सरकारी प्रवक्ता (विष्णु प्रकाश): नमस्कार। जैसाकि आप सबको जानकारी है, भारत के प्रधान मंत्री जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कल सियोल पहुंचे हैं। आज उन्होंने अनेक महत्वपूर्ण कार्यक्रमों और द्विपक्षीय बैठकों
में भाग लिया। उन्होंने इथोपिया के प्रधान मंत्री, मैक्सिको के राष्ट्रपति और यूके के प्रधान मंत्री के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। मैं आप सबको इन तीनों महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकों के संबंध में कुछ जानकारी देने का प्रयास करूंगा।
सुबह में इथोपिया के प्रधान मंत्री महामहिम श्री मेलेस जनावी के साथ उनकी बैठक हुई। दोनों नेताओं की बैठक अत्यंत ही सौहार्दपूर्ण और मैत्रीपूर्ण रही, जो इथोपिया के साथ हमारे उत्कृष्ट संबंध को प्रतिबिंबित करता है। प्रधान मंत्री श्री जनावी ने आर्थिक विकास और क्षमता
निर्माण जैसे क्षेत्रों में इथोपिया को सहायता प्रदान करने के लिए भारत की सराहना की। जैसाकि आप सब जानते हैं, इथोपिया आईटेक कार्यक्रमों से लाभ उठाता रहा है। हम इथोपिया में विशाल व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र की भी स्थापना कर रहे हैं तथा अन्य बातों के साथ-साथ
इथोपिया को अनेक छात्रवृत्तियों की पेशकश कर रहे हैं।
उन्होंने अफ्रीका के साथ भारत की उत्तरोत्तर बढ़ती विकास भागीदारी के संबंध में बात की और इसे विकासशील देशों के बीच सहयोग का एक उत्कृष्ट मॉडल बताया। इथोपिया नेपाड का अध्यक्ष है और अफ्रीकी संघ का मुख्यालय भी यही अवस्थित है।
प्रधान मंत्री श्री मेलेस जनावी ने वर्ष 1995 में पहली बार अपना कार्यभार ग्रहण किया था और हाल में उन्हें दुबारा चुना गया है। वे भारत के पुराने मित्र हैं। वे पहले भी कई अवसरों पर भारत आ चुके हैं। नवंबर 2007 में उन्होंने भारत का राजकीय दौरा किया था। उन्होंने
पहले भारत-अमरीकी मंच शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अप्रैल 2008 में भी भारत की यात्रा की थी।
दिल्ली सतत विकास शिखर बैठक में भाग लेने के लिए उन्होंने फरवरी, 2009 में पुन: भारत की यात्रा की थी। उन्होंने हमारे प्रधान मंत्री जी को इथोपिया आने का सौहार्दपूर्ण निमंत्रण दिया। इस निमंत्रण को सहर्ष स्वीकार कर लिया गया है।
इथोपिया के साथ हमारे 2000 वर्ष पुराने ऐतिहासिक संबंध हैं। वस्तुत: हमारा व्यापार संबंध छठी शताब्दी से है, जब भारत से रेशम और मसाले इत्यादि इथोपिया भेजे जाते थे। विभिन्न वैश्विक मुद्दों पर इथोपिया ने हमेशा भारत के दृष्टिकोण का समर्थन किया है। मैं बताना
चाहूंगा कि हाल में उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अस्थाई सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किया और हमारे पक्ष में मतदान किया। भारत के प्रधान मंत्री ने
इथोपिया के समर्थन के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। दोनों नेताओं ने संयुक्त राष्ट्र सुधारों के संबंध में अफ्रीकी दृष्टिकोण पर भी चर्चा की।
इथोपिया के साथ हमारे अच्छे द्विपक्षीय संबंध हैं और इथोपिया के साथ हमारा व्यापार लगभग 500 मिलियन अमरीकी डालर का है। यह बात और महत्वपूर्ण है कि भारत द्वारा इथोपिया में पर्याप्त निवेश किए जा रहे हैं। दोनों देशों के बीच चार बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का निवेश
