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तुर्कमेनिस्तान की यात्रा के दौरान भारत के राष्ट्रपति श्री राम नाथ कोविंद का प्रेस वक्तव्य

अप्रैल 02, 2022

महामहिम राष्ट्रपति श्री सर्दार बर्दीमुहामेदोव

महानुभवों, देवियों और सज्जनों,


1. यह भारत के किसी राष्ट्रपति की तुर्कमेनिस्तान की पहली यात्रा है, और तुर्कमेनिस्तान के नए और युवा नेता की मेजबानी में आयोजित पहली यात्राओं में से एक है। मैं तुर्कमेनिस्तान के महामहिम राष्ट्रपति का मेरे और मेरे प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत करने और आतिथ्य सत्कार करने के लिए प्रशंसा करता हूं और आभार भी व्यक्त करता हूं। आपकी यह सदाशयता हमारे दो महान राष्ट्रों के बीच मित्रता की जीवंतता को दर्शाती है।

2. हमारी दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि भारत और तुर्कमेनिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 30वीं वर्षगांठ है। पिछले तीन दशकों में और विशेष रूप से पिछले दशक में हमारे बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों में जिस तरह प्रगति हुई है उससे हम बहुत संतुष्ट हैं।

देवियों और सज्जनों,

3. आज तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति के साथ बैठक के दौरान द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति और संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा चर्चा की गई। हमने विभिन्‍न क्षेत्रीय और अंतर्राष्‍ट्रीय महत्‍व के मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। हम अपनी बहुआयामी साझेदारी को और मजबूत करने के प्रयासों को गति देने पर भी सहमत हुए।

4. आर्थिक संबंध द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करते हैं। हम द्विपक्षीय व्‍यापार का और अधिक विस्‍तार करने पर सहमत हुए जो फिलहाल अपेक्षाकृत कम है। हमारे व्यापारिक समुदाय को चाहिए की वह परस्पर जुड़ाव को और गहरा करें, एक दूसरे के नियमों की बेहतर समझ बनाएं और व्यापार तथा निवेश के नए क्षेत्रों की पहचान करें।

5. मुझे विश्वास है कि भारत की वित्तीय खुफिया इकाई और तुर्कमेनिस्तान की वित्तीय निगरानी सेवा के बीच आज जिस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं वह दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग के ढांचे को मजबूत करेगा।

6. किसी भी तरह की व्यापार व्यवस्था के लिए कनेक्टिविटी यानी कि संपर्क होना बहुत जरुरी है। इस दिशा में, हमने अंतर्राष्ट्रीय उत्तर दक्षिण परिवहन गलियारे (INSTC) और अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारे पर अश्गाबात समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला। मैंने बताया कि ईरान में भारत द्वारा निर्मित चाबहार बंदरगाह का उपयोग भारत और मध्य एशिया के बीच व्यापार को और बेहतर बनाने के लिए किया जा सकता है।

7. ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग आज की हमारी चर्चा के प्रमुख विषयों में से एक था। तापी पाइपलाइन पर मेरा सुझाव था कि इस पाइपलाइन की सुरक्षा और प्रमुख व्यावसायिक सिद्धांतों से संबंधित मुद्दों को तकनीकी और विशेषज्ञ स्तर की बैठकों में सुलझाने का प्रयास किया जा सकता है।

8. हमने आपदा प्रबंधन जैसे सहयोग के नए क्षेत्रों की भी पहचान की है, जिस पर हमने आज एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। मैंने तुर्कमेनिस्तान को डिजिटलीकरण की दिशा में उसके साथ भागीदारी करने की भारत की तत्परता से अवगत कराया। हमारे लिए अंतरिक्ष पारस्परिक रूप से लाभकारी सहयोग का एक अन्य क्षेत्र हो सकता है।

9. हमारे देश सदियों पुरानी सभ्यता और सांस्कृतिक संबंधों को साझा करते हैं। बातचीत के दौरान, मैंने एक दूसरे के क्षेत्र में नियमित सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के महत्व को रेखांकित किया। मुझे विश्वास है कि आज 2022-25 की अवधि के लिए जिस सांस्कृतिक और कला सहयोग कार्यक्रम के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं वह हमारे सांस्कृतिक सहयोग को दिशा देगा।

10. हमने लोगों को प्रभावित करने वाली कोविड-19 महामारी के प्रभावी प्रबंधन पर सघन सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया। मैंने सुझाव दिया कि दोनों देशों द्वारा कोविड टीकाकरण प्रमाणपत्रों की पारस्परिक मान्यता हमारे नागरिकों की यात्रा को सुविधाजनक बनाने में काफी सहायक होगी।

11. तुर्कमेनिस्तान, भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन के दायरे में भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार है, जिसकी पहली मेजबानी भारत ने इस साल जनवरी में की थी। हम भारत-मध्य एशिया शिखर सम्मेलन से तय हुई रूपरेखा के तहत सहयोग को और बढ़ाने पर सहमत हुए।

12. हम भारत-मध्य एशिया सांस्कृतिक सहयोग के दायरे में एक युवा प्रतिनिधिमंडल को भारत भेजने के लिए तुर्कमेनिस्तान की तत्परता का स्वागत करते हैं। युवा मामलों पर आज हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन हमारे युवाओं के बीच आदान-प्रदान को और तेज करेगा।

13. हमारी चर्चाओं में इस बात पर भी बल दिया गया कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रासंगिक मुद्दों पर संयुक्त राष्ट्र सहित क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग जारी रखेंगे। मैंने तुर्कमेनिस्तान को सुधारों के साथ विस्तार वाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन करने के साथ-साथ 2021-22 की अवधि के लिए इसमें भारत की अस्थायी सदस्यता के दौरान पूरा सहयोग जारी रखने की पहल के लिए भी धन्यवाद दिया।

14. अफगानिस्तान हमारा निकट का पड़ोसी देश होने के कारण हम स्वाभाविक रूप से उस देश के विकास और उसपर पड़ने वाले बाहरी प्रभावों के बारे में चिंतित हैं। हम अफगानिस्तान से संबंधित मुद्दों पर एक व्यापक 'क्षेत्रीय सहमति' साझा करते हैं, जिसमें वहां एक वास्तविक प्रतिनिधि और समावेशी सरकार का गठन, आतंकवाद और मादक पदार्थों की तस्करी का मुकाबला करना, संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका, अफगानिस्तान के लोगों को तत्काल मानवीय सहायता प्रदान करना तथा महिलाओं, बच्चों और अन्य जातीय समूहों और अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित रखा जाना शामिल है। ।

महानुभवों, देवियों और सज्जनों तथा मीडिया से आए मित्रों

15. मैं परस्पर रूप से सुविधाजनक तारीख पर भारत में राष्ट्रपति श्री सर्दार बर्दीमुहामेदोव का स्वागत करने के लिए उत्सुक हूं।

16. मैं यह कहते हुए अपनी बात समाप्त करना चाहूंगा कि मैं और मेरा प्रतिनिधिमंडल "सफेद संगमरमर" से बने अश्गाबात के सुंदर और विस्मयकारी शहर से वाकई बहुत अधिक प्रभावित हुए हैं।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद!



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