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जी-20 शिखर सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए प्रधान मंत्री जी की सियोल यात्रा पर विदेश सचिव की प्रेस वार्ता

नवम्बर 09, 2010

सरकारी प्रवक्‍ता (श्री विष्‍णु प्रकाश): नमस्‍कार। भारत के प्रधान मंत्री डा. मनमोहन सिंह 5वें जी-20 शिखर सम्‍मेलन में भाग लेने के लिए कल सियोल प्रस्‍थान कर रहे हैं। विदेश सचिव श्रीमती निरुपमा राव प्रधान मंत्री जी की इस यात्रा के बारे में आप सबको जानकारी देना चाहती हैं। मैं आप सबका परिचय मेरे सहयोगी श्री जावेद अशरफ, संयुक्‍त सचिव (अमरीका) से भी कराना चाहूँगा, जो विदेश सचिव के दाईं ओर बैठे हैं। विदेश सचिव महोदया अपना आरंभिक वक्‍तव्‍य देंगी और तदुपरान्‍त आप उनसे प्रधान मंत्री जी की सियोल यात्रा के बारे में कुछ प्रश्‍न पूछ सकते हैं। महोदया, अब यह मंच आपका है।

विदेश सचिव (श्रीमती निरुपमा राव): धन्‍यवाद विष्‍णु।

5वें जी-20 शिखर सम्‍मेलन का आयोजन 11-12 नंवबर, 2010 तक सियोल, कोरिया गणराज्‍य में किया जा रहा है। पिछले दो वर्षों की अवधि के दौरान इस बहुपक्षीय समूह की 5वीं शिखर बैठक हो रही है, जो अभूतपूर्व है। पहले शिखर सम्‍मेलन का आयोजन वाशिंगटन (नवंबर, 2008) में और तदुपरान्‍त लंदन (अप्रैल, 2009), पिट्सबर्ग (सितंबर, 2009) और टोरंटो जून, 2010) में किया गया। यह एक समूह के रूप में जी-20 के महत्‍व, गतिशीलता और विश्‍वसनीयता का सूचक है जिसे पिट्सबर्ग में आयोजित शिखर सम्‍मेलन के बाद से अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक सहयोग के

'प्रधान मंच' के रूप में नामित किया गया है। हम विकसित देश के अपने वार्ताकारों के साथ होने वाले उत्‍तर-दक्षिण संवाद के लिए भी जी-20 को एक प्रमुख मंच मानते हैं।

जैसाकि आप सबको जानकारी होगी कि पूर्व एशियाई वित्‍तीय संकट के बाद वर्ष 1999 में जी-20 अस्‍तित्‍व में आया। यह एक अनौपचारिक मंच है जिसमें जिसमें प्रमुख विकिसत देश और विश्‍व की महत्‍वपूर्ण उदीयमान बाजार अर्थव्‍यवस्‍थाएं शामिल हैं, जो वैश्‍विक सकल घरेलू उत्‍पाद के लगभग 90 प्रतिशत, विश्‍व व्‍यापार के 85 प्रतिशत और मानव जाति के दो तिहाई भाग का प्रतिनिधित्‍व करती है। वर्ष 2008 में आई भारी मंदी अथवा अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय और आर्थिक संकट का समाधान जिस समन्‍वित और प्रभावी तरीके से किया गया, उसका श्रेय इसी समूह को दिया जाता है।

मेजबान के रूप में कोरिया गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति इस शिखर सम्‍मेलन की अध्‍यक्षता करेंगे। इसमें जी-20 सदस्‍य देशों के विभिन्‍न नेताओं के भाग लेने की आशा है। मेजबान देश के रूप में कोरिया गणराज्‍य ने स्‍पेन, मलावी (अफ्रीकी संघ का अध्‍यक्ष), इथोपिया (नेपाड का अध्‍यक्ष), वियतनाम (आसियान का अध्‍यक्ष) और सिंगापुर के नेताओं को भी आमंत्रित किया है। इसके अतिरिक्‍त संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ, विश्‍व बैंक, अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष, विश्‍व व्‍यापार संगठन, वित्‍तीय स्‍थिरता बोर्ड इत्‍यादि के प्रमुख अधिकारियों के भी भाग लेने की संभावना है।