किया जा चुका है जिसमें से 1.5 मिलियन अमरीकी डालर का निवेश इथोपिया में वर्ष 2009 में ही किया गया है।
फिलहाल इथोपिया में लगभग 500 भारतीय कंपनियां कृषि, वस्त्र, इंजीनियरिंग, प्लास्टिक्स, जल प्रबंधन, सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी, मानव संसाधन विकास, भेषज, पुष्प कृषि जैसे विविध क्षेत्रों में कार्य कर रही हैं।
भारत के प्रधान मंत्री ने अपने समकक्षी को बताया कि भारत का आयात-निर्यात बैंक शीघ्र ही अदिसअबाबा में एक प्रतिनिधि कार्यालय की स्थापना करेगा। इथोपिया के प्रधान मंत्री ने इथोपिया और जिबूती के बीच रेलवे लाइन की स्थापना करने में भारत की सहायता चाही। हमने इस प्रस्ताव
का अध्ययन करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है। जुलाई 2007 में हमारे विदेश मंत्री जी की इथोपिया यात्रा के दौरान भारत ने
इथोपिया में चीनी उद्योग को संवर्धित और विस्तारित करने हेतु पांच वर्षों की अवधिक के लिए 640 मिलियन अमरीकी डालर का ऋण दिया था। इस ऋण श्रृंखला की अधिकांश राशि जारी कर दी गई है, निधियों का अंतरण कर दिया गया है जिनका प्रभावी उपयोग किया जा रहा है।
पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना का शुभारंभ अदिसअबाबा में लगभग डेढ़ वर्ष पहले किया गया था। ई-नेटवर्क परियोजना की प्रभाविता को देखते हुए इथोपिया ने हाल में इथोपिया के 20 क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों को दूर-शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर
के साथ व्यावसायिक शर्तों पर सहयोग से संबद्ध समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं।
मैंने आप सबको बताया कि इथोपिया के प्रधान मंत्री ने भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए अप्रैल, 2008 में भारत का दौरा किया था। आशा है कि दूसरे भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन का आयोजन अगले वर्ष अफ्रीका में किया जाएगा। दोनों नेताओं ने इस शिखर सम्मेलन
के आयोजन पर भी विचार विनिमय किए। जैसाकि मैंने आपको बताया, इथोपिया के प्रधान मंत्री ने अफ्रीका के साथ भारत की सहभागिता का जोरदार स्वागत किया और इसे सहयोग का एक उत्कृष्ट मॉडल बताया। इस प्रकार दोनों पक्षों ने भारत-अफ्रीकी संघ भागीदारी को आगे ले जाने के तौर
तरीकों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि फिलहाल अफ्रीकी संघ इस प्रस्ताव पर विचार कर रहा है और अफ्रीका में इस शिखर सम्मेलन के आयोजन की तिथियों और आयोजन स्थल के संबंध में निर्णय दिए जाने के बाद तैयारियां आरंभ कर दी जाएंगी। उन्होंने जी-20 में अफ्रीका की प्राथमिकताओं के संदर्भ में
भी संक्षिप्त चर्चा की।
अब मैं मैक्सिको के राष्ट्रपति महामहिम फिलिप काल्डेरोन के साथ प्रधान मंत्री जी की बैठक के बारे में आप सबको जानकारी देना चाहूंगा। अंतर्राष्ट्रीय मंचों की बैठकों में दोनों नेताओं के बीच नियमित रूप से मुलाकातें होती रही हैं।
दोनों नेताओं ने सितंबर, 2007 में राष्ट्रपति काल्डेरोन की भारत की सफल यात्रा का स्मरण किया जब दोनों देशों की क्षमताओं और सम्पूरकताओं को स्वीकार करते हुए संबंधों को विशेष भागीदारी के स्तर तक उन्नयित करने का निर्णय लिया गया था।
