आधिकारिक प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : मित्रों, नमस्कार। ह्यूस्टन के प्रधानमंत्री की ऐतिहासिक यात्रा के बाद न्यूयॉर्क में पहला दिन बहुत व्यस्त रहा। इसमें बहुपक्षीय और द्विपक्षीय बैठकों का संयोजन था और यदि मैं आपको यह समझ
सकता हूं कि आज जो कुछ हुआ वो यह है कि प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र से संबंधित तीन बैठकों में भाग लिया। पहला संयुक्त राष्ट्र शिखर सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर था। हम भाषण की एक प्रति और प्रैस विज्ञप्ति आप सभी के साथ साझा की है। दूसरा यूनिवर्सल स्वास्थ्य
कवरेज पर उच्च स्तरीय बैठक थी। हमने भाषण और प्रेस विज्ञप्ति की प्रतियां पुन: साझा की है और शाम को प्रधानमंत्री ने आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों के प्रति रणनीतिक प्रतिक्रिया पर राजनेता वार्ता में भाग लिया था।
प्रधानमंत्री ने दिन भर कतर के अमीर, नाइजर के राष्ट्रपति, इटली के प्रधानमंत्री, यूनिसेफ के कार्यकारी निदेशक, नामीबिया के राष्ट्रपति और मालदीव के राष्ट्रपति के साथ छह द्विपक्षीय बैठकें भी कीं। लेकिन, प्रधानमंत्री की सहभागिताओं के अलावा हमारे पास इस शहर में विदेश
मंत्री और विदेश राज्य मंत्री भी हैं। विदेश मंत्री की 11 द्विपक्षीय बैठकें हुई थीं और मैं यात्रा करने वाले देशों की सूची है ईरान, पोर्ट दा वो, गुयाना, बुल्गारिया, तुर्की, नीदरलैंड, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, इक्वेटोरियल गिनी और संयुक्त अरब अमीरात।
उन्होंने अफगानिस्तान पर अमरीका के विशेष दूत के साथ भी बैठक की। ताजिकिस्तान द्वारा आयोजित सीआईसीए नाश्ते की बैठक में आज सुबह राज्य मंत्री ने भाग लिया। अत: कुल मिलाकर हम पूरे दिन में प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री और राज्यमंत्री के बीच लगभग 20-25 वार्ताएं करेगें।
तो उनके लिए बैठकों की व्यस्तता काफी अधिक है। मेरे साथ सचिव (पश्चिम) हैं जो आप सभी को संयुक्त राष्ट्र से संबंधित कार्यों के बारे में जानकारी देंगे और फिर मैं आपको यह बताने के लिए वापस आऊंगा कि प्रधानमंत्री की बैठकों में क्या हुआ। मेरे पास संजय राणा भी हैं
जो संयुक्त सचिव (यूएनपी) हैं और उनके बयान के बाद हम सदन से कुछ प्रश्न आमंत्रित करेगें। महोदय, आपकी बारी है।
सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश शर्मा : आप सभी को नमस्कार और इस ब्रीफिंग में आपका स्वागत है। आज संयुक्त राष्ट्र की यात्रा का पहला दिन था और प्रधानमंत्री ने जलवायु कार्रवाई शिखर सम्मेलन में भाग लिया था और वास्तव में वे शिखर
सम्मेलन में प्रमुख वक्ताओं में से एक थे। भारत और स्वीडन सह-नेताओं के रूप में औद्योगिक संक्रमण ट्रैक का हिस्सा हैं। प्रधानमंत्री ने अपनी प्रस्तुति में जलवायु मुद्दे से निपटने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को बढ़ाने की दिशा में भारत के व्यावहारिक दृष्टिकोण
और रोडमैप पर जोर दिया।
उनके भाषण में बहुत रुचि के साथ सुना गया था। उन्होंने जैव ईंधन, संपीड़ित बायोगैस पर बढ़ते ध्यान और बिजली गतिशीलता को बढ़ाने पर प्रकाश डाला। अन्य पहलों के बारे में उन्होंने कहा था कि रसोई गैस स्वच्छ है जिसका परिवारों और महिलाओं और बच्चों के लाखों लोगों पर असर
पड़ा है। उन्होंने जल संकट की स्थिति को हल करने के उद्देश्य से जल संरक्षण के लिए जल शक्ति अभियान के बारे में भी बात की। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने निजी क्षेत्र और सरकारों को प्रौद्योगिकी नवाचार के क्षेत्र में सहयोग करने और न्यून कार्बन प्रौद्योगिकियों और
प्रक्रियाओं के विकास की आवश्यकता के बारे में बात की। उन्होंने इस संदर्भ में एक नेतृत्व समूह शुरू करने का प्रस्ताव किया जिससे सरकारों और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करने के लिए इस प्रकार का प्रोत्साहन मिलेगा।
उन्होंने एक विषय पर भी बात की जो फिर से तेजी से प्रासंगिक और महत्वपूर्ण होता जा रहा है और यह एकल उपयोग प्लास्टिक के उपयोग को समाप्त करने के भारत के निर्णय के बारे में है जिसका वैश्विक प्रभाव पड़ेगा। प्रधानमंत्री ने आपदा रेसिलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए गठबंधन