प्रधान मंत्री जी भी सियोल जी-20 शिखर सम्‍मेलन में भाग ले रहे हैं। प्रधान मंत्री जी के प्रतिनिधिमंडल में योजना आयोग के उपाध्‍यक्ष भी शामिल होंगे, जो जी-20 में भारत के 'शेरपा' हैं। इसके अतिरिक्‍त राष्‍ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारी भी प्रतिनिधिमंडल में होंगे। प्रधान मंत्री जी 10 नवंबर को सियोल पहुंचेंगे और अगले दो दिन तक उनका अत्‍यंत ही व्‍यस्‍त कार्यक्रम है। जी-20 शिखर सम्‍मेलन का शुभारंभ 11 नवंबर को स्‍वागत समारोह के साथ किया जाएगा जिसके बाद केरिया गणराज्‍य के राष्‍ट्रपति ने कार्यकारी रात्रिभोज का आयोजन किया है। 12 नवंबर को होने वाले कार्यक्रमों में शिखर सम्‍मेलन का उद्घाटन पूर्ण सत्र शामिल है

जिसके उपरान्‍त सुबह और दोपहर बाद दो पूर्ण कार्यकारी सत्रों का आयोजन किया गया है। इसके पश्‍चात जी-20 'फेमिली फोटोग्राफ' और दोपहर में नेताओं के कार्यकारी भोज का आयोजन किया गया है। सम्‍मेलन का समापन दोपहर बाद अंतिम पूर्ण सत्र के साथ होगा। शिखर सम्‍मेलन की समाप्‍ति के उपरान्‍त उसी दिन प्रधान मंत्री जी भारत वापस आ जाएंगे।

प्रधान मंत्री जी सहभागी देशों के नेताओं के साथ पारस्‍परिक हित के अनेक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्‍विक मुद्दों पर बातचीत करेंगे। शिखर सम्‍मेलन के दौरान अतिरिक्‍त समय में, संभवत 11 नवंबर को कुछ द्विपक्षीय बैठकों की भी योजना बनाई गई है जिसकी सूचना हम आपको देते रहेंगे।

सियोल में आयोजित होने वाले आगामी शिखर सम्‍मेलन की विषय-वस्‍तु 'संकट के उपरान्‍त साझा विकास' है। आशा है कि विभिन्‍न देशों के नेता वैश्‍विक आर्थिक स्‍थिति, विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में सुधार और जी-20 के पिछले शिखर सम्‍मेलनों में लिए गए निर्णय के कार्यान्‍वयन में हुई प्रगति की समीक्षा करेंगे। उपर्युक्‍त के आलोक में विभिन्‍न नेतागण जी-20 के भावी अधिदेश एवं दिशा के संबंध में निर्णय लेंगे। इस शिखर सम्‍मेलन में किए जाने वाले विचार-विमर्शों के संबंध में अनुमान लगाने का प्रयास किए बिना मैं कह सकती हूँ कि जी-20 के नेताओं द्वारा निम्‍नलिखित क्षेत्रों पर विचार-विमर्श किए जाने की संभावना है:

  • विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था तथा ठोस, सतत एवं संतुलित विकास की रूपरेखा
  • अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय संस्‍थाओं में सुधार
  • वित्‍तीय नियामक सुधार
  • व्‍यापार एवं संरक्षणवाद
  • जलवायु परिवर्तन
  • विकास, जो टोरंटो में आयोजित शिखर सम्‍मेलन में अधिदेशित जी-20 कार्यसूची में एक नया मुद्दा है।

जैसाकि पहले से प्रथा रही है, सियोल शिखर सम्‍मेलन की घोषणा अथवा विज्ञप्‍ति जारी किए जाने की भी संभावना है। तथापि, मैं इस शिखर सम्‍मेलन अथवा विज्ञप्‍ति की विषय-वस्‍तु के बारे में भी पूर्वानुमान लगाने से बचना चाहूंगी। इसलिए जैसाकि मैंने कहा सियोल शिखर सम्‍मेलन में नेताओं के समक्ष चर्चा के लिए एक समृद्ध और विविधतापूर्ण कार्यसूची मौजूद है।