दोनों देशों के बीच लम्बे समय से घनिष्ठ और मैत्रीपूर्ण संबंध रहे हैं। मैक्सिको की अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन अमरीकी डालर की है और यह लैटिन अमरीका में ब्राजील के बाद दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। हमारे बीच 1950 में राजनयिक संबंधों की स्थापना हुई थी और
अभी हम दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ मना रहे हैं।
भारत की राष्ट्रपति ने अप्रैल 2008 में मैक्सिको का महत्वपूर्ण दौरा किया था। हाल में अगस्त माह में हमने मैक्सिको की विदेश मंत्री सुश्री पैट्रीशिया एस्पीनोसा की भारत की पहली सरकारी यात्रा की मेजबानी की।
दोनों देशों के बीच दो से तीन बिलियन अमरीकी डालर का द्विपक्षीय व्यापार किया जा रहा है, जो अभी क्षमता से काफी कम है। पांच बिलियन अमरीकी डालर का व्यापार लक्ष्य निर्धारित किया गया है और आशा है हम इसे शीघ्र ही प्राप्त कर लेंगे। भारत मैक्सिको में एक महत्वपूर्ण
निवेशक भी है और हमारा निवेश 1.5 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक का है।
भारत और मैक्सिको के बीच मजबूत सांस्कृतिक समानताएं भी हैं। पारम्परिक रूप से मैक्सिको के लोगों की भारतीय कला, नृत्य, फिल्म, योग, संगीत इत्यादि में रुचि रही है। महात्मा गांधी, टैगोर और मदर टेरेसा जैसी भारतीय हस्तियों की मैक्सिको में व्यापक सराहना की
जाती रही है। हमने राजनयिक संबंधों की स्थापना की 60वीं वर्षगांठ मनाने के लिए अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने का निर्णय लिया है।
आपको इस बात की जानकारी होगी कि कानकुन, मैक्सिको में 29 नंवबर से 10 दिसंबर के बीच जलवायु परिवर्तन पर कोप-16 शिखर सम्मेलन का भी आयोजन किया जा रहा है।
प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति जी ने जलवायु परिवर्तन तथा आगामी शिखर सम्मेलन की तैयारियों पर टिप्पणियों का आदान-प्रदान किया। प्रधान मंत्री जी का विचार था कि उन पहलकदमियों की पहचान की जानी चाहिए जिन पर सर्वसम्मति बनने की आशा है जिससे कि इस सम्मेलन से हम प्रगतिशील
और परिणामोन्मुख निष्कर्ष प्राप्त कर सकें। उनका मानना था कि प्रयास और तैयारियां सही दिशा में की जा रही हैं तथा विकासशील देशों की हित चिन्ताओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए। इस शिखर बैठक के परिणाम, निर्णय और चर्चाएं यूएनएफसीसीसी और क्योतो प्रोतोकोल के अनुरूप
होनी चाहिए।
अभी मैं संक्षिप्त चर्चा प्रधान मंत्री कैमरून के साथ हुई चर्चाओं के बारे में भी करना चाहूंगा। राष्ट्रपति काल्डेरोन और प्रधान मंत्री कैमरून दोनों के साथ प्रधान मंत्री जी ने जी-20 प्रक्रिया पर भी चर्चा की। दोनों नेताओं ने एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री के रूप में
जी-20 पर प्रधान मंत्री के विचार जानने चाहे। सभी संबंधित पक्षों ने महसूस किया कि वैश्विक असंतुलनों को दूर करने और आर्थिक स्थायित्व प्राप्त करने की दिशा में और ध्यान दिया जाना चाहिए।
उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष में सुधार तथा कोटा शेयरिंग व्यवस्थाओं के संबंध में किए गए उपायों पर खुशी जाहिर की। उन्होंने आर्थिक संकट के बाद जी-20 के कार्यकलापों पर भी विचार-विनिमय किए और कहा कि आर्थिक संकट के बाद जी-20 की अनुक्रिया अभूतपूर्व रही
