्री नव्या सिंगला, यूएस डीडी: उपराष्ट्रपति की व्यस्तताओं का विवरण हमारे साथ साझा करने के लिए धन्यवाद महोदय। अब मैं प्रश्नों के लिए मंच खोलती हूँ, कृपया रिकॉर्ड के लिए अपना और अपने संगठन का परिचय दें।

सुशील बत्रा: महोदय, एएनआई से सुशील बत्रा। महोदय, आसियान से इतर श्री जयशंकर ने कनाडा और यूक्रेन के समकक्षों से भी मुलाकात की। क्या आप इसका विवरण साझा कर सकते हैं?

वक्ता 2: महोदय, आसियान देशों और भारत के रक्षा मंत्री 20 नवंबर को बैठक करने जा रहे हैं। तो, हमारी अपेक्षाएं क्या हैं?

सुश्री नव्या सिंगला, यूएस डीडी: सभी को बस यह याद दिलाने के लिए कि यह वार्ता उपराष्ट्रपति की यात्रा पर है तो कृपया अपने प्रश्नों को इसी तक सीमित रखने का प्रयास करें।उमेश शर्मा : मेरा नाम उमेशा शर्मा है, मैं संसद टीवी से हूँ, अगर बात trade की करें तो आने वाले दिनों में भारत और आसियान देशों की trade को आप कितना बढ़ते देख रहे हो ?

मनोहर सिंह :
मनोहर सिंह हूँ यूनीवार्ता से, आपकी ब्रीफिंग के बाद मेरे दिमाग में दो-तीन तरह के सवाल उठे हैं, एक तो आसियान के बारे में, जो ASEAN-India फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हुआ है, उसमें अभी बहुत ज्यादा प्रोग्रेस नहीं हुई है, जिसको रिन्यू करने जा रहे थे हम। दूसरा है कंबोडिया के बारे में, यहां के Military के Deputy Chief की यात्रा का क्या सिग्निफिकेंस है, और दूसरा जब हम कंबोडिया के साथ व्यापार बढ़ाना चाह रहे हैं और कंबोडिया को मानते हैं कि यह हमारा एक्सटर्नल परिवार है, लेकिन आज तक कंबोडिया और भारत के बीच मेंजो यात्रा है वो सीधी नहीं है, रुकना पड़ता है। तो इस संबंध में, इस यात्रा में क्या बात हुई है?

सुश्री नव्या सिंगला, यूएस डीडी: महोदय, मुझे लगता है कि आप इस दौर के प्रश्नों को ले सकते हैं।

सौरभ कुमार, सचिव (पूर्व): So मनोहर जी जो FTA है इसके, मैं आपको बताना चाहूँगा कहाँ पे हैं हमलोग, इसका review हो रहा है, review के लिए scoping exercise होनी थी की review का scope क्या होगा वो scoping exercise ख़तम हो गई है। उसपे अब agreement है और अब review की जो कारवाई होगी वो शुरू होगी तो इंडिया-आसियान meeting हुई उसमें सभी देशो का India का भी, हमलोगों का expectation है ये जो review exercise होगी ये जल्दी होगी और जो हमारा नया agreement निकलेगा वो trade facilitative होगा, business friendly होगा और उसके अंतर्गत जो trade और व्यापार होगा उसमें हमको बढ़ावा मिलेगा।

उमेश जी आपने भी trade के बारे में पूछा था, हमारा bilateral trade जो है हमारी figures के अनुसार वो 110 billion है और हमें विश्वास है कि ये और बढेगा और ये जो review process है वो complete हो जाता है तो वो इस trade growth को और भी momentum impact करेगा।

मनोहर जी आपका जो दूसरा question था जो इनके deputy commander-in- chief की जो visit है, हर visit महत्वपूर्ण अपने में होती है ये deputy commander and chief है तो हमारा जैसा मैंने आपको बताया था defence area एक area है जिसमें हमलोग अपने relationship को आगे बढ़ाना चाहते हैं, हमने line-of-credit भी कम्बोडिया को offer किया हुआ है और (inaudible) जी की जब visit होगी तो defence cooperation के बारें में line-of-credit जो हमने दिया है उसके neutralization के बारे में इन सभी मुद्दों में वार्तालाप होगी। और हमारे जो army to army relationship है जिनको staff talks हम कहते है उन सब मुद्दों पे भी विचार-विमर्श किया जाएगा।

आपने direct connectivity की भी बात कही है, ये connectivity आसियान के साथ जैसा हमने बताया एक अहम प्रमुख मुद्दा है और road connectivity पे हमलोग काम कर रहे हैं। काफी बातचीत हुई है। air connectivity भी important है और इसमें भी हमारा ध्यान है और हम आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। यहाँ पे cultural heritage इतनी अच्छी है, अभी हमारे जो tourist आते है भारत से उनकी संख्या बहुत ज्यादा नहीं है लेकिन connectivity बढ़ेगी, awareness बढ़ेगी तो हम उम्मीद रखते है कि यहाँ पे भारत से जो हमारे tourist है वो ज्यादा आएंगे और हम यहाँ से भी भारत जाने वाले tourist हैं उनको भी बढ़ावा देना चाहेंगे।

