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रियो+20 शिखर सम्मेलन के दौरान रियो डि जनेरियो में अतिरिक्त समय में चीनी प्रधानमंत्री के साथ भारत के प्रधानमंत्री की बैठक पर विदेश सचिव का वक्तव्य

जून 21, 2012

विदेश सचिव (श्री रंजन मथाई): मैंने सोंचा की मैं आपको यह बता दूँ कि प्रधानमंत्री जी और चीन के प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ के बीच 40 मिनट से भी अधिक की एक अच्छी बैठक हुई जिसके दौरान उन्होने द्विपक्षीय सम्बन्धों और बहुपक्षीय मंच पर हमारे सहयोग की समीक्षा की। यह सम्मेलन इसी का एक उदाहरण है।

इस बैठक का आयोजन जी-20 सम्मेलन के बाद किया गया और दोनो बैठकों में तथा ब्रिक्स फ़ारमैट के अंतर्गत भी भारत और चीन के बीच उच्चस्तरीय सहयोग किया गया जिसका उद्देश्य संयुक्त दृष्टिकोणों का निर्माण करना तथा साझी कार्यसूची को बढ़ावा देना था।

वस्तुतः प्रधानमंत्री वेन जिआबाओ ने नोट किया कि प्रधानमंत्री जी के साथ उनकी यह बैठक दोनो प्रधानमंत्रियों के बीच 20वीं बैठक है और उनकी बैठकों से वस्तुतः द्विपक्षीय स्तर पर और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के संदर्भ में इस कार्यसूची को आगे बढ़ाने में मदद मिली है।

जहां तक द्विपक्षीय सम्बन्धों का प्रश्न है, इस बात पर सहमति भी हुई कि दोनों पक्ष राजनैतिक स्तर पर और अधिकारियों के बीच क्षेत्रीय स्तर पर राजनैतिक संवाद कायम रखेंगे।जहां तक सीमा प्रश्न का संबंध है, इसका उल्लेख किया गया और निर्णय लिया गया कि विशेष प्रतिनिधि अब तक किए गए अपने कार्यों का संयुक्त रिकॉर्ड तैयार करने के लिए कार्य करेंगे जिसकी घोषणा जनवरी माह में की गयी थी, और साथ ही हमारे बीच भावी सहयोग को दिशा भी प्रदान करेंगे।

दोनो पक्षों ने इस बात पर अपनी सहमति व्यक्त की कि सीमा से जुड़े मुद्दों का समाधान करने के लिए गठित संयुक्त तंत्र की कुछ हफ्ते पूर्व बीजिंग में आयोजित पहली बैठक को एक सकारात्मक कदम माना जा सकता है। प्रधानमंत्री जी ने स्मरण दिलाया कि इस संयुक्त तंत्र की स्थापना दिसंबर 2010 में प्रधानमंत्री श्री वेन जियाबाओ द्वारा दिये गए सुझाव पर की गयी थी।

दोनों प्रधानमंत्रियों ने यह भी कहा कि दोनो देशों के बीच रक्षा एवं सामरिक संवाद जारी रखा जाना चाहिए और इसे वर्तमान स्तर तक बनाए रखा जाना चाहिए। प्रधानमंत्री जी ने नोट किया कि कुछ दिन पूर्व ही हमारे नौसैनिक पोत चीन गए थे और यह हमारे बीच जारी सहयोग का एक अन्य उदाहरण है।

जहां तक द्विपक्षीय व्यापार एवं आर्थिक सम्बन्धों का प्रश्न है, दोनों प्रधानमंत्रियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि कुछ वर्ष पूर्व निर्धारित किया गया वर्ष 2015 तक 100 बिलियन अमरीकी डॉलर का व्यापार लक्ष्य सही मार्ग पर है और हम इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।

प्रधानमंत्री जी ने भारत के व्यापार घाटे का मुद्दा उठाया और चीन ने बड़े व्यापार घाटे की समस्या का समाधान करने हेतु भारत के साथ मिलकर कार्य करने पर अपनी सहमति व्यक्त की। वस्तुतः उन्होने विशेष रूप से उल्लेख किया कि वे चीनी बाज़ार में भारतीय निर्यातों की पहुँच में सुधार लाने के लिए विभिन्न व्यापार मिशनों को भारत भेज रहे हैं। वे समुदाय मेलों का भी आयोजन कर रहे हैं। उदाहरण के लिए उन्होने एक परिवर्तन का उल्लेख किया जिसके तहत हाल में भारत से चीन में चावल का निर्यात आरंभ किया जाने वाला है।

दोनो पक्षों ने यह भी महसूस किया कि निवेश में वृद्धि करना भी व्यापार घाटे की समस्या का समाधान करने का एक तरीका होगा। विशेषकर तब जब भारत में चीन के निवेश प्रभावों में वृद्धि हो। प्रधानमंत्री जी ने विशेष रूप से उस बात का उल्लेख किया कि विशेषकर अवसंरचना क्षेत्र में चीन के निवेश का स्वागत किया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री वेन जिआबाओ ने उल्लेख किया कि दोनों देशों की संपूरक क्षमताएँ हैं और अवसंरचना क्षेत्र निश्चित रूप से एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें चीन की कंपनियाँ भारत में अच्छा व्यवसाय कर पाने में सफल होगी। दोनो पक्षों ने दोनो देशों के बीच मुख्य कार्यकारी अधिकारी मंच की स्थापना किए जाने का भी स्वागत किया।

प्रधनमंत्री जी ने अंतर्राष्ट्रीय नदियों के मुद्दे को भी उठाया और कहा कि निचली घाटी के रूप में हम इस तथ्य का स्वागत करते हैं कि चीन पक्ष ने जानकारियों का आदान-प्रदान करने के लिए एक तंत्र स्थापित करने पर अपनी सहमति व्यक्त की है और हम चाहेंगे कि यह कार्य जारी रहे जिससे कि हमारे देश में विश्वास बना रहा। चीनी पक्ष ने इस पर सहमति व्यक्त की। वस्तुतः उन्होने कहा कि वे इस मुद्दे पर तथा व्यापार मुद्दों पर भारतीय पक्ष के साथ बातचीत करते रहेंगे।

अंततः दोनों प्रधानमंत्रियों ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क के महत्व पर भी बल दिया। जैसा कि आप जानते हैं भारत से एक विशाल युवा प्रतिनिधिमंडल चीन गया है। इसी प्रकार हमने भी चीन के युवा प्रतिनिधिमंडलों के लिए अपने द्वार खोले है। परंतु इसके साथ ही यह भी महसूस किया गया किया कि भारत और चीन के बीच शिक्षाविदों, मीडिया और सभ्य समाज के अन्य वर्गों के बीच भी कार्यकलाप किए जाने की संभावना है।

अतः व्यापक तौर पर यही विषय थे। यह अत्यंत ही सौहार्दपूर्ण माहौल में सम्पन्न एक लंबी और अत्यंत ही रचनात्मक बैठक थी और जैसा कि मैंने बताया इसमें सभी मुद्दों को शामिल किया गया।

रियो डि जनेरियो
21 जून, 2012



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