और फिलहाल हमारे सामने इन उपायों को और समेकित करने हेतु कदम उठाए जाने की चुनौती है। उन्होंने इस बात पर भी सहमति व्यक्त की कि विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी के लिए जिम्मेदार कारणों पर वैश्विक सहमति नहीं बन पाई है।
राष्ट्रपति काल्डेरोन ने भारत के प्रधान मंत्री को मैक्सिको आने का निमंत्रण दिया, जिसे सहर्ष स्वीकार कर लिया गया।
अब मैं परम माननीय डेविड कैमरून के साथ प्रधान मंत्री जी की बैठक के कुछ अन्य पहलुओं पर बात करना चाहूंगा। दोनों पक्षों ने 27-29 जुलाई तक प्रधान मंत्री श्री कैमरून की भारत की सफल राजकीय यात्रा का स्मरण किया। जब वे अनेक कैबिनेट मंत्रियों, विशाल व्यावसायिक प्रतिनिधिमंडल
तथा अनेक अधिकारियों सहित एक विशाल प्रतिनिधिमंडल के साथ भारत आए।
दोनों प्रधान मंत्रियों के बीच नियमित रूप से बैठकें होती रही हैं। भारत की अपनी राजकीय यात्रा से पूर्व उन्होंने 26 जून को टोरंटो में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भी अतिरिक्त समय में एक दूसरे से मुलाकात की।
मुझे स्मरण है कि विपक्ष का चुने जाने के तुरन्त बाद अक्तूबर, 2006 में भी डेविड कैमरून ने भारत का दौरा किया था और प्रधान मंत्री तथा अन्य नेताओं से मुलाकात की थी।
वर्ष 2004 में हमने युनाइटेड किंगडम के साथ सामरिक भागीदारी की स्थापना की थी जिसे प्रधान मंत्री डेविड कैमरून की जुलाई यात्रा के दौरान भविष्य के लिए संवर्धित भागीदारी के स्तर तक उन्नयित किया गया। राष्ट्रपति महोदया ने अक्तूबर, 2009 में युनाइटेड किंगडम का
राजकीय दौरा किया था। पिछले माह महामहिम प्रिंस ऑफ वेल्स, प्रिंस चार्ल्स ने राष्ट्रमंडल खेलों के लिए भारत का दौरा किया था।
आपको जानकारी होगी कि युनाइटेड किंगडम हमारे सबसे बड़े व्यापार भागीदारों में से एक है। वर्ष 2009-10 में सेवा क्षेत्र को छोड़कर हमारा द्विपक्षीय व्यापार लगभग 11 बिलियन अमरीकी डालर का रहा। 6 बिलियन अमरीकी डालर के समग्र निवेश के साथ युनाइटेड किंगडम भारत में चौथा
सबसे बड़ा निवेशक है। दूसरी ओर भारतीय कंपनियां भी युनाइटेड किंगडम में सक्रियता से निवेश कर रही हैं और भारत यूके में तीसरा और लंदन में दूसरा सबसे बड़ा निवेशक बनकर उभरा है। फिलहाल लगभग 600 कंपनियां यूके में कार्यरत हैं जिनमें से आधी लंदन हैं।
प्रधान मंत्री डेविड कैमरून की यात्रा के दौरान भारत-यूके सीईओ मंच की स्थापना किए जाने से संबंधित निर्णय को कार्यान्वित किया गया है और इस मंच की स्थापना की गई है। भारतीय पक्ष की ओर से इसके सहअध्यक्ष श्री रतन टाटा और ब्रिटिश पक्ष से इसके सहअध्यक्ष स्टैंडर्ड
बैंक के चयरमैन श्री पीटर सेंड्स हैं।
युनाइटेड किंगडम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का समर्थन करता रहा है और इसने अस्थाई सीट के लिए भी अपना बहुमूल्य समर्थन दिया जिसके चुनाव पिछले माह हुए हैं। दोनों प्रधान मंत्रियों ने जी-20 से जुड़े मुद्दों के अतिरिक्त दोहा दौर
तथा पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बात की।
मेरे विचार में प्रधान मंत्री जी की अपने समकक्षों के साथ हुई तीनों महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकों की खास बातें यही हैं।
प्रश्न: क्या आप भारत-यूके सीईओ मंच की संरचना में शामिल लोगों के नाम बता सकते हैं?