मेजबान कोरिया गणराज्‍य जी-20 शिखर सम्‍मेलन के साथ ही एक महत्‍वपूर्ण व्‍यावसायिक बैठक का भी आयोजन कर रहा है। सियोल जी-20 व्‍यावसायिक बैठक (एसजीबीएस) का आयोजन 10-11 नवंबर, 2010 को किया जा रहा है जिसमें जी-20 सदस्‍य देशों के लगभग 100 मुख्‍य कार्यकारी अधिकारियों के भाग लेने की आशा है। एसजीबीएस की विषय-वस्‍तु 'सतत एवं संतुलित विकास में व्‍यवसाय की भूमिका' है। व्‍यावसायिक शिखर बैठक में पांच गोलमेज बैठकों का आयोजन किया गया है, जो निम्‍नलिखित विषयों पर होंगे- (1) व्‍यापार और विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश का संवर्धन, (2) वित्‍तीय स्‍थिरता को बढ़ावा और आर्थिक कार्यकलापों का समर्थन, (3) हरित विकास का समन्‍वय, और (4) कार्पोरेट सामाजिक दायित्‍वों का निर्वाह। जी-20 के नेताओं के समक्ष इस व्‍यावसायिक शिखर बैठक के परिणाम भी प्रस्‍तुत किए जाएंगे।

प्रश्‍न: महोदया, कल प्रधान मंत्री जी ने एक नई कार्यसूची बनाने की बात कही। यह कार्यसूची विकसित देशों से विकासशील देशों में अवसंरचना विकास में बेहतर भागीदारी करने से संबंधित है। क्‍या प्रधान मंत्री जी का वक्‍तव्‍य एक सामान्‍य टिप्‍पणी है या यह शिखर सम्‍मेलन में उठाए जाने वाले मुद्दों का भी संकेत देता है?

विदेश सचिव: जी-20 के लिए जो ठोस, सतत एवं संतुलित विकास की कार्यसूची निर्धारित की गई है, वह विशेष रूप से महत्‍वपूर्ण है। भारत जब इस मुद्दे पर बात करता है, ठोस, सतत एवं संतुलित विकास की बात करता है, तो यह अनिवार्यत: उदीयमान अर्थव्‍यवस्‍थाओं का प्रतिनिधित्‍व करता है; यह जी-20 में प्रमुख उदीयमान अर्थव्‍यवस्‍थाओं की आवाज के साथ अपनी आवाज मिला रहा है। स्‍वाभाविक है कि जी-20 की अन्‍य उदीयमान अर्थव्‍यवस्‍थाओं के साथ भी विचार-विमर्श किए जाएंगे।

वस्‍तुत: हमारे प्रधान मंत्री और ब्राजील के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख के बीच द्विपक्षीय वार्ता की भी परिकल्‍पना की गई है। जब हम संतुलित विकास की बात करते हैं, तो हम यह भी कहना चाहते हैं कि आज विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में विकास की विविध दरें मौजूद हैं। कुछ देशों में राजकोषीय मजबूती की आवश्‍यकता है जबकि दूसरी ओर हमें विकास की एक ऐसी दर बनाए रखनी है जिससे हमारे लाखों लोगों को गरीबी के दुष्‍चक्र से बाहर निकालने में मदद मिले, देश में पूंजी, नवाचार और प्रौद्योगिकी के प्रवाह को बढ़ावा मिले,

संरक्षणवाद का मुकाबला किया जाए और एक मुक्‍त बहुपक्षीय विश्‍व व्‍यापार व्‍यवस्‍था के निर्माण का कार्य प्रशस्‍त हो। इसलिए ये सभी ऐसे मुद्दे हैं जिन पर भारत को विकासशील देशों की प्रातिनिधिक आवाज के रूप में बोलना होगा।

प्रश्‍न: महोदया, एक अनुवर्ती प्रश्‍न है। क्‍या भारत द्वारा भविष्‍य में जी-20 शिखर सम्‍मेलन का आयोजन किए जाने की संभावना है?