Defence minister meeting के बारे में यह पहली बार मुख्य बात ये है कि जब ये meeting होगी इसी महीने में बाद में तो ये पहली बार इंडिया-आसियान defence ministers meeting होगी जो कि EDMM plus जो mechanism है उसके side-lines पे होगी और किस मुद्दों पे बात करी जाएगी ये अभी बताना premature होगा हमारे लिए। लेकिन मैं अपेक्षा करता हूँ कि जितने भी important मुद्दे हैं, bilateral मुद्दे जो हमारे दूसरे देशो के साथ हैं और जो हमारे आसियान के साथ जो relationship है defence और security side में इन सब में विचार किया जाएगा।सुशील जी, मुझे लगता है कि आपने विदेश मंत्री की बैठकों के बारे में पूछा, मैं बस इतना कह सकता हूँ कि विदेश मंत्री ने अपने यूक्रेनी और कनाडाई समकक्षों के साथ विचारों का अच्छा आदान-प्रदान किया। बेशक, यूक्रेनी पक्ष के साथ, आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे द्विपक्षीय संबंधों के अलावा, जहाँ तक यूक्रेन की स्थिति का संबंध है, मुझे लगता है कि उन पहलुओं पर चर्चा की गई थी।और अपने कनाडाई समकक्ष के साथ, उन्होंने अच्छी चर्चा की, हमारे द्विपक्षीय संबंधों पर विमर्श किया, व्यापार जैसे सामुदायिक कल्याण पहलुओं के बारे में चर्चा की।इस प्रकार संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की गई। कनाडा पक्ष के साथ हुई चर्चाओं में जी20 का भी जिक्र आया।

सुशांत: मैं डीडी न्यूज से सुशांत हूँ । (अश्रव्‍य) अब हिंद प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा के मुद्दे को लेते हुए रक्षा मंत्रियों का शिखर सम्‍मेलन (अश्रव्‍य) और आसियान का समर्थन कितना महत्‍वपूर्ण होगा?

टीना: मैं संसद टीवी से टीना हूँ। मैं यहाँ आसियान-भारत मीडिया आदान-प्रदान कार्यक्रम के भाग के रूप में आई हूँ। महोदय, मेरा प्रश्न समुद्री सहयोग से संबंधित है और चूँकि यह आसियान और भारत के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में पाँच फोकस क्षेत्रों में प्रमुखता रखता है, तथ्य यह है कि आसियान के पास कोई ऐसी एक क्षेत्रीय संस्था नहीं है जो समुद्री मुद्दों से निपटती हो । जब हम समुद्री मुद्दों पर संबंधों को आगे बढ़ाने की बात करते हैं तो क्‍या इसे लागू करना कठिन हो जाता है? तो हम इससे कैसे निपटते हैं ?

सौरभ कुमार, सचिव (पूर्व): तो समुद्र के लिए कई तंत्र हैं, जो हमारे पास आसियान के साथ हैं, आसियान क्षेत्रीय मंच उदाहरण के लिए एक निकाय है जहाँ विभिन्न क्षेत्रों में विश्वास निर्माण उपायों पर चर्चा की जाती है और वहाँ समुद्री पहलुओं पर चर्चा की जाती है,मुझे लगता है कि यह वहाँ मौजूद निकायों में से एक है। इसलिए, इंडो पैसिफिक के लिए उनका अपना दृष्टिकोण है, हमारे पास इंडो पैसिफिक महासागरों की पहल है, और एक विषय, जिसे आप जानते हैं, आज की बैठक में, लगभग, कम से कम अधिकांश नेताओं द्वारा व्यक्त किया गया था, समुद्री क्षेत्र में सहयोग के व्यावहारिक क्षेत्रों के बारे में बात की गई थी। इसलिए, हम कार्यान्वयन के मामले में कोई कठिनाई नहीं देखते हैं। हमारे पास एचएडीआर खोज और बचाव जैसी चीजें हैं और हम इन क्षेत्रों में एसओपी या मानक अभ्यासों को देख रहे हैं। इसलिए, ये चर्चाएँ पहले से ही चल रही हैं।हम ऐसी चीजें भी करते हैं, आप जानते हैं, नीली अर्थव्यवस्था पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँगी, अतीत में, आप जानते हैं, हमने समुद्र में प्लास्टिक जैसी आयोजित की हैं। इसलिए, निश्चित रूप से, यह देखने का प्रयास होगा कि संस्थागत ढाँचे को कैसे मजबूत किया जाता है, लेकिन यह कहना उचित नहीं है कि हमारे पास गतिविधियों को करने के लिए कोई संस्थागत ढाँचा नहीं है। मुझे लगता है कि मैंने आपके प्रश्न का भी उत्तर दे दिया है, जब मैंने कहा था कि इंडो पैसिफिक पर आसियान आउटलुक और हमारी इंडो-पैसिफिक महासागर पहल, और आज जब नेताओं ने बात की तो लगभग सभी ने इसका उल्लेख किया कि हम इन विषयों पर कैसे निर्माण कर सकते हैं।

सुश्री नव्या सिंगला, यूएस डीडी: वार्ता के लिए समय निकालने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद महोदय। मीडिया के दोस्तों को धन्यवाद। आगे की अपडेट के लिए हमारे सोशल मीडिया हैंडल और हमारी वेबसाइट पर बने रहें। बहुत-बहुत धन्यवाद।



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