शुरू करने की घोषणा की जिसका उद्देश्य देशों को अपने स्वयं के बुनियादी ढांचे की आपदा को लचीला बनाने में सहायता करना है और इस गठबंधन में शामिल होने के लिए देशों को आमंत्रित करना है।
यह रुचिकर है और महत्वपूर्ण है जब हम जलवायु मुद्दे के बारे में बात कर रहे हैं। भारत ने वास्तव में संयुक्त राष्ट्र के निर्माण की छत पर ही रूफटॉप सौर पैनलों स्थापित करने के लिए एक परियोजना हेतु योगदान दिया है। इसलिए अक्षय ऊर्जा यहीं संयुक्त राष्ट्र परिसर में है
जो मिलियन डॉलर की लागत से शुरू होती है। भारत ने इस परियोजना को वित्त पोषित किया है और केवल यह उल्लेख करने के लिए है कि यह औपचारिक रूप से कल महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के अवसर पर स्मारक समारोह में उद्घाटन किया जाएगा। यह कार्यक्रम संयुक्त राष्ट्र परिसर में
आयोजित किया जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर पहली बार संयुक्त राष्ट्र महासभा की उच्च स्तरीय बैठक में भी भाग लिया। उन्होंने सस्ती स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने के लिए आयुष भारत पहल के बारे में बात की। आप जानते जानते होंगे कि यह विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा
योजना है जिसके अंतर्गत 500 मिलियन व्यक्ति प्रतिवर्ष 5 लाख रुपये तक के मुफ्त उपचार का लाभ उठा सकते हैं और विशेष दवाईयों को सस्ती कीमतों पर दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सुविधा भी है।
जैसाकि आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री जी ने उच्च स्तरीय दर्शकों के सम्मुख इसका उल्लेख किया है और इसे संसूचित किया है क्योंकि यदि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज पर कोई चर्चा होती है तो इस प्रकार की एक योजना बहुत ही विशेष प्रासंगिकता है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय
पोषण कार्यक्रम के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने 2030 के वैश्विक लक्ष्य से पांच साल पहले 2025 तक तपेदिक को खत्म करने की भारत की प्रतिबद्धता का उल्लेख किया। उन्होंने गुणवत्तायुक्त चिकित्सा बीमा और चिकित्सा अवसंरचना विकास सुनिश्चित करने की आवश्यकता के बारे
में भी बात की। इसलिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज खंड के बारे में संक्षेप में उन्होंने बताया कि भारत ने वास्तव में कई व्यावहारिक उपाय किए हैं और हमारे पास बहुत महत्वपूर्ण लक्ष्य भी हैं जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करने के इस वैश्विक लक्ष्य पर अत्यधिक
प्रभाव डालेंगे। भारत अपने व्यापकता और परिमाण सहित अभिव्यक्ति करता है जो इस वैश्विक अभियान को निश्चित रूप से सही दिशा में ले जाएगा।
दोपहर में, प्रधानमंत्री मोदी ने राजनेताओं की चर्चा में भाग लिया और आतंकवादियों और हिंसक चरमपंथियों के प्रति रणनीतिक प्रतिक्रियाओं पर चर्चा की। यह ऑनलाइन आतंकवादी और हिंसक उग्रवादी सामग्री को खत्म करने के लिए कार्रवाई करने के लिए क्राइस्ट चर्च के अनुसरण के बारे
में था। भारत ने साइबर स्पेस को उन सामग्री से साफ करने के लिए क्राइस्ट चर्च घोषणा का समर्थन किया है जो आतंकवाद, नफरत और हिंसा को बढ़ावा देते हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं।
मित्रों, मैं आपको यह बताना चाहूंगा कि भारत के बढ़ते कद और सुदृढ़ लोकतांत्रिक साख तेजी से बहुपक्षीय रूप से गूंजती हैं और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन का उद्घाटन वक्तव्य इसका सटीक उदाहरण हैं, जिसकी उन्होंने सराहना की। क्राइस्ट चर्च घोषणा के साथ भारत का
सहयोग विशेष रूप से एक लोकतंत्र है जो एक अरब से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करता है।
मैं दोहराना चाहूंगा कि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने अपने प्रारंभिक वक्तव्य में एक अरब से अधिक लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले लोकतंत्र के रूप में क्राइस्ट चर्च घोषणा के साथ भारत के सहयोग की सराहना की। उन्होंने उल्लेख किया कि यह नए स्तर पर पूरी पहल
है और यह उग्रवादी और आतंकवादी सामग्री और ऑनलाइन तकनीकों के उपयोग से निपटने की दिशा में एक बड़ी कार्रवाई है।