विदेश सचिव: इस समय मैं आपके इस प्रश्‍न का उत्‍तर नहीं दे पाऊंगी। बाद में मैं इसके आयोजना की संभावना से भी इनकार नहीं करूंगी। परन्‍तु आप मुझसे यह पूछ रहे हैं कि क्‍या कार्यसूची में ऐसी कोई मद है जिसके तहत निकट भविष्‍य में इस बैठक के आयोजन पर चर्चा हो। इस समय मैं इस बात की पुष्‍टि नहीं कर पाऊंगी।

प्रश्‍न: एक समाचार पत्र में इस आशय की रिपोर्टें आई हैं कि प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के पास विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था को वर्तमान संकट से बचाने का एक फार्मूला है। क्‍या आप इसके बारे में कुछ बताने की स्‍थिति में हैं? क्‍या प्रधान मंत्री जी विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था को बचाने के संबंध में अपना कोई प्रस्‍ताव प्रस्‍तुत करने वाले हैं?

विदेश सचिव: मैं समझती हूँ कि आपको सियोल में होने वाले विचार-विमर्शों के परिणामाओं और बाद में जारी की जाने वाली विज्ञप्‍ति में प्रतिबिंबित बिन्‍दुओं की प्रतीक्षा करनी होगी, जो बैठक में उत्‍पन्‍न सर्वसम्‍मति का प्रतिनधित्‍व करती हैं।

मेरा मानना है कि एक समूह के रूप में जी-20 को भविष्‍य में भी वैश्‍विक वित्‍तीय एवं आर्थिक मुद्दों का समाधान करने हेतु एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करते रहना चाहिए। पिट्सबर्ग शिखर सम्‍मेलन में जब जी-20 को अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रधान मंच के रूप में नामित किया गया, तो यह इस बात का संकेत था कि हम जी-20 की बैठकों और इसकी कार्यसूची के विकास आयामों को कितना महत्‍व दे रहे हैं। इसलिए आशा की जा रही है कि विकास आयामों में और वृद्धि होगी तथा भविष्‍य में इसका आर्थिक महत्‍व और बढ़ेगा।

प्रश्‍न: महोदया, क्‍या आप बता सकती हैं कि इस शिखर सम्‍मेलन के दौरान अतिरिक्‍त समय में प्रधान मंत्री जी की कौन-कौन सी द्विपक्षीय बैठकें होंगी?

विदेश सचिव: मैं समझती हूँ कि युनाइटेड किंगडम, कनाडा, मैक्‍सिको और इथोपिया के साथ द्विपक्षीय बैठकें होनी हैं। ये कुछ ऐसी बैठकें हैं जिनकी पुष्‍टि की जा चुकी है। ब्राजील के साथ भी बैठक होनी की संभावना है और भी बैठकें होने की संभावना है जिसकी जानकारी हम समय बीतने के साथ ही आपको दे पाएंगे।

प्रश्‍न: विदेश सचिव महोदया, कल अमरीकी वित्‍त मंत्री श्री टिम गिथनर जी-20 में पूर्व चेतावनी प्रणाली पर चर्चा किए जाने का उल्‍लेख कर रहे थे जिससे कि अनिवार्यत: घाटों एवं अत्‍यधिक अधिशेषों पर नजर रखी जा सके। उन्‍होंने कहा कि इस प्रकार के घाटों एवं अधिशेषों पर नजर रखने के संबंध में अनेक प्रकार की सहमति बनी है। परन्‍तु ... (अश्रव्‍य) ... इस पर भारत का नजरिया ... (अश्रव्‍य) ... क्‍या इन पूर्व चेतावनी प्रणालियों का प्रशासन अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा किया जाएगा?

विदेश सचिव: मैं समझती हूँ कि इस विषय पर जी-20 के भीतर चर्चा किए जाने हेतु बातचीत की जा रही है। वित्‍त मंत्री श्री गिथनर ने इसका उल्‍लेख किया था। स्‍पष्‍ट है कि हम विश्‍व अर्थव्‍यवस्‍था में विकास को ठोस बनाने और सुधार की प्रक्रिया को बढ़ावा देने पर बल देंगे। इसके साथ ही अंतर्राष्‍ट्रीय वित्‍तीय संस्‍थाओं में सुधार का मसला भी हमारी कार्यसूची का एक भाग है। जैसाकि मैंने पूर्व में भी कहा, जी-20 के भीतर विकास के मुद्दे पर अधिदेश देना और संरक्षणवाद का मुकाबला करना भी इसमें शामिल होगा। भारत के विचार में यही कुछ मुद्दे हैं जिन पर समान रूप से ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है।

प्रश्‍न: महोदया, तथाकथित मुद्रा युद्ध के बारे में भारत का क्‍या नजरिया है? इस पर भारत का क्‍या मानना है? क्‍या भारत चाहेगा कि चीन उसकी मुद्रा को स्‍वीकार करे?

