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74 वें यूएनजीए के दौरान सार्क मंत्रिपरिषद (सीओएम) की अनौपचारिक बैठक में विदेश मंत्री का बयान

सितम्बर 27, 2019

नेपाल के माननीय विदेश मंत्री,
महामहिम,
सार्क के महासचिव,

सार्क विदेश मंत्रियों के लिए यूएनजीए के दौरान अनौपचारिक रूप से बैठक करना प्रथागत है और मुझे इस अवसर पर सम्मानित सहयोगियों से मिल कर बहुत प्रसन्नता हुई।

इस बैठक का एक महत्व यह है कि, यह हमारे सहयोग की स्थिति की समीक्षा करने का अवसर प्रदान करता है और पिछली बार की मुलाकात के बाद से हमने कितनी प्रगति की है।

मैं इस संबंध में उनकी विस्तृत रिपोर्ट के लिए महासचिव का आभारी हूं। भारत अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत पड़ोस की समृद्धि पर बहुत महत्व देता है और एैसे समय पर जब वह कार्यभार सौंप रहे हैं, उनकी सेवाओं और योगदान की सराहना करता है।

भारत दक्षिण एशियाई समुदाय के साथ अपनी आर्थिक, वैज्ञानिक और तकनीकी प्रगति के परिणाम साझा करने के लिए तैयार है और 18 वें सार्क शिखर सम्मेलन में हमारे प्रधान मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के कार्यान्वयन के लिए किए गए गंभीर प्रयासों से इसका प्रमाण मिलता है।

महामहिम,

दक्षिण एशियाई उपग्रह का उदाहरण शिक्षाप्रद है कि भारत किस तरह से उस पहल को अंजाम दे रहा है जो पड़ोस में समृद्धि लाती है। सार्क क्षेत्र में वैज्ञानिक समाधान के द्वारा गरीबी को दूर करने के इरादे से 2017 में दक्षिण एशिया उपग्रह प्रक्षेपित किया गया था जिसका स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा प्रतिक्रिया, मौसम पूर्वानुमान और संचार के विविध क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है। जैसा कि पिछली बैठक में वादा किया गया था, जिसमें सदस्य राज्यों को जमीनी नेटवर्क की स्थापना के लिए विशिष्ट आवश्यकताओं और उपयोग की योजनाओं को पूरा करने में सक्षम बनाने के लिए, 11 दिसंबर 2018 को नई दिल्ली में ईसरो द्वारा एक तकनीकी कार्यशाला का आयोजन किया गया था, जिसमें सभी भागीदार सार्क देशों के तकनीकी विशेषज्ञों ने भागीदारी की थी।

दक्षिण एशियाई विश्वविद्यालय (एसएयू) एक और उदाहरण है जहां भारत अकादमिक उत्कृष्टता के निर्माण में सक्रिय रहा है जिसका पीढ़ियों पर प्रभाव पड़ेगा। वर्तमान में एसएयू में 580 छात्र और 58 संकाय सदस्य हैं। अब तक, एसएयू ने 1174 छात्रों को, जिन्होंने विश्वविद्यालय से स्नातक किया है और क्षेत्र में संबंधित सदस्य देशों के विकास में बहुत योगदान दिया है, सम्मानित करने के लिए एक पुरस्कार समारोह के साथ तीन दीक्षांत समारोह आयोजित किए। भारत एसएयू के निर्माण के लिए 100% पूंजी लागत देने के लिए प्रतिबद्ध है और निर्माण कार्य चल रहा है।एसएयू की परिचालन लागत में भारत का भी एक बड़ा योगदान है।

मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई कि गुजरात में स्थापित सार्क आपदा प्रबंधन केंद्र (एसडीएमसी-अंतरिम इकाई) ने पिछले दो वर्षों में 350 से अधिक उम्मीदवारों को प्रशिक्षित किया है।

भारत ने पिछले सितंबर से कृषि और आपदा प्रबंधन पर 11 प्रशिक्षण कार्यक्रमों और कार्यशालाओं की मेजबानी की।

महामहिम,

क्षेत्रवाद ने दुनिया के हर कोने में जड़ें जमा ली है। अगर हम पिछड़ गए हैं, तो ऐसा इसलिए है क्योंकि दक्षिण एशिया में सामान्य व्यापार और कनेक्टिविटी नहीं है जो अन्य क्षेत्रों में हैं।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमने मोटर वाहन और रेलवे समझौतों जैसे कुछ कनेक्टिविटी पहलों के संदर्भ में कोई बढ़त नहीं बनाई है। इसी तरह, भारत द्वारा शुरू किए गए सार्क क्षेत्रीय हवाई सेवा समझौते पर भी कोई प्रगति नहीं हुई है।

पिछले वर्ष की कई अन्य सफलता की कहानियां हैं। इसमें हमारे सार्क साझेदार देशों के लिए नैशनल नालेज नेटवर्क (एनकेएन) का विस्तार शामिल है। श्रीलंका और बांग्लादेश में एनकेएन का विस्तार पूरी तरह से लागू हो गया है, भूटान के एनकेएन विस्तार का उद्घाटन हमारे प्रधान मंत्री ने 17 अगस्त 2019 को किया था।

महामहिम,

भारत 18 वें शिखर सम्मेलन में हमारे प्रधान मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं पर भी कार्य कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, हम प्रत्येक सार्क देश के एक गाँव के सौर विद्युतीकरण पर कार्य कर रहे हैं और हमें अपने सदस्य देशों से सकारात्मक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा है।

महामहिम,

हमारी वास्तव में सिर्फ छूटे हुए अवसरों की कहानी नहीं है, बल्कि जानबूझकर आने वाली बाधाओं की भी है। आतंकवाद उनमें से एक है।

हमारे विचार में, अपने सभी रूपों में आतंकवाद का उन्मूलन न केवल फलदायी सहयोग के लिए, बल्कि हमारे क्षेत्र के अस्तित्व के लिए भी एक पूर्व शर्त है।

मैं 2014 में काठमांडू में अपने नेताओं के बयान को दोहराता हूं, जहां उन्होंने आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक कानून बनाने के माध्यम से आतंकवाद के दमन पर सार्क क्षेत्रीय सम्मेलन के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कहा। सार्क की प्रासंगिकता आतंकवाद के खिलाफ इन कार्यों द्वारा निर्धारित की जाएगी और इससे भविष्य के हमारे सामूहिक प्रयासों के और अधिक उत्पादक बनने का मार्ग तय होगा।

न्यूयॉर्क
सितंबर 26, 2019



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