अपने हस्तक्षेप में प्रधानमंत्री मोदी ने द्विपक्षीय और क्षेत्रीय ढांचे के माध्यम से चल रहे सहयोग और खुफिया सूचनाओं के आदान-प्रदान में गुणात्मक उन्नयन का आह्वान किया। उन्होंने बहुपक्षीय स्तर पर आतंकवाद से निपटने में सहयोग को संस्थागत बनाने का सुझाव दिया। उन्होनें
कहा कि भारत इस क्षेत्र में मित्र देशों की क्षमता निर्माण में चल रहे सहयोग को बढ़ाने की दिशा में काम करेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवादियों को धन और हथियार नहीं मिलने दिया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए हमें संयुक्त राष्ट्र लिस्टिंग और एफएटीएफ की तरह की घटनाओं के राजनीतिकरण से बचने की आवश्यकता है। इन तंत्रों को लागू और सुदृढ़ किए जाने की आवश्यकता है। भारत के
अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक मूल्य, विविधता और समावेशी विकास आतंकवाद, उग्रवाद और कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाली विचारधाराओं के खिलाफ सबसे महत्वपूर्ण हथियार हैं।
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता और तत्परता का भी आह्वान किया, जैसीकि दुनिया ने जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों के खिलाफ एकजुटता दिखाई है। उन्होनें कहा कि विश्व में कहीं भी आतंकवादी हमले को आतंकवाद माना जाना चाहिए न कि अच्छे या बुरे आतंकवाद
पर।
मित्रों, संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री की उपस्थिति के पहले दिन का यह अवलोकन है। और एक बार फिर पुनरावृति करनी है कि लोकतंत्र और एक प्रमुख प्रभावशाली देश के रूप में भारत के उभरते स्वरूप में उन्होंने तीनों घटनाओं का बहुत दृढ़ता से उल्लेख किया है। धन्यवाद।
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : बहुत बहुत धन्यवाद महोदय। मैं आपको उन छह द्विपक्षीय बैठकों के बारे में बताऊंगा जिनमें प्रधानमंत्री ने भाग लिया है। आप जानते हैं कि ये अलग-अलग बैठकें हैं और मैं इस बात को रेखांकित करना चाहूंगा
कि विषय के प्रत्येक पहलू पर विस्तृत चर्चा करना संभव नहीं है। द्विपक्षीय एजेंडे पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
पहली बैठक कतर के अमीर के साथ हुई थी। दोनों देशों के बीच नियमित आदान-प्रदान और दौरे हो रहे हैं। अमीर ने देश की अर्थव्यवस्था को समर्थन देने में अपनी भूमिका के लिए भारतीय मूल के लोगों के प्रति आभार व्यक्त किया। क्षेत्र की स्थिति की पृष्ठभूमि में आतंकवाद से निपटने
के लिए सहयोग पर भी कुछ चर्चा हुई।
दूसरी बैठक नाइजर के राष्ट्रपति के साथ हुई। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने कुछ वर्ष पहले आईएसए शिखर सम्मेलन के अवसर पर नाइजर के राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। हमने निमाई में महात्मा गांधी कन्वेंशन सेंटर के निर्माण के लिए 35 मिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की है।
परियोजना पूरा होने वाली है। नाइजर के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को उद्घाटन समारोह में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के राजनयिक माध्यमों से इस मामले पर संपर्क करना चाहिए।
नाइजर के राष्ट्रपति ने सौर ऊर्जा के क्षेत्र में सहयोग का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि इन दोनों क्षेत्रों में भारत के पास बहुत अनुभव है और इस बारे में कुछ चर्चा हुई कि इसे आगे कैसे आगे बढ़ना है। प्रस्ताव यह आया कि इस क्षेत्र की जांच करने के लिए एक कार्यबल
स्थापित किया जा सकता है। और आतंकवाद-रोधी सहयोग पर भी चर्चा हुई। आतंकवाद के साझा खतरे का सामना करते हुए दोनों देशों के बीच स्थिति में समन्वय और सहयोग करने की आवश्यकता महसूस की गई।
इटली के प्रधानमंत्री के साथ प्रधानमंत्री ने उनके पुन: सत्तारूढ़ हाने पर उन्हें बधाई दी। आप जानते हैं कि उन्होंने पिछले वर्ष भारत का दौरा किया था और चर्चा का मुख्य केन्द्र मूल रूप से उनकी यात्रा के दौरान हुई समझ के अनुसरण में था। सहयोग मुख्य क्षेत्र था जिस
पर चर्चा की गई थी हम व्यापार का विस्तार कैसे कर सकते हैं, हम द्विपक्षीय निवेश को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं। प्रधानमंत्री ने इटली के एसएमई, इतालवी कंपनियों को भारत में कम लागत वाले उत्पादन का उपयोग करने और भारत में निवेश करने और मेक इन इंडिया पहल करने के लिए आमंत्रित