विदेश सचिव: कोरिया गणराज्‍य में ही लगभग दो सप्‍ताह पूर्व आयोजित जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में बाजार द्वारा निर्धारित विनिमय दर प्रणाली अथवा प्रणालियों की दिशा में आगे बढ़ने और मुद्राओं के प्रतिस्‍पर्धी अवमूल्‍यन से परहेज करने पर सहमति हुई थी। बातचीत इसी दिशा में आगे बढ़ी थी।

मैं समझती हूँ कि उपर्युक्‍त तथ्‍य के अनुसरण में ही बातचीत हुई थी। मेरा मानना है कि सियोल शिखर सम्‍मेलन में वैश्‍विक वित्‍तीय एवं मुद्रा बाजारों में स्‍थिरता लाने और वैश्‍विक वित्‍तीय बाजारों की संवेदनशीलता में कमी लाने के संबंध में ठोस सुझाव दिए जाएंगे।

प्रश्‍न: क्‍या जी-20 के स्‍थाई सचिवालय से संबंधित विषय को कार्यसूची में शामिल किया गया है? यदि ऐसा है, तो आप इस बात संकेत दे सकती हैं कि इसका प्रमुख कौन होगा? ... (अश्रव्‍य) ...

विदेश सचिव: जहां तक मुझे जानकारी है, इस विषय को कार्यसूची में जगह नहीं दी गई है। मुझे इस बात की जानकारी अवश्‍य है कि इस विषय पर विभिन्‍न देशों के बीच औपचारिक चर्चा की जा रही है परन्‍तु अब तक इस पर कोई सर्वसम्‍मत विचार उभर कर सामने नहीं आया है। जिस देश में जी-20 शिखर सम्‍मेलन का आयोजन किया जाता है, वहां कुछ समय के लिए एक सचिवालय बनाया जाता है, परन्‍तु इसका कोई स्‍थाई सचिवालय नहीं है। अभी यह कार्यसूची में नहीं है।

प्रश्‍न: विकास के पक्ष में व्‍यापक वक्‍तव्‍य ... (अश्रव्‍य) ... इसलिए यदि भारत जैसी उदीयमान अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर बल दिया जा रहा है, तो भारत किस प्रकार का विशेष परिणाम चाहेगा?

विदेश सचिव: मैंने भी यही बाते कहीं। आपको विचार-विमर्शों के परिणामों की प्रतीक्षा करनी होगी। भारत भाग लेने वाले देशों में से एक है। मैंने विकास से जुड़े मुद्दों और संरक्षणवाद से संबंधित मुद्दों का उल्‍लेख किया।

प्रश्‍न: पूर्व में विश्‍व बैंक की पूंजी में वृद्धि करने पर भी चर्चा हुई थी क्‍योंकि भारत विश्‍व बैंक से सबसे अधिक उधार लेने वाले देशों में से एक है ... (अश्रव्‍य) ...?

विदेश सचिव: जैसाकि मैंने उल्‍लेख किया, वित्‍तीय संस्‍थाओं का सुधार जी-20 के विशेष कार्यकलापों में से एक है। विश्‍व बैंक और अंतर्राष्‍ट्रीय मुद्रा कोष दोनों संस्‍थाओं के संदर्भ में इस दिशा में कुछ प्रगति भी हुई है। परन्‍तु यह एक सतत प्रक्रिया है।

प्रश्‍न: क्‍या भारत चाहेगा कि जी-20 में आतंकवाद, सुरक्षा और ... (अश्रव्‍य) ... से जुड़े मुद्दों पर भी बातचीत की जाए?

विदेश सचिव: मैं समझता हूँ कि जी-20 अंतर्राष्‍ट्रीय आर्थिक सहयोग के प्रधान मंच के रूप कार्य कर रहा है। फिलहाल सभी सदस्‍य देश इसी बात पर ध्‍यान देना चाहते हैं।

प्रश्‍न: महोदया, इस मुद्रा युद्ध पर हमारे विचारों एवं अमरीकी विचारों के बीच क्‍या अंतर है? कल भी प्रेस सम्‍मेलन में इस बात को पूछा गया था। क्‍या आप हमें बता सकती हैं कि इनमें बड़ा अंतर क्‍या है?