सरकारी प्रवक्ता: जी हां, बता सकते हैं।
प्रश्न: क्या आपका मतलब यह है कि आज की बैठकों के परिणामस्वरूप ही इस मंच को संक्रिय बनाने का निर्णय लिया गया।
सरकारी प्रवक्ता: जी, बिल्कुल नहीं। मैं आपको संक्षिप्त जानकारी दे रहा था क्योंकि डेविड कैमरून की यात्रा जुलाई में हुई थी और इस दौरान लिए गए विभिन्न महत्वपूर्ण निर्णयों में यह निर्णय भी शामिल था।
आप जानते हैं कि आर्थिक संबंध और भागीदारी हमारे द्विपक्षीय संबंधो की आधारशिला है। इसलिए इन संबंधों को गुणवत्ता प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया।
प्रश्न: यदि दुबारा जी-20 की बात करूं, तो आपने प्रधान मंत्री श्री कैमरून के साथ हुई चर्चाओं की बात की...।
सरकारी प्रवक्ता: प्रधान मंत्री और राष्ट्रपति दोनों।
प्रश्न: जी, हां। आपने कहा कि चर्चाओं के दौरान यह महसूस हुआ कि विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी के कारणों के संबंध में सर्वसम्मति नहीं है। क्या आप इसे विस्तार से बता सकते हैं?
सरकारी प्रवक्ता: मैं इतना ही समझ पाया हूँ। इस विषय पर विस्तृत ब्यौरे मेरे पास नहीं हैं।
प्रश्न: क्या इसका यह अर्थ है कि मुद्रा से जुड़े मुद्दों और वैश्विक मंदी पर प्रधान मंत्री का दृष्टिकोण ब्रिटेन और मैक्सिको के नजरिए से अलग है...?
सरकारी प्रवक्ता: मैं बैठक में मौजूद नहीं था। ये बैठकें लघु अवधि की थीं। प्रत्येक बैठक लगभग आधे घंटे की रही। मेरे पास जो जानकारी है, मैं उसे बताऊंगा। इस मामले पर मेरे पास इतनी ही जानकारी है।
प्रश्न: क्या मेरा अनुमान सही है?
सरकारी प्रवक्ता: अनुमान आपका है।
प्रश्न: प्रधान मंत्री जी इथोपिया और मैक्सिको कब जा रहे हैं?
सरकारी प्रवक्ता: ये आमंत्रण आज ही दिए गए हैं जिन्हें सहर्ष स्वीकार कर लिया गया है। पारस्परिक रूप से सहमत तारीखों का निर्णय हमेशा राजनयिक माध्यमों से लिया जाता है।
प्रश्न: आज हमारे प्रधान मंत्री ने इथोपिया के प्रधान मंत्री को बताया कि भारत इथोपिया में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोलने में अपना योगदान देगा और छात्रवृत्तियों की भी पेशकश करेगा। क्या आप बता सकते हैं कि ये छात्रवृत्तियां
शिक्षा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग में से किस क्षेत्र में दी जाएंगी?