किया। रक्षा सहयोग पर भी कुछ चर्चा हुई थी, लेकिन इसे महत्व नहीं दिया गया।
चौथी बैठक यूनिसेफ के निदेशक के साथ हुई। हमने यूनिसेफ के साथ सहयोग के 70 वर्ष पूरे कर लिए हैं। प्रधानमंत्री ने भारत सरकार की कुछ पहलों पर प्रकाश डाला जो बच्चों का समर्थन कर रही है। उदाहरण के लिए उन्होंने जन-जीवन सुरक्षा के बारे में उल्लेख किया था। उन्होंने इन्द्रधनुष
के बारे में बात की जो निवारक स्वास्थ्य पर लक्षित कार्यक्रम है। यह टीकाकरण पर है। उन्होंने पोषणके बारे में भी उल्लेख किया जिसमें बच्चों में पोषण पर बहुत अधिक ध्यान दिया गया है। पांचवीं बैठक नामीबिया के राष्ट्रपति के साथ हुई। फिर अधिकतर द्विपक्षीय सहयोग पर ध्यान
केंद्रित किया गया। नामीबिया के राष्ट्रपति ने उस देश में सूखे के दौरान भारत द्वारा दी गई सहायता के लिए प्रधानमंत्री का धन्यवाद किया।
और यहां आने से ठीक पहले पिछली बैठक मालदीव के राष्ट्रपति के साथ हुई थी। आप जानते हैं कि प्रधानमंत्री ने मालदीव को दूसरे कार्यकाल के लिए दोबारा चुने जाने के बाद मालदीव की यात्रा को पहले देश के रूप में चुना। विकास सहयोग की प्रगति, मालदीव में चल रही कई परियोजनाओं
पर चर्चा की गई। क्रिकेट में सहयोग पर भी चर्चा हुई थी। भारत में मालदीव के क्रिकेटरों को प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव है और यह प्रशिक्षण वास्तव में अगले महीने अक्तूबर में शुरू होने जा रहा है और मालदीव में होने वाले क्रिकेट स्टेडियम के बारे में भी चर्चा हुई। हमने
उनसे एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट मांगी ताकि भारत इस परियोजना पर विचार कर और इस पर भावी कार्रवाई के बारे में निर्णय ले सके।
अत: ये छह द्विपक्षीय बैठकें हैं। मैं कल के कार्यक्रम के बारे में संक्षेप में आपको बताऊंगा और तत्पश्चात् आपके प्रश्नों के उत्तर देगें।
हम 12:15 बजे अमरीकी राष्ट्रपति के साथ द्विपक्षीय बैठक के साथ प्रारंभ हैं। 15:30 बजे हमारी भारत-प्रशांत नेता के साथ बैठक है। 16:30 बजे हम गांधी की 150वीं जन्मशति है और कल का अंतिम कार्यक्रम बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन द्वारा गोलकीपर वैश्विक लक्ष्य 2019 पुरस्कार
है जो 20:10 बजे आयोजित किया जाएगा।
तो यह कल के कार्यक्रम है और अब यदि आप में से कोई भी प्रश्न करता तो हमें प्रसन्नता होगी।
प्रश्न: यदि मैं प्रात: सुबह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की टिप्पणियों का उल्लेख कंरू, तो उन्होंने वास्तव में तीन बार कहा था, कल प्रधानमंत्री मोदी के बयान का जिक्र करते हुए 'आक्रामक'
शब्द का प्रयोग किया था और उन्होंने कहा कि वे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए वक्तव्य में इसकी आशा नहीं कर रहे थे। मैं सोच रहा था कि क्या आपके पास उसके प्रति कोई प्रतिक्रिया थी अथवा केवल एक स्पष्टीकरण था प्रधानमंत्री ने आज सत्र के दौरान अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद
पर व्यापक सहयोग का उल्लेख किया क्योंकि हमने सीसीआईटी का उल्लेख नहीं किया था।
संयुक्त सचिव (यूएनपी), श्री संजय राणा : यह भाषण में है, सही वाक्यांश नहीं बल्कि बहुपक्षीय मंच में है।
प्रश्न: राष्ट्रपति ट्रम्प ने आज एक बार फिर कहा कि यदि भारत और पाकिस्तान सहमत हों तो वे कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं।
सचिव (पश्चिम) श्री ए गीतेश शर्मा : प्रधानमंत्री और अमरीकी राष्ट्रपति के बीच कल एक बैठक होगी, इसलिए हमें बैठक की प्रतीक्षा करनी चाहिए।
प्रश्न: प्रधानमंत्री ने छह द्विपक्षीय बैठकें कीं और विदेश मंत्री की 11 द्विपक्षीय बैठकें हुई। यद्यपि हमने कहा है कि प्रधानमंत्री कम से कम अभी संयुक्त राष्ट्र महासभा के भाषण में कश्मीर के बारे में बात नहीं करेंगे, लेकिन
क्या प्रश्न थे, क्या स्पष्टीकरण मांगा गया था, क्या यह बातचीत प्रधानमंत्री के वार्ताकारों और विदेश मंत्री दोनों के बीच हुई थी। मेरा दूसरा प्रश्न अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में आतंकवाद पर सामरिक सत्र के बारे में है, क्या यह पुन: सुधारवाद के संबंध में है अथवा या
कुछ और है जो किसी संयुक्त कार्यक्रम में परिणत हुआ अथवा क्या यह केवल मुख्य रूप से एक प्रकार की अन्वेषणात्मक प्रक्रिया थी?