विदेश सचिव: यह अंतर का प्रश्‍न नहीं है। मैं समझती हूँ कि चीन-अमरीका व्‍यापार की मात्रा अमरीका अथवा चीन के साथ हमारे व्‍यापार की मात्रा से काफी अधिक है। चीन के साथ संयुक्‍त राज्‍य अमरीका का व्‍यापार असंतुलन दोनों देशों के बीच चर्चा का एक मुद्दा है और खासकर अमरीका में इस विषय पर सार्वजनिक रूप से काफी बल दिया जा रहा है।

इसलिए इसी संदर्भ में चीनी यूआन के अवमूल्‍यन से जुड़े मुद्दे को देखा जाना है। इसलिए अमरीका का भी चीन के अधिशेष व्‍यापार से संबद्ध मुद्दे पर विशेष विचार हैं। क्‍योंकि उन्‍हें लगता है कि ऐसा चीनी यूआन की दर के कारण ही हो रहा है। इसलिए अमरीका इस मुद्दे को इसी संदर्भ में देखता है। जैसाकि मैंने कहा हमारे मामले में हमने बाजार की ताकतों और इससे उत्‍पन्‍न होने वाले मुद्रा दर मूल्‍यांकनों के बारे में बात की है। स्‍वाभाविक है कि चीन के साथ हमारा भी बड़ा व्‍यापार घाटा है। परन्‍तु हम भारी संख्‍या में उपकरणों को चीनी बाजारों से प्रतिस्‍पर्धी मूल्‍य पर खरीद रहे हैं। यह बात विशेषकर हमारे विद्युत क्षेत्र, इस्‍पात क्षेत्र और अवसंरचना विकास क्षेत्र से संबंधित है।

अत: अमरीका और भारत का मामला अलग-अलग है। परन्‍तु मुझे विश्‍वास है कि जी-20 के संदर्भ में मुद्रा मूल्‍यांकन से संबद्ध समग्र मुद्दे को विकसित देशों द्वारा अवश्‍य उठाया जाएगा।

प्रश्‍न: महोदया, ऐसा प्रतीत होता है कि अमरीका और भारत दोनों यही मानते हैं कि चीन ने अपनी मुद्रा में कृत्रिम कमी ला रखी है।

विदेश सचिव: मैं इस संबंध में बात नहीं करना चाहूंगी। जैसाकि मैंने कहा, भारत और अमरीका दोनों देशों के लिए अलग-अलग स्‍थितियां हैं।

प्रश्‍न: कल चीन ने इस आशय का संकेत दिया है कि चालू खाते के असंतुलनों पर लगाई गई सीमा से अमरीका और भारत दोनों पर प्रभाव पड़ेगा। इस पर भारत का क्‍या नजरिया है। क्‍या हम इस संबंध में चीन का पक्ष लेंगे?

विदेश सचिव: मुद्रा प्रवाह अथवा मुद्रा की दरों से संबंधित मुद्दों में हम किसी विशेष देश का पक्ष नहीं ले सकते। यह बात मैंने पहले भी पूछे गए एक प्रश्‍न के उत्‍तर में बताई है। मैं समझती हूँ कि हमें इसका और अध्‍ययन करना चाहिए। इस संबंध में मैं कोई विशेषज्ञ नहीं हूँ और न ही मैं कोई अर्थशास्‍त्री हूँ। मेरे विचार में इस प्रश्‍न का सही उत्‍तर संबंधित आर्थिक मंत्रालय ही दे सकता है।

इसलिए इस पर मैं व्‍यर्थ की बहस नहीं करना चाहूंगी। निश्‍चित रूप से इस शिखर सम्‍मेलन के दौरान इस पर व्‍यापक बातचीत करने का अवसर मिलेगा। हमारे वित्‍त सचिव और योजना आयोग के उपाध्‍यक्ष वहां गए हुए हैं। इसलिए इनमें से अधिकांश प्रश्‍नों का उत्‍तर वे ही दे सकते हैं।

सरकारी प्रवक्‍ता: धन्‍यवाद।

(समाप्‍त)

नई दिल्‍ली
09 नवंबर, 2010



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