अध्यक्ष महोदय,
महामहिम,
भाइयो और बहनो,
1. भारत बहुपक्षवादी गुट में शामिल होकर प्रसन्नता का अनुभव करता है और फ्रांस तथा जर्मनी की पहलों की प्रशंसा करता है। हम ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारी धारणा है कि बहुपक्षवाद का महत्त्व है, वास्तव में महत्त्व है और यह राष्ट्रवाद तथा वणिकवाद से अत्यन्त तनावग्रस्त
है। वैश्विक माल की कमी पर किंडलबर्गर का जाल थूसीडाइड्स के जाल से अधिक गम्भीर है। चुनौतियाँ वैश्विक हैं किन्तु हम व्यापक तौर पर राष्ट्रीय स्तर पर इसका सामना करते रहेंगे।
2. किन्तु राष्ट्रवाद ऐसा नहीं होना चाहिए। भारत में हम अपनी परम्पराओं पर गर्व करते हैं और अपने भविष्य के प्रति आश्वस्त हैं। किन्तु साथ ही हम अन्तर्राष्ट्रवाद के प्रति भी पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हैं। वास्तव में विश्व को परिवार मानना हमारी धारणा है। व्यापक अन्तर्राष्ट्रीय
प्रतिबद्धताओं को जनता का समर्थन प्राप्त है। और यह अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है जैसा कि हमारे बजट में परिलक्षित होता है। और संयुक्त राष्ट्र में हमारी गतिविधियों में यह अधिक स्पष्ट है।
3. अन्तर्राष्ट्रीय सम्बन्धों के प्रति संयुक्त राष्ट्र की तथा विश्व व्यापार संगठन की अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रति केन्द्रीयता को महत्त्व दिया जाना चाहिए, संरक्षित करना चाहिए और सुरक्षित करना चाहिए। अन्तर्राष्ट्रीय कानून का अनुपालन भी महत्त्वपूर्ण है। किन्तु
यदि प्रशासनों तथा संस्थानों को विश्वसनीय बनाना है तो उन्हें समकालीन होना चाहिए। समान रूप से महत्त्वपूर्ण नये मुद्दे सामने आयेंगे जिसके लिए नये नियमों एवं कार्यक्रमों की आवश्यकता होगी। भारत को दोनों अर्थात सौर संगठन और आपदा लोच अवसंरचना के साथ जुड़ने का गर्व
है।
यहाँ पर हमारी उपस्थिति बहुपक्षवाद की शक्ति प्रदर्शित करती है। इसकी नीतियों के क्रियान्वयन पर हमें भरोसा करना है। आप सभी को बहुत-बहुत धन्यवाद।
न्यूयार्क
सितम्बर 26, 2019