सचिव (पश्चिम), श्री ए जीतेश शर्मा : ठीक है, आतंकवाद की ओर क्राइस्ट चर्च की पहल जो एक विकसित क्षेत्र है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें ऑनलाइन सामग्री का पर्यवेक्षण इस तरह से किया जाता है कि उग्रवादी और आतंकवादी प्रवृत्तियों
को इस प्रकार की सामग्री का प्रसार करने का माध्यम न मिलें। इसलिए यह एक बार में नहीं हो सकता। लेकिन मैं समझता हूं कि भारत की उपस्थिति विशेष रूप से एक बड़े आईटी राष्ट्र और एक लोकतांत्रिक देश के रूप में होने का पुरजोर स्वागत किया गया।
तो यह विकास की प्रक्रिया में है। इसमें समय लगेगा। कई मुद्दे हैं जो इसमें शामिल हैं। डिजिटल कार्यक्षेत्र में आप स्वतंत्रता के बीच और पर्यवेक्षण के बीच जागरूक हैं। वहाँ एक संतुलन होना चाहिए। तो मुझे लगता है कि हम इतनी जल्दी एक घोषणा की आशा नहीं करते है, लेकिन
मुझे लगता है कि यह सही दिशा में बढ़ रहा है.
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : मैंने उल्लेख किया था कि चर्चा का मुख्य उद्देश्य द्विपक्षीय संबंध था। लेकिन हां, कुछ बैठकों में इस क्षेत्र की स्थिति सामने आई। आप जानते हैं कि जम्मू और कश्मीर की स्थिति के संबंध में हमने
विभिन्न स्तरों पर कई देशों के साथ संबंध बनाए हैं। लेकिन बैठक की प्रकृति को देखते हुए मुख्य रूप से द्विपक्षीय संबंधों पर ध्यान केंद्रित किया गया।
प्रश्न: श्री सरमा, यदि मैं मध्यस्थता पर इस फ्लिप-फ्लॉप के प्रश्न पर दबाव डाल सकता हूं। निश्चित रूप से, विदेश मंत्रालय ने इस पर अधिक विचार किया है कि ट्रम्प मध्यस्थता का प्रश्न उठाते रहते हैं। इसलिए कल की द्विपक्षीय बैठक
से इसका समाधान नहीं होगा क्योंकि ऐसा लगता है कि वे इससे पलट रहे हैं। आप इसे कैसे देखते हैं?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : आप देखिए, सचिव की प्रतिक्रिया कुछ विचार करने के बाद है। आप अपनी स्थिति के बारे में जानते हैं। हमने विगत में इसके बारे में उल्लेख किया है। लेकिन मेरा अनुरोध कल बैठक के लिए आयोजित करने का
होगा क्योंकि मुझे लगता है कि यह बहुत दूर नहीं है और इसके बाद तुरंत एक ब्रीफिंग आयोजित करने की हमारी मंशा हैं जहां इस विषय पर आपके पास जो भी प्रश्न हैं, उनका उत्तर दिया जाएगा।
प्रश्न:………… अश्रव्य……..