सरकारी प्रवक्ता: क्षमता निर्माण और मानव संसाधन विकास भारत और अफ्रीका के बीच सहयोग के अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्रों में से एक है। हमारा आईटेक (भारतीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग) कार्यक्रम लगभग 50 वर्ष पुराना है।
यदि मैं सही स्मरण कर रहा हूँ, तो इसका शुभारंभ 1962 में किया गया था। आईटेक कार्यक्रम के अंतर्गत हम प्रतिवर्ष लगभग 6000 प्रशिक्षण स्लाट्स की पेशकश करते रहे हैं, जिसका पूरा खर्च भारत सरकार द्वारा किया जाता है। यह कार्यक्रम संपूर्ण विश्व में हमारे 155 भागीदार
देशों के लिए है। 6000 स्लाट्स में से एक तिहाई पारम्परिक रूप से अफ्रीका के लिए होता है। परन्तु भारत-अफ्रीका मंच शिखर सम्मेलन के दौरान क्षमता निर्माण प्रयासों में उल्लेखनीय वृद्धि करने का निर्णय लिया गया था। हमने 5 वर्ष की अवधि के लिए अफ्रीका के लिए 20,000
छात्रवृत्तियों की पेशकश की है।
ये छात्रवृत्तियां चिकित्सा, उच्च प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में हैं। इसके अतिरिक्त स्नात्कोत्तर स्तर पर रमण फेलोशिप भी प्रदान किया जाता है। हमने पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना भी शुरू की है जिसके दूसरे चरण का शुभारंभ पहले ही किया जा
चुका है। इसमें 35 से अधिक देश भाग ले रहे हैं। इस परियोजना के अंतर्गत हम दूर चिकित्सा और दूर शिक्षा जैसे कार्यक्रमों की पेश कर रहे हैं, जो अफ्रीकी भागीदारों के लिए अत्यंत उपयोगी साबित हुआ है।
प्रश्न: महोदय, कुछ मिनट पहले ही मैंने चीनी मंत्री का विचार सुना कि यदि अमरीका को सरदी होती है,
तो उन्हें चीनी दवाओं की मांग नहीं करनी चाहिए। आज जब हम जी-20 शिखर सम्मेलन में प्रवेश कर रहे हैं, तो ऐसा लगता है कि यह भी अमरीका और चीन के साथ जी-2 अथवा यदि जर्मनी को शामिल कर लें तो जी-3 बनता जा रहा है। इसलिए क्या आपको लगता है कि व्यापार असंतुलन और मुद्रायुद्ध
जैसे कठिन मुद्दों पर कोई नियत दृष्टिकोण नहीं अपनाने के कारण भारत हाशिये पर जा रहा है और सिर्फ अवसंरचना विकास तथा संरक्षणवाद से जुड़ी चिन्ताओं की रट लगा रहा है?
सरकारी प्रवक्ता: हम जी-20 को आर्थिक मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रधान मंच मानते हैं। विश्व की एक बड़ी और प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह, जो एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री भी हैं, के नेतृत्व में तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था
के रूप में भारत वाशिंगटन में आयोजित पहले जी-20 शिखर सम्मेलन से ही जी-20 प्रक्रिया में भाग लेता रहा है। भारत और भारत के प्रधान मंत्री इसमें रचनात्मक और सकारात्मक तरीके से भाग लेते रहे हैं। मैंने पहले ही आपको प्रधान मंत्री जी के विचारों की जानकारी दी है।
हम जी-20 प्रक्रिया में अपनी भागीदारी जारी रखेंगे। क्योंकि इसे वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाला प्रधान आर्थिक मंच माना गया है।
जिस प्रकार यह विश्व के अन्य देशों के लिए महत्वपूर्ण है, उसी प्रकार यह भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है।
प्रश्न: मैं इसी प्रश्न से आगे एक प्रश्न पूछना चाहूंगा। कल शेरपा ने हमें बताया था कि विज्ञप्ति पर कार्य किया जा रहा है। क्या विज्ञप्ति जारी किए जाने के संबंध में कोई प्रगति हुई है?
सरकारी प्रवक्ता: जी हां। इस पर कार्य किया जा रहा है। जैसे ही इसे अंतिम रूप दिया जाता है, हम आपको जानकारी देंगे।
प्रश्न: आज जी-20 में क्या हआ?
सरकारी प्रवक्ता: बैठकें की जा रही हैं। मैं तैयारी से जुड़ी बैठकों में भाग नहीं ले रहा हूँ। इन बैठकों में शेरपा और उपशेरपा भाग ले रहे हैं। उपयुक्त समय में कल हम इनमें से किसी एक सहभागी को आमंत्रित करेंगे, जो आपको जानकारी
देंगे।
प्रश्न: क्या आप बता सकते हैं कि प्रधान मंत्री जी शिखर सम्मेलन को कब संबोधित करेंगे?
सरकारी प्रवक्ता: मैं समझता हूँ कि उनका संबोधन कल दिन के पूर्वार्ध में होगा। जैसे ही समय और अन्य ब्यौरों की जानकारी मिलती है, हम आपको बताएंगे।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।
(समाप्त)
सियोल
11 नवंबर, 2010