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : नहीं, मुझे लगता है कि आप प्रारूप जानते हैं और यह कैसे होता है। बैठक की शुरुआत में आम तौर पर कुछ सवाल हैं जो दोनों नेताओं द्वारा उठाए जाते हैं।
प्रश्न: क्या आप मीडिया के कुछ लोगों को अपने साथ रखेगें?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : हम इस पर कार्य कर रहे हैं। आप जानते हैं कि हमारे पास अभिगम्यता का प्रतिबंध हैं।
प्रश्न क्रमश: दूरदर्शन के अलावा।
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : हम इसे हल करने का प्रयास कर रहे हैं क्योंकि यहां संख्या बहुत बड़ी है। इसलिए हमें यह देखना होगा कि इस बारे में क्या किया जाए।
प्रश्न: कल की बैठक की संरचना क्या होगी, व्यापार मंत्री या व्यापार सचिव का प्रतिनिधित्व करेंगे क्योंकि हाउडी कार्यक्रम में उन्होंने संकेत दिया है कि वे व्यापार के लंबित मुद्दों के बारे में बात करेंगे?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : हमें यह नहीं बताना चाहिए कि क्या होने जा रहा है। प्रतिनिधिमंडल का मानक स्वरूप है, लेकिन मुझे लगता है कि इस पर थोड़ा रुक जाएं। मुझे लगता है कि द्विपक्षीय बैठक से संबंधित सभी प्रश्नों
का उत्तर उसके बाद दिया जाएगा।
प्रश्न: प्रधानमंत्री ने कुछ महीने पहले सभी राजनेताओं को आतंकवाद पर वैश्विक सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था। क्या उन्होंने राजनेताओं की चर्चा में इस मुद्दे का उल्लेख किया था या क्या उन्होंने इस मुद्दे को अन्य राजनेताओं के
साथ उठाया था?
सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश शर्मा : हां, आतंकवाद पर वैश्विक सम्मेलन का उल्लेख किया गया था। उन्होंने कुछ महीने पहले, जैसा कि आपने कहा, यह कुछ ऐसा है जिसका उन्होंने उल्लेख किया है। इसलिए उन्होंने इसका संदर्भ दिया लेकिन कुछ
कार्य किया जाना है जिसे साकार करने की दिशा में किया जाना है, इसलिए हम इस उद्देश्य के लिए मैत्रीपूर्ण देशों के साथ कार्य करते हैं।
प्रश्न:…………. अश्रव्य ………..
सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश शर्मा : इसे सही दिशा में जाने के लिए बहुत सावधानी से किया जाना चाहिए ताकि मेरा मानना है कि हम इसके लिए तैयारी कर रहे हैं।
प्रश्न: आपने अभी-अभी उल्लेख किया है कि प्रधानमंत्री जी ने कहा था कि संयुक्त राष्ट्र की सूची का कोई राजनीतिकरण या एफएटीएफ के बारे में नहीं होना चाहिए। क्या यह एक विशिष्ट देश के लिए संदेश है, जो यह उल्लेख करते रहे हैं कि
भारत उन्हें काली सूची में डालने का प्रयास कर रहा है?
सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश शर्मा : ठीक है, मेरा संदेश यह है कि आतंकवाद एक वैश्विक मुद्दा है और हमें हाथ मिलाकर इसका मुकाबला करने की आवश्यकता है। मुझे लगता है कि राजनीतिक संदेश यह है कि स्वयं को संभवत: यह गलत तरीके से
देख रहा है आकर्षित लगता है। वे यह संदेश देने का प्रयास कर रहा है कि कोई भी देश आतंक के खतरे से मुक्त नहीं है, इसलिए हम सभी को एक साथ काम करना हैं और हम इस तरह के आतंक या उस तरह के आतंक के बीच अंतर नहीं करते तो वे वास्तव में कह रहे है कि हम बिल्कुल राजनीतिक
तरीके में नहीं जाकर हमें आतंकवाद को समझने और उससे निपटने के बारे में सोच-विचार करना चाहिए।
प्रश्न: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् की सीट के लिए एक समूह चार बना था । तो उस पर क्या अद्यतन स्थिति है और दूसरा यह कि प्रधानमंत्री के इस दौरे में उस पर क्या प्रधानमंत्री बोलेगें,
प्रकाश डालेगें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में जो स्थाई सीट को लेकर जो बात है उस पर कही कोई चर्चा है अथवा इस पर कोई बात हुई है?
सचिव (पश्चिम), श्री ए गीतेश शर्मा : संयुक्त राष्ट्र सुधार पर भी काम चल रहा है। थोड़ा सा उस पर और देशों के साथ भी बातचीत चल रही है। अंतर-सरकारी प्रक्रिया भी है लेकिन यह समझना कि कुछ दिनों में यह हो जाएगा पर हम लोग जी4
के माध्यम से इसको आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। बहुत से देश हैं जो इस पर सहमत है कि जो आज का संयुक्त राष्ट्र है उसमें कुछ खामियां हैं क्योंकि 1945 में जब इसकी स्थापना हुई थी और आज के विश्व में फर्क है, वो काफी हद तक बदल चुका है। तो वो सहमति है लेकिन
किस तरह से सुधार करना है, लक्ष्य तक पहुंचना है, इस सब पर अभी सहमति बनाना बाकी है। जैसे भी विस्तार हो सुरक्षा परिषद् का तो हमारी आशा है कि भारत के लिए जरूर विस्तारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में एक जगह तो होना आवश्यक है खासकर हमारा जो, एक तो हमारी
जनसंख्या को देखते हुए और हमारी जो सक्षमता भी है, औद्योगिक, आर्थिक। तो हम तो यही आशा करते है कि जो जी4 के साथ हम जो काम कर रहे हैं, और देशों के साथ भी हम बात कर रहे हैं, कई देश समर्थन करते है भारत का इस मामले में। तो जब सही दिशा में जाएगा तो जरूर पहुंचेगापर
इस वक्त समय के बारे में बात करना थोड़ा सी जल्दी होगी। संयुक्त राष्ट्र प्रक्रियाएं जारी है इस पर, इतना आश्वासन देते हैं आपकों।
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : इस बारे में केवल एक जोड़ना चाहूंगा कि 25 तारीख को जो जी4 विदेशमंत्रियों की बैठक होगी जो हर वर्ष होती है, उसमें इस मामले में सामान्यत: जो विचारों का आदान-प्रदान होता है वो होगा।
प्रश्न: प्रधानमंत्री जब 27 तारीख को महासभा को संबोधित करेगें तो पाकिस्तान भारत के बाद में बोलना। तो क्या राईट टू रिप्लाई में भारत उसका उसी दिन जवाब देगा?
सचिव (पश्चिम) श्री ए गीतेश सरमा : मुझे लगता है कि इस विषय पर आज बात करना सही नहीं है लेकिन जब हम अपना वक्तव्य देते है तो मेरे ख्याल से वो किसी एक देश पर केंद्रित नहीं है, हमारा वैश्विक दृष्टिकोण है जो अंतर्राष्ट्रीय
मामलों पर तो हम तो वही सामने रखेगें जो प्राय: होता है। अगर आप सोच रहे है कि किसी एक देश पर केंद्रित रहेगा ऐसा कहना या सोचना या अपेक्षा करना मेरे ख्याल से सही नहीं होगा।
प्रश्न: विदेश मंत्री की बैठकों पर कुछ प्रश्न। पहला अफगानिस्तान पर अमेरिकी के साथ। मुझे लगता है कि वार्ता समाप्त होने के बाद पहली बातचीत हुई थी क्या अमेरीका द्वारा लिए गए उस विशेष निर्णय के निहितार्थों पर चर्चा हुई थी।
दूसरा, तुर्की पर, क्या उनके वक्तव्यों पर कश्मीर मुद्दे पर चर्चा हुई थी जो अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद आए हैं और तीसरा, क्या कतर के साथ कश्मीर के मुद्दे पर चर्चा थी?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : मेरे पास विदेश मंत्री की बैठकों का ब्यौरा नहीं है, क्योंकि मैं बैठकों में उपस्थित नहीं था। मैं कतर के साथ बैठक में उपस्थित था जैसा कि मैंने उल्लेख किया था कि आतंकवाद का मुकाबला करने और
क्षेत्रीय स्थिति की पृष्ठभूमि में कुछ चर्चा हुई थी। मैं वास्तव में किस हद तक प्रत्येक विषय और किस बात पर चर्चा की गई थी, निर्दिष्ट करना पंसद नहीं करूंगा। विदेश मंत्री ने ट्वीट किया है और मुझे लगता है कि बैठकों में अधिकांश जो चर्चा हुई है उसे सांझा किया है।
मैं समझता हूं कि कतर के साथ पुन: द्विपक्षीय संबंधों पर मुख्य रूप से ध्यान केंद्रित किया गया था। लेकिन जब भी मुझे इन सभी बैठकों के बारे में अधिक जानकारी मिलती है, वे व्यस्त रहे हैं और एक दिन में 11 बैठकें हुई हैं और फिर मैं आपके साथ उन विवरणों को साझा करने
की स्थिति में हूं।
प्रश्न: क्या कल व्यापार के मुद्दों पर अमेरिका के साथ कोई समझौता या समझौता होने की संभावना है?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : देखिए, मैं आपको प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति ट्रम्प के बीच हुई बैठक में वापस ले जाऊं जहां इस बात पर व्यापक सहमति थी कि व्यापार में मतभेदों को दूर किया जाना चाहिए। इसे शीघ्रता से दूर किए
जाने की आवश्यकता है और इस पर चर्चाएं हो रही हैं। मेरे लिए इस स्तर पर कहने के लिए कैसे और कहाँ हम उस पर हैं थोड़ा समय से पहले होगा। रुको, मुझे लगता है कि यह समय की बात है और फिर हम निश्चित रूप से कल आपको बताने के लिए कुछ होगा.
प्रश्न: अमेरिका के साथ जो कल बातचीत होगी उसमें हमारा ध्यान किस बात पर केंद्रित होगा?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : देखिए, इस पर मैं हर बार बोलता हूं कि क्या होगी बातचीत यह मै कल ही बता पाऊंगा। आपको पता है कि मुझे लग रहा है और जैसा हमने पहले भी बताया है कि विदेश सचिव ने हर बार जब भी बैठक होने के बाद
जो ब्रीफिंग हुई है मुख्य ध्यान द्विपक्षीय संबंध पर रही है। उसके साथ जब हमारी बात होती है तो क्षेत्रीय और वैश्विक स्थिति पर भी चर्चा होती है किंतु कौन कितनी चर्चा करेगा वह चर्चा के प्रवाहके साथ हमको देखना पड़ेगा। इस समय स्पष्टत: यह बताना कि क्या-क्या
होगा वह थोड़ा जल्दी हो जाएगा।
प्रश्न: सीआईसीए की बैठक का आपने जिक्र किया जिसमें हमारे विदेश राज्य मंत्री और पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेगी दोनों थें। क्या दोनों के बीच वहां क्या कुछ हुआ। उन्होनें सीआईसीए की बैठक में भारत के राज्य
मंत्री ने क्या मुद्दा रखा?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : यह एक ब्रेकफास्ट बैठक थी और जैसा मैने जिक्र किया कि इस की अध्यक्षता ताजिकिस्तान ने की और जो हमारा फोकस है आतंकवाद का सामना करने पर उसी को सामने रखा गया है। पाकिस्तान की तरफ से जो उनको
कहना था उन्होनें कहा। यह खुला मंच नहीं था और इसीलिए इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकता किंतु उनका जो फिलहाल रुख है ऐसी बैठकों में हर समय जो जाकर बोलना होता है वो उसी प्रकार की बयानबाजी कर रहे हैं किंतु हमारा जैसेकि अभी सचिव ने बतायाकिएक वैश्विक दृष्टिकोण
है और हमारा एकल देश केंद्रित ध्यान नहीं है, हमारा ध्यान आतंकवादके प्रतिकार पर है और कैसे बाकी सारे देश हमारे साथ मिलकर इस मुहिम में हमारे साथ काम कर सकते है। इस पर फोकस था हमारा।
प्रश्न: मेरा प्रश्न ईरान के विदेश मंत्री के साथ हुई बैठक के बारे में है और आप जानते हैं कि यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है क्योंकि ईरान हमारी आशा से .......स्थिति है।
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : मेरे पास अभी ब्यौरा नहीं है, जब कभी भी मुझे ब्यौरा प्राप्त होता है लेकिन मैं आपको बताना चाहता हूं कि द्विपक्षीय बैठकों के कुछ ऐसे पहलू हैं जिन्हें हम सार्वजनिक रूप से साझा नहीं करेंगे।
आप देख रहे हैं कि कुछ चर्चाएं हो रही हैं लेकिन मैं प्रत्येक और प्रत्येक मुद्दे के ब्यौरे पर नहीं जाऊंगा, जिस पर चर्चा की गई है। मोटे तौर पर मैंने कहा कि, कुछ मामलों में हम अपनी स्थिति को स्पष्ट करने के लिए अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय संबंध पर बातचीत कर रहे
हैं। इस प्रकार से द्विपक्षीय बैठकों का आयोजन किया गया है।
प्रश्न: क्या किसी भी द्विपक्षीय बैठक के दौरान मोदी के कार्यक्रम पर चर्चा की गई थी?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : वास्तव में नहीं। मेरे विचार से कुछ संदर्भ थे जब प्रधानमंत्री जी ने उल्लेख किया था कि कल वे ह्यूस्टन में थे लेकिन यह बहुत ही महत्वपूर्ण संदर्भ था। मुझे याद नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि
एक या दो मामलों में, यह एक प्रारंभिक वक्तव्य की तरह है जो आप कहते हैं कि जब आप द्विपक्षीय बैठक में जाते हैं तो आप कुछ सुखद बातें कहते हैं और यह दोनों नेताओं के बीच सुखद संबंधों के आदान-प्रदान का हिस्सा था।
प्रश्न: आप सभी से मेरा प्रश्न यह है कि कल प्रधानमंत्री ने 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए ट्रम्प का बहुत उत्साहपूर्वक समर्थन किया था। क्या भारत का वास्तव में यही अर्थ है कि इस व्यक्ति को 2020 में अमेरिका का राष्ट्रपति होना
चाहिए?
सरकारी प्रवक्ता, श्री रवीश कुमार : आप देखिए, मैं समझता हूं कि आपको वास्तव में जो कुछ कहा गया है, उसे देखना होगा। यह मेरे लिए एक बयान अर्हता प्राप्त करने के लिए नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि आपको अपने प्रश्न का उत्तर
मिल गया होगा यदि आपने भाषण की प्रतिलिपि के माध्यम से जाना होगा यह आपके द्वारा पूछे गए प्रश्न को स्पष्ट करेगा और हम इस पर बाद में चर्चा कर सकते हैं।
आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद.
(समापन)